Kunal.sharma121
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- Nov 26, 2022
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दोस्तो, मेरा नाम कुणाल है, मेरी उम्र 25 साल है ।
दिल्ली में मेरा अपना घर है. ये सेक्स कहानी मेरे घर पर किराये पर रहने आए एक भैया भाभी की है।
भाभी का नाम नेहा था, उनकी उम्र 27 साल थी और फिगर 34-30-36 का था, दिखने में वो बिल्कुल गोरी चिट्टी थीं.
भैया प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे और भाभी ड्रेश डिज़ाइनर थीं और वो अपना काम घर से ही करती थी।
भैया भाभी की शादी को अभी 1 साल भी नही हुआ था।
कुछ ही दिनों में भैया भाभी के साथ हमारे अच्छे रिश्ते बन गए थे वैसे भी भैया आफिस टूर की वजह से ज्यादातर बाहर ही रहते थे महीने में 20 दिन उनको बाहर ही रहना पड़ता था।.
उनका नीचे वाला फ्लोर था तो कभी वो लोग उपेर आ जाते, तो कभी हम नीचे चले जाते.
चूंकि आने जाने पर किसी को कोई पाबन्दी नहीं थी इसलिए जब भइया रहते थे तो मैं अक्सर भाभी के पास नीचे रूम में चला जाता था.
भाभी को मेरा नेचर बहुत पसंद था. क्योंकि हमारी उम्र लगभग बराबर ही थी भाभी मुझहे सिर्फ 2 साल बड़ी थी।
हम दोनों आपस में काफी घुल-मिल गए थे.
एक दिन की बात है, भाभी ने मुझे नीचे दीवाली की सफाई में हाथ बंटाने के लिए बुलाया.
कमरे की सफाई करते वक़्त भाभी जब पानी का पाइप लगा कर फर्श धो रही थी, उनकी सफ़ेद रंग की सलवार भी जांघों तक पानी में भीग चुकी थी, जिसके चलते उनकी सलवार में से उनकी ब्लैक कलर की पैंटी साफ़ नज़र आ रही थी.
भाभी ने भी मुझे एक दो बार अपने गांड को ताड़ते देख लिया था.
ये देख कर वो थोड़ा सा मुस्करा भी गयी थीं मगर उन्होंने कुछ कहा नहीं था.
ऐसे ही भाभी के साथ उन्हीं के घर पर बातों और मुलाक़ातों का सिलसिला कुछ टाइम तक चलता रहा.
इस बीच भाभी मुझसे काफी खुल कर बातें करने लगी थीं और मेरे सामने ही अपने कपड़े उतार कर एक तौलिया लपेट कर बाथरूम में चली जातीं.
मैं भी भाभी को यूं अधनंगी देख कर गर्म हो जाता था.
एक दिन भाभी मुझसे बोलीं- मैं तुम्हारे सामने कपड़े उतार कर बाथरूम चली जाती हूँ तो तुम्हें खराब तो नहीं लगता!
मैंने कहा- नहीं भाभी मुझे तो कुछ खराब नहीं लगता.
भाभी बोलीं- मतलब तुम्हें अच्छा लगता है!
मुझे समझ ही नहीं आया कि मैं क्या जवाब दूँ.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- तुम बड़े भोले हो कुणाल.
मैं भी हंस पड़ा और मैंने बोला आप मुझे अपनी बातों में फंसा लेती हैं!
भाभी ने एक गहरी सांस ली और बोलीं मैं कहां तुम्हें फंसा पाती हूँ.
मैंने कहा क्या मतलब भाभी?
भाभी बोलीं- मैं तुमको फंसा रही हूँ और तुम फंस ही नहीं रहे हो … इसका और क्या मतलब समझाऊं!
मैंने कुछ नहीं कहा.
भाभी ने मुझे चुप देखा तो बोलीं- चलो आज तुम मेरा एक काम कर देना.
मैंने कहा- हां बोलो न भाभी क्या काम करना है?
भाभी बोलीं- आज मेरी पीठ पर तुम साबुन लगा देना … काफी दिनों से तमहरे भैया है नही तो उसपे साबुन नही लगाई।
मैंने अवाक होते हुए भाभी की तरफ देखा
भाभी बोलीं- क्यों क्या हुआ … कुछ दिक्कत है क्या?
मैंने हकलाते हुए कहा- भ..भाभी मैं आपकी पीठ पर कैसे साबुन लगा सकता हूँ?
भाभी बोलीं- अरे वो सब मैं बता दूंगी कि कैसे साबुन लगाना है. जब मैं आवाज दूँ तो तुम बस बाथरूम में आ जाना.
मैं चुप हो गया.
फिर भाभी ने एक पेटीकोट उठाया और उसे अपनी सलवार के ऊपर पहन लिया. इसके बाद उन्होंने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार नीचे गिर गई.
फिर भाभी ने घूम कर मेरी ओर पीठ कर ली और अपनी कुर्ती को ऊपर उठाया.
भाभी ने कुर्ती को अपने गले से ऊपर करते हुए उसे निकाल दिया, फिर पेटीकोट को अपने मम्मों तक चढ़ा लिया.
अब उन्होंने अपने दोनों हाथ पीछे लाकर अपनी ब्रा का हुक खोला और उसे पेटीकोट के ऊपर से निकाल दिया.
मेरे सामने भाभी की मदमस्त जवानी खुल कर नजर आने लगी. भाभी ने पेटीकोट को अपने मम्मों से ऊपर बांध लिया था और नीचे से उनकी गोरी गोरी पिंडलियां साफ़ दिखाई देने लगी थीं.
फिर भाभी ने तौलिया लिया और उसको अपनी चुचियो के ऊपर से बांध कर पेटीकोट का नारा खोल दिया और पेटीकोट सीधे नीचे उनके पैरों में गिर गयी।
अब भाभी ने मेरी तरफ घूम कर कहा- चलो कुणाल, मैं बाथरूम में जा रही हूँ. जब मैं आवाज दूँ तो तुम आ जाना.
कुछ देर बाद भाभी की आवाज आई तो मैं बाथरूम में चला गया.
भाभी एक स्टूल पर अपनी पूरी पीठ नंगी किए हुई झुकी बैठी थीं.
उन्होंने अपने चुचिया अपनी टांगों में छिपा रखे थे और पीठ पूरी खोल केर सिर्फ पैंटी पहने बैठी थी।
भाभी ने कहा- साबुन लगा कर पीठ को घिस दो कुणाल.
मैंने कांपते हाथों से भाभी की पीठ को रगड़ना शुरू किया.
भाभी को मेरे हाथों से बड़ा मजा आ रहा था और मेरा लंड भी खड़ा हो गया था।
कुछ देर बाद भाभी ने मुझसे हटने को कहा और वो नहाने लगीं और मैं बाहर आ गया।
कुछ दिनों बाद एक दिन दोपहर के 11-12 बजे भाभी ने मुझे अपने रूम से आवाज़ लगाई,
मैं जब नीचे गया, रूम में काफी अंधेरा था.
मैंने स्विच ऑन की और लाइट चालू करके देखा, तो भाभी बेड पर रजाई में लेटी थीं. उस वक़्त सर्दियों का टाइम था.
मैं बेड पर भाभी के पास जाकर बैठ गया और भाभी से पूछा कि क्या हुआ भाभी … आप मुझे क्यों बुला रही थीं?
उन्होंने कहा- मेरी तबियत ठीक नहीं है और तुम्हारे भैया आज सुबह ही 5 दिनो के लिए आफिस टूर पे गए है,
मैन पूछा आपकी तबीयत को क्या हुआ तो उन्होंने बोला मेरा सर और बदन बहुत दर्द कर रहा है और शायद थोड़ा बुखार भी है. तू प्लीज थोड़ी देर यही बैठ और मेरा सर दबा दे.
मैंने कहा ठीक है भाभी आप आराम से लेट जाओ, मैं आपका सर दबा देता हूँ.
उन्होंने मुझे लाइट बंद करने को कहा कि पहले बलब बन्द करदे रोशनी मेरी आंखों में चुभ रही है.
मैंने झट से लाइट बंद कर दी और भाभी का सर दबाने लगा.
थोड़ी देर में भाभी बोलीं मुझे बहुत आराम मिल रहा है, ये कह कर भाभी पेट के बल उल्टी लेट गई.
भाभी बोलीं कुणाल प्लीज़ थोड़ी कमर भी दबा दो.
मैंने उनकी कमर दबानी आरम्भ, कमर दबाते दबाते मैंने भाभी के पीठ पे हाथ ले गया और उधर दबाने लगा.
मैन महसूस किया कि भाभी ने ब्रा नही पहन रखी थी और सिर्फ एक टॉप और शार्ट पहना हुआ था।
पीठ दबाते दबाते मेरा हंट भाभी के बगल में चल जाता इससे भाभी के चुचे भी थोड़े थोड़े दबने लगे.
भाभी को भी गर्मी चढ़ने लगी और अब उन्होंने हल्की हल्की सिसकारियां भरना शुरू कर दीं.
मैं भी भाभी के चूचों के स्पर्श से पूरा चार्ज हो गया और मैंने भाभी को कमर के बल लेटने को कहा.
भाभी मान गयी और करवट लेकर कमर के बल लेट गईं.
मैंने भाभी के पैरों को दबाना शुरू किया और उनके पैर की उंगलियों से धीरे धीरे उनकी जांघों तक हाथ लाकर उनकी जांघें मसलने लगा.
मेरा लंड भाभी की चुत के लिए पागल होने लगा था. उनकी तरफ से कोई विरोध भी नहीं दिख रहा था.
मैंने धीरे से अपना हाथ भाभी के पेट पर रखा और पेट को सहलाने लगा.
भाभी अपने पैर आपस में रगड़ने लगीं, इससे मुझे पता चल गया था कि अब भाभी भी पूरी गरम हो गयी हैं.
मैंने हिम्मत करके पेट से अपना हाथ सरकाया और उनकी शार्ट के ऊपर ले जाकर रख दिया.
भाभी ने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैंने अपना हाथ उनकी शार्ट में डाल दिया अंदर उन्होंने पैंटी नही पहन रखी थी।
आह भाभी की चुत के ऊपर छोटे छोटे घुंघराली झांटों ने मेरा दिल जीत लिया।
मेरा दिल बस अब भाभी की चुत को चाटने का कर रहा था,
अगले ही पल मैंने भाभी के शार्ट को खींच दिया और नीचे एड़ी तक उतार दिया.
भाभी ने खुद बा खुद अपने पैर फैला दिए ताकि मैं बीच में बैठ कर उनकी रसीली चूत को टेस्ट कर सकूँ.
मैंने भाभी की चूत को चाटना चालू कर दिया- आह … आह … कुणाल … मैं बहुत प्यासी हूँ आहंह चाट लो मेरी चुत को आह!
भाभी तेज तेज सिसकारियां भरने लगीं. मैंने उन्हें उठा कर बिठाया और उनका टॉप भी उतार दी.
भाभी के कड़क मम्मे क़यामत लग रहे थे. मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों मम्मों को थाम लिया और मसलने लगा और मैं फिर मैं उन्हें ऐसे चूसने लगा, जैसे वो आम हों.
इधर मैं भाभी की दोनो चुचियों को चूस रहा था एक एक करके और एक हाँथ से भाभी की चूत सहला रहा था और उसमें उनली व डाल देता बीच बीच में।
फिर मैंने भाभी को लिप किस की और अपनी पैंट के साथ अंडरवियर उतार दी लंड पूरा कड़क और खड़ा था तो भाभी ने मस्त निगाहों से लंड को निहारा और मेरे लंड को हाँथ में लेके पूरे जोश से मेरा लंड चूसने लगीं.
कुछ देर के बाद मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और भाभी को तो मैंने पहके ही पूरी नंगी कर दिया था फिर हम दोनों रजाई में घुस गए और चुदाई का कार्यक्रम शुरू हो गया.
कभी मैं भाभी के ऊपर होता तो कभी भाभी मेरे ऊपर आ जाती।
मैं भाभी की चुत में लंड पेल कर उन्हें चोदने लगा. भाभी की आहें मस्ती बिखेरने लगीं.
कुछ ही देर में रजाई को एक तरफ करके मैं भाभी की चुत को ज़ोरदार तरीके से रगड़ रगड़ के चोदने लगा,
भाभी को भी मेरे लंड से चुदने में बड़ा मजा आ रहा था.
कोई 15-20 मिनट की चुदाई में भाभी 2 बार झड़ गईं और उनके बाद मैने भी उन्हीं की चुत में अपना पानी छोड़ दिया.
चुदाई के बाद भाभी मुझसे लिपट गईं और केएहने लगी पता है कुणाल मैं कब से तुमसे चुदवाना चाहती थी, तमहरे भैया तो रहते नही है घर पे और मैं बस तड़पती रहती हूं, अब बस आज से तुम मुझे हर रोज चोदना जी भरके चोदना।
मैंने उन्हें फिर चूमा और वादा किया कि मैं आपको रोज चोदूँगा।
हमारी चुदाई यूं ही चलने लगी और अब घर मे भाभी नंगी ही रहती हमेसा और जब भी मन करता हुम् चुदाई करते, घर के हर एक कोने में हमने खुलके चुदाई की किचन में सीढियो पे खाने की टेबल पे बाथरूम में हर जगह।
एक दिन भाभी की एक दोस्त आयी थी भाभी ने मुझे उससे मिलवाया वो व क्या गजब की माल थी देखते ही लंड खड़ा हो गया।
उसने और भाभी मेरे खड़े लंड को पंत के ऊपर से ही देख लिया और दोनो हंसने लगी
मैं समझ नहीं पाया कि ये दोनों किस बात पर हंस रही हैं.
मैंने भाभी की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में उनसे पूछने लगा- क्या बात है, आप दोनों क्यों हंस रही हैं?
तभी भाभी की दोस्त बोल पड़ी कुणाल जी, इतने भोले मत बनो मुझहे आपके और नेहा के बारे में सब पता है।
मैं एकदम से सकते में आ गया और उसकी तरफ देखने लगा.
तभी उसने मुझसे कहा कभी वक़्त मिले तो थोड़ा धयान मुझपे भी दे देना आज कल मेरी तबीयत भी ठीक नही रहती और बदन में काफी दर्द रहता है, फिर वो और बही दोनो एक साथ हंसने लगी।
उसी समय भाभी ने हंस कर कहा मेरी दोस्त को सब बात पता है. तुम चिंता मत करो.
ये सुनते ही मैंने भी हंस दिया और भाभी की दोस्त से वादा किया कि तुम्हारी भी थकान दूर कर दूंगा।
दोस्तो, भाभी की दोस्त ने मुझसे कैसे चुदवाया और किस तरह फिर बाद में मैंने भाभी और उनकी दोस्त दोनो की एक साथ चुदाई की वो सब आपके मेल मिलने के बाद अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा.
आप बतायें कि जैसे मैंने भाभी की चूत मारी, वो पढ़ कर आपको मजा आया? और कोई भी भाभी या लड़की मुझसे अपनी फीलिंग्स या चुदवाना चाहे तो मेल या मैसेज कर सकती है।
आपके रिप्लाइ का इंतज़ार रहेगा।
दिल्ली में मेरा अपना घर है. ये सेक्स कहानी मेरे घर पर किराये पर रहने आए एक भैया भाभी की है।
भाभी का नाम नेहा था, उनकी उम्र 27 साल थी और फिगर 34-30-36 का था, दिखने में वो बिल्कुल गोरी चिट्टी थीं.
भैया प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे और भाभी ड्रेश डिज़ाइनर थीं और वो अपना काम घर से ही करती थी।
भैया भाभी की शादी को अभी 1 साल भी नही हुआ था।
कुछ ही दिनों में भैया भाभी के साथ हमारे अच्छे रिश्ते बन गए थे वैसे भी भैया आफिस टूर की वजह से ज्यादातर बाहर ही रहते थे महीने में 20 दिन उनको बाहर ही रहना पड़ता था।.
उनका नीचे वाला फ्लोर था तो कभी वो लोग उपेर आ जाते, तो कभी हम नीचे चले जाते.
चूंकि आने जाने पर किसी को कोई पाबन्दी नहीं थी इसलिए जब भइया रहते थे तो मैं अक्सर भाभी के पास नीचे रूम में चला जाता था.
भाभी को मेरा नेचर बहुत पसंद था. क्योंकि हमारी उम्र लगभग बराबर ही थी भाभी मुझहे सिर्फ 2 साल बड़ी थी।
हम दोनों आपस में काफी घुल-मिल गए थे.
एक दिन की बात है, भाभी ने मुझे नीचे दीवाली की सफाई में हाथ बंटाने के लिए बुलाया.
कमरे की सफाई करते वक़्त भाभी जब पानी का पाइप लगा कर फर्श धो रही थी, उनकी सफ़ेद रंग की सलवार भी जांघों तक पानी में भीग चुकी थी, जिसके चलते उनकी सलवार में से उनकी ब्लैक कलर की पैंटी साफ़ नज़र आ रही थी.
भाभी ने भी मुझे एक दो बार अपने गांड को ताड़ते देख लिया था.
ये देख कर वो थोड़ा सा मुस्करा भी गयी थीं मगर उन्होंने कुछ कहा नहीं था.
ऐसे ही भाभी के साथ उन्हीं के घर पर बातों और मुलाक़ातों का सिलसिला कुछ टाइम तक चलता रहा.
इस बीच भाभी मुझसे काफी खुल कर बातें करने लगी थीं और मेरे सामने ही अपने कपड़े उतार कर एक तौलिया लपेट कर बाथरूम में चली जातीं.
मैं भी भाभी को यूं अधनंगी देख कर गर्म हो जाता था.
एक दिन भाभी मुझसे बोलीं- मैं तुम्हारे सामने कपड़े उतार कर बाथरूम चली जाती हूँ तो तुम्हें खराब तो नहीं लगता!
मैंने कहा- नहीं भाभी मुझे तो कुछ खराब नहीं लगता.
भाभी बोलीं- मतलब तुम्हें अच्छा लगता है!
मुझे समझ ही नहीं आया कि मैं क्या जवाब दूँ.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- तुम बड़े भोले हो कुणाल.
मैं भी हंस पड़ा और मैंने बोला आप मुझे अपनी बातों में फंसा लेती हैं!
भाभी ने एक गहरी सांस ली और बोलीं मैं कहां तुम्हें फंसा पाती हूँ.
मैंने कहा क्या मतलब भाभी?
भाभी बोलीं- मैं तुमको फंसा रही हूँ और तुम फंस ही नहीं रहे हो … इसका और क्या मतलब समझाऊं!
मैंने कुछ नहीं कहा.
भाभी ने मुझे चुप देखा तो बोलीं- चलो आज तुम मेरा एक काम कर देना.
मैंने कहा- हां बोलो न भाभी क्या काम करना है?
भाभी बोलीं- आज मेरी पीठ पर तुम साबुन लगा देना … काफी दिनों से तमहरे भैया है नही तो उसपे साबुन नही लगाई।
मैंने अवाक होते हुए भाभी की तरफ देखा
भाभी बोलीं- क्यों क्या हुआ … कुछ दिक्कत है क्या?
मैंने हकलाते हुए कहा- भ..भाभी मैं आपकी पीठ पर कैसे साबुन लगा सकता हूँ?
भाभी बोलीं- अरे वो सब मैं बता दूंगी कि कैसे साबुन लगाना है. जब मैं आवाज दूँ तो तुम बस बाथरूम में आ जाना.
मैं चुप हो गया.
फिर भाभी ने एक पेटीकोट उठाया और उसे अपनी सलवार के ऊपर पहन लिया. इसके बाद उन्होंने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार नीचे गिर गई.
फिर भाभी ने घूम कर मेरी ओर पीठ कर ली और अपनी कुर्ती को ऊपर उठाया.
भाभी ने कुर्ती को अपने गले से ऊपर करते हुए उसे निकाल दिया, फिर पेटीकोट को अपने मम्मों तक चढ़ा लिया.
अब उन्होंने अपने दोनों हाथ पीछे लाकर अपनी ब्रा का हुक खोला और उसे पेटीकोट के ऊपर से निकाल दिया.
मेरे सामने भाभी की मदमस्त जवानी खुल कर नजर आने लगी. भाभी ने पेटीकोट को अपने मम्मों से ऊपर बांध लिया था और नीचे से उनकी गोरी गोरी पिंडलियां साफ़ दिखाई देने लगी थीं.
फिर भाभी ने तौलिया लिया और उसको अपनी चुचियो के ऊपर से बांध कर पेटीकोट का नारा खोल दिया और पेटीकोट सीधे नीचे उनके पैरों में गिर गयी।
अब भाभी ने मेरी तरफ घूम कर कहा- चलो कुणाल, मैं बाथरूम में जा रही हूँ. जब मैं आवाज दूँ तो तुम आ जाना.
कुछ देर बाद भाभी की आवाज आई तो मैं बाथरूम में चला गया.
भाभी एक स्टूल पर अपनी पूरी पीठ नंगी किए हुई झुकी बैठी थीं.
उन्होंने अपने चुचिया अपनी टांगों में छिपा रखे थे और पीठ पूरी खोल केर सिर्फ पैंटी पहने बैठी थी।
भाभी ने कहा- साबुन लगा कर पीठ को घिस दो कुणाल.
मैंने कांपते हाथों से भाभी की पीठ को रगड़ना शुरू किया.
भाभी को मेरे हाथों से बड़ा मजा आ रहा था और मेरा लंड भी खड़ा हो गया था।
कुछ देर बाद भाभी ने मुझसे हटने को कहा और वो नहाने लगीं और मैं बाहर आ गया।
कुछ दिनों बाद एक दिन दोपहर के 11-12 बजे भाभी ने मुझे अपने रूम से आवाज़ लगाई,
मैं जब नीचे गया, रूम में काफी अंधेरा था.
मैंने स्विच ऑन की और लाइट चालू करके देखा, तो भाभी बेड पर रजाई में लेटी थीं. उस वक़्त सर्दियों का टाइम था.
मैं बेड पर भाभी के पास जाकर बैठ गया और भाभी से पूछा कि क्या हुआ भाभी … आप मुझे क्यों बुला रही थीं?
उन्होंने कहा- मेरी तबियत ठीक नहीं है और तुम्हारे भैया आज सुबह ही 5 दिनो के लिए आफिस टूर पे गए है,
मैन पूछा आपकी तबीयत को क्या हुआ तो उन्होंने बोला मेरा सर और बदन बहुत दर्द कर रहा है और शायद थोड़ा बुखार भी है. तू प्लीज थोड़ी देर यही बैठ और मेरा सर दबा दे.
मैंने कहा ठीक है भाभी आप आराम से लेट जाओ, मैं आपका सर दबा देता हूँ.
उन्होंने मुझे लाइट बंद करने को कहा कि पहले बलब बन्द करदे रोशनी मेरी आंखों में चुभ रही है.
मैंने झट से लाइट बंद कर दी और भाभी का सर दबाने लगा.
थोड़ी देर में भाभी बोलीं मुझे बहुत आराम मिल रहा है, ये कह कर भाभी पेट के बल उल्टी लेट गई.
भाभी बोलीं कुणाल प्लीज़ थोड़ी कमर भी दबा दो.
मैंने उनकी कमर दबानी आरम्भ, कमर दबाते दबाते मैंने भाभी के पीठ पे हाथ ले गया और उधर दबाने लगा.
मैन महसूस किया कि भाभी ने ब्रा नही पहन रखी थी और सिर्फ एक टॉप और शार्ट पहना हुआ था।
पीठ दबाते दबाते मेरा हंट भाभी के बगल में चल जाता इससे भाभी के चुचे भी थोड़े थोड़े दबने लगे.
भाभी को भी गर्मी चढ़ने लगी और अब उन्होंने हल्की हल्की सिसकारियां भरना शुरू कर दीं.
मैं भी भाभी के चूचों के स्पर्श से पूरा चार्ज हो गया और मैंने भाभी को कमर के बल लेटने को कहा.
भाभी मान गयी और करवट लेकर कमर के बल लेट गईं.
मैंने भाभी के पैरों को दबाना शुरू किया और उनके पैर की उंगलियों से धीरे धीरे उनकी जांघों तक हाथ लाकर उनकी जांघें मसलने लगा.
मेरा लंड भाभी की चुत के लिए पागल होने लगा था. उनकी तरफ से कोई विरोध भी नहीं दिख रहा था.
मैंने धीरे से अपना हाथ भाभी के पेट पर रखा और पेट को सहलाने लगा.
भाभी अपने पैर आपस में रगड़ने लगीं, इससे मुझे पता चल गया था कि अब भाभी भी पूरी गरम हो गयी हैं.
मैंने हिम्मत करके पेट से अपना हाथ सरकाया और उनकी शार्ट के ऊपर ले जाकर रख दिया.
भाभी ने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैंने अपना हाथ उनकी शार्ट में डाल दिया अंदर उन्होंने पैंटी नही पहन रखी थी।
आह भाभी की चुत के ऊपर छोटे छोटे घुंघराली झांटों ने मेरा दिल जीत लिया।
मेरा दिल बस अब भाभी की चुत को चाटने का कर रहा था,
अगले ही पल मैंने भाभी के शार्ट को खींच दिया और नीचे एड़ी तक उतार दिया.
भाभी ने खुद बा खुद अपने पैर फैला दिए ताकि मैं बीच में बैठ कर उनकी रसीली चूत को टेस्ट कर सकूँ.
मैंने भाभी की चूत को चाटना चालू कर दिया- आह … आह … कुणाल … मैं बहुत प्यासी हूँ आहंह चाट लो मेरी चुत को आह!
भाभी तेज तेज सिसकारियां भरने लगीं. मैंने उन्हें उठा कर बिठाया और उनका टॉप भी उतार दी.
भाभी के कड़क मम्मे क़यामत लग रहे थे. मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों मम्मों को थाम लिया और मसलने लगा और मैं फिर मैं उन्हें ऐसे चूसने लगा, जैसे वो आम हों.
इधर मैं भाभी की दोनो चुचियों को चूस रहा था एक एक करके और एक हाँथ से भाभी की चूत सहला रहा था और उसमें उनली व डाल देता बीच बीच में।
फिर मैंने भाभी को लिप किस की और अपनी पैंट के साथ अंडरवियर उतार दी लंड पूरा कड़क और खड़ा था तो भाभी ने मस्त निगाहों से लंड को निहारा और मेरे लंड को हाँथ में लेके पूरे जोश से मेरा लंड चूसने लगीं.
कुछ देर के बाद मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और भाभी को तो मैंने पहके ही पूरी नंगी कर दिया था फिर हम दोनों रजाई में घुस गए और चुदाई का कार्यक्रम शुरू हो गया.
कभी मैं भाभी के ऊपर होता तो कभी भाभी मेरे ऊपर आ जाती।
मैं भाभी की चुत में लंड पेल कर उन्हें चोदने लगा. भाभी की आहें मस्ती बिखेरने लगीं.
कुछ ही देर में रजाई को एक तरफ करके मैं भाभी की चुत को ज़ोरदार तरीके से रगड़ रगड़ के चोदने लगा,
भाभी को भी मेरे लंड से चुदने में बड़ा मजा आ रहा था.
कोई 15-20 मिनट की चुदाई में भाभी 2 बार झड़ गईं और उनके बाद मैने भी उन्हीं की चुत में अपना पानी छोड़ दिया.
चुदाई के बाद भाभी मुझसे लिपट गईं और केएहने लगी पता है कुणाल मैं कब से तुमसे चुदवाना चाहती थी, तमहरे भैया तो रहते नही है घर पे और मैं बस तड़पती रहती हूं, अब बस आज से तुम मुझे हर रोज चोदना जी भरके चोदना।
मैंने उन्हें फिर चूमा और वादा किया कि मैं आपको रोज चोदूँगा।
हमारी चुदाई यूं ही चलने लगी और अब घर मे भाभी नंगी ही रहती हमेसा और जब भी मन करता हुम् चुदाई करते, घर के हर एक कोने में हमने खुलके चुदाई की किचन में सीढियो पे खाने की टेबल पे बाथरूम में हर जगह।
एक दिन भाभी की एक दोस्त आयी थी भाभी ने मुझे उससे मिलवाया वो व क्या गजब की माल थी देखते ही लंड खड़ा हो गया।
उसने और भाभी मेरे खड़े लंड को पंत के ऊपर से ही देख लिया और दोनो हंसने लगी
मैं समझ नहीं पाया कि ये दोनों किस बात पर हंस रही हैं.
मैंने भाभी की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में उनसे पूछने लगा- क्या बात है, आप दोनों क्यों हंस रही हैं?
तभी भाभी की दोस्त बोल पड़ी कुणाल जी, इतने भोले मत बनो मुझहे आपके और नेहा के बारे में सब पता है।
मैं एकदम से सकते में आ गया और उसकी तरफ देखने लगा.
तभी उसने मुझसे कहा कभी वक़्त मिले तो थोड़ा धयान मुझपे भी दे देना आज कल मेरी तबीयत भी ठीक नही रहती और बदन में काफी दर्द रहता है, फिर वो और बही दोनो एक साथ हंसने लगी।
उसी समय भाभी ने हंस कर कहा मेरी दोस्त को सब बात पता है. तुम चिंता मत करो.
ये सुनते ही मैंने भी हंस दिया और भाभी की दोस्त से वादा किया कि तुम्हारी भी थकान दूर कर दूंगा।
दोस्तो, भाभी की दोस्त ने मुझसे कैसे चुदवाया और किस तरह फिर बाद में मैंने भाभी और उनकी दोस्त दोनो की एक साथ चुदाई की वो सब आपके मेल मिलने के बाद अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा.
आप बतायें कि जैसे मैंने भाभी की चूत मारी, वो पढ़ कर आपको मजा आया? और कोई भी भाभी या लड़की मुझसे अपनी फीलिंग्स या चुदवाना चाहे तो मेल या मैसेज कर सकती है।
आपके रिप्लाइ का इंतज़ार रहेगा।