Peacelover
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- Aug 19, 2023
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अच्छा गुलाबो एक आइडिया आया है दिमाग में, क्यों ना में भैय्या - भाभी से कहूं कि आगे कि पढ़ाई के लिए वो तुझे मेरे साथ शहर भेज दें ।
ओह राजा कमाल का आइडिया है, आप तो कल ही मम्मी पापा से बात कर लो, मुझसे ज्यादा इंतजार नहीं होता।
ठीक है कल बात करता हू... चाचा मेरे कूल्हे सहलाता हुआ बोला।
मेरा दिल खुशी से उछलने लगा।
सुनो जी... इस को चूस दूं...में बोली।
चाचा - मेरा तो मूड नहीं है, तेरी इच्छा हो रही है तो चूस ले।
इच्छा क्या जी ... मुझे तो इस पर प्यार आ रहा है...पूरी जिंदगी इसका ख्याल जो रखना है...मेंने कहा।
चूस ले फिर...पूंछ क्या रही हैं।
मेंने तुरंत से चाचा का पिलपिला सोया हुआ लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी। एक मिनट में लंड ने विकराल रूप धारण कर लिया और चाचा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी।
मुझे लंड चूसते हुए दस मिनट हुए होंगे... अचानक चाचा ने मेरा मुंह अपने लंड पर जोर से दबा लिया.... गुलाबो मेरी जान में झड़ रहा हूं....
अचानक मेरे मुंह में गर्म गर्म वीर्य का फुव्वारा फूटा और मेरा मुंह नमकीन मलाई से भर गया ... मेंने उसकी एक बूंद भी बेकार नहीं जाने दी और सारा पी गई।
तत्पश्चात मेंने चांटा के चाचा का लंड साफ़ किया और बांहों में बांहें डाल कर सो गये।
सुबह सब आंगन में बैठें चाय पी रहे थे, तब चाचा ने प्रस्ताव रखा।
चाचा - भैय्या गुलाब ने अच्छे नम्बरों से स्नातक उपाधि प्राप्त कर ली है , मेरा सुझाव है कि स्नातकोत्तर के लिए, इसे शहर के कालेज में दाखिला दिला देते हैं। वहां मेरे साथ रह लेगा , इतना बड़ा घर वैसे भी अकेले में मुझे काटने को दौड़ता है।
पापा - छोटे तू कितना ख्याल रखता है, अपने भतीजे का , ये खुशकिस्मत हैं कि इसे तेरे जैसा चाचा मिला।
में मन ही मन हंस रहा था... पिताजी को क्या पता कि इस समय चाचा के दिमाग में सिर्फ मेरी गांड़ है, और मेरे दिमाग में सिर्फ चाचा का काला मुस्टंडा लंड है।
मेरा मन खुशी से उछल रहा था, क्योंकि मेरा चाचा के साथ जाना तय हो गया था।
उस रात मैंने चाचा के लंड को दो बार चूस के उसका वीर्य पीया।
आखिर वो घड़ी आ गई जब मैं और चाचा शहर के लिए रवाना होने वाले थे ।
अम्मा ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.... बेटा अपने चाचा को ज्यादा परेशान मत करना
अरे अम्मा में तो नहीं करूंगा.... अपने देवर जी से कहो कि वो मुझे परेशान न करे ... में शरारत से मुस्कराते हुए बोला।
मां कि आंखों में एक दम के लिए चमक आईं, फिर वह सामान्य होते हुए बोली...चुप कर बदमाश... चाचा ने तुझे क्या तंग करना है।
मुस्कराते हुए मैंने मन ही मन सोचा... इस मुस्टंडे ने तो आज मेरी गांड़ फाड़ देनी है।
शहर तक का रास्ता तीन घंटों का था, अतः हम तीन बजे घर से चल दिए ,
में ये तय कर चुकी थी कि घर पहुंचते ही सबसे पहले मैं नंगी हो कर चाचा के सामने घोड़ी बन जाऊंगी और गांड़ फटे या में मर ही क्यों ना जाऊं, चाचा का लंड अपनी गांड़ में ले कर रहुंगी।
हैं जी , वहां तो यह डर नहीं रहेगा कि कोई मेरी चीख सुनकर आप जाएगा.... मेंने चाचा को छेड़ते हुए पूछा।
चाचा - नहीं जान वहां तेरी पुकार या फ़रियाद सुनने वाला कोई नहीं होगा ...तू पूरी तरह मेरे और मेरे मुस्टंडे के रहमो-करम पर निर्भर होगी। चाचा के चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी।
ठीक है, ये तो मेरा ख्याल रखेगा, मुझे विश्वास है।... मेंने चाचा के लंड को पजामे के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
ये तो घर पहुंच कर ही पता पड़ेगा... चाचा मुस्कराते हुए बोले।
हम लोग 2*2डीलक्स बस में थे और चाचा खिड़की की तरफ थे , में अपने सर को आगे की सीट पर रखें सोने का नाटक कर रही थी, और मेरा हाथ चाचा की जांघें और लंड को पजामे के ऊपर से ही सहला रहा था , मेंने महसूस किया कि चाचा का लंड पूरी तरह फनफनाया हुआ था।
तभी चाचा बोला ....चल अब सहलाना बंद कर दस पंद्रह मिनट में शहर पहुंचने वाले हैं , लंड को शांत होने दें।
अगर बंद नहीं करूं तो... मेंने शरारती भाव से पूछा ।
चाचा ने मेरे को घूर कर देखा और बोला.... बहनचोदी घर पहुंच कर बताता हूं, नहीं तेरी गांड़ फाड़ी ना तो मेरा नाम संग्राम नहीं...तीन दिन तक लगंडा कर चलेगी।
देखा जाएगा.... में बेपरवाही से बोली।
आखिर सांय करीब साढ़े छः बजे हम शहर पहुंच गए, हल्का-सा धुंधलका जाने लगा था ।
बस स्टैंड से निकलते ही चाचा सीधे एक मेडिकल स्टोर पर पहुंचा
चाचा...भाई एक ऐलोवेरा जेल की बड़ी ट्यूब और एक कंडोम का पैकेट देना।
जी साहब, पैकट कितने पीसिज वाला दे दूं , दुकानदार मेरी तरफ नजर करते हुए मुस्कुरा कर बोला।
मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया, में उसकी मुस्कराहट का मतलब समझ रही थी।
चाचा...दस पीस वाला दे दे , डाटेड....चाचा बिना झिझके बोला।
दुकान से बाहर आते ही मैंने पूछा...ये कंडोम क्यों लिये?
मेरी जान में चुदाई के काम आएंगे... चाचा हंसते हुए बोला।
नहीं जी , ये कुछ काम नहीं आने वाले मेरे राजा क्योंकि मेंने आपके वीर्य की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने देनी , सब अंदर लेना है , मुंह में या दुलारी में... मेंने दृढ़ता से कहा।
अच्छा जी ऐसा क्यों... चाचा ने पूंछा
इससे ही तो मेरी जवानी में शवाव आएगा ... मेंने कहा।
ठीक है जैसी रानी साहिबा की इच्छा...चाचा ने प्यार जताते हुए कहा।
ऐ जी सुनो, आप तो घर पर पहनने के लिए तीन चार ड्रेस ले लो ।.... मेंने कहा।
बोल मेरी प्यारी क्या लेना है... चाचा ने पूछा।
दो जोड़ी घाघरा चोली , दो नाइटी, दो पेंटी और दो पेडेड ब्रा ले लेते हैं, बाकी बाद में देखेंगे.... मेंने कहा।
क्यों नहीं मेरी जान, तुझे तो मैं अपनी पटरानी बना कर रखूंगा ... चाचा खुशी खुशी बोला।
हम लोग अच्छी बड़ी रेडीमेड कपड़े की दुकान पर पहुंचे।
चाचा ने सेल्स बाय को घाघरा चोली दिखाने को कहा।
किस नाप के दिखाऊ साहब .... सेल्स बाय ने सवाल किया।
चाचा ने एक छण के लिए सोचा, फिर बिना लाग लपेट के बोला....इसके नाप के।
सेल्स वाय ने मुझे कामुक नज़रों से देखा और हल्के से मुस्कुरा दिया...में फिर से शर्म से लाल हो गयी।
तभी चाचा की नजर सड़क की दूसरी तरफ स्थिति शराब के ठेके पर पड़ी।
तू पसंद कर तब तक मैं आता हूं कह कर चाचा शराब के ठेके की तरफ चल दिया।
अब मेरे और सेल्स बाय के नजदीक कोई नहीं था।
वह घाघरा दिखाने के बहाने आगे झुका और धीरे से बोला....नई दुल्हन बन कर मजे लेगा।
शर्म से मुंह नीचे करते हुए में बोली... हां जिंदगी में पहली बार।
वो फिर धीरे से बोला सम्भल कर रहना, साइज में तेरे से तीन गुना है... निचोड़ कर रख देगा।
अब जो होगा देखा जाएगा... मेंने अब बेशर्मी से ज़बाब दिया।
उसकी थोड़ी हिम्मत बढ़ी कहने लगा.... कभी किसी बात की जरूरत है बताना , मोबाइल नंबर देदो , वैसे भी कभी मिलने आना।
मेनै उसे घूर कर देखा और गुस्से में बोली...अब तू जूते खाएगा।
वो एकदम सकपका गया और चुपचाप कपड़े दिखाने लगा। तभी चाचा पव्वा चढ़ा कर वापस आ गया।
च
हो गया भी सब... चाचा ने पूछा।
हां हो गया... मेंने जबाब दिया, में अभी अपने आपको चाचा की दुल्हन समझ रही थी।
चाचा ने पैसे दिये, और हम आटो कर घर की और चल दिए।
चाचा ने हाल ही में अच्छा बड़ा चार कमरों का घर बनाया था, जो शहर के बाहरी हिस्से में एक नव विकसित कालोनी में स्थित था । आस पास चार पांच घरों तक कोई बसाबट भी नहीं थी।
आखिर हम घर पहुंच गए, मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था
जैसे ही हम घर के अंदर पहुंचे, में उछल कर चाचा की गोद में चढ़ गई और चाचा को बेतहाशा चूमने लगी, मेंने अपनी दोनों टांगें चाचा की कमर पर कस रखी थी और अपनी बाहों को चाचा के गले में लपेट कर चाचा के चेहरे को चूमे जा रही थी।
मेरे राजा अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, प्लीज़ -प्लीज मुझे अपना बना लीजिए, चोद दीजिए मुझे, में कितना भी चीखूं, चिल्लाऊं, रोऊं या तड़पूं, आप रहम मत करना मेरे राजा...में पता नहीं क्या क्या अनर्गल बड़बड़ाये जा रही थी।
तभी चाचा ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख जोर से चूसने लगे तथा अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी।
ये मेरे लिए अद्भुत अनुभव था, मेंने कभी सोचा नहीं था कि किसी क्रिया में इतना आंनद आ सकता हैं।
मेरे हाथ चाचा की पीठ को मसल रहे थे, जबकि चाचा के दोनों हाथ मेरे छोटे छोटे नितम्बों को मसल रहे थे।
चाचा मुझे गोदी में उठाएं हुए बेडरूम में पहुंचा , और मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मुझ पर चढ़ मुझे रगड़ने लगा।
आहहहहह गुलाबो मेरी जान मेरा लंड तेरी दुलारी में घुसने के लिए कब से तड़प रहा है ...चाचा मेरे नितंबों को जोर से रगड़ता हुआ बड़बड़ा रहा था ... इसे अपने अंदर लेवन से गी ना मेरी जान , जिंदगी भर तेरी पूजा करूंगा मेरी रानी बस मेरे मेरे लंड को शांत कर दें, नहीं तो ज्यादा तनाव से ये फट जाएगा।
में तुरंत से उठी और चाचा के पजामे का नाड़ा खोलते हुए बोली... मेरे राजा इसका ख्याल में नहीं रखूंगी तो और कौन रखेगा, पूजा आप मेरी नहीं, मैं करूंगी इसकी ।
इसके साथ ही मैंने चाचा का अंडरवियर भी उतार दिया अब मेरे सामने 8 इंच लम्बा 5 इंच मोटा काला भुजंग चारों तरफ लम्बी लम्बी झांटों से घिरा चाचा का लंड खड़ा था।
उसको देख कर एक बार तो मेरे शरीर में डर की सर्द लहर दौड़ गई कि ये तो
दूसरे ही क्षण मुझे ख्याल आया इसके साथ तो जीवन भर का रिश्ता रखना है , इसके साथ ही मेरा डर उसके प्रति प्यार में बदल गया और मैंने उसे गपाक से अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
चाचा आंनद के सागर में गोते लगाता हुआ सिसकियां भर रहा था...मेरी रानी तुमने मुझे बहुत सुख दिया है आहहहहह इतने आंनद की तो मैंने कभी कल्पना भी नहीं करी थी। मेरे दोनों हाथ चाचा के भारी बालों भरे चूतड़ों को ससहला रहे थे।
करीब पांच मिनट तक चाचा मेरे मुंह की चुदाई करता रहा, फिर अपना लंड मेरे मुंह से निकालते हुए बोला...अब मुझे भी तेरी दुलारी को प्यार करने दे।
चाचा ने मुझे गोदी में उठाया और मेरे होंठों को चूमा , और मुझे पलंग पर बैठा, नंगा ही झूमता हुआ दूसरे कमरे में गया, उस पर शराब का नशा होने लगा था।
चाचा का विशाल काला बालों भरा शरीर तथा 8 इंच लम्बा मोटा लंड, मुझे बहुत ही कामुक लग रहा था।
कुछ ही क्षणों में चाचा लुब्रिकेटिंग जैल की ट्यूब लेकर आया ।
इसी बीच, में नंगी हो पलंग पर चौपाया बन गयी , और चाचा की तरफ अपनी गांड़ करके बोली .... आजा मेरे सांड चढ़ जा अपनी बकरी पर, तेरी बकरी तेरा लंड घुसवाने के लिए तैयार है।
ओह राजा कमाल का आइडिया है, आप तो कल ही मम्मी पापा से बात कर लो, मुझसे ज्यादा इंतजार नहीं होता।
ठीक है कल बात करता हू... चाचा मेरे कूल्हे सहलाता हुआ बोला।
मेरा दिल खुशी से उछलने लगा।
सुनो जी... इस को चूस दूं...में बोली।
चाचा - मेरा तो मूड नहीं है, तेरी इच्छा हो रही है तो चूस ले।
इच्छा क्या जी ... मुझे तो इस पर प्यार आ रहा है...पूरी जिंदगी इसका ख्याल जो रखना है...मेंने कहा।
चूस ले फिर...पूंछ क्या रही हैं।
मेंने तुरंत से चाचा का पिलपिला सोया हुआ लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी। एक मिनट में लंड ने विकराल रूप धारण कर लिया और चाचा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी।
मुझे लंड चूसते हुए दस मिनट हुए होंगे... अचानक चाचा ने मेरा मुंह अपने लंड पर जोर से दबा लिया.... गुलाबो मेरी जान में झड़ रहा हूं....
अचानक मेरे मुंह में गर्म गर्म वीर्य का फुव्वारा फूटा और मेरा मुंह नमकीन मलाई से भर गया ... मेंने उसकी एक बूंद भी बेकार नहीं जाने दी और सारा पी गई।
तत्पश्चात मेंने चांटा के चाचा का लंड साफ़ किया और बांहों में बांहें डाल कर सो गये।
सुबह सब आंगन में बैठें चाय पी रहे थे, तब चाचा ने प्रस्ताव रखा।
चाचा - भैय्या गुलाब ने अच्छे नम्बरों से स्नातक उपाधि प्राप्त कर ली है , मेरा सुझाव है कि स्नातकोत्तर के लिए, इसे शहर के कालेज में दाखिला दिला देते हैं। वहां मेरे साथ रह लेगा , इतना बड़ा घर वैसे भी अकेले में मुझे काटने को दौड़ता है।
पापा - छोटे तू कितना ख्याल रखता है, अपने भतीजे का , ये खुशकिस्मत हैं कि इसे तेरे जैसा चाचा मिला।
में मन ही मन हंस रहा था... पिताजी को क्या पता कि इस समय चाचा के दिमाग में सिर्फ मेरी गांड़ है, और मेरे दिमाग में सिर्फ चाचा का काला मुस्टंडा लंड है।
मेरा मन खुशी से उछल रहा था, क्योंकि मेरा चाचा के साथ जाना तय हो गया था।
उस रात मैंने चाचा के लंड को दो बार चूस के उसका वीर्य पीया।
आखिर वो घड़ी आ गई जब मैं और चाचा शहर के लिए रवाना होने वाले थे ।
अम्मा ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.... बेटा अपने चाचा को ज्यादा परेशान मत करना
अरे अम्मा में तो नहीं करूंगा.... अपने देवर जी से कहो कि वो मुझे परेशान न करे ... में शरारत से मुस्कराते हुए बोला।
मां कि आंखों में एक दम के लिए चमक आईं, फिर वह सामान्य होते हुए बोली...चुप कर बदमाश... चाचा ने तुझे क्या तंग करना है।
मुस्कराते हुए मैंने मन ही मन सोचा... इस मुस्टंडे ने तो आज मेरी गांड़ फाड़ देनी है।
शहर तक का रास्ता तीन घंटों का था, अतः हम तीन बजे घर से चल दिए ,
में ये तय कर चुकी थी कि घर पहुंचते ही सबसे पहले मैं नंगी हो कर चाचा के सामने घोड़ी बन जाऊंगी और गांड़ फटे या में मर ही क्यों ना जाऊं, चाचा का लंड अपनी गांड़ में ले कर रहुंगी।
हैं जी , वहां तो यह डर नहीं रहेगा कि कोई मेरी चीख सुनकर आप जाएगा.... मेंने चाचा को छेड़ते हुए पूछा।
चाचा - नहीं जान वहां तेरी पुकार या फ़रियाद सुनने वाला कोई नहीं होगा ...तू पूरी तरह मेरे और मेरे मुस्टंडे के रहमो-करम पर निर्भर होगी। चाचा के चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी।
ठीक है, ये तो मेरा ख्याल रखेगा, मुझे विश्वास है।... मेंने चाचा के लंड को पजामे के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
ये तो घर पहुंच कर ही पता पड़ेगा... चाचा मुस्कराते हुए बोले।
हम लोग 2*2डीलक्स बस में थे और चाचा खिड़की की तरफ थे , में अपने सर को आगे की सीट पर रखें सोने का नाटक कर रही थी, और मेरा हाथ चाचा की जांघें और लंड को पजामे के ऊपर से ही सहला रहा था , मेंने महसूस किया कि चाचा का लंड पूरी तरह फनफनाया हुआ था।
तभी चाचा बोला ....चल अब सहलाना बंद कर दस पंद्रह मिनट में शहर पहुंचने वाले हैं , लंड को शांत होने दें।
अगर बंद नहीं करूं तो... मेंने शरारती भाव से पूछा ।
चाचा ने मेरे को घूर कर देखा और बोला.... बहनचोदी घर पहुंच कर बताता हूं, नहीं तेरी गांड़ फाड़ी ना तो मेरा नाम संग्राम नहीं...तीन दिन तक लगंडा कर चलेगी।
देखा जाएगा.... में बेपरवाही से बोली।
आखिर सांय करीब साढ़े छः बजे हम शहर पहुंच गए, हल्का-सा धुंधलका जाने लगा था ।
बस स्टैंड से निकलते ही चाचा सीधे एक मेडिकल स्टोर पर पहुंचा
चाचा...भाई एक ऐलोवेरा जेल की बड़ी ट्यूब और एक कंडोम का पैकेट देना।
जी साहब, पैकट कितने पीसिज वाला दे दूं , दुकानदार मेरी तरफ नजर करते हुए मुस्कुरा कर बोला।
मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया, में उसकी मुस्कराहट का मतलब समझ रही थी।
चाचा...दस पीस वाला दे दे , डाटेड....चाचा बिना झिझके बोला।
दुकान से बाहर आते ही मैंने पूछा...ये कंडोम क्यों लिये?
मेरी जान में चुदाई के काम आएंगे... चाचा हंसते हुए बोला।
नहीं जी , ये कुछ काम नहीं आने वाले मेरे राजा क्योंकि मेंने आपके वीर्य की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने देनी , सब अंदर लेना है , मुंह में या दुलारी में... मेंने दृढ़ता से कहा।
अच्छा जी ऐसा क्यों... चाचा ने पूंछा
इससे ही तो मेरी जवानी में शवाव आएगा ... मेंने कहा।
ठीक है जैसी रानी साहिबा की इच्छा...चाचा ने प्यार जताते हुए कहा।
ऐ जी सुनो, आप तो घर पर पहनने के लिए तीन चार ड्रेस ले लो ।.... मेंने कहा।
बोल मेरी प्यारी क्या लेना है... चाचा ने पूछा।
दो जोड़ी घाघरा चोली , दो नाइटी, दो पेंटी और दो पेडेड ब्रा ले लेते हैं, बाकी बाद में देखेंगे.... मेंने कहा।
क्यों नहीं मेरी जान, तुझे तो मैं अपनी पटरानी बना कर रखूंगा ... चाचा खुशी खुशी बोला।
हम लोग अच्छी बड़ी रेडीमेड कपड़े की दुकान पर पहुंचे।
चाचा ने सेल्स बाय को घाघरा चोली दिखाने को कहा।
किस नाप के दिखाऊ साहब .... सेल्स बाय ने सवाल किया।
चाचा ने एक छण के लिए सोचा, फिर बिना लाग लपेट के बोला....इसके नाप के।
सेल्स वाय ने मुझे कामुक नज़रों से देखा और हल्के से मुस्कुरा दिया...में फिर से शर्म से लाल हो गयी।
तभी चाचा की नजर सड़क की दूसरी तरफ स्थिति शराब के ठेके पर पड़ी।
तू पसंद कर तब तक मैं आता हूं कह कर चाचा शराब के ठेके की तरफ चल दिया।
अब मेरे और सेल्स बाय के नजदीक कोई नहीं था।
वह घाघरा दिखाने के बहाने आगे झुका और धीरे से बोला....नई दुल्हन बन कर मजे लेगा।
शर्म से मुंह नीचे करते हुए में बोली... हां जिंदगी में पहली बार।
वो फिर धीरे से बोला सम्भल कर रहना, साइज में तेरे से तीन गुना है... निचोड़ कर रख देगा।
अब जो होगा देखा जाएगा... मेंने अब बेशर्मी से ज़बाब दिया।
उसकी थोड़ी हिम्मत बढ़ी कहने लगा.... कभी किसी बात की जरूरत है बताना , मोबाइल नंबर देदो , वैसे भी कभी मिलने आना।
मेनै उसे घूर कर देखा और गुस्से में बोली...अब तू जूते खाएगा।
वो एकदम सकपका गया और चुपचाप कपड़े दिखाने लगा। तभी चाचा पव्वा चढ़ा कर वापस आ गया।
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हो गया भी सब... चाचा ने पूछा।
हां हो गया... मेंने जबाब दिया, में अभी अपने आपको चाचा की दुल्हन समझ रही थी।
चाचा ने पैसे दिये, और हम आटो कर घर की और चल दिए।
चाचा ने हाल ही में अच्छा बड़ा चार कमरों का घर बनाया था, जो शहर के बाहरी हिस्से में एक नव विकसित कालोनी में स्थित था । आस पास चार पांच घरों तक कोई बसाबट भी नहीं थी।
आखिर हम घर पहुंच गए, मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था
जैसे ही हम घर के अंदर पहुंचे, में उछल कर चाचा की गोद में चढ़ गई और चाचा को बेतहाशा चूमने लगी, मेंने अपनी दोनों टांगें चाचा की कमर पर कस रखी थी और अपनी बाहों को चाचा के गले में लपेट कर चाचा के चेहरे को चूमे जा रही थी।
मेरे राजा अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, प्लीज़ -प्लीज मुझे अपना बना लीजिए, चोद दीजिए मुझे, में कितना भी चीखूं, चिल्लाऊं, रोऊं या तड़पूं, आप रहम मत करना मेरे राजा...में पता नहीं क्या क्या अनर्गल बड़बड़ाये जा रही थी।
तभी चाचा ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख जोर से चूसने लगे तथा अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी।
ये मेरे लिए अद्भुत अनुभव था, मेंने कभी सोचा नहीं था कि किसी क्रिया में इतना आंनद आ सकता हैं।
मेरे हाथ चाचा की पीठ को मसल रहे थे, जबकि चाचा के दोनों हाथ मेरे छोटे छोटे नितम्बों को मसल रहे थे।
चाचा मुझे गोदी में उठाएं हुए बेडरूम में पहुंचा , और मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मुझ पर चढ़ मुझे रगड़ने लगा।
आहहहहह गुलाबो मेरी जान मेरा लंड तेरी दुलारी में घुसने के लिए कब से तड़प रहा है ...चाचा मेरे नितंबों को जोर से रगड़ता हुआ बड़बड़ा रहा था ... इसे अपने अंदर लेवन से गी ना मेरी जान , जिंदगी भर तेरी पूजा करूंगा मेरी रानी बस मेरे मेरे लंड को शांत कर दें, नहीं तो ज्यादा तनाव से ये फट जाएगा।
में तुरंत से उठी और चाचा के पजामे का नाड़ा खोलते हुए बोली... मेरे राजा इसका ख्याल में नहीं रखूंगी तो और कौन रखेगा, पूजा आप मेरी नहीं, मैं करूंगी इसकी ।
इसके साथ ही मैंने चाचा का अंडरवियर भी उतार दिया अब मेरे सामने 8 इंच लम्बा 5 इंच मोटा काला भुजंग चारों तरफ लम्बी लम्बी झांटों से घिरा चाचा का लंड खड़ा था।
उसको देख कर एक बार तो मेरे शरीर में डर की सर्द लहर दौड़ गई कि ये तो
दूसरे ही क्षण मुझे ख्याल आया इसके साथ तो जीवन भर का रिश्ता रखना है , इसके साथ ही मेरा डर उसके प्रति प्यार में बदल गया और मैंने उसे गपाक से अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
चाचा आंनद के सागर में गोते लगाता हुआ सिसकियां भर रहा था...मेरी रानी तुमने मुझे बहुत सुख दिया है आहहहहह इतने आंनद की तो मैंने कभी कल्पना भी नहीं करी थी। मेरे दोनों हाथ चाचा के भारी बालों भरे चूतड़ों को ससहला रहे थे।
करीब पांच मिनट तक चाचा मेरे मुंह की चुदाई करता रहा, फिर अपना लंड मेरे मुंह से निकालते हुए बोला...अब मुझे भी तेरी दुलारी को प्यार करने दे।
चाचा ने मुझे गोदी में उठाया और मेरे होंठों को चूमा , और मुझे पलंग पर बैठा, नंगा ही झूमता हुआ दूसरे कमरे में गया, उस पर शराब का नशा होने लगा था।
चाचा का विशाल काला बालों भरा शरीर तथा 8 इंच लम्बा मोटा लंड, मुझे बहुत ही कामुक लग रहा था।
कुछ ही क्षणों में चाचा लुब्रिकेटिंग जैल की ट्यूब लेकर आया ।
इसी बीच, में नंगी हो पलंग पर चौपाया बन गयी , और चाचा की तरफ अपनी गांड़ करके बोली .... आजा मेरे सांड चढ़ जा अपनी बकरी पर, तेरी बकरी तेरा लंड घुसवाने के लिए तैयार है।