desiaks
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नमस्कार मित्रों! मेरा नाम रवि चैधरी है। मैं 23 साल का हूँ और भोपाल के पास एक छोटे से गांव से हूँ। और भोपाल के हबीबगंज इलाके में किराये का रूम लेकर रहता हूँ और पास के ही काॅलेज से बीएससी कर रहा हूँ। मैं पार्ट टाइम में अपने आस पास के मोहल्ले में होम ट्यूशन भी देता हूँ। तो दोस्तों आज मैं आपको जो पार्न स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ उसमें मैंने अपने स्टूडेंट की मां की चूत चुदाई की।
दोस्तों, मैं अपनी स्टोरी पर आता हूँ और विस्तार से बताना शुरू करता हूँ। तो बात ऐसी है कि मैं पास में ही एक होम ट्यूशन देने जाता था। बच्चा इंग्लिश मीडियम की आठवीं क्लास का था। मैं उसे बहुत मेहनत से पढ़ाता था और उसके पेरेंट्स मुझसे बहुत खुश थे। लेकिन अचानक एक दिन बच्चे के पिता का ट्रांस्फर दूसरे शहर हो गया और मुझे फोन करके पढ़ाने के लिये मना कर दिया। पर मेरे व्यवहार को देखते हुये उन्होंने मुझे एक पता दिया जो उनके किसी रिश्तेदार का था और कहा कि उस पते पर चले जाना क्योंकि उनको एक होम ट्यूटर की जरूरत थी। और मैं अगले दिन उनके बताये हुये पते पर पहुंचा और डोरबेल बजायी। और दरवाजा एक तीस साल की युवती ने खोला जो शायद बच्चे की मां थी, एक मिनट तो मैं उन्हें निहारता ही रहा, क्योंकि वह थी ही इतनी टनाटन माल।
गोल फेसकट वाला दूध सा उजला चेहरा और भरे भरे गाल, गुलाब की पंखुड़ियों से उनके होठ और माथे पर छोटी सी लाल बिंदी तो कयामत थी। पर्फेक्ट ट्रिम्ड शेप वाली बाॅडी, और उस पर 32 इंच की कमर, उनकी ब्यूटी को और भी बढ़ा रही थी। लेकिन मैंने अपने आप को संभाला और फिर अपना परिचय दिया तो उन्होंने मुझे अंदर बुला कर बैठाया। मैंने उनको अपने बारे में पूरी जानकारी दी और थोड़ी बातचीत की, उनका नाम नेहा था, फिर वह मुझे उनके बच्चे को पढ़ाने के लिये राजी हो गयी क्योंकि उनके रिश्तेदार मेरी तारीफ पहले ही उनसे कर चुके थे। फिर अपने बच्चे को बुलाया, जो फोर्थ क्लास में था और करीब सात साल का था
और उसका नाम उत्कर्ष था। इसके बाद उन्होंने मुझे अगले दिन से शाम को पढ़ाने का समय दे दिया। मैं तुरंत राजी हो गया क्योंकि उनकी ब्यूटी के आगे मैं फेल हो चुका था, मैं तो उनके बेटे को फ्री में भी पढ़ाने को तैयार हो जाता। और इस तरह अगले दिन से मेरा ट्यूशन का रूटीन शुरू हो गया। और पूरी मेहनत से उनके बच्चे को पढ़ाने लगा लेकिन जब भी वे मुझे ट्यूशन के दौरान चाय वगैरह देने आती तो मैं धीरे से उनको तड़ लिया करता और फिर वे अपने दूसरे रूम में चली जाती थी। करीब बीस दिन हो चुके था और उनको तड़तेहुए उन पर पूरी तरह मोहित था। इस बीच अब तक मैंने उनके पति को नहीं देखा था, शायद वह कोई प्राइवेट जाॅब करते थे और इसी कारण घर लेट आते थे।
रोज की तरह मैं अगले दिन ट्यूशन के लिये गया और बच्चे को पढ़ाने लगा। कुछ देर बाद वे मेरे लिये चाय लेकर आयी। कयामत तो उस समय आयी जब वह चाय का कप मेरी टेबल पर रखने के लिये झुकी तो साड़ी का पल्लू उनके कंधे से सरक गया और उनके गहरे कट वाले ब्लाउज से आधे से ज्यादा बाहर झांकते हुये गोल मटोल बूब्स मेरी आखों के सामने थे।
और मेरी भी नजरें उन पर गढ़ गयी और मेरे सेक्सी अरमान मचल गये। इसी बीच नेहा आंटी ने मुझे देखा और धीरे से पल्लू उठाते हुये मुस्कुरा कर चल दी। यह हमारे बीच वाली नजदीकियों की शुरूआत थी। क्योंकि उस किस्से के बाद उनके लटके झटके धीरे धीरे बढ़ने लगे, और मैं समझ गया कि वह भी मेरे हट्टे कट्टे शरीर की ओर आकर्षित हो रही थी। और इस तरह कुछ ही दिन बाद हम बातों बातों में करीब आने लगे। और मेरी नेहा आंटी की चूत मारने की बेताबी और बढ़ने लगी और धीरे धीरे उनके अंदर भी जोश जगाने की कोशिश करने लगा। और एक दिन वह सुनहरा मौका आ गया। रोज की तरह मैं उस दिन भी ट्यूशन पढ़ाने के लिये नेहा आंटी के घर पहुंचा। उस समय उत्कर्ष सो रहा था और उनके जगाने पर वह रोने लगा तो उन्होंने कहा कि आज मत पढ़ाइये,फिर मैं जाने लगा तो बोली कि चाय पी लो और चायबनाने किचेन में चली गयी। फिर मैं भी उठकर किचेन में चला गया और वहीं खड़े होकर उनसे बातें करने लगा।
और फिर धीरे से उनके गाल पर किस कर दिया। पहले तो वह मुझे गुस्से से घूरी पर मुस्कुराकर अपना काम करने लगी। और मैं समझ गया कि उनकी सहमति हां में है। और झटके से उनको अपनी ओर खीच कर उनके होठों को दबाकर जोर से किस कर दिया, पर उन्होंने मुझे धक्का देकर दूर कर दियाऔर चाय को बीच में छोड़कर गैस बंद करके किचेन से बाहर चली गयी। इस पर मैं भी घबरा कर उनकी ओर दौड़ा कि कहीं वे नाराज तो नहीं है। निकल कर देखा कि वे धीरे से उस कमरे की कड़ी बंद कर रही थी जिसमें उत्कर्ष सो रहा था। और मेरे कुछ समझने से पहले ही मेरे पास आकर मेरी शर्ट का काॅलर पकड़ कर मुझे अपने बेडरूम में लाकर अपने बेड पर ढकेल दिया और दरवाजा बंद कर लिया। और मेरे देखते ही देखते अपनी साड़ी उतार दी।
अब मुझे यह समझने में जरा भी देर न लगी नेहा आंटी भी चुदने के लिये उतनी ही उतावली हैं जितना मैं उनकी चूत में अपना लंड पेलने के लिये बेकरार था। और बिना एक पल रूके मेरे ऊपर चढ़कर मेरे होठों को चूमने लगी तो मैं भीउनका साथ देने लगा और चूमने लगा। और हमारी जीभें आपस में लड़ने लगी। और उनको चूमते हुये अपने हाथों से उनकी ब्लाउज खोल दिया और पीछे हाथ डालकर ब्रा के हुक खोलकर उसे भी हटा दिया। अब उनके सेब जैसे बूब्स हवा में लटक रहे थे। फिर मैंने उनके बूब्स को दबाना और निपल्लों को मसलना शुरू कर दिया जिसके कारण उनकी बाॅडी फड़फड़ाने लगी। और हम एक दूसरे को बेतहासा चूमने में बिजी थे और तभी मैंने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी। इसके बाद नेहा आंटी मुझे चूमते हुये नीचे नाभी तक उतर आयी और खुद ही मेरी पैंट खोलकर मेरी अंडरवियर में अपना हाथ डालकर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया। अब मेरा आठ इंच लंबा और करीब दो इंच मोटा पूरी तरह से तन कर टाइट हो चुका लौड़ा हवा में लहरा रहा था। जिसे देखकर नेहा आंटी की आंखें चकाचैंध हो गयी।
और बिना इंतजार किये उसे अपन मुंह में लेकर जोर जोर से माउथ फकिंग करने लगी और मेरी वासना की भूख को और बढ़ाने लगी। फिर इसके बाद हम दोनों की गर्मी बढ़ने लगी और आंटी चुदने के लिये तैयार थी। इसलिये खुद सारे कपड़े उतार कर नंगी और मैं भी नंगा हो गया।उनकी चूत से पानी निकल रहा था और वह एक बार झड़ चुकी थी। फिर वे मुझसे बेड पर लेटने को बोली तो मैं सीधा लेट गया और मेरा लंड तन कर हवा में खड़ा था। और फिर नेहा आंटी मेरे ऊपर बैठ गयी और गीली अपनी चूत के मुहाने को मेरे लंड पर रख दिया जिससे मुझे लंड का सुपाड़ा उनकी गर्म चूम में घुसने का अहसास हुआ और आंटी भी थोड़ा सिसक गई।
लेकिन मुझसे बर्दास्त न हुआ और मैंने उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उन्हें नीचे ढकेल लिया और मेरा पूरा लंड उनकी करारी चूत को फाड़ता हुआ बच्चेदानी से टकरा गया और वे दर्द से चीख पड़ी। पर कुछ देर बाद उछल उछल कर अपनी चूत चुदवाने लगी। और फिर हम दोनों चुदाई का मजा लेने और मैं उनकी चूत में ही झड़ गया। जब दोबारा मेरा लंड खड़ा हुआ तो मैंने इस बार उनको कुतिया बनाकर डाॅगी स्टाइल में करीब 30 मिनट तक चोदा। और चुदाई के भरपूर मजे लूटे। चुदाई करते करते दो घण्टे कब बीत गये पता ही नहीं चला। शाम हो चुकी थी और इसके बाद हमने कपड़े पहन लिये और फिर तुरंत ही मैं वहां से निकल आया।
तो दोस्तों इस तरह मैंने अपने स्टुडेंट की मां की चूत मार कर मजे लिये। मेरी यह स्टोरी पढ़ने के लिये थैंक्स। फिर मिलेंगे अगली स्टोरी के साथ।
दोस्तों, मैं अपनी स्टोरी पर आता हूँ और विस्तार से बताना शुरू करता हूँ। तो बात ऐसी है कि मैं पास में ही एक होम ट्यूशन देने जाता था। बच्चा इंग्लिश मीडियम की आठवीं क्लास का था। मैं उसे बहुत मेहनत से पढ़ाता था और उसके पेरेंट्स मुझसे बहुत खुश थे। लेकिन अचानक एक दिन बच्चे के पिता का ट्रांस्फर दूसरे शहर हो गया और मुझे फोन करके पढ़ाने के लिये मना कर दिया। पर मेरे व्यवहार को देखते हुये उन्होंने मुझे एक पता दिया जो उनके किसी रिश्तेदार का था और कहा कि उस पते पर चले जाना क्योंकि उनको एक होम ट्यूटर की जरूरत थी। और मैं अगले दिन उनके बताये हुये पते पर पहुंचा और डोरबेल बजायी। और दरवाजा एक तीस साल की युवती ने खोला जो शायद बच्चे की मां थी, एक मिनट तो मैं उन्हें निहारता ही रहा, क्योंकि वह थी ही इतनी टनाटन माल।
गोल फेसकट वाला दूध सा उजला चेहरा और भरे भरे गाल, गुलाब की पंखुड़ियों से उनके होठ और माथे पर छोटी सी लाल बिंदी तो कयामत थी। पर्फेक्ट ट्रिम्ड शेप वाली बाॅडी, और उस पर 32 इंच की कमर, उनकी ब्यूटी को और भी बढ़ा रही थी। लेकिन मैंने अपने आप को संभाला और फिर अपना परिचय दिया तो उन्होंने मुझे अंदर बुला कर बैठाया। मैंने उनको अपने बारे में पूरी जानकारी दी और थोड़ी बातचीत की, उनका नाम नेहा था, फिर वह मुझे उनके बच्चे को पढ़ाने के लिये राजी हो गयी क्योंकि उनके रिश्तेदार मेरी तारीफ पहले ही उनसे कर चुके थे। फिर अपने बच्चे को बुलाया, जो फोर्थ क्लास में था और करीब सात साल का था
और उसका नाम उत्कर्ष था। इसके बाद उन्होंने मुझे अगले दिन से शाम को पढ़ाने का समय दे दिया। मैं तुरंत राजी हो गया क्योंकि उनकी ब्यूटी के आगे मैं फेल हो चुका था, मैं तो उनके बेटे को फ्री में भी पढ़ाने को तैयार हो जाता। और इस तरह अगले दिन से मेरा ट्यूशन का रूटीन शुरू हो गया। और पूरी मेहनत से उनके बच्चे को पढ़ाने लगा लेकिन जब भी वे मुझे ट्यूशन के दौरान चाय वगैरह देने आती तो मैं धीरे से उनको तड़ लिया करता और फिर वे अपने दूसरे रूम में चली जाती थी। करीब बीस दिन हो चुके था और उनको तड़तेहुए उन पर पूरी तरह मोहित था। इस बीच अब तक मैंने उनके पति को नहीं देखा था, शायद वह कोई प्राइवेट जाॅब करते थे और इसी कारण घर लेट आते थे।
रोज की तरह मैं अगले दिन ट्यूशन के लिये गया और बच्चे को पढ़ाने लगा। कुछ देर बाद वे मेरे लिये चाय लेकर आयी। कयामत तो उस समय आयी जब वह चाय का कप मेरी टेबल पर रखने के लिये झुकी तो साड़ी का पल्लू उनके कंधे से सरक गया और उनके गहरे कट वाले ब्लाउज से आधे से ज्यादा बाहर झांकते हुये गोल मटोल बूब्स मेरी आखों के सामने थे।
और मेरी भी नजरें उन पर गढ़ गयी और मेरे सेक्सी अरमान मचल गये। इसी बीच नेहा आंटी ने मुझे देखा और धीरे से पल्लू उठाते हुये मुस्कुरा कर चल दी। यह हमारे बीच वाली नजदीकियों की शुरूआत थी। क्योंकि उस किस्से के बाद उनके लटके झटके धीरे धीरे बढ़ने लगे, और मैं समझ गया कि वह भी मेरे हट्टे कट्टे शरीर की ओर आकर्षित हो रही थी। और इस तरह कुछ ही दिन बाद हम बातों बातों में करीब आने लगे। और मेरी नेहा आंटी की चूत मारने की बेताबी और बढ़ने लगी और धीरे धीरे उनके अंदर भी जोश जगाने की कोशिश करने लगा। और एक दिन वह सुनहरा मौका आ गया। रोज की तरह मैं उस दिन भी ट्यूशन पढ़ाने के लिये नेहा आंटी के घर पहुंचा। उस समय उत्कर्ष सो रहा था और उनके जगाने पर वह रोने लगा तो उन्होंने कहा कि आज मत पढ़ाइये,फिर मैं जाने लगा तो बोली कि चाय पी लो और चायबनाने किचेन में चली गयी। फिर मैं भी उठकर किचेन में चला गया और वहीं खड़े होकर उनसे बातें करने लगा।
और फिर धीरे से उनके गाल पर किस कर दिया। पहले तो वह मुझे गुस्से से घूरी पर मुस्कुराकर अपना काम करने लगी। और मैं समझ गया कि उनकी सहमति हां में है। और झटके से उनको अपनी ओर खीच कर उनके होठों को दबाकर जोर से किस कर दिया, पर उन्होंने मुझे धक्का देकर दूर कर दियाऔर चाय को बीच में छोड़कर गैस बंद करके किचेन से बाहर चली गयी। इस पर मैं भी घबरा कर उनकी ओर दौड़ा कि कहीं वे नाराज तो नहीं है। निकल कर देखा कि वे धीरे से उस कमरे की कड़ी बंद कर रही थी जिसमें उत्कर्ष सो रहा था। और मेरे कुछ समझने से पहले ही मेरे पास आकर मेरी शर्ट का काॅलर पकड़ कर मुझे अपने बेडरूम में लाकर अपने बेड पर ढकेल दिया और दरवाजा बंद कर लिया। और मेरे देखते ही देखते अपनी साड़ी उतार दी।
अब मुझे यह समझने में जरा भी देर न लगी नेहा आंटी भी चुदने के लिये उतनी ही उतावली हैं जितना मैं उनकी चूत में अपना लंड पेलने के लिये बेकरार था। और बिना एक पल रूके मेरे ऊपर चढ़कर मेरे होठों को चूमने लगी तो मैं भीउनका साथ देने लगा और चूमने लगा। और हमारी जीभें आपस में लड़ने लगी। और उनको चूमते हुये अपने हाथों से उनकी ब्लाउज खोल दिया और पीछे हाथ डालकर ब्रा के हुक खोलकर उसे भी हटा दिया। अब उनके सेब जैसे बूब्स हवा में लटक रहे थे। फिर मैंने उनके बूब्स को दबाना और निपल्लों को मसलना शुरू कर दिया जिसके कारण उनकी बाॅडी फड़फड़ाने लगी। और हम एक दूसरे को बेतहासा चूमने में बिजी थे और तभी मैंने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी। इसके बाद नेहा आंटी मुझे चूमते हुये नीचे नाभी तक उतर आयी और खुद ही मेरी पैंट खोलकर मेरी अंडरवियर में अपना हाथ डालकर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया। अब मेरा आठ इंच लंबा और करीब दो इंच मोटा पूरी तरह से तन कर टाइट हो चुका लौड़ा हवा में लहरा रहा था। जिसे देखकर नेहा आंटी की आंखें चकाचैंध हो गयी।
और बिना इंतजार किये उसे अपन मुंह में लेकर जोर जोर से माउथ फकिंग करने लगी और मेरी वासना की भूख को और बढ़ाने लगी। फिर इसके बाद हम दोनों की गर्मी बढ़ने लगी और आंटी चुदने के लिये तैयार थी। इसलिये खुद सारे कपड़े उतार कर नंगी और मैं भी नंगा हो गया।उनकी चूत से पानी निकल रहा था और वह एक बार झड़ चुकी थी। फिर वे मुझसे बेड पर लेटने को बोली तो मैं सीधा लेट गया और मेरा लंड तन कर हवा में खड़ा था। और फिर नेहा आंटी मेरे ऊपर बैठ गयी और गीली अपनी चूत के मुहाने को मेरे लंड पर रख दिया जिससे मुझे लंड का सुपाड़ा उनकी गर्म चूम में घुसने का अहसास हुआ और आंटी भी थोड़ा सिसक गई।
लेकिन मुझसे बर्दास्त न हुआ और मैंने उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उन्हें नीचे ढकेल लिया और मेरा पूरा लंड उनकी करारी चूत को फाड़ता हुआ बच्चेदानी से टकरा गया और वे दर्द से चीख पड़ी। पर कुछ देर बाद उछल उछल कर अपनी चूत चुदवाने लगी। और फिर हम दोनों चुदाई का मजा लेने और मैं उनकी चूत में ही झड़ गया। जब दोबारा मेरा लंड खड़ा हुआ तो मैंने इस बार उनको कुतिया बनाकर डाॅगी स्टाइल में करीब 30 मिनट तक चोदा। और चुदाई के भरपूर मजे लूटे। चुदाई करते करते दो घण्टे कब बीत गये पता ही नहीं चला। शाम हो चुकी थी और इसके बाद हमने कपड़े पहन लिये और फिर तुरंत ही मैं वहां से निकल आया।
तो दोस्तों इस तरह मैंने अपने स्टुडेंट की मां की चूत मार कर मजे लिये। मेरी यह स्टोरी पढ़ने के लिये थैंक्स। फिर मिलेंगे अगली स्टोरी के साथ।