प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
07-04-2017, 12:37 PM,
#52
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
कोई ५ मिनट के बाद निशा कुछ संयत हुई। उसकी चूत ने भी फिर से रस छोड़ना चालू कर दिया। मैंने उसकी कपोलों, होंठों और माथे पर चुम्बन लेने शुरु कर दिए। फिर मैंने उससे पूछा “क्यों मेरी मैना, अब दर्द कैसा है?” तो वह बोली “जीजू आपने तो मेरी जान ही निकाल दी, कोई कुँवारी लड़की को ऐसे चोदता है?”

“देखो अब जो होना था हो गया हा, अब तो बस इसके आगे स्वर्ग का सा आनन्द ही आनन्द है” और मैंने हौले-हौले धक्के लगाने शुरु कर दिए। निशा को भी अब थोड़ा मज़ा आने लगा था। मैंने कहा “मेरी मैना, अब तुम कली से फूल बन गई हो और मैं तुम्हारा मिट्ठू”

निशा की हँसी निकल पड़ी और उसने २-३ मुक्के मेरी पीठ पर लगाते हुए कहा “तुम पूरे एक नम्बर के बदमाश हो। अपने शब्द जाल में फँसा कर आख़िर मुझे ख़राब कर ही दिया।” मैंने एक धक्का और लगाया तो वह चिहुँकी “ओईईई… आआहह… या… ओह अब रूको मत ऐसे ही धक्के लगाओ… आहहह… या.. ओई… मैं तो गईईईईईईई….” और उसके साथ ही वो एक बार फिर झड़ गई। मैं तो जैसे स्वर्ग में था। मैंने लगातार ८-१० धक्के और लगा दिए। अब तो उसकी चूत से फच्च-फच्च का मधुर संगीत बजने लगा था।

ये सिलसिला कोई २० मिनट तो ज़रूर चला होगा। मेरा पप्पू बेचारा कब तक लड़ता। आख़िर उसको भी शहीद होना ही था। मैंने दनादन ५-७ धक्के और लगा दिए। निशा भी फिर से झड़ने के कगार पर ही तो थी। और फिर… एक.. दो… तीन चार… पाँछ.. पता नहीं कितनी पिचकारियाँ मेरे पप्पू ने छोड़ दीं… निशा ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उसकी चूत ने भी काम-रज छोड़ दिया। उसकी बाँहों में लिपटा मैं कोई १० मिनट उसके ऊपर ही पड़ा रहा।

१० मिनट के बाद निशा जैसे नींद से जागी। मैं उठ कर बैठ गया। निशा भी मेरी ओर सरक आई। उसने मेरे होंठों पर दो-तीन चुम्बन ले लिए। मैंने उस से थैंक यू कहा तो उसने कहा “गन्दे बच्चे मेरे प्यारे मिट्ठू…” और मेरी नाक पकड़ कर ज़ोर से दबा दी। मेरे तीसरे उत्पाद की लाँचिंग की ये बधाई ही तो थी।

मैं उसे गोद में उठा कर बाथरूम की ओर ले जाने लगा। उसने अपनी बाँहें मेरे गले में डाल दी और आँखें बन्द कर लीं। मैंने देखा पूरा तकिया मेरे वीर्य, निशा के ख़ून, और काम-रज़ से भीगा हुआ था। मैंने एक हाथ से उस तकिए को उल्टा कर दिया ताकि निशा इतना ख़ून देखकर डर ना जाए।

निशा पॉट पर बैठकर पेशाब करने लगी। आहहहह… फिच्च… स्स्स्सीईईई… का वो सिसकारा और मूत की पतली धार तो मिक्की जैसी ही थी। मैं तो मन्त्र-मुग्ध सा बस उस नज़ारे को देखता ही रह गया। पॉट पर बैठी निशा की चूत ऐसी लग रही थी जैसे किसी ने मोटे शब्दों में अंग्रेज़ी में ‘W’ (डब्ल्यू) लिख दिया हो। उसकी चूत ऐसी लग रही थी जैसे एक छोटा करेला किसी ने छील कर बीच में से चीर दिया हो। चूत के होंठ सूजकर पकौड़े जैसे हो गए थे। बिल्कुल लाल गुलाबी। उसकी गाँड का भूरा और कत्थई रंग का छोटा सा छेद खुल और बन्द हो रहा था। मुझे अपने चौथे उत्पाद की याद आ गई… अरे भाई लंड भी तो चुसवाना था ना। मैंने उससे कहा “एक मिनट रूको, मूतना बन्द करो और उठो… प्लीज़ जल्दी”

“क्या हुआ?” निशा ने मूतना बन्द कर दिया और घबरा कर बीच में ही खड़ी हो गई। मैंने उसे अपनी ओर खींचा। मैं घुटनों के बल बैठ गया और उसकी चूत को दोनों हाथों से खोल करक उसकी मदन-मणि के दाने को चूसने लगा। वो तो आहहह… उहह्हह करती ही रह गई। उसने कहा “ओह… क्या कर रहे हो जीजू ओफ्फ्फ.. इसे साफ तो करने दो। ओह गन्दे बच्चे ओईईईई.. माँ…”

यही तो मैं चाहता था। मैं जानबूझ कर उसकी वीर्य और काम-रज से भरी चूत को चूस कर ये दिखाना चाहता था कि चुदाई में कुछ भी गन्दा नहीं होता, ताकि वह मेरा लण्ड चूसने में कोई कोताही ना बरते और कोई आनाकानी ना करे। “अरे प्यार में कुछ गन्दा नहीं होता” मैंने कहा। और फिर उसके किशमिश के दाने को चूसने लगा।

निशा कितनी देर तक बर्दाश्त करती। उसकी चूत के मूत्र-छिद्र से हल्की सी पेशाब की धार फिर चालू हो गई जो मेरी ठोड़ी से होती हुई गले के नीचे गिर सीने से होती मेरे प्पू और आँडों को जैसे धोती जा रही थी। उसने मेरे सिर के बाल पकड़ लिए कसकर। मैं तो मस्त हो गया। जब उसका पेशाब बन्द हुआ तो उसने नीचे झुक कर मेरे होंठ चूम लिए और अपने होठों पर जीभ फिराने लगी। उसे भी अपनी मूत का थोड़ा सा नमकीन स्वाद ज़रूर मिल ही गया।

हमने हल्का सा शॉवर लिया और साफ़-सफाई के बाद फिर बिस्तर पर आ गए। मैं बिस्तर पर टेक लगा कर बैठ गया। निशा अचानक उछली और मुझे एक तरफ लुढ़काते हुए मेरे पेट पर बैठ गई। उसकी दोनों टाँगें मेरे पेट के दोनों तरफ थी और उसके घुटने मुड़े हुए थे। उसने अपने होंठ मेरे होठों पर रख कर दो-तीन चुम्बन तड़ातड़ ले लिए। उसके सिन्दूरी आम मेरे सीने से लगे थे और उसके नितम्बों के नीचे मेरा पप्पू पीस रहा था। वो अपनी चूत और नितम्बों को भी थोड़ा-थोड़ा सा घिस रही ती। ऐसा करते हुए उसने अपनी जीभ की नोक से मेरी नाक चाटी और उसकी नोक अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। आईलाआआआ… मैं तो मस्त ही हो गया।

प्यारे दोस्तों आप सोच रहे होंगे कि इसमें मस्त होने वाली क्या बात है? नाक होंठ गाल तो हर लड़की चूस ही लेती है। आप गलत सोच रहे हैं। शायद आप औरतों की इस अदा को नहीं जानते। मेरी प्यारी पाठिकाएँ ज़रूर हँस रहीं हैं। वो अच्छी तरह इसका मतलब जानती हैं। नहीं समझे ना? चलो मैं बता देता हूँ…
Reply


Messages In This Thread
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ - by sexstories - 07-04-2017, 12:37 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 8,605 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 4,077 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 2,906 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,750,069 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 576,486 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,340,651 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,024,583 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,800,138 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,202,703 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,162,108 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 10 Guest(s)