मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
07-20-2021, 12:04 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
रोहित की कमर और दोनों जांघो वाला हिस्सा अब निधी के गांड़ की दोनों गोल उभारों में सट गया था जबकि उसका लण्ड वाला हिस्सा उन दो गोल गुंबदो के बीच घुस गया था !

Feeling तो आखिर Feeling ही होती है जो इंसान महसूस करता है और जिसका Logic हर वक़्त ना खोजना संभव है और ना समझना. रोहित को भी जब किसी नरम मुलायम गद्दे जैसी अपनी बहन के गांड़ का उभार Feel हुआ तो ना चाहते हुए भी, या फिर यूँ कहें, की उसकी इच्छा के विरुद्ध, उसका लण्ड उसकी पैंट में फूलने लगा !!!

पानी में पूरी तरह से भीगे होने के कारण उसके Trouser के अंदर उसका अंडरवीयर भी ढीला और लचीला हो गया था, जिसकी वजह से उसका अंडरवीयर ज़्यादा देर उसके लण्ड के बढ़ते उभार और आकार को दबा नहीं पाया. उसका लण्ड उसके जांघिये में नीचे की ओर मुड़े हुए ही खड़ा होने लगा !

निधी की ओर से अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई थी. Situation हाथ से बाहर जाता देख रोहित ने धीरे से अपनी कमर पीछे खिसका कर अपने लण्ड को अपनी बहन की गांड़ की दरारों से बाहर निकाला, और थोड़ा Side होने की कोशिश की ताकि वो उसकी गांड़ से ना सटे. पर इस प्रयास में चूंकि पीछे से भीड़ का काफी दबाव था, उसका लण्ड बाहर तो निकला पर इस बार वापस जाकर निधी की बाई गांड़ के गुंबद पे टिक गया. और ये निधी ने बहुत ही अच्छे से बिना किसी गलतफहमी के महसूस भी किया !!!

" Are You Okay भैया ? मैं थोड़ा हटूं क्या ? ". निधी ने अपनी गर्दन पीछे की ओर बस इतना सा घुमा कर पूछा की उसकी आँख भैया के आँख से ना मिले.

" हाँ Yes... Sorry... I Told You ना UBER से चलते हैं... बेकार हो गया ! ". रोहित ने जितना हो सका अपनी आवाज को स्वाभाविक बना कर कहा, जैसे की कुछ हुआ ही ना हो.

निधी ने अपने भैया का लण्ड साफ अपनी गांड़ पर महसूस कर लिया था, उसे थोड़ा अजीब लगा पर वो जानती थी की ये Intentional नहीं था. निधी ने अपनी गांड़ थोड़ी सी हिला कर Adjust करनी चाहि पर उससे मामला और बिगड़ गया !

निधी की इस हरकत से रोहित का लण्ड घिसट कर वापस उसकी गांड़ की दरार में फिट हो गया और इस बार रोहित का नीचे मुड़ा हुआ लण्ड जांघिये में थोड़ी सी जगह पाकर सीधे ऊपर की ओर उठ गया !!!

रोहित और निधी इतने सालों से एक साथ एक ही कमरे में रह रहें थें, रोहित ने कभी भी ऐसा महसूस नहीं किया था जैसा वो अब कर रहा था. ऐसी बात नहीं है की वो कभी अपनी बहन के इतना करीब ना गया हो, दोनों एक ही बिस्तर पर सोते थें, इससे ज़्यादा करीबी और क्या हो सकती है.

पर हमेशा से एक Normal भाई बहन रहे इन दोनों के बीच अभी जो भी हो रहा था, ऐसा क्यूं हो रहा था अगर मुझे पता होता तो मैं ज़रूर लिखता यहाँ !!!

दोनों भाई बहन सामने ऊपर की तरफ बस का Rod पकड़े खड़े थें. रोहित का मुँह अपनी बहन के भीगे खुले बालों के ठीक पीछे था... उसके बालों से आ रही बारिश के पानी और शैम्पू की घुली मिली महक ने मानो बहन और एक लड़की के बीच का संकरा फासला कम कर दिया था.

अभी तक तो रोहित असमंजस में था की क्या हो रहा है और वो क्या करे और क्या ना करे, पर अब जब उसका लण्ड पूरी तरह से टाईट ठनक कर खड़ा हो गया तो उसने समझ लिया की वो अपनी ही सगी बहन के बदन से सट कर कामोत्तेजित हो रहा था !!!

अब रोहित के पास बस एक ही रास्ता था... ये टेस्ट करना की उसकी छोटी बहन क्या चाहती है, अगर वो तिनका भर भी आपत्ती दिखायेगी तो उसे तुरंत खुद को रोक लेना होगा.

रोहित ने अपनी कमर हल्के से सामने की ओर बढ़ाई तो निधी की गांड़ के बीच रगड़ खा कर उसके लण्ड का चमड़ा पीछे खिसक कर खुल गया और उसका मोटा सुपाड़ा बाहर निकल आया. अब रोहित अपने भीगे Trouser में अपने खड़े लौड़े का सुपाड़ा खोले अपनी बहन की गोल गदराई चूतड़ से टिका खड़ा था !!!

निधी का रहा सहा शक भी अब जाता रहा की जो कुछ भी हो रहा था वो अनजाने में हो रहा था. वो समझ गई की उसके भैया बेचारे Situation के सताये कामोन्मादित हो रहें थें. Situation के सताये और मारे ही कहेंगे ना... क्यूंकि निधी समझ रही थी आज तक उसके भैया ने ना जाने कितनी बार उसे नाईटी में, Hot Pants में, Skirt में और पजामे में देखा था, पर कभी भी उसपे गंदी नज़र नहीं डाली थी. आज का दिन मगर कुछ और ही था... मन ही मन निधी थोड़ा मुस्कुराई, पर कुछ ना बोली, चुप रही.

इधर रोहित का मन बढ़ गया जब उसकी बहन की ओर से ऐसा कोई इशारा नहीं हुआ जिसके द्वारा वो अपनी असहमति दिखाए. फिर क्या था, उसने एकदम धीरे धीरे निधी की नरम गांड़ में अपना लण्ड ठेलना शुरू किया. उसके खड़े लण्ड का सुपाड़ा तो पहले ही खुल चुका था, सो अपने पानी में गीले भीगे अंडरवीयर के अंदर अपना लौड़ा घिसने में उसे ऐसी आनंद की अनुभूति होने लगी की वो बयां नहीं कर सकता था !

अभी उसने तीन चार बार ही अपना लण्ड रगड़ा होगा की बस रुक गई... कोई Stopage आया था. वो थोड़ा संभल कर खड़ा हो गया पर उसने देखा की जितने लोग बस से उतरे नहीं उससे ज़्यादा लोग चढ़ गयें, भीड़ और बढ़ गई थी. बस फिर से चल पड़ी.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 07-20-2021, 12:04 PM

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