antarwasna आधा तीतर आधा बटेर - Page 5 - SexBaba
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antarwasna आधा तीतर आधा बटेर

लेकिन तुम यह बताओ कि डेविड से क्या चाहते हो….?

मैं….मैं सिर्फ़ उसे मार डालना चाहता हूँ….

जब से वो तस्वीरें उसके हाथ लगी है…..मैं भी यही चाहता हूँ मिस्टर ढांप….!

मैं उसे कैसे भी मार डालूँगा….तुम सकून में रहो….

बहेरहाल अब मोनिका उसके फंदे में फँस गयी है….!

मैं नही समझा….?

उन तस्वीरों के ज़रिए डेविड ने उसे उलझा लिया है….

मुझे मालूम नही था….

मैं जानता हूँ…. और उस जगह से भी वाक़िफ़ हूँ जहाँ उनकी मुलाक़ातें होती है….!

मुझे बताओ….मुझे बताओ….मैं खुद ही उसे मार डालूँगा

नही दोस्त….वो मेरा शिकार है….मैने उसके लिए बड़ी मेहनत की है….
लहज़ा अपनी मेहनत का फल तुम्हारे हवाले नही कर सकता….!

अब मेरी समझमे नही आता कि मैं क्या करूँ….?

बस उसके बारे में जो कुछ मालूम हो सके मुझे बताते रहो….

मेरा ख़याल है जितना तुम जानते हो उसके बारे में….
शायद मैं भी नही जानता….डगमोरे ने कहा

खैर….बहेरहाल….मैं देखूँगा कि तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ….इमरान ने कहा….
और सिलसिला कट कर दिया

उसके बाद उसने सुलेमान को आवाज़ दी….अबे….रिहर्सल हो रही है या नही….?

क….क….कैसी रिहर्सल….?

जैसे बताया था….शेरवानी पहेन कर….!

मुझे शर्म आती है….सुलेमान झेंप कर बोला

तब तो यह शादी हरगिज़ नही हो सकेगी….

मैने तो कहीं ऐसा नही होते देखा….?

मेरे खानदान की कोई शादी देखी है तूने….?

कैसे देख सकता हूँ….मेरी पैदाइश से भी पहले कभी हुई होगी कोई शादी….सुलेमान जल कर बोला

बस तो फिर वही कर जो मैं कह रहा हूँ….!

अरे….तो क्या वो आप के खानदान की है….?

उस घर में अगर कोई कुत्ते का पिल्ला भी पैदा हुआ है तो वो भी मेरे ही खानदान का है….!

सुलेमान आलू और छुरी फेंक कर आसमान की तरफ हाथ उठा जोड़ता हुआ गिडगिडाया….मौला मुझे उनके घर से पैदा होने से बचाओ….!

आमीन….इमरान दहाडा….शादी कर देने के बाद में दो जूते लगाउन्गा….
और दोनो को घर से निकाल दूँगा….!

होने भी दी जिए शादी…. फिर चाहे क़ीमा कर के रख दी जिएगा….!

ऐसे ही होगी शादी….छोड़ हांड़ी….कर रिहर्सल….!

इस शैतान के बच्चे को शाह बलाया वाला बनाया है….रीढ़ की हड्डी टूट गयी तो क्या करूँगा शादी कर के….?

नही टूटेगी….

अरे बाप रे….सुलेमान दाँत खचखचा कर बोला....रिहर्सल….

फिर इमरान ने जोसेफ को आवाज़ दी….वो आया और बे-हिस-ओ-हरकत खड़ा रहा….!

तूने रिहर्सल नही किया आज….इमरान उसे घूरता हुआ बोला….
और जोसेफ ने दाँत निकाल दिए

अजीब रस्म है बॉस….

इसे अजीब कहता है….
और तुम जो माशुंबा माशहुमही करता रहता है….?

तुम लोग तो मज़हबी हो बॉस….

सिर्फ़ सॉफ सुथरे कपढ़े पहेन्ने और रोज़ाना गुसल करने की हद तक….!

कहीं उसे चोट ना आ जाए….जोसेफ ने सुलेमान की तरफ देख कर कहा

मर भी जाए तो परवाह नही….शादी तो हो जाएगी….!

ठीक उसी वक़्त फोन की घंटी बजी….

इमरान हाथ बढ़ा कर रिसीवर उठाया….

जोसेफ सुलेमान एक दूसरे को घूरते रहे….

हेलो….कौन साहब है….?

“शाहिद”

अच्छा….अच्छा….क्या खबर है….?

मैं एहतियातन एक पब्लिक टेलिफोन बूत से गुफ्तगू कर रहा हूँ….

कोई ख़ास बात….?

बहुत ख़ास बात….वो ही जिस के आप इंतेज़ार में थे….!

अच्छा….उस टेलिफोन बूत की निशानदेही करो….?

अवामी सूपर मार्केट के करीब वाला….!

मार्केटों के बारे में सिर्फ़ सुलेमान जानता है….सेक्टर का नाम बताओ….?

8थ शाहेरा….!

ठीक…तो इस बूत ही के करीब केफे कोहान है वहाँ मेरा इंतेज़ार करो….!

बहुत बेहतर….!

तुम्हे यक़ीन है कि तुम्हारी निगरानी नही हो रही….

इस किस्म की कोई यक़ीन दहानी नही कर सकता….मुझे सलीका नही है यह सब मालूमत कर लेने का….!

परवाह ना करो….मैं अभी आया….!

रिसीवर रख कर वो दोनो की तरफ मुड़ा….वापसी पर रिहर्सल देखूँगा….!

ब….बो….बॉस….वो पाजामा ढीला नही हो सकता….? जोसेफ ने पूर तकलीफ़ लहजे में पूछा

क्यूँ….? क्या दुश्वाअरी है…..?

पिंडलियों पर बड़ी मुश्किल से चढ़ता है….

यह तो अच्छी बात है एक दूसरे को पाजामा पहनने की भी मश्क़ (अभ्यास) हो जाएगी….!
 
फिर सुलेमान से उर्दू में पूछा….तुझे तो दुश्वारी नही होती पाजामा पहनने में….?

सुलेमान सख्ती से होंठ भिंचे खड़ा रहा….

खैर….खैर….जोसेफ तुझे सब कुछ समझा देगा….मुझे जल्दी है….
और हाँ….इतनी रात गये आलू क्यूँ छीले जा रहे थे….क्या अभी तक हांड़ी तैयार नही हुई….?

भूका मर रहा है साला….जब से शादी की बात हुआ….जोसेफ उर्दू में शुरू हो गया….रात बहुत देर करता….!

अबे….मैं यह क्या सुन रहा हूँ….? इमरान घड़ी में देखता हुआ बोला….9 बज गये है….
और तू अभी तक आलू छील रहा है….?

आप ने 4 बजे लंच किया था….
इसलिए रात का खाना 12 बजे से पहले नही खाएँगे….सुलेमान बुरा सा मुँह बना कर बोला

अरे….तो इसमे इसने क्या कसूर किया है….? इमरान जोसेफ की तरफ हाथ उठा कर बोला

वज़न कम कर रहा हूँ साले का….
वरना यह शाह बलाया मुझे खबर में धक्का देने वाला साबित होगा….अभी तो मैं इसे जुलाब भी दूँगा….!

क्यूँ….? शामत आई है….? खबरदार ऐसी कोई हरकत ना होने पाए….!

जुलाब क्या होता है?….बॉस….जोसेफ ने बौखला कर पूछा

अगर….आप ने इसे बताया तो इसी छुरी से अपनी गर्दन रेत लूँगा….!

जहन्नुम में जाओ….कहता हुआ इमरान दरवाज़े की तरफ बढ़ गया….!
सेक्टर के पोल का फ्यूज़ बल्ब उड़ गया था….
और टू-सीटर अंधेरे में खड़ी थी….जैसे ही इमरान स्टियरिंग पर बैठा कोई सख़्त चीज़ कमर में चुभने लगी…..

साथ ही किसी ने आहिस्ता से कहा….एंजिन स्टार्ट करो….
और जिधर कहूँ….उधर चलते रहो….!

जुमला अँग्रेज़ी में अदा किया गया था….
और लहज़ा अमरीकी था

इमरान ने बिना कुछ कह तामील की….
और स्टियरिंग पर आते ही बोला….कोहनी हटाओ….!

कोहनी नही रेवोल्वेर है….जवाब मिला

अच्छा….इमरान ने इस तरह कहा जैसे संतुष्ट हो गया हो….या रेवोल्वेर से ज़्यादा कोहनी का दबाब काबिल-ए-ऐतराज़ रहा हो….!

शरषा रोड की तरफ….

शरषा नही….शेरशाह रोड….इमरान ने सही की

चलो बकवास नही….

चल तो रहा हूँ….. लेकिन बकवास क्यूँ ना करूँ….?

खामोशी से….रेवोल्वेर का दबाब बढ़ाते हुए कहा गया

तुम आख़िर हो कौन….? इमरान ने वाइंड स्क्रीन पर नज़र जमाता हुआ पूछा

ढांप….जवाब मिला

तुम आख़िर ढांप क्यूँ हो….? बड़ी मासूमियत से सवाल किया गया

मेरा नाम है….

तुम्हारी तरफ ढांप के क्या माइने होते है….?

बस नाम है….जवाब मिला

हमारी देव माला के एक किरदार का नाम भी ढांप था….

मैने कहा था खामोशी से चलते रहो….

तुम्हारी मालूमात में इज़ाफ़ा कर रहा था….

वैसे अगर…. तुम ढांप हुए तो मुझे क्या….?

बहुत जल्द मालूम हो जाएगा….

क्या….?

यही कि मैं डॉक्टर शाहिद से क्या चाहता हूँ….

मैं जानता हूँ….इमरान खुशी ज़ाहिर करता हुआ बोला

क्या जानते हो….?

यही कि इस बार बच्चा ओपरेशन के बगैर नही होगा….!

खामोश रहो….

अब तो ना सिर्फ़ खामोश रहना पड़ेगा बल्कि तुम्हारे लिए ज़िंदगी की दुआ भी करनी पड़ेगी ताकि अरसा (समय) तक ढांप रहे सको….!

शट-अप….

खैर फिर सही….!

गाड़ी थोड़ी देर बाद शेरशाह रोड पर पहुँची….

इमरान ने कनखियों से भी उस शक्श की तरफ देखने की ज़हमियत (कष्ट) नही गवारा की….वैसे उसने महसूस कर लिया था कि आदमी ख़ासा तेज़ है….मुश्किल ही से धोका खाएगा…. और फिर….उसे कुछ ज़्यादा ताश्विश (चिंता) भी नही थी….एक बार पहले भी वो लोग ऐसा ड्रामा स्टेज कर चुके थे….!

गाड़ी की लाइट दूर नज़र आती एक इमारत की तरफ की गयी….!
अजनबी इमरान को उतार सदर दरवाज़े की तरफ ले चला….

खाने में क्या है….? इमरान ने पूछा

पिस्टल की गोलियाँ….

शोरबे वाली या भूनी हुई….?

बकवास मत करो….आगे बढ़ो….उसने रेवोल्वेर की नाल से इमरान को धकेलते हुए कहा

इतना ही काफ़ी था….कुछ कर गुज़रने के लिए….वो मुँह के बल फर्श पर गिरा….और गिरते-गिरते हथेलिया ज़मीन पर टेक कर गुलाटी लगाई….कतई गैर मुतवक (अनएक्सपेक्टेड) हरकत थी….वो चारों खाने चीत गिरा…..
फिर जितनी देर में अजनबी उठता….इमरान किसी साँप की तरह पलट कर उस पर चढ़ गया….

फिर….उसकी चीखें सुन कर शायद अंदर से भी कुछ दौड़ पड़े….इमरान गाड़ी का एंजिन बंद नही किया था….
और ग़ालीबान उसने भी जल्दी में इस पर ध्यान नही दिया….
बहेरहाल इससे पहले अंदर वाले बाहर पहुँचते….इमरान गाड़ी को रिवर्स गियर में डाल चुका था….

कई फाइयर हुए….
लेकिन इमरान के अंदाज़े के मुताबिक सब हवाई फाइयर थे….इमरान निहायत ही इतमीनान से निकल चला आया….मकान के आस-पास कोई दूसरी गाड़ी भी नज़र नही आई….

ख़ासी तेज़ी से शहर की तरफ वापस आया….
और 8त शाहेरा पहुँचा….केफे कोहान तक भी पहुँच गया….
लेकिन डॉक्टर शाहिद वहाँ मौजूद नही था….

शाहिद की कॉल रिसीव करने के बाद अब तक तखरीबन 45 मिनिट गुज़रा होगा
फिर उसी टेलिफोन बूत से जिस की निशानदेही शाहिद ने की थी….उसने शाहिद के घर फोन किया….

कॉल मलइक़ा ने रिसीव की….
और बताया कि शाहिद घर पर मौजूद नही है….वो कुछ देर टेलिफोन बूथ के करीब ही रहा….
फिर गाड़ी में बैठा….
और फ्लॅट की तरफ रवाना हो गया….!

वो बड़ी बेचैनी की रात थी….फ्लॅट पहुँच कर बैठा ही था कि फोन की घंटी बजी….!
हेलो….इमरान ने रिसीवर उठा कर कहा

कौन है….? दूसरी तरफ से इंग्लीश में पूछा गया

इमरान….तुम कौन हो….?

हिप्पी….दूसरी तरफ से आवाज़ आई

अरे वाह….क्या बात हुई है….बड़े मौक़े से फोन किया है तुमने….?

बिल्कुल….बिल्कुल….सुनो….मैने ढांप का पता लगा लिया है….!

कहाँ है….?

शेरशाह रोड पर एक इमारत है….वहाँ….!

कौन सी इमारत….?

जल्दी में नंबर नही देख सका…..
अगर अपना कोई आदमी साथ कर दो तो उसे दिखा सकता हूँ….पोलीस को इसलिए इततेला नही दी कि तुम उससे निपट लो….

फिर देखा जाएगा….!

तुमने अक़ल्मंदी का सबूत दिया है….
और मेरे पास भी तुम्हारे लिए एक इत्तेला है….!

जल्दी बताओ….मुझे नींद आ रही है….अब सोना चाहता हूँ

नींद गायब हो जाएगी खबर सुन कर….

तो फिर….जल्दी कहो….?

डॉक्टर शाहिद को बचाने की कोशिश में मेरा एक आदमी ज़ख़्मी हो गया है….!

क्या हुआ डॉक्टर शाहिद को….?

ढांप के आदमी उसे पकड़ ले गये है….मेरा जो आदमी डॉक्टर शाहिद की निगरानी कर रहा था ज़ख़्मी हो गया है….!

वाक़ई बुरी खबर सुनाई तुमने….

लेकिन….बहेरहाल….

ढांप के एक ठिकाने से वाक़िफ़ हो गया हूँ….पहले वो ही देखते है….क्या तुम मेरा साथ दोगे….?

मैं तैयार हूँ….

कहाँ मिलोगे….?

अगर मामला शेरशाह रोड का है तो वहीं कहीं मिलना चाहिए….तुम ही जगह बोलो….शेरशाह रोड का नाम सुना है मैने….!

टिप-टॉप नाइट क्लब के करीब मिलूँगा….इमरान ने कहा

हां….मैं वहाँ पहुँच सकता हूँ….
तो फिर जल्दी करो….!

इमरान ने रिसीवर रख कर जोसेफ को आवाज़ दी….

यस बॉस….जोसपेः सामने आ खड़ा हुआ

हड्डियाँ तोड़ने के मूड में हो….? इमरान ने सवाल किया….
और
जोसपेः के दाँत निकल आए….आँखों में अजीब सी चमक लहराई.....!
तैयार हो जाउ….? जोसेफ चाहेक कर बोला

जितनी जल्दी मुमकिन हो….!

जोसेफ फिर अपने कमरे में गया….बहुत जल्दी में उसने अपना बॉडीगार्ड वाला ख़ास लिबास पहेना….
और 10 मिनिट के अंदर ही अंदर इमरान के पास पहुँच गया….!

ठीक है….इमरान सर हिला कर बोला

वो लोग बाहर निकल आए….टू-सीटर गॅरेज में छोड़ कर इमरान ने दूसरी गाड़ी निकाली….इसलिए कि जोसेफ उसमे बा-आसानी छुप सकता था….गॅरेज में पहुँचते-पहुँचते इमरान ने उसे अच्छी तरह समझा दिया था कि बाज़ हालात में उसे क्या करना है….!

लेकिन बॉस….जोसेफ काफ़ी सोच-विचार के बाद बोला….अगर वो ही लोग है तो इस हरकत का क्या मक़सद हो सकता है….?

मुझे यक़ीन दिलाना चाहते है कि डॉक्टर शाहिद की मुसीबत का बाईस ढांप है….चलो देर ना करो….!

जोसेफ ने पिछली सीट का दरवाज़ा खोला….
और इमरान स्टियरिंग पर जेया बैठा….
 
गाड़ी टिप-टॉप नाइट क्लब की तरफ रवाना हो गयी….इस वक़्त सड़कों पर ट्रॅफिक का हुजूम नही था….
इसलिए तेज़ रफ़्तार बरकरार रही….
और जल्द ही टिप-टॉप नाइट क्लब जा पहुँचे….इमरान ने गाड़ी रोकी और नीचे उतर आया

बाईं (लेफ्ट) की तरफ से एक आदमी उसकी तरफ बढ़ा….
लेकिन यह हिप्पी तो नही था….!

गाड़ी में बैठ जाओ….उसने आहिस्ता से कहा

अच्छा….अच्छा….इमरान जल्दी से बोला….
और जहाँ से उठा था वहीं बैठ गया….

वो आदमी सामने से घूम कर दूसरी तरफ के दरवाज़े की तरफ आया

इमरान ही ने उसके लिए दरवाज़ा खोला….
और वो उसके बराबर बैठ गया….!

मुझे वहाँ पर ले चलो….जहाँ के बारे में फोन पर गुफ्तगू हुई थी….अजनबी ने कहा

हिप्पी नही आया….? इमरान ने हैरत से कहा

हमारा चीफ इतना अहमक नही है….

इतने ढेर सारे बालों में कोई शक्श अहमक भी नही रह सकता….

इमरान ने एंजिन स्टार्ट किया….
और गाड़ी आगे बढ़ा दी….जोसेफ का वजूद ना के बराबर हो कर रह गया था….गाड़ी में मौजूद था….
लेकिन अजनबी को शायद शक भी नही हो सका कि गाड़ी में कोई तीसरा करीब ही मौजूद है….!
तो तुम्हारा चीफ अहमक नही है….? इमरान ने अजनबी से सवाल किया

हाँ….मैने यही कहा था….

क्यूँ कहा था….? क्या मैने पूछा था कि वो अहमक है या नही….?

तुम्हे शायद यह उम्मीद थी कि वो खुद आएगा….

मैं यही समझा था….

इसलिए मैने कहा था कि वो अहमक नही है….उसे यह भी तो देखना था कि तुम पोलीस को तो पीछे नही लगा लाए….!

तब तो ठीक है….उसकी जगह मैं भी होता तो मैं भी यही करता….!

ज़रा तेज़ रफ़्तार से चलो….

मैं जानता हूँ कि कभी-कभी पोलीस भी मेरा पीछा करती रहती है….
लेकिन इस वक़्त ऐसा नही हुआ….मैं पहले ही इतमीनान कर चुका हूँ….!

गाड़ी की रफ़्तार तेज़ हो चुकी थी….थोड़ी देर बाद इमरान ने कहा….मेरे साथ तो पोलीस नही है….
लेकिन हो सकता है कि उस इमारत में मौजूद हो जहाँ हमें जाना है….!

मैं नही समझा….?

वहाँ ढांप के आदमियों ने मुझे घेर कर फाइयर भी किए थे….ज़ाहिर है शहरी आबादी में फाइरिंग का मतलब पोलीस को इत्तेला कर देना….

हैरत है कि तुम बच निकले….

बच निकलने के अलावा मुझे और कुछ आता ही नही….वैसे एक बात पर मुझे हैरत हो रही है….!

किस बात पर….?

तुम्हारे चीफ ने तुम्हे यह नही सिखाया कि अजनबीयों से ज़्यादा बात नही किया करते….?

तुम अब अजनबी तो नही रहे हमारे लिए….हम तुम्हे अपना साथी समझने लगे है….!

शुक्रिया….कभी मोहब्बत भी की है तुमने….?

तुम्हारा यह सवाल चकरा देने वाला है….

हम लोग घूल-मिल जाने के बाद सब से पहले यही सवाल करते है….
अगर तुम्हे ना गवार गुज़रा हो तो मत जवाब दो….!

सभी मोहब्बत करते है….वो हँस कर बोला

मैं तो नही करता….इमरान अकड़ कर बोला

अभी तुमने कहा था कि बच निकलने के अलावा तुम्हे और कुछ नही आता….अजनबी फिर हंस कर बोला

तुम ठीक समझे….यही बात है….!

तो फिर अगर वहाँ पोलीस ही हुई तो….अजनबी ने मौज़ू (टॉपिक) बदल दिया

मेरे लिए आसानी हो जाएगी….उस शक्श को रिहा करवा लूँगा….जिसे तुम्हारे चीफ के बयान के मुताबिक ढांप पकड़ कर ले गया है….!

तफ़सील मुझे मालूम नही….

खैर….खैर….अगर पोलीस नज़र आए तो तुम गाड़ी ही में बैठे रहना….मैं उतर कर देख लूँगा….!
लेकिन….पीछे वाले तो गाफील होंगे….

कौन पीछे वाले….?

चीफ और दूसरे साथी….

ओह….तब तो दुश्वारी होगी….
लेकिन ठहरो क्यूँ ना हम यहीं रुक कर उनका इंतेज़ार कर ले….?

ऐसी कोई हिदायत (निर्देश) मुझे नही मिले है….

तो क्या तुम खुद कोई फ़ैसला नही कर सकते….?

सवाल ही नही पैदा होता….

तब फिर….मैं तुम से अपना फ़ैसला मनवा कर तुम्हे ख़तरे में नही डालूँगा….!

ओह….तो क्या तुम मुझसे अपना फ़ैसला मनवा सकते हो….?

चाहूं तो तुम्हे एक हाथ से उठा कर बाहर भी फेंक सकता हूँ….यूँ ही खाम्खा शोहरत नही हो जाती किसी की….!

वो कुछ ना बोला…. लेकिन सर घूमा कर इमरान को घूर्ने लगा

गाड़ी सुनसान सड़क पर फ़र्राटे भरती रही….आख़िर इमरान ने थोड़ी देर बाद कहा….मुझे तो पीछे कोई गाड़ी दिखाई नही देती….?

हेड लाइट्स बुझा दिए गये होंगे….
लेकिन तुम्हे आख़िर इस सिलसिले में परेशानी क्यूँ है….तुम सिर्फ़ एक इमारत की निशानदेही करने जा रहे हो….!

कोई तुम्हारे बाप का नौकर हूँ कि सिर्फ़ निशानदेही करने जा रहा हूँ….मेरा एक आदमी है ढांप के कब्ज़े में….!

अभी तो शराफ़त से गुफ्तगू कर रहे थे….?

उकता जाता हूँ एक तरह की गुफ्तगू करते-करते….हो सकता है थोड़ी देर बाद तुम्हे गालियाँ भी देनी शुरू कर दूं….

मुनासिब होगा कि अब खामोश ही रहो….

इमरान कुछ ना बोला….उसने रफ़्तार कम करनी शुरू कर दी….
क्यूँ कि वो इमारत नज़दीक थी….जहाँ उसे ढांप के नाम पर ले जय गया था….!

क्यूँ….? क्या बात है….? साथी ने पूछा

इमारत नज़दीक है….

बस मुझे दिखाते हुए आयेज निकल चलना….ठहरने की ज़रूरत नही….!

सुनो दोस्त….ज़्यादा आगे नही जा सकूँगा

क्यूँ….?

मुझे देखना है कि वो अब भी उसी इमारत में है या नही….

मैं कोई फ़ैसला नही कर सकता….!

क्या मतलब….?

मुझे सिर्फ़ यह कहा गया था कि मैं इमारत देख आउ….

तो जहन्नुम में जाओ….मैं तुम्हे वापस नही ले जा सकूँगा….

अच्छी बात है….आगे बढ़ कर मुझे उतार देना

वो देखो….वो रही इमारत….इमरान बाईं (लेफ्ट) तरफ एक इमारत की तरफ इशारा किया….जिस की खिड़कियाँ रोषण नज़र आ रही थी….!
 
तो इसका यह मतलब हुआ कि वो लोग भागे नही….मौजूद है….साथी ने चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा
इमरान ने सर को हिलाया….कुछ बोला नही….थोड़ी दूर चलने के बाद उसने गाड़ी रोक दी….
और घूम कर साथी की तरफ देखने लगा….!

यहीं उतार दोगे….?

हाँ….मुझे उस इमारत में देखना है….

तन्हा….साथी के लहजे में हैरत थी

भीड़-भाड़ का कायल नही हूँ मैं….

ढांप ख़तरनाक आदमी है….

तुम फ़िक्र ना करो….कुछ देर पहले वो खुद ही मुझे यहाँ लाया था….
लेकिन पकड़ ना सका….!

तो अब फिर सीधे मौत के मुँह में क्यूँ जा रहे हो….?

तुम ने मुझसे झूठ क्यूँ बोला….? हिप्पी और दूसरे साथी भी पीछे आ रहे है….?

सुनो दोस्त….मुझसे जो कहा गया वो मैने किया यक़ीन करो मैं नही जानता वो सच-मुच पीछे आ रहे है या नही….!

मैं 10 मिनिट और इंतेज़ार करूँगा….
अगर वो नही आते तो फिर तुम्हे मेरा साथ देना पड़ेगा….!

क….क….क्या मतलब….?

तुम भी मेरे साथ इमारत में चलोगे….

ना मुमकिन….

अगर नही चलोगे तो मैं तुम्हे गोली मार दूँगा….

तुम….तुम मुझे मारोगे….? वो हिकारत (तिरस्कार) से बोला

यक़ीन करो ऐसा ही होगा….

खामोश रहो….वो ना ख़ुशगवार लहजे में बोला….10 मिनिट इंतेज़ार करते लेते है….!

सिर्फ़ तुम ही नही तुम्हारा चीफ भी मुझे डरपोक मालूम होता है….!

फ़िज़ूल बातें ना करो….उससे ज़्यादा दिलेर आदमी आज-तक मेरी नज़रों से नही गुज़रा….!

अभी गुज़ार देता हूँ….कह कर इमरान ने एंजिन स्टार्ट कर दिया….
और यू-टर्न ले कर….
फिर इमारत की तरफ पलट पड़ा….!

अरे….अरे….साथी बौखला गया….
लेकिन इतनी देर में गाड़ी फाटक से गुज़र कर कॉंपाउंड में दाखिल हो चुकी थी….और….अब इमारत की तरफ बढ़ रही थी….!

साथी ने दरवाज़ा खोल कर चलती गाड़ी से ना सिर्फ़ कूद गया….
बल्कि फाटक की तरफ दौड़ भी लगा दी….!

इमरान ने निहायत ही इतमीनान से गाड़ी रोकी एंजिन बंद किया….
और नीचे उतार कर दहाड़ने लगा….ढांप के बच्चे बाहर आओ….मैं वापस आ गया हूँ….निकलो बाहर….अब दिखाउन्गा तुम्हे….!
दरवाज़ा खुला…और किसी ने चीख कर पूछा….कौन बदतमीज़ है….?

बदतमीज़ नही है….इमरान ने झल्ला कर कहा….ढांप को बुलाओ

यहाँ कोई ढांप नही रहता है….

नही बहुत बड़ा ढांप रहता है….मैं ज़रा उसकी शक्ल देखना चाहता हूँ….!

अंदर से एक आदमी और बाहर आया….जिस की घनी मूच्छे ढांप की मूछों जैसी थी….
और उसने अपने बाल पैशानी पर बिखेर रखे थे….सामने रोशनी में आओ….तुम कौन हो….? उसने गूंजिली आवाज़ में पूछा

मैं सिर्फ़ ढांप से बात करना चाहता हूँ….इमरान बोला

ठीक उसी वक़्त पोलीस की गाड़ी के साइरन की आवाज़ सन्नाटे को चीरने लगी….

वो दोनो बेतहाशा उछल कर अंदर भागे….

इमरान जहाँ था वही खड़ा रहा….

इमारत की सारी खिड़कियाँ….
और रोशनी बंद होती जा रही थी….
और इमारत के अंदर की भाग-दौड़ सॉफ सुनाई दे रही थी….!

इमरान दौड़ कर अपनी गाड़ी के करीब पहुँचा….साइरन की आवाज़ इसी गाड़ी से बुलंद हो रही थी….उसने पिछली खिड़की में झाँक कर कहा….साइरन का स्विच ऑन रहने दो….स्टन गन और टॉर्च ले कर बाहर आ जा….!

जोसेफ ने फौरी तामील की….
मगर बॉस….तुमने तो कहा था कि हड्डियाँ भी तोड़नी होंगी….? जोसेफ ने हैरत से कहा

अगर….भागने को हुए तो यह भी कर लेना….आओ मेरे साथ….!

वो इमारत में दाखिल होते ही जोसेफ टॉर्च रोशन करते हुए आगे चलता रहा….
और स्टन गन इमरान के हाथों में थी….
लेकिन इमारत में डॉक्टर शाहिद के अलावा और कोई ना मिला जो एक जगह कुर्सी से जकड़ा पड़ा नज़र आया….

बस इसी तरह उठा कर कंधे पर रखो….
और निकल चलो….इमरान ने डॉक्टर शाहिद को ज्यूँ का त्यु उठाया….
और कंधे पर रख लिया….अब टॉर्च और स्टॅन गन इमरान के हाथों में थी….वो कॉंपाउंड में आए….इमरान ने शोर मचाती हुई गाड़ी की पिछली सीट का दरवाज़ा खोला….
और शाहिद को अंदर डाल दिया….!

अब साइरन बंद करते हुए स्टियरिंग संभाल ले….इमरान ने जोसेफ से कहा

किधर जाना है….बॉस….?

वापस घर….!
आप मेरी तो सुन ही नही रहे….डॉक्टर शाहिद सीट पर पड़ा हुआ बोला

इमरान उसके करीब बैठता हुआ बोला….सूनाओ….
और जोसेफ से कहा….चलो….!

गाड़ी रिवर्स गियर में डाल कर जोसेफ ने उसे फाटक से बाहर निकाला….
और शहेर की तरफ मूड गया….!

आप मेरे हाथ-पैर क्यूँ नही खोल रहे….?

अब इसी हालत में तुम्हारा निकाह इसी वक़्त होगा….!

क….क्य….क्या मतलब….?

मतलब भी यही है कि जो कह रहा हूँ….मैने तुमसे कहा था कि केफे कोहान में मेरा इंतेज़ार करना….!

वहाँ तक पहुँचने की नौबत ही नही आई थी….टेलिफोन बूथ से निकल कर गाड़ी की तरफ बढ़ ही रहा था कि किसी ने पीछे से गर्दन पर वार किया….
फिर याद नही के क्या हुआ….आख़िर यह लोग भाग क्यूँ गये….?

तुम से क्या चाहते थे….?

खुदा जाने….मुझसे किसी ने कोई बात ही नही की थी….!

अब फिर….तुम ढांप के खिलाफ एक बयान दाग देना….
और पोलीस को बुरा-भला कहना कि वो अभी तक ढांप का सुराग नही पा सकी….जब कि वो इसी शहेर में अब भी दन्दनाता फिर रहा है….!

लेकिन….मैं इस तरह कब तक पड़ा रहूँगा….? आप मेरे हाथ-पैर क्यूँ नही खोल रहे….?

निकाह के बाद….इमरान ने कहा….
और कुछ देर रुक कर बोला….तुम मुझे क्या बताना चाहते थे….?

पहले हाथ-पैर खोलें….
फिर बताउन्गा….!

आमा तुम तो जान खाओगे….उन्होने कितनी देर तक इसी तरह डाले रखा था….उनके भी कान खाते रहे या नही….?

आप की बातें मेरी समझ में नही आती….?

किसी की भी समझ में नही आती….इसी लिए तो घर छोड़ दिया है….इमरान ने कहा….
और डॉक्टर शाहिद के हाथ-पैर खोलने लगा….साथ ही कहता जा रहा था….तुम्हारी वजह से मुशायरो में भी नही जा सकता….सीज़न शुरू हो गया है….!

आप को शेर-ओ-शायरी से भी दिलचस्पी है….शाहिद ने हैरत से पूछा

बहुत ज़्यादा….अब यही देख ली जिए कि आप ने जो मिस्रा इनायत फरमाया है….लिखने बैठा हूँ….
लेकिन ग़ज़ल नही हो रही….!

मैं क्या बताऊ….सख़्त शर्मिंदा हूँ….शाहिद उठ कर सीधा बैठता हुआ बोला

शर्मिंदा तो मुझे होना चाहिए कि आप का होने वाला हूँ….

आप फिर टॉपिक से हॅट गये….?

क्या करूँ….तुम कुछ पूछते ही नही मुँह से….

उसने फिर मुझसे फोन पर गुफ्तगू की थी….मेरा ख़याल है वो आहिस्ता-आहिस्ता मक़सद की तरफ आ रहा है….!

मैं नही समझा….?

मतलब यह है कि मुझसे जो काम लेना चाहता है….उसका ताल्लुक मेरे पेशे से ही होगा….

यही बताने के लिए तुम मुझसे मिलना चाहते थे….?

जी हाँ….

मियाँ….इतना मैं भी जानता हूँ वो काम तुम्हारे पेशे ही से ताल्लुक है….तुम से घास खोदने को नही काहगा….

एक दूसरी बात भी है….!

वो भी जल्दी से बता डालो….?

मेरे खिलाफ सारे फोटोस और नेगेटीव्स उसके पास मौजूद है….जिसे उस काम के बाद वो मेरे हवाले कर देगा….

अच्छा….तो फिर….?

अगर….वो सब उससे पहले ही उसके कब्ज़े से निकाल ली जाए तो….
फिर मुझ पर उसका दबाव भी नही रहेगा….!

सामने की बात है….इमरान सर हिला कर बोला

तो फिर की जिए कोशिश….!
मक़सद मालूम होने से पहले कुछ भी नही करूँगा….इमरान ने खुश्क लहजे में बोला….इस वक़्त तुम यही अहेम तरीन बात बताना चाहते थे कि तुम्हारे खिलाफ सारे फोटोस और नेगेटीव्स उसके पास मौजूद है….
वरना यह तो पहले ही जानते थे कि वो काम तुम्हारे पेशे ही से ताल्लुक होगा….
अगर यह बात ना होती तुम इस्तीफ़ा ही क्यूँ देते….?

डॉक्टर शाहिद कुछ ना बोला….
 
इमरान ने थोड़ी देर बाद कहा….जब तक वो असल मक़सद की तरफ ना आए उसे इतमीनान दिलाते रहो कि उसकी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ भी नही करोगे….
और असल मामले की हम लोगों को हवा तक लगने नही दी….!

बड़ी घुटन में मुब्तेला हूँ इमरान साहब….

तुम से ज़्यादा घुटन में मैं खुद मुब्तेला हूँ….

तो फिर….ब्लॅकमेलिंग की चीज़ों पर कब्जा करने की कोशिश की जिए….!

तुम्हारी इज़्ज़त बचाने की खातिर….? इमरान ने सवाल किया

यही समझ ली जिए….

और उसके बाद वो जो कुछ करना चाहता है किसी और के ज़रिए से कर गुज़रेगा….!

आप इस तरह क्यूँ नही सोचते….क….क….क्क़….

यह मेरी बहेन के मुस्तकबिल (भविष्य) का सवाल है….?

यही….मैं यही कहना चाहता था….शाहिद जल्दी से बोला

लेकिन….यह लाखों बहनों के मुस्तकबिल (भविष्य) का सवाल बन जाए तो….समझने की कोशिश करो….पहले मैं यह सिर्फ़ मेरी बहेन के मुस्तकबिल (भविष्य) का सवाल समझा था….
लेकिन जब यह मालूम हो गया कि तुम्हारा सामना किन लोगों से है….
और तुम्हारी पोज़िशन उन्हे किसी किस्म का फ़ायदा पहुँचा सकती है तो यह पूरी क़ौम के मुस्तकबिल का सवाल बन गया है….डॉक्टर शाहिद….मैं अपने खानदान को पूरी क़ौम पर फौखियत (प्राथमिकता) नही दे सकता….!

डॉक्टर शाहिद कुछ ना बोला….आगे का सफ़र खामोशी से तय हुआ….!

रहमान साहब के महेक्मे के लोग हैरत में आ गये थे….उन्हे सिर्फ़ इमरान की तलाश थी….
और इमरान का कहीं पता ना था….खुद रहमान साहब दिन भर उसके फील्ड के नंबर डाइयल करते रहे….
लेकिन हर बार यही जवाब मिलता कि वो अभी तक वापस नही आया….!

फिर अचानक….रात गये खुद इमरान की कॉल उन्होने घर पर रिसीव की….डॉक्टर शाहिद के बयान के ताल्लुक आप की क्या राय है….उसने रहमान साहब से पूछा

फ़ौरन घर पहुँचो….फोन पर गुफ्तगू नही कर सकता….रहमान साहब झुनझूला कर बोले….सुबह से तुम्हारी तलाश जारी है….!

क्या घर पहुँचना ज़रूरी है….?

बेहद ज़रूरी है….

रिसेवर रख कर रहमान साहब बेसब्री से इमरान का इंतेज़ार करने लगे….!
आधे घंटे के अंदर इमरान घर पहुँच गया….

क्या करते फिर रहे हो तुम….? रहमान साहब इमरान को देखते ही दहाड़े

व….व….वो पागल हो गयी है….!

क्या बकवास कर रहे हो….

हंस की बेटी….बारिश का दूर-दूर तक पता नही….
लेकिन वो सुबह से बरसाती पहने….
और छतरी लगाए शहेर में घूमती फिर रही है….!

और….तुम उसके पीछे झक मारते फिर रहे हो….?

इमरान कुछ ना बोला….वो उन्हे गौर से देखने लगा….
और खुद रहमान साहब उसकी तरफ मुतवजा (अट्रॅक्ट) नही थे….बहुत ज़्यादा फ़िक्रमंद दिखाई दे रहे थे….!

कोई ख़ास बात है डॅडी….? इमरान ने आहिस्ता से पूछा

बहुत ही ख़ास….शाहिद को मालूम हो गया है कि वो ना-मालूम आदमी उससे क्या चाहता है….!

उसे ना-मालूम ना कहें….

क्यूँ कि मैं उसे जानता हूँ….!

कौन है….?

यह मैं बाद में बताउन्गा….पहले आप यह बताइए कि शाहिद को किस बात का मालूम हो गया है….?

उसने जो बात पिछली रात तुम्हे नही बताई उसका इल्म मुझे आज हो गया है….

हो सकता है मेरा भी यही अंदाज़ा है कि वो मुझे कुछ बताना चाहता था….
लेकिन फिर….इरादा बदल दिया था….हो सकता है इसकी वजह बाद की पक्कड़-धक्कड़ ही रही हो….सहेम गया होगा….बस इसी रट पर था क़ि किसी तरह ब्लॅकमेलिंग की चीज़ें हासिल कर ली जाए….!

मैं तस्सवूर भी नही कर सकता कि शाहिद वो काम कर गुज़रेगा….रहमान साहब चिंता जनक लहजे में बोले

तो आप उस काम से आगाह हो गये है….?

मिड्ल-ईस्ट के एक मुल्क के सरबराह (प्रमुख) का मामला है….

ओह….

दिल का मरीज़ है….माहेरीन (एक्सपर्ट्स) ने ऑपरेशन का मशवरा दिया है….
और ऑपरेशन यहीं होना तय हुआ है….
और शाहिद ही यह दिल की सर्जरी में सबसे उपर है….!

खुदा की पनाह….इमरान अपना सर सहलाने लगा

रहमान साहब ने मुल्क और प्रमुख का नाम बताते हुए कहा….आज ही मुझे बाज़ाबता तौर पर इत्तेला मिली है ताकि सेक्यूरिटी इंतज़ाम की जा सके….!

बहेरहाल….शाहिद ने हिम्मत हार दी है….यक़ीनन उसे मालूम हो गया है….पिछली रात अगर केफे कोहान पहुँचने से पहले ही वो दोबारा पकड़ ना लिया होता तो शायद कुछ बता देता….!

मैं तुम्हे इसलिए ही तलाश कर रहा था क़ि अब तुम उस आदमी की सही निशानदेही कर दो….जो शाहिद को ब्लॅकमेल कर रहा है….!

मेजर एम.ए डेविड….साज़िशों के ज़रिए गैर मुल्कों को जानदार बनाने का माहिर….!

वो कहाँ है….? रहमान साहब ने पूछा

आज दिन भर उसी की तलाश में रहा हूँ….जल्द ही उसके नये ठिकाने का सुराग मिल जाएगा….आप बेफ़िक्र रहिए….
मगर वो प्रमुख यहाँ कब पहुँच रहा है….?

एक हफ्ते के बाद….

बहुत वक़्त है….उससे पहले ही डेविड को ठिकाने लगा कर दफ़न कर दिया जाएगा….!

क्यूँ बकवास कर रहे हो….

यही होगा….इसके अलावा और कोई चारा नही….मैं तस्दीक़ (पुष्टि) कर चुका हूँ वो अपने 8 आदमियों समेत गैर क़ानूनी तौर पर अपने मुल्क में दाखिल हुआ है….उसके आने का कोई सबूत दर्ज नही किया गया है….
इसलिए उसकी वापसी का दारोमदार हमारी हुकूमत पर नही होगा….!

मैं कोई बे-ज़ाबता (अनोप्चारिक) करवाई हरगिज़ ना होने दूँगा….रहमान साहब फिर भड़क गये

ब-ज़ाबता करवाई की सूरत में उस सिर्फ़ यही इल्ज़ाम होगा कि वो गैर क़ानूनी तौर पर मुल्क में दाखिल हुआ है….आप किसी तरह भी साबित नही कर सकते कि वोही शाहिद को ब्लॅकमेल कर के उससे गैर क़ानूनी काम करना चाहता था….
और आप यह भी अच्छी तरह जानते है कि डेविड के मुल्क की हुकूमत किसी तरह भी कबूल नही करेगी कि डेविड वो काम उन्ही के इशारे पर करना चाहता था….

रहमान साहब कुछ ना बोले….इमरान कहता रहा….मरीज़ प्रमुख उस मुल्क का खुला हुआ विरोधी है….
लेकिन उसके बाद गाड़ी जिस के हिस्से में आने वाली है उसकी परवरिश ही उस मुल्क में हुई थी वो खुद को उस मुल्क का आधा शहरी कहता है….ज़ाहिर है कि मौजूदा प्रमुख की मौत के बाद जब दूसरा प्रमुख आएगा तो उसकी फॉरिन पॉलिसी डेविड के मुल्क के अनुकूल होगी….!

सवाल तो यह है कि….

अपने महेक्मे को इस मामले से कतई अलग रखे….इमरान बात काट कर बोला

तुम क्या करोगे….?

बता दूँगा….हर बात आप के इल्म में आएगी….आप सिर्फ़ सेक्यूरिटी इंतज़ाम करते रहे….डेविड का मामला मुझ पर छोड़ दी जिए….!

वो आख़िर है कहाँ….?

जहाँ भी होगा….मुझसे कॉंटॅक्ट ज़रूर करेगा….ढांप ने उसे चकरा कर रखा है…..!

ढांप….रहमान साहब बुरा सा मुँह बना कर बोले….वो पोलीस के रेकॉर्ड पर भी आ जाएगा….फिंगर-प्रिंट्स का ख़याल रखना….!

ख़ास तौर पर इसी का ख़याल रखता हूँ….

लड़की का क्या किस्सा है….?

उसी हाल में मारी-मारी फिर रही है जो अभी बयान कर चुका हूँ….

मक़सद….?

बस उसी का मक़सद मेरी समझमे नही आ रहा….!
एक बार फिर कह रहा हूँ बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है….

बेफ़िक्र रहिए….इमरान किसी और से मिले बगैर बाहर निकल गया….
फिर जब उसकी टू-सीटर फाटक से निकली….
अचानक रास्ता रोक लिया गया….

कॉर्निला छतरी लिए सामने खड़ी थी….
और बरसाती भी पहेनी हुई थी….!

क्यूँ जान को आ गयी हो….इमरान कराहा….कहाँ जाना है….?

कॉर्निला बाईं (लेफ्ट) तरफ वाले दरवाज़े की तरफ आ कर खड़ी हो गयी….इमरान ने उसके लिए दरवाज़ा खोला….
और वो गाड़ी में बैठती हुई बड़बड़ाई….12:30 बजे तुम ने आज मुझे कयि बार देखा….
लेकिन ध्यान नही दिया….वो मिन्मीनाई

ध्यान देता तो खुद भी तमाशा बन जाता….
 
गाड़ी आगे बढ़ गयी….
और कॉर्निला ने हंस कर कहा….यह तो मैने इसलिए किया था कि तुम्हे फ़िक्र पड़ जाए कि मैने ऐसा क्यूँ किया है….!

क्या बात हुई….?

खुद ही तुमसे नही बोलना चाहती थी….ख्वाहिश थी कि तुम खुद मुझसे बोलो….नाराज़ हो गये थे ना मेरे बाप की हरकत पर….?

अरे नही….

तो क्यूँ चुप-चाप मुझे उन लोगों के हवाले कर दिया था….?

ऐसा ना करता तो खुद भी बंद कर दिया जाता….
लेकिन तुम इतनी रात गये तक क्यूँ भीगति फिर रही हो….?

मेरा बाप तुमसे मिलना चाहता है….

इस वक़्त….?

हाँ इसी वक़्त….

कोई ख़ास बात….?

मैं नही जानती….तुम यह बताओ कि चलोगे या नही….?

सोचना पड़ेगा….

क्या सोचना पड़ेगा….?

यही कि तुम्हारे साथ चलूं या ना चलूं….

हिचकिचाहट की वजह….?

पता नही खुद मिलना चाहता है या कोई और उसके ज़रिए मिलना चाहता है….!

नही वो खुद मिलना चाहता है….यह सवाल पहले ही कर चुकी हूँ….अहमक तो नही हूँ….!

अच्छी बात है चलूँगा…. लेकिन किसी टेलिफोन बूथ से घर इततेला दूँगा कि कहाँ जा रहा हूँ….!

ज़रूर….ज़रूर….तुम हर तरह अपना इतमीनान कर लो

इमरान ने एक ड्रग स्टोर से ब्लॅक-ज़ीरो को फोन किया….
और जल्दी ही गाड़ी की तरफ पलट आया….!

छतरी और बरसाती वाली बात अब तक मेरी समझमे नही आई….? इमरान गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा

तुम्हारी पोज़िशन सॉफ करना चाहती थी….यहाँ की पोलीस को जताना चाहती थी कि किस कदर दिमाग़ से उतरी हुई भी हूँ….
और खुद ही तुम्हारे पीछे पड़ी रहती हूँ….!

इसकी ज़रूरत नही थी….मैं डाइरेक्टर-जनरल का बेटा हूँ….!

अच्छी बात है….तो मैं डाइरेक्टर-जनरल को यह ज़ाहिर करना चाहती थी कि मेरे सिलसिले में मेरा बाप की चिंता बजा थी….उसने उनके बेटे पर अगवा का इल्ज़ाम नही लगाया था….
बल्कि मेरी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी….एक आधी दीवानी लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट….!

सच-मूच क्रॅक मालूम होती हो….

यही समझलो….कॉर्निला ने कहा….
फिर चौंक कर बोली….यह तुम किधर जा रहे हो….? मेरे घर का रास्ता तो नही है….?
इमरान कुछ ना बोला….

मेरी बात का जवाब दो….?

तुम्हारा मकान भरी पूरी बस्ती के करीब है….

मैं नही समझी….?

तन्हाई में तुमसे गुफ्तगू करना चाहता हूँ….

पता नही तुम क्या कह रहे हो….?

पागल हो गया हूँ….

मैं चीखना शुरू कर दूँगी….मुझे कहाँ ले जा रहे हो….?

पागल-खाने….तुम सुबह ही से शहेर में एलान करती फिर रही थी कि पागल हो गयी हो….!

गाड़ी शहेरी आबादी से निकल आई….

अच्छी बात है….चलो जहाँ चलते हो….मैं ज़ररा बराबर भी खिलाफ नही हूँ….!

अरे….तो क्या मैं भेड़िया हूँ कि मुझसे डरोगी….?

कितनी सुनसान और अंधेरी सड़क है….

छतरी खोलो लो….

मेरा मज़ाक़ मत उड़ाओ….!

ठीक उसी वक़्त उनकी गाड़ी की पीछे की तरफ से तेज़ किस्म रोशनी पड़ी….
और कॉर्निला मूड कर देखी….क….क….कि….किस की गाड़ी की सर्च लाइट….वो हक्लाई

लहज़ा अब मुझे रुक जाना चाहिए….इमरान ने अपनी गाड़ी को बाईं (लेफ्ट) तरफ सड़क के नीचे उतारते हुए कहा

यह क्या कर रहे हो….?

अगर….टाइयर का निशाना लेने के लिए सर्च लाइट खोली गयी है तो मैं ख़तरे में रहूँगा….!

फिर डर ने वाली बातें करने लगे….?

दूसरी गाड़ी करीब आ गयी….
और उसकी रफ़्तार भी कम होती नज़र आई….
फिर बराबर आ कर रुक गयी….!

इमरान अपने दोनो हाथ जाँघो पर रखे बैठा रहा….

कॉर्निला ख़ौफफज़दा नज़रों से पीछा करने वाली गाड़ी को देखे जा रही थी….

अचानक….गाड़ी से आवाज़ आई….तुम दोनो चुप-चाप गाड़ी उतर आओ….स्टॅन गन की ज़द (चपेट) पर हो….!

अरे….इन लोगों ने तो खिलोना बना लेना है मुझे….इमरान ठंडी साँस ले कर बोला

क….क….क्या वही हिप्पी….? कॉर्निला हक्लाई

ढांप भी हो सकता है….इमरान बोला
और दूसरी गाड़ी से फिर किसी ने उतर आने का हुक्म दिया….

इमरान हाथ उठाए हुए गाड़ी से उतरता हुआ कॉर्निला से उँची आवाज़ में बोला….तुम सीधी मेरे बाप के पास जाना….
और सूचित कर देना….!

हरगिज़ नही….गाड़ी से आवाज़ आई….लड़की तुम भी उतरो….!

फिर मेरी गाड़ी का क्या होगा….? इमरान ने गुस्सैले लहजे में सवाल किया

दूसरी गाड़ी से एक आदमी स्टॅन गन लिए उतरा….
और कॉर्निला से बोला….तुम हमारी गाड़ी में जाओ….

फिर एक आदमी उसी गाड़ी से उतर कर इमरान की तरफ बढ़ता हुआ बोला….तुम अपनी गाड़ी में बैठो….उसके हाथ में चोथा रेवोल्वेर था….!

यह हुई ना बात…. लेकिन पेट्रोल के दाम वसूल करूँगा….12 रुपये गैलन हो गया है….इमरान ने खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा

दूसरा आदमी इमरान को कवर किए हुए उसकी गाड़ी में बैठ गया….

अब गाड़ी को मोड़ कर वापस चलो….

इमरान ने एंजिन बंद नही किया था….चुप-चाप गाड़ी आगे बढ़ा कर शहेर की तरफ मोड़ दी….उसने सख्ती से होंठ भींच रखे थे….!

कॉर्निला पहले ही दूसरी गाड़ी में बैठ चुकी थी….अब दोनो गाड़ियाँ आगे-पीछे शहेर की तरफ वापस जा रही थी….!

करीब आधे घंटे बाद इमरान से गाड़ी को एक कच्चे रास्ते में मोड़ ने के लिए कहा गया….!

मेरे पास कोई फालतू पैसा नही है….इमरान गदगदा कर बोला

लेकिन बराबर बैठे हुए आदमी ने कुछ कहने की बजाय उसके हाथ में रेवोल्वेर की नाल का दबाब बढ़ा दिया….!

आख़िर यह ढांप मेरे पीछे क्यूँ पड़ गया है….? इमरान बोला

इमरान ने अपनी आदत अहमाक़ाना अंदाज़ में डरना चाहा….
लेकिन अंधेरे में कौन देखता है….!

सन्नाटे में गाड़ियों का शोर दूर-दूर तक फैल रहा था….आख़िर एक जगह इमरान से गाड़ी रोकने के लिए कहा गया….!

एंजिन बंद कर दिए गये….
लेकिन अब दूसरे किस्म का शोर फ़िज़ा में फैला हुआ था….ऐसा मालूम हो रहा था जैसे करीब ही कोई कारखाना हो….वो मशीनो के चलने की आवाज़ थी….

और फिर….थोड़ी ही देर में इमरान को मालूम हो गया कि वो कहाँ लाया गया है….वो एक विदेशी कारखाने के करीब लाए गये थे….जहाँ खाद बनाई जाती थी….फ़िज़ा में अंधेरा फैला हुआ था….उनसे एक तरफ चलने को कहा गया टॉर्च की रोशनी से रास्ता तय करते हुए वो एक इमारत तक पहुँचे जो उसी कारखाने के कॉंपाउंड में थी….!

अब तुम अपनी बकवास बंद कर दो….
और मुझे बताओ कि तुमने डॉक्टर शाहिद को कहाँ छुपा कर रखा है….? मुझे अच्छी तरह मालूम है कि तुम उसे तीन दिन पहले ढांप की क़ैद से छुड़ा कर ले गये थे….!

और तुम्हारे आदमी दुम दबा कर भाग गये थे….इमरान ने हिकारत (तिरस्कार) से कहा

उसी रात मुझे अंदाज़ा हो गया था कि ढांप तुम्हारा ही स्टंट हो सकता है….!

मेरा स्टंट….इमरान ने हैरत से कहा….वो किस तरह माइ डियर हिप्पी….?

जिस तरह तुम उसे ललकार रहे थे मैने यही अंदाज़ा लगाया था….कोई समझदार आदमी ऐसी हरकत नही कर सकता जैसे तुमने की थी….!

समझदार आदमी ना….मैं समझदार कब हूँ….अब यही देखलो तुम्हारा एक आदमी मुझ पर रेवोल्वेर ताने खाड़ा है….
अगर सनक जाउ तो इसकी परवाह किए बगैर तुम्हारे जबड़े पर घूँसे रसीद कर सकता हूँ….!

च….च….चुप रहो….कॉर्निला रोए जा रही थी

वाक़ई तुम्हारा कहना मान लेना चाहिए था….इमरान उसकी तरफ मूड़ कर बोला….चलो चलते है तुम्हारे घर….!

तुम जहाँ कहीं भी होते….तुम्हे यहीं आना पड़ता….हिप्पी घुर्राया….मेरे आदमी सुबह से लड़की का पीछा कर रहे थे….!

और पहनो बरसाती….
और लगाओ छतरी सूखे मौसम में….इमरान कॉर्निला की तरफ देख कर हाथ नचा कर बोला….खुदा का शूकर है कि मोकामी लफंगे तुम्हारी तरफ मुतवजा (अट्रॅक्ट) नही हुए….
वरना तुम इस वक़्त धूतर मछली का सूप पी रही होती….!

मैं कहता हूँ बकवास बंद करो….
और डॉक्टर शाहिद का पता बताओ….?

420 डार्लिंग स्ट्रीट….!

इसके पैर में फाइयर करो….हिप्पी मूड कर दहाडा

लेकिन….इमरान ने फाइयर होने पहले ही हिप्पी पर छलाँग लगा दी….कॉर्निला चीखने लगी….फाइयर हुआ….
लेकिन बे-मक़सद….कॉर्निला दौड़ कर एक कोने में जा खड़ी हुई….
और बुरी तरह काँपती रही….!

हिप्पी दीवार से जा टकराया था…. और रेवोल्वेर वाले ने कमरे में दाखिल हो कर इमरान पर एक फाइयर झोंक दिया….

कॉर्निला की चीख निकल गयी….इमरान ने कला बाज़ी खाई….
और फर्श पर बेहिसस-ओ-हरकत हो गया….!

ओ मरदूद….यह क्या किया….हिप्पी दहाड़ता हुआ आगे बढ़ा

कॉर्निला दोनो हाथों से चेहरा छुपाए फर्श पर बैठ गयी….

हिप्पी झुक कर इमरान को सीधा करने लगा….इमरान ने आखें खोली….मुस्कुराया
और उसे आँख मारता हुआ उठ बैठा….!

वो दोनो ही बौखला कर पीछे हटे….
और उसी हालात में….
अचानक इमरान ने रेवोल्वेर वाले पर हाथ डाल दिया….साथ ही उसकी लात हिप्पी के सीने पर पड़ी….!

कॉर्निला फिर चीखने लगी….
लेकिन इस बार इमरान को बढ़ावा दे रही थी….शाबाश….मार डालो….फाइयर करो….मार डालो….!

लेकिन इमरान उन्हे सिर्फ़ कवर किए हुए खड़ा रहा….

फिर बेवक़ूफी कर रहे हो….कॉर्निला बेचैन अंदाज़ में बोली….मार डालो….यह वही लोग मालूम होते है….जो मेरे बाप को ब्लॅकमेल करते रहते है….कभी ढांप के रूप में कभी हिप्पी बन कर….!

ना यह ढांप है ना हिप्पी….इमरान सर्द लहजे में बोला

वो दोनो अपने हाथ उपर उठाए खड़े थे….

त….त….तुम्हे ग़लतफहमी हुई है….हिप्पी ने ज़बरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश की

कैसी ग़लतफहमी माइ डियर मिस्टर.डेविड….?
 
हिप्पी उछल पड़ा….
और इमरान को ऐसे आँखें फाड़-फाड़ कर देखने लगा जैसे….
अचानक उसके सर पर सींग निकल आए हो….!

नही….वैसे ही चुप-चाप खड़े रहो….
वरना लड़की के मशवरे पर अमल कर दूँगा….इमरान ने रेवोल्वेर को जुम्बिश दे कर कहा

हम यहाँ तन्हा नही है….

तुम दोनो के अलावा अब इस इमारत में और कोई नही है….जितने भी थे यहाँ से हटा दिए गये….!

क्या मतलब….?

इस बार मैं लड़की को अगवा कर के नही ले जा रहा था….सिर्फ़ यह देखना चाहता था कि अब तुम क्या करने वाले हो….तुम्हारे आदमियों के पीछे मेरे आदमी थे….!

यानी पोलीस….?

सवाल ही पैदा नही होता….मैं अपने आदमियों की बात कर रहा था….मेरा गिरोह बहुत बड़ा है….यहाँ से युरोप तक चरस का कारोबार दो-चार आदमियों ने नही संभाल रखा….क्या तुम ने अभी किसी उदास बिल्ली की मियो-मियो नही सुनी थी….?

सुनी थी….डेविड भर्राई हुई आवाज़ में बोला

वो मेरी ही बिल्ली थी….मुझे इत्तेला दे रही थी….बाहर सारे आदमी पकड़ लिए गये है….!

अच्छा….तो फिर….?

तुम मुझसे पूछ रहे हो…? इमरान मुस्कुरा कर बोला….आख़िर क्या पूछ रहे हो….? माइ डियर डेविड नाप क्रॉस….
लेकिन नाप क्रॉस तो तुमने इस वक़्त अपने मासनवी (आर्टिफिशियल) बालों के पीछे छुपा लिया है….!

हिप्पी कुछ ना बोला….हैरत से इमरान को घूरता रहा….

फिर उसने रुक-रुक कर कहा….देखो आपस के झगड़े से फ़ायदा उठा कर ढांप अपना काम कर जाएगा….!

वो तो कर भी चुका अपना काम मिस्टर. नाप क्रॉस….

क्या मतलब….?

यह देखो….इमरान कहता हुआ जेब से रेडीमेड मेक-अप निकाला….
और नाक पर फिट कर लिया….!

यही था चीफ….दूसरा आदमी बेसखता बोला

त….त….तुम….ढांप….? कॉर्निला बौखलाई

हाँ….तुम भी मुझे पहचानती हो….देख चुकी हो….!

मेरे खुदा….कॉर्निला ने कहा और ज़ोरदार कहकहा लगाया

अब इस वक़्त आधे तीतर के सामने पूरा बटेर मौजूद है….क्या ख़याल है मिस्टर.नाप क्रॉस….खैर अब आओ असल मामले की तरफ….इस पर ज़िंदगी का एहसान है….

वरना तुम बाज़ाबता तौर पर मेरे मुल्क में दाखिल नही हुए हो कि किसी को तुम्हारी तलाश नही होगी चुप-चाप दफ़न कर दिए जाओगे….!

क्या कहना चाहते हो….? डेविड दहाडा

शोर मत मचाओ….इस वक़्त कोई इस इमारत में कदम रखने की जुर्रत भी नही कर सकता….मैं यह कह रहा था कि शाहिद के खिलाफ जो चीज़ें इस्तेमाल करने वाले थे वो मेरे हवाले कर दो….
शायद इस तरह मैं तुम्हे ज़िंदा निकल जाने दूं….!

मैं नही समझा तुम क्या कह रहे हो….?

वो सारी तस्वीरें और नेगेटीव्स समेत….!

मेरे लिए यह गुफ्तगू कतई बेतूकी है….मैं कुछ भी नही समझ सकता….!

मैं तुम्हारी संस्था की पूरी हिस्टरी से वाक़िफ़ हूँ मिस्टर डेविड….मुझे मालूम है कि अफ्रीका तुम्हारे सुपुर्द किया गया है….!

डेविड मुतहिराना (चकित) अंदाज़ में पलकें झपकाता रहा….!

मैं जब चाहता तुम पर हाथ डाल लेता….इमरान ने कहा….
लेकिन वक़्त गुज़ारी इसके लिए ज़रूरी हो गयी थी कि तुम्हारे असल मिशन से नवाक़िफ़ था….अब मालूम हो गया है कि तुम शाहिद से क्या चाहते हो….ज़ाहिर है कि अब तुम्हारे फरिश्तों को भी मालूम नही हो सकेगा कि दिल का ऑपरेशन कब और कहाँ होगा….
और यह भी ज़रूरी नही कि शाहिद ही इसके लिए चुना जाए….शाहिद ज़्यादा ताजूर्बेकार सर्जन यहाँ मौजूद है….!

हिप्पी मुँह चला कर रह गया….

अगर तुमने वो तस्वीरे और नेगेटीव्स मेरे हवाले कर दिए तो वादा करता हूँ कि तुम्हारे लिए ऐसी लॉंच का इंतज़ाम कर दूँगा जिस के ज़रिए तुम खलिफ़ (खाड़ी) के किसी भी बंदरगाह तक पहुँच सको….तुम्हे और तुम्हारे आदमियों को निकल जाने दूँगा….!

हिप्पी कुछ ना बोला….

जल्दी करो….मेरे पास वक़्त कम है….

ठीक है मैं गैर क़ानूनी तौर पर तुम्हारे मुल्क में दाखिल हुआ हूँ….मुझे पोलीस के हवाले कर दो….इसके अलावा मेरे खिलाफ और कुछ साबित नही किया जा सकता….!

सवाल यह है कि मैं तुम्हे ख़त्म कर के दफ़न कर सकता हूँ….
तो फिर…. क्या ज़रूरत है इतने झगड़े की….यह देखो तुम्हे इस तरह मार डालूँगा

इमरान ने उसके साथी के ठीक दिल पर फाइयर किया….वो आवाज़ निकाले बगैर लड़खड़ाया और फर्श पर ढेर हो गया….

नही….कॉर्निला और डेविड एक साथ चीखे….उसके साथी ने थोड़ी देर हाथ-पैर चलाए….
और ठंडा हो गया….!

यह तुमने क्या किया….कॉर्निला रुआंसी आवाज़ में बोली

अब मैं इसके साथ भी यही करने जा रहा हूँ….

ठहेरो….डेविड दोनो हाथ उठा कर बोला

जल्दी करो….

मैं सब कुछ तुम्हारे हवाले कर दूँगा….एल….ले….लेकिन….लॉंच….?

वादा करता हूँ मुन्हैय्या कर दूँगा….

जहाँ कहो मुझे ले चलो….

ग़लत बात….जहाँ वो तस्वीरें है उस जगह की निशानदेही कर दो….हासिल करते ही तुम्हारी आज़ादी का परवाना लगा दूँगा….!

अच्छी बात है….डेविड फँसी-फँसी सी आवाज़ में बोला

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तीसरे दिन रहमान साहब ने इमरान को तलब किया….
और उसे इस तरह घूरे जा रहे थे….जैसे उसे मार ही देंगे….!

इमरान सर झुकाए बैठा रहा….

आख़िर वो घुर्राए….यह तुमने क्या किया….?

जी….इमरान चौंक कर बोला….मैने तो कुछ भी नही किया….!

समंदर से 8 सफेद फामो की लाश बरामद हुई है….जिनमे से एक की पैशानि पर वही निशान मौजूद है जिस का ज़िक्र तुमने डेविड के सिलसिले में किया था….!

तो इसमे मेरा क्या कसूर है….मैने भी सुना था कि कुछ ना-मालूम आदमी सी कस्टम्स की एक लॉंच ले भागे थे….
लेकिन कुछ ही दूर जाने के बाद लॉंच धमाके के साथ डूब हो गयी….!

वो खुद ले भागे थे….?

अब मैं क्या अर्ज़ करूँ….मैं वहाँ मौजूद नही था….!

तुमने डेविड से वो तस्वीरें किस तरह हासिल की थी….?

कुछ धमकियाँ दी थी….

मुझसे अड़ने की कोशिश कर रहे हो….रहमान साहब मेज़ पर हाथ मार कर दहाड़े

क्या वो आधा तीतर अड़ने के काबिल था कि आधा बटेर अड़ने की कोशिश करेगा….आप यक़ीन की जिए कि मैं उस हादसे के बारे में कुछ भी नही जानता….!

महेज़ तुम्हारी धमकियों से डर कर क्रॉस ने तुम्हारी माँग पूरी दी थी….?

जी हाँ….

बकवास मत करो….तुमने उसके एवज़ उसे यहाँ से गैर क़ानूनी तौर पर निकलवा देने का वादा किया होगा….?

किया तो था…. लेकिन......
वो बे-सबरा निकला….चोरी की लॉंच का तो यही हश्र होना था….यह सी कस्टम्स वाले बॉम्ब वग़ैरा भी रखते है अपनी लौन्चो में….कहीं कोई पड़े-पड़े तंग आ कर फट गया होगा….अच्छा ही हुआ….
वरना अगर वो पकड़े भी जाते तो कितने दिनों की सज़ा होती….रिहा हो कर फिर तीतर उड़ाते फिरते….!

खामोश रहो….तुमने उसके लिए एक ऐसी लॉंच मुन्हैय्या की थी जिस में टाइम-बॉम्ब रखा हुआ था….!

अगर किसी तरह साबित हो सके तो मैं फाँसी पाने के लिए तैयार हूँ….!

मैं कह रहा हूँ बकवास मत करो….रहमान साहब मेज़ पर घूँसा मार कर दहाड़े

जी बहुत अच्छा….सादतमंद अंदाज़ में कहा….
और सर झुकाए बैठा रहा….चहरे पर अहमक़ों के डॉगर बरस रहे थे

रहमान साहब थोड़ी देर उसे घूरते रहे….
फिर उठ कर बाहर चले गये….!
आज सुलेमान की बारात आने वाली थी….घर में हंगामा भरपा था….

इमरान ने वहाँ से निकल कर हंस के घर की राह ली….कॉर्निला को भी काबू में रखना था….
क्यूँ कि डेविड से सारी गुफ्तगू उसकी मौजूदगी में हुई थी….
 
जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाओ….इमरान ने कॉर्निला से कहा….
वरना तुम्हारा बाप फिर ख़तरे में पड़ जाएगा….!

वो किस तरह….?

तुम्हारे बाप के खिलाफ डेविड की हिरासत से जो कुछ चीज़ें बरामद हुई थी सब की सब मैने तुम्हारे हवाले नही किया है….!

क….क….क्या मतलब….?

सिर्फ़ ज़मानत के तौर पर मैने उसका एक हिस्सा अपने पास रख लिया है….ताकि तुम मेरे खिलाफ कभी अपनी ज़ुबान ना खोल सको….!

अरे….तुम मुझे ऐसा समझते हो….शर्म करो….मैं तुम्हे कितना चाहती हूँ….!

चाहती भी हो….? इमरान ख़ौफफज़दा लहजे में बोला

यक़ीन करो….शायद मुझे तुम्हारा ही इंतेज़ार था….आज तक किसी को नही चाहा….!

बहुत बे-धब चाहा तुम ने….

अरे हाँ….अब डॅडी ने उगला है उसी ने उन्हे हुक्म दिया था कि इमरान को अपने घर बुलवाओ….
और उसी कहने पर मेरी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी….!

ख़त्म भी करो….मैं कहा ना सब कुछ भूल जाओ….!

तो तुमने उसके लिए लॉंच मुन्हैय्या करदी थी….?

वादे का पक्का हूँ….
लेकिन शाम के अख़बारात देख कर मुझे किसी किस्म का इल्ज़ाम ना देना….!

क्या मतलब….?

फिलहाल कुछ भी नही….बस हर हाल में अपनी ज़ुबान बंद रखना….!

मैं एहसान फारमोश नही हूँ….डार्लिंग….!

डार्लिंग भी….? इमरान कराहा

उसी शाम वो सुलेमान की बारात घर पहुँचा कर ऐसे गायब हुआ जैसे गधे के सर से सींग….

सुलेमान और जोसेफ दोनो ही शेरवानी और चूड़ीदार पाजामे में थे….सुलेमान ने सेहरा और मखफा भी डाल रखा था….
और जोसेफ उसे देख-देख कर ऐसे शरमा रहा था जैसे उसकी शादी सुलेमान के साथ होने जा रही हो….

निकाह हो गया….
और घलाला बुलंद हुआ कि दूल्हा अंदर जाएगा….सुलेमान तख्त से नीचे उतर आया….!
यह कैसे जाना….

बॉस बोला था….जोसेफ ने सरगोशी की

अबे चुप….यहाँ से नही….शर्म आती है….राहदारी में पहुँच कर….!

अच्छा….अच्छा….चलो….जोसेफ उसे आगे बढ़ता हुआ बोला

लड़कियाँ राहदारी में आ खड़ी थी….खूब-खूब फब्तियाँ हुई दोनो पर….
लेकिन उस वक़्त तो उनकी हैरत की इंतेहा ना रही जब उन्होने सुलेमान को घोड़ा बनते देखा….
और जोसेफ उस पर सवार हो गया….सुलेमान हथेलियों….
और घुटनों के बल चल रहा था….!

फिर ऐसा हंगामा हुआ कि रहमान साहब भी दौड़े आए….

यह क्या बेहूदगी है…? वो हलक फाड़ कर दहाड़े
और सुलेमान बौखला कर खड़ा हो गया….जोसफ धडाम से नीचे गिर गया….!

लगाऊ जूते….रहमान साहब सुलेमान का गिरेबान पकड़ते हुए बोले

हुज़ूर….मेरे साहब ने कहा था….यही रीत है खानदान की….चंगेज़ ख़ान साहब के ज़माने से चली आ रही है….!

क्यूँ बकवास कर रहा है….?

यस सर….यही बोला था….हम की जाने….जोसेफ गिडगिडाया

मैं तो अब खुद खुशी कर लूँगा….सुलेमान ने इतनी ज़ोर से अपने सर पर हाथ चलाया कि पगड़ी उछल कर दूर जा पड़ी

बोला था बॉस….दूल्हा घोड़ा बनता….शाह बाला सवार करता….तब दूल्हा अंदर जाता….जोसेफ मुसलसल घिघियाए जा रहा था

लड़कियाँ खी-खी करती हुई अंदर भाग गयी….

पूरी कोठी में कह-कहे गूँज उठे….

रहमान साहब दाँत पीसते हुए बाहर चले गये….

इमरान का दूर-दूर तक पता नही था….

खुदा-खुदा कर के रुखसती का वक़्त आया….जोसेफ ने ख्वतीनों को रोते हुए देखा तो खुद भी दहाड़े मारने लगा

अबे चुप….बे चुप….यह क्या करता है….सुलेमान उसे झींझोड़ते हुए आहिस्ता से कहा….क्या सच-मूच जूते ही खिलवाएगा….पता नही कब का बदला लिया गया है मुझसे….खुदा मुझे गैरत करे….!

हाऐं….हम क्या करे सुलेमान भाई….यह औरत लोग क्यूँ रोता….?

बहुतो का रोना हसी में तब्दील हुआ….
और वो वहाँ से भाग खड़ी हुई….!

सुलेमान ने जोसेफ का मुँह दबा दिया….

रहमान साहब पहले ही कोठी की हद से बाहर निकल चुके थे….
वरना फिर कोई हंगामा खड़ा हो जाता….!

जोसेफ मुसलसिल रोए जा रहा था….
और सुलेमान किसी भड़के हुए घोड़े की तरह निकल भागने का रास्ता तलाश कर रहा था….!

हाऐं….सुलेमान भाई ना-इंसाफ़ नही हूँ….औरत रोता है….मर्द नही रोना साला….हम तो रोएगा….!

मेरी माँ मुझे रोए….सुलेमान अपने सीने पर घूँसा मार कर बोला….अब मैं क्या करूँ….!

रोने वालिया किसी और तरफ चली गयी थी….
और फिर….वहाँ क़हक़हे ही क़हक़हे थे….!


दा एंड
 
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