मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:48 PM,
#48
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
जय अंकल- हाय कोमल कैसी हो? इससे मिलो, यह मेरा दोस्त राज है!
माँ ने धीरे से ‘हाय’ करके अपना हाथ आगे बढ़ाया था।
‘और राज यह है मेरी प्यारी सी नन्हीं सी भतीजी डॉली..’
जय अंकल ने मेरे गाल खींचते हुए.. राज को मेरी तरफ इशारा किया।
राज ने ललचाई हुई नज़रों से मुझे नीचे से ऊपर तक देखा था.. उस वक़्त मैंने रेड स्कर्ट और ब्लैक टॉप पहना हुआ था। मैं बिना जवाब दिए अपने कमरे में चली गई थी।
मैं अपने कमरे में चली गई थी और खिड़की से उनकी बातें सुनने लगी थी।
जय अंकल माँ को कमरे में ले कर गए थे.. राज बरामदे में ही रुका था।
‘कोमल यह मेरा दोस्त राज है.. आज रात यह हमारे साथ रुकेगा..।’
अंकल माँ को समझा-बुझा रहे थे.. लेकिन माँ मानने को तैयार नहीं थीं।
‘अरे.. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.. बस मैं तुम और राज.. एक रात की तो बात है..’
मैं समझ चुकी थी कि जय अंकल माँ को राज से चुदवाने के लिए राजी कर रहे थे।
कोमल- तुम्हारी बात अलग है जय.. तुम मेरे शौहर के दोस्त हो.. लेकिन एक गैर मर्द के साथ मैं नहीं कर सकती।
माँ परेशानी से अपना सिर पकड़े सोफे पर बैठी थीं।
जय अंकल- मैं और राज बचपन के दोस्त हैं.. यहाँ तक कि मैंने उसकी पत्नी की भी ली है.. अब अगर वह कुछ माँगता है.. तो मैं कैसे मना कर दूँ.. और फिर यह बात इस कमरे से बाहर थोड़े ही जाने वाली है? मैंने राज को बोला है कि तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त रंगीला की बीवी हो।
‘तुमने मुझसे पूछ कर बोला था क्या..? मैं ऐसा नहीं कर सकती जय..’
जय अंकल ने माँ के गालों को अपने दोनों हाथों में लेते हुए अपनी बात पर जोर देकर कहा।
‘लेकिन घर में मेरी बेटी डॉली भी है.. वह क्या सोचेगी.. अब वह छोटी नहीं रही है..?’
माँ ने अपनी शंका ज़ाहिर करते हुए जवाब दिया था.. जबकि राज अंकल बाहर बरामदे में बैठे सिगरेट पी रहे थे।
‘हाँ मुझे बहुत अच्छी तरह से मालूम है कि वो ‘बड़ी’ हो गई है.. उसकी तुम फ़िक्र मत करो.. मैं उसको सम्हाल लूँगा।
फिर माँ धीरे-धीरे राजी हो गई थीं। जय अंकल माँ को अपनी गोद में लिए हुए थे और उनके कुरते में हाथ डाल कर उनके चूचों को मसल रहे थे। जिससे उनका विरोध अब कम हो गया था।
रात होने को थी.. मेरा दिल धड़कने लगा था.. मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मेरी माँ मेरे सामने ही दो-दो मर्दों से चुदेगीं.. कैसे चुदेगीं.. आह्ह्ह चाचा का और उनके दोस्त का कड़क लण्ड भला अन्दर कैसे घुसेगा..? यह सोच कर तो मेरी चूत में भी पानी उतारने लगा था।
रात को माँ मेरे कमरे में आईं और मुझे ठीक से सुला दिया और चादर ओढ़ा कर लाईट बन्द करके कमरे बन्द करके चली गईं।
मैंने धीरे से चादर हटा दी और उछल कर खिड़की पर आ गई।
राज अंकल शायद शराब पी रहे थे.. उसका यह रूप भी मेरे सामने आने लगा था। अपना लण्ड मसलते हुए वो धीरे-धीरे शराब पी रहे थे।
‘उसे चादर उढ़ा दी है.. वो गहरी नींद में सो गई है..’
यह सुनते ही जय अंकल ने माँ को अपनी बाँहों में भरते हुए चूम लिया।
मुझे उनके कमरे से अब राज अंकल की भी आवाज सुनाई दे रही थी..
मेरा दिल धड़क रहा था कि माँ की आज दो मर्दों से चुदाई होगी।
जय ने माँ को राज के पास जाने को कहा।
माँ धीरे-धीरे शरमाते हुए अंकल की तरफ़ बढ़ रही थीं.. उनके पास आकर वो रुक गईं.. और अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से उन्हें निहारने लगीं।
तभी माँ मेरे सामने मुँह करके आ गईं.. मैंने देखा कि उन्होंने आज बेहद ही कीमती ड्रेस पहना हुआ था.. छोटी सी ब्लैक रंग की बैकलेस कुर्ती और उसके साथ लाल रंग की जालीदार सलवार.. यह ड्रेस शायद राज अंकल माँ के लिए लाए थे।
मैं सोचने लगी कि अरे.. वाह माँ ऐसी ड्रेस में..
मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा था, ये दोनों हरामजादे आज रात को मेरी माँ की चुदाई करेंगे।
माँ का तराशा हुआ गुदाज गोरा जिस्म.. ट्यूबलाईट की रोशनी में जैसे चांदी की तरह चमक उठा। उनकी ताजी शेव की हुई चूत की फ़ांकें.. सच में किसी धारदार हथियार से कम नहीं थीं। कैसी सुन्दर सी दरार थी.. चिकनी शेव की हुई रसीली चूत।
‘उफ़्फ़्फ़.. कोमल.. आप भी ना.. अभी किसी मॉडल से कम नहीं हो।’ राज अंकल ने माँ के गोरे सफ़ेद जिस्म को चूमते हुए कहा था।
‘हा.. हा.. हा.. अच्छा जी.. जय भाईजान की मेहरबानी है.. यह जो तुम्हारे सामने हूँ।’
माँ उनसे लिपट कर बातें कर रही थीं। कभी तो वो मेरी नजरों के सामने आ जातीं.. और कभी आँखों से ओझल हो जाती थीं।
तभी राज अंकल ने माँ का हाथ पकड़ कर अपने सामने सामने खींच लिया और कुर्ती के ऊपर से ही उनके सुडौल चूतड़ों को दबाने लगे। माँ की लम्बाई चाचा के बराबर ही थी..
उफ़्फ़.. माँ ने गजब कर दिया.. उन्होंने राज अंकल की जीन्स की ज़िप धीरे से खोल दी।
‘क्यूं आपको.. मेरे सामने शर्म आ रही है क्या? अपने लण्ड को क्यूं छुपा रखा है.. जानेमन?’
तभी मेरी धड़कन तेज हो गईं.. अंकल ने माँ की सलवार के नीचे से माँ की गाण्ड को दबा दिया। माँ ने अपनी टांग कुर्सी पर रख दी.. ओह्ह्ह तो जनाब ने माँ की गाण्ड में उंगली ही घुसेड़ दी है।
वो अपनी उंगली गाण्ड में घुमाने लगा.. माँ भी अपनी गाण्ड घुमा-घुमा कर आनन्द लेने लगीं।
कमरबंद खींचते ही माँ की सलवार उनके शरीर से खिसक कर सरसराती हुई नीचे फ़र्श पर आ गिरी। माँ की सफ़ेद दूधिया माँसल टांगें नंगी हो चुकी थीं।
‘कोमल.. तुम कितनी सुन्दर हो..’
माँ ने मुस्कुराते हुए नजर नीची कर ली.. अंकल ने आगे बढ़ कर माँ को प्यार से गले लगा लिया। उनका दुपट्टा अलग करके उनके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए थे, माँ तो जैसे उनसे चिपट सी गई थीं, दोनों के लब एक-दूसरे से मिल गए।
गहरे चुम्बनों का आदान-प्रदान होने लगा। अब राज अंकल माँ के नंगे भारी-भारी चूतड़ों को चीर कर उनकी गुदा द्वार में उंगली डाल रहे थे।
‘आउच…’
माँ के मुख से एक प्यारी सी ‘आह’ निकल पड़ी। पजामे में से अंकल का लण्ड उभर कर बाहर निकलने हो रहा था। माँ ने एक बार नीचे उनके लण्ड को देखा और अपनी चड्डी से ढकी चूत उनके लण्ड से टकरा दी। अब वो अपनी चूत वाला भाग लण्ड पर दबा रही थीं।
अंकल ने अपने दोनों हाथों से माँ की चूचियों को सहला कर दबा दिया.. तो माँ सिमट सी गईं।
‘कोमल.. मेरे लण्ड को भी प्यार करो..न..?’
अंकल ने माँ की गर्दन को चूमते हुए कहा।
मुस्कुराते हुए माँ धीरे से नीचे बैठ गईं और उनकी जीन्स को नीचे खिसका दिया.. फिर उसे धीरे से नीचे उतार दिया। अंकल का सात इंच का लण्ड बाहर आ गया.. उनका सुपाड़ा पहले से ही खुला हुआ था.. माँ ने मुस्करा कर ऊपर देखा और लण्ड को अपने मुख में डाल लिया। अंकल ने मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली।
अब राज अंकल के हाथ माँ की ब्रा को खोलने में लगे थे.. माँ ने उनका लण्ड चूसना छोड़ कर पहले अपनी ब्रा को उतार दिया..
हाय रे… माँ के उरोज तो सच में बहुत सधे हुए थे.. हल्का सा झुकाव लिए.. चिकने और अति सुन्दर..
माँ ने फिर से उनका लण्ड अपने मुख में ले लिया और चूसने लगीं। अंकल के हाथ माँ के बालों में चल रहे थे.. उनके बाल खुल गए थे।
अब उन्होंने माँ को उठा कर खड़ा कर लिया- कोमल.. मुझे भी आप अपनी चूत को प्यार करने की इजाजत देंगी?’
राज की इस बात पर पहले तो माँ शरमा गईं.. फिर वो बिस्तर पर चित्त लेट गईं और उन्होंने अपनी दोनों टांगें ऊपर को खोलते हुए अपनी चूत पसार ली।
‘हाय.. कोमल.. इतनी चिकनी.. इतनी प्यारी.. लण्ड लगते ही भीतर फ़िसल जाए.. 34 साल की होकर भी तुम किसी कुंवारी लड़की से कम नहीं हो।’
‘ऐसे मत बोलो.. मेरी जान.. बस इसे चूम लो.. फिर चाहे जो करो.. भले ही उसमें अपना अन्दर उतार दो..’
राज- थैंक्स यार जय.. तेरे दोस्त की बीवी तो मस्त माल है.. मैं तो कहता हूँ कि परमानेंट बदल ले इसे मेरी बीवी से.. तू मेरी बीवी आयशा को जब चाहे.. जहाँ चाहे.. ले जाया कर.. और जैसे चाहे चोदा कर।
‘अरे यार.. तू भी कोमल को जब चाहे ले जा सकता है.. अब कोमल हम दोनों की दोस्त है।’
जय अंकल ने राज की इस बात का हँस कर जवाब दिया था।
‘अच्छा जी थोड़ा कम मस्का लगाओ..’
माँ को चुदने की बहुत लग रही थी.. इस पर अंकल ने अपना मुँह माँ की चूत पर लगा दिया.. और उनके दाने को उनके होंठों ने मसल दिया।
‘सीईईए..’ करते हुए माँ ने आँखें बंद कर लीं और अपनी चूत उछालने लगीं।
मेरी चूत में भी यह देख कर पानी उतर आया.. इधर मैं अपनी चूत को दबाने लगी।
माँ तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थीं.. पर अंकल चूत से चिपके हुए उसका रस चूसने में लगे थे।
‘अब तड़पाओ मत.. जैसा मैं कहूँ वैसा करो..’
‘कोमल.. पीछे घूम कर कुतिया बन जाओ.. पहले तुम्हारी चिकनी गाण्ड मारूंगा..’
‘ओह.. तुम्हें भी गाण्ड मारना अच्छा लगता है.. कोई बात नहीं.. मेरे दोनों तरफ़ छेद हैं.. किसी को भी चोद दो.. पर पहले अपना ये लण्ड मुझे मुँह से चूसने दो ना..’
‘ओह.. जैसी कोमल जी की इच्छा..’
राज अंकल ने एक बार फिर बिस्तर पर बैठ गए और माँ को मुँह में अपना लण्ड दे दिया। माँ के मुँह से बीच-बीच में सिसकारी भी निकल जाती थी। वो अपने कठोर लण्ड को माँ के मुँह में मारते रहे और माँ ने अपनी चूत घिसवाना चालू कर दिया।
मुँह से लौड़ा चुसवाते हुए जैसे ही अंकल का वीर्य छलका.. माँ के मुँह से भी सीत्कार निकल पड़ी। माँ अंकल का सारा वीर्य गटक गई थीं.. और अब वे उनके लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ करने लगी थीं।
‘इसमें आपको बहुत मजा आता है ना?’
‘हाँ’ कहते हुए उनके लण्ड को माँ ने हिलाया.. फिर माँ ने अंकल के लौड़े को अपने चिकने बोबे से लगा दिया और उसे अपनी छाती पर घिसने लगी।
माँ अब बिस्तर पर बैठ गईं और अपनी चिकनी चूत को उंगली से पहले सहलाने लगीं.. फिर चूत की फांक को मसलने सी लगीं। फिर माँ ने अपना दाना उभार कर देखा और उसे मसलने लगीं.. उन्होंने अपनी गीली चूत में अपनी उंगली घुसा ली और ‘आह’ भरते हुए हस्तमैथुन करने लगीं।
माँ जल्दी ही झड़ गईं.. वो शायद पहले से ही बहुत उत्तेजित थीं।
माँ के झड़ते ही राज अंकल माँ की चूत का रस चूसने लगे.. माँ ने उन्हें सिसकारी लेते हुए अपनी जांघों के बीच दबा लिया।
‘अब देखो.. मैं फ़िर तैयार हूँ.. अब मैं तुम्हारी जम कर गाण्ड चोदूँगा.. मजा आ जाएगा..’
माँ ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की और उभार दी.. राज अंकल को गाण्ड मारने का शौक था, उन्होंने धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और माँ मस्त हो गईं..
ये सब देखने में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।
माँ की गाण्ड को अंकल ने बहुत देर तक बजाया, माँ भी अंकल के स्खलित होने तक गाण्ड चुदाती रहीं।
माँ की गाण्ड मार कर अंकल सुस्ताने लगे।
‘जूस पियोगे या दूध लाऊँ?’
‘अभी तो दूध ही पियूँगा.. फिर जूस..’
‘ही ही ही..’
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-08-2021, 12:48 PM

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