desiaks
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ये किस्सा 1 साल पहले का है, मेरी 12त क्लास चालू ही हुई थी और मेरे भाई की नयी-नयी शादी हुई थी. मैं पढ़ाई मैं इंटेलिजेंट तो नहीं पर एवरेज था.मम्मी - अंकल नीचे रहते है और मेरा और मेरे भाई का कमरा ऐसे है के उप्पर सीढ़ियाँ चढ़कर , मेरे कमरे से एंटर होकर दरवाजा है.और 1 बाथरूम है उप्पर जो भैया - भाभी के कमरे से अटॅच है, मैं वही बाथरूम यूज करता हूँ. आंटी के घुटनों मैं प्राब्लम है इसलिए आंटी कभी उप्पसर नहीं आती.
1 दिन बिन मौसम तेज बारिश हो रही थी शाम को, दूर बेल बाजी , मैंने दरवाजा खोला तो दीखा सामने भाभी खड़ी थी रेड कलर की सारी मैं, पूरी भीगी हुई, उनके पूरे कुवर्व्स दिख रहे थे, मेरा तो एकदम पूरा टाइट हो गया पजामा मैं, भाभी अंदर आई और सिद्दियान चढ़के उप्पर जाने लगी, मैं भी पीछे-पीछे चल दिया, क्या गान्ड लग रही थी उनकी सारी से चिपकी हुई. भाभी सीधे बाथरूम मैं चली गयी नहाने. मैं अपने कमरे मैं आकर मोबाइल मैं पॉर्न देखने लग गया. पॉर्न देखने मैं बिलकुल भी मजा नहीं आ रहा था क्योंकि मेरे सामने सिर्फ़ भाभी की ही तस्वीर आ रही थी , लाल सारी - भीगा बदन.
थोड़ी देर मैं भाभी बाथरूम से बाहर आ गयी कपड़े चेंज करके और नीचे चली गयी. मैं सीधे बाथरूम भगा मूठ मारने. बाथरूम मैं जाते ही मैंने अपना पजामा खोला और जैसे ही सामने देखा तो सामने भाभी के भीगे हुए कपड़े पड़े थे. मैंने सारी उठाई तो नीचे ब्रा-पैंटी भी पड़ी थी. मेरी धड़कन तेज हो गयी.
मैंने पहले ब्रा उठाई और उसे पर लेबल देखा 36सी. वाउ, मैंने उसे सूँघा ,उसमें से भाभी के बदन की कूशबू आ रही थी. मैं पागल हो गया. फिर मैंने पैंटी उठाई , उसपर क्रॉच वाली जगह कुछ चिपचिपा सा लगा हुआ था, शाया वो भाभी की चुत का पानी था. मैंने पैंटी सूँघी और क्रॉच वाली जगह चाटने लग गया. मैं सातवें आसमान मैं था.मैंने आंखें बंद की और पैंटी सूंघते-सूंघते मूठ मारना चालू कर दिया.
एकदम से दरवाजा खुला , मेरी ज़मीन खिसक गयी - आँखों के स्सांने अंधेरा छा गया, सामने भाभी खड़ी थी, मैंने चिटकनी ढंग से नहीं लगाई थी इस वजह से दरवाजा खुल गया. भाभी मुझे गुस्से से देख रही थी, मेरा लंड डर के मारे एक दम से सिकुड़ गया, मेरे हाथ पैर काँपने लग गये. भाभी मेरे पास आई और एक ज़ोर डर छापात मारी और मेरे हाथों से पैंटी चीनी और ज़मीन पे पड़ी ब्रा उठाकर चली गयी.
मैंने दरवाजा ढंग से बंद किया और शवर के नीचे खड़ा हो गया , पानी मेरे शरीर से होते हुए ज़मीन पर गिर रहा था पर मुझे कुछ एहसास नहीं हो रहा था. मेरा शरीर सुन्न पड़ चुका था.
करीब आधा घंटे बाद मैं बाथरूम से बाहर आया , भाभी के कमरे मैं कोई नहीं था. मैं नीचे गया भाभी किचन मैं खाना बना रही थी. मैं चुप-चाप त.भी के सामने जाकर बैठ गया. थोड़ी देर मैं आंटी ने मुझे खाना दिया और मैं चुप-चाप खाना खाके अपने कमरे मैं आकर सो गया. मुझे पक्का यकीन था के भाभी भैया को सब बता देगी. मैं बहुत डरा हुआ था. सुबह जब उठा तब भैया उठ चुके थे , भैया से नज़र मिलते ही भैया ने मुझे बुलाया , मेरी सांसें रुक सी गयी , मैं भैया के पास जाकर बैठा. मैं भैया के पहले अल्फाज़ो को इंतजार कर रहा था. भैया ने बस पढ़ाई के लिए पूछा और नहाने - ढोने चले गये. शायद भाभी ने भैया को अभी तक नहीं बताया था.
1 महीने तक मैंने भाभी से नज़रे भी नहीं मिलाई , भाभी ने भी मुझसे बात नहीं की. पूरा महीना मेरा खौफ मैं निकला. खैर मेरा ईस्ट टर्म का रिज़ल्ट आया. मैं फिज़िक्स और मेथ्स मैं फैल था , पर्सेंटेज भी 38 ही बनी थी. रात को भैया आकर खूब चिल्लाए मुझपर. मैं नज़रे झुकाए बस सुनता रहा. फिर भैया मुझपर हाथ ही उठाने वाले थे की भाभी ने भैया का हाथ पकड़ लिया. भाभी बोली : 'प्लीज़ मारो मत , आगे मन लगाकर पड़ेगा राहुल'
ये सुनते ही मैंने भाभी की तरफ देखा , भाभी नॉर्मल थी. भैया ने बोला
भैया : ' मैं तो तक चुका इस लड़के से , पड़ेगा नहीं तो क्या करेगा लाइफ मैं , जिंदगी खराब हो जाएगी इसकी.'
भाभी : 'आप चिंता ना करे अब से ये खूब पड़ेगा'
भैया : ' ठीक है रेणु , अब तुम ही संभलो इसको. मैं अब इससे 12त के बाद ही बात करूँगा अब'
मैं अपने रूम मैं आकर किताब खोलकर बैठ गया , अब मैं थोड़ा रिलॅक्स हुआ , भाभी के प्रति मेरे सारे गंदे विचार निकल चुके थे. रात को भैया के सोने के बाद मैंने भाभी के नो. पे मेसेज किया
में : 'सॉरी स्माइल '
भाभी का तुरंत रिप्लाइ आया
भाभी : ' इट'से ओके स्माइल '
में : 'थॅंक्स फॉर सेविंग में फ्रॉम भैया'
भाभी : ' स्माइल गुड नाइट , सुबह बात करते है'
मेरे चेहरे पर पूरे 1 महीने बाद स्माइल आई. सुबह भैया ऑफिस और अंकल फॅक्टरी जा चुके थे , भाभी मुझे उठाने आई. मैंने गुड मॉर्निंग बोला और स्माइल दी , भाभी ने वापिस स्माइल दी.
1 दिन बिन मौसम तेज बारिश हो रही थी शाम को, दूर बेल बाजी , मैंने दरवाजा खोला तो दीखा सामने भाभी खड़ी थी रेड कलर की सारी मैं, पूरी भीगी हुई, उनके पूरे कुवर्व्स दिख रहे थे, मेरा तो एकदम पूरा टाइट हो गया पजामा मैं, भाभी अंदर आई और सिद्दियान चढ़के उप्पर जाने लगी, मैं भी पीछे-पीछे चल दिया, क्या गान्ड लग रही थी उनकी सारी से चिपकी हुई. भाभी सीधे बाथरूम मैं चली गयी नहाने. मैं अपने कमरे मैं आकर मोबाइल मैं पॉर्न देखने लग गया. पॉर्न देखने मैं बिलकुल भी मजा नहीं आ रहा था क्योंकि मेरे सामने सिर्फ़ भाभी की ही तस्वीर आ रही थी , लाल सारी - भीगा बदन.
थोड़ी देर मैं भाभी बाथरूम से बाहर आ गयी कपड़े चेंज करके और नीचे चली गयी. मैं सीधे बाथरूम भगा मूठ मारने. बाथरूम मैं जाते ही मैंने अपना पजामा खोला और जैसे ही सामने देखा तो सामने भाभी के भीगे हुए कपड़े पड़े थे. मैंने सारी उठाई तो नीचे ब्रा-पैंटी भी पड़ी थी. मेरी धड़कन तेज हो गयी.
मैंने पहले ब्रा उठाई और उसे पर लेबल देखा 36सी. वाउ, मैंने उसे सूँघा ,उसमें से भाभी के बदन की कूशबू आ रही थी. मैं पागल हो गया. फिर मैंने पैंटी उठाई , उसपर क्रॉच वाली जगह कुछ चिपचिपा सा लगा हुआ था, शाया वो भाभी की चुत का पानी था. मैंने पैंटी सूँघी और क्रॉच वाली जगह चाटने लग गया. मैं सातवें आसमान मैं था.मैंने आंखें बंद की और पैंटी सूंघते-सूंघते मूठ मारना चालू कर दिया.
एकदम से दरवाजा खुला , मेरी ज़मीन खिसक गयी - आँखों के स्सांने अंधेरा छा गया, सामने भाभी खड़ी थी, मैंने चिटकनी ढंग से नहीं लगाई थी इस वजह से दरवाजा खुल गया. भाभी मुझे गुस्से से देख रही थी, मेरा लंड डर के मारे एक दम से सिकुड़ गया, मेरे हाथ पैर काँपने लग गये. भाभी मेरे पास आई और एक ज़ोर डर छापात मारी और मेरे हाथों से पैंटी चीनी और ज़मीन पे पड़ी ब्रा उठाकर चली गयी.
मैंने दरवाजा ढंग से बंद किया और शवर के नीचे खड़ा हो गया , पानी मेरे शरीर से होते हुए ज़मीन पर गिर रहा था पर मुझे कुछ एहसास नहीं हो रहा था. मेरा शरीर सुन्न पड़ चुका था.
करीब आधा घंटे बाद मैं बाथरूम से बाहर आया , भाभी के कमरे मैं कोई नहीं था. मैं नीचे गया भाभी किचन मैं खाना बना रही थी. मैं चुप-चाप त.भी के सामने जाकर बैठ गया. थोड़ी देर मैं आंटी ने मुझे खाना दिया और मैं चुप-चाप खाना खाके अपने कमरे मैं आकर सो गया. मुझे पक्का यकीन था के भाभी भैया को सब बता देगी. मैं बहुत डरा हुआ था. सुबह जब उठा तब भैया उठ चुके थे , भैया से नज़र मिलते ही भैया ने मुझे बुलाया , मेरी सांसें रुक सी गयी , मैं भैया के पास जाकर बैठा. मैं भैया के पहले अल्फाज़ो को इंतजार कर रहा था. भैया ने बस पढ़ाई के लिए पूछा और नहाने - ढोने चले गये. शायद भाभी ने भैया को अभी तक नहीं बताया था.
1 महीने तक मैंने भाभी से नज़रे भी नहीं मिलाई , भाभी ने भी मुझसे बात नहीं की. पूरा महीना मेरा खौफ मैं निकला. खैर मेरा ईस्ट टर्म का रिज़ल्ट आया. मैं फिज़िक्स और मेथ्स मैं फैल था , पर्सेंटेज भी 38 ही बनी थी. रात को भैया आकर खूब चिल्लाए मुझपर. मैं नज़रे झुकाए बस सुनता रहा. फिर भैया मुझपर हाथ ही उठाने वाले थे की भाभी ने भैया का हाथ पकड़ लिया. भाभी बोली : 'प्लीज़ मारो मत , आगे मन लगाकर पड़ेगा राहुल'
ये सुनते ही मैंने भाभी की तरफ देखा , भाभी नॉर्मल थी. भैया ने बोला
भैया : ' मैं तो तक चुका इस लड़के से , पड़ेगा नहीं तो क्या करेगा लाइफ मैं , जिंदगी खराब हो जाएगी इसकी.'
भाभी : 'आप चिंता ना करे अब से ये खूब पड़ेगा'
भैया : ' ठीक है रेणु , अब तुम ही संभलो इसको. मैं अब इससे 12त के बाद ही बात करूँगा अब'
मैं अपने रूम मैं आकर किताब खोलकर बैठ गया , अब मैं थोड़ा रिलॅक्स हुआ , भाभी के प्रति मेरे सारे गंदे विचार निकल चुके थे. रात को भैया के सोने के बाद मैंने भाभी के नो. पे मेसेज किया
में : 'सॉरी स्माइल '
भाभी का तुरंत रिप्लाइ आया
भाभी : ' इट'से ओके स्माइल '
में : 'थॅंक्स फॉर सेविंग में फ्रॉम भैया'
भाभी : ' स्माइल गुड नाइट , सुबह बात करते है'
मेरे चेहरे पर पूरे 1 महीने बाद स्माइल आई. सुबह भैया ऑफिस और अंकल फॅक्टरी जा चुके थे , भाभी मुझे उठाने आई. मैंने गुड मॉर्निंग बोला और स्माइल दी , भाभी ने वापिस स्माइल दी.