पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
12-25-2022, 02:07 PM,
#81
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

दावत

PART 01 


मैं अपने कक्ष में आ गया और मुझे एक संदूक दिखा मैंने संदूक को हाथ लगाया तो संदूक खुद ही खुल गया और उसमे एक दूसरी डायरी और एक चाबी रखी हुई थी उसमे ऐसी ही दो मूर्तिया की पेंटिंग बनी हुई थी और एक तीसरे पेज पर चाबी बनी हुई थी चौथे पेज पर नागदेवता का चित्र था जिसमे उनके आगे दूध का कटोरा रखा था और अन्य पूजा सामग्री रखी हुई थी .

दस बज गए थे और मैंने सोचा अब आराम किया जाए मुझे आये हुए १० मिनट से ज्यादा नहीं हुए थे, तभी भाई महाराज ने तीन सुंदर लड़कियों के साथ मेरे कमरे में प्रवेश किया लड़कियों के हाथी में शराब, कुछ अन्य पेय, चॉकलेट फल और मिठाईया थी । उन्हें एक गोल मेज पर व्यवस्थित करने के बाद, महाराजा ने सुंदरियो का मुझसे परिचय कराया. महाराज बोले मेरा भाई मेरे पास पहली बार आया है ख़ास दावत तो होनी चाहिए .


[img=781x0]https://i.ibb.co/93K8Csr/160.jpg[/img]


फिर तीनो सुंदरियों ने बड़ी ही सुन्दर और कामुक तरीके से साडी बाँधी हुई थी और ऊपर बहुत ही छोटी और झीनी चोली पहनी हुई थी और गहने और फूलो से उन्होंने श्रृंगार किया हुआ था . तीनो ने कुछ देर कामुक नृत्य प्रस्तुत किया .

उसके बाद तीनो मुझे घेर कर बैठ गयी और पीने खाने और इन सुंदरियों के साथ बातचीत करने में आधा घंटे बीत गया फिर मैंने उन सुंदरियों के चुंबन किये और उनके स्तनों को महसूस करने लगा . मैं इस मौहौल में कामुक और उत्तेजित हो गया पर मैं इन से संतुष्ट नहीं हुआ और जब मैंने इन सुंदरियों के साथ इससे आगे बढ़ने की कोशिश की, और अपने बल का थोड़ा सा कोमल उपयोग कर अधिक स्वतंत्रता लेने का प्रयास करने पर तीनो सुन्दरिया उठकर कमरे से बाहर चली गईं।

जैसे ही वे चली गयी तो महराज भी उठ खड़े हुए और महाराजा ने जाने से पहले मुझसे कहा कि कुमार चिंता मत करो वे जल्दी ही लौट आएँगी आप इनमे से रात के लिए अपना साथी चुन ले,

मैंने उनसे पूछा कि मैं कितने चुन सकता हूं फिर महराज मुस्कुराते हुए बोले आप चाहे तो तीनो को भी अपने पास रख सकते हैं और फिर कमरे से निकल अपने कक्ष में चले गए .

भाई महराज के जाने के बाद मैं अपने सारे वस्त्र निकाल नग्न हो गया फिर जल्द ही दरवाजा खुला, और लड़कियो ने एक के बाद एक प्रवेश किया और उन्होंने हरे, गुलाबी और नीले रंग को झीनी गाउन पहनी हुई थी जो केवल एक डोरी से उनके बदन ले लिपटी हुई थी झीनी गाउन से उनका सुन्दर नग्न अवस्था का आभास हो रहा था । मेरे विचार से ये ड्रेस उनके शरीर के किसी भी हिस्से को छिपाने के बजाय, उनके आकर्षण को बढ़ा कर दिखा रही थी । उनके लंबे बाल जो उनके कंधों के नीचे गिर रहे थे ने उस गाउन के साथ संयोजन में उनकी सुंदरता को बढ़ाया, इतना कि मैं पूरी तरह से उत्तेजित हो गया, जब तक मैं एक को चुनने के बारे में सोचता तीनो मेरा पास आ गयी । लेकिन चेरी जिसने हरे रंग ही गाउन पहनी हुई थी वो अठारह बर्ष आयु की बेहतरीन सुंदरी थी जिसकी बड़े बड़े गोल सुडोल स्तन थे, पतली कमर विस्तृत कूल्हे, बड़ी सुदृढ़ नितंब थे और सुंदर चेहरा और होंठ थे ने मेरे को अपनी चमकती हुई सबसे गहरी कालेी -नीली आँख मार कर इशारा किया और आकर मेरी गोदी में बैठ गयी और मुझे चुम्बन करने लगी।

जैसे ही वो मेरी गोदी में बैठी बाकी दोनों भी मेरे पास दौड़ी, चली आयी और उसके गाउन को खोलते हुए निकाल कर उसे मेरे साथ लिपट गयी ।

मैंने अन्य सुंदरियों को भी न जाने का संकेत किया ।


[Image: 151.jpg]


मैंने चेरी से कहा कि वह अपने सिर को थोड़ा सा दाईं ओर झुकाए और बस थोड़ा सा मुंह खोले। जैसे ही हम अपने होंठों के मिलन के करीब आए, उसका पूरा शरीर हिल गया। उसी के साथ उसके संपर्क में मेरे होंठ आये , मेरे होंठ उसके होंठ की मालिश करने लगेl वह धीमी गति से और बहुत नरम चुंबन, महसूस कर रही इस सुंदरी के साथ होंठो का मिलन बहुत रोमांचक था। मुझे उसके होंठ करके बहुत अच्छा लगा। मैं अपनी जीभ बाहर लाया और उसके साथ उसके नरम गुलाब की पंखुरियों जैसे होंठों को छुआ और जब मैंने उन्हें बाहर को सहलाया, तो उसने अपने होंठ खुले रखे। जल्द ही उसने अपनी जीभ को वापस वही काम किया। हम एक दूसरे के मुंह, बाहर चुंबन, जीभ को चूमते रहे.

मैं सोफे पर बैठा हुआ था और मेरी बाजू चेरी के स्तनों को दबा रही थी और फिर दूसरी सुंदरी जिसने गुलाबी रंग का गाउन पहना था उसका नाम डेज़ी था उसने अपना गाउन निकाल दिया था और वो भी अपने शरीर को मेरे साथ लता की तरह लिपट गई। तो दूसरी तरफ चेरी भी मुझ से लिपट गयी मैं दो नग्न शरीर के बीच नग्न और सैंडविच की तरह था ।

इस बीच लिली तीसरी सुंदरी जिसने हलके नीले रंग की पोशाक पहनी थी उसने भी अपना गाउन निकाल दिया था और मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी

मैंने कहा आप तीनो ने आज मुझे एक बहुत बड़ा सरप्राइज दिया है मेरा लंड तब तक पूरा उग्र हो चूका था और पूरे ९० डिग्री पर तन गया था.

कहानी जारी रहेगी
Reply
12-25-2022, 02:08 PM,
#82
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

दावत

PART 02


चेरी ने चुम्बन तोडा तो  डेज़ी मेरे ऊपर झुकी और मुझे एक बहुत गरमा गर्म लिप किस करि। कुछ देर बाद हमने चुंबन तोड़ दिया   फिर चेरी बोली अब लिली की बारी है

उस टिप्पणी के बाद, एक सेकंड के अंदर ही लिली  के होठों ने मेरा एक जबरदस्त चुंबन किया ।

फिर  मैंने बोलै एक धन्यवाद मेरी तरफ से  तुम तीनो का भी  होना चाहिए  और बारी बारी से तीनो को  किश करने लगा ।  इस बीच चेरी को लिली भी उसी शिद्दत से चूमने लगी ।  उन चुम्बन करती हुई सुंदरियों  के चुम्बन में मैं भी शामिल हो गया।

इस तरह हम चारो ने  एक ग्रुप में   चुम्बन किया जिसमे हम चारो  एक दुसरे के ओंठो को चूस रहे थे।.  मैं चेरी और लिली  का ऊपर का आधा ओंठ चूस रहा था तो डेज़ी मेरा आधा नीचे का ओंठ चूस रही थी और साथ में लड़किया भी एक दुसरे के ओंठ चूस रही थी और हम चारो की जीभे आपस में मिल रही थी। कुछ पता नहीं किसकी जीभ किसके साथ पेच लड़ा रही थी। हम चारो  की आँखे आनंद में बंद थी।

ये बहुत शानदार और अध्भुत अनुभव था।


[Image: 151.jpg]

पता नहीं हम   कितनी देर किस करते रहे। मेरे हाथ उनकी पीठ पर फिरते रहे और पीठ से होकर उनके एक स्तन पर पहुँच कर  चेरी के दाए स्तन और लीली  के बाए स्तन से खेलने लग गए।

मेरे लिए ये जबरदस्त  सेक्स की सबसे शानदार शुरुआत है जो एक गर्म किश से शुरू होती है। जिसमे पहले  चूमना किश करना, सहलाना, प्यार करना,. मीठी बाते करना एक अच्छे सेक्स का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैl इससे सेक्स का पूरा मजा मिलता है।

जब हम सांस लेने के लिए रुके  और उन  तीनो ने एक दुसरे को देखा  और हमने दुबारा एक दुसरे को चूमना शुरू कर दिया और चेरी  ने मेरी जांघों को रगड़ते हुए  मेरे लंड को पकड़  लिया  उसी समय लिली के भी हाथ मेरे अंडकोषों पर चले गए और डेज़ी मेरी छाती पर हाथ फिराने लगी ।

फिर डेजी का हाथ भी नीचे पहुँच गया और मेरी कठोर लंड को सहलाते हुए उसने उसे कस कर पकड़ कर दबोच लिया ।

फिर चेरी  ने अपना चुम्बन तोडा और  गर्म चुम्बन करते हुए  मेरी छाती को अपने हाथो से सहलाते हुए उसने मेरे लंड की अग्रभाग पर चुम्बन किया । उसकी जांघो ने मेरी जांघ को रगड़ा और फिर  डेज़ी ने भी चुम्बन छोड़ कर नीचे जा कर  मेरे लंड को सहलाते हुए मेरे लंड को चुम्बन किया ।

10 सेकंड के अंदर ही  लिली में झुक कर मेरी गर्दन को चूमने और चाटने लगी और मेरे सारे बदन पर तीनो का एक  हाथ चल रहा  था  फिर जब लिली  मेरी छाती को चूम और चाट रही थी तो  चेरी मुझे लिप किश करने लगी । फिर जहाँ चेरी  ने छाती को चूमना रोका वही से लिली  मेरी छाती को चूमना और चाटना शुरू कर देती थी और डेज़ी मुझे लिप कस करने लगी इस तरह बारी बारी से वैकल्पिक चुंबन और मुझे चूमना और चाटना चलता रहा और वह तीनो  मेरे निप्पलों  और मेरे ओंठो  को बारी बारी चूमने  और चूसने लगी। .ये एक अभूतपूर्व अनुभव था पूरा शरीर कुछ नया अनुभव कर रहा था । एक साथ ओंठो का चुम्बन और छाती के दोनों निप्पल को चुसवाना  अलग ही अनुभव था  और  मेर लंड फुफकार रहा था ।

इसके बाद पता नहीं कब मेरा  हाथ  एक अलग चूत पर पहुँच गया था और तभी मैंने महसूस किआ कि तीन  हाथ मेरे बहुत खड़े हुए लंड और अंडकोषों से खेल रहे थे ।

मैंने शुरू में प्रत्येक चूत को अपने हाथ से सहलाया और फिर उन्हें रगड़ना शुरू कर दिया । जबकि मेरी उंगलियों ने हर एक के अंदर अपना रास्ता ढूंढ लिया। चेरी की चूत के अंदर मेरे एक हाथ की उंगलियाँ थीं, जबकि मेरे दूसरे हाथ की  एक उंगलि डेज़ी की चूत के अंदर थीं। इस दौरान हमारी किस चलती रही ।

उनकी चूत पर हाथ फेरने के कुछ ही मिनटों के बाद लिली और डेज़ी  ने ने अपनी स्थिति बदल ली और अपने सिर को मेरे पैर की ओर करके बिस्तर पर लेट गईं। और होंठों की एक जोड़ी ने मेरे लंड अपने अंदर ले लिया और नीचे की ओर से उँगलियों से लंड को पकड़ लिया था, जिससे लंड सीधा खड़ा रहे ।

मैंने नीचे देखा और देखा कि लिली  मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी जबकि चेरी ने मेरा लंड  और अंडकोषों को पकड़ रखा था।   कुछ देर बाद इसी का अनुसरण करते हुए  डेज़ी ने मेरा लंड चूसा और  चेरी ने मेरा लंड उसके लिए पकड़ा और अंडकोषों  को चूसना शुरू कर दिया । इसी तरह लिली और डेज़ी ने कई बार बारी बारी से मेरा लंड चूसा  और बीच बीच में चेरी भी  मेरा लंड चूसने लगती मैं उन्हें मेरा लंड चूसते हुए देखता रहा ।

फिर उन तीनो ने मेरा लंड अब एकसाथ चूसना शुरू कर दिया । लिली   मेरे लंडमुंड को मुँह में दाल कर चूसने लगी और देसी  बाकी के खड़े हुए कठोर लंड की पूरी लम्बाई को चूसने लगी और चेरी मेरे अंड़कोश चूसने लगी ।

[Image: BJ1.gif]

फिर उन तीनो ने  जगह बदल बदल कर मेरा लंड चूसा . उनका सामंजस्य अद्भुत था । फिर दो ने आधा आधा लंड चूसना शुरू कर दिया । लिली ने दायी और से चूसना शुरू किया और डेज़ी  ने बायीं और से चूसना शुरू कर दिया । दोनों ऊपर से शुरू करती फिर लंड पर झीभ फेरते हुए नीचे तक जाती फिर जड़ से वापिस ऊपर तक आती। मैं तो बस जन्नत में था। वही तीसरी लंडमुंड  चूस रही थी .  उस तरह तीनो   लंड चूस रही थी ,, कभी लंडमुंग कभी लंबाई और कभी अंडकोष  तीनो जीभ गोल गोल घूमा घूमा कर चूस रही थी ..  सच बहुत मजा आ  रहा था .

फिर मेरा ध्यान मेरे सर के दोनों और उनकी चूत पर गया जो मेरे मुँह के पास थी । दोनों लड़किया इस तरह से लेटी हुई थी के उनकी चुत मेरे मुँह के बिलकुल पास थी । लिली  की चुत बायीं और और  डेज़ी की चूत सिर के बाईं ओर थीl मुझे केवल अपना सिर एक तरफ से दूसरी तरफ मोड़ना था और मेरा मुंह लिली और डेज़ी  की चूत पर टिका कर उन्हें बारी बारी चूसने लगा । मैं पहले एक चूत को चूसता और चाटता था फिर सर घुमा कर दूसरी को चूसने और चाटने लगता ।

मैं कई बार आगे पीछे होकर लिली और डेज़ी  की चुत को बारी बारी चूमता चूसता रहा । मैं उनकी चुत की पूरी लम्बाई और गहराई में अपनी जीभ चला रहा था । मैंने जीभ से उनकी चुत की गहराई की जांच करि ।

बीच मैं कभी-कभी उनकी चूत  के दाने को भी चूसना शुरू कर देता और फिर उनकी योनि के बाहरी होठों की पूरी लंबाई को अपने मुँह में लेकर चूसता और फिर अचानक अपनी जीभ को जितना हो सके उनकी योनि की गहराइयों में घुसा देता था ।

उधर चेरी मेरा लंड चूस रही थी और लंड चूसते  चूसते चेरी  मेरे ऊपर चढ़ गयी ...और मेरे  गले में बाहें डालकर , अपनी गांड को मेरी  जाँघों पर मसलने लगी ..

चेरी का शरीर   गोरा चिकना और भरा हुआ था   मैंने  अपने हाथ आगे करके  चेरी के स्तनों  को पकड़ लिया और उन्हें बेदर्दी से दबाने लगा  और दुसरे हाथ से उसकी गांड को मसलने लगा  .
मैंने अपने हाथों की उँगलियों में  चेरी के निप्पल भर लिए , वो इतने बड़े और मुलायम थे मानो अंगूर  , उनमे से रस निकल कर जैसे बाहर बह रहा था ..

हम फिर से बैठ गए, चेरी मेरी गोद में बैठी गयी। वह मेरे नग्न शरीर के साथ चिपक गयी . मैंने चेरी को अपने गले से लगा कर उसके मुम्मो को अपनी छाती से दबा कर पीस दिया ...वो भी सिसक कर अपनी छातियों को मेरे  सीने से लगकर मसलने लगी .. उसके फर्म स्तन मेरे स्तन से चिपक गए , उसने  अपना  हाथ मेरी गर्दन में डाल  दिया और  उसने अपने  गुलाबी  होंठ मेरे  होंठो से  चिपका कर गर्म चुंबन करने लगी .


[Image: KISS2.gif]

मैंने टेबल पर से गिलास उठाया  और  शैम्पेन  का घूँट  मुँह में  भरा और  चेरी को अपनी तरफ खींचकर उसके होंठों से होंठ लगा कर वो भी उसके मुंह में डाल दी ..चेरी उस को  पी गयी, और मेरे  होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी. वो गहरी साँसे लेती हुईमेरे ओंठो और  चेहरे  को नशे  की वजह से चूमे जा रही थी,

उधर मेरे छोटे शैतान ने पूरा उग्र रूप धारण कर लिया था और चेर्री ने अपनी जांघों को अलग कर दिया, और उसने अपना हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लीया और अपने योनि पर रगते हुए अपना छेद को खोजा और उसमे लंडमुंड को फसाया  और उचक कर ऊपर हुई और अपनी योनी के मोटे रसदार होंठों के बीच डाल दिया.

चेरी ने अपनी लम्बी जीभ निकाली और मेरे  गले से लेकर ऊपर की तरफ चाटना  करनी शुरू कर दीया  ..उसकी गीली जीभ अपना गीलापन छोडती हुई जा रही थी . चेरी की नंगी छातियाँ मेरे  सीने चिपकी हुई थी  मैंने  भी अपनी  जीभ निकाली और  चेरी के कंधो पर रगड़ने लगा  और फिर चाटने  लगा और चेरी  के जिस्म का नमक चखने लगा  .

अपने ऊपर हो रहे तींतरफा हमले से चेरी  छटपटाने लगी ..वैसे ही उसकी चूत अपना  रस  छोड़ कर मेरे लंड को  गीला कर रही थी और वो सिस्कारिया  मारने लगी

उह आह  उफ्फफ्फ्फ़ उसके  मुंह से बाहर निकलने लगे .. आगे का काम चेरी ने लिया ..अपने शरीर को नीचे की तरफ एक जोरदार झटका दिया ..और मेरा  लंड पूरा का  पूरा अपने अन्दर घुसेड लिया ...

"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म .....ओघ्ह्ह्ह्ह  ....  ...अह्ह्ह ..चोदो मुझे ....अह्ह्ह ....जोर से ....हां ..."

में  फिर तेजी से अपने काम में लग गया ..और उसकी चूत के अन्दर अपने लंड के झटके दे देकर उसे बुरी तरह से चोदने लगा ..


[Image: A1.gif]

इस बीच लीलय और डेज़ी खाली नहीं थी .. पहले तो वो दोनों एक दुसरे को चूमने और छटने लगी रही  फिर कुछ दे बाद  लिली मेरी पीठ की तरफ आ गयी  और मेरी पीठ की अपर से नीचे तक चाटने और चूमने लगी  और यही काम डेज़ी चेर्री के साथ करने लगी और साथ साथ उसके स्तनों को दबाने लगी

चेरी अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ उम्म्म ....उम्म्म अह्ह्ह्ह्ह ...उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ ..... " कर रही थी

अह्ह्ह्ह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मर्र्र गयी ....अह्ह्ह्ह .....बहुत मजा आ रहा है ....हाँ ....ऐसे ही ...ओह्ह्ह   जोर से करो तेज करो ... ओह्ह्ह्हह्हह  .....मैं तो गयी ....अह्ह्ह्ह ...."

और वो झड़ने के बाद  मेरे  ऊपर गिर गयी ...

उसकी  झड़ते ही लिली ने उसको हटाया और मेरे ऊपर आ गयी  और तेजी से ऊपर नीचे होने लगी और जल्द ही झङ् गयी .. और उसके झड़ने के बाद डेज़ी ने मुझे लित्य दिया

मैं अभी भी अपनी पीठ पर था और मेरे लंड की पूरी लंबाई  डेज़ी  के मुँह में थी। उसके बाद डेज़ी  ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकाला, मेरे कूल्हों के दोनों ओर एक एक पैर करते हुए खुद को खड़ा किया और और फिर नीचे बैठते हुए उसने मेरा लंड अपनी चूत  के द्वार पर लगा दिया। जब उसने खुद को मेरे लंड पर उतारा तो उसकी  चुत मेरे लंड को पूरा निगल गयी।  डेज़ी  की चूत अब पूरी तरह से मेरे लंड के चारों ओर लिपटी हुई थी।

मैंने महसूस किया  डेज़ी की चूत  बहुत  टाइट  थी  वो भी मेरे लंड को अपने अंदर लेने के एहसास को महसूस कर मजे ले रही थी  वो  कुछ देर तक वो ऊपर नीचे होती रहीl इस तरह चोदने का आनंद लेने के बाद मैं भी उससे मिलने के लिए नीचे से अपने चूतड़ उठा कर जोर लगाने लगाl जब भी उसकी चूत नीचे आती थी. मैं भी धक्का ऊपर को लगा देता था. जिससे उसकी आह निकल जाती थी । फिर तो हम रिदम में ताल से ताल मिला कर चुदाई करने लगे जब मैं इस तरह डेज़ी  को चोद रहा था. तो चेरी  उठ कर मेरे अंडकोष चूसने लगी और लिली  मेरे  ओंठ चूसने लगी  .  इस तरह से मैंने  डेज़ी  को काफी देर तक चोदा।

फिर चेरी  उठी और मेरे लैंड को नीचे आकर मेरे अंडकोषों को चूमने लगी, और साथ के साथ जब डेज़ी  ऊपर होती तो वो मेरे लंड को भी चूमने लगी और बीच बीच में चेरी  की चूत को भी चूम लेती थीl इस तरह से  डेज़ी  की चुदाई का मजा दोगुना हो गया और इस बीच मैं उसके स्तनों से खेलता रहा   और लिली आगे से डेज़ी के स्तनों को चूसने लगी

उसके बाद मैंने और डेज़ी  ने  कस कस कर लम्बे लम्बे शॉट लगाए जिससे हमारा  पूरा बदन हिल जाता था और हर शॉट के साथ उसकी एक जोरदार आह निकलती थीl

इस जबरदस्त चुदाई से  हम दोनों एक साथ ही  चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए।  मैं  इस जबरदस्त चुदाई के कारण हो रही डेज़ी  के शरीर की प्रतिक्रिया को महसूस कर रहा था क्योंकि उसका शरीर कांपने लगा वह एक जबरदस्त ओर्गास्म अनुभव कर रही थीl उसने मेरे लंड को अपने अमृत से पूरा नहला दिया। लगभग उसी के साथ  डेज़ी  ने जोर से चिल्लाना शुरू किया  उस कम्पन भरी चिल्लाहट से दो  घंटे से ज्यादा देर से उत्तेजित मैंनेी डेज़ी  की चूत से लंड बाहर निकाल लिया और  में बड़ी भारी मात्रा में लावे का विस्फोट कर दिया  और मेरे लावे को चेरी चाट  गयी और फिर उसने उसे मेरा वीर्य डेज़ी और लिली को भी चटाया . उसकी  कसी हुई चूत के कारण डेज़ी ने मुझे  चुदाई का भरपुर मजा दिया ।

हम दोनों कुछ देर तक हम  चाओ बिस्तर पर लेट कर चूमते सहलाते रहे , तीनो  मुझे पकड़ कर आलिंगन करती रही और हम चुंबन का आदान-प्रदान करते रही  फिर  चारो साथ में चिपक कर सो गए। ।


कहानी जारी रहेगी
Reply
12-25-2022, 02:41 PM, (This post was last modified: 12-25-2022, 02:51 PM by aamirhydkhan.)
#83
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 03

प्रातः काल भ्रमण



सुबह हुई और मैं  सुबह तड़के ही उठ गया  तो देखा मैं नंगा ही अकेला  सो रहा था और तीनो लड़किया लिली  चेरी और डेज़ी पता नहीं कब उठ कर चली गयी थी  मैंने  दरवाजा खोला तो अभी भोर नहीं हुई थी और  बहुत मीठी और ठंडी हवा चल रही थी .. मेरा मन   इस मौसम में घूमने का हुआ .  अंदर से लगा जंगल में जा कर घूम कर  आना चाहिए  और मंदिर में पूजन दर्शन भी कर लेता हूँ  फिर मुझे ध्यान आया की  महर्षि अमर मुनि गुरूजी  ने जो पांच  कार्य  सुबह सुबह करने को कहे थे वो भी तो करने होंगे ..

वहां देखा तो वहां एक  मेज पर एक थैला पड़ा था मैंने उसे खोला तो उसमे  महर्षि अमर मुनि गुरूजी की आज्ञा अनुसार   विधि पूर्वक पूजन करने  के लिए दूध और दही   गऊ के लिए रोटी, चींटी के लिए  आटा और अनाज दाल , पक्षियों के लिए अनाज और  आटे की गोली  और कुछ  रोटी   घी और -चीनी रखी हुई थी  और साथ ही में एक टोर्च , एक बोतल पानी  भी रखा हुआ था .


[Image: MW2.jpg]


मुझे बहुत अच्छा लगा की  महर्षि अमर मुनि गुरूजी  के आदेश अनुसार सभी चीजों को प्राप्त व्यवस्था की गयी है  और मैंने  मंदिर  जाने का निश्चय कर लिया  फिर मैं   हाथ मुंह धोकर कपडे पहने और जेब में पर्स मोबाइल  इत्यादि रखा और  सैर करने जंगल की तरफ निकला तो बाहर दो सुरक्षा  कर्मी थी जिन्हे मेरी सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया था . वो मेरे पीछे आने लगे तो मैंने उन्हें कहा जब तब मुझे कोई खतरा न हो वो वो मुझसे दूरी बना कर रखे ..

जब में अपने कक्ष से निकला तो सबसे पहले उद्यान  के पास से निकला तो वहां  बड़े सुन्दर फूल घास पर बिखरे हुए थे ,, मैंने  फूल चुने और उन्हें थैले में रख लिया की इन्हे पूजा करते हुए मंदिर  में  अर्पण  करूंगा .

आगे मेरी  उसकी नजर आम और जामुन के पेड़ो  पर पड़ी वहां आम और जामुन के बहुत बड़े पेड़ थे  जिसपे फल  लगे हुए थे  उसपे चढ़ना तो मेरे बस का नहीं था जब मैं  मैं उन  पेड़ो  के करीब गया वहां  मैंने देखा कि पेड़ के नीचे कुछ पके हुए मीठे फल गिरे हुए हैं। मैंने एक फल चखा तो उसका स्वाद बहुत मीठा और अनोखा सा था  उन फलो को मैं जल्दी-जल्दी चुन कर रुमाल में  बाँध कर थैले में  डाल लिया और वहां से आगे बढ़ गया ।

मंदिर के पाद पहुंचा तो मंदिर अभी खुला नहीं था .. मैंने बाहर से ही प्रणाम किया और मैंने  सोचा थोड़ी सैर कर लेता हूँ फिर वापसी पर पूजा कर लूँगा .. और आगे बढ़ गया ..

आगे रास्ते में एक बहेलिया  ( शिकारी ) मिला उसने कुछ तोते पकड़ कर पिंजरे में  बंद कर रखे थे  .. मैंने उसे बोला  इन पक्षियों का क्या करोगे तो उसने बोला  इन्हे बेचूंगा .... मैंने उसे बोला ये पक्षी मुझे दे दो .. तो उसने बोलै इनका दाम दो तभी दूंगा .. तो मैंने अपना पर्स निकाल कर उसने जितने पैसे कहे उतने उसे दे दिए और उसे बोला वो पक्षियों को पकड़ना और मारना छोड़ दे  मैं उसे कोई काम दिला दूंगा .. पक्षी  आज़ाद उसदे हुए ही ज्यादा अच्छे लगते हैं .. और मैंने उन पक्षियों को  आज़ाद कर दिया . और मैंने उस बहेलिये को दिन में हमारे महाराज के ऑफिस आने को बोला जहाँ उसे काम मैं दिलवा दूंगा और उसे निशानी के तौर पर अपना कार्ड दे दिया .. मैंने कहा वहां ऑफिस में ये कार्ड दिखा देना तुम्हे काम मिल जाएगा .

आगे गया तो वहां एक कुटिया नज़र आयी जिसके बाहर  पेड़ के नीचे  बैठने की जगह बनी हुई थी  और उसपे एक साधु  बाबा अकेले बैठे आँखे बंद किए  साधना कर रहे थे।

मैं जाते जाते रुक गया और थोड़ी देर खड़ा रहकर  बाबा को देखने लगा। फिर बाबा उठे और अपनी कुटिया में चले गए  मैं वहां  गया  तो देखा की साधू बाबा  जिस जगह बैठे हैं वो जगह काफी गंदी है और वहा कीड़े मकोड़े भी थे ।  मैंने  वहां पड़ी  कुछ पत्तिया उठायी  और साधु  बाबा के बैठने की जगह पर झाड़ू  मार कर उसे साफ़ किया और  वहां पर कुछ नर्म और आरामदायक पत्तिया बिछा दी ताकि वहाँ बाबा आराम से बैठ सके।

मैंने देखा  साधू बाबा तब तक बाहर आ गए थे और  थोड़ी ही दूर पर खड़े मेरी सारी हरकतें देख रहे थे।

उनके होठों पर एक मुस्कुराहट आ गई  सफाई करने के बाद  मैंने कुछ हरी पत्तियों पर जो मैं  फल चुन कर लाया था   सजा दिए और  साधु बाबा को बोला बाबा लीजिए बाबा  मुझे रास्ते से आते आते ये  फल मिले हैं अब आप  यहाँ आ जाईये और ये मीठे फल खा लीजिये  ये बहुत मीठे फल हैं बाबा ।

बाबा बोले  तुम्हे पहले कभी नहीं देखा . कौन हो तुम ?

बाबा मैं  महाराज हरमोहिंदर का चचेरा  भाई   हूँ  कल ही यहाँ आया हूँ  बाबा

बाबा मैं जानता हूँ तुम्हारा नाम दीपक हैं  यहां जंगल में क्या   करने आये  हो  ?

मैं अपना नाम सुन कर चौंका  मैंने बोला  बाबा आप तो सब जानते हो फिर भी मुझ से सुनना चाहते हो  इसलिए  मैंने उनको  सारी बात बता दी..



[Image: MW3.webp]
2013 ford fiesta 0 60
बाबा मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखते हुए बोले  क्या तुमने  कुछ खाया है?

मैंने ना मे सिर हिला दिया  और बोलै बस  बाबा ये फल चखा  था बहुत मीठा है आ आप भी  खा लीजिये

बाबा ने एक फल मेरे हाथ से लिया और खा कर बोले सच में बहुत मीठा है !

और जूठा फल मुझे दे दिया  मैं हिचका  तो बाबा  बोले  तुम  इसे प्रसाद समझ कर खाओ ..

मैंने वो फल  खाया  उसके बाद  बाबा ने  मेरा  दाहिना  हाथ पकड़ लिया  और अपनी आंखें बंद करके  ध्यान करने लगे ..  तो  मुझे अपने अंदर एक अजीब सी ताकत  और  तरंगे महसूस हुई मुझे लग रहा था जैसे  बाबा  से कुछ तरंगे  मेरे अंदर  आ रही थी  और उनके मन में चल रहा  जाप मुझे  स्पष्ट सुनाई दे रहा था  ।  ये बहुत ही  दिव्य और अनोखा एहसास था मुझे  कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है???

मेरी  आंखें खुल नहीं पा रही थी और ताकत और बेचैनी महसूस हो रही थी  और बहुत विचित्र समझ में ना आने वाली   दिव्य  ज्ञान की बाते बहुत तेजी से मेरे दिल और दिमाग में  समा रही थी ।



[Image: FC1.jpg]
इस कुछ देर बाद मेरी बंद  आँखों  में ऐसा लग रहा था जैसे मैं बहुत तेजी से एक अनजान गुफा में जिसमे मुझे हल्का सा प्रकाश नजर आ रहा था उसकी तरफ मैं तेजी से जा रहा था .. या यु कहीये मैं उड़ कर उस प्रकाश ही तरफ जा रहा था .. और बाबा की आवाज गूंज रही थी  और प्रकाश ही प्रकाश  दिख रहा था . जिसमे  में  भी उसी प्रकाश में  खो गया  और मेरा दिमाग और मन जैसे  रोशन हो गया था ।

मेरा मन एक दम शांत हो गया  और मैंने मन  में ही बाबा से पुछा  बाबा ये क्या है  बाबा ये मुझे क्या हो रहा है मुझे बंद आँखो से ये क्या क्या नजर आ रहा है।  मुझे इतना भारी  क्यों लग रहा है?

बाबा बोले बेटा तुम जन्म से ही  दिव्य शक्तियों के मालिक  हो   यहाँ मैं तुम्हारा ही इन्तजार  कर रहा था मेरे गुरु दादा गुरु महर्षि अमर मुनि ने मुझे यहाँ तुम्हारे लिए ही भेजा है तुम्हारे अंदर की दिव्य शक्तिया  अभी तक सोई हुई थी उनके जागने का समय आ गया है और जो शक्तियों  मैंने  तुम्हे  दी हैं वो तुम्हारे अंदर की उन  दिव्य शकितयों को जगा देंगी और तुम्हे जो और शकितया शीघ्र  ही मिलने वाली हैं  तुम उन्हें भी संभाल पाओगे .  और भी कई  दिव्य शक्तिया तुम्हारे अंदर हैं  पुत्र  जो  समय और साधना के साथ साथ  बढ़ती,  निखरती और सवरती  जाएंगी।  अब तुम  योगासन , प्रणाम और ध्यान किया करो और उन्होंने मुझे  योगासन , प्रणाम और ध्यान  का ज्ञान दिया और उसी अवस्था में सब सीखा भी दिया

इन शक्तियों के कारण तुम्हारी शरीरिक  और दिव्य आत्मिक  ताकतों में भी  बढ़ोतरी होगी ।



[Image: sadhu.jpg]
हर ताकत मिलने से पहले वो दिव्य शक्तिया तुम्हारी परीक्षा लेंगी  जिनमे तुम्हे उत्तीर्ण होना होगा  और उसमे सहायक  होगा तुम्हारा सरल स्वाभाव  और तुम्हारे अंदर दूसरो की मदद करने का भाव . इनकी ही  सहायता से तुम हर परीक्षा में उत्तीर्ण हो  अपनी सभी  पूर्व जन्मो में अर्जित दिव्य शक्तियों को पुनः प्राप्त कर लोगो .

आज भी तुम्हारी उस बहेलिये के रूप में एक देव ने तुम्हारी परीक्षा ली थी जिसमे तुम अपनी सात्विक शक्तियों और स्वभाव के कारण उत्तीर्ण हुए  हो .  और आगे उनसे तुम्हे उनसे शीघ्र ही  दिव्या शक्ति प्राप्त होगी .

  तुम्हारे  शरीर से एक ऐसी  दिव्य  सुगंध निकलती है जिसकी वजह से  बहुत सारे  लोग  तुमसे आकर्षित होते हैं और इसी आकर्षण के कारण  तुम  ने अभी तक महसूस किया होगा  जो तुमसे मिलता है वो तुम्हारा  ही हो जाता है .  और तुम्हे ये बाते गुप्त ही रखनी होंगी

गुरुदेव समय समय पर तुम्हारी सहायता करते  रहेंगे .. जय गुरुदेव . जय महादेव  ॐ  शांति कह कर ग साधु बाबा ने आँखे खोल di. मैंने उनके चरणों में गिर कर उन्हें प्रणाम किया ..
उन्हें ने मुझे आशीर्वाद दिया और बोलै इन दिव्य शक्तियों का प्रयोग सोच समझकर और किसी की मदद करने के लिए ही  करना। पुत्र इनका गलत  प्रयोग  से हमेशा परहेज करना ...

और इन शक्तियों  से घबराना मत ये तुझे कभी कोई  हानि नहीं पहुंचाएंगी पर इनके प्रदर्शन करने से भी हमेशा बचना लोगों के सामने अपनी इन शक्तियों  का दिखावा मत करना ।
कुछ दिन तुझे अपनी इन   शक्तियों की वजह से थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन बाद मे  तुम्हे  इन  की आदत पड़ जाएगी।

और वो बोले अब जाओ कुमार  अपनी प्रातः काल की  भ्रमण पूरा करो .

कहानी जारी रहेगी
Reply
12-25-2022, 02:52 PM,
#84
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 04

 घायल वृद्ध 


उसके बाद मैं भ्रमण के लिए आगे निकल गया तो कुछ दूर जाने पर काली चींटिया नज़र आयी तो मैंने देखा एक जगह से  बहुत  सारी चींटिया निकल रही थी तो मैंने  उधर आटा  डाला .. थोड़ा आगे गया तो देखा  वहां पानी की एक छोटी सी धारा बह रही  थी . जो दूसरी तरफ जा रही थी  अचानक उसमे पानी बढ़ने लगा और लगा तो ये धारा  अब  बह कर  उसी चींटियों  के घर की तरफ जायेगी जिससे  उन चींटोयो को खतरा हो सकता है तो मैंने वहां पर थोड़ी सी मिटटी और पत्थर के टुकड़े इकठे करके  बाँध सा बना दिया जिससे पानी उधर न जा पाए और  चींटियों का घर  सुरक्षित रहे . मैंने फिर पानी में हाथ धोये और एक  अंजुली भर कर पानी पिया तो पानी साफ़ था और काफी ठंडा और मीठा था .

मैंने  थोड़ा आगे ए  मुझे वहां एक छोटा सा तालाब नज़र आया  और उसने तैरती हुई मछलिया नज़र आयी तो मैंने तालाब में अपने साथ लायी हुई आटे की गोलिया उस तालाब में  में डाल दी .

फिर आगे गया  तो  वहां जंगल काफी घना हो गया  जिसके कारण अँधेरा  भी घना हो गया  और बादलों ने चाँद को ढक लिया । कभी-कभी बादलों और पेड़ो के बीच से छन्न कर  चाँद की चांदनी  में सब कुछ रोशन  हो जाता था ।  कच्चेी पगडण्डी काफी लम्बी लग रही थी और वहां जानवरों की आवाज़ के आ रही थी  मैंने टोर्च जला ली  थी

चाँद की रौशनी में पगडण्डी के किनारे  मुझे एक ढेर के जैसा कुछ नज़र आया   दूर से यह किसी प्रकार के घायल जानवर की तरह लग रहा था लेकिन चांदनी में मुझे लगा किसी  शिकारी  या जानवर ने किसी अन्य जानवर  को पकड़ लिया था और शिकार हो गया था  और मैंने वहां पर टार्च की रोशनी फेंकी जिससे  वो ढेर हिलने लगा ।

 मैंने  टोर्च के प्रकाश को चारों ओर फेंक कर ये  सुनिश्चित  किया  की आसपास कोई जानवर या मानव हमलावर तो  छिपा हुआ नहीं है जब मुझे सब सुरक्धित लगा तो मैं आगे बढ़ा और उस  ढेर के पास पहुंचा, साथ ही साथ अपनी आंखों को तेजी से बाईं और दाईं ओर घुमाते हुए, सभी दिशाओं को स्कैन करते हुए मामूली संकेतों की तलाश की की कोई और तो वहां नहीं है । ढेर में  मुझे  धूल से ढका किसी इंसान का  चेहरा दिखाई दिया जो  खून से लथपथ  था .  सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि वह जीवित था  और उसके होठों से कराह निकल रही थी।



[img=473x0]https://i.ibb.co/QPgmKsP/ACCID1.jpg[/img]

मैंने अपनी टोर्च  से प्रकाशित क्षेत्र की परिधि  यह सोचकर को स्कैन किया  कि क्या यह एक जाल हो सकता है,  दोस्तों से कहानियाँ सुनी थीं और उसे कई मौकों पर  पुलिस बल के  द्वारा भी चेतावनी दी गई थी, इस तरह की स्थिति में रुकें नहीं क्योंकि ये एक जाल हो सकता है जिसमे बदमाश लोग जो इसके साथी हो सकते हैं  झपट्टा मारने के लिए  झाड़ी में छिपे हमला कर सकते हैं। मुझे  कुछ भी संदिग्ध नहीं लगा तो मैंने  फैसला किया कि मैं इस जंगल में एक घायल इंसान को ऐसे  नहीं छोड़ सकता। मैं सहज रूप से जानता था  कि अगर मैं चला गया, तो पगडण्डी  के किनारे वह  इंसान मर सकता है और यह मेरे विवेक पर हमेशा के लिए एक भार  होगा और फिर डॉक्टर होने  के नाते मेरा कर्तव्य था  इस इंसान की मदद करना और उसे इलाज देना ।

मैंने अपनी पानी की बोतल निकाल  ली, और पगडण्डी  के किनारे निष्क्रिय  पड़े हुए घायल के पास गया,  उसका  सिर  एक कोहनी पर टिका हुआ था   मैं घायल व्यक्ति को अर्ध-बैठने की स्थिति में सहारा देने के लिए उसके नीचे अपना हाथ ले गया  और उसके  फटे और सूखे होंठों पर अपनी बोतल से थोड़ा सा पानी डाला।

करीब से देखने पर मुझे पता चला कि उस  घायल के  पैर स्पष्ट रूप से टूटे गए थे  और  उसका कई अलग-अलग जगहों से बुरी तरह से खून बह रहा था, मैंने  अपने मन में आकलन किया ये इंसान बुरी तरह  घायल  और बहुत गंभीर स्थिति में था। मैंने  तुरंत फैसला किया  कि उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना चाहिए और उस समय मुझे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि उस आदमी को और कौन सी चोटें लगी हुई है  जो मैं  देख नहीं पाया था  और यदि मैं उसे उठाता  तो उसे और  नुकसान होने का भी डर था


[img=697x0]https://i.ibb.co/c68GNxx/INJ1.jpg[/img]

मुझे याद आया कि मैंने अपने टॉर्च बैग में कुछ जीवन रक्षक होम्योपैथिक दवाएं और आयुर्वेदिक जीवन रक्षक  दवाएं रखी थीं  जो मैंने एक डॉक्टर होने के नाते उनके मुँह में उनकी जान बचाने ले लिए डाल दी मैंने तुरंत मेरे पीछे आ रहे मेरे सुरक्षा दोनों गार्डों को बुलाया  और दो लकड़ी के टुकड़े  लाने के लिए  जिससे स्ट्रेचर बनाया जा सके  और मैंने फुर्ती से अपना कुर्ता और पायजामा निकाल  दिया।

मैंने इस बीच उस बूढ़े आदमी से बात की और पूछा कि उसे और कहाँ दर्द है,  चोट लगने से घायल और खून बहने से कमजोर हो चुके उस वृद्ध व्यक्ति ने मेरी आँखों में देखा और बोलने की व्यर्थ कोशिश की, फिर अचानक  गहरी सांस लेते हुए वो घायल व्यक्ति कराह उठा  और बेहोश  हो गया।

मैंने चारों ओर देखा  और  गार्ड से चाकू ले कर पास के  पेड़ की  मोटी  छाल की  निकाला और उसे  टूटे हुए अंगों के साथ रखा, उन्हें स्थिर करते हुए  जंगल  से लताये काट कर उनसे उस छाल  की बाँध दिया और वृद्ध के घायल  पैरों को स्थिर किया ।

इस बीच वो दोनों सुरक्षा कर्मी  दो लकड़ी के टुकड़े ले  लाए और मैंने मेरे कपड़ों का उपयोग करके जल्दी से  एक स्ट्रेचर बनाया और बूढ़े को स्ट्रेचर पर लिटा दिया, उसे उठाया  और वापस महल की ओर दौड़ पड़े। इसी बीच मैंने अपनी सचिव हेमा को फोन किया और उन्हें  जल्दी से  जंगल की ओर एम्बुलेंस भेजने  के लिए कहा। अगले कुछ मिनटों में एम्बुलेंस आ गई और अस्पताल पहुंच कर उस घायल को  आपातकाल  हताहत विभाग में ले गया ।

मुझे ये  स्पष्ट था कि बूढ़ा बहुत बुरी तरह से घायल हो गया था और मैंने अस्पताल में मरीज  के इलाज के लिए  स्वेच्छा से भुगतान किया और अपना परिचय दिया ताकि बूढ़े व्यक्ति को जल्दी से  इलाज मिल सके।   मैंने तुरंत अपना सारा विवरण अस्पताल को दिया और उन्हें बताया कि मैं एक डॉक्टर हूं फिर मैंने रोगी की जांच की और पाया कि वह बुरी तरह से घायल था .



[img=785x0]https://i.ibb.co/g3Z4fPK/INJ2.jpg[/img]

जब अस्प्ताल के  कर्मचारियों ने पूछा "क्या हम आपका पता जान  सकते हैं? हमें पुलिस के लिए इसकी आवश्यकता पड़ेगी । ये घायल  आपको कहां और कब मिले, इसके बारे में  पुलिस आपसे जानना चाहेगी  मुझे पता था इस प्रकार के विवरण सभी अस्पताल लेते हैं ताकि अस्पताल में  मरीज के इलाज के लिए  भुगतान होने   के बारे में  पता चले  ।  उस समय ड्यूटी पर कोई डॉक्टर नहीं था  और ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों ने अपनी चिंता व्यक्त की "रोगी एक गंभीर स्थिति में लग रहा है और यह कि आपके दवरा किये गए उन  सभी प्रयासों और सहायता के बावजूद  मामले की वास्तविकता यह है कि मरीज  का बचना काफी कठिन है ।" 

मैंने नर्स से  कहा   मैं एक होमेओपेथिक ही सही पर एक  डॉक्टर  हूँ कि मैंने उसे कुछ जीवन रक्षक दवाएं दी हैं और उससे कहा  कि मैं  महाराजा का रिश्तेदार हूं। यह सुनकर चीजें बहुत तेजी से आगे बढ़ने लगीं और जल्दी ही  भाई  महाराजा भी डॉक्टरों की एक टीम के साथ अस्पताल पहुंचे और अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर  भी आ गए और वो लोग मरीज को तुरत  ऑपरेशन थिएटर में ले गए ।

महाराज मुझे घर वापिस ले आये  और घर पहुँचकर उन्हों में मुझे जंगल में इस तरह  जाने के लिए डांटा और मैं उन्हें ये नहीं  समझा सका कि मैं ऐसे समय एक अनजान जगह में जंगल में क्यों गया ।  उन्हों में मुझे बोला तुमने  ऐसी मूर्खता  क्यों की   क्या तुम्हे नहीं मालूम  ऐसे  समय में  मेरी हत्या आसानी से की जा सकती थी।  पर मुझे खुशी थी मैं इस समय  साधू बाबा से मिल पाया और एक घायल आदमी की मदद कर पाया  जो वह पता नहीं कितनी देर से घायल पड़ा था  और मुझेे उसकी  सहायता करने के लिए चुना था .

कुछ घंटों के बाद मैंने अस्पताल को फोन किया और बूढ़े आदमी के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ की, जिसके लिए मेरी अपनी जान जोखिम में पड़ सकती  थी और मैंने  बोलै  वो बजुर्ग जो बुरी तरह से घायल थे और जिन्हे  मैं आज  सुबह ही अस्पताल लाया था,  तब अस्पताल ने मुझे बताया  कि रोगी जीवित था लेकिन उसकी हालत बहुत अच्छी नहीं है  वो बार बार बेहोश हो रहा है  और होश में, आने पर  वह  मरीज  मेरे बारे में  पूछ रहा था।

अस्पताल के कर्मचारियों ने कहा, "हमें पता है, आपने  पहले ही बूढ़े व्यक्ति की सहायता करने के लिए  बहुत कुछ किया है  लेकिन हम चाहते हैं कि आप अस्पताल में आएं और उस  मरते हुए व्यक्ति को आपके आने से शान्ति मिलेगी ।"  अनिच्छा से   मैं अस्पताल जाने के लिए सहमत हो गया  उस  बूढ़े व्यक्ति से मिलने के लिए अस्पताल चला गया।

अस्पताल पहुंचकर मैंने तुरंत ड्यूटी रिसेप्शनिस्ट को  बताया  कि मैं कौन हूँ तो मुझे तुरंत  गहन चिकित्सा इकाई (ICU. ) में ले जाया  गया । बूढ़ा आदमी पैरो पर प्लास्टर  के साथ बिस्तर पर लेटा हुआ था अभी बेहोश था और  उसकी सांस उथली थी और एक ऑक्सीजन मास्क उसे लगा हुआ था । उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी, उसके चेहरे और शरीर के अन्य घावों को सिल दिया गया था, लेकिन उसका रंग  पीला हो गया था और  ऐसा लग रहा था को वह ज्यादा देर जीवित नहीं  रहेगा।

उसके माथे और बाजुओं पर नाग बना हुआ था  मैंने नर्सिंग स्टाफ पुछा  "इनके ठीक होने की क्या संभावना है?"  उन्होंने गंभीरता से नक्कारात्मक  सिर हिलाया।

ड्यूटी पर तैनात  नर्स  ने  मुझे बताया  की  ये काफी समय  ऑपरेशन  थिएटर में रहे  है और डॉक्टरों ने जितना संभव हो  सका कर दिया है, लेकिन इन्हे काफी  चोटे लगी हैं  जिनका इलाज अभी भी किया जाना है, इलाज  उनकी खराब स्थिति के कारण स्थगित करना पड़ा था  क्योंकि उसके लिए  इन्हे  मूर्छित करना होगा  और इनकी हालत ऐसी लग रही है की फिर इन्हे होश में लाना काफी मुश्किल हो जाएगा .

इतने में वहां   डॉक्टर आ गए और बोले  हम  इनकी चोटे  देख  आश्चर्यचकित हैं कि  ये अब तक जीवित  हैं. इनकी  चोटें इतनी खराब  और गहरी हैं जिनसे लंबी अवधि के लिए रक्त स्राव होने के कारण इनका काफ़ी रक्त बह  चूका है  और ऐसी चोटों से तो अब तक  एक मजबूत स्वस्थ आदमी की भी मौत हो चुकी होती ।" हमारे राय से किसी जानवर ने इनपे हमला किया था.

फिर मैंने उससे कहा कि मैंने इन्हे  जंगल में कुछ प्रारंभिक उपचार दिया है और कुछ जीवन रक्षक दवाएं दी हैं जो मैं हमेशा अपने साथ रखता हूं। यह सुनकर नर्स ने कहा कि शायद यही कारण है कि मरीज अब तक जीवित है ।

मैं सोच ही रहा था  की क्या  ये बूढ़ा आदमी  अब होश में आएगा, उससे बात करने की बात तो दूर,  मैं बैठ कर उन्हें  देख रहा था  डॉक्टर ने  मुझे  मरीज को प्राथमिक  चिकित्सा   और कुछ जीवन रक्षक दवाएं देने के लिए धन्यवाद दिया  और उसने डॉक्टर को मुझे धन्यवाद देते सुना  मैंने डॉक्टर से पुछा क्या मैं इन्हे अपनी दवाये और दे सकता हूँ तो डॉक्टर बोले इसमें कोई बुराई नहीं है

  मैंने भी कहा  डॉक्टर साहब  आपने जो किया है उसके लिए आपका  बहूत धन्यवाद पर  शायद मेरी दवाओं से इन्हे कुछ फायदा हो जाए  तो डॉक्टर बोले  इसमें कोई बुराई नहीं है . मेडिकल साइंस  में अभी बहुत से पहेलियाँ अनसुलझी हुई हैं  और डॉक्टर फिर चले गए ।

उनके जाते ही मरीज ने आँखे खोल दी ,मैंने अपने बैग से निकाल कर उस मरीज को कुछ और दवाये दी  फिर  उसने धीरे-धीरे  अपना हाथ उठाया और अपनी उंगली का उपयोग करते हुए उसने मुझे आगे आने के लिए  संकेत किया  और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया,   उस घायल  बजुर्ग ने  अपनी बाँहें हिलायीं और एक हाथ से एक पुरानी अँगूठी जिसपे सांप बना हुआ था  उसे अपनी उंगली से खींच कर  मुझे लेने का इशारा किया। मैंने अपने हाथों से वापस इशारा किया और  नाकारत्मक सिर हिलाया और धीरे से बोला।

मैंने कहा "नहीं, नहीं, मुझे इनाम के तौर पर आपसे  कुछ नहीं चाहिए मैं आपको  जंगल में उस हालत में   नहीं छोड़ सकता था ।"

कहानी जारी रहेगी
Reply
12-29-2022, 12:32 AM,
#85
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 05

घायल वृद्ध  की अंगूठी



मैंने देखा बूढ़े के होंठ हिल रहे थे पर मुझे कुछ भी समझ नहीं आया .  मेरे इंकार के देख  वो मरणासन्न घायल  बूढ़ा व्यथित हो गया  और उसने मुझे फिर से अंगूठी लेने का इशारा किया, इस डर से कि मेरे इंकार के कारण  से घायल आदमी को तकलीफ होगी, मैंने उसे ले लिया।   

आश्चर्यजनक रूप से जैसे ही मैंने अंगूठी को अपने हाथ में लिया वो मुझे ऊर्जावान लगी और साथ ही  उन घायल वृद्ध  के हाथो से  मेरे अंदर ऊर्जा का संचार होने लगा बिलकुल वैसे ही जैसे  प्रातः काल में साधु  बाबा  के साथ हुआ था  और वो पीतल जैसी लगने वाली अंगूठी से ऊर्जा निकलने लगी और सोने की फीकी चमक देने लगी। बूढ़े ने मेरी तर्जनी  (index.) उंगली की ओर इशारा किया और धीरे से अपना सिर हिला कर मुझे अंगूठी तर्जनी मे  पहनने का इशारा किया । 

उसे खुश करने के लिए और उसे फिर सेअशांत  होने से रोकने के लिए, मैंने धीरे-धीरे उस  घायल  वृद्ध आदमी के अनुरोध का पालन किया, यह सोचकर कि इस सरल इशारे से क्या नुकसान हो सकता है और उस अंगूठी को अपनी तर्जनी  ऊँगली  में पहनने का प्रयास किया, मुझे पूरा विश्वास था कि ये अंगूठी  मेरी उंगली पर बहुत छोटी रहेगी । .

यह अंगूठी मेरी उंगली पर फिसलती चली गयी  और  उसकी फीकी चमक से निकलती हुई  ऊर्जा से  अंगूठी  एक नई  सोने की अंगूठी की तरह चमक उठी। और मेरी ऊँगली पर  समायोजित होते हुए आरामदायक फिट हो रही थी .  अंगूठी मेरी ऊँगली  के पोर से आराम से पार हो गयी और  पूरी तरह  उंगली  में फिट हो गयी ।  मैंने  देखा वो बिलकुल आराम से ऐसे फिट  हो गयी थी  जैसे वो मेरे लिए ही बनायीं गयी हो . 

उस वृद्ध की अपरिचित भाषा  जिसे मैं समझ नहीं पा रहा था उसके  शब्दों का अर्थ मुझे समझ आने लगा गया,और मैं उसकी भाषा से पूरी तरह परिचित हो गया। अचानक  ही मुझे एक ऐसी भाषा समझने आने लगी  जिसे मैंने पहले कभी नहीं सुना था। मैंने आँखे बंद कर उसकी तरफ ध्यान लगाया  तो  मुझे अव्वज सुनाई दी  जी निश्चित रूप से उस वृद्ध की ही थी .


[Image: SR1.webp]

मेरी सहायता के लिए आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद,लोगों ने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया था ।" फिर उसने जारी रखते हुए कहा  " ये दुर्घटना आपके  मिलने से कुछ घंटे पहले हुई थी, मैं जंगल में लकडिया इकट्ठा कर रहा था  जब मेरा पैर जानवरों के लिए शिकारियों द्वारा बिछाए गए शिकंजे  में फंस गया और मैं  एक बड़े खड़े  में गिर गया जिससे मेरी टांग  टूट गयी   और तभी  एक बड़े जानवर ने मुझ पर हमला किया जिससे मैं घायल हो गया  और खड़े में ही  बहुत देर तक लेटा  मदद के लिए चिल्लाता रहा लेकिन कोई भी मदद करने के लिए नहीं  आया ।" 

फिर मैं किसी तरह से उस  गड्डे से  बाहर निकला  पर चल पाने में बिलकुल असमर्थ था  और मुझे लगा अब मेरा अंतिम समय आ गया है .

तभी नर्स वह आयी और उसने  उस बोली में घायल  वृद्ध से  पुछा  अब आप कैसे हैं 
वृद्ध ने तो कोई जवाब नहीं दिया  पर मैं उसी बोली में   बोला ,

"इन्होने  अपनी आँखें खोली थीं  और ओंठ हिलाये थे लेकिन मुझे  कुछ समझ नहीं आया  इन्होने  कोई  बात नहीं की।"

नर्स  को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ,  अभी तक मेरी बातचीत से उसे ऐसा नहीं लगा था मैं उसकी भाषा और बोली समझ और बोल सकता हूँ, खासकर जब उत्तर उसकी मातृभाषा में इतनी अच्छी तरह से मेरे द्वारा  दिया गया था। नर्स ने फिर उसी भाषा में जवाब दिया. "

मैं शीघ्र ही इन्हे  देखने के लिए डॉक्टर को बुलवाती हूँ;

फिर उसने मुझे मरीज के साथ अकेला छोड़ दिया, और डॉक्टर को  ढूंढने चली गयी ।  




फिर उसने मुझे मरीज के साथ अकेला छोड़ दिया, और डॉक्टर को  ढूंढने चली गयी ।

नर्स के चले जाने के बाद  फिर मेरे को आवाज आयी, मैंने बूढ़े की ओर देखा लेकिन यह स्पष्ट था कि वह होश में नहीं था और सीधे किसी से बात करने में असमर्थ था। मुझे लगा रहा था कि आवाज उस बूढ़े आदमी की है


वो बजुर्ग फिर बोलने लगा , "मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूं, मैं अब थक गया हूं और मेरे गुरु ने मुझे यह अंगूठी एक योग्य व्यक्ति को सौंपने का निर्देश दिया था  और बताया था जो आदमी जो आपकी जीवन या मृत्यु की आपात  स्थिति में आपकी मदद करेगा वही इसका अगला उत्तराधिकारी होगा । मुझे लगता है कि आप इस अंगूठी को पहनने के लिए बिलकुल सही उत्तराधिकारी हैं क्योंकि आप दयालु  और मददगार हैं ।"

"मुझे आपको सूचित करना है कि अंगूठी की शक्तियां लगभग असीमित हैं; यह अपने मालिक को अपने और दूसरों के भाग्य को नियंत्रित करने की शक्ति देता है, जैसे आप मेरी बात समझ रहे हैं वैसे ही आप दुनिया की हर भाषा और बिजली समझ सकेंगे . इसके अतिरिक्त भी आपको इसकी विशेषताएं और दिव्य शक्तिया  धीरे धीरे पता चलती जाएंगी . 

ये अंगूठी अपने मालिक को शारीरिक और मानसिक सभी चीजों पर नियंत्रण करने में सक्षम बनाती है और पहनने वाले को अपने जीवन के समाप्त होने से पहले  इस  अंगूठी के उत्तराधिकारी की तलाश करनी होगी।"   आपको  इसके बल को नियंत्रित करना सीखना होगा  और इस काम में आपके गुरु आपके सहायक होंगे और  जैसे वो आपको निर्देशित करे आप वैसे ही करे अन्यथा  इस अंगूठी की दिव्य बल आप पर नियंत्रण कर लेगा .  इस से आपका  शारीरिक और मानसिक बल बढ़ जाएगा . 

इस अंगूठी की दिव्य बल  कमजोर दिमाग पर कब्जा कर लेगा और आपको पूरी तरह से नियंत्रित करे उस से पहले आप  इसे नियंत्रित करना सीख ले . इस नियंत्रण को सीखने में भी ये अंगूठी  भी आपकी मदद कर सकती है . यदि इसने आपके दिमाग पर नियंत्रण करे लिया  तो परिणाम न केवल आपके लिए बल्कि सामान्य रूप से दुनिया के लिए क्या होगा ये कोई नहीं जानता ।" आवाज जारी रही "जैसा कि मैंने कहा है कि मैं अब जीवन से थक गया हूं और मैंने दुर्घटना के बाद खुद को ठीक करने के लिए अंगूठी की शक्ति का उपयोग नहीं किया बल्कि  प्रकृति को अपना काम करने दिया है, 

आधुनिक दुनिया मेरे लिए नहीं है, इसके मूल्य  अब वे नहीं हैं जिनका मैं हिस्सा बनना चाहता हूं, लेकिन मैं अपने इस नश्वर शरीर को तब तक नहीं त्याग कर सकता  जब तक कि मुझे एक योग्य  उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता है और यदि आप मेरे बचावकर्ता के रूप में अंगूठी के उपहार को स्वीकार नहीं करते हैं तो मुझे नया उत्तराधिकारी खोजना होगा । यदि आप अंगूठी और उसकी सभी शक्तियों को स्वीकार करते हैं, तो आपको यह समझना होगा कि जब तक आपको  इसका योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता  तब तक आपको  जीवित रहना होगा 

अंगूठी को स्वीकार करने से अंगूठी की असीमित शक्तियां केवल आपकी अपनी कल्पना से  चलेंगी  और मैं आपको  कुछ समय तक इस अंगूठी  के साथ देखता  रहूंगा  जब मुझे ये भरोसा हो जाएगा  की आप इसके योग्य हैं  तभी मैं चैन से मर सकता हूं। आपको निर्णय यहां और अभी  करना होगा  या आपको  इसे स्वीकार करना होगा अन्यथा इस अंगूठी को मुझे  वापस करना होगा, चुनाव केवल आपका है और आपको अकेले करना है। अंगूठी की शकतोयो को नियंत्रण करने के लिए आप आपने गुरुदेव की मदद ले सकते हैं और जहाँ तक मैं देख रहा हूँ उन्होंने आपको इसके लिए कुछ शक्तिया प्रदान कर दी हैं ..  "

आप महसूस कर ही रहे हैं इसी अंगूठी  के कारण आप मेरी बात  समझ पा रहे हैं  और  ये अंगूठी दुनिया की हर भाषा और हर बोली को समझने की क्षमता प्रदान करती है और किसी को भी संबोधित करते समय वे आपके द्वारा बोले गए हर शब्द को तुरंत समझ जाएंगे। 

उस बजुर्ग की आवाज की इस बात से मेरा दिमाग घूम गया और  मैंने यह आकलन करने की कोशिश की कि अंगूठी मेरे लिए क्या कर सकती है और मुझ पर  कौन सी जिम्मेदारियां आ जाएंगी । मेरी कल्पनाके घोड़े भागने लगे  और  अधिकांश मनुष्यों की तरह इस तरह की  शक्ति के विचार ने मेरे अंगूठी न स्वीकार करने के किसी भी प्रतिरोध पर काबू पा लिया और मुझे  इस शक्ति को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया। जैसे ही मेरे मन में निर्णय हो गया, मैंने उसके अंग जहां जहां चोट लगी थी वहां अपना हाथ फेरा और  महर्षि  का ध्यान किया और महादेव से  उस घायल  बूढ़े   के स्वस्थ्य लाभ की प्राथना की और  देखा वो  घायल  बूढ़े  के चेहरे  पर दर्द गायब हो गया  और वो सो गया .. तभी डॉक्टर आ गया  और उसने  उसे चेक किया और बोलै अब ये पहले से बेहतर लग रहा है ..  हम इनके कुछ टेस्ट और कर लेते हैं .. 

मैंने डॉक्टर से बोला  आपकी नर्स  शायद इन घायल  बूढ़े   के  समूह को या इनके कबीले को जानती है आप उन्हें  इनके बारे में सूचना दे  . मैंने इन्हे अपनी थोड़ी दवाये दे दी हैं और उन्हें कुछ कांच की छोटी  शीशीया  देता हुए कहा ये दवाये आप इन्हे २ -२ घंटो बाद दे दे ..  मुझे लगता है ये शीघ्र ही स्वस्थ हो जायेगे.. ,मैं इन्हे जल्द ही दुबारा देखने आऊँगा ..

उसके बाद मैं वहां से चला आया  और  जड़ी बूटियों वाले जल से स्नान कर तरो ताजा हो गया और उसके बाद मैं भाई महाराज के साथ   पूजा अर्चना की और   दूध  और दही फल फूल  और अन्य पूजा  सामग्री को अर्पण किया  . वही  दादा गुरुदेव् महर्षि  के आदेश अनुसार  गाय को रोटी खिलाई और हवन   में अग्नि को निर्देशित सामग्री  अपर्ण की .

फिर मैं पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार  महाराज  माताजी और पिताजी के साथ स्पेशल फ्लाइट द्वारा कामरूप  (आसाम)  के लिए  रवाना हो  गया  .

कहानी जारी रहेगी  
Reply
01-01-2023, 03:05 PM,
#86
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

विवाह 

CHAPTER-1

PART 06


मैं भाई महाराज, कुलगुरु मृदुल,  पिताजी और माताजी के साथ कामरूप चले गए . फ्लाइट में हमारे साथ मेरी  नवनियुक्त सचिव हेमा भी थी. आसाम   जा कर हम पहले एक होटल में जा कर रुके और उसके बाद कामरूप क्षेत्र के (आसाम ) के महाराज उमानाथ  के घर में राजकुमारी  ज्योत्स्ना से मिलने चले गए

प्रवेश द्वार पर कामरूप रियासत के  महाराज उमानाथ  ने माल्यार्पण के साथ हमारा स्वागत किया  और   मैंने महाराज वीरसेन और पत्नी महारानी को प्रणाम किया  फिर हमने  महाराज उमानाथ के महल में प्रवेश किया

महल के अंदरूनी हिस्से को शानदार ढंग से सजाया गया था और    मुझे  रेशमी तकिये  के साथ एक एक सिंहासन पर बिठया गया   पास की खिड़की से  एक बड़ा   स्विमिंग पूल और  उसके साथ ही सुन्दर  फूलों और फलों के पेड़ों  वाला एक प्यारा बगीचा था । वहाँ  मीठी मीठी  ठंडी  हवा चल रही थी  और अपनी उपस्थिति महसूस कराने के लिए  वो जगह   बिलकुल उपयुक्त थी,,

मेरे पिता और भाई महाराज का आसन महाराज  उमानाथ की बगल में था  और मेरी माता जी  महाराज उमानाथ की महारानी के साथ बैठी हुई थी  और महाराज उमानाथ का पुत्र राजकुमार महीपनाथ  मेरे  पास ही एक  दुसरे आसन पर बैठा हुआ था . मेरे साथ की सीट राजकुमारी के लिए  खाली थी .. हमारे कुलगुरु मृदुल जी  महराज उमानाथ के राजपुरोहित और कुलगुरु के साथ बैठे हुए थे .   फिर महराज उमानाथ का सचिव  उपस्थित हुआ और सबको प्रणाम करने के बाद बोला  हमारे अनुरोध  को स्वीकार करने के लिए और यहाँ   पधारने के लिए  आपका दिल की गहराइयों से धन्यवाद, मुझे आशा है कि आप हमारे आतिथ्य का आनंद लेंगे और हम आपके ठहरने को सार्थक और आरामदायक बनाने की पूरी कोशिश करेंगे। और फिर सबको  जल पान  करने के लिए  आग्रह किया 

फिर सचिव ने कहा   " राजकुमारी  ज्योत्स्ना  जल्दी ही  पधारेंगी और आप उनके साथ चर्चा कर सकते हैं, । ” मुझे प्रणाम किया और चला गया।

जल्द ही दरवाजों के पास चहल-पहल  हुई और हेमा  ने धीमी आवाज में   मुझ से कहा, " कुमार राजकुमारी  आ रही हैं ।" मैंने सिर हिलाया और अपने सुंदर आगंतुकों या मेजबानों का स्वागत करने के लिए  खुद उठ गया !

जब  राजकुमारी  ज्योत्स्ना  आई तो मेरे दिल की धड़कन ही रुक गयी  उसकी उम्र  लगभग 18 बर्ष थी बहूत ही सुंदर चेहरा था बहूत ही भोली-भाली थी नैन नकश बहूत ही तीखे थे.  मेरी नजरे राजकुमारी ज्योत्सना पर टिक गयी ....  .  . गोरा रंग लम्बी पतली सुन्दर मांसल शारीर, उन्नत एवं सुडौल वक्ष: स्थल, काले घने और लंबे बाल, सजीव एवं माधुर्य पूर्ण आँखे , होंठो पे लिपस्टिक मनमोहक मुस्कान दिल को गुदगुदा देने वाला अंदाज  और यौवन से लदी हुई राजकुमारी ज्योत्सना ने मेरे मन को आज फिर  विचिलित कर दिया.




मैं ज्योत्सना को अपलक देखता रहा. सुंदर और गुलाबी होठ, आकर्षक चेहरा और अद्वितीय आाभा मे युक्त शरीर राजकुमारी ज्योत्सना आकर्षक  साडी और गहने अलंकार और पुष्प धारण किये हुए , सौंदर्य प्रसाधनों से युक्त-सुसज्जित दर और बेहद आकर्षक.थी

उसकी कमसिन काया गोल गोल भरे बूब्स, गोरा रंग, उसकी नाज़ुक सी पतली कमर उस पर उभरे गुंदाज़ कूल्हे और भरी गांड देखकर मेरा मन और लंड दोनों मचलने लगे.

ज्योत्सना ने भी मुझे देखा और अपनी आँखे शर्मा कर नीचे झुका ली .

18 वर्ष की उम्र की अन्नहड़ मदमस्ति और यौवन रस से परिपूर्ण संसार के द्वितीय सौन्दर्य की सम्राजञी राजकुमारी ज्योत्सना को देखते ही मेरे होश गुम हो गए.

ऐसा लग रहा था काम देव ने अपनेसारे बाण मेरे ऊपर छोड़ दिए थे

सब मिल कर एक ऐसा सौन्दर्य जो उंगली लगने पर मैला हो जाए ।उसकी कमसिन काया गोल गोल भरे बूब्स, गोरा रंग, उसकी नाज़ुक सी पतली कमर उस पर उभरे गुंदाज़ कूल्हे और भरी गांड देखकर मेरा मन और लंड दोनों मचलने लगे

मेरे मन राजकुमारी ज्योत्स्ना को देख बेकाबू हो रहा था. उनकी गोल गोल बूब्स से भरी उसकी छाती और भरे भरे गालों के साथ उसकी नशीली आंखें मुझे नशे में कर रही थी। उसके होठों की बनावट तो ऐसी थी, अगर कोई एक बार उनका रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले।  मेरा मन  कर रहा था कि बस उसके रस भरे ओंठो और स्तनों को को चूमता और चूसता और चूमता, चाटता रहूँ और अपनी बाहों में जकड़ कर मसल डालूँ और जिंदगी भर ऐसे ही पड़ा रहूँ और उफ क्या-क्या नहीं करूँ?




[Image: jy2.jpg]

मैं ऐसे ही कामुक खयालो में खो गया था और मैंने देखा राजकुमारी भी झुकी हुई आँखों से मुझे चोरी चोरी देखती थी और जब मुझे उन्हें ही देखते हुए पा कर फिर आँखे झुका लेती थी

राजकुमारी के साथ उनकी दो सखिया भी थी जो बेहद सुन्दर थी और वो राजकुमारी को मेरे पोआस ले आयी और  मेरे पास बिठा दिया .. मैं बस उसे ही देखे जा रहा था .. तब मेरे माता जी ने उससे कुछ पुछा जिसका ज्योत्स्ना ने हाजी या सर हिला कर जवाब दे दिए ..

तब महाराज ने मुझ से कहाः  कुमार आप भी कुछ राज कुमारी से पूछ लीजिये पर मुझे तो होश ही नहीं था . मैं तो राजकुमारी के चेहरे और  सौंदर्य को निहारने में खोया हुआ था ..

तब मेरी माता जी ने बॉल आप दोनों एक साथ खड़े हो जाए हमे आपकी जोड़ी को एक साथ देखना है

हम दोनों साथ खड़े हुए तो माता जी बोली जोड़ी बहुत सुन्दर लग रही है और जच रही है

फिर मेरे पिताजी ने बोला दीपक तुम को राजकुमारी से कुछ पूछना है तो पूछ लो .. मैं कुछ बोलता इस से पहले ही  मुझे लगा राज कुमारी मुझ से कुछ कहना  चाहती है  पर सब बड़ो के बीच में कहने से सकुचा रही थी .

मैंने बस इतना ही कहा पिताजी . और मन से सोचा .और मैंने महाराज उमानाथ  और पिताजी की और देखा और  सोचा महाराज हम दोनों को कुछ देर  अकेला छोड़ दीजिये ..  और  इतने में पिताजी ने महाराज  और भाई महाराज से बोला  हमे कुमार और राजकुमारी को अकेले छोड़ना चाहिए ताकि ये आपस में बात कर सके ..

तो महाराज ने इशारा किया और मेरी सचिव और राजकुमारी की सखियों के साथ हम दोनों बगीचे में चले गए .. तो मैंने राज कुमारी से पुछा .. कहिए आप मुझ से क्या कहना चाहती हैं

क्या मैं आपको पसंद आया .. तो राजकुमारी बोली . जी  मुझे आपसे ये कहना था मैं अभी अपने पढाई जातरी रखना चाहती हूँ ..  पर मुझे लगता है  जैसे अपने अभी मेरे मन में क्या है ये जान लिया आप मेरे मन की बात अभी से  जान लेते हो , इसलिए अब मुझे और कुछ नहीं कहना है . 

तो मैंने कहा आप मुझे पसंद तो करती हो तो  राजकुमारी ने शर्मा कर हाँ में सर झुका दिया .. मेरी हाँ तो सब मेरी नजरो से भांप ही चुके थे .. तो राजकुमारी की दोनों सखियों ने   हमारी बाते सुन ली और जोर से   बधाई हो बोलती हुई एक अंदर भाग गयी और दूसरी राजकुमारी के पास आकर हम दोनों को बधाई देने लगी

[img=846x0]https://i.ibb.co/NZ3KS52/B-KISS.gif[/img]


उसके बाद सबने एक दुसरे को बधाई दी और मिठाई खिलाई और परंपरा के अनुसार  अँगूठिया और शगुन इत्यादि  दिए गए . फिर  कुलगुरु मृदुल जी ने महाराज के कुलगुरु और पुरोहित के साथ मिल कर १५ दिन बाद विवाह का शुभ महूरत निकाल  दिया .. उसके बाद  दोपहर का भोज महाराज  उमानाथ ने   दिया .. और चुकी अब आगे हमे भाई महाराज के विवाह की तयारी करनी थी और फिर महाऋषि के पास हिमालय जाना था तो  महाराज उमानाथ   से आज्ञा लेकर  वापिस आ होटल आ गये

होटल में  भाई महाराज  मेरे पास आये और बोले  कुमार मैं अपनी  मरीना नाम की  सबसे भरोसेमंद और सक्षम महिला अंगरक्षक  को आपकी  सुरक्षा के लिए हमेशा आपके साथ रहने के लिए  तैनात कर  रहा  हूँ   "

उन्होंने कहा, " वो आपके सबसे निजी क्षणों के दौरान भी  हमेशा आपके साथ रहेगी   मुझे आशा है कि आप इस  व्यवस्था को स्वीकार करेंगे क्योंकि मुझे लगता है आज सुबह हुई घटना के कारन मैंने  पूरी तरह से सोच समझ कर और  गुरुदेव  और आपके पिता जी के साथ परामर्श के बाद ही  ये निर्णय लिया है  और मुझे पूरा विश्वास है आप  इस निर्णय को बड़े भाई के आदेश की तरह से मानेगे.

फिर महाराज  ने  "मरीना"  कह कर पुकारा तो वह  पर्दे के दरवाजे से बाहर आयी ।

मुझे कहना होगा कि मैं कई महिलाओं को देखकर  उनकी सुंदरता को सराहा है लेकिन  मरीना की  पहली झलक ने ही  मेरी सांसें रोक लीं।

मरीना  तेजस्वी गोरी सुनहरे बालो वाली, (blonde.) लगभग इकीस  साल की  जर्मन  थी   जिसने आकर्षक ग्रीष्मकालीन पोशाक पहनी हुई थी जो उसके सुन्दर स्तनों  के आकार  को दर्शा रही थी   जिसमे से उसकी आकर्षक  और लम्बी टाँगे प्रकट हो रही थी । मैं उसकी  काय की कामुकता से प्रभावित हो गया था , वह एक आकर्षक महिला थी,  उसे देख मैं अपनी प्रतिक्रिया पर हैरान था और  मैं उसे  अपनी  बाहो में लेकर  भोगना चाहता था  उसकी आँखे भूरे रंग की थी  और वो शारीरिक  रूप से  शक्तिशाली दिख रही थी। उसका व्यवहार सौम्य था और उसका रूप लुभावना और आकर्षक  था .

उसका चेहरा आत्मविश्वास से बेहद शांत था औरउसकी  निगाहें  स्वाभाविक रूप से  चौकस थीं।  उसके नितंब  अच्छी तरह से गोल थे और उसकी जांघों की    मांसपेशियां   शानदार ढंग से मजबूत थी और उसके पैर लंबे  थे। वो मेरे पास आयी वह  झुकी अपनी कमर को तेजी से मोड़ा और मेरे हाथों को अपनी हथेलियों में मजबूती से पकड़ कर उसने मेरे हाथो  को  धीरे से चूम  मेरा अभिवादन किया और दृढ़ आवाज में बोली  महामहिम!  मरीना आपकी सेवा मे रात और दिन उपस्थित है ।

मैं रोमांचित था।  मुझे लगा मुझे नहीं मरीना के शरीर  को  रखवाली की ज़रूरत थी  "मैं भी हूँ," मैंने कहा  जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया और मुस्करा कर उसके हाथ को मैंने प्यार से सहला दिया l

कहानी जारी रहेगी
Reply
01-10-2023, 03:35 AM,
#87
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 07



मरीना का मतलब होता है पानीदार आनंद क्षेत्र है और मुझे लगा कि यह उसके लिए रसभरा होना उपयुक्त लगा उसने एक धीमी मुस्कान दी, अपना सिर हिलाया, और मेरी दाहिनी और आ कर खड़ी हो गयी ,

भाई महाराज मुस्कुराए और हम फ्लाइट से वापस अपने पैतृक स्थान के लिए रवाना हो गए।

अपने पैतृक स्थान में आकर सबने मुझे माँ पिताजी और भाई महराज को मेरा विवाह सम्बन्ध पक्का होने पर बधाई दी . और फिर इसविषय पर चर्चा करते हुए निर्णय किया गया की मेरे विवाह से सम्बंधित सभी कार्य और आयोजन यही से किये जाएंगे .

भोजन इत्याद्दी करने के बाद भाई महाराज के कक्ष में गया और फिर भाई महाराज की सहमति लेने के बाद मैंने मरीना से कहा मुझे महाराज से कुछ अत्यंत गोपनीय बात करनी हैं इसलिए आप कुछ देर के लिए हमे अकेला छोड़ दो और मेरे कक्ष में मेरा इन्तजार करो ,

फिर मैंने महाराज के कक्ष में उन दो मूर्तिया को घुमाया तो जैसा डायरी में बताया था वैसे दो गुप्त दरवाजे खुले । एक रास्ता मुख्य भवन की और एक बायीं और थी जो की एक गुप्त रास्ता था जो घर के बाहर ले जाता था

कमरे के दायी और जो अलमारी थी नीचे जो चाबी मिली थी वो चाबी अलमारी में एक लॉकर की थी और डायरी में लिखा था की दोनों डायरी को उसी लाकर में सुरक्षित रखा जाए जब मैंने अलमारी खोल कर चाबी से लाकर खोला तो उसके अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक लाकर था और सके पास ही एक पर्ची पर उसका पास वर्ड लिखा था और साथ ही पासवर्ड बदलने की जरूरी हिफ़ायते थी और साथ ही लिखा था के पासवर्ड बदलने के बाद चबा कर इस पर्ची को खा जाना । महाराज ने पासवर्ड बदला और उस पर्ची को खा कर नष्ट कर दिया

अलमारी के लाकर में कुछ नहीं था l बस केवल लक्ष्मी जी की एक मूर्ति थी l मुझे याद आया हमारे घर की ही तरह उस मूर्ति में ही आगे का राज है"l मैंने महाराज से मूर्ति छूने को कहा उन्होंने मूर्ति के चरण छुए तो मूर्ति घूम गयी और अलमारी में एक और गुप्त रास्ता खुल गया और वह रास्ता एक और तहखाने में ले गया और वहां कुछ कागजात और पुश्तैनी धन और सम्पत्ति मिली ..

तो मैं भाई महाराज ने बोला इस संपत्ति में आधा भाग तुम्हारा भी है , और वो मैं तुम्हे देना चाहता हूँ .. तो मैंने कहा आप मेरे भाग से अपने क्षेत्र की प्रजा के भले के काम कीजिये . उनके लिए हमारे पूर्वजो के नाम से स्कूल और हॉस्पिटल बनवा दीजिये अगर चाहिए होगा तो मैं इसके अतिरिक्त और धन की व्यवस्था भी करवा दूंगा .

भाई महाराज ने खुश होकर मुझे अपने गले लगा लिया और बोले उसके लिए आप बिलकुल चिंता मत करो अपने क्षेत्र के लिए और जनता के लिए मैंने काफी व्यवस्था की हुई है और उसके लिए कभी कोई कमी नहीं आएगी ..

फिर मैं अपने कक्ष में आ गया और वहां मरीना मेरा इंतजार कर रही थी .

मेरा वो कक्ष कमरे के नाम पर पूरा एक घर था, उसके भीतर दो तीन बैडरूम थे , एक मुख्य बैडरूम था जो कि काफी बड़ा था. उसका बिस्तर इतना बड़ा था कि 7-8. लोग आराम से सो सकते थे. स्नानागार भी इतना बड़ा, जितना हम आम लोगों के घर नहीं होते थे. हर सुख सुविधा की चीजें वहां थीं. भोजन के लिए एक कमरा अलग से था जिसमे एक बड़ी टेबल लगी हुई थी . और हर कमरे में बड़ा सा टीवी भी था.

मेरे दिमाग में रीती का ख़याल आया की उसे बुलवाकर मालिश करवाई जाए तो इतने में रीती वहां आ गयी और उसने मेरी मालिश की उस जड़ी बूटियों वाले पानी से भरे टब में मैं बैठकर आराम से नहाता रहा . उस दिन मुझे स्नान करते हुए बहुत मजा आया.

फिर मैं जड़ी बूटियों वाले पानी से नहा धोकर तैयार हुआ मुझे उस दिन बहुत अच्छा लग रहा था और मैं राजकुमारी ज्योत्स्ना के सौंदर्य से बहुत प्रभावित था और खुश था की रूप और सनुदार्य का ऐसा अद्भुत खजाना कुछ ही दिन में मेरा होने वाला था और राजकुमारी की याद आने के कारण मेरा मेरा लंड तन गया.


कहानी जारी रहेगी
Reply
01-10-2023, 03:36 AM,
#88
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1


PART 08




मैं बाथ टब में लेटा हुआ था और मेरी आँखे बंद थी कि अचानक बत्तियां बुझ गईं। मुझे एक महिला की आवाज सुनाई दी ।

दीपक, अच्छा हुआ कि आपने ये अँगूठी चुनी। मैंने इधर-उधर देखा लेकिन वहां कोई नहीं था। मैंने पुछा कौन है। मैं मरीना अपनी अंगरक्षक को बुलाना चाहता था । लेकिन अचानक मुझे लगा कि मैं बोल नहीं सकता..

उस आवाज ने कहा, दीपक! घबराओ मत हम तुम्हें चोट नहीं पहुंचाएंगे।

मैं अपनी जगह जम गया था । मैं हिल या बोल नहीं सकता था। आवाज वापस आने तक मैं मुश्किल से सोच पा रहा था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था

"चिंता मत करो, तुम सुरक्षित हो!"

मैं धीरे-धीरे पीछे की ओर झुका और अपनी दीवार पर लगे लाइट स्विच को जलाने की कोशिश की। मेरा हाथ वहां लगा तो स्विच चालू था लेकिन फिर भी बाथरूम में रोशनी नहीं थी मैंने सोचा पता नहीं कौन है तभी अचानक कमरे में सुनहरी रोशनी हो गई।




[Image: DES1.jpg]

मेरे सामने एक लड़की थी। लड़की नहीं । एक राजकुमारी, नहीं, वो एक दिव्य स्त्री थी ! मैंने अपने पूरे जीवन में कभी किसी इतना खूबसूरत स्त्री को नहीं देखा था। 18 साल की चिरयौवना , लेकिन उसके चारों ओर ज्ञान और अनुभव की आभा थी। उसके शरीर में एकदम सही संतुलन था, उसकी नितम्ब , स्तन, कूल्हे, कमर, सब कुछ पूरी तरह से आनुपातिक थे । आकर्षक साडी और गहने अलंकार और पुष्प धारण किये हुए , बेहद आकर्षक और सुंदर तथा उसकी आवाज बहुत नरम थी, चेहरे पर हलकी मुस्कान थी और मैं उस चेहरे से नज़रें नहीं हटा सका। इस सौंदर्य को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। बस एकदम सही। उनकी मीठी आवाज को मैं और अधिक सुनना चाहता था।

मैंने मन में कहा "ओह, आप बहुत खूबसूरत हो!

धन्यवाद!" उसने मेरे विचारों को पढ़ते हुए कहा।

" मैं चौंका -आपका क्या मतलब है? आप कौन हो और आप यहाँ क्या कर रहे हो ?"

उसकी आँखें चमक उठीं। ऐसा लगा जैसे उसे ठीक इसी सवाल का इंतजार था। वह कुछ कदम पीछे हुई और एक तरफ हो गयी, और मैंने देखा वहाँ एक आदमी भी था। एक राजकुमार की तरह आलोकिक और सुन्दर ओह नहीं, वो एक दिव्य पुरुष था फिर उस देवी ने कहा

ये इच्छा के देवता हैं- काम ! और मैं उनकी देवी - "माया" हम आपके पास इस अंगूठी के बारे में बताने आए हैं।

"यह इच्छा की अंगूठी है"।

उस दिव्य युगल का परिचय सुनते हुए मैं पूरी तरह से होश में आ गया था। यह स्थिति पागल करने वाली थी पर मैंने बस प्रवाह के साथ जाने का फैसला किया ।

मैंने दोनों को प्रणाम किया और सर झुका कर कुछ मन्त्र जाप करने लगा .. मुझे नहीं पता ये मन्त्र मुझे कैसे स्मरण हो गए थे . मैंने थोड़ा सोचा ये मन्त्र कहाँ से ययद हो गए मुझे ! तो दिव्य पुरष की आवाज आयी . तुम्हारा कल्याण हो , वत्स दीपक! परेशान मत हो महर्षि अमर मुनि जी की असीम कृपा प्राप्त है तुम्हे ,

"और वास्तव में आप मुझसे क्या चाहते हो?"

वो दिव्य युगल मुस्कुराया और एक कदम मेरी ओर बढ़ते हुए बोला

आनंद आनंद " इस अंगूठी का उपयोग करें! हमें परवाह नहीं है कि कैसे, लेकिन इसका उपयोग करो ! लोगों को मदद करो ! उन्हें बदलेो ! चाहो तो दुनिया पर कब्जा करें! या रानिवास या हरम बनाऔ ! जो कुछ भी आप चाहते हो वो सब करो और इसे हमारे लिए आनंदमय बनाऔ .. कहो क्या ये एक अच्छा सौदा है है ना?" दिव्य पुरुष ने कहा

लेकिन मैं ही क्यों ?

पिछले मालिक हीरा ( घायल वृद्ध) ने आपको इस अंगूठी के मालिक के रूप में चुना है और आपने इसे स्वीकार कर लिया है और हम आपको पिछले काफी लंबे समय से देख रहे हैं बल्कि आपका इन्तजार कर रहे थे । आप एक अच्छे और दयालु व्यक्ति हैं।

मैंने एक सेकंड के लिए सोचा। यहां तक कि अगर वह झूठ बोल रहे हैं, तो भी मुझे इस प्रस्ताव को स्वीकार करने का कोई नुक्सान नहीं दिख रहा था। और अगर वह सच कह रहे थे , तो और भी अच्छा है ।

क्या होगा अगर मैं एक अच्छा आदमी नहीं साबित हुआ .. मैंने पुछा

हम पिछले मालिक की पसंद को स्वीकार करने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं कर सकते।

"हाँ, मैं मैंने उनकी ये अंगूठी स्वीकार कर ली है ।" और अपना हाथ आगे बढ़ा कर उन्हें हाथ में पहनी हुई अंगूठी दिखाई .

बहुत अच्छा जैसे ही उसने अपना हाथ बढ़ाया, उन दोनों का चेहरा खुशी से भर गया। और वो बोले हमेशा याद रखना कि अंगूठी की शक्तियाँ लगभग असीमित हैं; आप जो चाहेंगे या चाह सकते हैं वह हासिल कर सकते हैं, यह अंगूठी अपने मालिक को अपने और दूसरों के भाग्य को नियंत्रित करने की शक्ति देता है, अंगूठी अपने मालिक को शारीरिक, मानसिक और सभी चीजों पर नियंत्रण रखने में सक्षम बनाएगी, और जब तक आप इसे पहनते हैं आप युवा रहेंगे । "

" सुरक्षा उपाय के रूप में इसकी शक्तिया नियंत्रण करने के लिए शक्तिया जिसे हम संप्रेषित करने वाले हैं, और हम आपको अंगूठी के बल पर काबू पाने की शक्ति प्रदान करेंगे । तुम्हारे अंदर की दिव्य शक्तिया अभी तक सोई हुई थी उनके जगाने का समय आ गया है और जो शक्तियों हम तुम्हे दे रहे हैं उनसे तुम्हारे अंदर की उन दिव्य शकितयों को जिन्हे महर्षि ने जागृत किया है और तुम्हे जो और भी शकितया शीघ्र ही मिलने वाली हैं तुम उन्हें भी संभाल पाओगे और भी कई दिव्य शक्तिया तुम्हारे अंदर हैं जो समय और साधना के साथ साथ बढ़ती, निखरती और सवरती जाएंगी।

एक बार तुम इस अंगूठी की शक्तियों पर काबू कर लोगो तो ये अंगूठी स्वयं तुम्हारी उन शक्तियों को बढ़ाने में सहायक होगी .

दिव्य पुरुष ने जारी रखा "हालांकि मैं आपकी इस समय जो चेतवानी देने जा रहा हूं उसका वर्तमान में कोई मतलब नहीं होगा, लेकिन मुझे इसे आपको देना होगा, अब ध्यान से सुनें। अंगूठी की अपनी शक्ति है इसलिए यदि आप नए मालिक के रूप में जागरूक हैं और इसकि शक्तियो को जल्द ही नियंत्रित कर ले अन्यथा इसकी शक्तिया आप पर नियंत्रण कर लेंगी . आप अपना जीवन को त्यागने का विकल्प चुन सकते हैं लेकिन ऐसा करने के लिए आपको इस अंगूठी के उत्तराधिकारी की तलाश करनी होगी।"

दिव्या पुरुष ने जारी रखा " यदि आप अंगूठी के बल को नियंत्रित नहीं करते हैं, तो इस अंगूठी की दिव्य बल कमजोर दिमाग पर कब्जा कर लेगा और आपको पूरी तरह से नियंत्रित करे उस से पहले आप इसे नियंत्रित करना सीख ले . इस नियंत्रण को सीखने में भी ये अंगूठी भी आपकी मदद कर सकती है ।"

अंगूठी की शक्तियां क्या हैं? मैंने आखिर पूछ ही लिया.?

कहानी जारी रहेगी
Reply
01-18-2023, 01:02 PM,
#89
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 09


इच्छा की शक्ति या सपना 




दिव्य पुरुष ने बोलना जारी रखा " यदि आप अंगूठी के बल को नियंत्रित नहीं करते हैं, तो इस अंगूठी की दिव्य बल कमजोर दिमाग पर कब्जा कर लेगा और आपको पूरी तरह से नियंत्रित करे उस से पहले आप इसे नियंत्रित करना सीख ले . इस नियंत्रण को सीखने में भी ये अंगूठी भी आपकी मदद कर सकती है ।"

अंगूठी की शक्तियां क्या हैं? मैंने आखिर पूछ ही लिया.?

दिव्य पुरुष (काम) ने उत्तर दिया: अंगूठी अपने मालिक के तौर पर आपको दुसरे के दिमाग और मन को पढ़ने, नियंत्रित करने और उनके कार्यो को नियंत्रित और निर्देशित काने की लगभग असीमित शक्ति क्षमता प्रदान करती है, और अन्य लोग आपके आगे पूरी तरह से शक्तिहीन हैं। यह आपको किसी भी तरह की सामग्री का रूप से बदलने का अधिकार भी देती है; आपके पास किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य, आकार या आकार सहित उसकी शारीरिक स्थिति को बदलने की शक्ति होगी; आप अपने या दूसरों के शरीर की किसी भी कार्यक्षमता को बदल सकते हैं, कम कर सकते हैं या उसे आगे बढ़ा सकते हैं। आप द्रव्यमान चीजों के आकार को या उनकी कार्यक्षमता को बदल सकते हैं। सभी इरादे, शक्तियां और उद्देश्य केवल आपकी अपनी सरलता और कल्पना से ही सीमित हो जाते हैं और आपके अधीन हो सकते हैं।

इस अंगूठी के मालिक होने के कारण अब आपका आपके शारीरिक यौन कौशल पर पूर्ण नियंत्रण है, आपकी यौन इच्छा इतनी बढ़ जाएगी की आप की यौनइच्छा सदैव अतृप्त ही रहेगी. आप जब तक चाहें आपके लिंग के स्तम्भन को बनाए रख सकते हैं और जितनी देर तक चाहे सम्भोग कर पाएंगे और स्खलन को रोक पाएंगे और स्खलन के बाद आपका लिंग पुनः स्तम्भन को तत्काल प्राप्त कर पायेगा । आप ये भी नियंत्रित कर सकेंगे कि आप कितना या कितना कम स्खलन करते हैं।

जब आप इस अंगूठी के माध्यम से इच्छा की शक्तियों पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लेंगे तो आप की यौन शक्तिया बढ़ जाएंगी . आपके लिंग की लंबाई और मोटापन उस महिला जिसके साथ आप किसी भी समय होते हैं उसकी योनि की लंबाई और क्षमता के अनुसार परिवर्तनशील हो जायेगी, जिससे आप बहुत बड़ा लिंग होने के कारण उसे नुकसान पहुँचाने के जोखिम के बिना उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर सकते हैं ।

अंगूठी के नश्वर मालिक के रूप में आपके पास खुद को और दूसरों को ठीक करने की शक्ति है, लेकिन किसी अन्य को अमरता या सामान्य से अधिक जीवन काल देने की शक्ति नहीं है। हाँ आपको इस अंगूठी के उत्तराधिकारी को ढूढ़ना होगा

मैंने पुछा मैं अपने बाद अंगूठी के अगले उत्तराधिककारी को कैसे पहचान सकूंगा जिसे मुझे ये अंगूठी सौंपनी है. तो दिव्य पुरुष बोले ये तुम्हारे ऊपर निर्भर करेगा और इसके लिए तुम्हे सोचना होगा तुम्हे कैसे ढूँढा गया था .



[Image: KR1.jpg]

मैंने मन में आवाज आयी मैं इस सुनहरे मौके को हाथ से नहीं जाने दूंगा और फिर जैसे मेरे मन को पढ़ लिया गया हो उसी क्षण दिव्य पुरुष वत्स तुमने बिलकुल ठीक निर्णय किया है इस अवसर को मत गंवाओ, अंगूठी आपको वह शक्ति प्रदान करेगी जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। जैसे-जैसे आप इनका उपयोग करेंगे ये शक्तियां मजबूत होती जाएंगी। निश्चित रूप से आपके मन में बहुत सारे प्रश्न होंगे, आपको इसकी शक्ति का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। जितनी अधिक शक्ति का उपयोग किया जाता है, उतनी ही अधिक शक्ति आप दोनों को प्राप्त होती है। आपने पहले से इसपर ध्यान नहीं दिया है, अंगूठी में दूसरों के दिमाग को प्रभावित करने की शक्ति है। आप जानते हैं कि आपने राजकुमारी और अन्य लोगों के मन को कैसे पढ़ लिया था और उसे प्रभावित भी किया था ।"

इन दिव्य शक्तियों का प्रयोग सोच समझकर और किसी की मदद करने के लिए ही करना। वत्स इनका गलत प्रयोग से हमेशा परहेज करना ...

और इन शक्तियों से घबराना मत ये तुम्हे कभी कोई हानि नहीं पहुंचाएंगी पर इनके प्रदर्शन करने से भी हमेशा बचना लोगों के सामने कभी भी अपनी इन शक्तियों का दिखावा मत करना ।

कुछ दिन तुझे अपनी इन शक्तियों की वजह से थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन बाद मे तुम्हे इन की आदत पड़ जाएगी। और अब हम तुम्हे सुरक्षा उपाय के रूप में इसकी शक्तिया नियंत्रण करने के लिए शक्तिया जिसे हम संप्रेषित करेंगे , और तुम्हे अंगूठी के बल पर काबू पाने की शक्ति प्रदान करेंगे ।

फिर उस बाथरूम में अचानक प्रकाश बढ़ गया और मेरे चारो और वो प्रकाश फ़ैल गया मैं उस प्रकाश में नहा गया और तब उस दिव्या पुरुष की वाणी सुनाई दी वत्स ध्यान से सुनो जैसा तुम्हारे गुरुदेव महर्षि ने तुम्हे ध्यान प्रक्रिया समझाते हुए सिखाया था इस प्रकाश को अपने अंदर समाहित कर लो .. मेरी आँखे बंद ही गयी और मुझे महसूस हुआ एक ऊर्जा का भण्डार मेरे नादर समाहित हो मेरे ह्रदय में स्तिथ हो गया है और मेरे ह्रदय प्रकाशमय हो गया .. फिर धीरे धीरे वो सारा प्रकाश मेरे ह्रदय में समा गया ..

मैंने आँखे खोली और मैंने एक बार फिर उस दिव्या युगल को प्रणाम किया और उनके सामने झुक कर उन्हें इस दिव्य शक्ति को मुझे प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया .. तो उन्होंने मुझे तुम्हारा कल्याण हो ये कह कर आशीर्वाद दिया और बोले हम खुश हैं की इसके पिछले मालिक हीरा ने तुम्हारे रूप में एक सुहृदय दयालु और अच्छा उत्तराधिकारी को पहचान कर चुना है और उम्मीद है तुम इसकी शक्तियों का उपयोग मानव जाती की भलाई के लिए करोगे मेरी आँखे बंद ही गयी मैंने आँखे खोली तो वहां अँधेरा था .. और फिर अचानक से कमरे का बल्ब जग उठा , मुझे लगा जैसे मैंने कोई सपना देखा है ,

नहाने के बाद मैंने खुद को आईने में देखा और महसूस किया कि मेरी बाहें मजबूत हो गई हैं, थोड़ी अधिक तनी हुई और परिभाषित हो गई हैं। मुझे एहसास हुआ कि चीजें बदल गई हैं, मेरे शरीर की अपूर्णता चली गई है। मेरे बाल काले और गहरे हो गए हैं। मेरे दांत थोड़े सफेद और थोड़े सख्त हो गए हैं। मेरे पेट का छोटे उभार गायब हो गया है मुझे हमेशा एक साधारण व्यक्ति की तरह रहना पसंद रहा है इसलिए कभी भी बहुत ज्यादा व्यायाम करके पहलवानो जैसे शरीर बनाने का प्रयास नहीं किया और मुझे कभी भी इसकी आवश्यकता महसूस नहीं हुई इसलिए मेरा शरीर साधारण युवको जैसा परन्तु आकर्षक था लेकिन अब मेरा आकर्षण निश्चित तौर पर बढ़ गया था ।


"मैंने नीचे देखा, मेरा लंड भी बड़ा लग रहा था । मेरा लिंग उस समय कठोर नहीं था इसलिए यह जानने का कोई तरीका नहीं था कि यह कितना बड़ा था, लेकिन मैं निश्चित रूप से प्रसन्न था। फिर मैंने अपनी जांघों को देखा, वे भी एक एथलीट के जैसे अधिक मांसल और मजबूत हो गयी थी । मैं बस कुछ पल के लिए आईने में अपनी छवि को विस्मय से देखता रहा और फिर मैंने उस अंगूठी को देखा ।

कहानी जारी रहेगी
Reply
01-25-2023, 06:36 AM,
#90
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART10

वृद्ध से  एक और मुलाकात 




मैंने नीचे देखा, मेरा लंड भी बड़ा लग रहा था । मेरा लिंग उस समय कठोर नहीं था इसलिए यह जानने का कोई तरीका नहीं था कि यह कितना बड़ा था, लेकिन मैं निश्चित रूप से प्रसन्न था। फिर मैंने अपनी जांघों को देखा, वे भी एक एथलीट के जैसे अधिक मांसल और मजबूत हो गयी थी । मैं बस कुछ पल के लिए आईने में अपनी छवि को विस्मय से देखता रहा और फिर मैंने उस अंगूठी को देखा ।

और  मुझे  रूबी , रोजी, मोना और टीना की याद आयी .. और मैंने सोचा उन्हें भी यहाँ  बुला लेना चाहिए ..और मैंने उस अंगूठी की तरफ  देखा  तभी वो अंगूठी  मेरी ऊँगली  में ही समा गयी इस तरह से  जैसे कभी कोई अंगूठी  हो ही ना .. मैंने अपने हाथ को कई बार देखा   मैं सोचने लगा  मैं कोई सपना तो नहीं देख  रहा था.

फिर  दिमाग में पूरे दिन  में हुई घटनाएं एक फिल्म की तरह चलने लगी  और जब मैं हॉस्पिटल में  था और मैंने नर्स  को   बोला   था : ये जीवन रक्षक दवाये आप इन वृद्ध को  २ -२ घंटो बाद दे दे .. मुझे लगता है ये शीघ्र ही स्वस्थ हो जायेगे.. ,मैं इन्हे जल्द ही दुबारा देखने आऊँगा " वहां आकर रुक गयी..


[Image: old2.webp]

मुझे ध्यान आया  की उस समय मैं थोड़ी ही दावाये ले कर गया था और मैंने जो दवा उनके लिए दी थी अब वो भी ख़त्म हो चुकी होगी   और मुझे  उन वृद्ध का हाल चाल पता करना चाहिए . आईने पर वृद्ध  की छवि गायब हो गयी .. तभी बाहर से मेरी अंगरक्षक मरीना की आवाज आयी .. कुमार आपके लिए  फ़ोन है . मैंने तौलिया लपेटा और बाहर निकल आया तो हॉस्पिटल से  फ़ोन था . उन्होंने बताया की वृद्ध जिन्हे मई आज हॉस्पिटल में लाया था उनका  नाम हीरा है ..

मुझे लगा आज जो  हुआ वों सपना नहीं हकीकत है .. पर उस अंगूठी  का इस तरह गायब हो जाना मेरे लिए  एक अनभूझि हुई पहेली था ..  वहां से उसी नर्स की आवाज आयी  ,, उन वृद्ध का परिवार आ गया है .. . उनकी हालत पहले से बेहतर है और वो  बेहोशी से बाहर आने पर बार बार आपका नाम ले रहे है , हालाँकि ये बहुत असुविधाजनक होगा  परन्तु क्या आप इस समय  हॉस्पिटल में आ सकते हैं ?  आपके आने से शायद उन्हें आराम मिले

मैंने तुरंत हॉस्पिटल जाने का निर्णय किया कपडे पहने और  अपना  दावाओ  वाला  बैग  लेकर   मरीना  को साथ ले   हॉस्पिटल  चला  गया .  ICU. के बाहर  कुछ महिलाये और लड़किया  बैठी हुई थी जिनके कपडे पहनने का ढंग  बाबा के जैसे थे  और सब युवा और सुन्दर थी  और मेरे मन उनकी तरफ  आकर्षित हुआ  और मेरे  मन  में  बस  इतना ही विचार  आया  ..-ओह सेक्सी !

हॉस्पिटल में  मुझे बाबा के पास ले जाया गया .. तो ड्यूटी नर्स ने मुझे बताया  आपकी दी हुई  दवाओं का उनपे बहुत अच्छा असर हुआ है . इनके घाव बहुत जल्दी भर रहे हैं ..  लेकिन  इनका  शरीर   कमजोर हो गया है ..  आपने जो दवा दी थी वो ख़तम हो गयी है .  और इन्हे बीच में जब भी होश आता है तो ये आपका नाम पुकारते हैं ..  और बहुत बेचैन हो जाते है

मैंने बाबा  के चेहरे पर तनाव देखा  और जैसे ही उनके हाथ को छुआ   तो फिर मुझे मेरे जहन में  वही आवाज सुनाई दी .. अच्छा हुआ दीपक आप आ गए!  ..

मैंने मन में सोचा बाबा से पूछू बाबा वो अनूठी तो मेरी ऊँगली में ही समै गयी है ये  क्या  है .  बाबा  ही अव्वज फिर जहन में आयी ,, वो अंगूठी जब तुम चाहोगे किसी को देना तभी  उतर सकोगे और तभी नजर आएगी वो अंगूठी अब तुम्हारे अंदर समा  गयी है इसका मतलब है अब तुम्हे उस अंगूठी के ऊपर  अधीकार प्राप्त हो गया है . जैसा तुम्हे तुम्हारे गुरु ने बोला है वैसा करते रहना.

मैंने बाबा के घावों को देखा और  टेस्ट की रिपोर्ट्स को देखा और   बोला  बाबा  आप के स्वस्थ्य में काफी सुधार हुआ है आप जल्द ही ठीक हो जाएंगे  आपको दवा दे देता हूँ ..



[Image: J2.jpg]
deduplicate list online
वो आवाज  फिर  मेरे जहन में आयी  मेरी आप से एक प्राथना है .. मेरे परिवार बाहर बैठा हुआ है  आप उन्हें समझा दे मैं अभी बेहतर हूँ ..  और अब मेरा जो भी जीवन बचा हुआ है मैं  संन्यास ले  कर   उसे में परम पिता की साधना में लगाना चाहता हूँ मैंने  रिंग  आपको  देने  से  पहले  यही  कामना  की  थी   आप मेरे परिवार  को अपने साथ ले जाए  और  मेरी बेटियों और  पत्नियों का  आप अपना लेना..  मुझे पता है आप जो भी  इच्छा करेंगे वो आपका मिल जाएगा  ..  आप उन्हें बुलवा लीजिये   मैंने उन्हें बोला  आप  परिवार  की चिंता मत करे   उनका ख़याल मैं रहूंगा  ..उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी

मैंने नर्स से बोल कर बाबा  के परिवार की बुलवा लिया उनके परिवार में उनकी  चार  युवा पुत्रिया और  चार युवा पत्निया थी .. बाबा ने  आँखे खोली उन्हें इशारे से अपने पास बुलाया  उनका हाथ पकड़ कर मेरे हाथ में  दिया.. और बोले अब मैं निश्चित हो  अपनी साधना  कर सकूंगा .. मेरी सब इच्छाएं  और कामनाये अब शांत हो गयी है ,, और अपने परिवार से बोले  मेरे प्यारो  आप सब जानते हो मैंने निर्णय लिया है  मैं अब अपना शेष जीवन साधना करते हुए बिताना चाहता हूँ. अबसे आप  इन्हे ही अपना सर्वस्व मानना और इनके साथ रहना  .. आप  सब  का  कल्याण  हो  कह  कर  बाबा चुप हो  गए   ..

उसके बाद बाबा के चेहरे का तनाव गायब हो गया .. मुझे मालूम था और  कामदेव ने बताया था  बाबा  अंगूठी की शक्ति के कारण हो ठीक हो रहे हैं,   फिर भी मैंने नर्स को कुछ  दवाये लिख दी और नर्स को  मुझ से संपर्क में रहने को  कहा  और उन लड़कियों और महिलाओं  को लेकर भाई महाराज  के महल में वापिस आ गया .. .


वहां तब  तक  मैंने देखा  रोजी रूबी मोना और टीना  भी  आ  गयी  थी   और  उन्होंमे  वहां  मेरा  स्वागत  किया  . उनमे से  से  मीणा , २1  नाम की उनकी बेटी ने सबका  परिचय  करवाया उनमे से सबसे बड़ी उनकी पत्नी जिसकी  आयु 25 साल थी उसका नाम कामिनी था  फिर रजनी  २४ साल फिर चांदनी २३ साल  और सबसे छोटी मोहिनी  २२ साल , और मधु 20  सोना 19 और सबसे छोटी रौशनी  १८ उनके बेटिया थी .  लड़कियों की माता का देहांत 2-३ महीने पहले हो गया था  और मीणा बोली और माँ के देहांत के बाद से  बाबा  संन्यास की बाते करने लगे थे .

मेरी सचिव ने बाबा के परिवार के   भोजन इत्यादि की व्ववस्था कर दी थी ..  चुकी काफी रात  हो चुकी थी  तो सब महिलाओ और लड़कियों के  सोने की व्ववस्था मेरे ही कक्ष के बाकी कमरों में  में कर दी गयी .. और मैंने उन्हें बोला आप के रहने की व्यवस्था कल से अलग अलग कमरों में कर दी जायेगी आज उन्हें थोड़ी असुविधा होगी .

भोजन  के बाद    सभी लोग आराम करने के लिए चले गए और  कामिनी   मेरे पास  बैठ गयी   और हम बात करते रहे ,  , उसने  मुझे अपने बारे में सब बताया और उसकी शादी कब  हुई   वो काफी सुंदर थी  मैं  उसे  देख   मंत्रमुग्ध था,

मैंने उसकी बातें सुनते हुए  अपने विचारों को उसके दिमाग की ओर  केंद्रित   किया और धीरे-धीरे उसके  जीवन  के  हर विवरण को अवशोषित कर लिया।

अब उसके   रहस्य   मेरे पास थे  । मुझे पता था कि उसे किस बात ने खुश किया जा  सकता  है। मुझे लगा कि मैं उसे बहुत दिनों से जानता हूं और पाया कि उसने मुझे यौन रूप से आकर्षक पाया। एक बार फिर अँगूठी की शक्ति का परीक्षण करने के लिए; मैंने उसके दिमाग में यह  विचार दिया कि उसे मुझ पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए,  और मैं उसे कभी निराश नहीं होने दूंगा।

मैंने उसे अपने कमरे में बैठने के लिए आमंत्रित किया, वो बोली मैं वस्त्र बदला चाहती हूँ पर अपना सामान नहीं लायी हूँ तो मैंने उसे बोला आपका सामान आप कल दिन में जा कर ले आना  फिलहाल आप यहाँ जो वस्त्र हैं उनमे से जो आपको पसंद आये वो पहन ले  और  मैंने उसे ड्रेसिंग रूम की तरफ  निर्देशित किया.

कहानी जारी रहेगी
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  A Fresh Perspective on Indian Live Sex and Live Porn India desiaks 0 12,930 03-13-2024, 01:53 PM
Last Post: desiaks
  Saali Adhi Gharwali - 2 ratanraj2301 1 13,618 03-12-2024, 11:57 AM
Last Post: volohan
Bug Jannath Ke Hoor's sashi_bond 0 3,361 02-29-2024, 12:54 PM
Last Post: sashi_bond
  महारानी देवरानी aamirhydkhan 211 328,764 12-20-2023, 03:29 AM
Last Post: aamirhydkhan
  गुलाबो Peacelover 19 29,373 12-04-2023, 06:42 PM
Last Post: Peacelover
Exclamation Meri sagi mom ki chudai-1 (How I became Incest) gotakaabhilash 6 45,104 12-02-2023, 01:36 PM
Last Post: gotakaabhilash
  दीदी को चुदवाया Ranu 101 528,096 11-27-2023, 01:13 AM
Last Post: Ranu
  Sach me Saali adhi Gharwali - Part 1 ratanraj2301 0 7,256 11-22-2023, 09:58 PM
Last Post: ratanraj2301
  Maa ka khayal Takecareofmeplease 25 232,663 11-08-2023, 01:58 PM
Last Post: peltat
  FFM sex series Part 1 सपना Popcorn 4 9,965 11-08-2023, 12:16 AM
Last Post: Popcorn



Users browsing this thread: 1 Guest(s)