बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:19 AM,
#94
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
सरला अब उसके ऊपर चढ़ी और कमर उठाकर उसके लौड़े को अपनी बुर में डालकर चुदवाने लगी। शिवा अब उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ दबाकर नीचे से लौड़ा उछालकर उसको मज़े देने लगा। राकेश की आँखें मम्मी की बुर में अंदर बाहर हो रहे लौड़े पर थी। उफफफफ कैसे बुर का मुँह खुलता और लौड़ा अंदर चला जाता था और फिर वह जब बाहर आता था तो बुर का छेद साफ़ साफ़ दिखता था ।उफ़ गुलाबी बुर कैसे इतना बड़ा लौड़ा निगले जा रही थी। मम्मी की भूरि गाँड़ का छेद भी उत्तेजना से खुलता बंद होता दिख रहा था। तभी राकेश ने देखा कि शिवा ने अपनी ऊँगली मम्मी की गाँड़ में डाल दिया और उसको हिलाने लगा। अब मम्मी की चीख़ें और मस्ती से भर कर आती हुई सिसकारियाँ राकेश को मानो पागल किए जा रहा था। 

वो चिल्लाई: आऽऽऽऽऽहहह और जोओओओओओर से चोओओओओओओओदो। फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दो बेएएएएएएटा। 

राकेश उत्तेजित हो कर ज़ोर ज़ोर से हाथ चलाने लगा। तभी उसने देखा कि शिवा अब मम्मी की चूचियाँ चूस रहा था। अब मम्मी बोली: बेटा अब ऊपर आकर चोद दे ना। 

शिवा अब उसको नीचे लिटाया और ऊपर आकर उसकी बुर चोदने लगा। जल्दी ही सरला बड़बड़ाने लगी : आऽऽऽऽहहह बहुत अच्छा लग रहा है। हाऽऽयययग ऊं ऊं ऊं करके हर धक्के में वह ऊं ऊं करके चिल्ला रही थी। 

अब सरला आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह करके झड़ने लगी। शिवा ने अब अपना लौड़ा निकाला और राकेश को दिखाकर उसने अपना पूरा गीला लौड़ा मम्मी के मुँह में दे दिया । वो उसे चूसने लगी। अब जल्दी ही वो ह्न्म्म्म्म कहकर उसके मुँह में झड़ने लगा। राकेश ने आँखें फाड़कर देखा कि मम्मी का मुँह इसके सफ़ेद गाढ़े वीर्य से भर गया था और होंठों के कोनों से बाहर निकल रहा था। वो अब लौड़ा बाहर निकाला और उसके आँख, नाक और गाल में भी अपना वीर्य गिराया। सफ़ेद रस में सनी मम्मी किसी रँडी से कम नहीं लग रही थी। 

राकेश अब दूसरी बार मूठ्ठ मारने लगा और झड़ गया। शिवा अब उसके बग़ल में लेट गया । फिर सरला अपना मुँह पोंछकर उठी और बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। अब दोनों साथ में बैठकर बातें करने लगे। शिवा ने देखा कि राकेश अब वहाँ से हट गया था। वो समझ गया कि वो जो देखना था देख चुका है। अब शिवा बोला: मम्मी अब नींद आ रही है। एक बार और चुदवाएँगी क्या? 

सरला: नहीं बेटा अब बहुत थक गयी हूँ। 

शिवा: तो मैं मालिनी के साथ जाकर सोता हूँ। सुबह जाना भी तो है। 

सरला उसको चूमकर बोली: ठीक है बेटा। जाओ अब सो जाओ। वो उठकर बाहर आया और जाकर राकेश के कमरे में गया। तभी सरला को भी प्यास लगी तो वो किचन की ओर गयी और अचानक उसने राकेश के कमरे में बात करने की आवाज़ सुनी। वो सोची कि इस समय राकेश किससे बात कर रहा है? वो चुपचाप उसके कमरे की खिड़की के पास खड़ी होकर देखी कि कौन है राकेश के कमरे में। 

वो अंदर झाँकी और हैरान रह गयी क्योंकि वह और कोई नहीं शिवा था। वो उनकी बात सुनने लगी। वो जो सुनी तो सन्न रह गयी। 
शिवा: तो मज़ा आया मम्मी की चुदाई देखने में? 

राकेश: जीजा जी आप क्या चुदाई किए उफफफफ मैं तो पागल ही हो गया। 

शिवा: तुमने देखा कि वो कैसे रँडी की तरह नंगी होकर नाच रही थी। 

सरला को लगा कि वो जैसे कोई सपना देख रही है। ये क्या हो रहा है? उसका दामाद उसकी चुदाई उसके अपने बेटे को दिखा रहा था । उसे शिवा पर बहुत ग़ुस्सा आया। 

राकेश: आऽऽऽऽह वो दृश्य तो मैं सारी ज़िंदगी में कभी नहीं भूलूँगा। क्या चूचि और गाँड़ हिला हिला कर नाचे जा रहीं थी। 
उफफफफ क्या सेक्सी है मम्मी। 

सरला तो जैसे शॉक में ही आ गइ। ये उसका अपना बेटा क्या बोल रहा है। 

शिवा: देखा क्या मस्ती से चुदवाती है? गाँड़ उछाल कर। 

राकेश: हाँ जीजा जी, सच में बहुत चुदक्कड है मम्मी। उफ़फ़्फ़ क्या मज़ा ले रहीं थीं । गाँड़ उछाल कर चुदवाने का मज़ा ली है। 

शिवा : वैसे उनकी बुर और गाँड़ का स्वाद बहुत मस्त है। चाटकर मस्ती आ जाती है। 

राकेश: हाँ उनकी बुर और गाँड़ दोनों मस्त हैं। और एक बात बताऊँ उनकी चूचियाँ आपके हाथ में आती नहीं थी इतनी बड़ी हैं। 

सरला सोची कि उसका बेटा और दामाद उसके बारे में कैसी कैसी बात कर रहे हैं। उसको बड़ी शर्म आयी। 

राकेश बोले जा रहा था: जीजा जी वो आपका रस भी कितने प्यार से पी गयीं। उगफफ बहुत ही गरम माल है मम्मी जी। 

सरला चौकी कि उसका बेटा उसे गरम माल कह रहा था। 

तभी शिवा की बात से वो एकदम से सकते में आ गयी। शिवा बोल रहा था: देख राकेश अब तू देख लिया ना कि मम्मी जी कितनी गरम है और उनको कितना मज़ा आता है चुदवाने में? अब तुम्हारी बारी है उनको पटाने की। मैं तो कल चला जाऊँगा वापस। अब तुम कोशिश करके उनको पटाओ और उनको चोदने का अपना सपना साकार करो। और हाँ मैं कल सुबह तुम्हारी सिफ़ारिश कर दूँगा। 

राकेश: सिफ़ारिश करेंगे कैसे? 

शिवा: मैं उनको समझाऊँगा कि तुम उनको बहुत प्यार करते हो और उनको चोदना चाहते हो। वह समझ जाएँगी। 

राकेश: आपको लगता है कि ये इतना आसान होगा? 

शिवा: मैं उनसे तेरी सिफ़ारिश करूँगा। अच्छा एक काम करना तुम कल सुबह मम्मी को किचन में जाकर पीछे से पकड़ लेना और अगर वो तुमसे छूटने की कोशिश नहीं करें तो समझ लेना कि वो पट गयी है। ठीक है? 

राकेश अपने लौड़े को दबाकर बोला: आऽऽऽह मेरा तो सोच कर ही खड़ा हो गया। फिर मम्मी के पास वापस जाना पड़ेगा। 

राकेश: दीदी की ले लीजिए, वो भी तो है। 

शिवा: अरे उसका पिरीयड्ज़ आया हुआ है। मम्मी की ही लेता हूँ और तुम्हारी सिफ़ारिश भी करता हूँ। 

राकेश अपने लौड़े को दबाता हुआ बोला: आऽऽऽऽऽह मैं फिर से देखूँगा। आऽऽऽह मम्मी मान जाए तो मैं भी कल ही उनको चोद दूँगा। 

सरला ने आँखें फाड़ कर अपने बेटे के लोअर के ऊपर से खड़ा लौड़ा देखी जो कि उसके लिए ही खड़ा था। सरला का मन दो जवान लड़कों के खड़े लौड़ों को देखकर गुदगुदी से भर उठा। उसका हाथ अपनी बुर पर चला गया। 

शिवा: अच्छा चलता हूँ। कहकर बाहर आया और वापस सरला के कमरे की ओर चल पड़ा। सरला पहले ही वहाँ से हट कर अपने बिस्तर पर आकर सोने का नाटक कर रही थी। वह अंदर आकर पूरा नंगा हुआ और फिर अपना लौड़ा सहलाते हुए उसके बग़ल में लेट गया और उसके बदन को सहलाया। सरला उठाकर बोली: अरे तुम फिर आ गए? 

शिवा : हाँ मम्मी नींद नहीं आ रही थी तो सोचा कि एक राउंड और करलेते हैं। 

सरला अनजान बनकर: ओह पर मैं तो थक गयीं हूँ । 

शिवा: अरे मम्मी अभी आपकी मालिश कर देता हूँ थकान मिट जाएगी। वह उसका गाउन खोलते हुए बोला। सरला ने गाउन उतारने में उसकी मदद की। अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी। 

शिवा: मम्मी आपने पैंटी उतार दी? 

सरला: हाँ बेटा पैंटी पहनकर नींद नहीं आती। यह कहते हुए सरला ने खिड़की की ओर देखा और वहाँ उसे परदे के पीछे राकेश के होने का अहसास हुआ। वो और उत्तेजित हो उठी कि उसका अपना बेटा उसकी चुदाई देख रहा है। 

शिवा उसके बदन को दबाता हुआ बोला: मम्मी बताओ कहाँ कहाँ दबाऊँ। वह उसकी बाँह और जाँघ दबाते हुए बोला।

सरला: आह बेटा सब जगह अच्छा लग रहा है।

अब वो ब्रा खोला और दूध दबाकर बोला: इनको दबवाने में मज़ा आता है? 

सरला: आऽऽऽऽऽह बेटा इनको जब तुम दबाते हो को मैं स्वर्ग की सैर करने लगती हूँ। हाऽऽऽऽययय। 

अब वो उसको करवट लिटाया और इसके बग़ल में लेता और उसकी जाँघ को अपनी जाँघ पर चढ़ा कर मज़े उसकी बुर में अपना लौड़ा दबाया और आराम से चोदने लगा। 

शिवा: मम्मी इस आसन में मैं मालिनी को एक घंटा चोद लेता हूँ। आज आपको भी एक घंटा रगड़ूँगा। 
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