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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
चंपा: साहेब जी ये ही आपको यहा ले कर आया था ,इस की वजा से आप का इलाज टाइम
से हो सका.ये वही है जिसने मदन के आने की खबर दी थी
दीपक ये सुन रहा था पर कुछ बोल नही पा रहा था ,आँखों से आँसू निकल पड़े
दर्द की वजा से
चंपा: चंदू कोई ऐसी जगह है जहा साहेब जी को बिना कोई ख़तरे के रखा जा सके
चंदू: पता करना पड़ेगा ,अभी तो कोई ऐसे जगह खाली नही है ,मे अब चलता हू
तुझे ये बोलने आया था के पानी की बाल्टी मेरे घर पे है वही से ले लियो
चंपा: ठीक है तू जा मे ले आउन्गि ,और कोई जगह का पता कर लेना
ये बात सुनते ही चंदू खोली से बाहर हो गया
चंपा दीपक के पास आई दवाई की थेलि मे से दूसरी दवाई निकाली और चमच मे लेकर
दीपक के मूह मे डाली ,दीपक थोड़ी देर बाद नींद मे था ,चंपा अपने घर के कामो
मे लग गयी
थोड़ी देर बादचांपा की सहेली जो उसकी जगह काम करने गयी थी उसको मिलने आई
सोनी: आरी ओ चंपा कहा है(आवाज़ लगाते अंदर आई)
अंदर सामने बेड पे किसी मर्द को सोया देख सोनी वही रुक गयी
चंपा: अरे कौन है (ये बोलते हुए चंपा किचन से बाहर आई) अरे तू आ अंदर आ
सोनी ने आँखों से इशारा दीपक की तरफ किया
चंपा: मेरे दूर के रिश्तेदार है यहा इलाज करने आए ,तबीयत ठीक नही है तू
अंदर तो आ ,मेरे साथ ज़रा रसोई का काम करा दे
दोनो रसोई की तरफ हुई
सोनी: तुझे एक बात बतानी है
चंपा: हां बोल
सोनी: वो तेरी मल्लकिन है ना बड़े घर वा
ली
चंपा: वो बंगले वाली
सोनी: अरे हां वही,आज जब उसके घर गयी तो घर मे पड़ोसी थे सारे
चंपा: क्यू,क्या हुआ?
सोनी: चोरी
चंपा: क्या?
सोनी: अरे हां री कोई कल घर मे घुसा और अलमारी मे से समान चोरी कर गया
चंपा: क्या चोरी हुआ
सोनी: मुझे पता नही जब मे काम ख़तम करके घर से निकली तब भी पड़ोसी वही थे
इसलिए पता नही कर पाई,पर सब वाहा बात कर रहे थे तो मेरे कान बस यही सुन पाए
के कोई घर से हीरे ले उड़ा
चंपा: क्या ,हीरे?
सोनी: तेरी मालकिन तो मालदार है ,उसे कौन सा फ़र्क पड़े है
चंपा: अरे पगली चोरी बड़े घर मे हो या छोटे घर मे नुकसान तो नुकसान होते है
सोनी: ये बड़े लोगो के पास बहुत पैसा होता है इन्हे कुछ फ़र्क नही पड़ता
समझी ,सागर मे से दो बाल्टी पानी निकाल लिया तो कौन सा सागर खाली हो गया
सोनी: अगर ये मेरी मालकिन होती ना ,और मुझे पता होता के घर मे इतना माल है
,तो मैं खुद ही माल सॉफ कर देती
ये बात सुनते ही दोनो हस पड़े
चंपा: एक काम कर चंदू की खोली मे पानी की बाल्टी पड़ी है जा ज़रा उठा के
देती जा मुझे
सोनी वाहा से खड़ी हुई ,दरवाज़े के पास पहुच कर दीपक की तरफ देखा और फिर
बाहर हो गयी
चंपा दीपक के पास आई ,उसको हल्का सा हिलाया
चंपा: साहेब जी उठिए ,साहेब जी
दीपक ने अपनी आँखें खोली और चंपा की तरफ देखा
चंपा: साहेब जी बहुत देर हो गयी है आपने कुछ खाया भी नही है,आँखें खोल
लीजिए मे खिला देती हू
दीपक ने अपनी आँखें झपका कर हामी भरी
चंपा किचन से दलिया ले कर आई, उसको खिलाने लगी.बाहर से आवाज़ हुई
सोनी: ओ चंपा ले बाल्टी उठा ले मे जा रही हू
दुपहेर के 4बज रहे थे राणे पोलीस थाने मे बैठा मज़े से चाइ की चुस्की के
मज़े ले रहा था, फोन की घंटी बजी,फोन पर किसी ने खबर दी के गोली बारी हो
रही है.
राणे फटाफट हथ्यार बाँध पोलीस वालो के साथ मौके वारदात की तरफ पहुचा.
सामने शीशे बिखरे पड़े थे,पता चल रहा था कि घोड़े दौड़े है यहा, सामने खड़ी
गाड़ी पे गोलियो के बहुत सारे निशान थे.
राणे: पता करो क्या हुआ है.
हवलदार फटाफट आस पास के लोगो से पता करने लगे, दो लोग हवलदार के साथ राणे
के पास आए.
राणे: कौन कबड्डी खेला इधर.
बार मॅनेजर: पता नही सर ,हमारे साहेब की गाड़ी बार के आगे यहा पर आके रुकी
दो लोग मोटरसाइकल पे आए और ताबाद तोड़ गोली बारी गाड़ी पर की और भाग गये.
राणे: तेरे साहब की लाश कहा है.
बार मॅनेजर: सर वो ज़िंदा हैं ,अंदर बैठे हैं.
राणे: अरे एई का बात कम से कम 20 राउंड फाइयर हुआ है ,एक गोली भी नही लगा
साला गोली चलाने वाला कौन ससुरा था.
मॅनेजर: सर ये गाड़ी बुलेट प्रूफ है,हमारे साहब बहुत बड़े आदमी हैं ये बार
भी उनका ही है.
राणे बार के अंदर को हुआ
सामने कुर्सी पर बैठा आदमी फोन पर बात कर रहा था,राणे को सामने पोलीस की
ड्रेस मे खड़ा देख उसने अपना फोन कांटा और खड़ा हुआ
राणे ने हाथ आगे बढ़ाया और अपना इंट्रोडक्षन दिया , उस आदमी ने हाथ मिलाया
और अपना नाम सत्या बताया
राणे: ये बार आपका है
सत्या: जी मेरा है
राणे: कौन किया
सत्या: क्या?
राणे: आप पर हमला,आपका कोई दुश्मन होगा जो इतना गोली बर्बाद किया.
सत्या: नही,मेरी किसी से दुश्मनी नही है,मैं अपने दुश्मनो को भी दोस्त बना
लेता हू.
राणे: "गजब बात करी" हम याद रखेंगे, किसी पे शक
सत्या: मे बोला तो सही आपको जब मेरा कोई दुश्मन ही नही तो शक किस पर
राणे: अंडरवर्ल्ड से कोई धमकी तो नही मिली आपको
सत्या: देखिए सर अगर ऐसा होता तो पहले मे आपके पास आता
राणे: ह्म्म्म, चलिए जैसी आपकी मर्ज़ी जान आपकी है ,पर हां अगर आपको कुछ
हुआ तो हम नही मिल पाएँगे आपको.
सत्या: ऐसा क्यू?
राणे: अरे अगर आपको कुछ हुए तो हमार ट्रांसफर पक्के है ,पहले ही 4 खून का
कातिल गायब है ,और हुए तो कमिशनर सीधा ट्रेन हमारे घर भेजेंगे समझे आप
सत्या: देखिए सर ,मुझे अपनी जान प्यारी है मेरे छोटे बच्चे है ,अगर मुझे
ऐसा लगता के मेरी जान को ख़तरा है तो मैं खुद आपके पास आता
राणे: ठीक है आप की बात मे मान लेता हू ,पर जब आपका कोई दुश्मन नही फिर आप
बुलेट प्रूफ गाड़ी मे काहे घूमते हैं
सत्या: देखिए सर वो गाड़ी मुझे यहा के म.एल.ए कृष्णा जी ने दी थी उपहार मे
वो मेरे बड़े करीबी दोस्त है,आप चाहे तो मे आपकी उन से बात करा देता हू
राणे को लगा के ये सच बोल रहा है, हवलदार को इशारा करके अपने पास बुलाया
राणे: सत्या जी आप एफ.आइ.आर लिखवा दीजिए बाकी हमारा काम है
सत्या ने रिपोर्ट लिखवाई ,थोड़ी देर बाद राणे बार से बाहर को आया गाड़ी की
तरफ को हुआ ,बार की तरफ नज़र डाली वाहा उपर बार का नाम अप्सरा लिखा हुआ था
,गाड़ी सीधा पोलीस स्टेशन की तरफ हुई
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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
चंपा पानी की बाल्टी अंदर ले कर आई किचन मे रखी,दीपक ने चंपा को अपने पास
बुलाया
चंपा: कुछ चाहिए साहेब जी
दीपक: मा कैसी है
चंपा: अछी है साहेब जी,सब ठीक है आप चिंता ना करे
चंपा ने दीपक को घर मे हुई चोरी के बारे मे नही बताया
थोड़ी देर बाद चंदू खोली मे आया
चंदू: एक जगह खाली है ,यही पास मे है ,जो उसमे रहता था वो आज दुपहेर को
गाओं चला गया,पर अपना समान ले कर नही गया,तू बोले तो इसको वही ले चले
चंपा ने दीपक की तरफ देखा ,दीपक ने अपनी आँखें झपका के हामी भरी
चंपा: थोड़ी देर रुक जा ,अंधेरा होने दे फिर ले कर चलेंगे
चंदू: ठीक है मे रात को आउन्गा ,अभी मे चलता हू
चंपा: एक काम और कर ,वो सोनी के पति का रिक्शा ले कर आना साहेब जी को ले कर
जाने के लिए
चंदू: ठीक है
ये बोल के चंदू खोली से बाहर हुआ ,चंपा रात के खाना बनाने मे लग गयी
.....
मिस्टर.मयूर और उनकी बीवी वीना दोनो इंदु के पास बैठे थे ,इंदु की आँखों से
आँसू नही रुक रहे थे ,दोनो घर मे हुई चोरी के खबर सुन के आए थे.
मयूर: भाभी चोर अंदर आया कैसे.
इंदु: पता नही भाई साहब कोई लॉक भी टूटा नही था , और ना ही अलमारी को कोई
नुकसान हुआ था
मयूर: आपके घर की नौकरानी ही होगी , ऐसा काम तो वो बड़ी आसानी से कर सकती
है
इंदु: नही भाई साहब वो क्या करेगी ,हमारे घर
इंदु: हमारे घर मे ही पली बढ़ी है ,उसकी मा भी यही काम करती थी
वीना: हां मे जानती हू उन्हे वो ऐसा नही कर सकती,मेने देखा है उसे इस घर की
सेवा करते हुए उसकी मा भी यही काम करती थी ,राज ने ही उसकी मा के ऑपरेशन
के पैसे दिए थे
मयूर: तो फिर कौन होगा, चुप चाप आया और चोरी कर के चला गया
इंदु: लगता है मेने ही बहुत पाप किए है ,पहले राज और निशा चले गये और अब ये
हो गया ,अगर उस दिन राज की जगह मे होती तो अछा होता( ज़ोर ज़ोर से रोने
लगी)
वीना उठ के इंदु के पास आई
वीना: आप तो मेरी दीदी है ,अपनी छोटी बेहन के लिए मत रोइए ,अगर आप हिमत हार
गयी तो दीपक का क्या होगा ये तो सोचिए ,
ये बात सुन के इंदु ने अपने आप को संभाला.
वीना: दीदी मुझे पता है दीपक जैल से भाग चुका है ,और मैं ये कभी नही मान
सकती के एक बेटा अपने बाप और बेहन को मार सकता है,और वो बेटा जो उन्हे इतना
प्यार करता था
मयूर: आप दीपक से दुबारा मिली थी
इंदु: नही मिल पाई ,पोलीस हर वक्त घर के बाहर रहती हे ,अगर कही बाहर भी
जाती हू तो पीछा करते हैं,कैसे मिलती
दोनो थोड़ी देर वाहा रुके और फिर जाने के लिए उठे.
वीना: दीदी अगर आपको दीपक की कोई भी खबर मिले हमे बता दीजिएगा
इंदु: बता दूँगी
दोनो दरवाज़े की तरफ हुए और गाड़ी मे बैठ के वाहा से चले गये
बाहर खड़े पोलीस वाले ने गाड़ी का नंबर नोट कर लिया
......
चंपा काफ़ी देर से चंदू का इंतेज़ार कर रही थी , सामने घड़ी पर नज़र डाली
रात के 11:00 बज रहे थे,चंपा सोच रही थी के चंदू अभी तक आया क्यू नही
,दरवाज़े पर दस्तक हुई ,चंपा ने दरवाज़ा खोला सामने चंदू खड़ा था
चमाप: कहाँ था तू ,कितनी देर से मे तेरी राह देख रही हू ,तेरी मा से भी
पूछा पर तू घर पे कुछ बोल के नही गया
चंदू: अरे अपने दोस्तो के साथ था ,उन्होने आने नही दिया और जब सोनी के घर
पहुचा उसका पति नही था रिक्शे की चाबी उसके पास थी
चंपा: कमरे की चाबी लाया
चंदू: हां मेरी मा लाया हू ,जिस काम के लिए गया था वो तो करना था ,तू क्या
मुझे पागल समझती है
चंपा: चल आ अंदर आ ,खाना खाया तूने
चंदू: हां खा लिया ,चल अब इसे यहा से लेकर चले
दोनो ने दीपक को मिल के उठाया और बाहर रिक्शे मे डाल दिया
चंपा: तू चला मे इन्हे पकड़ के रखती हू ,आराम से चलना
थोड़ी देर बाद वो लोग उस कमरे के बाहर थे , दीपक को होश था ,उसको अब पहले
से अछा लग रहा था शाम को उसने खाना भी ठीक से खाया था
चंपा: यही है क्या
चंदू: हां चल उठाने मे मदद कर
चंपा: रुक जा पहले दरवाज़ा खोल दे
चंदू ने दरवाज़ा खोला और दोनो दीपक को खोली के अंदर ले गये ,सामने बिस्तर
पर दीपक को लिटा दिया
चंपा: चंदू ये खोली तो अपनी खोली से बड़ी है ,किसकी है ये
चंदू: ये अपने दोस्त के मालिक की है ,उनके वही काम करता है उन्होने ही उसकी
ईमानदारी का इनाम दिया उसे
चंपा: एक काम कर मेरी खोली मे जा ,वाहा बिस्तर के पास दवाइयाँ और मेरा समान
पड़ा है जा ले कर आ
चंदू: तू यही रुकेगी
चंपा: हां ख़याल तो रखना पड़ेगा कुछ दिन ,एक काम कर ये ले चाबी जब समान ले
कर आना खोली को ताला मार देना ध्यान से जा अब और जल्दी आना
चंदू खोली से बाहर हुआ
चंपा दीपक के पास गयी
चंपा: साहेब जी अब ये जगह ठीक है
दीपक ने अपनी आँखें झपकाते हुए हामी भरी
दीपक: मे तुम्हे त क्लिफ दे रहा हू ,इतना तो कोई किसी के लिए नही करता चंपा
जो तुमने मेरे लिए किया है
चंपा: साहेब जी आप ऐसा ना बोले , मैं छोटे घर की हू आप की सेवा करना मेरा
धर्म है
दीपक: चंपा जो तुमने किया है ,शायद ही मेरे लिए कोई करता , मेरे पास आओ
चंपा दीपक के पास गयी ,दीपक ने चंपा के चेहरे को पकड़ा और माथे को चूम लिया
चंपा के चेहरे पे खुशी थी ,और हैरानी भी
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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दीपक: चंपा मे तुम्हारा एहसान कभी नही भूल सकता
चंपा: साहेब जी आप ऐसा मत बोले ,मैं तो आप को च..
बोलते -2 चंपा रुक गयी ,दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखे जा रहे थे ,तभी
दरवाज़े के खुलने की आवाज़ हुई ,चंदू अंदर आया
चंदू: ये ले तेरा समान अब यहा कोई ख़तरा नही है ,ना ही कोई आएगा आस पास के
लोगो को मेने ये बोल दिया है तू मेरी दूर की रिश्तेदार है
चंपा: आछा किया ,चल अब जा रात के 12:00 बज रहे है तेरी मा तेरी राह देख रही
होगी
चंदू: तू कब तक रहेगी यहा , अगर तेरे घर पे कोई आया तो क्या बोलू
चंपा: बोल दियो चंपा गाँव गयी ,और हां सोनी को बोल दियो के वो एक दो दिन
मेरे घरो का काम कर लेगी
चंदू: जैसे तेरी मर्ज़ी ,मैं चलता हू
चंदू बाहर निकला रिक्शा चला कर वाहा से निकल गया
चंपा : साहेब जी आप कुछ खाएँगे मे दलिया लाई हू साथ मे
दीपक: नही कुछ नही भूक नही है
चंपा ने दवाई के थेलि मे से दवाई निकाली और दीपक को पिलाई
चंपा: आप सो जाइए ,आप को आराम मिलेगा
थोड़ी देर बाद दोनो गहरी नींद मे थे
.......
अगली सुबह राणे पोलीस स्टेशन के बाहर खड़ा चाइ पी रहा था
राणे: बाबू राम यार हमको एक बात बताओ तुम्हे तुम्हारी दोनो बीवी मे से कौन
सी ज़यादा प्यारी है
हवलदार: सर दोनो ही अछी है
राणे: अरे बाबू राम पर दोनो मे से तुम्हे ज़यादा कौन प्यार करती है
हवलदार: सर पहली वाली , जब मेने दूसरी शादी करी तब भी वो मुझे छ्चोड़ के
नही गयी ,वो मुझे बहुत प्यार करती है
राणे: तो काहे दूसरी शादी किए
हवलदार: सर मेरी पहली बीवी से मुझे 2लड़की हैं ,पर दूसरी लड़की के बाद
डॉक्टर ने बताया के वो अब मा नही बन पाएगी ,
हवलदार: और सर मेरी मा ने मुझे समझाया के अगर मेरा कोई बेटा नही होगा तो
मेरा वंश आगे कैसे चलेगा,इसलिए मेने दूसरी शादी करली
राणे: तो दूसरी बीवी से तुम्हारे बेटा हुआ
हवलदार : नही सर उससे भी बेटी हुई है
राणे: (चाइ वाले को बोला) अरे भैया शादियो मे चाइ बनाते हो का
चाइ वाला: हां साहेब
राणे: अछा है ,चलो अब बाबू राम का 3सरी शादी मे तुम को ही चाइ बनाना है
,इनको बेटा चाहिए 3सरी शादी मे ज़रूर आना
वाहा खड़े सब लोग ज़ोर से हस पड़े
हवलदार भागता हुआ आया ,सर कमिशनर साहब का फोन आया था आपको याद किए है
राणे: हा ह्म्*म्म्म साला तुम तो चाइ भी चैन से नही पीने दोगे,ससुरा चाइ का
स्वाद छीन लिए तुम ,चलो हम आते है
राणे पोलीस स्टेशन के अंदर पहुचा , फोन उठाया और कमिशनर को फोन किया
राणे: जै हिंद सर राणे स्पीकिंग
कमिशनर : राणे कहा तक पहुचे
राणे: सर क्लू तो मिल गया है अपने आदमी भी लगा दिए है , नतीजा जल्दी मिलेगा
कमिशनर: राणे टुमरे पास टाइम कम है,7 दिन देता हू तुम्हे रिज़ल्ट दो वरना
फोन कमिशनर ने काट दिया
कमिशनर के फोन काट ते ही राणे ने हवलदार को आवाज़ दी ,हवलदार पास आया
राणे: हम कभी आज तक रिश्वत नही लिए , अब हमका ये बताओ एक हफ़्ता मे कितना
माल इकट्ठा हो सकता है
हवलदार: क्यू सर?
राणे: अरे हम जा रहे है
हवलदार: कहा सर
राणे: ऊ कमिशनर ने हमका आपना जॉब ऑफर दिया है ,अब हम एई छोटा सा पोलीस थाने
मे का करेंगे,अब तो हम कमिशनर हुए ना
हवलदार: मुबारक हो सर , सर मेरा पारमोशन भी
राणे: अरे एई मा कोई पूछने का बात है ,तुम तो हमार चहेते हो ,सबसे पहले तुम
का इस पोलीस थाने का इनस्पेक्टर बना देंगे
हवलदार: सर मे आपको बता नही सकता मे कितना खुश हू
राणे: अरे हम भी बहुत खुश है ,देखो हमार आँख मे खुशी का आँसू भी गया
हवलदार: सर फिर तो पार्टी होनी चाहिए
राणे: हां हां ज़रूर हम पार्टी का अरेजेमेंट करते है ,तुम अपनी दोनो बीवी
को ये खुश खबरी दे दो जाओ तुम्हे 1 घंटे की छुट्टी दी
हवलदार ये बात सुनते ही बाहर जाने लगा ,राणे ने पीछे से आवाज़ दी
राणे: आते हुए मिठाई लेते आना ,और हां 3सरी शादी का लिए लड़की ढूंड लो
हवलदार: जी सर मिठाई लेता आउन्गा
ये बोल कर वो पोलीस स्टेशन से बाहर हुआ,राणे ने फोन उठाया नंबर डाइयल किया
राणे: पहचाने का ,(दूसरी तरफ वो डिटेक्टिव था)
डिटेक्टिव: जी सर
राणे: कहा तक पहुचे
डिटेक्टिव: सर उसी काम के लिए दूसरे शहेर आया हुआ हू
राणे: यार जल्दी करो कमिशनर ने एक हफ्ते का टाइम दिया है उसके बाद अगर तुम
कुछ ढूंड भी लिए ,तो हम तुमका इस थाने मे नही मिलेंगे समझे
डिटेक्टिव: सर एक दिन का टाइम दीजिए कुछ ढूँढ रहा हू ,पर पूरा पता नही कर
पा रहा, थोड़ा वक्त लगेगा
राणे: ठीक है पर हमको अपनी नौकरी बहुत प्यारी है ,एई तुम जानत हो ,तो जल्दी
से जल्दी हमारे लिए गिफ्ट लाओ यार हमका यहा से कही नही जाना
डिटेक्टिव: सर मे पूरी रिपोर्ट लेकर ही आउन्गा एक दिन का वक्त और दीजिए
राणे ने फोन काटा, और पोलीस स्टेशन को गौर से देखने लगा उसे लग रहा था के
जैसे वो आख़िरी बार इसे देख रहा है
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06-28-2017, 10:58 AM,
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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
सुबह चंपा जागी ,सामने दीपक पर नज़र डाली दीपक गहरी नींद मे सो रहा था ,आज
दो दिन बाद दीपक ऐसा सो रहा था ,उसके चेहरे पर एक खुशी थी
चंपा अपने काम मे लग गयी ,दीपक की नींद भी खुली ,बाथरूम जाने के लिए खड़ा
हुआ था के ज़मीन पर नीचे गिर पड़ा ,चंपा आहट सुन के भागते हुए उसके पास आई
,दीपक अपना पेट पकड़े ज़ोर से दबा रखा था
चंपा: दिखाइए क्या हुआ
चंपा ने शर्ट उपर की ,जहा टाँकें लगे हुए थे वाहा से खून बह रहा था
चंपा: आप खुद क्यू खड़े हुए मुझे आवाज़ दे देते
दीपक कुछ बोला नही , चंपा का सहारा लेकर खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ
गया,बाथरूम से बाहर आया चंपा चाइ लेकर बेड के पास खड़ी थी
चंपा: अब कैसा लग रहा है साहेब जी
दीपक: पहले से ठीक हू , पर दर्द बहुत है
चंपा: साहेब जी आप बिल्कुल ठीक हो जाएँगे ,बस कुछ दीनो की बात है
दीपक: चंपा वही नही है मेरे पास ,मुझे जल्दी से कुछ करना है ,कही वो लोग
दूर भाग गये तो ज़िंदगी भर मुझे छिप छिप के रहना पड़ेगा, और मैं मरना पसंद
करूँगा छिपना नही
चंपा: साहेब जी आप ऐसी बाते क्यू करते है, अगर आपको कुछ होगया तो
दीपक: चंपा मर तो मे वैसे भी चुका हू ,ऐसा इल्ज़ाम है मुझ पर,
दीपक: चंपा अब जब तक वो लोग मेरे हाथ नही आते मे कैसे चैन लू , मैं उन्हे
जान से मार दूँगा
चंपा: साहेब जी मुझे आपको एक बात बतानी है
दीपक: बोलो चंपा क्या बात है
चंपा: वो दो दिन पहले आपके घर मे चोरी हुई थी
दीपक: क्या ? और तुमने मुझे बताया नही
चंपा: आप की ऐसी हालत मे ,मैं आपको और परेशान कैसे करती
दीपक चंपा की बात को समझते हुए शांत रहा थोड़ी देर बाद उसने पूछा
दीपक: क्या चोरी हुआ घर मे
चंपा: मे तो काम करने गयी नही ,मेरी सहली सोनी गयी थी ,उसी ने बताया के घर
से हीरे चोरी हुए है
दीपक: क्या ,मा को तो कुछ नही हुआ ना
चंपा: जब चोरी हुई मा जी घर मे नही थी
दीपक सोच रहा था के ये उनके साथ आख़िर हो क्या रहा है ,पहले वो हादसा और अब
घर मे चोरी,आख़िर ये कौन कर रहा है ,या फिर सिर्फ़ एक इतिफाक है
चंपा: आप मूह हाथ धो लीजिए मे आपके लिए नाश्ता बनाती हू
दीपक ने हामी भरी , वही बैठा अपने दिमाग़ पे ज़ोर डाल रहा था पुरानी बातों
को याद कर रहा था ,कैसे वो लोग खुश थे ,पूरा परिवार एक साथ था
दीपक अपनी सोच से तब बाहर आया ,जब दरवाज़ा खुला और चंदू अंदर आया ,सामने
दीपक को बैठा देख चंदू उसके पास गया
चंदू: अब कैसा लग रहा है
दीपक: ठीक हू
चंदू: मौत के मूह से वापस आए हो, उस रात अगर चंपा घर वापस आकर मुझे साथ ना
लाती तो तुम बच नही पाते
दीपक: शुक्रिया दोस्त
चंदू: अब आगे क्या करोगे ,तुम्हारे पीछे तो जैसे पूरी नज़र रखी है उन लोगो
ने
दीपक: वही सोच रहा हू ,उस रात मदन ने किसी अप्सरा बार के माल्लिक सत्या बोउ
का नाम लिया था उसी को ढूड़ना है
चंदू: सत्या बोउ (हैरानी से बोला)
दीपक: तुम जानते हो उसे
चंदू: जिस खोली मे तुम बैठे हो ये उसी की दी हुई है
दीपक: ये ,पर कैसे
चंदू: मेरा दोस्त किशन उसके बार मे काम करता है ,उसी ने उसको ये रहने के
लिए दी हुई है
दीपक: मुझे उसके पास ले कर चलो
चंदू: वो कोई मामूली आदमी नही समझा ,इस शहेर का नाम चिन आदमी है ऐसे थोड़ी
ना मिल जाएगा ,2 ,4 बॉडीगार्ड आस पास होते है ,सीधा माथे मे गोली मारेंगे
,उसके लिए तुझे थोड़ा रुकना पड़ेगा अपने दोस्त से बात करता हू मे
चंपा: तू कब आया
चंदू: अभी आया हू
चंपा:दूध वाला आए तो दूध तू अपने घर पे रख लेना
चंदू: रख लूँगा,ओर कोई काम है तो बता दे
दीपक: मुझे कुछ समान ला कर दो(चंदू से बोला)
चंपा: क्या साहेब जी
दीपक: रूई(कॉटन) पट्टी( बॅंडेजस)
चंपा: क्यू,क्या हुआ
दीपक: चंपा अगर यहा बैठा रहा , तो लोग कभी भी आ सकते हैं ,और मैं नही चाहता
के मैं अब उनकी नज़र मे आऊ
चंपा: पर साहेब जी आपका जखम तो अभी भरा नही
दीपक: चंपा तुम फिकर मत करो मुझे कुछ नही होगा ,मे तुम्हे वादा करता हू
दीपक: चंदू तुमने मेरी बहुत मदद की है ,अब थोड़ी और कर दो , मुझे उस सत्या
बोउ से एक बार मिलवा दो
चंदू: मिलवा तो दूँगा ,पर थोड़ी देर रुकना होगा ,अभी मेरा दोस्त वही बार मे
होगा ,मैं कई बार उसको मिलने वाहा जाता हू,और मुझे पता के सत्या बोउ शाम
को ही वाहा पर आता है गल्ला(पैसे) इकट्ठा करने
चंपा: तू वाहा जाएगा साहेब जी के साथ,वाहा कोई ख़तरा तो नही
चंदू: हां मैं इनके साथ चला जाउन्गा ,तू चिंता मत कर ,किशन मेरा अछा दोस्त
है और अपने माल्लिक का वफ़ादार
चंदू खोली से बाहर गया और 5मिनट बाद रूई और पट्टी ले कर आया
चंदू: अब मे चलता हू ,तुम शाम को मेरा इंतेज़ार करना मे किशन से बात करके
आउन्गा फिर हम चलेंगे
दीपक: ठीक है, पर किशन को ये मत बताना के मेने किस सिलसिले मे मिलना है
चंदू: तुम चिंता मत करो वो मेरा काम है
ये बोल कर वो खोली से बाहर हुआ
चंपा: मुझे बहुत डर लग रहा है , अगर कुछ अनहोनी होगयि तो
दीपक: कुछ नही होगा ,अब उन लोगो के घबराने की बारी है (गुस्से मे बोला)
दीपक ने अपनी शर्ट उतारी ओर पट्टी बाँधने की कोशिश करने लगा पर ठीक से बाँध
नही पा रहा था,चंपा उसके पास आई
चंपा: लाइए मे लगा देती हू
चंपा ने कॉटन के पॅकेट को खोला और ज़ख़्म पे रख दिया ,दीपक ने चंपा को एक
और कॉटन पॅकेट वही लगाने को बोला
दीपक: अब पट्टी बांधो थोड़ा सख़्त बांधना
चंपा पट्टी को पूरे पेट की गोलाई मे बाँध रही थी ,बार बार उसका हाथ ,दीपक
के शरीर पर स्पर्श कर रहा था ,पट्टी बाँधने के बाद चंपा सीधी खड़ी हुई
,दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे 5मिनट तक कोई नही बोला
ऐसे ही दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे ,दीपक ने अपना एक हाथ उठाया और
चंपा के कंधे पर रख दिया,चंपा ने अपनी आँखें नीचे कर ली(मानो शर्मा गयी हो)
दीपक ने चंपा का चेहरा अपने हाथो मे लिया और उसे देखे जा रहा था , धीरे से
अपने होंठ उसके होंठो के पास लेकर गया और उसके होंठो से मिला दिया ,चंपा
कुछ बोली नही ना हिली पर उसे विश्वास नही हो रहा था ,दीपक तो उसे छू रहा था
पर चंपा की हिमत नही हो पा रही थी उसे छूने की
दीपक ने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किए ,चंपा की आँखें बंद थी, वो अपनी
आँखें खोल पाने की हिमत नही कर पा रही थी,मानो जैसे वो कोई सपना देख रही हो
दीपक: (धीरे से बोला) चंपा आँखें खोलो
पर चंपा आँखें खोलना ही नही चाहती थी ,उसको लग रहा था मानो वो कोई सपना देख
रही हे, अगर आँखें खोलेगी तो सपना भी ख़तम हो जाएगा
दीपक ने चंपा के कंधे को हिलाया ,चंपा जैसे नींद से जागी हो , हल्की सी
आँखें खुली सामने दीपक खड़ा था ,चंपा की आँखों से आँसू बह गया ,जैसे वो ये
कब से चाहती हो
चंपा की आँखें खुलते ही,दीपक ने उसके आँसू सॉफ किए,,दीपक ने अपने होंठ एक
बार फिर चंपा के होंठो से मिला दिए ,इस बार चंपा ने अपना हाथ उसकी पीठ पर
रखा और अपनी तरफ ज़ोर से खिचने लगी (मानो जैसे वो अब ये होंठ कभी छ्चोड़ना
नही चाहती)
दीपक अपने दोनो होंठो को बार-2 चंपा के होंठो पर फिरा रहा था ,पर चंपा अभी
हिम्मत कर नही पा रही थी, उसको तो अभी भी विश्वास नही हो पा रहा था, दीपक
ने अपना एक हाथ चंपा की बाई चुचि पे रख दिया हल्का सा दवाब दिया
चंपा की आँखें खुली और वो पीछे हो गयी ( जैसे उसे 440 वॉल्ट का करेंट लगा
हो) चंपा ने दीपक को देखा और अपनी आँखें नीचे करके वही खड़ी रही
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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दीपक: माफ़ कर दो मुझे
चंपा ने अपनी आँखें उपर करी ,और दीपक को देखने लगी ,धीर से उसके पास आई
चंपा: साहेब जी मे आपसे बहुत प्यार करती हू( ये कहते हुए भी उसकी नज़रे
नीची थी वो अपनी आँखें बंद किए हुई थी,उसका गला सुख चुका था बोलने की
हिम्मत नही कर पा रही थी)
दीपक चंपा के करीब आया उसका चेहरा अपने हाथो मे लेकर
दीपक: (धीरे से बोला) जो तुमने मेरे लिए किया है ,शायद ही कोई किसी के लिए
करता , पिछले कुछ दीनो मे मुझे तुम से प्यार हो गया ,पर मैं कह नही पाया ,
कहने के लिए जब कोशिश करता तब मेरी हिमत जवाब दे जाती
चंपा उसकी आँखों मे देखे जा रही थी, बोलना चाहती थी पर रुक जाती थी
दीपक ने उसके माथे को चुम्मा , अपने हाथो को उसके पेट पे घुमा रहा था,चंपा
की साँसे तेज़ हो रही थी,बार-2 अपनी आँखें बंद कर लेती
चंपा ,दीपक के गले लग पड़ी (मानो एक शरीर ही था वाहा दोनो एक दूसरे से
चिपके हुए थे)
दीपक चंपा की पीठ पर हाथ फैरे जा रहा था, चंपा उसके बालो मे उंगलिया कर रही
थी ,और उसे अपनी तरफ खींचे जा रही थी ,दीपक ने चंपा के गले पर चूमा ,चंपा
एक दम से ढीली पड़ गयी एक बार फिर उसके शरीर मे बिजली दौड़ पड़ी थी
चंपा: साहेब जी मे भी आपसे बहुत प्यार करती हू ,पर मे एक छोटे घर से, घरो
मे काम करने वाली नौकरानी और आप इतने बड़े आदमी
दीपक ने एक बार फिर उसके गले को चूमा और अपनी जीभ उसके कंधे से लेकर कान तक
फिरा दी
दीपक: चंपा मे नही मानता ये उच नीच (ये बोलते हुए चंपा के गालो को चूम
लिया)
चंपा को मानो इतनी गर्मी मे भी ठंड लगने लगी थी ,वो काँप रही थी
दीपक: इधर देखो
दोनो ने एक दूसरे की आँखों मे देखा ,दीपक ने अपने लब चंपा के लबो पर लगा
दिए ,इस बार चंपा ने भी होंठो को चूस्ते हुए अपनी हामी भरी
दीपक ने एक बार फिर अपना हाथ चंपा की बाई चुचि पे रखा ,चंपा एक दम से ठंडी
पड़ी पर वाहा से हटी नही ,दीपक ने चंपा के शरीर मे झटका महसूस किया ,और
अपना हाथ खुद ही हटा लिया
दोनो एक दूसरे के होंठो को चूस्ते जा रहे थे ,पर दीपक अब फिर अपने हाथो को
पेट पर घुमा रहा था ,उसकी हिमत नही हो पा रही थी अपना हाथ दुबारा उपर ले
जाने की ,चंपा उसका पूरा साथ दे रही थी
चंपा समझ रही थी के दो बार उसकी हामी ना मिल पाने के वजा से दीपक अब आगे
नही बढ़ रहा ,चंपा ने दीपक के लबो को अपने लबो से अलग किया ,उसके हाथ को
अपने हाथ मे लिया उसकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया घुसा ,उपर हाथ उठाया और खुद
ही अपनी चुचि पे रख दिया
दीपक ने अपने हाथ का दबाव उसकी चुचि पे बनाया ,चंपा के मूह से आहह निकल
पड़ी,कमीज़ के उपर से ही निप्पेल को पकड़ने की कौशिश की पर हाथ मे नही
आया,चंपा के चेहरे पे खुशी थी ,दीपक के गले लग गयी ज़ोरो से दोनो एक दूसरे
को जकड़े हुए थे ,आज दोनो एक दूसरे से अलग नही होना चाहते थे
दीपक: (कान मे बोला) मे तुम से बहुत प्यार करता हू
ये सुनते ही चंपा दीपक से अलग हुई, उसकी और देखने लगी ,जैसे उसने कुछ नही
सुना हो ,दीपक ने एक बार फिर बोला
दीपक: मे तुमसे बहुत प्यार करता हू
चंपा ,दीपक से अलग हुई ,दीपक की खुली शर्ट को उसके कंधे से उतारा ,दीपक के
गोरे शरीर को घुरे जा रही थी ,चंपा अपने लब्ब दीपक की छाती पर ले कर गयी और
उसकी छाती के दाए निपल पे अपने लब्ब लगा दिए , दीपक की आँखें बंद हो गयी
दीपक अपने हाथ चंपा के पेट पर घुमा रहा था, चंपा बारी बारी दीपक के निपल्स
को काट रही थी उसको उतेज़ित कर रही थी ,दीपक का लंड उसकी जीन्स मे उभरा हुआ
सॉफ नज़र आ रहा था
दीपक ने चंपा को रोका उसका चेहरा हाथो मे लिया
चंपा का चेहरा अपने पास लाया ,उसके गालो को चूमा ,अपना हाथ चंपा के पेट पे
घूमते हुए कमीज़ को उपर करने लगा चंपा उसे अब रोकना भी नही चाहती थी
चंपा ने अपने हाथ खुद ही उपर कर लिए दीपक कमीज़ को उपर करता हुआ गले तक
लाया,दीपक की आँखों के सामने काले ब्रा मे दोनो चुचिया थी ,गले से कमीज़ को
निकाल कर पास पड़े ट्रंक के उपर डाल दी
चंपा शर्मा रही थी ,अपनी आँखों को नीचे किए,अपने दोनो हाथो को पकड़ के खड़ी
थी,दीपक ने चंपा के दोनो हाथो को अलग करके अपने हाथो मे लिया
दीपक: चंपा मेरी तरफ देखो
चंपा के चेहरे पे एक खुशी थी, जैसे ही उसने दीपक की तरफ देखा ,दीपक ने चंपा
की कमर पकड़ के उसे अपने करीब खींचा,होंठ से होंठ मिल चुके थे
चंपा का हाथ एक दम से दीपक के पेट पर गया,और जखम के उपर लगा ,दीपक ने होंठो
को चूसना छ्चोड़ दिया, चंपा को उसकी आँखों मे उसका दर्द महसूस हुआ
चंपा ने दीपक के गालो को चूमा ,दीपक अपना दर्द थोड़ी देर के लिए भूल जाना
चाहता था, चंपा ने अपना हाथ दीपक की बेल्ट पर रखा
चंपा की शरम अब जाते जा रही थी,दीपक की जीन्स की बेल्ट को खोलने लगी ,उसके
हाथो का स्पर्श दीपक के लंड पे हुआ ,दोनो ने फिर एक दूसरे को देखा ,दीपक
अपने हाथ चंपा की कमर के पीछे ले कर गया और ब्रा खोलने की कोशिश की ,ब्रा
का पिन दीपक की उंगली मे लगा ,उसने अपना हाथ हटाया
चंपा ने बेल्ट खोली खड़ी हुई सामने दीपक की उंगली से हल्का सा खून निकल रहा
था ,अपने हाथो मे उसका हाथ लिया ,उसकी उंगली को अपने मूह मे डालकर चूसने
लगी ,दीपक भी अपनी उंगली को उसके मूह मे घुमा रहा था जीभ का स्पर्श उसे
आच्छा लग रहा था ,चंपा अपना हाथ अपनी कमर पर ले कर गयी और खुद ही अपना ब्रा
खोल दिया
ब्रा खुलते ही सामने ब्रा ढीला पड़ा ,दीपक की उंगली अभी भी चंपा के मूह मे
थी ,दूसरे हाथ से दीपक ने चंपा के कंधे से ब्रा का स्ट्रॅप नीचे किया ,ब्रा
लटक गया एक चुचि साफ नज़र आ रही थी निपल का मूह एक दम सीधा खड़ा था ,दीपक
ने अपनी उंगली उसके मूह से बाहर निकाली
चंपा इतनी गरम हो चुकी थी ,उसने खुद ही अपने ब्रा को उतारा को नीचे ज़मीन
पे डाल दिया
दीपक की आँखों के सामने चंपा की बड़ी चुचिया लटक रही थी , दीपक ने अपना हाथ
बढ़ाया दाई चुचि को मसल दिया अपने दाँत चंपा के कंधे मे गाढ दिए..चंपा के
मूह से हल्की सी चीख निकल पड़ी
चंपा ,दीपक की जीन्स खोलने मे लगी थी बटन टाइट था खुल नही पा रहा था ,दीपक
थोड़ा पीछे हुआ जीन्स का बटन खोला ज़ीप नीचे करी ,अंडरवेर मे लंड तना हुआ
था ,दीपक ने चंपा को अपनी और खींचा और चुचियो को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा
चंपा की साँसे तेज़ होती जा रही थी , दीपक चुचिया चूस्ते हुए अपना हाथ उसकी
सलवार तक ले गया ,नाडे का सिरा ढूँडने लगा नाडा अंदर की तरफ था दीपक ने
उपर से ही अपना हाथ सलवार के अंदर डाल दिया ,नाडा तो हाथ मे आया नही ,पॅंटी
गीली हो चुकी थी उसका एहसास दीपक को उसका हाथ पॅंटी पे लगने के बाद हुआ
चंपा एक दम सीधी खड़ी थी,वो इंतेज़ार कर रही थी के दीपक सारी ज़ंज़ीरे तोड़
दे ,नाडे को हाथ मे पकड़ा और उसे खींच के खोल दिया ,नाडा खुलते ही सलवार
झट से नीचे चंपा के पैरो मे जा गिरी,
चंपा ने दीपक के कंधे का सहारा लिया और अपने पैरो मे से सलवार निकाल दी
,उधर दीपक अपनी जीन्स उतार चुका था , कछे मे उसका लंड एक दम तना हुआ था
,चंपा बार बार उसे घुरे जा रही थी , गला सुख चुका था पर दीपक का लंड देख कर
उसके मूह मे पानी आ चुका था
दोनो एक दूसरे को घुर्रे जा रहे थे ,दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ा ओर कछे के
उपर से ही लंड पर रख दिया ,चंपा ने अपनी आँखें बंद कर ली और एक ज़ोर से
साँस ली
चंपा बहुत गरम हो चुकी थी ,उसका खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था दीपक चंपा
के पीछे गया और कमर मे हाथ डाल के पीछे से चुचियो को ज़ोर से दबा दिया
,चंपा थोड़ी पीछे हुई लंड चंपा की गंद मे सॅट गया , चंपा वही रुक गयी उसे
दीपक के लंड का पूरा-2 एहसास हो रहा था
दीपक ने चुचियो को छ्चोड़ा अपने हाथो को नीचे ले गया पॅंटी पे हाथ पहुचते
ही दोनो हाथो की दो उंगलियो को पॅंटी के अंदर किया और नीचे कर दिया पॅंटी
सीधा सरकते हुए चंपा के पैरो मे अटक गयी
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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
चंपा की आँखें बंद थी और वो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी
दीपक , चंपा के सामने आया चंपा ने अपने दोनो हाथो को पकड़ा हुआ था और अपनी
चूत को छुपाने की कोशिश कर रही थी, दीपक चंपा की चुचियो को चूसे जा रहा था
चंपा ने ज़ोर से दीपक के कान को काट लिया ,दीपक एक दम से पीछे हुआ और अपने
कान को मसल्ने लगा
चंपा की तरफ देख , और हल्का सा मुस्कुरा दिया चंपा ज़ोर हस पड़ी ,दीपक झट
से आगे आया और चंपा के होंठो को चाटने लगा ,चंपा ने भी अपनी जीभ दीपक के
मूह मे डाल दी
दोनो ऐसे ही कुछ देर तक एक दूसरे को प्यार कर रहे थे ,चंपा ने अब अपने हाथ
भी अलग कर लिए थे , दीपक चुचियो को ज़ोर से मसल्ते हुए अपना हाथ चंपा की
चूत पर ले गया ,झांतो मे हाथ लगते ही उसे गीले पन का एहसास हुआ ,चंपा बहुत
गरम थी अपने होंठो को बार-2 अपने दाँतों मे दबा रही थी
दीपक ने जैसे ही अपनी उंगली अंदर करने की कौशिश की चंपा दीपक से चिपक गयी
और दीपक के कंधे को चूमने लगी
दीपक: मेरी तरफ देखो,क्या हुआ
चंपा: कुछ नही (बहुत धीरे से बोली)
दीपक ने चंपा काहाथ अपने लंड पे फिर से रखा
दीपक ने चंपा का हाथ फिर से अपने लंड पे रखा , चंपा को एक गरम रोड का एहसास
हुआ ,चंपा नीचे बैठी अंडरवेर को नीचे किया सामने लंबा लंड झांतो से भरा
हुआ,सूपड़ा एक दम लाल.
अपने हाथ मे लंड पकड़ा और दीपक की तरफ उपर देखा ,दीपक भी चंपा की तरफ देख
रहा था ,चंपा ने लंड को आगे पीछे किया ,दीपक मज़े मे चूर था
दीपक ने चंपा को उपर खड़ा किया
चंपा खड़ी हुई पर लंड अभी भी उसके हाथ मे ही था ,दीपक चंपा के होंठो को
चूसे जा रहा था अपने हाथो से चुचियो को दबाए जा रहा था ,चंपा लंड आराम से
हिला रही थी
दोनो थक गये थे खड़े खड़े ,आख़िर उन्होने आज इतना काम जो किया था , दीपक
चंपा का हाथ पकड़ कर बेड के पास ले गया ,बेड पर बैठा सामने चंपा बिल्कुल
नंगी खड़ी थी ,उसके पेट पर हाथ फिराते हुए चूमने लगा पेट को ,चंपा की हालत
और खराब होती जा रही थी
चंपा इतनी गरम थी के अब अगर दीपक उसे ना छोड़ता तो वो झाड़ जाती ,, चंपा
दीपक से अलग हुई और किचन की तरफ गयी ,दीपक हैरान हो गया के ये क्या हुआ
दीपक धीरे से बेड से उठा और सीधा किचन की तरफ़ गया, चंपा सामने खड़ी ग्लास
से पानी पी रही थी , दीपक को उसकी तरफ आता देख वो हल्का सा हसी ,दीपक चंपा
के करीब गया , उसके ग्लास से पानी पानी पिया ,ग्लास को ऐसे ही ज़मीन पर
छ्चोड़ दिया
दीपक चंपा पे झपटा सीधा अपने दाँत चंपा की दाई चुचि पे गाढ दिए , चंपा
सिहर्ररर उठी , दीपक के बॉल पकड़े और ज़ोर से खिचने लगी , दोनो एक दूसरे को
प्यार के साथ दर्द भी दे रहे थे
दीपक: दर्द हुआ
चंपा ने सिर हिला के हामी भारी
दीपक ने होंठो से होंठो को जोड़ दिया ,चंपा एक दम से दीवार से जा चिपकी
,दीपक दोनो चुचियो को बड़ी ज़ोर से पीस्से जा रहा था ( मानो जैसे कोई छोटा
बच्चा कोई नया खिलोना मिलने पर खुश होता है ,उसके साथ खेलता है )
दीपक ने चंपा का हाथ अपने लंड पर रख दिया ,चंपा उसे आगे पीछे कर रही थी
बड़े आराम से ,क्यूकी वो खुद अपनी चुचियो की पिसाई की मज़े मे चूर थी ,दीपक
बाई निप्ले को लेकर चूसे जा रहा था ,एक दम से निपल मे काट लिया चंपा के
मूह से अहह निकल पड़ी
चंपा एक दम गरम थी ,उसका दर्द उसकी गर्मी को और बढ़ा रहा था
चंपा: साहेब जी ह्म्*म्म्ममम, आराम से करिए ना
दीपक ने अपना सिर चुचियो से हटाया ,चंपा की आँखों मे उसके दर्द सॉफ दिखाई
दे रहा था उसे, उसके चेहरे के सामने अपना चेहरा लाया,जैसे कुछ बोलना चाहता
हो
दीपक: अब मैं तुम्हारा दीपक हू ,साहेब जी नही
ये सुन कर चंपा थोड़ा शरमाई, अपना चेहरा एक तरफ को कर लिया ,दीपक ने अपने
हाथो मे उसका चेहरा लिया
दीपक: क्या हुआ , क्या मेरा नाम अछा नही है ( हंसते हुए बोला)
चंपा: बहुत अछा नाम है आपका पर (बोलते हुए रुक गयी)
दीपक: ये वक्त पर बातो का नही है
दोनो ज़ोर से हस पड़े , दीपक ने चंपा को दीवार से हटाया और उसके पीछे गया ,
उसके बालो को हटाया और गर्देन को चूमता हुआ कमर तक आया ,पीछे से अपने हाथ
चंपा के पेट और चुचियो पर बारी-2 से घुमा रहा था
चंपा पागल हो रही थी ,शायद वो आज तक इतनी गरम कभी नही हुई थी, चंपा ने अपने
हाथ पीछे ले जा कर दीपक का लंड पकड़ा और अपनी चूत पर लगा दिया ( मानो अब
वो रुक नही सकती)
दीपक को अचानक ऐसा लगा के ,उसके लंड पर जैसे आग लगी हो ,किसी जलती भट्टी पे
उसका लंड टकरा गया हो ,चंपा अपनी झांतो मे बार-2 उंगली कर रही थी ,दीपक को
समझ आ रहा था के उसे अब क्या करना है
दीपक ,चंपा के सामने आया ,उसके गालो पर अपनी पूरी जीभ फिरा रहा था ,चंपा ने
उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत के मूह पर लगा दिया, दीपक हल्का पीछे हुआ एक
हल्का सा धक्का मारा पर लंड चूत पे लगा पर अंदर नही गया ,चंपा ने लंड पकड़ा
दूसरे हाथ से चूत का मूह खोला और लंड थोड़ा सा अंदर किया (गरम उबलता हुआ
लावा उसके अंदर आग लगा रहा था)
दीपक ने धक्का मारा ,चंपा के मूह से चीख निकल गयी (उसको बहुत दर्द हो रहा
था) उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े ,दीपक ने उसका दर्द देख कर थोड़ा पीछे
होकर लंड बाहर निकाल लिया
उसका हाथ पकड़ कर बेड के पास ले गया,चंपा को बेड पर बैठाया और लेटने का
इशारा किया,चंपा खुद ही खुद जल्दी से टाँगें फैला के लेट गयी ,सामने दीपक
खड़ा सीधा चंपा की टाँगो की बीच देखे जा रहा था ,चंपा भी दीपक को देख रही
थी
दीपक आज पहली बार ऐसे किसी को नंगा पूरी टाँगें खोले देख रहा था ,उसकी
आँखें चंपा की चूत से हट नही रही थी ,चंपा की आँखों से दीपक की आँखें मिली (
चंपा उसे अपनी तरफ बुला रही थी) दीपक बेड के उपर चढ़ा चंपा की टाँगो की
बीच गया अपना हाथ चंपा की चूत पे फिरा दिया ( चंपा पागल हो गयी)
चंपा ने दीपक को अपनी टाँगो मे जकड़ा ( दीपक की आहह निकल पड़ी) चंपा की
टाँग दीपक के ज़ख़्म पे लगी ,वो समझ गयी, उसने अपनी टाँगो का ताला खोल दिया
पर दीपक ने अपने चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान ला के ,ये ज़ाहिर्र किया के
वो ठीक है,चंपा भी हल्का सा मुस्कुरा दी,दीपक थोड़ा आगे हुआ और अपनी जीभ
उसके पेट से लेकर चुचियो के बीच से निकलते हुए ,सुराई दार गर्देन पर फिराते
हुए उसके लाबो से मिला दी,चंपा ने भी उसका साथ देते हुए दीपक की जीभ को
ज़ोर चुस्स्स लिया
ऐसे ही दोनो एक दूसरे को चूसे जा रहे थे,चंपा ने अपनी टाँगें थोड़ी और
फैलाई दीपक का लंड हाथ मे लेकर अपनी चूत का मूह खोल कर अंदर किया , दीपक के
चूतादो पर हाथ ले जा कर दवाब बनाया
दीपक ,चंपा के लबो से लबो मिलाए एक दूसरे को चूसे जा रहे थे ,अब दोनो की
साँस उखाड़ रही थी थूक भी एक दूसरे के गालो पर बह रही थी (पर दोनो एक दूसरे
को छ्चोड़ना नही चाहते थे) दीपक समझ चुका था के उसका लंड चंपा की चूत के
मूह पर है (पर अब सब कुछ आराम से करना चाहता था ,पहले की तरहा उसे दर्द नही
देना चाहता था)
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06-28-2017, 10:58 AM,
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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दोनो के लब अलग हुए ,चंपा बहुत ज़ोर-2 से साँसे लेने लगी ,उसकी चुचिया भी
उसकी सांसो के साथ उपर नीचे हो रही थी, दीपक सीधा हुआ अपने लंड को चंपा की
चूत के मूह पर देखा ,लंड थोड़ा अंदर जा चुका था, अपनी कमर पीछे करके एक
हल्का सा धक्का दिया ,लंड थोडा अंदर गया ,चंपा ने बेड को अपने दोनो हाथ से
पकड़ लिया
दीपक के लंड पे पानी लग चुका था ,चंपा की भट्टी का , चंपा ने अपनी आँखें
पूरे ज़ोर मे बंद कर रखी थी ,एक मिनट तक दीपक ने धक्का नही मारा , जैसे ही
चंपा ने अपनी आँखें खोली दीपक ने अपनी कमर हिला के लंड को और अंदर किया
,चंपा फिर सिहहररर उठी
चंपा पहले काफ़ी बार ये सब कर चुकी थी पर आज ,दीपक के साथ उसे कुछ अलग ही
मज़ा आ रहा था , मानो वो आज आसमान मे उड़ रही हो ,, दीपक आज तक कभी ऐसे कभी
किसी औरत के साथ सोया नही था ,उसे ये तो पता था के चंपा जागया से प्यार
करती थी ,और वो उनकी फिल्म भी देख चुका था,पर वो ना जाने क्यू चंपा की तरफ
खिचता चला जा रहा था
दीपक ने अपनी कमर हिलाई और एक ज़ोर से धक्का मारा , चंपा के मूह से आहह
निकली पर इस बार वो खुद चाहती थी के दीपक और ज़ोर से धक्के मारे
दीपक: मेरी तरफ देखो
ये बोलते ही ,दीपक ने धक्का मारा और पूरा लंड अंदर तक पहुच चुका था
दो मिनट तक दोनो एक दूसरे को देखते रहे , चंपा की गर्मी बढ़ रही थी, उसने
अपनी कमर खुद हिला कर लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया
दीपक ने चंपा की कमर को ज़ोर से पकड़ लिया , धीरे से अपना लंड बाहर निकाला
और जड़ तक डाल दिया , वो चंपा को तरसा रहा था धक्के भी धीरे-2 लगा रहा था ,
वो चंपा की आग को और भड़का रहा था
दीपक: क्या हुआ?
चंपा: कर दीजिए
दीपक: क्या करू ?
चंपा शरर्मा गयी ,और अपना चेहरा छुपा के हस्ने लगी, दीपक ने उसके दोनो हाथो
को पकड़ कर अलग किया, चंपा की आँखें ज़ोरो से बंद थी पर चेहरे पर एक हल्की
सी हँसी थी
दीपक ने एक ज़ोर से धक्का मारा , चंपा की आँखे खुद बा खुद खुल गयी , चंपा
भी अपनी कमर हिला रही थी , दीपक जान बूझ कर धीरे -2 धक्के मार रहा था ,
चंपा अपनी कमर को हिलाते हुए ,मूह से हल्की आवाज़ और तेज़ी से साँसे ले रही
थी
दीपक ने अपने धक्को को तेज़ किया और नीचे चंपा के धक्को से मिला दिया , जब
दीपक धक्का मार के उपर होता चंपा अपनी कमर उपर उठा देती ,ओर वैसे की दीपक
जब धक्का मार के लंड अंदर करता , चंपा कमर को बेड पर रख देती ,दोनो एक
दूसरे का शिकार कर रहे थे
दोनो जिस्म एक दम आपस मे चिपके हुए थे , धक्को के साथ-2 लबो को चूसना जारी
था
दीपक ये पहली बार कर रहा था, पर दिव्या के साथ बीताए पल उसे अभी भी याद थे
चंपा की साँसें तेज़ होती जा रही थी , उसने धक्के लगाना भी बंद कर दिया था
,दीपक के धक्को की रफ़्तार तेज़ हो चुकी थी
चंपा का शरीर ढीला पड़ा , पहला झटका लगा ,दीपक को झटके का एहसास हुआ उसने
धक्के रोक दिए ,सामने चंपा की तरफ देखा उसके चेहरे पर एक सकून था ,जैसे
किसी प्यासे की प्यास भुज गयी हो ,दीपक ने फिर धक्के लगाने शुरू किए इस बार
वो भी बहुत करीब पहुच चुका था ,चंपा का गरम पानी दीपक के पूरे लंड को भिगा
चुका था
दीपक को लगा के वो झड़ने वाला है ,सामने चंपा तो जैसे एक नशे मे थी ,उसे
कुछ होश नही था
दीपक ने जल्दी से लंड बाहर निकाला और उसका पानी हवा मे उछला सीधा चंपा की
कमर पर पहली बूँद गिरी, चंपा की नज़रे उसी को देख रही थी ,उसका वीरया थोड़ा
उसकी चूत और बेड पे गिरा
दीपक ज़ोर-2 से साँस ले रहा था, उसकी नज़रे चंपा की नज़रो से मिली हुई थी
,मानो दोनो एक दूसरे को ऐसे ही देखते रहना चाहते हो
दीपक बेड से नीचे हुआ,सामने खड़ा होकर चंपा की तरफ ही देख रहा था,बेड पे
लेटी चंपा को शर्म आ रही थी ,चंपा ने बेड से नीचे देखा उसकी ब्रा और पॅंटी
पास मे ही पड़ी थी
जल्दी से खड़ी हुए कपड़े उठाए और बाथरूम की तरफ गयी
बाथरूम मे घुसते ही , चंपा दरवाज़े के पीछे खड़ी तेज़ साँसें ले रही थी,
उसके चेहरे पर एक अलग सी खुशी थी, कपड़े पहन लेने के बाद भी चंपा बाहर नही
गयी , कदम बढ़ाती फिर रुक जाती पता नही उसके मन मे क्या था
बाहर दीपक अपने कपड़े पहन चुका था और चंपा का इंतेज़ार कर रहा था, आधा घंटा
हुआ पर चंपा बाहर नही आई
चंपा बाहर जल्दी से जाना चाहती थी ,पर दरवाज़े पर हाथ लगाते ही ,पीछे हट
जाती थी
थोड़ी देर बाद तक जब चंपा बाहर नही आई , दीपक बाथरूम के पास गया , बाहर से
दरवाज़ा खत खाटाया
दीपक: चंपा तुम ठीक तो हो
अंदर से चंपा जवाब तो देना चाहती थी पर उसकी ज़बान कुछ बोल नही पाई , दीपक
ने दरवाज़े पर दबाव बनाया , दरवाज़ा खुला हुआ था , अंदर चंपा को जब लगा के
दीपक यही आ रहा है , वो मुड़ के खड़ी हो गयी
दरवाज़ा खुला सामने चंपा , दीवार की तरफ मूह करके खड़ी हुई थी , दीपक अंदर
गया , उसके कंधे को छूने के लिए हाथ बदाया पर वापस अपना हाथ खींच लिया
दीपक: (आराम से बोला) चंपा इधर देखो
दीपक की आवाज़ सुनते ही ,चंपा और आगे हो गयी ,दीवार से जा चिपकी , दीपक को
ऐसा लगा के उसने ये सब ग़लत कर दिया है
दीपक, चंपा के पास गया उसके कंधे पर हाथ रखा
दीपक: मुझ से कोई ग़लती हो गयी
चंपा ने सामने गर्दन ना मे हिला के जवाब दिया
दीपक: तो मेरी तरफ देखो
चंपा ने फिर गर्दन ना मे हिलाई
दीपक पीछे से चंपा के करीब गया ,उसके दोनो कंधो पर अपना हाथ रखा ,और उसे
अपनी तरफ करने लगा , चंपा अपने दोनो हाथो को बाँधे पीस रही थी, उसकी नज़रे
नीचे थी चहरे पर एक हल्की से मुस्कान थी
दीपक: क्या हुआ , कुछ बोलो
चंपा कुछ नही बोली ,सीधा दीपक के कंधे पर अपना सिर रख दिया , दीपक ने अपने
हाथ उसकी कमर के पीछे बाँधे और ज़ोर से जाकड़ लिया
थोड़ी देर तक दोनो मे से कोई नही बोला ,दीपक ने अपना मूह खोला
दीपक: चंपा मुझे बहुत ज़ोर की भूक लगी है , खाना खिला दो
चंपा ,दीपक से अलग हुए ,उसकी आँखों मे देखा , हल्का सा मुस्कुरई
चंपा: 5मिनट दीजिए अभी तैयार करती हू
ये बोल कर दोनो बाथरूम से बाहर आए
दीपक खाना खा के बेड पर बैठा था के चंपा सामने आकर खड़ी हो गयी,उसकी नज़रे
अभी भी नीचे ही थी
दीपक: चंदू आया नही अभी तक
चंपा: आता ही होगा,आप उसके साथ जाएँगे
दीपक: जाना तो पड़ेगा चंपा ,ऐसे बैठ नही सकता मैं
चंपा: पर आपका जखम
दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ किया
दीपक: चिंता मत करो मुझे कुछ नही होगा
...
राणे पुरानी फाइल्स को छान रहा ,धूल मिट्टी से भरा कमरा ,चारो तरफ धूल से
धक्की फाइल्स पड़ी थी
राणे: बाबू राम आज मिट्टी से नहाना पड़ेगा भाई
हवलदार: सर आप जा कर बैठे मुझे बताए क्या ढूंडना है
राणे: ह्म्*म्म्म प्रमोशन तुहार पक्का है
ये सुनते ही बाबूराम खुश हो गया, राणे अभी भी फाइल्स को छान रहा था,बहुत
साल पुराने केसस की फाइल्स थी सब धूल मिट्टी से धक्की पड़ी थी
हवलदार: साहेब आप की पगार कितना है
राणे: क्यू पूछ रहे हो ,हम लोन नही देते भैया
हवलदार: नही साहेब मे तो इसलिए पूछ रहा था के ,कल को जब मे पोलीस
इनस्पेक्टर बनूंगा तब मेरी पगार कितनी होगी
राणे: चिंता मत करो सब पता चल जाएगा
थोड़ी देर बाद कुछ फाइल्स उठाई और उस कमरे से बाहर दोनो आए, दोनो धूल मे
लथपथ थे , अपना मूह हाथ धोने के बाद राणे अपनी कुर्सी पर बैठा
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06-28-2017, 10:58 AM,
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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
जो फाइल्स वो लोग उस कमरे से लाए था , राणे उन्हे खोलने लगा , हर फाइल मे
खून के केसस थे , जो केस सॉल्व हो चुके थे उन पर मुजरिम के फोटो भी लगे हुए
थे
राणे: बाबू राम चाइ बोलो
काफ़ी सारी फाइल्स छानने के बाद , एक फाइल को राणे ने साइड मे रखा , हवलदार
चाइ लेकर आया
राणे: ये सब वापस रख दो
हवलदार ने टेबल से सारी फाइल्स उठाई , और वापस उसी रूम मे रख दी
कुछ देर उसी फाइल मे बिताने के बाद ,एक पेपर पर कुछ डीटेल्स नोट करी, राणे
ने हवलदार को अपने पास बुलाया
राणे: ये जिस -2 के नाम इस मे है , इनकी डीटेल ले कर आओ , कहा पर है क्या
कर रहे हो , कौन मर चुका है कौन ज़िंदा है समझे का
हवलदार: जी सर
राणे ने कुछ देर ऐसे ही फाइल को चेक किया , वो एक दम से चौक पड़ा , जैसे
मानो उसे कुछ मिला हो , उसने फोन उठाया नंबर डाइयल किया
राणे: कहा पर हो
डीटेक्टिव: सर आपका काम ही कर रहा हू
राणे: एक काम करो
राणे ने कुछ डीटेल्स और अड्रेस डीटेक्टिव को दिया
राणे: जो अड्रेस तुम्हे दिए है , इसका पूरा हिस्टरी दो , और हां एक भी
ग़लती ना हो किसे को पता नही लगना चाहिए के हम क्या कर रहे है
डीटेक्टिव: जी सर , अभी पहले वही जाता हू
राणे ने फोन काटा और चाइ की चुस्की भरी
.....
चंदू खूली मे दाखिल हुआ ,सामने दीपक बेड पे बैठा उसका ही इंतेज़ार कर रहा
था
चंपा: अरे तू आगया , साहेब जी तेरा बड़ी देर से इंतेज़ार कर रहे थे
चंदू: कही काम मे फस गया था , चलो
दीपक: क्या तुमने अपने दोस्त से बात की
चंदू: हां मेने उसे बोल दिया था, पर वो बस हमे सत्या से मिलवा सकता है ,
बाकी सब तुम्हे खुद पूछना पड़ेगा
दीपक: चलो
चंपा: चंदू साथ मे रहना साहेब जी के समझा
चंदू: हां साथ रहूँगा ,तू चिंता मत कर
दोनो खोली से बाहर की और हुए ,दीपक ने मूड के चंपा को मुस्कान दी और कमरे
से बाहर हो गया
दोनो कुछ दूर तक ऐसे ही चल रहे थे,दीपक ने सामने से दिव्या को आते देखा
,दिव्या ने भी उसे देख लिया था , दिव्या अकेली थी उसी की तरफ बढ़ रही थी
दीपक के कदम खुद बा खुद रुक गये , उसकी नज़रे दिव्या पर ही थी , दिव्या भी
उसे देख रही थी , चंदू अपनी धुन मे थोड़ा आगे बढ़ चुका था
दीपक ने कुछ बोलना चाह पर अचानक दिव्या की आँखों मे एक गुस्से की ल़हेर पा
कर रुक गया, दिव्या दीपक की तरफ ही देख रही , वो दीपक से बहुत सवाल करना
चाहती थी पर कुछ बोली नही
उसका गुस्सा उसके चेहरे पे ज़ाहिर था , कुछ बोली नही बस आगे बढ़ चली , दीपक
वही खड़ा उसे जाते देख रहा था
चंदू: अरे कहा पीछे रह गये , आओ जल्दी
चंदू की आवाज़ ने दीपक को नींद से जगाया , और वो भी आगे को हो गया
अप्सरा बार के बाहर दोनो पहुचे
चंदू : यही रूको मे अपने दोस्त से मिल कर आता हू
दीपक ने हामी भरी , चंदू बार के अंदर को हुआ
दीपक बाहर खड़ा इधर उधर देख रहा था, सामने उसे एक हवलदार आता दिखा , दीपक
घबराया और बार के अंदर हो गया
बार के अंदर अचानक सारी लाइट्स ऑफ हो गयी , और एक आवाज़ आई
दोस्तो आज हमारी शाम और रंगीन करने के लिए इस इलाक़े की मश-हूर डॅन्सर
मुन्नी आज यहा पेरफॉर्मेंसे देंगी
लाइट्स ऑन हुई , और तालियो की गड़ गड़ाहट सुनाई दी , जैसे ही लाइट्स ऑन हुए
दीपक ने अपने आप को लोगो की भीड़ पे पाया , आज बार मे एक जशन का महॉल था ,
लोग अपनी मस्ती मे मस्त थे शराब के जाम एक दूसरे से टकरा रहे थे
और एक अननौसेमेंट हुआ , दोस्तो आज हमारे बार के मल्लिक मिस्टर. सत्या जी भी
आप लोगो के साथ यही मौजूद है , आप सब तो इन्हे जानते ही होंगे ये इस शहेर
की एक जानी मानी हस्ती है
ये सुनते दीपक की नज़रे , स्टेज के उपर एक आदमी पर पड़ी जिसने माइक अपने
हाथ मे लिया ओर बोला
दोस्तो आज हमारे इस अप्सरा बार की 10थ अन्नीवेरसेरी हे , आप सब लोग यहा आए
आप लोगो का बहुत -2 शुक्रिया , ये बोल कर वो स्टेज से नीचे उतर गया , दीपक
की आँखें उसी पर टिक गयी
चंदू बार के बाहर आया , और दीपक को ढूँढने लगा , पर दीपक का कोई आता पता
नही था , उसे लगा जैसे दीपक बार के अंदर जा चुका है , वो जल्दी से बार के
अंदर हुआ
चंदू जैसे ही बार के अंदर हुआ , सामने स्टेज पर लड़किया डॅन्स कर रही थी,
स्टेज के आगे दो बॉडीगार्ड हाथ मे गन लिए खड़े थे जो सत्या के लिए थे
अचानक दीपक के कंधे पर किसे ने हाथ रखा ,दीपक ने पीछे मूड के देखा
चंदू: अंदर कब आए
दीपक: अभी आया हू, (अपनी उंगली से इशारा किया सत्या की और)
चंदू ने दीपक की और देख कर हामी भरी
एक आदमी सत्या के पास आया ,उसके कान मे कुछ कहा और वाहा से चला गया ,सामने
स्टेज पर डॅन्स चालू था , कुछ देर बाद सत्या वाहा से उठा और उपर बने अपने
पर्सनल कमरे मे चला गया , दोनो वाहा खड़े उसे ही देख रहे थे
दीपक: तुमने अपने दोस्त से बात की
चंदू: वो नही है यहा , कही काम से चला गया
दीपक: फिर मिल कैसे पाएँगे , यहा ख़तरा भी है ( उसका इशारा उन बॉडीगार्ड्स
की तरफ था)
दोनो बार के दूसरी तरफ हुए ,जहा से सत्या के कमरे की सीडिया नीचे से उपर जा
रही थी , और नीचे दोनो बॉडीगार्ड्स खड़े थे
दीपक : एक काम करो ( दीपक ने चंदू के कान मे कुछ कहा , चंदू तैयार नही हुआ ,
पर दीपक के बार-2 कहने पर मान गया )
चंदू , दीपक से अलग हुआ और आगे स्टेज की तरफ हुआ ,टेबल पे पड़े ग्लास को
उठाया और नशे मे चूर होने की आक्टिंग करने लगा
स्टेज की तरफ चंदू पहुचा , और खाली ग्लास के साथ नशे मे होने की आक्टिंग
करने लगा स्टेज पर नाच रही लड़कियो को छेड़ने लगा
पास खड़े मॅनेजर ने दोनो बॉडीगार्ड्स की तरफ इशारा करके बुलाया , इसे यहा
से बाहर फैंको
बॉडीगार्ड्स उसे स्टेज से दूर करते हुए बाहर गेट के पास लाए और वही छ्चोड़
दिया
दीपक इसका फ़ायदा उठा कर उपर सीडिया चढ़ते हुए कमरे मे दाखिल हुआ
नीचे फिर चंदू वापस बार मे अंदर आगेया था और बॉडीगार्ड्स के सामने नाचने
लगा
उपर सीडियो से दीपक भागता हुआ नीचे आया , बॉडीगार्ड्स ने उसे रोकने की
कोशिश की , दीपक ने दोनो को धक्का दिया और नीचे गिरा दिया , बार से भागता
हुआ बाहर हुआ , चंदू वही खड़ा देखता रहा वो कुछ समझ नही पाया
बॉडीगार्ड्स खड़े हुए , उपर सीडिया चढ़ते हुए कमरे मे पहुचे , सामने बेड पर
सत्या खून मे लथपथ पड़ा था , उसके गले से अभी भी खून बह रहा था
एक बॉडीगार्ड ने दूसरे को बोला , जा उसका पीछा कर , दूसरा बॉडीगार्ड भागता
हुआ बार से बाहर हुआ और चारो तरफ देखने लगा पर कोई नही था , लोगो की चहेल
पहाळ थी
पोलीस थाने मे बैठा राणे डीटेक्टिव के फोन का इंतेज़ार कर रहा था, वो चाहता
था के कोई खुशख़बरी मिले , फोन की घंटी बाजी, राणे ने झट से फोन उठाया
राणे: इनस्पेक्टर राणे हियर
बात ख़तम होने के बाद राणे ने फोन काटा, बड़े अजीब अंदाज़ मे कुर्सी से
खड़ा हुआ अपनी कॅप उठाई और बिना किसी को कुछ कहे पोलीस स्टेशन से बाहर हुआ
गाड़ी के पास पहुचा
राणे: चलो
हवलदार: कहा सर
राणे: वाहा
हवलदार: सर
राणे: अरे यार एक खून और हुआ चलो अप्सरा बार
जीप अप्सरा बार के बाहर रुकी , कोई गाड़ी से नीच नही उतरा , हवलदार की नज़र
राणे पर पड़ी उसको लगा साहब कही घूमे है
हवलदार: सर हम पहुच गये
राणे अपनी नींद से जागा , गाड़ी से नीचे उतरा और बार के अंदर हुआ , सामने
सीडियो के पास भीड़ इकट्ठी थी, राणे को देख लोगो ने रास्ता दिया ,उपर
सीडिया चढ़ता हुआ कमरे मे पहुचा बेड खून से भरा था
पास मे पड़े फोन को उठाया ,पोलीस स्टेशन फोन किया
राणे: राणे बोल रहा हू , यहा अप्सरा बार मे फोरेन्सिक वालो को भेजो , एक
आफ़त और आ गयी है
राणे ने फोन रखा , और लाश के पास आया गले से अभी भी खून बह रहा था
सामने खिड़की के पास गया उसे खोला ,और सामने एक रस्सी लटक रही थी ,खिड़की
से झाँक के देखा ,बार की पिछली गली का रास्ता था, वाहा से मुड़ा
राणे: किसी को कुछ इस बारे मे पता है , कुछ देखा किसे ने
बॉडीगार्ड आगे आया
बॉडीगार्ड: साब एक लड़का था ,सत्या साब को मार के वो सीडियो से नीचे भाग
गया
राणे: तुम कौन हो ,और ये गले मे जो गन डाली है इसका लाइसेन्स है
बॉडीगार्ड: साब मे सत्या साब का बॉडीगार्ड हू ,इस गन का लिसेँसेंस है मेरे
पास
राणे: ऊ भाग गया , और तुम का एई गन लटकाए मूह देख रहे थे
बॉडीगार्ड: साब वो अचानक भागता हुआ आया और धक्का दिया , और भाग गया , हम
लोग कुछ समझ नही पाए
राणे: ह्म्*म्म. अरे हमका एई तो बताओ ,वो लड़का उपर कैसा आया
बॉडीगार्ड्स: पता नही सर हम दोनो तो नीचे ही खड़े थे ,उपर तो कोई नही आया
था सत्या साब हमारे सामने ही उपर आए थे, उस वक्त कमरे मे कोई नही था
राणे सोच मे पड़ गया , उसको याद था के सत्या पे पहले भी जान लेवा हमला हो
चुका था
थोड़ी देर मे पोलीस वालो के साथ , फोरेन्सिक वाले भी पहुच चुके थे
राणे ने फोरेन्सिक डिपार्टमेंट के एक आदमी को अपनी तरफ बुलाया , खिड़की के
पास ले कर गया और नीचे की तरफ इशारा किया
राणे: नीचे जाओ और वाहा जुतो (शूस) की निशान होंगे उन को उठा लो , और रस्सी
पे जो कुछ हो ले लेना
ये बात सुन कर वो आदमी कमरे से बाहर गली के पीछे हुआ , पीछे जैसे ही वो
नीचे पहुचा राणे ने आवाज़ दी
राणे: रस्सी खींचिए ज़रा , देखे नीचे आती है का
नीचे खड़े आदमी ने ज़ोर से रस्सी खींची पर , रस्सी को कुछ नही हुआ
राणे: ठीक है , अब तुम अपना काम करो
दो पोलिसेवालो को छत पर भेजा,
राणे: जाओ देखिए ज़रा ,एई रस्सी कहा अटकी है , और हां रस्सी को हाथ लगाने
से पहले ग्लाउब्स पहेन लेना
दोनो हवलदार भी छत की तरफ हुए
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06-28-2017, 10:58 AM,
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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
हफ्फ़्ता हुआ चंदू खोली के अंदर घुसा , किचन मे बैठी चंपा खाना बनाने की
तय्यारी कर रही थी , कदमो की आहट से चंपा मूडी सामने चंदू को देखा
चंपा: क्या हुआ , तू इतना हाफ़फ़ क्यू रहा है
चंदू: प्प्पन्नि दे पहले
चंपा पानी लेकर आई
चंदू ने पानी गटका , हाफफ़्ते हुए बोला
चंदू: वो .. वो तेरे साहेब ने सत्या बोउ का खून कर दिया
चंपा: क्या ? साहेब जी कहा है (ज़ोर से बोली)
चंदू: मुझे नही पता वो कहा है , खून करके वो भाग गया वाहा से , मुझे तो डर
लग रहा है ,कही मे ना फस जाऊ
चंपा कुछ बोल नही पाई , खोली के बाहर गयी और दीपक की रह देखने लगी (परेशानी
उसके चेहरे पे जाहिर थी)
.......
राणे: अपने सारे स्टाफ को बुलाओ ( मॅनेजर को बोला)
10मिनट बाद सारा स्टाफ नीचे लाइन मे खड़ा था, राणे सीडियो से नीचे उतरता
हुआ स्टाफ के सामने आया
राणे: तुम लोगो मे से कोई इस खून के बारे मे कुछ जानता है
कोई कुछ नही बोला
राणे: तुम मे से लॉंडरी की ड्यूटी पे कौन था
एक आदमी लाइन मे से आगे आया , साहेब मे था लॉंडरी की ड्यूटी पे
राणे: आख़िरी बार छत पर कब गये थे
स्टाफ: सर कल सुबह गया था, हफ्ते मे तीन बार कपड़े धोए जाते है
राणे: ठीक है जाओ, तुम सब मे से आख़िरी बार उस रूम मे कौन गया था ( उसका
इशारा सत्या की लाश वाले रूम की तरफ था)
मॅनेजर: सर मे गया था (घबरा के बोला)
राणे: काहे गये थे भाई
मॅनेजर: सर वो सत्या सर की ड्रिंक्स ले कर मे खुद गया था ,वो हर शाम अपने
कमरे मे ही ड्रिंक करते थे
राणे: एक शराबी कम होगया (आराम से बोला) , तुम कुछ देखे रूम मे , कोई था
वाहा
मॅनेजर: सर जब गया सत्या सर अपने रूम मे नही थे , वो बाद मे रूम आए थे , जब
मे गया वाहा कोई नही था
राणे: (हवलदार को बुलाया) इन सब के बयान लो
स्टाफ के लोगो मे से एक लड़का बाहर निकल के आया , राणे के पास गया
स्टाफ: सर मुझे कुछ बताना है आपको
राणे: तुम खून किए हो का
स्टाफ: ना,,नही मेने कुछ नही किया , वो आज सुबह मेरा दोस्त सत्या साहब से
मिलना चाहता था
राणे: कहा है तुम्हारा दोस्त , तेरा नाम क्या है
स्टाफ: सर मेरा नाम किशन है, मेरा दोस्त चंदू है वो आज सत्या साहब से मिलना
चाहता था
राणे: वो मिलने आया था यहा
किशन: सर मुझे पता नही , साहब ने मुझे कही काम से भेज दिया था , उसने मुझे
बोला था के वो शाम को आएगा
राणे: तुम्हारा दोस्त रहता कहा है
किशन: सर यही पास मे रहता है ,आजकल मेरी खोली मे उसका कोई रिश्तेदार रह रहा
है
राणे: ( 2 हवलदरो को बुलाया) इसके साथ जाओ , और जो इसकी खोली मे मिले थाने
मे लेकर पहुचो , और हां कोई गड़बड़ी नही सब के सब मिलने चाहिए
हवलदार: जी सर
बोलकर किशन के साथ बार से बाहर हुए
फोरेन्सिक वालो ने सारे सबूत इकट्ठे किए , सत्या की लाश को आंब्युलेन्स मे
डाल दिया गया
राणे: इस की रिपोर्ट सुबह मेरी टेबल पर होनी चाहिए (फोरेन्सिक वाले को
बोला)
राणे बार से बाहर आया गाड़ी मे बैठा और पोलीस स्टेशन की तरफ हुआ
.....
दीपक एक अंधेरे कोने मे बैठा था, आस पास कुत्तो के भोकने की आवाज़्ज़ आ रही
थी, अपने आप से बाते कर रहा था
सत्या उसकी आँखों के सामने ही उपर उस कमरे मे गया था , पर जब वो वाहा पहुचा
उसकी लाश खून मे लथपथ बेड के उपर पड़ी थी , पर वाहा कोई था भी नही फिर वो
मरा कैसे , उसकी समझ मे आ चुका था के एक और खून का इल्ज़ाम उस पर लगने वाला
है, अब उसका चंपा के घर जाना ख़तरे से खाली नही था, पर उसे चंपा की फ़िक्र
होने लगी थी
दीपक: कही मेरी वजह से चंपा को कुछ हो गया तो , चंपा मुझे माफ़ कर देना
दीपक अंधेरे मे बैठा आगे की सोच रहा था के उसे अब क्या करना है ,रात घिर
गयी थी उसे अपने रात के रुकने का इंतज़ाम करना था
...
चंपा खोली के बाहर खड़ी बड़ी देर से दीपक का इंतेज़ार कर रही थी ,कुछ देर
बाद 3लोगो को अपनी तरफ आता देखा ,जब वो लोग पास आए उसमे से दो ने पोलीस की
वर्दी पहनी हुई थी,चंपा घबरा के खोली के अंदर भागी,सामने चंदू ने उसे
घबराया देख उससे पूछा
चंदू: क्या हुआ,इतना डर क्यू रही है
चंपा: पोलिसेवाले आ रहे है
ये सुनते ही चंदू की साँसें रुक गयी
चंदू: ये सब वो तेरे साहब की वजह से हुआ है,मुझे भी क्या ज़रूरत थी तुमलोगो
की मदद करने की ( गुस्से मे बोला)
इतना बोलते ही,पोलीस वाले भी किशन के साथ खोली मे घुसे
हवलदार ने क्षण किशन की तरफ देखा
किशन: ये चंदू है
पोलीस वालो ने आगे बढ़ कर उसे पकड़ा
चंदू: मुझे किस लिए पकड़ रहे हो मेने कुछ नही किया,जाने दो मुझे ( रोते हुए
बोला),किशन तू बचा ले मुझे मेने कुछ नही किया
हवलदार: आइ छोकरी चल हमारे साथ थाने
किशन वही खड़ा था पर कुछ बोला नही
हवलदार दोनो को खोली से बाहर ले कर आए , लोगो की भीड़ घर के बाहर थी , उसमे
से कुछ चंदू और चंपा को जानने वाले भी थे
....
दीपक रास्ते पे चल रहा था , जेब मे कुछ पैसे भी नही थे , किसी होटेल मे रात
भी कैसे गुज़ारता , कुछ सोचा और अपने कदम आगे को बढ़ा दिए
...
हवलदार दोनो को लेकर पोलीस स्टेशन मे पहुचे
हवलदार: साहेब ये चंदू है
राणे ने अपनी नज़रे फाइल से हटाते हुए , उपर करी , सामने चंदू और चंपा को
खड़ा देखा , चंपा उसे जानी पहचानी लगी
राणे: (हवलदार से पूछा) एई लड़की कौन है
हवलदार: साहब ये भी उसी खोली मे मिली हमे
राणे को याद आया के वही लड़की है जो उस चोर की प्रेमिका थी
राणे: तुम ऊ चोर की लवर है ना (चंपा से बोला)
चंपा चुप खड़ी रही कुछ बोली नही
राणे: लवर चेंज कर लिया का
चंपा ने गुस्से से राणे की तरफ देखा
राणे: अरे एई का तो टेमप्रिटर हाइ हो गया , ह्म्*म्म कम करना पड़ेगा उषा जी
इधर आइए
पास के बेंच से लेडी पोलीस खड़े हो कर राणे की टेबल के पास मे आई और चंपा
के बगल मे खड़ी हो गयी
राणे: हमरी बात का ठीक से जवाब दीजिए वरना एई जो उषा जी है ना बहुत गूंगी
लड़कियो की आवाज़ खुलवा दी है समझी का
चंपा ने पास खड़ी उषा की तरफ़ देखा , वो एक मोटी लंबी चौड़ी औरत थी
उषा जी: साहेब के सवाल का जवाब दे , वरना मे तुझे अभी ठीक करती हू
राणे: अरे उषा जी काहे इतना गुस्सा करती है , एई सब बोलेगी , अभी बोलेगी
पहले ज़रा एई इसके लवर से तो मिल ले
राणे अपनी सीट से खड़ा हुआ , और चंदू के पास गया
राणे : तुम सत्या का खून किए ना
चंदू: (रोते हुए बोला) नही साहब मेने कुछ नही किया
राणे: तो का हम किए , अरे बाबूराम मेहमान आए है खातिरदारी करो भाई
हवलदार ने आगे बाद कर चंदू के बॉल पकड़े और टेबल पे ज़ोर से मार दिया ,
चंदू के मूऊ से चीखे निकल पड़ी और वो नीचे गिर पड़ा , उसका माथा एक दम लाल
पड़ चुका था
राणे: चंदू भाई और सेवा करे
चंदू , राणे के पाँवो मे गिर पड़ा
चंदू: (रोते हुए बोला) साहब मेने कुछ नही किया , वो खून इसके साहब ने किया
है (चंपा की तरफ इशारा किया)
चंपा ने अपना चेहरा नीचे कर लिया और कुछ बोली नही
राणे: कौन सा साहब
चंदू : साहब वो जिसके घर मे कुछ दिन पहले उसने खुद अपने बाप और बेहन का खून
किया था
राणे: दीपक
चंदू: हां साहब
चंपा अभी भी अपना सिर झुखाए खड़ी थी
राणे: अब सब जल्दी-2 बोल वरना तेरी सेवा करना शुरू करू
चंदू ने सब कुछ बताना शुरू किया
राणे आराम से बैठा सब कुछ सुन रहा था , उसको अपने कुछ सवालो का जवाब भी मिल
रहा था , जिसकी वो तलाश मे था
चंदू ने सब कुछ बताया जितना वो जानता था,
राणे : खाना खाए का (चंदू से पूछा)
चंदू बड़ी हैरानी से देख रहा था
राणे: अरे खाना खाए का
चंदू : ना...नही
राणे: बाबूराम खाना खिलाओ भाई , भूखे पेट है बेचारा
हवलदार के चेहरे पे हल्की सी हसी थी , पोलीस स्टेशन से बाहर हुआ खाना लाने
के लिए
राणे: तुहार नाम का है (चंपा से बोला)
चंपा
राणे: तुम का पता है , तुम इतने दिन जैल से भागे कैदी को अपने साथ रखे ,
तुझे सज़ा भी होसकती है
चंपा: मेरे साहब जी ने कुछ नही किया , वो बेकसूर है
राणे: तुहार कहने से मान ले का , कोई सबूत
चंपा: अगर वो खूनी होते तो उनको जान से मारने की कोशिश किसने की
राणे: बच तो गया , और ऐसे लोगो के दुश्मन भी तो हो सकता है
चंपा: कोई उनका पीछा कर रहा था
राणे: पर ऊ तो तुहार पीछे था , उसका का होता
चंपा ने अपनी आँखें उपर की और राणे की तरफ देखा
चंपा: सब जानते है , पोलीस सिर्फ़ बेकसूरो को ही पकड़ती है
राणे: उषा जी इसे हवालात मे डालो
उषा जी उसे अपने साथ खिचते हुए हवालात के अंदर ले गयी
हवलदार: सर इनकी एंट्री करू रिपोर्ट मे
राणे: नही यार , अभी रूको
राणे अपने दिमाग़ पर ज़ोर देने लगा था , घड़ी के तरफ नज़र डाली रात के
10:30 बज रहे थे , फोन उठाया नंबर डाइयल किए
राणे: कहा तक पहुचे भाई
डीटेक्टिव: सर कुछ मिला है , पर वो यहा शहेर मे नही है , आस पास के लोगो से
कुछ पता लगा है
डीटेक्टिव ने कुछ और बाते राणे को बताई और फोन काट दिया
राणे ने हवलदार को अपने पास बुलाया
राणे: एक स्लिप हवलदार को दी , इस फोन नंबर की कॉल डीटेल चाहिए जल्दी और
हां इस नंबर की सारी कॉल टॅप करो समझे
दीपक एक बंगल के सामने पहुचा , डोरबेल बजाई , दरवाज़ा खुला नौकर बाहर निकल
के आया
दीपक: मयूर साहब है
नौकर: नही वो नही है
दीपक: आंटी होंगी
नौकर: आप कौन
दीपक: दीपक
नौकर: रुकिये पूछ के आता हू
नौकर अंदर गया वीना को दीपक के आने की खबर दी , वीना अपने कमरे से भागते
हुए दरवाज़े के पास पहुचि, सामने दीपक को खड़ा देख वो खुश थी
वीना: आओ बेटा अंदर आओ
वीना ,दीपक को अंदर ले कर आई
वीना: बेटा तुम्हे बहुत दिन बाद देखा है
दीपक: आंटी आप तो सब जानती है के मुझ पर क्या इल्ज़ाम है
वीना: बेटा मे नही मानती , मे तुम्हारे परिवार को 25 साल से जानती हू , और
मे कभी नही मान सकती के तुम ऐसा पाप करोगे
दीपक: आंटी आज रात मुझे छिपने के लिए कोई जगह चाहिए
वीना: बेटा ये तुम्हारा ही घर है , जब तक चाहो तब तक रहो यहा
वीना ने नौकरो को खाना लगाने के लिए बोला
वीना: चलो बेटा खाना खा लो , मे जानती हू तुम किस स्तिथि से गुज़र रहे हो ,
पर तुम्हे अपनी सेहत का ख़याल रखना चाहिए चलो आओ
दोनो टेबल पर बैठे
दीपक: आंटी , अंकल कहा है
वीना: बेटा वो काम के सिलसिले मे बाहर गये है , कल वापस आ जाएँगे , चलो अब
खाना शुरू करो
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06-28-2017, 10:59 AM,
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RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
उधर राणे 11:00 बजने पर भी घर नही गया था , उसे इस केस को जल्दी अंजाम तक
पहुचाना था , उसकी नौकरी भी ख़तरे मे थी
रात को 11:00 बजे राणे ने किसी से फोन पर बात की , और उसे कुछ काम दिया
हवलदार: सर आज घर नही जाएँगे क्या
राणे: नही भैया अब तो घर तभी जाएँगे ,जब तक ऊ कातिल लोग एई थाने मे नही आते
..
दीपक खाना ख़तम करके टेबल से खड़ा हुआ
वीना: बेटा एक बात कहू
दीपक: जी आंटी
वीना: बेटा तुम यहा से चले क्यू नही जाते,मतलब कही किसी और जगह , यहा तुम
पर ख़तरा बहुत है
दीपक: नही आंटी मे नही जाउन्गा , जब तक उनलोगो को नही सज़ा देता जिन्होने
मेरी दुनिया मे आग लगा दी है
वीना: बेटा अगर तुम्हे कुछ हो गया तो ,तुम्हारी मा वैसे ही सब कुछ खो
चुकी,और अब बस तुम ही उसका सहारा हो
दीपक: आंटी मे जानता हू माँ के लिए ये वक्त सबसे मुश्किल है पर मे भाग कर
कही नही जाउन्गा
वीना : चलो अब रात बहुत होगयि उपर कमरे मे सो जाओ
वीना ,दीपक को अपने साथ लेकर कमरे के अंदर गयी
वीना: रूको बेटा मे एक मिनट मे आती हू
वीना सीडियो से नीचे उतरी , मंदिरवाले कमरे मे गयी , हाथ मे थाली ले कर
दीपक के पास पहुचि
वीना: बेटा सोने से पहले भगवान का आशीर्वाद लो
दीपक ने दोनो हाथो को आगे बढ़ाया , आरती ली
वीना: चलो तुम अब सो जाओ , बहुत थके लग रहे हो
वीना सीडिया उतर के नीचे मंदिर वाले कमरे मे आई , भगवान के सामने बैठ के
पूजा करने लगी , मानो भगवान से दीपक की रक्षा के लिए दुआ करने लगी हो
.....
हवलदार: सर,, सर्र
हवलदार ने राणे को आवाज़ दी , राणे रात को अपनी कुर्सी पे ही सो गया , उसे
पता नही चला उसकी आँख कब लगी
राणे: हां , का हुआ भाई
हवलदार: सर ये कल जो खून हुआ था , उसकी फोरेन्सिक रिपोर्ट
राणे: हां रखो , हम ज़रा अपना हुलिया ठीक करके आते है ,
राणे कुर्सी से उठा , बाथरूम की तरफ हुआ , वाहा से फ्रेश हो कर आया , टेबल
पर पड़ी रिपोर्ट को उठाया और पढ़ने लगा
राणे हल्का सा हँसा , और अपने आप से बोला ,(हम भी तो यही सोच रहे थे)
राणे: बाबू राम भाई चाइ तो बोलो , का सुबह सुबह मूड खराब कर रहे हो
हवलदार: सर मेने कौन सा मूड खराब किया
राणे: बाबूराम तुहार को इनस्पेक्टर बनना है ना
हवलदार: जी सर
राणे: चाइ बोलो फटाफट
हवलदार थाने से बाहर हुआ
राणे ने फोन मिलाया
राणे: हां भैया कहा तक पहुचे
डीटेक्टिव: सर सबूत ला रहा हू , बस पहुचने वाला हू आपके पास
राणे: का बात है सबाश जल्दी लाओ यार , बहुत कम टाइम है
बात करके फोन कांटा
राणे ने एक और मिलाया
राणे: कुछ मिला का भाई
हवलदार: नही सर अभी तक तो कुछ नही
राणे: काम पर लगे रहो , कुछ मिले तो हमरे पास लेकर आना
.....
दीपक सुबह नीचे आया , सामने वीना मंदिर मे पूजा कर रही थी , वीना बाहर आई
पूजा की थाली दीपक के आगे करी , दीपक ने आरती ली
वीना: चलो बैठो नाश्ता कर लो
दीपक: नही आंटी अब मुझे जाना होगा , एक जगह रहना ख़तरा खड़ा कर देता है
वीना: बेटा कुछ खा लो फिर चले जाना , मे मना नही करूँगी
थोड़ी देर बाद एक हवलदार पोलीस स्टेशन मे आया हाथ मे कुछ पेपर्स थे
हवलदार: सर ये उस नंबर की कॉल डीटेल्स
राणे ने पेपर अपने हाथ मे लिया, कॉल डीटेल्स मे नंबर के साथ उन नंबर्स के
आड और डीटेल्स थी
राणे ने हवलदार की तरफ इशारा किया, उसे नंबर दिखाया
राणे: एई जो नंबर है, एई के पास अभी जाओ,पता करो काहे फोन किए,पूरा डीटेल
समझे
हवलदार: जी सर (कहता हुआ बाहर हुआ)
राणे: बाबूराम ऊ चमेली और चानू को बाहर निकालो चाइ पिलाओ
हवलदार ने दोनो का सेल से बाहर निकाला,दोनो को राणे के सामने ले कर आया
राणे: रात को नींद कैसा आया
दोनो मे से कोई नही बोला
राणे: अभी भी सो रहे हो का
चंदू: नही साहब, साहब हम दोनो ने कुछ नही किया हमे छ्चोड़ दीजिए
राणे: हम जानत है तुम कुछ नही किए , पर तुम्हे छ्चोड़ नही सकते ,अगर हमे
असली कातिल नही मिले ना तो हम तुमका फँसा देंगे समझे का
ये सुनते चंदू और चंपा एक दूसरे को देखने लगे,चंदू की तो हालत ही खराब हो
चुकी थी
...
दीपक ने नाश्ता ख़तम किया , वीना से इज़ाज़त ले और घर से बाहर हुआ
दीपक खोली की तरफ जा रहा था, खोली के पास पहुचते ही , देखा सामने खोली पे
ताला लगा पड़ा था
दीपक ने सोचा शायद चंपा वापस अपनी खोली मे चली गयी हो , दीपक आगे बढ़ा
चंपा की खोली के बाहर भी ताला था , उसने कुछ आवाज़ सुनी , बगल मे चंदू की
खोली के बाहर भीड़ इकट्ठी थी, दीपक उस भीड़ मे जा खड़ा हुआ
चन्दू की मा:: अरे कोई मेरे बेटे को बाहर लाओ , पोलीस वाले उसे उठा के ले
गये
भीड़ मे से ही एक आदमी और बोला
चाची , चंदू और चंपा को खून के केस मे अंदर लेकर गये हैं , मुझे अभी किशन
ने बताया है
चंदू की मा:: अरे कोई मेरे बेटे को बचा लो , वो किसी का खून केसे करेगा
ये सुनते ही दीपक के होश उड़ गये , वो अपने आप को ही कौसने लगा , ये सब उसी
की वजह से हुआ है
ना वो चंपा के पास आता और ना ही वो ख़तरे मे आती , दीपक उस भीड़ से निकलता
हुआ , बेसूध आगे को हुआ , उसे अब कुछ सूझ नही रहा था के वो कहा जाए
......
पोलीस स्टेशन मे डीटेक्टिव अपने बढ़ते कदमो के साथ राणे के सामने पहुचा
डीटेक्टिव: सर जै हिन्द
राणे: आओ भाई बड़ी देर से तुम्हारी राह देख रहा था , क्या लाए हो हमारे लिए
ज़रा दिखाओ
डीटेक्टिव ने एक फाइल आगे करी
राणे ने फाइल्स को खोला , ख़ूलते ही सामने एक ब्लॅक वाइट फोटो थी , उसमे से
एक को तो राणे ने पह चान लिया पर दूसरा कौन था डीटेक्टिव के आगे फोटो रखी
राणे: कौन है एई
डीटेक्टिव: जिसका अड्रेस दिया था आपने
राणे: ह्म्म और कुछ
डीटेक्टिव ने अपनी जेब से एक स्लिप निकाली , और राणे को दी
राणे ने स्लिप ख़ूली , और हैरानी से बोला
राणे: क्या बात है भाई , बहुत तेज़ हो गये हो
डीटेक्टिव: सर मेने वाहा इसका पता किया , पर ये वाहा नही था , तो मेने आते
समये एरपोर्ट से डीटेल निकलवाई तो मुझे पता चला के ये जनाब यही पर है
राणे: ह्म्म यार पर हमका अभी विश्वास नही होता
डीटेक्टिव : सर मुझे भी नही हो रहा , पर सबूत इनके खिलाफ है
फोन की घंटी बजी राणे ने फोन रिसीव किया ,फोन की दूसरी तरफ जो कोई भी था ,
उसने एक बहुत अछी खबर दी थी
राणे: जल्दी से थाने मे आओ , ज़रा सुने तो सही क्या मिला तुम्हे
राणे ने फोन काटा
हवलदार एक आदमी के साथ पोलीस स्टेशन मे पहुचा
हवलदार: सर ये वाहा का माल्लिक है , इसी ने फोन पर उसके साथ बात की थी
राणे: हां भाई का बात किए , तुमको पता है एई खून का केस है , और तुम बिना
पोलीस की जानकारी के ये काम कर रहे हो , तुहार तो हम लाइसेन्सस बंद करवा
देंगे
वो आदमी थोड़ा घबराया , सर मेने कुछ नही किया , हमारा तो काम ही जासूसी का
है , बस काम की इन्फर्मेशन दी उसके पैसे मिले बस
जासूसी की बात सुन कर , राणे के साथ बैठा डीटेक्टिव ने पलट कर उस आदमी की
तरफ देखा , वो उसको जानता था
डीटेक्टिव: अरे तू , यहा कैसे
उस आदमी ने भी उसे पहचान लिया
राणे: लो करो भारत मिल्लप
डीटेक्टिव: सर ये भी अपना भाई है , हमने कई केस मिल कर निपटाए है
राणे: ह्म्म तो इसको बोलो , जो कुछ पता है फटाफट बोले , वरना
डीटेक्टिव: अरे तुझे जो कुछ पता है बता दे साहब को , वरना तुझे कोई नही बचा
सकता
वो आदमी और घबरा गया
सर मे आपको सब कुछ बता देता हू, उस आदमी ने राणे को सब कुछ बताया जितना वो
जानता था
दीपक चलते चलते थक चुका था , उसे कुछ समझ नही आ रहा था के वो कहा जाए , और
कोने मे जा कर दीवार के किनारे बैठ गया , कुछ दिन पहले तक सब कुछ ठीक था ,
पर अब सब कुछ बदल चुका था
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