hotaks444
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मैं संजय अग्रवाल आपको अपनी एक सच्ची कहानी बता रहा हूँ।
अनल्पाई.नेट पर सभी लेखकों ने मात्र लड़कियों को चोदने की बात लिखी है मगर हकीकत में गाण्ड मारने में जो मज़ा आता है वह किसी भी चूत से ज्यादा होता है।
मेरी नज़र हर वक्त लड़की की चूत से ज्यादा गाण्ड पर रहती है। ऐसा नहीं कि मुझे चोदना अच्छा नहीं लगता, मुझे चोदने से पहले चूत-चटाई अच्छी लगती है फ़िर चोदन, फ़िर गाण्ड। लड़कों में भी मेरी दिलचस्पी उतनी ही है।
मेरी उमर जब १८ साल की थी तो मेरे एक दोस्त ने मुझे एक लड़के से मिलवाया और उससे प्यार करने को कहा। मैं लड़के के साथ एक कमरे में गया। लड़के ने आव देखा ना ताव, झट से मेरी पैन्ट खोलकर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और आईसक्रीम के जैसे चाटने लगा। काफ़ी देर तक मेरे लण्ड को चाटने के बाद उसने अपनी पैन्ट खोलकर अपनी गाण्ड मेरे सामने कर दी। मैं कुछ समझा नहीं, तो उसने कहा- पहली बार आए हो क्या?
सच में यह मेरा पहला अनुभव था।
वो लड़का अब घोड़ी बन कर तैयार हो गया था। मैंने भी आव देखा ना ताव, सीधा अपना ८-९ इंच का मूसल उसकी गाण्ड में उतार दिया। उसकी चिल्लाहटों से सारा कमरा भर गया, मगर मैं भी आखिर आपका दोस्त हूं, डरने वालों में से नहीं। मेरी घुड़-दौड़ अनवरत चलती रही। उसकी आह आ धीरे ! दर्द हो रहा है… की आवाज़ें कमरे को आबाद करती रही। आखिर में उसे भी मज़ा आने लगा था और आधे घण्टे तक उसने मुझे सहन किया।
दोस्तो ! अगर कोई लड़की होती तो पूरी रात नहीं जाने देता, मगर वो भी लिंग वाला था और मैं भी लिंग वाला। आखिर दोस्ती कितनी देर की !
जब मैं किसी लड़की या लड़के के मुँह में लण्ड देता हूँ तो मुझे अपार शांति मिलती है।
आपका
संजय अग्रवाल
अनल्पाई.नेट पर सभी लेखकों ने मात्र लड़कियों को चोदने की बात लिखी है मगर हकीकत में गाण्ड मारने में जो मज़ा आता है वह किसी भी चूत से ज्यादा होता है।
मेरी नज़र हर वक्त लड़की की चूत से ज्यादा गाण्ड पर रहती है। ऐसा नहीं कि मुझे चोदना अच्छा नहीं लगता, मुझे चोदने से पहले चूत-चटाई अच्छी लगती है फ़िर चोदन, फ़िर गाण्ड। लड़कों में भी मेरी दिलचस्पी उतनी ही है।
मेरी उमर जब १८ साल की थी तो मेरे एक दोस्त ने मुझे एक लड़के से मिलवाया और उससे प्यार करने को कहा। मैं लड़के के साथ एक कमरे में गया। लड़के ने आव देखा ना ताव, झट से मेरी पैन्ट खोलकर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और आईसक्रीम के जैसे चाटने लगा। काफ़ी देर तक मेरे लण्ड को चाटने के बाद उसने अपनी पैन्ट खोलकर अपनी गाण्ड मेरे सामने कर दी। मैं कुछ समझा नहीं, तो उसने कहा- पहली बार आए हो क्या?
सच में यह मेरा पहला अनुभव था।
वो लड़का अब घोड़ी बन कर तैयार हो गया था। मैंने भी आव देखा ना ताव, सीधा अपना ८-९ इंच का मूसल उसकी गाण्ड में उतार दिया। उसकी चिल्लाहटों से सारा कमरा भर गया, मगर मैं भी आखिर आपका दोस्त हूं, डरने वालों में से नहीं। मेरी घुड़-दौड़ अनवरत चलती रही। उसकी आह आ धीरे ! दर्द हो रहा है… की आवाज़ें कमरे को आबाद करती रही। आखिर में उसे भी मज़ा आने लगा था और आधे घण्टे तक उसने मुझे सहन किया।
दोस्तो ! अगर कोई लड़की होती तो पूरी रात नहीं जाने देता, मगर वो भी लिंग वाला था और मैं भी लिंग वाला। आखिर दोस्ती कितनी देर की !
जब मैं किसी लड़की या लड़के के मुँह में लण्ड देता हूँ तो मुझे अपार शांति मिलती है।
आपका
संजय अग्रवाल