desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
लेकिन तुम यह बताओ कि डेविड से क्या चाहते हो….?
मैं….मैं सिर्फ़ उसे मार डालना चाहता हूँ….
जब से वो तस्वीरें उसके हाथ लगी है…..मैं भी यही चाहता हूँ मिस्टर ढांप….!
मैं उसे कैसे भी मार डालूँगा….तुम सकून में रहो….
बहेरहाल अब मोनिका उसके फंदे में फँस गयी है….!
मैं नही समझा….?
उन तस्वीरों के ज़रिए डेविड ने उसे उलझा लिया है….
मुझे मालूम नही था….
मैं जानता हूँ…. और उस जगह से भी वाक़िफ़ हूँ जहाँ उनकी मुलाक़ातें होती है….!
मुझे बताओ….मुझे बताओ….मैं खुद ही उसे मार डालूँगा
नही दोस्त….वो मेरा शिकार है….मैने उसके लिए बड़ी मेहनत की है….
लहज़ा अपनी मेहनत का फल तुम्हारे हवाले नही कर सकता….!
अब मेरी समझमे नही आता कि मैं क्या करूँ….?
बस उसके बारे में जो कुछ मालूम हो सके मुझे बताते रहो….
मेरा ख़याल है जितना तुम जानते हो उसके बारे में….
शायद मैं भी नही जानता….डगमोरे ने कहा
खैर….बहेरहाल….मैं देखूँगा कि तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ….इमरान ने कहा….
और सिलसिला कट कर दिया
उसके बाद उसने सुलेमान को आवाज़ दी….अबे….रिहर्सल हो रही है या नही….?
क….क….कैसी रिहर्सल….?
जैसे बताया था….शेरवानी पहेन कर….!
मुझे शर्म आती है….सुलेमान झेंप कर बोला
तब तो यह शादी हरगिज़ नही हो सकेगी….
मैने तो कहीं ऐसा नही होते देखा….?
मेरे खानदान की कोई शादी देखी है तूने….?
कैसे देख सकता हूँ….मेरी पैदाइश से भी पहले कभी हुई होगी कोई शादी….सुलेमान जल कर बोला
बस तो फिर वही कर जो मैं कह रहा हूँ….!
अरे….तो क्या वो आप के खानदान की है….?
उस घर में अगर कोई कुत्ते का पिल्ला भी पैदा हुआ है तो वो भी मेरे ही खानदान का है….!
सुलेमान आलू और छुरी फेंक कर आसमान की तरफ हाथ उठा जोड़ता हुआ गिडगिडाया….मौला मुझे उनके घर से पैदा होने से बचाओ….!
आमीन….इमरान दहाडा….शादी कर देने के बाद में दो जूते लगाउन्गा….
और दोनो को घर से निकाल दूँगा….!
होने भी दी जिए शादी…. फिर चाहे क़ीमा कर के रख दी जिएगा….!
ऐसे ही होगी शादी….छोड़ हांड़ी….कर रिहर्सल….!
इस शैतान के बच्चे को शाह बलाया वाला बनाया है….रीढ़ की हड्डी टूट गयी तो क्या करूँगा शादी कर के….?
नही टूटेगी….
अरे बाप रे….सुलेमान दाँत खचखचा कर बोला....रिहर्सल….
फिर इमरान ने जोसेफ को आवाज़ दी….वो आया और बे-हिस-ओ-हरकत खड़ा रहा….!
तूने रिहर्सल नही किया आज….इमरान उसे घूरता हुआ बोला….
और जोसेफ ने दाँत निकाल दिए
अजीब रस्म है बॉस….
इसे अजीब कहता है….
और तुम जो माशुंबा माशहुमही करता रहता है….?
तुम लोग तो मज़हबी हो बॉस….
सिर्फ़ सॉफ सुथरे कपढ़े पहेन्ने और रोज़ाना गुसल करने की हद तक….!
कहीं उसे चोट ना आ जाए….जोसेफ ने सुलेमान की तरफ देख कर कहा
मर भी जाए तो परवाह नही….शादी तो हो जाएगी….!
ठीक उसी वक़्त फोन की घंटी बजी….
इमरान हाथ बढ़ा कर रिसीवर उठाया….
जोसेफ सुलेमान एक दूसरे को घूरते रहे….
हेलो….कौन साहब है….?
“शाहिद”
अच्छा….अच्छा….क्या खबर है….?
मैं एहतियातन एक पब्लिक टेलिफोन बूत से गुफ्तगू कर रहा हूँ….
कोई ख़ास बात….?
बहुत ख़ास बात….वो ही जिस के आप इंतेज़ार में थे….!
अच्छा….उस टेलिफोन बूत की निशानदेही करो….?
अवामी सूपर मार्केट के करीब वाला….!
मार्केटों के बारे में सिर्फ़ सुलेमान जानता है….सेक्टर का नाम बताओ….?
8थ शाहेरा….!
ठीक…तो इस बूत ही के करीब केफे कोहान है वहाँ मेरा इंतेज़ार करो….!
बहुत बेहतर….!
तुम्हे यक़ीन है कि तुम्हारी निगरानी नही हो रही….
इस किस्म की कोई यक़ीन दहानी नही कर सकता….मुझे सलीका नही है यह सब मालूमत कर लेने का….!
परवाह ना करो….मैं अभी आया….!
रिसीवर रख कर वो दोनो की तरफ मुड़ा….वापसी पर रिहर्सल देखूँगा….!
ब….बो….बॉस….वो पाजामा ढीला नही हो सकता….? जोसेफ ने पूर तकलीफ़ लहजे में पूछा
क्यूँ….? क्या दुश्वाअरी है…..?
पिंडलियों पर बड़ी मुश्किल से चढ़ता है….
यह तो अच्छी बात है एक दूसरे को पाजामा पहनने की भी मश्क़ (अभ्यास) हो जाएगी….!
मैं….मैं सिर्फ़ उसे मार डालना चाहता हूँ….
जब से वो तस्वीरें उसके हाथ लगी है…..मैं भी यही चाहता हूँ मिस्टर ढांप….!
मैं उसे कैसे भी मार डालूँगा….तुम सकून में रहो….
बहेरहाल अब मोनिका उसके फंदे में फँस गयी है….!
मैं नही समझा….?
उन तस्वीरों के ज़रिए डेविड ने उसे उलझा लिया है….
मुझे मालूम नही था….
मैं जानता हूँ…. और उस जगह से भी वाक़िफ़ हूँ जहाँ उनकी मुलाक़ातें होती है….!
मुझे बताओ….मुझे बताओ….मैं खुद ही उसे मार डालूँगा
नही दोस्त….वो मेरा शिकार है….मैने उसके लिए बड़ी मेहनत की है….
लहज़ा अपनी मेहनत का फल तुम्हारे हवाले नही कर सकता….!
अब मेरी समझमे नही आता कि मैं क्या करूँ….?
बस उसके बारे में जो कुछ मालूम हो सके मुझे बताते रहो….
मेरा ख़याल है जितना तुम जानते हो उसके बारे में….
शायद मैं भी नही जानता….डगमोरे ने कहा
खैर….बहेरहाल….मैं देखूँगा कि तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ….इमरान ने कहा….
और सिलसिला कट कर दिया
उसके बाद उसने सुलेमान को आवाज़ दी….अबे….रिहर्सल हो रही है या नही….?
क….क….कैसी रिहर्सल….?
जैसे बताया था….शेरवानी पहेन कर….!
मुझे शर्म आती है….सुलेमान झेंप कर बोला
तब तो यह शादी हरगिज़ नही हो सकेगी….
मैने तो कहीं ऐसा नही होते देखा….?
मेरे खानदान की कोई शादी देखी है तूने….?
कैसे देख सकता हूँ….मेरी पैदाइश से भी पहले कभी हुई होगी कोई शादी….सुलेमान जल कर बोला
बस तो फिर वही कर जो मैं कह रहा हूँ….!
अरे….तो क्या वो आप के खानदान की है….?
उस घर में अगर कोई कुत्ते का पिल्ला भी पैदा हुआ है तो वो भी मेरे ही खानदान का है….!
सुलेमान आलू और छुरी फेंक कर आसमान की तरफ हाथ उठा जोड़ता हुआ गिडगिडाया….मौला मुझे उनके घर से पैदा होने से बचाओ….!
आमीन….इमरान दहाडा….शादी कर देने के बाद में दो जूते लगाउन्गा….
और दोनो को घर से निकाल दूँगा….!
होने भी दी जिए शादी…. फिर चाहे क़ीमा कर के रख दी जिएगा….!
ऐसे ही होगी शादी….छोड़ हांड़ी….कर रिहर्सल….!
इस शैतान के बच्चे को शाह बलाया वाला बनाया है….रीढ़ की हड्डी टूट गयी तो क्या करूँगा शादी कर के….?
नही टूटेगी….
अरे बाप रे….सुलेमान दाँत खचखचा कर बोला....रिहर्सल….
फिर इमरान ने जोसेफ को आवाज़ दी….वो आया और बे-हिस-ओ-हरकत खड़ा रहा….!
तूने रिहर्सल नही किया आज….इमरान उसे घूरता हुआ बोला….
और जोसेफ ने दाँत निकाल दिए
अजीब रस्म है बॉस….
इसे अजीब कहता है….
और तुम जो माशुंबा माशहुमही करता रहता है….?
तुम लोग तो मज़हबी हो बॉस….
सिर्फ़ सॉफ सुथरे कपढ़े पहेन्ने और रोज़ाना गुसल करने की हद तक….!
कहीं उसे चोट ना आ जाए….जोसेफ ने सुलेमान की तरफ देख कर कहा
मर भी जाए तो परवाह नही….शादी तो हो जाएगी….!
ठीक उसी वक़्त फोन की घंटी बजी….
इमरान हाथ बढ़ा कर रिसीवर उठाया….
जोसेफ सुलेमान एक दूसरे को घूरते रहे….
हेलो….कौन साहब है….?
“शाहिद”
अच्छा….अच्छा….क्या खबर है….?
मैं एहतियातन एक पब्लिक टेलिफोन बूत से गुफ्तगू कर रहा हूँ….
कोई ख़ास बात….?
बहुत ख़ास बात….वो ही जिस के आप इंतेज़ार में थे….!
अच्छा….उस टेलिफोन बूत की निशानदेही करो….?
अवामी सूपर मार्केट के करीब वाला….!
मार्केटों के बारे में सिर्फ़ सुलेमान जानता है….सेक्टर का नाम बताओ….?
8थ शाहेरा….!
ठीक…तो इस बूत ही के करीब केफे कोहान है वहाँ मेरा इंतेज़ार करो….!
बहुत बेहतर….!
तुम्हे यक़ीन है कि तुम्हारी निगरानी नही हो रही….
इस किस्म की कोई यक़ीन दहानी नही कर सकता….मुझे सलीका नही है यह सब मालूमत कर लेने का….!
परवाह ना करो….मैं अभी आया….!
रिसीवर रख कर वो दोनो की तरफ मुड़ा….वापसी पर रिहर्सल देखूँगा….!
ब….बो….बॉस….वो पाजामा ढीला नही हो सकता….? जोसेफ ने पूर तकलीफ़ लहजे में पूछा
क्यूँ….? क्या दुश्वाअरी है…..?
पिंडलियों पर बड़ी मुश्किल से चढ़ता है….
यह तो अच्छी बात है एक दूसरे को पाजामा पहनने की भी मश्क़ (अभ्यास) हो जाएगी….!