ट्रेन का सफर : यात्री ने सहवास किया
07-02-2020, 01:18 AM,
#1
ट्रेन का सफर : यात्री ने सहवास किया
हैलो दोस्तों,<br/>दीपा अपने मायके कानपुर से अंबाला जाने को तैयार थी लेकिन ना मेरे पति साथ थे और ना ही मेरा छोटा भाई राहुल, लेकिन मुझे अंबाला जाना था और रिटर्न टिकट पहले से ही कालका मेल में बुक था तो दोपहर की ट्रेन शाम ०७:३० बजे जंक्शन पहुंची फिर मॉम और भाई ने मुझे ट्रेन पर बिठाया और ट्रेन खुली तो मेरी आंखें नम थी। दीपा किसी भारतीय महिला की तरह ब्राउन रंग की साड़ी, पेटीकोट और ब्लाऊज़ पहन रखी थी तो चूचियां बरेसियर में कैद थे और प्रथम वातानुकूलित कोच के अपने कूप ने मेरे सिवाय कोई नहीं था तो ट्रेन खुलने के कुछ देर बाद एक यात्री मेरे कूप में आया फिर वो मेरे सामने वाले बर्थ पर बैठकर अपना बैग सीट के नीचे डाल दिया तो मैं बर्थ पर चादर और तकिया डालकर अब लेटने की सोच रही थी तभी टी टी ई टिकट देखने आ गया तो मैं टिकट चेक कराकर अब बर्थ पर लेट गई और कुछ देर बाद बियर पीने की सोच रही थी जोकि मेरा भाई राहुल खरीदकर मुझे दे दिया था लेकिन मुझे सहयात्री के आराम से सोने और अपने बर्थ का पर्दा ठीक करने का इंतजार था। सामने बैठा हुआ यात्री ३४-३५ साल का मर्द था जोकि सांवला रंग का था और पैंट शर्ट में बैठा हुआ एक मैगजीन पढ़ रहा था तो मैं चित लेटकर कभी उसे तिरछी निगाहों से देखती तो कभी सामने की ओर, लेकिन इस इंसान में कुछ खास नहीं था जिससे मैं उसकी ओर आकर्षित हो सकूं लेकिन उस इंसान के पास लंड तो जरूर होगा तो दीपा को यात्रा के दरम्यान भूख बहुत लगती थी चाहे भोजन की हो या लंड की, पता नहीं सफ़र में चुदाई का शौक़ कैसे मुझे लगा ये तो नहीं जानती लेकिन फिलहाल करवट लेकर लेट गई तो मेरा गोल गुंबदाकार गान्ड उसके चेहरे के सामने था। दीपा लेटे हुए एक बार चेहरा पीछे की तो साला मुझे किसी गिद्ध की तरह देख रहा था और मै थोड़ा मुस्कुराते हुए उसके ओर करवट कर ली तो वो उठकर कूप से बाहर निकल गया और मैं अपने नाईट गाऊन पहनने के मूड में थी लेकिन यहां पर ड्रेस बदलना नामुमकिन था कि कहीं उसको मेरी खूबसूरत जिस्म का दीदार ना हो जाए। पल भर बाद वो आया और फिर बर्थ पर चादर तकिया डालकर लेट गया लेकिन दोनों में से किसी ने अपने बर्थ का पर्दा नहीं खींचा था तो बार बार निगाहें टकराने लगी और आखिरकार वो पूछा " आप कहां तक जाएंगी<br/>( मैं ) अंबाला तक और आप<br/>( वो ) मैं कालका तक जाऊंगा " फिर मैं करवट बदली और लेटी रही तो थोड़ी देर बाद मुझे थकावट के मारे नींद आ गई, कूप का दरवाजा बंद था और मैं निश्चिंत होकर सोती रही, अचानक से मुझे मेरे स्तन पर किसी के हाथ का एहसास हुआ तो ये क्या सपना देख रही थी या हकीकत, हड़बड़ा कर आंख खोली तो सामने वाला पैसेंजर मेरे बूब्स को ब्लाऊज के उपर से ही दबाने में लगा हुआ था तो वो मेरे कमर के पास बैठे हाथ को जल्दी में हटाया तो मैं गुस्से में तमतमाकर बोली " क्या बदतमीजी है, अभी तेरी शिकायत पुलिस में करती हूं बड़े बेशरम हो अकेले एक शादीशुदा लड़की को देख उसको छेड़ने लगे, हटो " वो उठकर अपने बर्थ पर बैठा और मैं इस मौका को भुनाने के फिराक में थी लेकिन पैसा पर सेक्स, आखिर पति की कमाई पर मन भर मेकअप और फैशन का सामान खरीद नहीं सकती थी तो मैं उठकर बैठी और साड़ी को ठीक की " क्या नाम है तेरा<br/>( वो ) हितेश सिंघानिया<br/>( मैं ) तो बिजनेसमैन हो क्यों<br/>( वो ) हां हां देखिए प्लीज़ मेरी शिकायत मत कीजिए, मुझसे गलती हो गई<br/>( मैं ) ठीक है तो उस गलती की कीमत मात्र १० हजार रु<br/>( वो डरा हुआ था ) ठीक है लेकिन इतना ज्यादा भी क्या, मैं तो बस आपके बदन पर हाथ लगाया था<br/>( मैं मुस्कुराई ) ठीक है तो फिर से हाथ मुंह लगा ले बस हर्जाना दे दे " तो समझो मैं १० हजार रु में ही हितेश को अपना जिस्म दे दी और वो झट से अपने पर्स खोला फिर मुझे पैसे थमाया तो मैं बोली " जाकर अपने औजार को साबुन से धो ले और हां, पिछला हिस्सा नहीं दूंगी " वो सर हिलाकर हामी भर दिया फिर वाशरूम चला गया। दीपा अब अपने बैग से एक केन बियर निकाली फिर पीने लगी और वो कूप में आकर दरवाज़ा बंद किया और मुझे देख अपना शर्ट और पैंट उतार खूंटी में टांग दिया तो उसके लंड की उभार चढ्ढी पर से स्पष्ट थी तो मैं बियर पीकर मस्त हो गई फिर खड़ी होकर अपने साड़ी और ब्लाऊज उतार दी तो मेरा सेक्सी बदन सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में ही था। हितेश अब मेरे बगल में बैठा फिर कंधे में हाथ डाले ओंठ चूमने लगा तो मैं उसके चढ्ढी के उपर से ही लंड को पकड़ दबाने लगी, साले के मुंह से दारू की गंध आ रही थी तो दीपा अब उसके किस्स का आनंद चेहरा पर लेते हुए उसके हाथ का एहसास अपने पीठ पर पा रही थी, पल भर के अंदर हितेश मेरे ब्रा की हूक खोल चूचियों को नंगा किया फिर मुझे बर्थ पर लिटाकर पेटीकोट कि डोरी खोलने लगा, दीपा अब नंगी लेटी हुई थी तो हितेश मेरे ऊपर झुक कर चूची को मुंह में लिया फिर चूसने लगा। दीपा की सेक्सी जिस्म को लंड की भूख थी तो उसकी चाहत मैं खुशी से पूरी करती लेकिन अपने मन से कुछ नहीं तो वो मेरे मध्यम आकार की बूब्स को चूसता हुआ मस्त था तो मैं उसके पीठ सहलाते हुए मस्त होने लगी, हितेश अब चूची छोड़कर मेरी सपाट पेट से कमर तक को चूमने लगा तो मैं अब काम की ज्वाला में जलने लगी और उसका चेहरा जैसे ही मेरी जांघों के बीच आया, मैं पूरी तरह से जांघें फैलाकर चूत पर चुम्बन का आनंद लेने लगी और वो मेरी बुर को फैलाकर जीभ से चाटने लगा साथ ही चूची को पकड़ दबाने लगा तो मैं समझ गई कि ये जल्दी में ही चुदाई करेगा लेकिन बिना कंडोम के चुदाई तो सेफ नहीं था कारण की पेट से होने का तो सवाल ही नहीं था कॉपर टी की वजह से लेकिन अनजान मर्द के साथ चुदाई वो भी नंगे लंड से, इतने में वो मेरी चूत को मुंह में लिए चूसने लगा और मैं आहें भरने लगी " उह ओह आह चूस चूस साले " तो कुछ पल बाद मैं उसके लंड को चूसने लगी.. to be continued.
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