प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
07-04-2017, 12:27 PM,
#7
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
मैं अभी अपने ख्यालों में खोया ही था कि पलक की आवाज से चौंका।
"सर एक बात पूछूँ?"
"यस... हाँ जरूर !"
"क्या एक आदमी दो शादियाँ नहीं कर सकता?"
"क्यों? मेरा मतलब है तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो?"
"कुछ नहीं ऐसे ही !"
"दरअसल मुस्लिम धर्म में चार बीवियाँ रखने का अधिकार है पर हिन्दू धर्म में केवल एक ही पत्नी का क़ानून है।"
"ओह.... चलो छोड़ो वो... आप मालिश और जल थेरेपी बताने वाले थे ना?"
"ओह.. हाँ अभी करता हूँ !"
"क्या ?"
"वो... ओह... अरे मेरा मतलब था कि मैं समझा देता हूँ।"
"तो समझाइए ना?" वो में इस हालत पर मंद-मंद मुस्कुरा रही थी।
"पहले मैं तुम्हें आयल मसाज़ सिखाता हूँ, फिर जल थेरेपी के बारे में बताऊँगा !"
"हम्म ..."
"पर उसके लिए तुम्हें यह टॉप उतारना होगा !"
"वो क्यों?"
"ओह.. शर्ट पहने पहने कैसे मसाज़ होगा?"
"वो.. वो.. पर.. यहाँ कोई देखेगा तो नहीं ना.. मेरा मतलब है कोई दूसरा तो नहीं आएगा ना?"
"अरे नहीं मेरी परी, यहाँ कोई नहीं आएगा, दरवाज़ा तो बंद है। तुम चिंता मत करो !"
"पर वो आयल?"
मैं तो कुछ और ही सोच रहा था। मुझे आयल या क्रीम का कहाँ होश था पर मैंने बात सम्भालते हुए कहा,"ठहरो.. मैं देखता हूँ !"
मैं उठ खड़ा हुआ और अपने शेविंग किट से क्रीम और आयल की शीशी निकाल कर ले आया। पलक ने फिर अपना टॉप उतार दिया। उसने काले रंग की पैडेड ब्रा पहन रखी थी। अब मुझे समझ आया कि उसके उरोज इतने बड़े क्यों नज़र आ रहे थे।
उसने जब टॉप उतारने के लिए अपने हाथ ऊपर किये तो मेरी नज़र उसकी कांख पर चली गई। हे भगवान् ! उसकी बगल में तो हलके हलके रोयें ही थे। उसके कमसिन बदन की मादक महक तो जैसे पूरे कमरे में ही फ़ैल गई थी। मैं तो मंत्रमुग्ध हुआ उस रूप की देवी को देखता ही रह गया। काले रंग की पैडेड ब्रा में फंसे दो चीकू जैसे उरोज शर्म के मारे जैसे दुबके पड़े थे। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा।
"पलक, इस ब.. ब्रा को भी उ... उतारना होगा !" मैं हकलाता हुआ सा बोला।
उसने ब्रा का हुक खोलने का प्रयास किया पर जब वो नहीं खुला तो वो मेरी ओर पीठ करके खड़ी हो गई और फिर बोली,"ओह.. यह नहीं खुल रहा.. प्लीज आप खोल दो ना?"
मैंने कांपते हाथों से ब्रा का हुक खोल कर उसे नीचे गिर जाने दिया। उसकी बेदाग़ गोरी गोरी नर्म नाज़ुक पीठ देख कर तो बरबस मेरे दिल में आया कि उसे अपनी बाहों में जकड़ लूँ पर इससे पहले कि मैं कुछ करता, वो पलट कर मेरे सामने हो गई। दो छोटे छोटे गुलाबी रंग के चीकू मेरी आँखों के सामने थे। जैसे कोई नई नई अम्बियाँ पनपी हों। उरोजों के आस पास की त्वचा शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में अधिक गोरी थी। छोटे छोटे कूचों में पतली पतली रक्त शिराएँ, एक इंच का लाल रंग का घेरा (एरोला) और चने के दाने से भी छोटे गहरे लाल रंग के दो मोती (चूचक)। बाएं उरोज पर नीचे की ओर एक छोटा सा तिल। सपाट पेट और उसके बीच छोटी पर गहरी नाभि। उभरे हुए से पेडू के दाईं ओर एक छोटा सा काला तिल। हे लिंग महादेव ! यह तो रति का अवतार ही है जैसे। मैं तो मुँह बाए उसे देखता ही रह गया। मेरा मन तो कर रहा था कि झट से इन रसगुल्लों को पूरा का पूरा मुँह में भर कर इनका सारा रस निचोड़ लूँ।
"अब क्या करना है?" अचानक पलक की आवाज सुनकर मैं चौंका।
"ओह.. हाँ ! मैंने तुम्हें समझाया था ना कि पहले तेल मालिश और फिर कुछ कसरत फिर वो जल थेरेपी तुम्हें समझाऊँगा।
उसे तो कुछ समझ ही नहीं आया उसने असमंजस में मेरी ओर ताका।
"ओह.. चलो ऐसा करो, तुम बिस्तर पर लेट जाओ !"
पलक अपने जूते उतारने के लिए झुकी तो उसके पुष्ट नितम्बों देख कर तो बरबस मेरा मन उन्हें चूम लेने को करने लगा।
जूते उतार कर वो बेड पर चित्त लेट गई। मेरी आँखें तो उसके उरोजों की सुरम्य घाटी से हट ही नहीं रही थी। मेरा दिल किसी रेल के इंजन की तरह जोर जोर से धड़क रहा था और मेरी साँसें बेकाबू होने लगी थी। पर मैं तो अपने सूखे होंठों पर जुबान ही फेरता रह गया था।
मैं अभी अगले कदम के बारे में सोच ही रहा था कि अचानक पलक की आवाज मेरे कानों में गूंजी,"सर.. क्या हुआ?"
"ओह.. कुछ नहीं...."
मैंने नारियल के तेल की शीशी से लगभग एक चम्मच तेल निकाल कर अपनी हथेली पर ले लिया। मैं बेड पर उसके पास वज्रासन की मुद्रा में (अपने घुटने मोड़ कर) बैठ गया। मेरा पप्पू तो पैंट के अन्दर कोहराम ही मचाने लगा था। जैसे कह रहा था कि गुरु छोड़ो इस तेल मालिश के चक्कर को और इस खूबसूरत बला को अपनी बाहों में भर कर मेरे साथ अपना जीवन भी धन्य कर लो। पर मैं जल्दबाजी में कुछ भी नहीं करना चाहता था। मैंने तेल से सनी अपनी दोनों हथेलियाँ उसके उरोजों पर रख दी।
उफ़... रुई के फोहों जैसे नर्म नाज़ुक दो उरोजों की घुन्डियाँ तो अकड़ कर जैसे अभिमानी ही हो गई थी। जैसे ही मेरा हाथ उसके उरोजों से टकराया उसके शरीर में एक झुरझुरी सी दौड़ गई और शरीर के सारे रोम-कूप खड़े हो गए। कुँवारे नग्न स्तनों पर शायद किसी पर पुरुष का यह पहला स्पर्श था। उसे गुदगुदी भी हो रही होगी और थोड़ा रोमांच भी हो रहा होगा। उसकी साँसें भी तेज़ हो गई थी। उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी और अपनी जांघें कस कर भींच ली।
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RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ - by sexstories - 07-04-2017, 12:27 PM

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