Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर | Sex Baba Indian Adult Forum
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Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर

hotaks444

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Nov 15, 2016
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चूतो का समुंदर

दोस्तो वैसे तो मेरी इस कहानी नाम प्यार की भूख है लेकिन इस कहानी का टाइटल होना चाहिए था चूतो का समुंदर जो मुझे काफ़ी टाइम बाद महसूस हुआ .

इस फोरम पर मैं इसे चूतो का समुंदर के नाम से पोस्ट कर रहा हूँ .

मैं ये स्टोरी सिर्फ़ आप सब के मनोरंजन के लिए लिख रहा हूँ.
इस स्टोरी मे आप सब को प्यार,रोमॅन्स, इमोशन, मिस्ट्री आंड थ्रिल सब कुछ मिलेगा....

स्टोरी की स्टार्टिंग से इस के बारे मे राय ना बनाए….आप पढ़ते जाए ऑर कही बोर होने लगे तो प्लीज़ बता दीजियगा .

तो स्टोरी स्टार्ट करते है इंट्रोडक्षन से….

इंट्रोडक्षन

सबसे पहले मैं पात्र ऑर उसकी फॅमिली…मतलब मैं..:-)
मेरा नाम अक है है पूरा नाम कुछ और है बट लोग मुझे अक के नाम से जानते है , आप सब भी इसी नाम से जान ने लगेगे,,,,,हाहहहहा

अक- मेरी एज 18 एअर है…और मैं पढ़ाई कर रहा हूँ…घर मे सबका लाड़ला हूँ .. मतलब डॅड का…..क्योकि मेरी मोम मेरे जन्म के समय ही नही रही तो मेरे रिलेटिव्स भी मुझे बहुत प्यार करते है….खास कर मेरी मम्मी के साइड वाले मतलब मामा ओर मौसी की फॅमिली….इसी लिए मैं पूरी छुट्टियाँ अपने मामा के घर बिताता हूँ ऑर वही पर मेरी मौसी ऑर उनके बच्चे आ जाते है…पूरे 40-45 दिन तक फुल मस्ती….

मेरे पास पैसा बेसुमार है…मेरे डॅड एलेक्ट्रॉनिक्स के इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का बिज़्नेस करते है….ज़्यादा तर घर से बाहर ही रहते है…..

मैं एक सीधा-साधा लड़का था….पढ़ाई मे होशियार था ऑर दुनिया से अंजान…
मुझे बस प्यार की भूख रहती थी…ऐसा इसलिए था क्योकि मुझे बचपन से माँ-बाप का पूरा प्यार नही मिला

आज मेरा एक भी दिन बिना सेक्स किए नही निकलता….लेकिन ऐसा भी वक़्त था जब मैं सेक्स से अंजान था…वो 1 साल पहले की बात है….पर मेरी लाइफ मे ऐसा ट्विस्ट आया कि मैं सेक्स के दलदल मे फँसने लगा

ऐसा कैसे हुआ ये आगे पता चलेगा….अभी पास्त को रहने देते है और प्रेज़ेंट की बात करते है

बट सबसे पहले थोड़ा इंट्रोडक्षन...

मेरी फॅमिली


फादर - आकाश (एज - 44 एअर) , एलेक्ट्रॉनिक्स का बिज़्नेस है…मुझसे प्यार बहुत करते है बट मेरी लाइफ बनाने के लिए बहुत पॉज़ चाहते है,,,ऑर बिज़्नेस के सिलसिले मे हफ़्तो घर से बाहर ही रहते है…मंत मे 2-3 बार ही मुझसे मिल पाते है.

मदर - अलका (शी ईज़ नो मोर) मेरे जन्म के 2 मंत के बाद डेत हो गई थी उनकी.

यहाँ मेरे परिवार के कुछ अन्य सदस्यो के बारे मे बता दूं, वैसे उनसे मेरा खून का रिस्ता नही बट मेरी लाइफ ऑर मेरे परिवार मे उनका इंपॉर्टेंट रोल है

सविता- (एज -34 एअर, 34-30-36, ये बचपन से मेरी आया है, मैं इन्हे दाई माँ या माँ कहत्ता हूँ)

मेरी मोम की डेत के बार सविता ने ही मुझे पाला है….सविता मेरे ही घर मे रहती है अपने बेटे के साथ…सविता की शादी 18 य्र की एज मे हो गई थी बट वो 19 एअर मे ही बिधवा हो गई थी….ऐसा मुझे पता चला…सविता के पिता मेरे डॅड के माली थे तो उन्होने सविता को मेरी आया बना दिया…सविता का पति नही है बट उसके कुछ रिस्तेदार आते रहते है उससे मिलने …जिनका ज़िक्र बाद मे आयगा तब बताउन्गा.

सोनू- सविता का बेटा है मेरे से छोटा है, काफ़ी शरारती है ऑर अब आवारा होता जा रहा है....बाकी डीटेल आगे कहानी मे मिलेगी

रेखा- मेरे घर खाना बनाती है कमाल की माल है ओर लंड खाने की सौकीन...इसका फिगर सविता से भी आगे है…(34-30-35) इसकी गान्ड शायद कुछ बड़ी ही निकले..
रेखा और उसका पति मेरे घर पर ही रहते है....


हरी – रेखा का पति है और मेरे यहाँ ड्राइवर है.....हॅटा कट्टा है ओर रेखा की जमकर चुदाई करता है बट अभी तक बाप नही बन पाया ....क्यो..???...ये नही पता...

रश्मि- ये हरी की सिस्टर है जो 2 साल पहले ही यहाँ आई है...डॅड ने इसे भी नौकरी दे दी....ये घर की सॉफ सफाई का काम करने लगी

इनके बाद नाम आता है मेरी मोहब्बत का...मतलब मेरे पहले प्यार का....नाम है रेणु....रेणु मेरी बुआ की लड़की है ...मैं इनको प्यार से दी बुलाता हूँ ओर ये मुझे भाई बुलाती है.....कहने के लिए तो हम भाई-बेहन है...लेकिन हम लवर्स है

रेणु – रेणु दी ने ही मुझे चूत ऑर गंद का स्वाद बताया था....रेणु दी ही थी जो मेरे अकेलेपन को दूर किया करती थी....वो मुझे इतना प्यार करती है कि ना सिर्फ़ मुझ पर अपनी जवानी लुटाई बल्कि उनकी गैर मौजूदगी मे ....मेरे लिए घर मे ही चूत ओर गंद का इंतज़ाम कर दिया....रेणु दी मुझसे 2 साल बड़ी है ऑर पटका माल है
वो मेरे लिए नई-नई चूत भी लाती रहती है...

अभी कहानी मे कई और खास करेक्टर है...जैसे-2 आएगे मैं बताता जाउन्गा...
तो आइए चलते है अंकित के रूम मे....जिसे है…

"शरीर की भूख"
 
रश्मि- आप कॉफी पीकर मूड फ्रेश करे जब तक मैं अपनी कॉफी(मतलब मेरा लंड रस) पीकर अपना दिन बनाती हूँ

इतना बोलकर रश्मि घुटनो पर आ गई ओर मेरे बरमूडा के साथ मेरी अंडरवर नीचे करके मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगी…ऑर देखते ही देखते अपना मूह नीचे ले जाकर अपनी जीभ से मेरे लंड के टोपे की खाल को नीचे करके चाटने लगी….इस वजह से मेरे मूह से आअहह निकल गई...

मैने भी कॉफी को हाथ मे लिया ऑर चुस्की मारने लगा गरमा-गरम कॉफी की...

वहाँ रश्मि लंड चाट ते हुए लंड को पूरा मूह मे भर लेती है ऑर मूह को आगे पीछे करते हुए लंड की चुसाइ सुरू कर देती है…



मैं गरम कॉफी का अपने मूह मे ओर रश्मि के गरम होंठो के अंदर मेरे लंड को फील करते हुए मज़े ले रहा था….अचानक मेरी बॉडी मे खून तेज़ी से दौड़ने लगा ऑर मैं रश्मि के मूह मे झड गया…

रश्मि ने मेरे लंड रस की अंतिम बूद तक लंड को मूह मे भरे हुए चूसना जारी रखा …जब मेरा सारा लंड रस रश्मि अपने गले मे निगल गई तो उसने मेरा लंड छोड़ा ऑर अपना मूह सॉफ करके बाहर जाने लगी ऑर बोली…

रश्मि- आप आप फ्रेश हो जाइए मैं नाश्ता रेडी करती हूँ..

मैं-ओके

रश्मि के जाने के बाद मैने कॉफी ख़त्म की ऑर सीधा बाथरूम मे फ्रेश होने चला गया...

उस दिन मैं नहाते हुए सोच रहा था कि ये कैसी लाइफ हो गई मेरी…मैं चूतो के समुंदर मे आ गया…बिना चूत और गंद मारे मेरा एक भी दिन नही निकलता….

तभी मैने सोचा छोड़ो यार...कैसे हुआ क्यो हुआ...ये भूल जाओ ऑर चूतो के समुंदर मे डुबकी लगाओ….

इस तरह मैं अपने मन को अपने आप से समझा कर नहा कर रेडी हो गया ऑर नाश्ता करके…स्कूल निकल गया


(मैं स्कूल हमेशा अपनी कार से जाता हूँ…ऑर साथ मे मेरा दोस्त संजीव भी जाता है….संजीव मेरा सबसे ख़ास दोस्त है, वो मुझे बचपन से जानता है…कि कवि मैं सीधा-साधा बंदा था…और आज मैं जो भी हूँ…..वैसा क्यो हूँ…ये शुरुआत कहाँ से हुई)

कार से उतरकर मैं ऑर संजीव स्कूल कॅंटीन मे पहुचे ऑर कॉफी का ऑर्डर दिया...

संजीव- तो भाई आज किसकी मॉर्निंग गुड बनाई….सविता,रश्मि या रेखा..??

मैं-आज रश्मि थी यार

संजीव- यार तू कैसा हो गया...ये सब किस लिए कर रहा है….सुधर जा(ऑर हँसने लगा)

मैं-(हँसते हुए)- भाई अब पीछे नही जा सकता....अब ये सब मेरी लाइफ का हिस्सा हो गया है

(इतना बोलकर मैं सोचने लगा अपने सपने के बारे मे, जो मुझे पिछले काफ़ी दिनो से आ रहा था)


संजीव – (मुझे चुप देखकर)- सॉरी भाई मैं तुझे हर्ट नही करना चाहता था,,मैं बस यू ही बोल रहा था…सॉरी भाई

मैं-अरे नही रे मुझे बुरा नही लगता ऑर साले तेरी बात का तो कभी नही लग सकता

संजीव-तो बोल क्या सोच रहा था
 
(मैं अपने मन मे सोचा कि क्या इसे बताऊ मेरे सपने के बारे मे…फिर सोचा कि नही अभी नही फिर कभी)

मैं- अरे कुछ नही भाई, वो आज रश्मि ने लंड चूसा …वही सोच कर लंड अकड़ रहा था

संजीव- साले अभी तो मत सोच ये स्कूल है

मैं- तो क्या हुआ बे

संजीव- क्या भाई अब यहाँ तेरे खड़े लंड को कौन शांत करेगा

मैं-मन मे(पूनम है ना..)

(पूनम संजीव की सिस्टर थी…मैने उसे चोदा था ….ये कैसे हुआ वो कहानी आगे आयगी…वो हम से 2 साल बड़ी है..लेकिन पढ़ाई मे कमजोर है तो जैसे तैसे 11थ मे पहुचि है इस साल…मतलब हम से 1 क्लास पीछे)

संजीव- भाई तेरे तो मज़े है घर पर चूत ओर गंद खुली मिलती है…मैं क्या करू मुझे तो कभी-2 ही मिल पाती है....


(संजीव के घर उसकी ग्रूप फॅमिली थी…संजीव के मोम डॅड के अलावा दो सिस्टर थी …बड़ी पूनम थी,,,ऑर उससे भी बड़ी थी सोनी…जिसकी शादी हो गई थी…इसके अलावा संजीव की 2 कज़िन सिस्टर भी थी….रक्षा ऑर अनु…रक्षा संजीव से 1 साल छोटी थी ऑर अनु संजीव के बराबर ही थी.....दोनो हमारे ही स्कूल मे पढ़ती है)

मैं-(थोड़ा सोच कर)- संजीव 1 बात कहूँ…लेकिन बुरा मत मानना

संजीव- बोल भाई …तेरी किसी बात का बुरा माना है आज तक

मैं- लेकिन भाई अभी जो मैं बोलने वाला हूँ वो सुनकर शायद तू बुरा मान जाय

संजीव-भाई दिल खोल कर बोल…बुरा नही मनुगा…तू बोल ना भाई

मैं(झिझकते हुए)- भाई तू अपने घर मे किसी को सेट कर ले ना. तेरी प्राब्लम सॉल्व हो जाएगी...

संजीव(थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोला)- भाई क्या बात कर रहा है....???

मैं-मैने पहले ही बोला था कि बुरा मत मानना, मैने तो इसलिए कहा कि अगर तेरे घर मे तुझे कोई चोदने के लिए मिल गई तो तेरा रास्ता सॉफ हो जाएगा ओर तू घर मे ही मज़े करेगा....

संजीव(थोड़ा खुश होते हुए ऑर झिझकते हुए)- भाई….सच कहूँ….तुझसे क्या छिपाना…..चाहता तो मैं भी हूँ...

मैं- पर क्या..???

संजीव(थोड़ा सोचकर)- मैं किसके साथ…मतलब मुझसे कौन ….समझ ना..

मैं- समझा....ये बात है…अच्छा तू एक बात बता

संजीव-हाँ बोल क्या..???

मैं-तुझे तेरे घर पर किसी को देखकर मन करता है चोदने का...सच बताना

संजीव(काफ़ी देर सोचकर)-हाँ... ....हहा...भाई..बट

मैं-बट क्या..??? ..बोल ना

संजीव(झिझक के साथ)- भाई तू हँसेगा मुझ पर

मैं-भाई तू मेरा खास दोस्त है मैं हँसूँगा नही..बल्कि तेरी हेल्प करूगा....ताकि तू भी मज़े कर पाए

संजीव-(झिझकते हुए)-मेरी...म्म्म...मम्मी

मैं(शॉक्ड होकर)- सच में...????

संजीव-हाँ भाई..ऑर नज़रे झुका लेता है

मैं-तो शरमाता क्यो है बोलना...कि तू तू अपनी मम्मी को छोड़ना चाहता है...??

संजीव-हाँ..बट मम्मी...कैसे..???

मैं (कुछ सोच कर)-अच्छा ये बता कि तेरी फीलिंग्स क्या होती है जब तेरी मोम तेरे सामने आती है ..बोल

संजीव-भाई सच बोलू

मैं-हाँ बिल्कुल सच

संजीव-(शरमाते हुए)-भाई जब मम्मी को देखता हूँ..तो मेरा लंड अकड़ने लड़ता है ऑर उनकी गंद को देख कर तो…हहायी….क्या गाड़ है मेरी माँ की...लगता है कि 1 ही झतके मे लंड उसकी गंद मे उतार दूं पर...

मैं-पर क्या यार..??
 
संजीव(गुस्से से)- भाई डर लगता है...ओर वो राह चलती रंडी थोड़े ही है जो मैं बोलू ऑर वो चुदने आ जाय...माँ है मेरी...उसकी गंद के चक्कर मे मेरी गंद ना फट जाए

मैं-(हंसते हुए)-भाई तू बस ये पता कर कि तेरी माँ चुदाई की शौकीन है या नही...बाकी आगे हम देख लेगे

संजीव-भाई चुदासी तो बहुत है

मैं- तुझे कैसे पता

संजीव- भाई मैने 1 दिन मोम-डॅड को चुदाई के दौरान बाते करते हुए सुना था

मैं-क्या तूने उनकी चुदाई देखी...??

संजीव- नही भाई सिर्फ़ सुना

मैं- क्या सुना..??


संजीव- भाई मेरी माँ डॅड से बोल रही थी कि आज फिर आप पीछे रह गये...अब मैं क्या करूँ तो डॅड बोले तुम्हे तो बस लंड चाहिए ...मैं थक जाता हू काम करते हुए...मैं इतना ही कर सकता हूँ...तो मेरी माँ ने कहा ठीक है तो ये बताओ मैं अब मेरी चूत को कैसे ठंडा करूँ...

तो डॅड बोले रुक मैं अभी तेरी चूत चाट कर ठंड करता हूँ..

इसके बाद डॅड मोम की चूत चूसने लगे..

मैं- तूने देखा क्या..??

संजीव –अरे नही यार वो माँ की सिसकारियों से समझ आ गया था…

मैं- तो इसमे ये कैसे पता चला कि तेरी माँ चुदासी है

संजीव- भाई डॅड चूत चूस्ते हुए बोल रहे थे…कि साली अभी भी तेरी चूत इतनी तड़पति है चुदने को तो माँ बोली कि मेरा बस चले तो 2-2 लंड 1 साथ ले लूँ…लेकिन मैं तुमसे ही काम चलाना चाहती हूँ…तो डॅड ने भी हंस के बोला कि कोई नही मैं हूँ ना

उसके बाद मैं वहाँ से निकल गया

मैं- फिर भी सवाल वही है कि तेरी माँ चुद कैसे सकती है

संजीव-भाई अगर उसे कोई तगड़ा लंड मिल जाय ऑर उसे लेने मे कोई बदनामी ना हो तो वो ले लेगी…इतना बोल सकता हूँ

मैं-तो तू दिखा दे अपना

संजीव- नही भाई मेरा तो नॉर्मल है...ऑर मैं उसका बेटा हूँ...नही बहकेगी

मैं- तो फिर क्या...???

संजीव-1 आइडिया है भाई

मैं- ऑर वो क्या है साले..??

संजीव- भाई अगर मेरी माँ तेरा लंड ले ले तो…???

मैं- ऑर भैनचोद वो कैसे लेगी

संजीव-भाई तेरा लंड मुझसे तगड़ा है…ऑर अगर तुझसे चुद भी गई तो बदनामी भी नही होगी उसकी…इतना वो जानती है

मैं- चल साले वो नही मानेगी

संजीव-भाई ट्राइ तो कर मान जाएगी

मैं(थोड़ा सोच कर)- अच्छा माना कि मान गई ऑर मेरा लंड ले लिया …तो इसमे तेरा क्या फ़ायदा

संजीव-भाई तू लेगा तो मैं भी ले लुगा उसकी

मैं- कैसे...???

संजीव- भाई मोम तुझसे चुदने लगेगी तो मैं उसकी चोरी पकड़ लुगा ..ऑर उसे चोदने को बोलुगा

मैं-मतलब, ब्लॅकमेल करेगा साले

संजीव-हाँ

मैं-नही भाई जबरन की चुदाई मे मज़ा नही आता…चुदाई वही अच्छी होती है जब पार्ट्नर दिल से चुदवाये…

संजीव-तब तो मेरा कुछ नही होगा

मैं-(कुछ सोच कर)- भाई 1 काम हो सकता है

संजीव- क्या???
 
मैं- अगर तू अपनी मोम को मुझसे चुदवाने मे हेल्प करेगा…तो मैं उसे तेरे नीचे ला दुन्गा वो भी तेरी मोम की मर्ज़ी से

संजीव-इंपॉसिबल…नही आयगी

मैं-भाई मैं प्रॉमिस करता हूँ….अगर मैने तेरी माँ की चुदाई कर ली तो तुझे उसकी चूत मैं दिलवाउन्गा

संजीव-(खुश होते हुए)-सच मे..???

मैं –पक्का भाई

संजीव(थोड़ा सोच कर)- ओके भाई तो तू ट्राइ कर तेरी हेल्प मैं करूगा ओक

मैं –बट इसके लिए मुझे तेरी मोम के आस-पास रहना होगा कुछ दिन…

संजीव -हाँ ये तो है

मैं(मन मे सोचते हुए कि तू मुझे तेरे घर तो ले जा …तेरी बेहन को चोदुगा ऑर तेरी बेहन ही मुझे तेरे घर की सारी चूत दिलवायेगी)- क्या हुआ…बोल फिर…कुछ आइडिया है

संजीव-1 प्लान है

मैं-क्या..??

संजीव- अभी हमारे मिड टर्म आ रहे है….

मैं-हाँ तो..??

संजीव- भाई तू मेरे घर रुक जा कुछ दिन पढ़ाई करने के बहाने

मैं(खुश होकर)-ह्म्म्मु…ये हो सकता है

संजीव- हम मिलकर ट्राइ करेगे

मैं – ओके…ये आइडिया वर्क कर सकता है….एक काम करते है

संजीव- क्या

मैं-तू अपने घर मेरी एंट्री करवा दे….मैं तेरे लिए तेरी माँ के साथ तेरी फॅमिली की सारी चूतो तैयार कर दूँगा


संजीव-(शॉक्ड ऑर खुश होते हुए) सच मे भाई….मैं भी सबको देख कर हिलाता रहता हूँ…लेकिन ऐसा होगा कैसे

मैने- वो मेरा काम है…अगर प्लान काम कर गया तो तेरी फॅमिली की चूत ओर गंद मेरे लंड से खुलेगी ऑर बाद मे तू यूज़ करना…हाहहाहा

संजीव-हाहहहहा…ओके भाई …मैं आज ही घर पर बात कर के बताता हूँ

मैं-ओके तो तैयार हो जा चूतो मे डुबकी मारने को

संजीव- हाँ भाई मैं रेडी हूँ

मैं- लेकिन पहले तेरी मॉम …बाकी को आगे देखेगे

संजीव-ओके बॉस

इसके बाद हम दोनो स्कूल आधा छोड़कर मेरी कार से घर निकल आए....

घर आते हुए मैने संजीव को प्लान समझा दिया ऑर उसे उसके घर ड्रॉप करके मैं अपने घर आ गया…
 
घर आते हुए मैने संजीव को प्लान समझा दिया ऑर उसे उसके घर ड्रॉप करके मैं अपने घर आ गया…अंदर आते ही मुझे रेखा मिल गई…वो बोली

रेखा- सर खाना लगा दूं

मैं- नही अभी मूड नही…

रेखा-सर तो मैं मूड बना दूं....रूम मे आउ क्या..??

मैं रेखा के पास गया ऑर अपने हाथ से उसकी गंद दवाकर बोला

मैं-अभी नही मेरी रांड़…मैं सो रहा हूँ…2-3 घंटे बाद मुझे जगाना …तब तेरी गंद पेलुगा….ओके

रेखा-ओके सर

इसके बाद मैं अपने रूम मे गया ऑर कपड़े निकाल कर बेड पर लेट गया…मैं सिर्फ़ अंडरवर मे लेटा हुआ था….तभी मेरा सेल बजने लगा…मैने सेल देखा तो रेणु का कॉल था

( कॉल पर)

मैं-हाई सेक्सी

रेणु-हेलो माइ स्वीट हार्ट

मैं-कैसे कॉल किया

रेणु-क्या मुझे अपनी जान को कॉल करने के लिए काम होना ज़रूरी है

मैं-नही डार्लिंग…मैं थोड़ा सोने जा रहा था…तो पूछ लिया…अच्छा सुना

रेणु-क्या सुनाऊ…तुझे तो मेरी फ़िक्र ही नही भाई….

मैं-ऐसा क्यो बोल रही है…बोल तो अभी आ जाउ

रेणु-नही भाई अभी नही…मैं तो ऐसे ही बोल रही थी…कुछ दिन बाद मोम ऑर भाई रिलेटिव के यहाँ जायगे तब आना

मैं-ओके मेरी जान…तू जब कहे

रेणु-तब तक मैं वेट कर रही हूँ…अच्छा ये बताओ मैने जो कहा था वो किया..??

(रेणु ने मुझे कहा था कि मैं डॅड से पुच्छू कि हमारी प्रॉपर्टी कितनी है ऑर क्या-क्या है और किसके नाम पर है)

मैं-नही जान अभी नही…डॅड टूर पर है..आएगे तो पूछ लुगा

रेणु—ओके…आते ही पूछ कर बताना..ओके अब सो जाओ बाद मे बात करेगे ..बब्यए जान

मैं-बब्यए जान

फोन रखने के बाद मैं सोचने लगा कि रेणु को क्यो पड़ी है मेरी प्रॉपर्टी के बारे मे जान ने की…फिर मेरे दिल ने कहा कि अरे ऐसे ही पूछ रही होगी…प्यार जो करती है तुझे..

मेरा दिल ओर दिमाग़ अलग-2 सोच रहा था…पता नही दिल सही था या दिमाग़…मैने सोचा अभी दिल ऑर दिमाग़ दोनो को चुप करो ऑर सो जाओ….इतना अपने आप से बोलकर मैं सोने लगा

इसके बाद मैं अपने सपनो की दुनिया मे चला गया…लेकिन फिर से मेरे सपनो मे वही आया कि कई हाथ मेरे गले को दवा रहे है ऑर मैं मर रहा हू….आज फिर आख खुलते ही मैने देखा कि मेरे हाथ ही मेरे गले को दवा रहे है…मैं चौक कर बेड से खड़ा हो गया ओर थोड़ी देर शांत खड़ा रहा…जब मैं नॉर्मल हुआ तो बाथरूम मे घुस गया…

मेरे बाथरूम मे जाते ही रेखा मेरे रूम मे एंटर हुई ओर मुझे बेड पर ना देख कर मेरा वेट करने लगी…

अंदर बाथरूम मे मैं पूरा नंगा था ओर अपने लंड को हाथ मे पकड़ कर देख रहा था जो अवी भी तना हुआ था…मैं सोचने लगा कि ये भी हमेशा चूत मागता है साला..ऑर सोचते ही मुझे हसी आ गई….बाथरूम से मेरी हसी की आवाज़ सुनकर रेखा बोली…

रेखा-क्या हुआ सर…आप अकेले ही हंस रहे है या कोई साथ मे है आपके

मुझे रेखा की आवज़ सुनकर याद आया कि इसे तो मैने ही बोला था जगाने को…आज इसकी गंद मारने को भी बोला था…तो मैने रेखा से कहा

मैं-रेखा आ गई तुम

रेखा-हाँ सर आपने ही तो बुलाया था

मैने बाथरूम का गेट ओपन किया तो रेखा सामने ही खड़ी थी…ओर मैं रेखा के सामने…वो भी पूरा नंगा ऑर मेरा लंड पूरी औकात से खड़ा हुआ था ओर मेरी पूरी बॉडी पर पानी की बूदे चमक रही थी…
मैने देखा कि रेखा की आँखे मेरे लंड पर अटक गई है और रेखा मूह खोले खड़ी हुई थी...

मैने देखा की रेखा मॅक्सी पहने हुए थी…ओर उसमे उसके कबूतर(बूब्स) फड़फदा रहे थे बाहर आने को…क्या बूब्स थे साली के

मैं कुछ देर बाद बोला...

मैं-रेखा मॅक्सी निकाल कर आओ…

रेखा अभी भी लंड को देखकर मूह खोले खड़ी थी…मेरी बात सुनकर बिना कुछ बोले अपनी मॅक्सी निकालने लगी….रेखा की मॅक्सी निकलते ही वो ब्रा-पैंटी मे मेरे सामने थी…अब उसके बूब्स के साथ उसकी गंद भी क़हर ढा रही थी मेरे लंड पर….

रेखा धीरे-2 मेरे पास आई ऑर बाथरूम के गेट पर ही घुटनो के बल बैठकर मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगी ऑर मेरे बॉल्स को अपनी जीब से चाटने लगी

मैं-आअहह….ऐसे ही चुमो….आअहह

रेखा- स्ररुउउप्प्प…उूउउंम्म….सस्स्ररुउउप्प्प…आआअहह

मैं- क्या जादू है तेरी जवान मे मेरी रानी…मज़ा आ गया

रेखा-स्ररुउप्प्प…..स्ररुउउप्प्प…सस्स्ररुउप्प्प….उउउम्म्मह 

(रेखा बिना कुछ बोले मेरे बॉल्स को चाट ती रही ओर अपने हाथ से मेरे लंड को हिलाती रही)

थोड़ी देर बाद रेखा मे मेरे लंड को 1 ही झटके मे पूरा का पूरा अपने मूह मे भर लिया ओर जोरदार चुस्साई करने लगी

रेखा-सस्स्सल्ल्ल्ल्ल्लूउउप्प्प…सस्रररुउपप…..ऊऊऊओंम्म्मम…ऊऊम्म्म्म…ग्ग्गहूओ….ग्ग्गहू

रेखा के मूह से बस ऐसी ही आवाज़े आ रही थी....

थोड़ी देर की लंड चुसाइ से ही मैं झड़ने की कगार पर था क्योकि...संजीव की माँ-बहिन को चोदने की बातो से ही मेरा लंड भरा था...ओर फिर रेणु के कॉल ने उसे ऑर भर दिया था....तो अब मेरा लंड जल्द से जल्द खाली होना चाहता था...

मैने रेखा के सिर को दोनो हाथो से पकड़ के अपने लंड पर दवा दिया ओर लंड को तेज़ी से रेखा के मूह मे पेलने लगा

रेखा-ग्ग्गहूओ.......ओउउउम्म्म्मम....ग्ग्गूऊूगगघहूऊ......ऊऊऊम्म्म्ममममम
करे जा रही थी ऑर 

मैं-आआआहह.....आययययययएसस्स.....ऊऊऊहहूऊ....आआहह....यययययई.....को
करे जा रहा था

2-3 मिनिट मे ही मेरे लंड का लावा फुट कर रेखा के गले से होते हुए उसके पेट मे जाने लगा ओर कुछ हिस्सा उसके होंठो से नीचे उसके गले से होते हुए उसके बूब्स पर ऑर फर्श पर जाने लगा….



जब तक मेरे लंड की आख़िरी बूँद ना निकल गई…मैने रेखा के सिर को छोड़ा नही…जब मेरा लंड रस ख़तम हो गया तो मैने रेखा के सिर को छोड़ दिया

मेरे छोटे ही रेख खाँसते हुए खो-खो करने लगी
ऑर जब नोमाल हुई तो बोली

रेखा- माअर ही…खो-खो …डाला

मैं-अवी कहाँ साली…अभी तो मारना बाकी है

रेखा- तो रोका किसने है….मारो

इतना कह कर रेखा अपने होंठो पर ऑर गले पर लगा हुआ मेरा लंड रस हाथ मे लेकर चाटने लगी

रेखा के बारे मे ये बता दूं कि रेखा को वाइल्ड सेक्स ज़्यादा पसंद है…ओर उसकी 1 फंट्सी भी है …वो बाद मे ,,,,

रेखा ने जब पूरा लंड रस चाट लिया तो मैने कहा

मैं- चल साली नंगी हो जा ...आज तेरी गंद के परखच्चे उड़ाने है
 
रेखा अपनी ब्रा को निकालते हुए बोली..

रेखा- फाड़ डालो....लेकिन प्यार से नही.....कुतिया की तरह ....ऑर हंसने लगी

मैं-तो देख आज तुझे कैसे कुतिया की तरह....मज़ा देता हूँ....बहन की लूडी 2 दिन बेड से भी नही उठ पायगी

रेखा – (पैंटी निकालते हुए)-बिल्कुल ऐसे ही मज़ा आता है मुझे....

ऑर रेखा नंगी होकर मेरे पास आ गई...
मैने रेखा के ईक बूब्स को हाथ से पकड़ा ओर दूसरे को मूह मे भर लिया ओर अपना दूसरा हाथ पीछे ले जाकर उसकी गंद को दबोचा ….
तो रेखा की चीख निकल गई

रेखा- आअहह…..मदर्चोद…हाथ से ही फाडेगा क्या

मैं-चुप कर कुतिया ऑर फिर से मैं उसके बूब को चूसने लगा

मैं रेखा की गंद जोरो से दवा रहा था ऑर हाथ से 1 बूब को मसल रहा था….तभी रेखा की चीख निकल गई …पहले से जोरदरर चीख थी

रेखा- आआआहह….म्‍म्माअररर गग्ग्गाऐइ ….साले काट मत

(मैने रेख के बूब्स को दातों से काट लिया था)

मैं- साली कुतिया की तरह फाड़ना है…तो कुतिया की तरह की खाना होगा तेरे बूब्स को…ओर मैं फिर से बूब्स चूसने लगा…

इधेर रेखा मेरे मुरझाए लंड को हाथ मे लेकर हिला रही थी ऑर मसल रही थी...

रेखा- आअहह….आआहह….आआओउुऊउककच….ककक्कााटततत्तूओ….म्‍म्माअत्त्त

मैं-चुप चाप मज़े ले…रंडी

थोड़ी देर इसी तरह बूब्स चुसाइ करने के बाद मैने रेखा को पलटा कर अपनी गोद मे उठा लिया....मतलब अब रेखा की चूत मेरे मूह के सामने थी ऑर मेरा लंड रेखा के मूह के सामने...



(मैं डेली जिम करता हू...तो बॉडी दमदार है...)

मेरे ऐसा करते ही रेखा ने मेरे आधे खड़े लंड को मूह मे भर लिया ओर उसे तैयार करने लगी ओर मैं रेखा की चूत की चुसाइ करने लगा

रूम मे बस सिसकारियाँ ही सुनाई दे रही थी…मतलब बाथरूम मे

रेखा- उूउउम्म्म्म….सस्स्रररुउउप्प्प….ग्ग्गहूऊ….ऊओंम्म्म

मैं-स्ररुउउप्प्प….ऊओंम्म…सस्स्रर्रप्प्प….आआहह

स्ररुउप्प्प….स्रररुउउप्प्प…उउउम्म्म्मह….उूउउम्म्मह….आअहह…..आआहह.. की आवाज़ो से बाथरूम गूंजने लगा…तभी 1 चीख सुनाई दी…ये रेखा की चीख थी

मैने रेखा की चूत को दातों से काटा तो रेखा के मूह से मेरा लंड बाहर आ गया ओर वो चीख उठी

रेखा—आाआऐययईईईईईईई…..म्‍म्म्मम…..म्‍म्माररर ग्ग्गाऐयइ…म्‍म्म्मादददाअरृरकक्चहूओद्द

मैं-कुतिया चुप कर वरना….चूत को काट के रख दूँगा

मैं रेखा के साथ हमेशा वाइल्ड सेक्स ही करता हूँ…क्योकि उसे भी यही पसंद है...

अब मेरा लंड रेखा के मूह मे पूरा खड़ा हो गया था ऑर रेखा की चूत व 1 बार पानी छोड़ चुकी थी …वो भी चीख के साथ…हाहहहा

इसके बाद मैने रेखा को नीचे उतारा ऑर इशारे से कहा कि वाश्बेसन पर जाकर झुक जाय

रेखा मेरी पालतू कुतिया की तरह वॉशवेशिन पकड़ कर झुक गई..
उसके झुकते ही उसके बड़े-बड़े बूब्स हवा मे लटकने लगे ओर उसकी बड़ी गंद मेरे सामने आ गई...

मैं उसके पीछे से उसके पास गया ओर उसकी गंद को काट दिया…रेखा फिर से चीख उठी

रेखा---आआईयईईई…मदर्चोद…सच मे खा लेगा क्या

मैं- चुप कर कुतिया… ऑर मैं एक साथ 3 उंगली गंद मे डाल दी

रेखा की गांद खुली हुई थी…मैने ही खोला था …फिर भी 3 उंगली एक साथ वो सह नही पाई ऑर चीख उठी

रेखा-म्‍म्म्ममाआआअ….म्‍म्माआरररर …..ददाअल्ल्लाअ….भडवे

मैं- चुप कुतिया

और मैं उंगलियो को रेखा की गंद मे आगे पीछे करने लगा फुल तेज़ी के साथ

रेखा बस कराह रही थी ऑर गालिया बक रही थी ..लेकिन मैने अपनी स्पीड कम नही की

रेखा-आआआआआहह………ब्ब्ब्बाआससस्स….ककककाररर….आआररररराांम्म…सस्सीए…बब्बहाआड़द्द्वववे…
.म्‍म्म्माअदददाअरर्ृररकक्चहूऊओददड़…..म्‍म्म्ममाअरर्र्ररगज्गगाऐयइ…म्‍मम्मूऊऊउम्म्म्ममय्ी

मैं-साली तेरी माँ को भी ऐसे ही चोदुगा…साली कुतिया की बच्ची

थोड़ी देर बाद रेखा को राहत मिली जब मैने अपनी उंगलिया उसकी गंद से बाहर निकाल ली
मैने उंगली निकालते ही अपना लंड जो अब थोड़ा सूख गया था …रेखा की गंद पर सेट करके 1 ही बाद मे अंदर उतार दिया

रेखा—आआआआअ………….ईईईईईईईईईईईईई

बस इतना ही बोल पा रही थी

मैने फिर ताबड़तोड़ तरीके से अपना लंड रेखा की गंद मे फुल स्पीड से आगे-पीछे करना स्टार्ट कर दिया 



रेखा-आआहह….ईईईईईई……..म्‍म्म्मममाआआ
मैं-आआहह….मज़ा आया …मेरी कुतिया

रेखा-आअहह…..हहाा….म्‍म्म्मााू
मैं-साली,अभी तो बड़े नखरे कर रही थी

रेखा-आआहह…..म्‍म्मारर्र्रूऊ……ल्ल्लुउउन्न्ञदड़….म्‍म्मईएररीए,,,ददार्र्र्दद्द,,की,,,दददाआववववाााआअ..है

मैं- आअहह….तो ले फिर

मैं फुल स्पीड से धक्के मारता रहा ओर रेखा सिसकती रही….रेखा की चूत ने पानी छोड़ना सुरू कर दिया

रेखा-आअहह….उउउम्म्म्मम

मैने लंड को पूरा बाहर निकाला ऑर रेखा को पलटा कर उसके मूह मे भर दिया रेखा का मूह चोदने लगा

रेखा-आअम्म्म्मम….उूउउंम्म…गग्ग्घहूऊओ

2 मिनिट बाद मैने लंड को रेखा के मूह से बाहर निकाला ऑर उसे बाथरूम के फर्श पर हथेली के बल झुका दिया..ऑर पीछे आकर उसकी गंद मे 1 ही झटके मे लंड उतार दिया

रेका-आऐईयइ.म्‍म्मा कक्क़ीए ल्ल्लूओऊउद्दीए….म्‍म्माअररर दददाअलल्ल्लाआ

मैने अपनी स्पीड फुल रखी ओर रेखा की गंद मारने लगा ऑर अपना हाथ ले जाकर रेखा की चूत मे 2 उंगली डाल के चूत चोदने लगा

रेखा-आआआआ…..म्‍म्म्ममाआज़्ज़्ज़ाआ…आआ….गगग्गगययययाआ….ऊओररर…त्त्तीईज्ज्ज्ज

मैने लंड ऑर उंगलियो को फुल स्पीड मे रेखा की गंद ओर चूत मे चला रहा था….थोड़ी देर बाद रेखा दुवारा झड़ने लगी..

मैने हाथ को रेखा की चूत से हटा लिया
ऑर दोनो हाथो से रेखा के पैरों को हवा मे उठा लिया ऑर फुल स्पीड से रेखा की गंद मारने लगा

रेखा-आअहह…आअब्ब्ब्ब…सससा…कककार्ररूव

मैं-आअहह…रुक जा कुतिया रुक….आअहह

ऑर मैं भी रेखा की गंद मे झड़ने लगा
जब मैने पूरा लंड रस रेखा की गंद मे भर दिया तो मैने उसे वही फर्श पर छोड़ दिया…ऑर मैं भी साइड में बैठ गया...

थोड़ी देर बाद रेखा उठी ओर मेरे लंड को चाट कर सॉफ करने लगी

मैं-अरे कुतिया उठ गई

रेखा…ऊओंम्मह…हाँ सर मज़ा आ गया….पूरी खुजली शांत हो गई

मैं – चल शवर चालू कर ऑर नहला मुझे
उसके बाद मैं ऑर रेखा नहाने लगे…

नहाते हुए मैने रेखा को गोद मे उठाकर 1 बार फिर चोदा…फिर हम रेडी होकर अपनी-2 जगह पहुच गये…....
चुदाई ऑर नहाने के बाद मैं रूम मे बेड पर लेट गया…..
 
जब टाइम देखा तो 2 घंटे हो गये थे…मैने मोबाइल चेक किया तो उस पर 10 मिस्कल्ल पड़ी थी संजीव की…

मैं कॉल करने ही वाला था कि संजीव का कॉल फिर से आगया..मैने कॉल अटेंड करके बोला

मैं-हाअ…

संजीव-(मेरी बात सुने बिना)-किसकी चूत मे था साले…कब्से कॉल किए जा रहा हूँ

मैं- तुझे कैसे पता कि मैं क्या कर रहा था...

संजीव(हँसते हुए)- स्साले तेरे घर मे तुझे कोई दूसरा काम है भी नही…ऑर इतनी चूत ऑर गंद हो जहाँ मारने को, तो बंदा खाली थोड़े ही होगा

मैं-(हँसते हुए) रुक जा तेरे घर भी चूतो का मेला लगा दूँगा…फिर तू भी लगे रहना

संजीव-भाई इसलिए तो कॉल किया

मैं-बोल क्या प्लान है

संजीव-मैने मोम से बोल दिया कि तू कुछ दिन हमारे घर रहेगा…पढ़ाई के लिए…तो वो मान गई…

मैं-ओके..तो आ जाता हूँ डिन्नर के बाद

संजीव- नही बे मोम ने कहा है कि डिन्नर यही करना…

मैं-ओके…तो कब आउ

संजीव-अभी ..

मैं-ओके…ऑर हाँ…पूनम कहाँ है

संजीव- वो घर पर ही है …क्यो???

(मैं मन मे- अब तुझे क्या बताऊ कि आज रात को उसकी चुदाई करनी है…)

मैं- अरे यार फ्रेंड है तो पूछ लिया…कोई प्राब्लम???

संजीव-नही भाई….बिल्कुल नही….उसकी भी ले ले तो भी प्राब्लम नही...तेरे साथ मुझे भी मिल जाएगी..हाहहहा

मैं-हाहहहहाआ…चल तो बोल रहा है तो उसकी भी फट जायगी…हहहहहहा

संजीव-हाहाहा…ऊकक्क…चल आजा…बब्यए

मैं –बाइ

फोन पर बात करने के बाद मैने कुछ कपड़े ऑर कुछ ज़रूरी समान पॅक किया ओर नीचे आ गया जहाँ सविता अपने बेटे के साथ टीवी देख रही थी

मैं- दाई माँ ,मैं कुछ दिनो के लिए संजीव के घर जा रहा हूँ…वही रहुगा


सविता-लेकिन बेटा ..

मैं- क्या हुआ

सविता-(अपने बेटे को देखा फिर मेरे पास आकर धीरे से बोली)-मेरा क्या..???

मैं (मुस्कुराते हुए)-टेंशन मत लो ..मैं स्कूल से आने के बाद यहा रुक कर जाउन्गा

सविता(खुश होते हुए)- ओकक सर…बट अभी तो स्कूल बंद है ना…आपने कहा था

मैं- तो क्या हुआ…मैं ऐसे ही आ जाउन्गा सोनू(सविता का बेटा) क्या करता रहता है

सविता-उसे क्या काम…आवारा की तरह घूमता रहता है

मैं – तो घर पर रहने का बोलो…नही तो बिगड़ेगा ही..

सविता-कहाँ मानता है मेरी…रुकता ही नही

मैं-कुछ ऐसा करो कि रुकने लगे

सविता-क्या करूँ

मैं-उसे भी जन्नत दिखा दो…फिर पड़ा रहेगा…हाहहाहा

सविता-हे भगवान..क्या बोल रहे हो…बेटा है मेरा

मैं-(गुस्से से)-साली मैं क्या लगता था तेरा..ऑर तू ही कहती तू ना कि चूत ओर लंड के बीच मे रिश्ते नही आते...

सविता(सोच कर)-ये नही होगा

मैं-तू कहे तो मैं हेल्प करूँ…बस तू हाँ बोल...

सविता-मैं आपको ना नही कह सकती,,,आप जानते है…लेकिन बेटे के साथ...

मैं-तू बस नये लंड के बारे मे सोच …ये मत सोच कि किसका है…

सविता...लेकिन सर...

मैं-चुप....मैने बोल दिया ना...तेरी चूत मे तेरे बेटे का लंड मैं डलवाउंगा...बस तू तैयार रहना...

सविता(खुश होते हुए)-सर नया लंड तो मुझे भी पसद है पर ...देख कर कही बेटा भी हाथ से ना चला जाय...लंड के चक्कर मे..

मैं-तू वो मुझ पर छोड़ दे…मैं जैसा कहूँ,,,वैसा करना..बट अभी मैं जा रहा हूँ

सविता-ओके सर जैसा आप कहो...वैसे कुछ लाउ आपके लिए

मैं-ह्म्म्मज…1 कॉफी लाओ फिर...

सविता-जी अभी लाई
 
सविता कॉफी बनाने चली गई ओर मैने सोच लिया कि अब सविता को उसके बेटे से चुदवा के रहुगा बट अभी फोकस संजीव की घर की तरफ….सविता को बाद मे देखेगे….….
ओर मैं संजीव के घर के लिए प्लान बनाने लगा

कॉफी पीते हुए मुझे कुछ आइडिया आया..अगर ये काम कर गया तो संजीव की मोम के साथ-साथ उसके घर की हर चूत ऑर गंद मैं ही मारूगा…बट इसमे रिस्क है..ऑर मुझे पहले किसी से बात करनी पड़ेगी…अकेले मुस्किल होगा

ये सब सोचते हुए मैने कॉफी ख़त्म की ऑर अपनी कार लेकर संजीव के घर की तरफ निकल गया…..

(संजीव का घर दो फ्लॉर का था
ग्राउंड फ्लॉर पर उसके मोम-डॅड ऑर उसके चाचा-चाची का रूम था ऑर बाकी सब भाई बेहन के रूम 1स्ट फ्लॉर पर थे…

संजीव के डॅड ओर अंकल साथ मे बिज़्नेस करते थे …उनकी स्वीट्स की शॉप थी….ज़्यादा बड़ी तो नही बट अच्छी शॉप थी ऑर पैसा अच्छा था क्योकि…उनकी शॉप की स्वीट्स शहर भर मे फेमस थी…क्वालिटी अच्छी देते थे ना……इसके अलावा अंकल को शेर मार्केट मे ट्रेडिंग करने की आदत थी…वो बेट्टिंग भी करते थे…पैसे की भूख थी उन्हे)


मैने कार बाउंड्री मे पार्क की ऑर मेन गेट पर नॉक किया ही था कि….
एक खूबसूरत माल ने गेट ओपन करते ही बोला…

लड़की-आ गये जनाब

मैं-(अंदर झाँक कर, आस-पास कोई नही था)-हाँ मेरी रानी

(ये लड़की ऑर कोई नही पूनम ही थी…संजीव की बड़ी बेहन ऑर मेरी 1 ऑर रांड़…ये मेरी कैसे बनी ये कहानी आगे आयगी…वेट कीजिए)

पूनम-अब यही रुकने का इरादा है या अंदर आओगे

मैं-क्यो नही…यहाँ अंदर आने के लिए ही तो आया हू,,,ऑर मेरा घौड़ा भी अंदर आयगा

पूनम-(मुस्कराते हुए)-हाँ…वो तो ज़रूर जाएगा…अब कहाँ –कहाँ जा पाएगा..ये तो कह नही सकते

मैं-अगर आप साथ दे तो हर जगह जायगा..इतना बोल कर मैने पूनम को आँख मार दी

तभी मुझे संजीव नीचे उतरकर मेरे पास आता हुआ दिखा ..मैने कहा

मैं-हाई ड्यूड

संजीव- आ गया तू

(संजीव की आवाज़ सुनकर पूनम सरीफ़ बनते हुए...अंदर चली गई ओर मैं संजीव के साथ हॉल के अंदर आ गया)

संजीव-मोम…अक आ गया है

(यहाँ मैं संजीव की मोम को मैं आंटी 1 ऑर संजीव की आंटी को आंटी 2 लिखुगा)

आंटी1-अर्रे …आओ-आओ बेटा(ये कहते हुए आंटी किचन से बाहर आई….

(मैने संजीव की मोम को पहले भी देखा था …माल तो वो थी ही लेकिन आज तो क़हर ही ढा रही थी …ऐसा इसलिए था क्योकि आज मैं उन्हे चोदने का सोच कर आया था)

मैं-हेलो आंटी

आंटी1- ऑर कैसे हो बेटा ..डॅड कैसे है

मैं-अच्छे है आंटी आप बताए

आंटी1-बस बेटा मज़े मे है

मैं आंटी को देख कर खुश हो गया ..क्या माल थी यार…38 के बूब्स होगे शायद …मज़ा आज़ायगा…ऑर गंद तो 40 से भी बड़ी होगी…इसकी गंद मारने मे मज़ा आयगा…यही सब सोच ही रहा था कि मेरे कंधे पर एक हाथ पड़ा...

संजीव- क्या सोच रहा है

मैं(मुस्कुराते हुए)- कुछ नही भाई

आंटी1- बेटा तुम बैठो मैं कॉफी लाती हूँ…तुम्हे कॉफी पसंद है ना…

मैं- हाँ आंटी…आपको याद है

आंटी 1- हाँ बेटा ,,,तुम भूल गये मुझे लेकिन मुझे तो सब याद है

(बचपन मे मैं आंटी के बूब्स देखता रहता था …एक बार आंटी ने मुझे ऐसा करते हुए देख भी लिया था…शायद वही बोल रही थी)

मैं-अरे नही आंटी मैं भी नही भूला….अब यहाँ रुकने वाला हूँ तो सब यादे ताज़ा हो जायगी….ऑर मैने मुस्कुरा दिया

आंटी1- (मुस्कुराते हुए)- हाँ बेटा सब ताज़ा हो जायगी…

इतना बोल कर आंटी1 किचेन मे चली गई तभी….दूसरी तरफ से एक मीठी सी आवाज़ आई…आरीए ..अक…कैसा है तू…मैने आवाज़ की तरफ देखा तो मेरी आँखे बड़ी हो गई

मेरे सामने संजीव की आंटी खड़ी थी….ये भी मस्त माल थी….38-32-40 का दमदार फिगर ऑर वो भी ब्लू कलर की मॅक्सी मे कयामत ढा रही थी…मेरा तो लंड तन ने लगा

आंटी2- क्या हुआ…पहचाना नही क्या

मैं-(होश मे आते हुए)- हाँ आंटी …पहचाना क्यो नही…कैसी है आप

आंटी2- आज टाइम मिला है पूछने का कि कैसी हू मैं…..कभी आता भी नही अब तो

मैं- अर्रे आंटी पढ़ाई ऑर स्कूल मे ही बिज़ी रहता हूँ….सॉरी

आंटी2-कोई बात नही पढ़ाई तो ज़रूरी है…बट कभी-2 आ जाया कर

मैं-हाँ आंटी बिल्कुल

इतने मे आंटी1 कॉफी लेकर आ गई ऑर हम सबने बैठ कर कॉफी विद अक स्टार्ट कर दिया…हाहहहहा…


तभी हॉल मे 2 लड़किया एंटर हुई ऑर आंटी2 से बोली…मोम मुझे मैथ की ट्यूशन करना है कुछ समझ नही आता स्कूल मे…दूसरी लड़की भी साथ देते हुए बोली मोम मुझे भी…

जब मैने मुड़कर देखा तो ये रक्षा ओर अनु थी…मुझे देखते ही

रक्षा-भैया आप….कैसे हो…कब आए

अनु- भैया इतने दिनो बाद …कहाँ रहते हो आप
 
वो दोनो मुझसे पूछ रही थी ऑर मैं उन्हे देख कर खो सा गया कि क्या माल हो रही है दोनो….इनकी मिल जाय तो कली से फूल बना दूं…

अचानक अपनी सोच से बाहर आकर मैने कहा

मैं-मैं यही रहता हूँ…घर पर..ऑर इतने दिनो मे आया…मतलब क्या…कभी बुलाया जो ऐसा बोल रही हो...

रक्षा-तो आप बुलाने पर ही आओगे क्या….अपनी बहनो से मिलने भी नही आ सकते

अनु-हाँ भैया बोलो अब

मैं(मन मे सोचते हुए कि मुझे पता होता कि यह माल ही माल बन गये हो तुम सब तो ज़रूर आता…कोई बात नही अब आया हूँ तो आता ही रहुगा)

मैं-अरे ऐसा नही है…अच्छा बाबा सॉरी अब शिकायत का मौका नही दूगा ओके

रखा-ओके भैया…अब आप यही रुकिये कुछ दिन हमारे साथ

अनु-हाँ भैया…हमे मैथ पढ़नी है आपसे…आप तो स्कूल मे मत के टॉपर हो

(मैं चुदाई के पहले पढ़ाई मे भी आगे ही…अपने स्कूल का टॉपर ऑर मैथ मे तो मास्टर हूँ)

अनु ऑर रक्षा की बात सुनकर आंटी1 बोली...

आंटी1- हाँ बेटा अक 15 दिन यही रहेगा हमारे साथ 

अनु-वाउ

आंटी-और ये तुमको भी पढ़ा देगा क्यो बेटा(यानी कि मैं)

मैं- हाँ आंटी क्यो नही…..इन्हे तो सिखाना ही पड़ेगा…तभी तो आगे बढ़ेंगी

रक्षा-सच्ची भैया….थॅंक यू

अनु-थॅंक्स भैया

आंटी2-अब तुम दोनो चेंज करके पढ़ने बैठ जाओ ….अक भैया भागे नही जा रहे

रक्षा-ओके मोम

अनु-ओके मोम

मैं संजीव आंटी1 और आंटी2 कुछ देर ऐसे ही बातें करते रहे फिर आंटी बोली

आंटी1-बेटा क्या बनाऊ…आज तुम्हारे मन का खाना बनाउन्गी

मैं-ऑंटी..आप जो बनाए वो ही अच्छा लगेगा मुझे तो

आंटी2-वेरी स्वीट …फिर भी तुम्हे बताना ही होगा

संजीव-मोम अक को तो चिकन ही सबसे ज़्यादा पसंद है

आंटी1- तो आज चिकन ही बनेगा

आंटी2- संजू(संजीव को प्यार से संजू बुलाते है) जाओ तुम मार्केट से चिकन लाओ…आज अक को अपने हाथ से बना के खिलाती हूँ

मैने मन मे कहा …तेरे जैसी मुर्गी मिल जाय तो रात भर दवा कर खाउन्गा

संजीव- अवी जाता हूँ

मैं-अर्रे ..क्या ज़रूरत है…ऑर कुछ बना लो

आंटी1-तू चुप कर…..संजू आ मैं पैसे देती हूँ, चिकन ला…ऑर मेघा(आंटी2) तू तैयारी कर खाने की….अक बेटा तू फ्रेश हो जा …मैं भी नहा लेती हूँ जब तक

(इसके बाद आंटी1 ऑर संजीव आंटी1 के रूम मे गये ऑर आंटी 2 मुझे उपर जाने का बोल कर किचेन मे चली गई)

मैने सीडीयो से उपर पहुचा तो दोनो तरफ 2-2 रूम थे
मैं 1 तरफ जा ही रहा था कि अचानक 1 रूम का गेट खुला ओर 1 हाथ ने मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीच कर रूम के अंदर कर दिया ओर फिर अंदर से गेट बंद कर दिया
मैने पलट कर देखा तो पूनम थी
मैं- क्या कर रही है
पूनम-अब कंट्रोल नही होता…ओर इतना कह कर पूनम मेरे उपर टूट पड़ी ओर मुझे चूमने लगी
मैने उसे पीछे करते हुए कहा
मैं- यार कोई देख लेगा तो
पूनम- कोई नही आयगा …सब बिज़ी है…अनु ऑर रक्षा नहाने गई है…मेरी मोम भी नहाने गई है…भाई (संजीव) चिकन लेने मार्केट गया…आंटी किचेन मे है…डॅड ओर अंकल शॉप पर है..

इतना बोल कर पूनम मेरे पास आई ओर मेरे होंठो को चूसने लगी…मैं भी उसका साथ देने लगा…5 मिनट की किस्सिंग के बाद हम गरम होने लगे कि तभी नीचे से आवाज़ आई
आंटी 1- पूनम मैं नहाने जा रही हूँ…अक को कुछ चाहिए हो तो पूछ लेना
पूनम-हाँ मोम…उसे जो चाहिए वो दे दुगी..आप टेन्षन मत लो…ऑर पूनम मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी….ऑर मैं भी उसका साथ देने लगा

फिर हम किस करने लगे ….ऑर पूनम बोली
पूनम-आज रात को रेडी रहना….
मैं-बट संजीव
पूनम-तुम बस चुप रहना बाकी मुझ पर छोड़ दो
मैं-ओके
इतना बोलकर पूनम रूम से बाहर निकल गई…क्योकि ये रूम संजीव का था ऑर अगले 15 दिनो तक मेरा भी…
मैने भी अपना समान रखा ऑर फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चला गया…..

आज मैं संजीव के बाथरूम मे था….नहाते हुए मैं सोच रहा था कि ऐसा क्या करू कि संजीव की माँ को चुदाई के लिए तैयार करूँ…
मैं सोच रहा था कि पूनम की चुदाई भी करनी है बट संजीव के होते हुए कैसे कर पाउन्गा….
 
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