Incest Sex Kahani प्यार का रिश्ता - SexBaba
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Incest Sex Kahani प्यार का रिश्ता

hotaks444

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प्यार का रिश्ता --1

हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी प्यार का रिश्ता के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूँ दोस्तो कैसे है आप, आप सभी मज़े मे रहते है उसका क्या पूछना..... . आपके लंड और चूत की प्यास तो बुझती रहती है..... पर मैं यहा एक हक़ीकत बयांन करना चाहता हू कि वास्तव मे किसी चूत को लंड और लंड को चूत इतनी आसानी से नही मिलती जितनी आसानी से किसी ग्रूप की स्टोरीज मे बयान की जाती है... मुझे तो भारी मसक्कत करनी पड़ी और तो और इसके लिए सालों का इंतेज़ार करना पड़ा... ना जाने कितने बार अपने लंड को मूठ मारकर शांत किया होगा उसकी चूत की याद मे.....तब जाकर 5 साल बाद यह आग शांत हुई... चलिए अब आपको ज़्यादा बोर ना किया जाए और मैं अपना घटनाक्रम हू-ब-हू लिखता हू जैसा की वो घटा...

जैसा की आप मेरे बारे मैं जानते है की मेरा नाम मानुमुकुंद है और हिन्दुस्तान के एक खूबसूरत सहर सागर का रहने वाला हू.. मेरी उमर इस वक़्त 39 की है और मेरी बॉडी कसरती है मैं स्पोर्टस्मन रहा हू मेरी हाइट 6फ्ट4इंच रंग गोरा है......ओफ़कौरसे यार मैं मेरीड हू और मेरी दो बेटियाँ है..... मेरी मॅरीड लाइफ बहुत अच्छी है लेकिन मेरी कुंडली मे ऐसा योग है कि मेरी सेक्स ड्राइव मे बहुत सारी महिलाए शामिल होंगी तो वैसा ही हो रहा है....

यह जो घटना घटी यह ठंड के समय मे न्यू देल्ही रेलवे स्टेशन के रिज़र्वेशन काउंटर से शुरू हुई.... मैं अपने काम से दिल्ली गया था वाहा से सागर वापिस लौटने के लिए मुझे रिज़र्वेशन कराना था... सो मैं भी रिज़र्वेशन काउंटर गया वाहा मैं अपना फॉर्म भरकर जब अंदर पहुचा तो देखा बहुत भीड़ है.... तो एक लाइन मे मैं भी लग गया.. मेरे आगे जीन्स और वाइट टॉप पहने लड़की खड़ी थी. वो काफ़ी स्किन टाइट टॉप और जीन्स पहने हुए थी जिसके कारण उसके शरीर के कटाव को सॉफ देखा जा सकता था... उसके शरीर के वाइटल स्टॅट्स बहुत ही आकर्षक थे और रंग गोरा था बड़ी बड़ी आँखे मस्त तने हुए मम्मे गद्देदार गांद पतली कमर....... मैं उसकी जीन्स की चैन के पीछे छुपी हुई चूत का अंदाज़ा नही लगा पा रहा था लेकिन पूरे शरीर के माप तोल के हिसाब से मैने सोचा जैसे गांद है वैसे ही रसिली उसकी योनि होगी... फूली हुई गद्दे दार... यम्मीयी...... .. लगभग 30-35 मिनिट लाइन मे लगे हुए हो गये थे और लाइन तनिक भी कम नही हुई थी. भीड़ ज़्यादा होने के कारण धक्का लगता तो मैं उसके पीठ से और मेरा लंड उसकी गांद से टकराता.. ऐसी मस्त गांद से टकराके मेरे जैसे कामी पुरुष का लंड खड़ा ना हो तो क्या हो. सो वो खड़ा हो गया... अब मुझे धक्के कुछ ज़्यादा ही लग रहे थे सो मैं बार बार उससे टकरा रहा था... करीब 1-1.30 घंटे बाद हमारी पहली बार बात हुई.. उसने मेरे से पूछा "आप कहा का रिज़र्वेशन ले रहे है"

मैने कहा मैं" सागर का"

मैने पूछा आप किस गाड़ी का ले रही है वो बोली "मुझे भी सागर जाना है..."

मैने पूछा "किस गाड़ी का ले रही है आप"

उसका जवाब था " गोंडवॅना एक्स्प"

मैने कहा "वो तो फुल है मैं दूसरी गाड़ी का ले रहा हू.. उसमे मिल ही जाएगा"

मैं कुछ ब्लॅंक रिज़र्वेशन अप्लिकेशन फॉर्म भी रखे हुए था.... सो मैने उसे ऑफर किया की "क्यों ना हम एक ही रिज़र्वेशन फॉर्म भर्ले"

उसने कहा की वाह वाह क्या बात कही है.... "मैं आपको या आप कहा ढ़ूंदेंगे टिकेट के लिए जबकि हम एक दूसरे को पहचानते नही..."

मैने कहा "आप मेरे को सिर्फ़ पीएनआर नंबर भर दे दीजिएगा और टिकेट आप लेजइएएगा.

वो राज़ी हो गई....
 
मैं लाइन मे लगे लगे ही फॉर्म भरने लगा " मैने उसका नाम और उमर पूछी"

दोनो बताना उसकी मजबूरी थी उसने अपना नाम शिवानी और उमर 22 साल बताई...

जब मेरा नंबर आनेवाला था तो मैने उससे कहा कि आप लाइन से अलग हो जाइए और मुझे अपने पैसे दीजिए

उसने मुझे एक ऑफर दिया की "ऐसा करते है कि कही आप भी टेन्षन मे ना रहो इसलिए आपसे मैं अभी आधा किराया लूँगी बाकी का आधा किराया कल जब ट्रेन मे मिलूंगी तब ले लूँगी"

मैने कहा "कोई ज़रूरत नही शिवानी जी.... मुझे आप पर पूरा पूरा भरोसा है.... आप निश्चिंत रहिए...." मैं आपको कल ट्रेन पर ही मिलूँगा और अपने पूरे पैसे भी दूँगा"

मेरे ऐसा कहते ही वो सकते मे आ गई...और कहा" आप भी अजीब इंसान है अभी अभी कुछ मिनिटो पहले हुई मुलाकात मे इतना विश्वास!!!! !! गजब है आपका कॉन्फिडेन्स.. .."

मैने बड़ी अदा से मुस्कुराते हुए कहा" शिवानी जी इसका जवाब मे इस रिज़र्वेशन सेंटर से बाहर निकल कर दूँगा यदि आप पर्मिट कराईं तो"` और मैने उसके सवालिया नज़रों से देखा.....

उसने कहा " मनु जी मैं आपकी बात अपने दिल से स्वीकार करती हू और बाहर निकलने का इंतेज़ार भी"

मैं रिज़र्वेशन की टिकेट ले चुका था मेरी उप्पेर बर्थ थी और उसकी भी सामने वाली उप्पेर बिर्थ मिली थी...

मैने पीएनआर नंबर को याद कर लिया और अपने सेल मे डायल कर लिया उसको ऐसा लगा जैसे मैं किसी को फोन लगा रहा हू...

वो कहने लगी "आप पंर नंबर नोट कर लीजिए"

मैने कहा अब इसकी भी कोई ज़रूरत नही है"

बोली "क्यों!?!?!?! ? आप तो बड़े रेहश्यमय होते जा रहे है"

इतने मे हम दोनो चलते हुले रिज़र्वेशन काउंटर के लॉन मे आ गये..... मैने जान भूझकर दूसरा टॉपिक शेयर दिया उसकी उत्सुकता बढ़ाने को....

जैसे ही बाहर आए तो बोली "हा तो मनु जी !!!अब आप मेरे सवाल का जवाब दीजिए"

" शिवानी पहले यह मनु "जी" कहना छोड़िए" और किस सवाल का ज्वाब माँग रही है आप मेरे से???"

"वाहह!!!! भूल गये अंदर ही कहा था आपने......" और उसने मेरी बात दुहरा दी.....

"ओह!! वो बात कुछ नही ... छोड़िए ना इस बात को... " मैने उसको सताने के लिए टालना चाहा'

जैसा मुझे अंदेसा था वो मचल उठी तो मैने उसको जवाब दिया

मैने थोड़ा रोमॅंटिक आक्टिंग करते हुए कहा "शिवानी आप इतनी सुंदर और क्यूट है... की बरबस ही दिल ने कहा की यार इस पर कुर्बान हो जा तो मैने अपने दिल की बात मान ली...."क्योंकि मैं कभी अपने दिल की बात को टालता नही हू....
 
वो मेरे से इंप्रेस हो गई और मेरे को झुक कर सलाम करते हुए बोली"जेहा-पनाह मैं हारी और आप जीते"

मैने कहा ऐसे कैसे वो बोली इसका मतलब मैने कहा 3 घंटे से तपस्या हो रही है और मैं ब्रामिन आदमी हू बॉल बच्चे दार बहुत भूक लगी है... कुछ खा लिया जाए...

मैने जैसे ही बॉल बच्चो दार कहा तो वो थोड़ी चौंकी जैसे पूछना चाहती हू कि मेरी शादी हुई की नही.... लेकिन मैं उसे सता कर फ्लर्ट करके बताना चाहता था....

मैने कहा मैं तो बाहरी हू आप को पता है कोई अछा सा रेस्टौरेंट जहा मैं तुमसे दो बाते कर सकू.....

शिवानी बोली मैं भी यही चाहती थी.... चलिए लेकिन पैसे मैं दूँगी बोलिए मंजूर है

मैने कहा जो हुकुम मेरी..... इतना कहकर मैं रुक गया.... मैं अपनी बतो से उसे बहुत टीज़ कर रहा था मैने उसको और चौंका दिया जब मैने उसका हाथ अपने हाथ मे लेलिया और उसको अपने साइड से चिपका लिया और चलने लगा..... मैने कहा टेक्शी ले लेते है.... शिवानी ने कहा कोई ज़रूरत नही अपने पास गाड़ी है.... मैने सोचा आज तो किस्मत बहुत खेल रही है... मेरे से.... उसके पीछे बैठूँगा.. ...

पर उसके पास कार थी जो की रेलवे स्टेशन की पार्किंग मे थी... वाहा तक पैदल गये और वो मुझे गेट पर खड़े करके कुछ देर मे कार ले आई...

वो मुझे एक फॅमिली रेस्टौरेंट मे ले गई और एक कॅबिन मे हम दोनो बैठ गये....

अमोल पालेकर की किसी रोमॅंटिक फिल्म की तरह मैं और शिवानी दोनो टेबल के आमने सामने बैठे एक दूसरे को कुछ देर तक खामोशी से घूरते रहे हुमको डिस्टर्ब किया वेटर ने.... गुड आफ्टरनून शिवानी मॅम.... फिर मेरे को भी विश किया.......

तब समझ मे आया की शिवानी इस रेस्टौरेंट मे आती जाती रहती होगी इसलिए वेटर उसको जानता है लेकिन मेरे दिमाग़ मे फिर से उसकी फूली हुई गद्देदार चूत घूम गई.... जिसके कारण मेरा लंड अपने पूरे शबाब पर आ गया .....

' ऐसे क्या घूर रहे हो मनु" शिवानी ने पूछा

" ईश्वर को धन्यवाद दे रहा था कि एक खूबसूरत और सेक्सी लड़की के साथ आज रेस्टोरेंट मे हू" मैने बिंदास कह दिया वो अपनी तारीफ सुनकर थोड़ा शरमाते हुए मुस्कुराइ.

" तुम बहुत खूब्शुरत तो हो ही साथ ही उतना ही अछा दिल और चुलबुली हरकते है तुम्हारी" मैने शिवानी से आगे कहा
 
" जानती हू तुमने ना जाने कितनो की नीदे हराम की होंगी और ना जाने कितनो के कपड़े"...... ...

" धात तुम बहुत बेशर्म हो मनु.....और ऐसी बाते करी तो मैं भाग जाउन्गि" शिवानी ने कहा

" अरे!!! मुझे मालूम है !!!@ की एक खूबसूरत और हसीन लड़की को उसकी तारीफ सुनना अछा लगता है".... वो धीरे धीरे से नज़रे छुपाकर मुस्कुरा रही थी...

" क्या मनु!! तुम भी!!!!! लाइन मार रहे हो क्या???? यहाँ दाल नही गलने वाली" शिवानी ने बोला..

"अरे जालिम यहा दाल गलने ना गलने की किसे फिकर है??? वो भी जब पूरा का पूरा समुंदर और दाल दोनो सामने हो!!!! शिवानी ने मेरे से यह सुनकर बहुत जोरों से ठहाका लगाया.....

शिवानी ने टॉपिक चेंज किया ' आपके घर मे कौन कौन है मनु"

"अरे यार दाल मे कंकड़ कहा से आ गया ..... सारा स्वाद बिगाड़ दिया" मैने शिवानी के क्वेस्चन पर उसको टीज़ करते हुए कहा...

" प्ल्ज़्ज़ बताइए ना'''''')

मैने शिवानी के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा " कही सुनकर तुम मेरे से मूह तो नही फेर लॉगी पहले यह प्रॉमिस करो"""

"ह्म्‍म्म्ममममम.. ...... चलो प्रोमिसस किया!!!"

"ओके"

"बस यही 6-7 बिबीयाँ 30-35 बच्चे और 1-2 प्रेमिकाए, मा-बाप, 4 बेहनाई और अकेला मैं"

" अरे यार मज़ाक मत करो.... सही बताओ नाअ"

" सही तो कहा....... 6-7 ब........."

उसने अपना हाथ मेरे हाथ से छुड़ाकर मेरे हाथ पर मुक्का मारते हुए बोली बहुत परेशान करते हू पिटोगे..... जल्दी बताओ.....

"ओके" बाबा "ओके" नाउ आइ एम सीरीयस लाइक ए ईककू पेशेंट

"6-7 बिबिया याने 6-7 काम , 30-35 बचे याने कुछ दोस्त........ 1-2 प्रेमिकयायन यानी 1 बीबी 2 प्यारी प्यारी बेटी और ........" इतना कह कर मैं रुक गया .....
 
" और क्या.......आगे बोलो ना" शिवानी उत्सुकतावास पूछने लगी

"बस" इतना ही मैने कहा

" तुमने तो कहा था 2 प्रेमिका शिवानी झुंझलते हुए पूछने लगी

हा 1 तो कन्फर्म है पर दूसरी का मेरी तरफ से तो मेरा 50% पक्का है पर उसका 50% बाकी है पर लगता है जल्दी ही उसका भी 50% जल्दी ही पूरा होकर वो भी 100% प्रेमिका बन जाएगी......

"अछा... शिवानी तुम बताओ कुछ अपने बारे मे.. तुम कौन हो कहा की हो घर मे कौन कौन है तुमको क्या अछा लगता है......" मैने शिवानी से पूछा वो कुछ उदास होते हुए बोली......

" मैं अभी स्टडी कर रही हू और उसकी काम से सागर जा रही हू... मैं वाहा से क्रिमिनॉलजी सब्जेक्ट से पीजी करना चाहती हू."......

यार शिवानी कोई बात नही तुमको नही बताना अपने बारे मे तो मत बताओ... मैं वो बात नही करता जिससे किसी मेरे अपने का दिल दुख़्ता हो...... हा एक बात है की मैं तुमको तुम्हारी पीजी के लिए बहुत मददगार साबित हो सकता हू.. क्रिमिनॉलजी डिपार्टमेंट का हेड से लेकर पेओन तक मेरा अछा परिचित है.

अक्चा यह बताओ..... यह रेस्टोरेंट मे तुम बहुत आती जाती हो..... वो वेटर तुमको देखकर सलाम ठोक रहा था जैसे तुम यहा की बहुत वाल्यूवबल कस्टमर हो......

" हा मनु यही समझ लीजिए.. ... मैं यहा की वॅल्युवबल कस्टमर ही हू....."

इतने मे हमारा ऑर्डर किया हुआ खाना आ गया और हम दोनो खाना खाते खाते बाते करते रहे. खाना ख़तम करते हुए मैने कहा चलो अब मे चलता हू कल मिलते है ट्रेन पे बाइ बाइ...... बोली अभी कहा चल दिए जनाब..... कुछ घंटो मे हम दोनो ऐसे हो गये थे जैसे जनम जनम से एक दूसरे को जानते हो....

मैने कहा" सच कह रही हो शिवानी... पता नही क्यों ऐसा लगता है की जिंदगी बस आज ही है...... इसके बाद ना जाने कब साँस ख़तम हो जाए तो भरपूर जी लू मेरा ना तो मन कर रहा है ना ही दिल जाने क़ा"

' तो बोला किसने है तुमको जाने को.... चलो आज रात ना तो मैं सोती हू ना ही तुम" हम दोनो बहुत सारी बाते करेंगे..... मैने कहा ठीक है.... हम दोनो जब से मिले थे तो ऐसे लग रहा था की दुनिया मे सिर्फ़ हम दोनो ही है तीसरा तो कोई है ही नही..... अब तक शाम के 7 से ज़्यादा बज चुके थे.....
 
मैने शिवानी को बोला की : डियर तुम भी कुछ गरम कपड़े पहन लो और मैं भी अभी थोड़ी देर मे आता हू होटेल से कपड़े बदल के..........

" नही ना तो मैं कही जाऊंगी ना ही तुम जाऊगे समझे!!!!!" शिवानी मेरे पर अधिकार जमाते हुए ऑर्डर दे रही थी.....

" यार तुम तो बिल्कुल मुझे मेरी बीबी के तरह ऑर्डर फरमाती हो......." जो हुकुम मेरे आका....

" पर यह तो बताओ की हम रात काटेंगे कहा...." मैने शिवानी से पूछा

" अरे जानी तुम चिंता क्यूँ करता है!!!! मैं हू ना तुम्हारे साथ.... तुम क्यों डरता है मॅन" शिवानी बड़े स्टाइल मे बोली मेरे से

" देखिए शिवानी जी मैं अपनी पत्नी का ईक्लोता पति हू.... और पिछले 15 दीनो से उससे नही मिला हू तो मुझे मेरी इज़्ज़त ख़तरे मे नज़र आ रही है... मैं एक पत्निवरता पति हू.. प्लज़्ज़्ज़्ज़"

" अरे नही जानी!!! डरा नही करते !!! हम लोगो की इज़्ज़त से खेला नही करते" शिवानी फिल्म स्तर राजकुमार के अंदाज़ मे बोल रही थी......

वो मेरे को कारोल बाग ले गई और कुछ शॉपिंग गिफ्ट के मैने भी उसको बाड़िया सा उंड़रगर्मेट का गिफ्ट सेट दिया....

शिवानी अब दिल्ली की सड़कों पर गाड़ी मे रोमॅंटिक गाना लगाकर गाड़ी दौड़ा रही थी......."

"शिवानी तुमने कभी किसी से प्यार किया है......." मैने एक दम पूछ लिया

" यार तुम मर्दों मे यही एक खराबी होती है की जहा लड़की दिखी तो उसके प्रति लार टपकने लगती है और जल्दी से जाने के इक्च्छुक हो जाते हो की यह किसी से पटी तो नही है किसे चुदवाया तो नही है....
 
प्यार का रिश्ता --2

मैं उसके मूह से पहली बार किसी चुदवाने जैसे शब्द को सुनकर चौंक पड़ा..... पर मैने कोई भाव उसके सामने प्रदर्शित नही किया......

"क्या हुआ मेरे राजा!!!! सन्न रह गये क्या मेरे मूह से चुदवाने जैसा सब्द सुनकर" शिवानी गाड़ी चलाते हुए मेरी तरफ देखे बिना कह गई.......

" नही ऐसा बिल्कुल भी नही है रानी!!!.... मैने वो किसी और मक़सद से पूछा था...."

" पर जब तुम बड़ी बेरूख़ी से बोली तो मैं चुप हो गया'''''' खैर कोई बात नही''''' मैने कहा

थोड़ी देर गाड़ी मे सिर्फ़ कीशोर कुमार के रोमॅंटिक गाने गाड़ी के म्यूज़िक सिस्टम पर बजते रहे... सभी खामोश रहे......

तभी शिवानी ने अपना हाथ बढ़ाकर मेरी गर्दन मे डालकर अपनी और खींचा और मेरे गाल पर पप्पी दे दी..... अब की बार मैं वास्तव मे चौंक गया था

" राजा मैने बहुत बहुत लड़के और आदमी देखे तुमसे हॅंडसम भी थे पर सब के सब मुझे मेरे शरीर के भूके नज़र आए पर ना जाने तुम मे क्या कसिस है मैं समझ नही पाई अब तक"

" मेडम अपने आप को संभालिए ज़रा!!!! और काबू मे रखिए !! मैं एक अदद बीबी का पति और दो बच्चियो का बाप हू" मैने कहा.....

" यार तुम भी दकियानूसी बाते करते हो.......दोस्ती और प्यार मे यह सब नही देखा जाता बस दिल की बात मानी जाती है और तुम्ही ने तो कहा था को तुम्हारा जो दिल कहता है वो ही करते हो"

' हा मैने कहा था और वो सही भी है पर क्या है ना की मेरी एक आदत है की किसी अपने की भावनाओ का पूरा कदर करता हू... वो चाहे बीबी हो दोस्त हो कोई हो...."

"यह बताओ मैं कौन हू तुम्हारी..." शिवानी ने अचानक पूछ लिया

' देखो हम कुछ घंटो पहले एक दूसरे को बिल्कुल भी नही जानते थे पर अभी ऐसा लग रहा है की हम तुम बहुत पुराने संबंधी है.......इस नाते एक अछी सी दोस्त ...ह्म्‍म्म्ममममम. .. बल्कि उससे भी ज़्यादा...." मैने कहा.....

" क्या यार शिवानी इतनी देर से तुम ड्राइव करे जा रही हो..... कही मेरा किडनॅप तो नही कर रही.!?!'

" अरे जानी थोड़ा सबर करो....... अभी बस पहुचने ही वाले है"

उसने गाड़ी एक पौष कॉलोनी के गेट मे अंदर कर दी वाहा बड़े ही सुन्दर सुन्दर बंग्लॉ बने हुए थे......
 
ऐसे ही एक बंगल के गेट के सामने पहुच कर किसी ससपन्स फिल्म की भाँति उसने 3 बार हॉर्न दिया तो गेट्मन ने गेट विंडो से देखा और गेट खोल दिया.......

गाड़ी जाकर पोर्च मे खड़ी की और हम उतर गये....

उसने मेन गेट खोला और कहा मेरे दिलबर आइए मेरे ग़रीब खाने पर आपका स्वागत है.........

और वो अंदर दाखिल होकर मुझे भी अंदर किया.......

एक बहुत ही शानदार ड्रॉयिंग रूम सज़ा हुआ था पेंटिंग्स अक्वेरियम झाड़, फ़ानूस और ना जाने क्या क्या डेकोरेटिव आइटम्स थे.... लग रहा था किसी राजा या महरजा के महल मे आ गया हू..... मेरे कपड़ों से ज़्यादा कीमती तो उसके घर की खिड़कियों पर पड़े पर्दे थे...

मैं भौचक देखता रह गया ....

" ऐसे क्या देख रहे हो मनु आओ ना प्ल्ज़" शिवानी ने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे को खींचते हुए कहा.......

" मैने कहा शिवानी जी आप तो बहुत पैसे वाली है फिर आप 3 टियर का रैली टिकेट की लाइन मे लगी थी.... और वो गाड़ी यह बंग्लॉ..... मुझे कुछ समझ नही आ रही......."

' मनु मेरी जिंदगी इन्ही चार दीवारों की और इन लोहे पत्थर की चीज़ों मे सिमटी है"

"मेरी मा मेरे बचपन मे मेरे को छोड़ कर चल बसी.... मेरी मा के जाने के बाद तो पिताजी और फ्री हो गये और वो दिन और रात नोट छ्चापने की मशीन बन कर रहगए और कुछ महीनो पहले वो भी मुझे इन पथराओं के बीच अकेली छोड़ गये और यह ज़्यादाद छोड़ गये....." मैं बचपन से तन्हा इन्ही दीवारों मे पली बड़ी हुई.. आज तुमसे मिली तब जाना की जिंदगी जीने के लिए एक अदद अच्छा साथी ज़रूरी है........

"खैर छोड़ो क्या पियोगे...... "

मैने कहा तुम्हारी जिंदगी तो बहुत तन्हा है मेरे दोस्त...... मैं कोशिश करूँगा की उसमे कुछ रंगिनियाँ भर सकू...."

"बताओ ना क्या पियोगे.... "

" चह.... चाइ पियूंगा शिवानी जी"

" यह तुम मेरे नाम के आगे जी क्यों लगाने लग गये तुमको क्या हो गया"..... .

" कुछ नही ... वो क्या है आप इतने बड़े एस्टेट की मालकिन और मैं कहा एक अदना सा ब्रामिन'' इसलिए निकल जाता है

"अभी बताती हू तुमको मैं पहले चाइ बना लाऊँ....." शिवानी कहते हुए पता नही उस हाल मे से कहा गायब हो गई
 
मैं सोच रहा था कही मेरे कपड़ों से सोफा ना गंदा हो जाए और यह चीज़े यह तो बहुत बड़ी लड़की है मैं यहा नही ठहर सकता मुझे यहा से जाना होगा... जैसे ही मेरे मन मे यह विचार आया. तो मैं बाहर जाने के लिए मुड़ा तो मेन गेट जैसे चारो और चार गेट और वैसे ही खिड़किया और सोफे भी वैसे ही सेट किए गये थे... वो एक प्रकार से बड़ा ही रहाशयामय बंग्लॉ था... एक भूल-भुलैया जैसा मैने गेट खोलने की कोशिश करी पर खुला नही.....फिर दूसरा तीसरा और छोटा कोई भी गेट नही खुल रहा था......

" क्यों छटपटा रहे हो मेरी जान........ " मैं शिवानी की आवाज़ सुनकर चौंका..... ..

"क्या हुआ क्यों भाग जाना चाहते हो यहा से...."

" शिवानी जी मुझे यहा से जाने दीजिए प्ल्ज़्ज़... मेरा यहा दम घुट जाएगा....." .... मैने शिवानी से लगभग गिड-गीडाते हुए कहा

" पहले चाइ तो पी लो'''

" हम दोनो ने चाइ पी" और उस दौरान हम दोनो खामोश रहे.....

चाइ ख़तम करके मैं खड़ा हो गया ....

" देखो मनु क्या तुम सच मे अपने दोस्त को छोड़ कर जाना चाहते हो ????? तो मैं तुमको नही रोकूंगी" अरे यार इस दौलत के पीछे तो ना जाने कितने लोग पड़े हुए है... और एक तुम हो जो दौलत से दूर भाग रहे हो.....

" नही शिवानी ग???? मुझ दौलत नही चाहिए? मैं ग़रीब ज़रूर हू पर लालची नही???? ऐसा कीजिए आप मेरे साथ मेरे होटेल चलिए वाहा पर हम दोनो बैठते है....

वो मेरे को लगभग खींचते हुए अपने बेडरूम मे ले गई.....

वाहा मुझे बिठाकर उसने दरवाजा बंद किया और बेतहासा मेरे से लिपट गयी और मेरे को ना जाने कितने किस्सस दिए... मैने पहली बार उसके शरीर का आएशास महसूस किया मैं जैसा था वैसा ही रहा.....

उसने मेरे को ऊपेर से नीचे तक चूमा .......

उसने मेरे लिप्स भी चूसे उसके मस्त मम्मे मेरी छाती मे गड़ रहे थे लेकिन फिर भी आज जो लंड सपनो मे या इमॅजिन करते हुए किसी चूत को या मम्मो का आएशस पाकर खड़ा हो जाता था उसको कुछ नही हुआ था......

" आइ लव यू डियर मनु... मैं तुम्हारी दीवानी हू... तुम्हारी शायरी की दीवानी... तुम्हारी हँसी की दीवानी तुम्हारे हर एक अंग अंग की दीवानी हू."

मन तो मेरा भी कर रहा था की मैं उसे कह दू आइ लव यू टू माइ डियर शिवानी पर डर रहा था. जैसे तैसे मैने हिम्मत बटोरी और कहा " शिवानी यह नही हो सकता.... मेरा मन और दिल तुमको बहुत प्यार करने को चाहता है पर ......"

" पर... तुम शादी सुदा और दो बच्चियो के बाप हो यही ना....!! मेरे लिए इससे कोई फ़र्क नही पड़ता तुम मेरे सचमुच के मनु हो.... मनुता हो तुम मेरे...."
 
" जानते हो जब मैने तुम्हे तुम्हारी अफीशियल पार्टी मे पहली बार देखा तो पहली ही नज़र मे तुमको अपना सबकुछ बना बैठी..... मैने उसी पल सोच लिया था और ठान लिया था की एक ना एक दिन तुमको पा के रहूंगी..... " और उसी समय से मैं तुम्हारे पीछे लग गई..."

मुझे सब कुछ पता है तुम्हारे बारे मे... अब कुछ नही हो सकता ......" मैं तुम्हारी दासी हू तुम चाहे मेरे साथ जो भी करो मुझे मंजूर है"

मैने उससे कहा " शिवानी मुझे तुम्हारा शरीर तो अछा लगा पर जब हम दोनो मिले तो तुम्हारे लिए मेरे मन मे भी पवित्र प्रेम और भाव जाग गये" उसमे वासना कही दूर चली गई.....

और अब मैं भी उसको चूम रहा था हम दोनो दो शरीर एक हो कर एक दूसरे हुए किसे पेड़ पर जैसे लता चिपकती है ऐसी चिपके हुए थे उसके मम्मे मेरी छाती मे उसकी टाँगो के बीच मे मेरी जाँघ और मेरा लंड जो अब पूरा खड़ा हो चुका था उसके पेट पर गाड़ा हुआ था..... मैं शिवानी को चूमे जा रहा था और उसे लिपताए हुए उसकी पीठ और गर्दन और मस्त गांद सहलाए जा रहा था.. ना जाने कितनी देर तक हम दोनो ऐसे ही लिपटे रहे एक दूसरे की बाँहो मे.....

फिर मैने शिवानी को अपने से अलग किया और उसे साथ लेकर बेड पर आ गया ... हम दोनो अगाल-बगल बैठे थे बेड पर पैर ज़मीन मे लटकाए हुए.....

मैने शिवानी को बोला "बाथरूम कहा है...."

"वो उस तरफ.." एक दरवाजा की तरफ इशारा करते हुए शिवानी ने बताया

चोकी मेरा लंड तना हुआ था और मुझे लग रहा था कि शायद चुदाई हो तो कही जल्दी ना झाड़ जाऊ इसलिए मैं बाथरूम मे गया और मूठ मारकर वापिस आ गया ....

तब तक शिवानी ने भी कपड़े बदल लिए थे अब वो नाइट गाउन मे आ गयी थी.... कमरे मे हॉट ब्लोवर चालू था इसलिए ठंड का ऐएहसास नही हो रहा था....

मैं आकर जैसे ही पलंग पर बैठा तो शिवानी ने कहा मनु कपड़े बदल लो और मेरे को एक गाउन दे दिया.....

गाउन लेकर मैं फिर बाथरूम गया और अपनी जीज़्न्स , स्वेटर वगैरह उतारकर वो रोब पहनकर आ कर बैठ गया ....

मैने शिवानी से कहा " तुम इतने पैसे वाली रुतबे वाली होकर मुझ जैसे आदमी पर क्यों मर मिटी"

शिवानी ने कहा " देखो मनु तुम भले ही शादी शुदा हो पर एक औरत का दिल नही जानते'''

' एक औरत अपने लिए एक मजबूत बाहों का घेरा, दिल मे बहुत सा प्यार और इज़्ज़त की प्यासी होती है" और यह सभी के सभी मैने तुममे देखे....

मैने तुम्हारे दोस्तों का पता किया कोई मुस्किल नही हुई तुम्हारे बारे मे पता करने मे और सभी ने कहा की मनु आज के समय का इंसान नही है वो बहुत ही सीधा सादा और लविंग पर्सन है. मनु के दिल मे दूसरों के लिए दर्द है प्यार है वो हर कीमत पर अपना वादा निभाना जानता है.... बस फिर क्या था मेरी मन की मुराद पूरी हो गई....
 
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