desiaks
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Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद )
अपडेट-01
आज में 6'2" कद का बिल्कुल गोरा और सुगठित शरीर का 28 साल का आकर्षक नवयुवक हूँ. मेने यहीं चंडीगढ़ से हॉस्टिल में रह कर ग्रॅजुयेट की है और कॉलेज लाइफ में पहलवानी में अच्छा नाम कमाया है. मेरे माता पिता और मेरा छोटा भाई यहाँ से 250 किमी दूर एक गाँव में
रहते हैं. अब मेरे लिए उस गाँव में रहना और खेती करना संभव नहीं इसलिए पिच्छले 3 साल से यहीं चंडीगढ़ में एक चैन डिपार्ट्मेनल स्टोर
में सर्विस में हूँ. मेरा नाम विजय है और मेरे पास 2 बेडरूम का एक मॉडर्न फ्लॅट है जिसमें कि में अकेला रहता हूँ.
अब में अपनी माँ का परिचय आपको दे दूं. मेरी माँ राधा देवी 46 वर्ष की मेरी ही तरह लंबी यानी की 5'10" की बिल्कुल गोरी और सुगठित शरीर की आकर्षक महिला है. मेरी माँ का शरीर साँचे में ढली एक प्रतिमा जैसा है जिसके स्तन और नितंब काफ़ी पुष्ट और शरीर भी बहुत गदराया सा है पर लंबाई की वजह से बिल्कुल भी मोटी नहीं कही जा सकती. वैसे में आपको बता दूँ की मेरी माताजी पहनने ओढ़ने की, खाने पीने की, घूमने फिरने की मस्त तबीयत की एक हाउस वाइफ है पर पिताजी के असाध्य रोग की वजह से उसने पिच्छले 15 साल से
अपने इन सारे शौकों को तिलांजलि दे रखी है. साथ ही माँ शरीर से जितनी आकर्षक औरत है उतनी ही रंगीन तबीयत की भी औरत है. पिच्छले 15 साल से उसने एक पूर्ण पतिव्रता स्त्री की तरह अपना समस्त जीवन पति सेवा में समर्पित कर रखा है. गाँव में हमारी अच्छी
ख़ासी ज़मीन जायदाद है और माँ छोटे भाई के साथ खेतीबाड़ी का काम भी करती है. मुझे चंडीगढ़ में हॉस्टिल में रख ग्रॅजुयेट कराने में माँ का ही पूर्ण हाथ है.
मेरा छोटा भाई अजय 22 साल का हो गया है. वह भी माँ की तरह पूरी तरह से गदराया हुआ गोरा चिट्टा आकर्षक नौजवान है. उसने गाँव के स्कूल से ही 10थ तक पढ़ाई की और उसके बाद पिताजी की दवा-पानी का, घर की देख-भाल का, तथा खेती बाड़ी का काम संभाल रखा है. इसके अलावा वह थोड़ा भोला और सीधा साधा भी है. मेरे बिल्कुल विपरीत उसके शरीर में काफ़ी नज़ाकत है जैसे छाती पर बालों का
ना होना, पूरा नौजवान होने के बाद भी बहुत ही हल्की दाढ़ी मूँछों का होना, लड़कियों जैसा शर्मिलपन होना इत्यादि. अभी भी उसके शरीर
में एक तरह की कमसिनी है. उसके चेहरे पर एक मासूम सा भोलापन छाया रहता है. गाँव के मेहनती वातावरण में रहने के बाद भी मेरा भाई बिल्कुल गोरा, मक्खन सा चिकना, नाज़ुक बदन का नौजवान है.
आख़िर आज से 15 दिन पहले वही हुआ जिसकी आशंका हम सबके मन में थी. 15 दिन पहले अजय का सुबह सुबह फोन आया कि
पिताजी चल बसे. में फ़ौरन गाँव के लिए रवाना हो गया. पिताजी के सारे क्रियाकर्म रश्मो रिवाज के अनुसार संपन्न हो गये. हम माँ बेटों ने आपस में फ़ैसला कर लिया है कि कल सुबह ही मेरे साथ माँ और अजय चंडीगढ़ आ जाएँगे. गाँव की ज़मीन जायदाद हम चाचा जी
को संभला जाएँगे जो अच्छा ग्राहक खोज कर हमे उचित दाम दिलवा देंगे. चाचा जी ने बताया कि कम से कम 40 लाख तो सारी संपत्ति के मिल ही जाएँगे.
दूसरे दिन दोपहर तक हम तीनों अपने लाव लश्कर के साथ चंडीगढ़ पहुँच गये. माँ ने आते ही बिखरे पड़े घर को सज़ा संवार दिया. एक कमरा माँ को दे दिया और एक कमरे में हम दोनो भाई आ गये. में स्टोर में पर्चेस ऑफीसर हूँ जिससे सप्लाइयर्स के तरह तरह के सॅंपल्स मेरे पास आते रहते हैं. तरह तरह के साबुन, शॅमपू, लोशन, क्रीम्स, सेंट्स इत्यादि के सॅंपल पॅक्स मेरे पास घर में ही थे. इसके अलावा मेरे पास घर में जेंट्स अंडर गारमेंट्स और सॉर्ट्स, बॉक्सर्स इत्यादि का भी अच्छा ख़ासा सम्पल कलेक्षन था. ये सब माँ और अजय को बहुत भाए; ख़ासकर कॉसमॅटिक्स माँ को और गारमेंट्स अजय को. यहाँ माँ पर गाँव की तरह काम का बोझ नहीं था तो माँ मेरे स्टोर में चले जाने के
बाद अजय के साथ चंडीगढ़ में घूमने फिरने निकल जाती थी. शहरी वातावरण में तरह तरह की सजी धजी अपने जवान अंगों को उभारती शहरी महिलाओं को देखते देखते माँ भी अपने शरीर के रख रखाव पर बहुत ध्यान देने लगी. इन सब का नतीज़ा यह हुआ कि माँ
दमकने लगी. फिर मुझे पता चला कि मेरे घर के पास ही हमारे स्टोर की एक ब्रांच में गूड्स डेलिवेरी में एक आदमी की ज़रूरत है.
वह नौकरी मेने अजय की लगवा दी. माँ और अजय को शहरी जिंदगी बहुत ही रास आई.
में माँ का बहुत ध्यान रखता था. सजी धजी, चमकती दमकती माँ मुझे बहुत अच्छी लगती थी. में माँ को कहते रहता था कि आज तक का जीवन तो उसने पिताजी की सेवा में ही काट दिया लेकिन अब तो ऐशो आराम से रहे. मेरी हार्दिक इच्छा थी कि में माँ को वह सारा सुख दूँ जिससे वह वंचित रही थी. मुझे पता था कि मेरी माँ शौकीन तबीयत की महिला है इसलिए माँ को पूछ्ते रहता था कि उसे जिस भी चीज़ की दरकार है वह उसे बता दे. माँ मेरे से बहुत ही खुश रहती थी. रात में हम खाना खाने के बाद हॉल में सोफे पर बैठ टीवी वाग़ैरह देखते
हुए देर तक अलग अलग टॉपिक्स पर बातें करते रहते थे. फिर माँ अपने कमरे में सोने चली जाती और अजय मेरे साथ मेरे कमरे में.
मेरे रूम में किंग साइज़ का डबल बेड था जिस पर हम दोनों भाई को सोने में कोई परेशानी नहीं थी. इस प्रकार बहुत ही आराम से
हमारी जिंदगी आगे बढ़ रही थी.
एक दिन सुबह में बहुत ही सुखद सपने में डूबा हुआ था. में सपने में अपनी प्रिय माताजी राधा देवी को तीर्थों की सैर कराने ले जा रहा था. हमारी ट्रेन में बहुत भीड़ थी. रात में टीटी को अच्छे ख़ासे पैसे देकर एक बर्त का बंदोबस्त कर पाया. उसी एक बर्त पर एक ओर मुँह करके माँ सो गई ऑर दूसरी ओर मुँह करके में सो गया. रात में कॉमपार्टमेंट में नाइट लॅंप जल गया. तभी माँ करवट में लेट गई. कुच्छ देर में मैं भी इस प्रकार करवट में हो गया कि माँ की विशाल गुदाज गान्ड ठीक मेरे लंड के सामने आ जाय. मेरा 11" लंबा और 4" डाइयामीटर का लंड एक दम लोहे की रोड की तरह पॅंट में तन गया था. मेने लंड माँ की साड़ी के उपर से माँ की गान्ड से सटा दिया. ट्रेन तूफ़ानी रफ़्तार से
दौड़े चली जा रही थी जिससे कि हमारा डिब्बा एक लय में आगे पिछे हो रहा था. उसी डिब्बे की लय के साथ मेरा लंड भी ठीक माँ की गान्ड के छेद पर ठोकर दे रहा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. माँ जैसी भरेपूरे शरीर की 40 साल से बड़ी उमर की औरतें सदा से ही मुझे बहुत आकर्षित करती थी. फिर माँ तो साक्षात सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति थी. ऐसी औरतों के फैले हुए और उभार लिए हुए नितंब मुझे बहुत
आकर्षित करते थे. में माँ जैसी ही भारीभरकम गांडवाली औरत की कल्पना करते हुए कई बार मूठ मारा करता हूँ. आज भी शायद सपने में ऐसा ही सुखद संयोग बन रहा था.
अपडेट-01
आज में 6'2" कद का बिल्कुल गोरा और सुगठित शरीर का 28 साल का आकर्षक नवयुवक हूँ. मेने यहीं चंडीगढ़ से हॉस्टिल में रह कर ग्रॅजुयेट की है और कॉलेज लाइफ में पहलवानी में अच्छा नाम कमाया है. मेरे माता पिता और मेरा छोटा भाई यहाँ से 250 किमी दूर एक गाँव में
रहते हैं. अब मेरे लिए उस गाँव में रहना और खेती करना संभव नहीं इसलिए पिच्छले 3 साल से यहीं चंडीगढ़ में एक चैन डिपार्ट्मेनल स्टोर
में सर्विस में हूँ. मेरा नाम विजय है और मेरे पास 2 बेडरूम का एक मॉडर्न फ्लॅट है जिसमें कि में अकेला रहता हूँ.
अब में अपनी माँ का परिचय आपको दे दूं. मेरी माँ राधा देवी 46 वर्ष की मेरी ही तरह लंबी यानी की 5'10" की बिल्कुल गोरी और सुगठित शरीर की आकर्षक महिला है. मेरी माँ का शरीर साँचे में ढली एक प्रतिमा जैसा है जिसके स्तन और नितंब काफ़ी पुष्ट और शरीर भी बहुत गदराया सा है पर लंबाई की वजह से बिल्कुल भी मोटी नहीं कही जा सकती. वैसे में आपको बता दूँ की मेरी माताजी पहनने ओढ़ने की, खाने पीने की, घूमने फिरने की मस्त तबीयत की एक हाउस वाइफ है पर पिताजी के असाध्य रोग की वजह से उसने पिच्छले 15 साल से
अपने इन सारे शौकों को तिलांजलि दे रखी है. साथ ही माँ शरीर से जितनी आकर्षक औरत है उतनी ही रंगीन तबीयत की भी औरत है. पिच्छले 15 साल से उसने एक पूर्ण पतिव्रता स्त्री की तरह अपना समस्त जीवन पति सेवा में समर्पित कर रखा है. गाँव में हमारी अच्छी
ख़ासी ज़मीन जायदाद है और माँ छोटे भाई के साथ खेतीबाड़ी का काम भी करती है. मुझे चंडीगढ़ में हॉस्टिल में रख ग्रॅजुयेट कराने में माँ का ही पूर्ण हाथ है.
मेरा छोटा भाई अजय 22 साल का हो गया है. वह भी माँ की तरह पूरी तरह से गदराया हुआ गोरा चिट्टा आकर्षक नौजवान है. उसने गाँव के स्कूल से ही 10थ तक पढ़ाई की और उसके बाद पिताजी की दवा-पानी का, घर की देख-भाल का, तथा खेती बाड़ी का काम संभाल रखा है. इसके अलावा वह थोड़ा भोला और सीधा साधा भी है. मेरे बिल्कुल विपरीत उसके शरीर में काफ़ी नज़ाकत है जैसे छाती पर बालों का
ना होना, पूरा नौजवान होने के बाद भी बहुत ही हल्की दाढ़ी मूँछों का होना, लड़कियों जैसा शर्मिलपन होना इत्यादि. अभी भी उसके शरीर
में एक तरह की कमसिनी है. उसके चेहरे पर एक मासूम सा भोलापन छाया रहता है. गाँव के मेहनती वातावरण में रहने के बाद भी मेरा भाई बिल्कुल गोरा, मक्खन सा चिकना, नाज़ुक बदन का नौजवान है.
आख़िर आज से 15 दिन पहले वही हुआ जिसकी आशंका हम सबके मन में थी. 15 दिन पहले अजय का सुबह सुबह फोन आया कि
पिताजी चल बसे. में फ़ौरन गाँव के लिए रवाना हो गया. पिताजी के सारे क्रियाकर्म रश्मो रिवाज के अनुसार संपन्न हो गये. हम माँ बेटों ने आपस में फ़ैसला कर लिया है कि कल सुबह ही मेरे साथ माँ और अजय चंडीगढ़ आ जाएँगे. गाँव की ज़मीन जायदाद हम चाचा जी
को संभला जाएँगे जो अच्छा ग्राहक खोज कर हमे उचित दाम दिलवा देंगे. चाचा जी ने बताया कि कम से कम 40 लाख तो सारी संपत्ति के मिल ही जाएँगे.
दूसरे दिन दोपहर तक हम तीनों अपने लाव लश्कर के साथ चंडीगढ़ पहुँच गये. माँ ने आते ही बिखरे पड़े घर को सज़ा संवार दिया. एक कमरा माँ को दे दिया और एक कमरे में हम दोनो भाई आ गये. में स्टोर में पर्चेस ऑफीसर हूँ जिससे सप्लाइयर्स के तरह तरह के सॅंपल्स मेरे पास आते रहते हैं. तरह तरह के साबुन, शॅमपू, लोशन, क्रीम्स, सेंट्स इत्यादि के सॅंपल पॅक्स मेरे पास घर में ही थे. इसके अलावा मेरे पास घर में जेंट्स अंडर गारमेंट्स और सॉर्ट्स, बॉक्सर्स इत्यादि का भी अच्छा ख़ासा सम्पल कलेक्षन था. ये सब माँ और अजय को बहुत भाए; ख़ासकर कॉसमॅटिक्स माँ को और गारमेंट्स अजय को. यहाँ माँ पर गाँव की तरह काम का बोझ नहीं था तो माँ मेरे स्टोर में चले जाने के
बाद अजय के साथ चंडीगढ़ में घूमने फिरने निकल जाती थी. शहरी वातावरण में तरह तरह की सजी धजी अपने जवान अंगों को उभारती शहरी महिलाओं को देखते देखते माँ भी अपने शरीर के रख रखाव पर बहुत ध्यान देने लगी. इन सब का नतीज़ा यह हुआ कि माँ
दमकने लगी. फिर मुझे पता चला कि मेरे घर के पास ही हमारे स्टोर की एक ब्रांच में गूड्स डेलिवेरी में एक आदमी की ज़रूरत है.
वह नौकरी मेने अजय की लगवा दी. माँ और अजय को शहरी जिंदगी बहुत ही रास आई.
में माँ का बहुत ध्यान रखता था. सजी धजी, चमकती दमकती माँ मुझे बहुत अच्छी लगती थी. में माँ को कहते रहता था कि आज तक का जीवन तो उसने पिताजी की सेवा में ही काट दिया लेकिन अब तो ऐशो आराम से रहे. मेरी हार्दिक इच्छा थी कि में माँ को वह सारा सुख दूँ जिससे वह वंचित रही थी. मुझे पता था कि मेरी माँ शौकीन तबीयत की महिला है इसलिए माँ को पूछ्ते रहता था कि उसे जिस भी चीज़ की दरकार है वह उसे बता दे. माँ मेरे से बहुत ही खुश रहती थी. रात में हम खाना खाने के बाद हॉल में सोफे पर बैठ टीवी वाग़ैरह देखते
हुए देर तक अलग अलग टॉपिक्स पर बातें करते रहते थे. फिर माँ अपने कमरे में सोने चली जाती और अजय मेरे साथ मेरे कमरे में.
मेरे रूम में किंग साइज़ का डबल बेड था जिस पर हम दोनों भाई को सोने में कोई परेशानी नहीं थी. इस प्रकार बहुत ही आराम से
हमारी जिंदगी आगे बढ़ रही थी.
एक दिन सुबह में बहुत ही सुखद सपने में डूबा हुआ था. में सपने में अपनी प्रिय माताजी राधा देवी को तीर्थों की सैर कराने ले जा रहा था. हमारी ट्रेन में बहुत भीड़ थी. रात में टीटी को अच्छे ख़ासे पैसे देकर एक बर्त का बंदोबस्त कर पाया. उसी एक बर्त पर एक ओर मुँह करके माँ सो गई ऑर दूसरी ओर मुँह करके में सो गया. रात में कॉमपार्टमेंट में नाइट लॅंप जल गया. तभी माँ करवट में लेट गई. कुच्छ देर में मैं भी इस प्रकार करवट में हो गया कि माँ की विशाल गुदाज गान्ड ठीक मेरे लंड के सामने आ जाय. मेरा 11" लंबा और 4" डाइयामीटर का लंड एक दम लोहे की रोड की तरह पॅंट में तन गया था. मेने लंड माँ की साड़ी के उपर से माँ की गान्ड से सटा दिया. ट्रेन तूफ़ानी रफ़्तार से
दौड़े चली जा रही थी जिससे कि हमारा डिब्बा एक लय में आगे पिछे हो रहा था. उसी डिब्बे की लय के साथ मेरा लंड भी ठीक माँ की गान्ड के छेद पर ठोकर दे रहा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. माँ जैसी भरेपूरे शरीर की 40 साल से बड़ी उमर की औरतें सदा से ही मुझे बहुत आकर्षित करती थी. फिर माँ तो साक्षात सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति थी. ऐसी औरतों के फैले हुए और उभार लिए हुए नितंब मुझे बहुत
आकर्षित करते थे. में माँ जैसी ही भारीभरकम गांडवाली औरत की कल्पना करते हुए कई बार मूठ मारा करता हूँ. आज भी शायद सपने में ऐसा ही सुखद संयोग बन रहा था.