Rohnny4545
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- Nov 24, 2018
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हेलो दोस्तों मैं एक बार फिर से आपके सामने एक नई कहानी लेकर हाजिर हूं . आशा करता हूं की यह कहानी भी आप लोगों को पसंद आएगी। मेरी बुआ का नाम सुजाता है और वह शादीशुदा है अपने पति के साथ वहं गांव में ही रहती हैं। उनका एक 12 साल का बेटा भी है। एक बार की बात है मैं गांव जा रहा था। स्टेशन पर उतरने पर काफी रात हो चुकी थी तकरीबन 8:00 का समय हो रहा था लेकिन गांव के माहौल के हिसाब से 8:00 बजे का समय भी रात के 2:00 बजे के जैसा होता है। स्टेशन पर उतरते ही इस बात का एहसास हो गया कि अपने घर जाने के लिए यहां से कोई सवारी मिलने वाली नहीं थी मुझे लगने लगा कि अब मुझे स्टेशन पर ही रुक कर रात गुजारनी पड़ेगी लेकिन स्टेशन की भी हालत काफी खराब थी। स्टेशन पर ना तो रुकने का कोई व्यवस्था ही थी और ना ही लाइट थी। चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था, और ऐसे में चोर-उचक्कों का डर काफी बना हुआ था। वैसे भी स्टेशन पर उतरने वाले यात्री ही चोरों का सबसे बेहतरीन निशाना होते हैं ।क्योंकि उन्हें पता होता है कि बाहर से आने वाले लोगों के पास काफी माल होता है। मैं भी शहर से कमाकर आ रहा था इसलिए मेरे पास भी काफी सामान और पैसे भी थे इसलिए मुझे थोड़ा डर महसूस हो रहा था स्टेशन से बाहर आकर इधर उधर देखने पर भी कोई सवारी नजर नहीं आ रही थी। तभी मुझे ख्याल आया कि स्टेशन से कुछ ही दूरी पर मेरी बुआ रहती है इसलिए मैंने तुरंत फोन निकालकर बुआ को फोन किया। बुआ मेरी स्थिति को समझ कर तुरंत मुझे अपने घर बुला ली।
15 मिनट की दूरी पर ही बुआ का घर था जो कि मैं पैदल चलते चलते ही उनके घर पहुंच गया। उनके घर पहुंचते ही मेरी जान में जान आई क्योंकि रास्ते भर पूरी सड़क एकदम सुनसान थी। बुआ मुझे देखते ही बहुत खुश हुई। मैं बुआ के पैर छूकर ऊन्है नमस्ते किया। बुआ मुझे तुरंत अपने गले लगा ली जैसे ही उन्होंने मुझे अपने गले लगाया मेरे बदन में घंटियां बजने लगी क्योंकि गले लगाने की वजह से बुअा की बड़ी बड़ी चूचियां मेरे सीने में धंसने लगी, खास करके बुअा की चुचियों की निप्पल मेरे तन-बदन में झनझनाहट फैल गई।
बुआा अपने सीने से मुझे अलग करते हुए बोली,,,।
तू कितना बड़ा हो गया है आज काफी समय बाद तुझे देख रही हुं। अच्छा हुआ कि तू इसी बहाने मेरे घर आ गया वरना ना जाने तुझसे कब मुलाकात होती।
सच कहूं तो बुआ मैं भी बहुत खुश हूं तुमसे मिलकर लेकिन फूफा जी कहीं नजर नहीं आ रहे वो कहां गए।
अरे उन्हें कहां फुर्सत मिलती है वह तो सारा दिन बस काम काम काम आज 10 दिन से बाहर गए हुए हैं। और कब आएंगे कुछ बताकर नहीं गए। अच्छा तुम एक काम करो हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो जाओ मैं तब तक खाना निकाल देती हूं।
ठीक है बुआ बैग में मेरा टावल पड़ा है उसे लेते आना,,,
( इतना कहकर मैं घर के आंगन में ही जहां पर हेडपंप था वहीं पर हाथ मुंह धोने लगा,, तभी कुछ ही देर में बुआ टावल लेकर के मेरे पास आई। और मुझे टावल थमाते हुए बोली।
राज अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं तुमसे एक बात कहूं।
कहो बुआ इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है।
राज हमें तुमसे कैसे कहूं कहना तो नहीं चाहिए था लेकिन फिर भी मजबूर हूं क्योंकि तुम तो जानते ही हो कि तुम्हारे फूफा बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते।( बुआ नजरें झुका कर शरमाते हुए बोल रही थी जिसे मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिरकार बुआ कहना क्या चाहती हैं,,, इसलिए मैं बोला।)
बुआ आप जो भी कहना चाहती हो,, बेझिझक कह सकती हो।
पहले बोलो कि तुम बुरा तो नहीं मानोगे ना।
बुआ जी मैं बिल्कुल भी बुरा नहीं मानूंगा आप चाहे जो भी बोलो।
राज मैं तुम्हारे बैग में से जब टावर निकाल रही थी तो मैंने बैग में रखी हुई पांच छ: पेंटिं देखी हु जो कि मैं जानती हूं कि तुम अपनी बीवी के लिए ले जा रहे हो। मैं चाहती हूं कि तुम उसमें से दो पैंटी मुझे दे दो । ( बुआ एकदम शरमाते हुए नजरें नीचे झुका कर बोल रही थी उनको और उनका मासूम चेहरा देख कर मेरी हंसी छूट गई, और मुझे युं हंसता हुआ देखकर बुआ का चेहरा शर्म से एकदम लाल होने लगा जो कि लालटेन की रोशनी में साफ नजर आ रहा था।)
तुम हंस क्यों रहे हो (बुआ उसी तरह से नजरें नीचे झुका कर बोली)
अरे हंसी नहीं तो और क्या करूं इतनी सीधी सीधी बात को तुम इतना घुमा फिरा कर कह रही हो।
मैं जानती हूं राज की यह सब बात एकदम सीधी सीधी है लेकिन एक लड़के के सामने औरत के लिए ब्रा और चड्डी पेंटी यह सब बातें एकदम शर्म वाली होती है अगर मैं मजबूर ना होती तो तुम्हारे सामने कभी भी इस तरह की बातें नहीं करती।
कोई बात नहीं बुआ आपको इसमें शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है। आखिर आप किसी गैर के सामने तो यह बात कह नहीं रही मुझे अपना समझती है तभी तो आप इस तरह की बातें मुझे बता रही हैं। ( मैं बुआ के हांथो से टावल लेकर अपने बदन को पोछने लगा,, मेरा बदन काफी कसरती था चौकी देखने में बहुत ही आकर्षक लगता था मेरी बात सुनकर बुअा खुश नजर आ रही थी, और कनखियों से मेरी तरफ ही देख रही थी ।खास करके मेरे चौड़े सीने की तरफ उनकी नजर ऊपर से नीचे की तरफ दौड़ रही थी। बुआ की आंखों में इस समय शरारत साफ नजर आ रही थी और उनका इस तरह से मेरे बदन को घूरना मुझे थोड़ा बहुत शर्म का अनुभव करा जा रहा था। मैं टावल से अपने बदन को पोछ चुका था,, बुआ खाना निकालने जा चुकी थी, महबूबा को घर के अंदर जाते हुए देख रहा था । साढ़े पांच फीट की हाइट में बुआ पूरी तरह से सेक्स बोम लग रही थी। गोरा रंग भरा हुआ बदन गोल गोल चेहरा और उस पर सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाली उनके दोनों बड़ी़े बड़ी़े चूचियां,,, जो कि पके हुए आम की तरह नहीं बल्कि पके हुए पपीते की तरह बाहर की तरफ निकला हुआ था। ब्लाउज के अंदर से चूचियों की दोनों तनी हुई निप्पल ब्लाउज से साफ नजर आती थी। ऐसा लग रहा था कि कोई भाला कपड़े के आर पार हो जाएगा। और बुआ के पूरे मादक बदन का सबसे बेहतरीन और उत्तेजक आकर्षण उनकी गोल गोल नितंब थे।
चाची के बदन के हिसाब से उनकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही बाहर को निकली हुई थी जिससे उनकी खूबसूरती में चार चांद लग जा रहा था। उनको कमरे में जाते हुए देख कर मेरी सबसे पहले नजर उनकी मटकती हुई गांड पर ही पड़ी थी जो कि बेहद आकर्षक लग रही थी।
मैं जल्द ही फ्रेश होकर कमरे में चला गया। कुछ ही देर में बुआ भोजन की थाली लेकर मेरे पास आई मैं नीचे जमीन पर बैठा हुआ था। पास ही टेबल पर लालटेन रखी हुई थी जिस की रोशनी में सब साफ साफ नजर आ रहा था। बुआ के हाथों से मैंने भोजन की थाली लेकर खाना शुरु कर दिया। गर्मी का समय था इसलिए काफी गर्मी पड़ रही थी तभी तो आ बिस्तर पर रखा हाथ से हवा देने वाले पंखे को लेकर हिलाने लगी जिसकी हवा में थोड़ा बहुत राहत मिल रहा था खाना खाते हम दोनों इधर उधर की बातें करने लगे। बुआ की नजर बार-बार मेरे गठीले बदन पर ही टिकी हुई थी। मैं भी बुआ के बदन को कनखियों से देखकर उनकेमादक बदन के मधुररस को आंखों से पी रहा था। बुआ के गठीले सुडोल बदन में एक अजीब सी मादकता का एहसास हो रहा था।
कभी बुआ ने बात ही बात में गर्मी का बहाना करते हुए अपने कंधे पर से साड़ी के पल्लू के नीचे करदी, जिसकी वजह से बुआ की बड़ी बड़ी चूचियां मेरी आंखो के सामने साफ नजर आने लगी। ब्लाउज में कैद दोनों कबूतर बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहे थे। बुआ की सांसो के साथ उठ बैठ रहे दोनों खरबूजे मेरे तन-बदन में कामाग्नि की ज्वाला को भड़का रहे थे। आनन फानन में मैंने भोजन खत्म किया और सोने की तैयारी करने लगा क्योंकि वैसे भी मैं, ट्रेन में सफर के दौरान काफी थक चुका था इसलिए बिस्तर पर लेट गया। दुआ कुछ देर तक वहीं खड़े रहकर मेरी तरफ अजीब सी निगाहों से देखने लगी उनका इस तरह से मुझे घूरना बड़ा ही कामुक लग रहा था क्योंकि आंखों में खुमारी नजर आ रही थी। मुझे शर्म सी महसूस होने लगी तो मैं बोला।
ऐसे क्या देख रही हो बुआ तुम्हें सोना नहीं है क्या?
अरे जिंदगी भर तो सोना है,,, आज जग ही लेंगे तो क्या हो जाएगा। वैसे सच कहूं तो तुमने अपने बदन को काफी खूबसूरत बना रखा है लगता है कि काफी कसरत करते हो।
बुआ फिट रहने के लिए तो इतना करना ही पड़ता है।
तब तो तुम्हारी बीवी तुमसे बहुत खुश रहती होगी।
( बुआ मुस्कुराते हुए बोली और झूठे बर्तन को लेकर 15 से बाहर चली गई लेकिन जाते जाते उसने दरवाजा बंद नहीं की मुझे उसकी बात का मतलब समझ में नहीं आ रहा था। मैं ऐसे ही लेट कर सुबह बुआ के घर से जाने के बारे में सोच रहा था कि तभी थोड़ी देर बाद, दरवाजे पर दस्तक देते हुए बुआा बोली।
सो गए क्या?
नहीं नींद नहीं आ रही थी तुम्हें कुछ काम था क्या ? (और इतना कहकर मैं बिस्तर के नीचे पांव लटका कर बैठ गया)
तुम्हें कुछ दिखाना था।
मुझे,,,, मुझे क्या दिखाना था।( मैं आश्चर्य के साथ बोला)
लो देख लो (और इतना कहने के साथ ही बुआ भी दरवाजे के दोनों पल्लू को बंद करके उस पर कुंडी लगा दी और मुस्कुराते हुए मेरे करीब आने लगे मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था। जैसे ही वह मेरे करीब आई, ठीक मेरे सामने खड़ी होकर, अपनी साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी यह देखकर तो मेरी सांसे अटक गई मेरे पजामे में अजीब सी हलचल होने लगी,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि बुआ क्या करने जा रही थी मेरे सोचने से पहले ही बुआ अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा दी थी। कुछ ही सेकंड में लालटेन की रोशनी में बुआ की नंगी सुडौल जांघ चमकने लगी यह देख कर तो मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया । तभी मेरी नजर बुआ की पैंटी पर गई तो मैं समझ गया कि जो पेंटिं मे अपनी बीवी के लिए ले जा रहा था यह उसी में से एक पेंटिं थी। मरून रंग की पेंटिं बुअा के गोरे रंग पर और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। उत्तेजना के मारे तो गला सुखे जा रहा था। मैं कुछ बोल पाता इससे पहले ही बुआ बोली।
15 मिनट की दूरी पर ही बुआ का घर था जो कि मैं पैदल चलते चलते ही उनके घर पहुंच गया। उनके घर पहुंचते ही मेरी जान में जान आई क्योंकि रास्ते भर पूरी सड़क एकदम सुनसान थी। बुआ मुझे देखते ही बहुत खुश हुई। मैं बुआ के पैर छूकर ऊन्है नमस्ते किया। बुआ मुझे तुरंत अपने गले लगा ली जैसे ही उन्होंने मुझे अपने गले लगाया मेरे बदन में घंटियां बजने लगी क्योंकि गले लगाने की वजह से बुअा की बड़ी बड़ी चूचियां मेरे सीने में धंसने लगी, खास करके बुअा की चुचियों की निप्पल मेरे तन-बदन में झनझनाहट फैल गई।
बुआा अपने सीने से मुझे अलग करते हुए बोली,,,।
तू कितना बड़ा हो गया है आज काफी समय बाद तुझे देख रही हुं। अच्छा हुआ कि तू इसी बहाने मेरे घर आ गया वरना ना जाने तुझसे कब मुलाकात होती।
सच कहूं तो बुआ मैं भी बहुत खुश हूं तुमसे मिलकर लेकिन फूफा जी कहीं नजर नहीं आ रहे वो कहां गए।
अरे उन्हें कहां फुर्सत मिलती है वह तो सारा दिन बस काम काम काम आज 10 दिन से बाहर गए हुए हैं। और कब आएंगे कुछ बताकर नहीं गए। अच्छा तुम एक काम करो हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो जाओ मैं तब तक खाना निकाल देती हूं।
ठीक है बुआ बैग में मेरा टावल पड़ा है उसे लेते आना,,,
( इतना कहकर मैं घर के आंगन में ही जहां पर हेडपंप था वहीं पर हाथ मुंह धोने लगा,, तभी कुछ ही देर में बुआ टावल लेकर के मेरे पास आई। और मुझे टावल थमाते हुए बोली।
राज अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं तुमसे एक बात कहूं।
कहो बुआ इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है।
राज हमें तुमसे कैसे कहूं कहना तो नहीं चाहिए था लेकिन फिर भी मजबूर हूं क्योंकि तुम तो जानते ही हो कि तुम्हारे फूफा बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते।( बुआ नजरें झुका कर शरमाते हुए बोल रही थी जिसे मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिरकार बुआ कहना क्या चाहती हैं,,, इसलिए मैं बोला।)
बुआ आप जो भी कहना चाहती हो,, बेझिझक कह सकती हो।
पहले बोलो कि तुम बुरा तो नहीं मानोगे ना।
बुआ जी मैं बिल्कुल भी बुरा नहीं मानूंगा आप चाहे जो भी बोलो।
राज मैं तुम्हारे बैग में से जब टावर निकाल रही थी तो मैंने बैग में रखी हुई पांच छ: पेंटिं देखी हु जो कि मैं जानती हूं कि तुम अपनी बीवी के लिए ले जा रहे हो। मैं चाहती हूं कि तुम उसमें से दो पैंटी मुझे दे दो । ( बुआ एकदम शरमाते हुए नजरें नीचे झुका कर बोल रही थी उनको और उनका मासूम चेहरा देख कर मेरी हंसी छूट गई, और मुझे युं हंसता हुआ देखकर बुआ का चेहरा शर्म से एकदम लाल होने लगा जो कि लालटेन की रोशनी में साफ नजर आ रहा था।)
तुम हंस क्यों रहे हो (बुआ उसी तरह से नजरें नीचे झुका कर बोली)
अरे हंसी नहीं तो और क्या करूं इतनी सीधी सीधी बात को तुम इतना घुमा फिरा कर कह रही हो।
मैं जानती हूं राज की यह सब बात एकदम सीधी सीधी है लेकिन एक लड़के के सामने औरत के लिए ब्रा और चड्डी पेंटी यह सब बातें एकदम शर्म वाली होती है अगर मैं मजबूर ना होती तो तुम्हारे सामने कभी भी इस तरह की बातें नहीं करती।
कोई बात नहीं बुआ आपको इसमें शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है। आखिर आप किसी गैर के सामने तो यह बात कह नहीं रही मुझे अपना समझती है तभी तो आप इस तरह की बातें मुझे बता रही हैं। ( मैं बुआ के हांथो से टावल लेकर अपने बदन को पोछने लगा,, मेरा बदन काफी कसरती था चौकी देखने में बहुत ही आकर्षक लगता था मेरी बात सुनकर बुअा खुश नजर आ रही थी, और कनखियों से मेरी तरफ ही देख रही थी ।खास करके मेरे चौड़े सीने की तरफ उनकी नजर ऊपर से नीचे की तरफ दौड़ रही थी। बुआ की आंखों में इस समय शरारत साफ नजर आ रही थी और उनका इस तरह से मेरे बदन को घूरना मुझे थोड़ा बहुत शर्म का अनुभव करा जा रहा था। मैं टावल से अपने बदन को पोछ चुका था,, बुआ खाना निकालने जा चुकी थी, महबूबा को घर के अंदर जाते हुए देख रहा था । साढ़े पांच फीट की हाइट में बुआ पूरी तरह से सेक्स बोम लग रही थी। गोरा रंग भरा हुआ बदन गोल गोल चेहरा और उस पर सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाली उनके दोनों बड़ी़े बड़ी़े चूचियां,,, जो कि पके हुए आम की तरह नहीं बल्कि पके हुए पपीते की तरह बाहर की तरफ निकला हुआ था। ब्लाउज के अंदर से चूचियों की दोनों तनी हुई निप्पल ब्लाउज से साफ नजर आती थी। ऐसा लग रहा था कि कोई भाला कपड़े के आर पार हो जाएगा। और बुआ के पूरे मादक बदन का सबसे बेहतरीन और उत्तेजक आकर्षण उनकी गोल गोल नितंब थे।
चाची के बदन के हिसाब से उनकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही बाहर को निकली हुई थी जिससे उनकी खूबसूरती में चार चांद लग जा रहा था। उनको कमरे में जाते हुए देख कर मेरी सबसे पहले नजर उनकी मटकती हुई गांड पर ही पड़ी थी जो कि बेहद आकर्षक लग रही थी।
मैं जल्द ही फ्रेश होकर कमरे में चला गया। कुछ ही देर में बुआ भोजन की थाली लेकर मेरे पास आई मैं नीचे जमीन पर बैठा हुआ था। पास ही टेबल पर लालटेन रखी हुई थी जिस की रोशनी में सब साफ साफ नजर आ रहा था। बुआ के हाथों से मैंने भोजन की थाली लेकर खाना शुरु कर दिया। गर्मी का समय था इसलिए काफी गर्मी पड़ रही थी तभी तो आ बिस्तर पर रखा हाथ से हवा देने वाले पंखे को लेकर हिलाने लगी जिसकी हवा में थोड़ा बहुत राहत मिल रहा था खाना खाते हम दोनों इधर उधर की बातें करने लगे। बुआ की नजर बार-बार मेरे गठीले बदन पर ही टिकी हुई थी। मैं भी बुआ के बदन को कनखियों से देखकर उनकेमादक बदन के मधुररस को आंखों से पी रहा था। बुआ के गठीले सुडोल बदन में एक अजीब सी मादकता का एहसास हो रहा था।
कभी बुआ ने बात ही बात में गर्मी का बहाना करते हुए अपने कंधे पर से साड़ी के पल्लू के नीचे करदी, जिसकी वजह से बुआ की बड़ी बड़ी चूचियां मेरी आंखो के सामने साफ नजर आने लगी। ब्लाउज में कैद दोनों कबूतर बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहे थे। बुआ की सांसो के साथ उठ बैठ रहे दोनों खरबूजे मेरे तन-बदन में कामाग्नि की ज्वाला को भड़का रहे थे। आनन फानन में मैंने भोजन खत्म किया और सोने की तैयारी करने लगा क्योंकि वैसे भी मैं, ट्रेन में सफर के दौरान काफी थक चुका था इसलिए बिस्तर पर लेट गया। दुआ कुछ देर तक वहीं खड़े रहकर मेरी तरफ अजीब सी निगाहों से देखने लगी उनका इस तरह से मुझे घूरना बड़ा ही कामुक लग रहा था क्योंकि आंखों में खुमारी नजर आ रही थी। मुझे शर्म सी महसूस होने लगी तो मैं बोला।
ऐसे क्या देख रही हो बुआ तुम्हें सोना नहीं है क्या?
अरे जिंदगी भर तो सोना है,,, आज जग ही लेंगे तो क्या हो जाएगा। वैसे सच कहूं तो तुमने अपने बदन को काफी खूबसूरत बना रखा है लगता है कि काफी कसरत करते हो।
बुआ फिट रहने के लिए तो इतना करना ही पड़ता है।
तब तो तुम्हारी बीवी तुमसे बहुत खुश रहती होगी।
( बुआ मुस्कुराते हुए बोली और झूठे बर्तन को लेकर 15 से बाहर चली गई लेकिन जाते जाते उसने दरवाजा बंद नहीं की मुझे उसकी बात का मतलब समझ में नहीं आ रहा था। मैं ऐसे ही लेट कर सुबह बुआ के घर से जाने के बारे में सोच रहा था कि तभी थोड़ी देर बाद, दरवाजे पर दस्तक देते हुए बुआा बोली।
सो गए क्या?
नहीं नींद नहीं आ रही थी तुम्हें कुछ काम था क्या ? (और इतना कहकर मैं बिस्तर के नीचे पांव लटका कर बैठ गया)
तुम्हें कुछ दिखाना था।
मुझे,,,, मुझे क्या दिखाना था।( मैं आश्चर्य के साथ बोला)
लो देख लो (और इतना कहने के साथ ही बुआ भी दरवाजे के दोनों पल्लू को बंद करके उस पर कुंडी लगा दी और मुस्कुराते हुए मेरे करीब आने लगे मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था। जैसे ही वह मेरे करीब आई, ठीक मेरे सामने खड़ी होकर, अपनी साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी यह देखकर तो मेरी सांसे अटक गई मेरे पजामे में अजीब सी हलचल होने लगी,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि बुआ क्या करने जा रही थी मेरे सोचने से पहले ही बुआ अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा दी थी। कुछ ही सेकंड में लालटेन की रोशनी में बुआ की नंगी सुडौल जांघ चमकने लगी यह देख कर तो मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया । तभी मेरी नजर बुआ की पैंटी पर गई तो मैं समझ गया कि जो पेंटिं मे अपनी बीवी के लिए ले जा रहा था यह उसी में से एक पेंटिं थी। मरून रंग की पेंटिं बुअा के गोरे रंग पर और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। उत्तेजना के मारे तो गला सुखे जा रहा था। मैं कुछ बोल पाता इससे पहले ही बुआ बोली।