hotaks444
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मेरा नाम अनिल है और उसका नाम सुनीता है।
बात उन दिनों की है जब हम दोनों जवानी की उस उम्र में थे जहाँ पर दिल अपने बस में नहीं होता है।
मैं गर्मियों की २ महीने की छुट्टियों में गाँव गया। मैं उसको मिलने को बेचैन था और वो मुझको मिलने को बेचैन थी।
मैं ऊपर के कमरे में गया, वो अकेली थी।
उसने मुझे देखते ही जोर से अपने लगाया गले और मेरा मुँह अपनी मोटी-मोटी चूचियों में दबा लिया।
मेरा लंड एक दम खड़ा हो गया और मैंने भी उसकी चूचियों को अपने होंठों में ले लिया।
हम दोनों बहुत गरम हो गये।
मैंने धीरे से उसका नाड़ा खोल दिया और अपने हाथ उसकी सलवार में डाल दिए। वो जोर से मेरे से चिपक गई।
और फिर मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। उसका पानी निकलने लगा और वो मजे ले रही थी।
मैं भी उसके होंठ चूस रहा था और ऊँगली से उसकी चुदाई कर रहा था। उसको भी खूब मजा आ रहा था।
कुछ देर बाद वो झड़ने लगी और मुझसे बोली- राजा मेरी चूत की प्यास कब बुझाओगे।
मैंने कहा- खेत पे चलेंगे जब यानि कल हम दोनों खेत पे चलेंगे तब।
बाकी अगली बार में
बात उन दिनों की है जब हम दोनों जवानी की उस उम्र में थे जहाँ पर दिल अपने बस में नहीं होता है।
मैं गर्मियों की २ महीने की छुट्टियों में गाँव गया। मैं उसको मिलने को बेचैन था और वो मुझको मिलने को बेचैन थी।
मैं ऊपर के कमरे में गया, वो अकेली थी।
उसने मुझे देखते ही जोर से अपने लगाया गले और मेरा मुँह अपनी मोटी-मोटी चूचियों में दबा लिया।
मेरा लंड एक दम खड़ा हो गया और मैंने भी उसकी चूचियों को अपने होंठों में ले लिया।
हम दोनों बहुत गरम हो गये।
मैंने धीरे से उसका नाड़ा खोल दिया और अपने हाथ उसकी सलवार में डाल दिए। वो जोर से मेरे से चिपक गई।
और फिर मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। उसका पानी निकलने लगा और वो मजे ले रही थी।
मैं भी उसके होंठ चूस रहा था और ऊँगली से उसकी चुदाई कर रहा था। उसको भी खूब मजा आ रहा था।
कुछ देर बाद वो झड़ने लगी और मुझसे बोली- राजा मेरी चूत की प्यास कब बुझाओगे।
मैंने कहा- खेत पे चलेंगे जब यानि कल हम दोनों खेत पे चलेंगे तब।
बाकी अगली बार में