hotaks444
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आज मेरे पास कोई काम नहीं था. मैं यूँ ही साथ वाले घर में अपनी सहेली कोमल से मिलने चली गयी. मेरी इस कहानी की नायिका कोमल है. उसकी शादी हुए लगभग ५ महीने हो गए थे. वहां हम सभी ने यानि कोमल, उसके पति रमेश और मैंने सुबह का नाश्ता किया. बातों बातों में कोमल ने बताया कि रमेश ३ दिनों के लिए दिल्ली जा रहा है. उसने मुझे तीन दिनों के लिए अपने यहाँ रुकने के लिए कहा. मैंने उसे अपनी स्वीकृति दे दी.
शाम को ८ .३० पर रमेश की गाड़ी थी. हम दोनों रमेश को स्टेशन पर छोड़ कर ९ .३० तक घर लौट आयी. हमने घर आकर अपने रात को सोने के कपड़े पहने. और बिस्तर ठीक करने लगे. फिर हम दोनों ही बिस्तर पर लेट गए. कोमल मुझे अपनी शादी के बाद के उन दिनों के किस्से सुनाती रही. उन दोनों ने कैसे अपनी सुहाग रात मनाई और .... उसके बाद की बातें भी बताई. मैं बड़े शौक से ये सब सुनती रही और रोमांचित होती रही. वो ये सब बताते हुए उत्तेजित भी गयी. मुझे इन सारी बातों का कोई अनुभव नहीं था. पर मान में ये सब सुन कर मुझे लगा की इसका अनुभव कितना सुखद होगा. ये सोचते सोचते मैं जाने कब सो गयी.
मेरी नींद रात को अचानक खुल गयी. मुझे लगा कि मेरे बदन पर कोमल के हाथ स्पर्श कर रहे थे. मैं उसके हटाने ही वाली थी कि मुझे लगा कि इसमे आनंद आ रहा है. मैं जान कर के चुपचाप लेटी रही. मैं रात को सोते समय पेंटी और ब्रा नहीं पहनती हूँ. इसलिए उसका हाथ जैसे मेरे नंगे बदन को सहला रहा था. उसका हाथ कपडों के ऊपर से ही मेरी चुन्चियों पर आ गया और हलके हाथों से वो सहलाने लगी. मुझे सिरहन सी उठने लगी. फिर उसका हाथ मेरी चूत की तरफ़ बढने लगा. मैंने अपनी टांगे थोड़ी सी और चौड़ी कर दी. अब उसके हाथ मेरी चूत पर फिसलने लगे. मैं आनंद से काम्पने लगी. उसने धीरे से उठ कर मेरे होटों का चुम्बन ले लिया. उसका हाथ मेरी चूत को सहला रहे थे.
मैं कब तक सहती ....मेरे बदन के रोगंटे खड़े होने लगे थे. उसने मेरी चूत को हौले हौले से दबानी चालू कर दी ..... आखिर मेरे मुंह से सिसकारी निकल ही पड़ी.
कोमल को मालूम पड़ गया की मेरी नींद खुल गयी है, लेकिन मेरे चुप रहने से उसकी हिम्मत और बढ़ गयी. उसने मेरा टॉप ऊपर करके मेरे उरोज दबाने चालू कर दिए. मेरे मुंह से सिसकी निकल पड़ी -"कोमल .... क्या कर रही है ...... सो जा न ..."
"नहीं नेहा ..... मुझे तो रोज़ ही चुदवाने की आदत हो गयी है ... करने दे मुझे ..प्लीज़ ."
मेरा मन तो कर रहा था कि वो मुझे खूब दबाये. ये सुन कर मैं भी उसे अपनी तरफ़ खीचने लगी - "कोमल ..... मुझे पहले ऐसा किसी ने नहीं किया ...... अच्छा लग रहा है ..."
"हाँ ... स्वर्ग जैसा आनंद आता है .... नेहा तू भी कुछ कर ना ..."
मैं भी उस से लिपट गयी. उसकी चुंचियां दबाने लगी. उसके होंट अब मेरे होंट से जुड़ गए. वो मेरे निचले होंट को चूस रही थी और काट भी लेती थी. फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी. एक अलग सा आनंद मन में भरने लगा था. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी. उसने मेरा टॉप उतार दिया, फिर मेरा ढीला सा पजामा भी उतार दिया. मैं उसे रोकती रही. पर ज्यादा विरोध नही किया. मुझे भी आनंद आने लगा था. मैं भी दूसरे के सामने नंगी होने का रोमांच महसूस करना चाहती थी. कोमल ने अपने कपड़े भी उतार दिए. अब हम दोनों बिल्कुल नंगी हो गयी थी. मेरे मन में हलचल होने लगी थी. मेरे स्तनों की नोकें कड़ी हो गयी थी.
कोमल बिस्तर पर लेट गयी और अपनी टांगें ऊपर कर ली. बोली,"नेहा अपनी दोनों उन्गलियां मेरी चूत में डाल कर मुझे मस्त कर दे..."
मैंने उसकी चूत में पहले एक उंगली डाली तो लगा- इसमें तो दो क्या तीन भी कम हैं।.....मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दी और गोल गोल घुमाने लगी। वो सिसकारियां भरती रही। मैंने अपने दूसरे हाथ की एक उंगली उसकी गाण्ड के छेद पर रखी और उसे सहलाने लगी।
वो बोल उठी,"नेहा ! हाय राम ! गाण्ड में घुसा दे ! मज़ा आ जाएगा !"
अब मेरे दोनो हाथ चलने लगे थे। वो बिस्तर पर तड़प रही थी, और मेरा हाल उससे भी खराब था ....
मुझे भी लग रहा था कि मेरे साथ भी वो ऐसा ही करे..
मैं उसके हर अंग को मसल रही थ.. चोद रही थी.... और कोमल मस्ती से सिसकारियां भर रही थी। वो बोली,"बस अब रुक जा .... अब तेरी बारी है ..... लेट जा .... अब मैं तुझे मसलती हूं"
शाम को ८ .३० पर रमेश की गाड़ी थी. हम दोनों रमेश को स्टेशन पर छोड़ कर ९ .३० तक घर लौट आयी. हमने घर आकर अपने रात को सोने के कपड़े पहने. और बिस्तर ठीक करने लगे. फिर हम दोनों ही बिस्तर पर लेट गए. कोमल मुझे अपनी शादी के बाद के उन दिनों के किस्से सुनाती रही. उन दोनों ने कैसे अपनी सुहाग रात मनाई और .... उसके बाद की बातें भी बताई. मैं बड़े शौक से ये सब सुनती रही और रोमांचित होती रही. वो ये सब बताते हुए उत्तेजित भी गयी. मुझे इन सारी बातों का कोई अनुभव नहीं था. पर मान में ये सब सुन कर मुझे लगा की इसका अनुभव कितना सुखद होगा. ये सोचते सोचते मैं जाने कब सो गयी.
मेरी नींद रात को अचानक खुल गयी. मुझे लगा कि मेरे बदन पर कोमल के हाथ स्पर्श कर रहे थे. मैं उसके हटाने ही वाली थी कि मुझे लगा कि इसमे आनंद आ रहा है. मैं जान कर के चुपचाप लेटी रही. मैं रात को सोते समय पेंटी और ब्रा नहीं पहनती हूँ. इसलिए उसका हाथ जैसे मेरे नंगे बदन को सहला रहा था. उसका हाथ कपडों के ऊपर से ही मेरी चुन्चियों पर आ गया और हलके हाथों से वो सहलाने लगी. मुझे सिरहन सी उठने लगी. फिर उसका हाथ मेरी चूत की तरफ़ बढने लगा. मैंने अपनी टांगे थोड़ी सी और चौड़ी कर दी. अब उसके हाथ मेरी चूत पर फिसलने लगे. मैं आनंद से काम्पने लगी. उसने धीरे से उठ कर मेरे होटों का चुम्बन ले लिया. उसका हाथ मेरी चूत को सहला रहे थे.
मैं कब तक सहती ....मेरे बदन के रोगंटे खड़े होने लगे थे. उसने मेरी चूत को हौले हौले से दबानी चालू कर दी ..... आखिर मेरे मुंह से सिसकारी निकल ही पड़ी.
कोमल को मालूम पड़ गया की मेरी नींद खुल गयी है, लेकिन मेरे चुप रहने से उसकी हिम्मत और बढ़ गयी. उसने मेरा टॉप ऊपर करके मेरे उरोज दबाने चालू कर दिए. मेरे मुंह से सिसकी निकल पड़ी -"कोमल .... क्या कर रही है ...... सो जा न ..."
"नहीं नेहा ..... मुझे तो रोज़ ही चुदवाने की आदत हो गयी है ... करने दे मुझे ..प्लीज़ ."
मेरा मन तो कर रहा था कि वो मुझे खूब दबाये. ये सुन कर मैं भी उसे अपनी तरफ़ खीचने लगी - "कोमल ..... मुझे पहले ऐसा किसी ने नहीं किया ...... अच्छा लग रहा है ..."
"हाँ ... स्वर्ग जैसा आनंद आता है .... नेहा तू भी कुछ कर ना ..."
मैं भी उस से लिपट गयी. उसकी चुंचियां दबाने लगी. उसके होंट अब मेरे होंट से जुड़ गए. वो मेरे निचले होंट को चूस रही थी और काट भी लेती थी. फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी. एक अलग सा आनंद मन में भरने लगा था. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी. उसने मेरा टॉप उतार दिया, फिर मेरा ढीला सा पजामा भी उतार दिया. मैं उसे रोकती रही. पर ज्यादा विरोध नही किया. मुझे भी आनंद आने लगा था. मैं भी दूसरे के सामने नंगी होने का रोमांच महसूस करना चाहती थी. कोमल ने अपने कपड़े भी उतार दिए. अब हम दोनों बिल्कुल नंगी हो गयी थी. मेरे मन में हलचल होने लगी थी. मेरे स्तनों की नोकें कड़ी हो गयी थी.
कोमल बिस्तर पर लेट गयी और अपनी टांगें ऊपर कर ली. बोली,"नेहा अपनी दोनों उन्गलियां मेरी चूत में डाल कर मुझे मस्त कर दे..."
मैंने उसकी चूत में पहले एक उंगली डाली तो लगा- इसमें तो दो क्या तीन भी कम हैं।.....मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दी और गोल गोल घुमाने लगी। वो सिसकारियां भरती रही। मैंने अपने दूसरे हाथ की एक उंगली उसकी गाण्ड के छेद पर रखी और उसे सहलाने लगी।
वो बोल उठी,"नेहा ! हाय राम ! गाण्ड में घुसा दे ! मज़ा आ जाएगा !"
अब मेरे दोनो हाथ चलने लगे थे। वो बिस्तर पर तड़प रही थी, और मेरा हाल उससे भी खराब था ....
मुझे भी लग रहा था कि मेरे साथ भी वो ऐसा ही करे..
मैं उसके हर अंग को मसल रही थ.. चोद रही थी.... और कोमल मस्ती से सिसकारियां भर रही थी। वो बोली,"बस अब रुक जा .... अब तेरी बारी है ..... लेट जा .... अब मैं तुझे मसलती हूं"