मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-11-2021, 12:31 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मेरी योनि का सील दो साल पहले ही साइकिल चलाते समय फट गया था. शावर के नीचे नहाते हुए कई बार मैं अपनी दो-तीन उंगलियोंसे हस्तमैथुन भी करती थी. सुरत में पोर्न फिल्म देखने के बाद खीरा, गाजर और मूली भी घुसेड़ चुकी थी. इसलिए मुझे चुदाई से कोई डर नहीं था. बस मनपसंद लड़का मिलना था, जो अब पूरा हो गया था.

अगली रात में पहली बार जब उसने मेरी चूत में अपना कड़क लंड पेल दिया, तब थोड़ा दर्द हुआ मगर जल्द ही दर्द घट गया और मज़ा आने लगा. मेरी टाँगे फैलाकर मिशनरी पोज में पराग मुझे चोद रहा था. दोनों हाथोंसे मेरे स्तन मसलकर मुझे चोदे जा रहा था.

"अनु डार्लिंग, कितने सालोंसे तुझे चोदने के लिए तरस रहा था मैं, अब तू मेरी रानी और मैं तेरा राजा. रोज रात में कम से काम तीन -चार बार चोद चोद कर तुझे पूरा खुश कर दूंगा मेरी रानी. फक, तेरी चूत कितनी मस्त हैं, और कितनी टाइट है."

"आह मेरे राजा, चोद मुझे, फक मी हार्डर, आह आह, चोद मुझे," मैं जोर जोर से चिल्लाती रही.

पंद्रह मिनट तक लगातार चुदाई का दौर चला. हम दोनों पसीने से तर तर हो गए थे.

पोर्न फिल्म तो पराग ने भी देखि थी, इसलिए उसे भी डॉगी पोज के बारे में पता था. "चल मेरी जान, अब तुझे पीछे से लेता हूँ, आजा."

"क्या मस्त गांड हैं तेरी अनु डार्लिंग," कहते हुए उसने पीछे से अपना लैंड पेल दिया. मुझपर झुककर मेरे स्तनोंको निचोड़ता रहा और डॉगी पोज में चोदता गया. करीब पंद्रह मिनट के बाद जब उसका पानी छूटने वाला था तब उसने पूंछा, "कहाँ निकालू मेरा पानी?"

मैंने कहा, "अंदर ही छोड़ दे गर्मागर्म पानी. मेरी प्यास बुझा दे जानू."

अगले ही पल मुझे गरम वीर्य का मेरी चूत के अंदर विस्फोट होता महसूस हुआ. दोनों भी बिलकुल निढाल हो कर काफी देर तक लेटे रहे. फिर उसने मुझे अपनी बाहोंमें भरके प्यार से चूम लिया. फिर हम दोनों सपनोंकी दुनिया में खो गए. सुबह के चार बजे के करीब फिर से चूत और लौड़े का घमासान युद्ध हुआ और अब की बार सिक्सटी नाइन की पोज में उसका पानी मेरे मुँह में झड़ गया.

अगले तीन साल तक यही दौर चला, दिन में जमके पढ़ाई और रात में जमके चुदाई. मैं जो कंप्यूटर सायन्स में अपने बलबूते पर पास भी न हो सकती थी, उसे अंतिम परीक्षा में ६५% मार्क्स मिले. पराग पूरे क्लास में हर साल अव्वल रहा और उसे ८६% मार्क्स मिले. हम दोनोंकी जोड़ी अच्छा रंग लायी. पढ़ाई और चुदाई का यह अनोखा मेल रहा. अंतिम साल आते आते, पराग को बैंगलोर की बड़ी कंपनी में बहुत अच्छी नौकरी लग गयी. जैसे ही उसने ज्वाइन किया, दो महीने के बाद मैंने उसे मेरे डैड से हमारी शादी के लिए बात करने के लिए कहा.

पहले तो डैड इस रिश्ते के लिए राजी नहीं हुए, मगर हम दोनोंने उन्हें मना लिया. धूमधाम से शादी हुई और हम दोनों हनीमून मनाने के लिए मालदीव चले गए. बड़े से पांच तारांकित (फाइव स्टार) होटल में दस दिन का हनीमून सूट का प्रबंध था.

एक तो हनीमून, उसमे भी मालदीव जैसी रूमानी जगह, और पहचान ने वाला कोई नहीं. हम जब रूम के अंदर चुदाई नहीं करते थे, तब बीच पर और स्विमिंग पूल में बिंधास्त मस्ती करते. पराग सिर्फ शॉर्ट्स में और मैं सिर्फ टू पीस बिकिनी में घुमते, आलिंगन, चुम्बन और मौज मस्ती करते रहते. होटल के कई लोग (आदमी और औरते भी) हमें घूरते रहते. एक दो कपल्स आकर हमसे दोस्ती करने की कोशिश भी करे, मगर हमने किसी को घास नहीं डाली. हनीमून पर सिर्फ मैं और मेरा पराग, बस हम दोनों ही जिंदगी का मजा ले रहे थे.

हमारे मालदीव से निकलने के दो दिन पहले होटल में एक बड़ी पार्टी थी. बड़े से बॉल रूम के अंदर लगभग सात सौ लोग झूम रहे थे और शराब में डूबे हुए थे. ज्यादा तर लोग जवान जोड़े ही थे, जो आलिंगन, चुम्बन और एक दुसरे को सहलाने में मग्न थे. पराग ने मुझे आँखों आंखोमें पूछा और मैंने भी अपनी हामी भर दी. हम दोनों नाचते नाचते बॉल रूम के बीच लगे हुए बड़े से टेबल पर चढ़ गए और नाचते नाचते अपने कपडे उतारने लग गए. सारी भीड़ की नज़रे हम पर आ गयी.

अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और पराग सिर्फ छोटी सी फ्रेंची में. हमें देखते देखते बाकी के लोग भी अपने और अपने पार्टनर के कपडे उतारने लगे. जैसे ही मेरी ब्रा निकल गयी, सभी लोगोने जोरशोरोसे चिल्लाकर मुझे और भी प्रोत्साहित किया. किसी और के सामने नंगा होना (और चुदाई करना) हम दोनोंके लिए बिलकुल ही नया था. आवेश में आकर मैंने पराग की फ्रेंची खींचकर उतार दी, और उसने भी मेरी ब्रा और पैंटी खोल दी. अब सारे लोग तालिया बजा बजाकर "फक, फक" के नारे लगाने लगे.

पराग ने मुझे टेबल पर सुला दिया और सैंकड़ो लोगोंके सामने चोदना शुरू किया. हमारी देखा देखि थोड़े और जोड़े भी चुदाई में जुट गए. मेरे वक्षोंको मसलते हुए पराग मुझे चोदता गया. फिर हम कभी मिशनरी तो कभी डॉगी और कभी सिक्सटी नाइन में सम्भोग सुख लेते गए. एक बार झड़ने के बाद आधा घंटा विश्राम किया और फिर चुदाई में लग गए. टेबल काफी बड़ा होने के कारण पांच सात और जोड़े हमारे इर्द गिर्द लेट कर चुदाई का आनंद लेने लगे. एक या दो जोड़े भारतीय, बाकी के सारे जोड़े अमेरिकन या यूरोपियन थे. सारे जोड़े एक दुसरे से काफी नजदीक थे और मुस्कुराकर दूसरोंके पार्टनर की तरफ देखते हुए अपने पार्टनर को चोद रहे थे. जब मैं और पराग दुसरे राउंड के बाद थक कर लेटे, तब एक ऑस्ट्रेलियाई जोड़ा हमारे और करीब आया. लड़की २६ या २७ साल की थी और लड़का २८ साल का होगा. दोनों भी दिखने में आकर्षक और सेक्सी थे. लड़की के बड़े बड़े बूब्ज़ देखकर पराग की तो लार टपकना ही बाकी थी.

जैसे ही लड़के ने पास आकर मेरे सामने अपनी बाहे फैलाई, मैंने पराग की और देखा. उसने इशारा कर दिया और मैं उस सुन्दर और तगड़े युवक से लिपट गयी. उसने अपना नाम जॉन बताया. पराग ने उस सेक्सी लड़की को आलिंगन किया और उसने अपना नाम क्रिस्टीना बताया. चारो चूमा चाटी में लग गए. इतने सारे लोगोंके सामने दो बार चुदाई करने के बाद हमारी लज्जा हमारे कपडोंकी तरह उतर चुकी थी. होंठ चूसना, वक्षोंको मसलना/चूसना, टाँगे और गांड को सहलाना और चूत में ऊँगली से सुख देना काफी देर तक जारी रहा. इतना सब होने के बाद भी मैं किसी अनजान लड़के से पूर्ण सम्भोग के लिए तैयार नहीं थी.

मैंने पराग को इशारा कर दिया. फिर हम दोनोंने उन दोनोंको अपनी अपनी बाहोंसे छुड़ाया, सॉरी कहा, और अपने कपडे उठाकर कमरे की तरफ चल दिए. कमरे में जाते ही टब बाथ में खूब नहाये और फिर बिस्तर पर शुरू हो गए.

"पराग, उस लड़के का, जॉन का, लौड़ा इतना मस्त, मोटा और लम्बा था," मेरे मुँह से अचानक निकल गया.

"हाँ अनु डार्लिंग, मैंने भी देखा. और क्रिस्टीना तो क्या जबरदस्त माल थी. ये बड़े बड़े बूब्ज और एकदम टाइट चूत," उसने भी बेबाक होकर कहा.

अगले एक घंटे तक हम दोनों जॉन और क्रिस्टीना के बारे में सोच सोच कर सेक्स का आनंद लेते रहे. जीवन में पहली बार किसी और के बारे में कल्पना करते हुए हम एक दुसरे को चोद रहे थे.

"क्या तुम सचमुच क्रिस्टीना को चोदना चाहते थे, सच बताओ."

"सच तो ये हैं की, हाँ मैं उसे चोदने के लिए तैयार था. मगर अगर तुम जॉन से चुदने के लिए राजी होती तो ही."

"पराग, वो दोनों अनजान लोग, उनको कोई गुप्तरोग या कोई ऐसी बीमारी भी हो सकती थी. और वैसे भी मैंने आज तक तुम्हारे सिवा किसी और के साथ सेक्स करने के बारे में कभी भी नहीं सोचा।"

"हाँ, मेरी जान, कोई बात नहीं. हम दोनों अपने आप से बहुत खुश हैं."

मैंने पराग की बात मान तो ली, मगर दिल के एक कोने में एक ख़याल जरूर आया, की हर मर्द की तरह इसे भी किसी दूसरी सुन्दर सेक्सी लड़की को चोदने की तमन्ना तो हैं.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-11-2021, 12:31 PM

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