मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:51 PM,
#71
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
कुंवारी पड़ोसन की चुदाई

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम जय है और में दिल्ली का रहने वाला हूँ, दोस्तों यह मेरी राज शर्मा स्टॉरीज पर आज पहली कहानी है जिसको में आज आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ, यह मेरी एक सच्ची चुदाई की घटना है जिसमें मैंने अपने पड़ोस में रहने वाली अपनी पड़ोसन को चोदा, उसका नाम ललिता है। दोस्तों मुझे सेक्स करना बहुत अच्छा लगता था और जब भी में अपनी पड़ोसन को देखता उसी के बारे में सोचने लगता और कई बार उसके बारे में सोचकर मुठ भी मार चुका था क्योंकि वो थी ही इतनी सेक्सी और उसका वो गदराया हुआ बदन मुझे अपनी तरफ आकर्षित करने लगा था। उसका वो मस्त फिगर, पतली कमर और मस्त गांड मुझे अब बहुत अच्छी लगने लगी थी। मैंने बहुत बार उससे अपने मन की बात को कहना चाहा, लेकिन में ना जाने क्यों उससे कह ना सका और वो भी जब भी मुझे देखती थी तो स्माइल देने लगी थी और अब में अपनी उस घटना पर आता हूँ और आपको वो चुदाई की घटना पूरी विस्तार से सुनाता हूँ।

दोस्तों यह कहानी आज से दो साल पहले की है और दोस्तो में आपको अपने बारे में भी बता देता हूँ कि में बीसीए में एक कॉलेज का स्टूडेंट हूँ और मेरी हाईट 5.7 है और ललिता की हाईट 5.3 है, वो दिखने में एकदम एक सेक्स बॉम्ब है। उसको पहली बार में देखकर हर किसी का लॅंड सालामी देने लगता था, वो जब से 12th क्लास में थी तो में उसको तब से मन ही मन बहुत प्यार करने लगा था और जबसे वो हमारे पड़ोस में रहने के लिए आई थी उसका हमारे घर पर आना जाना लगा रहता था और में भी कभी कभी किसी ना किसी बहाने से उसके घर पर चला जाता था और उसे एक बार देखकर चला आता और वो भी मेरा उसके घर पर आने का मतलब समझने लगी थी कि में क्यों बार बार उसके घर पर आता जाता रहता हूँ। एक दिन उसकी मम्मी हमारे घर पर आई और उन्होंने मुझसे कहा कि वंदना के लेपटॉप में कुछ समस्या आ गई है, तुम घर पर चलकर ज़रा उसे देख लेना।

फिर मैंने उनसे कहा कि ठीक है आंटी जी में आज शाम को आपके घर पर आ जाऊंगा और आपको लेपटॉप की समस्या के बारे में बता दूंगा। आंटी मुझसे बोली कि ठीक है और अब उनके चले जाने के बाद में मन ही मन बहुत खुश हुआ और भगवान को मन ही मन धन्यवाद देने लगा। फिर में शाम को उनके घर पर चला गया और मैंने वहां पर पहुंचकर देखा कि आंटी और वंदना दोनों टीवी देख रहे थे, तब आंटी ने मुझसे बैठने के लिए कहा और में वहीं पर सोफे पर बैठ गया। अब तुरंत ललिता अपनी जगह से उठी और वो मेरे लिए पानी लेकर आ गई, वो जब मुझे पानी देने के लिए मेरे सामने आकर झुकी तो उसके वो बड़े ही सुंदर बूब्स मुझे साफ साफ दिखाई देने लगे। फिर में कुछ देर बूब्स को बिना पलके झपकाए एक टक नजर से देखने लगा और उसकी भी नजरे ठीक मेरी नजर के ऊपर थी तो में कुछ देर उसके बूब्स को देखकर अपनी नजर उस पर से हटाकर उसकी तरफ देखकर बोला कि कहाँ है लेपटॉप? तब आंटी उससे बोली कि तुम इसे अपने रूम में ले जाओ और अपना लेपटॉप अच्छी तरह से दिखा दो और तुम्हे जो भी समस्या हो वो भी बता देना। फिर वो मुझे अब अपने रूम में ले गई और फिर उसने अपना लेपटॉप निकाला और मुझे देते हुए उसने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा कि यह अभी कुछ दिनों से बड़ा ही धीरे चल रहा है। फिर मैंने कहा कि ठीक है और में अब उसका लेपटॉप चेक करने लगा, वो रूम से बाहर चली गई। फिर मैंने लेपटॉप की कुछ इंटरनेट फाइल्स को खोलकर देखा और मैंने उसमे पाया कि वो सभी फाइल्स पॉर्न साइट्स से भारी पड़ी है और थोड़ी देर में वो वापस आ गई और मुझसे पूछने लगी कि क्या समस्या है? तो मैंने कहा कि इसमे बहुत सारे वाइरस है तो वो कहने लगी कि अब क्या होगा? मैंने कहा कि कोई बात नहीं इसमे मुझे एक एंटीवायरस डालना पड़ेगा। फिर वो मुझसे बोली कि डाल दो तो मैंने उससे कहा कि मेरे पास इस समय कोई एंटीवायरस सीडी नहीं है और फिर मैंने उससे कहा कि में कल आकर डाल दूँगा। फिर उसने कहा कि ठीक है और तभी में रूम से उठकर बाहर आ गया और आंटी मेरे लिए चाय बनाकर ले आई और में चाय पीने लगा, तभी मैंने आंटी को फोन पर किसी से बात करते हुए सुना कि वो कल कहीं बाहर जा रही है और मुझे उनकी बातों से पता चला कि सिर्फ़ आंटी और अंकल ही चार पांच दिनों के लिए कहीं बाहर जा रहे है।

अब मैंने अपनी चाय ख़त्म की और में अपने घर की और जाने लगा, तभी आंटी ने मुझसे पूछा कि क्यों बेटा लेपटॉप ठीक हो गया? तो मैंने कहा कि जी नहीं आंटी, उन्होंने पूछा कि वो क्यों ठीक नहीं हुआ क्या उसमे कुछ ज्यादा समस्या है? तो मैंने उनको वो सब समस्या जो कुछ देर पहले मैंने उस लेपटॉप के अंदर देखी सब उन्हें बता दी और उनसे कहा कि में कल आ जाऊंगा। फिर उन्होंने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा कि ठीक है तुम कल आकर उसे ठीक कर देना और में अब अपने घर पर चला आया और अगले दिन जब में वंदना के घर पर पहुँचा तो मैंने देखा कि वो घर पर बिल्कुल अकेली थी और जब मैंने उससे पूछा तो उसने मुझे बताया कि उसके मम्मी, पापा तीन चार दिन के लिए किसी काम से बाहर गए हुए है। फिर मैंने कहा कि ठीक है और फिर वो मुझे अपने कमरे में ले गयी। मैंने उसके लेपटॉप में एंटीवायरस इनस्टॉल किया और फिर लेपटॉप को स्केन करने लगा, तब मुझे एक अजीब से नाम की फाइल्स दिखी जब मैंने वो फाइल्स को खोलकर देखा तो उसमे सेक्सी फिल्म और कुछ नंगे फोटो थे। में अब उन्हें बहुत देखकर हैरान हो गया क्योंकि मुझे उससे पहले बिल्कुल भी नहीं पता था कि वो भी एसी नंगी फिल्म या फोटो देखती है। तभी अचानक से वो वहां पर आ गई और मुझसे पूछने लगी कि क्यों लेपटॉप ठीक हो गया? तो मैंने तुरंत उन्हें हड़बड़ाहट में बंद कर दिया और कहा कि हाँ यह बिल्कुल ठीक हो गया है, लेकिन शायद वो मेरे चेहरे के उड़े हुए रंग और अचानक आए उस पसीने की वजह को समझ चुकी थी इसलिए वो मुझे अब एक शरारती तरीके से देखने लगी और तब तक मेरे अंदर भी सेक्स की आग अब धीरे धीरे बढ़ने लगी। फिर में वहाँ से उठकर सीधा अपने घर पर चला गया और मैंने तुरंत बाथरूम में जाकर उसके नाम से अपना लंड हिलाकर अपने शरीर की गरमी को बाहर निकालकर अपने लंड को शांत किया और अब में उसकी चुदाई के बारे में सोचने लगा कि में अब कैसे उसे चोद सकता हूँ यह विचार बार बार मेरे मन में आने लगे। फिर उसी शाम को उसकी माँ का मेरे पास फोन आया और उन्होंने मुझसे कहा कि तुम वंदना को रात में अपने घर पर बुला लेना क्योंकि वो आज अकेली है और फिर मैंने इस बात को अपनी माँ को बता दिया और मेरी माँ ने कहा कि ठीक है। फिर उसके कुछ देर बाद में मेरी माँ ने मुझे बुलाया और मुझसे कहा कि तुम वंदना को बुला लाओ, वो आज हमारे घर पर रहगी। फिर में वंदना के घर पर चला गया और जब में वहाँ पर पहुँचा तो मैंने दरवाजा खटखटाया और अंदर से एक आवाज़ आई कौन है दरवाजा खुला है अंदर चले आओ और जब में अंदर गया तो मैंने देखा कि वंदना उस समय टीवी देख रही थी, उसने एक पतला सा गाऊन पहना हुआ था और उसने उसके अंदर ब्रा नहीं पहनी थी जिसकी वजह से गाऊन के अंदर से उसके बूब्स के वो तने हुए निप्पल साफ साफ दिखाई दे रहे थे और अब में उसके बूब्स को लगातार देखता रह गया।

फिर वो उठी और उसने मुझसे बैठने के लिए कहा और फिर वो मेरे लिए पानी लेकर आ गई और जब वो मुझे पानी देने के लिए झुकी तो मुझे उसके बूब्स पूरी तरह दिख रहे थे और अब वो सब देखकर मेरा लंड तुरंत पूरी तरह तनकर खड़ा हो गया और वो मेरे खड़े लंड को लगातार घूर घूरकर देख रही थी। फिर मैंने उसे बताया कि वो आज हमारे घर पर रहगी क्योंकि उसकी मम्मी ने मेरे घर पर फोन करके यह बात कही है और में तुम्हे बुलाने आया हूँ। तो उसने कहा कि ठीक है, में अभी तैयार होकर आती हूँ और में वहीं पर बैठकर टीवी देखने लगा। तभी कुछ देर बाद मुझे उसकी बहुत ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ आई और में भागकर उसके कमरे में चला गया, वो एकदम मेरे पास आकर मुझसे लिपट गई और तब वो बिल्कुल नंगी थी और में उसके सेक्सी जिस्म की उस गरमी को बहुत करीब से महसूस कर रहा था और उसके वो मुलायम बड़े बड़े बूब्स को अपनी छाती से दबते हुए महसूस कर रहा था और में अचानक से हुई इस घटना के लिए भगवान को धन्यवाद देने लगा क्योंकि वो पूरी तरह से मेरी बाहों में लिपटी हुई थी और उसकी वो गरम गरम सांसे में बहुत करीब से महसूस कर रहा था, वो मेरे जीवन का सबसे अच्छा पल था जिसको में आज तक नहीं भुला सका। फिर मैंने ना चाहते हुए भी उससे पूछा कि क्या हुआ? क्योंकि में तो बस उससे ऐसे ही सदा चिपके हुए रहना चाहता था। दोस्तों ये कहानी आप राज शर्मा स्टॉरीज पर पड़ रहे है।

वो कहने लगी कि वो देखो कॉकरोच और इतना कहकर वो मुझसे अलग हो गई और मैंने आगे जाकर कॉकरोच को वहाँ से हटा दिया और मैंने उससे कहा कि ठीक है अब तुम तैयार हो जाओ मैंने उसे भगा दिया है और में अब बाहर जाने लगा, लेकिन अचानक से उसने मुझे रोक दिया और मुझसे कहा कि तुम यहाँ रुको अगर वो कॉकरोच दोबारा आ गया तो। मैंने उससे कहा कि अब वो कॉकरोच कभी नहीं आएगा और वो हंसने लगी तो मैंने उससे पूछा कि तुम मेरे सामने कैसे तैयार होगी? तभी उसने कहा कि तुमने तो पहले ही मुझे पूरा नंगा देख लिया है अब तुमसे क्या शरमाना? तब मैंने उसकी बातों के साथ साथ उसके इरादों को समझते हुए उसे एक लिप किस कर दिया और फिर उसने एक काली कलर की ब्रा निकाली और मेरे सामने पहनने लगी और अब उसने मुझसे कहा कि तुम ही मुझे पहना दो। फिर मैंने आगे बढ़कर उसे ब्रा पहना दी और फिर वो तैयार होकर मेरे साथ घर पर चल दी। फिर हमने चाय पी और उसके कुछ देर बाद माँ ने मुझे बाहर से कुछ सामान लाने को कहा, लेकिन सामान कुछ ज्यादा था इसलिए मैंने बोला कि में इतना सामान कैसे लाऊंगा? तो मम्मी मुझसे बोली कि वंदना को अपने साथ ले जाओ और फिर वो तुरंत मेरे साथ जाने के लिए तैयार हो गई और हम सामान लेने निकल पड़े। वो अब मेरे पीछे बाईक पर बिल्कुल चिपककर बैठ गयी और वो मेरी कमर पर अपने बूब्स रगड़ने लगी और में भी उसके मज़े लेने लगा। हम कुछ देर बाद सामान लेकर वापस आ गये और थोड़ी देर बाद हम खाना खाने लगे और खाना खाने के बाद हम सब टीवी देखने लगे। दोस्तों मेरे पापा तो पहले से ही सो गये थे और थोड़ी देर बाद मम्मी भी उठकर सोने चली गई। अब मेरी बहन प्रिया, ललिता और में ही बचे हुए थे, लेकिन कुछ देर बाद मेरी बहन भी उठकर अपने रूम में सोने चली गई। अब में और ललिता ही वहां पर बचे थे और उस समय टीवी पर चल रही फिल्म में एक हॉट सीन चल रहा था और उसे देखकर वंदना तुरंत बहुत हॉट हो गयी थी और वो अब मेरे पास होने की बात से बिल्कुल बेखबर होकर जोश में आकर अपने एक हाथ से अपने बूब्स दबाने लगी और वो अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी। यह सब देखकर मैंने उससे मुस्कुराकर कहा कि क्या में दबा दूँ? और उसने यह बात सुनते ही होश में आकर एकदम अपना हाथ अपनी छाती से हटा लिया और फिर वो भी वहाँ से तुरंत उठकर सोने चली गई।

दोस्तों में और मेरी बहन एक ही कमरे में सोते है और में यह बात भी बहुत अच्छी तरह से जानता था कि मेरी बहन एक बार सोने के बाद थोड़ी ही देर में गहरी नींद में चली जाती है और उसको दोबारा उठाना बहुत मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है और हमारे घर में सिर्फ़ दो बेडरूम है। फिर मैं भी अब कुछ देर और टीवी देखकर सोने चला गया और जब में अंदर आया तो मैंने देखा कि वंदना सिर्फ़ जालीदार मेक्सी में लेटी हुई है और मेरी बहन अपनी गहरी नींद में जा चुकी थी, फिर भी मैंने उसे एक बार ज़ोर से हिलाकर देखा, लेकिन वो बिल्कुल भी नहीं हिली। अब मैंने फिर से पलटकर उसकी मेक्सी की तरफ देखा जिसमे से उसका गदराया हुआ पूरा बदन साफ साफ नजर आ रहा था और वो बहुत बैचेन सी नजर आ रही थी क्योंकि वो अब अपनी चूत की उस आग को ठंडा करना चाहती थी और इस वजह से वो बार बार करवटे बदल रही थी। फिर में भी अब कुछ देर उसकी बैचेनी को जानकर, समझकर अपने बेड पर आकर लेट गया और अब मुझे भी नींद नहीं आ रही थी क्योंकि आग हम दोनों के जिस्म में बराबर लगी हुई थी इसलिए में भी अपनी आखें बंद करके उसके बारे में सोचता रहा और कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरे साथ लेटा हुआ है, लेकिन फिर भी में अपनी आखें बंद करके लेटा रहा और अब मैंने महसूस किया कि उसका एक हाथ मेरे लंड पर है और वो धीरे धीरे आगे बढ़ता जा रहा है, लेकिन में अब भी वैसे ही लेटा रहा और कुछ देर बाद उसने मेरा लंड हिलाना शुरू कर दिया और अब थोड़ी ही देर में मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया था। फिर मैंने भी सही मौका देखकर अपना एक हाथ तुरंत उसके बूब्स पर रख दिया और अब में भी उसके बूब्स को दबाने लगा, मसलने लगा। फिर में उठकर उसे किस करने लगा और वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उसके कपड़े उतार दिये और उसके बूब्स को चूसने और दबाने लगा। अब हम दोनों 69 पोज़िशन में आ गए और वो मेरा लंड चूसने लगी और में उसकी गरम, प्यासी, चूत चाटने लगा और अब वो मुझसे कह रही थी कि अब मुझसे रहा नहीं जाता प्लीज इसे अंदर डाल दो। फिर मैंने कुछ देर चूत को चूसने के बाद उसके दोनों पैरों को फैला दिया और अपना लंड उसकी चूत के मुहं पर रख दिया और धीरे धीरे अंदर डालने लगा। मैंने महसूस किया कि उसकी चूत एकदम टाईट थी, लेकिन गीली होने की वजह से मेरा लंड फिसलता हुआ धीरे धीरे अंदर जाने लगा और अब मैंने जोश में आकर थोड़ा ज़ोर लगाया तो लंड थोड़ा सा अंदर चला गया और वो चिल्लाने लगी। फिर में अपने होंठो से उसके होंठो को चूसने लगा और उसके बूब्स को दबाने लगा और जब कुछ देर बाद उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने एक ही ज़ोर के धक्के से अपना पूरा का पूरा लंड अंदर डाल दिया और अब उस दर्द की वजह से उसकी आँख से आँसू निकलने लगे और वो मुझे अपने उपर से हटाने की कोशिश करने लगी, लेकिन में नहीं हटा। अब में थोड़ी देर अन्दर वैसे ही बिना हिले-डुले अपना लंड उसकी चूत डालकर पड़ा रहा।

फिर जब कुछ देर बाद उसका दर्द मुझे कम होता हुआ महसूस हुआ तो में एक बार फिर से धीरे धीरे धक्के देने लगा और अब वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और थोड़ी देर बाद उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अब उसने अचानक से अकड़कर अपना पानी छोड़ दिया। मैंने उसका झड़ना महसूस किया, लेकिन में अभी भी उसे लगातार धक्के देकर चोद रहा था और जब मेरा वीर्य निकलने वाला था तभी मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकालकर अपना पूरा वीर्य उसके ऊपर डाल दिया। कुछ देर हम वैसे ही लेटे रहे। फिर हम उठे और बाथरूम जाकर हमने साफ किया और वो मेरा लंड साफ करने लगी। तब मेरा लंड एक बार फिर से उठ गया और मैंने उसे बाथरूम में चोदा, फिर वापस आकर अपने कपड़े पहने और एक स्मूच किया और अपने बेड पर जाकर लेट गये। दोस्तों उसके बाद में उसे तीन दिन तक लगातार जब भी मौका मिलता कभी दिन में उसके घर पर तो कभी रात में मेरे घर पर चोदता रहा। फिर मेरी अच्छी किस्मत से उसके दूसरे दिन मेरे सभी घर वाले भी बाहर शादी में जाने वाले थे, मैंने उनके सामने अपने ना जाने का एक बहुत अच्छा बहाना बना दिया और में वहीं पर रुक गया और उन सभी के जाने के बाद मैंने उसको अपने घर पर बहुत बार चोदा, जब तक उसके घरवाले ना आए। दोस्तों यह थी मेरी अपनी पड़ोसन की एक सच्ची चुदाई की कहानी ।।
Reply
06-08-2021, 12:52 PM,
#72
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
भैया दीदी पर टूट पड़े

ये स्टोरी 3 महीने पहले की है जब दीदी शादी के बाद पहली बार हमारे घर आई थी, दीदी को आए अभी 3 दिन ही हुए थे कि अचानक मेरे नाना की डेथ हो गयी और मम्मी पापा को नाना के यहाँ जाना पड़ा, माँ पापा के जाने के बाद मैं नहाने के लिए बाथरूम मे गयी और जब मैं नहा कर बाथरूम से अपने रूम मे जा रही थी.
तो मुझे दीदी के रूम से अजीब सी आवाज़ें सुनाई दी और मैं ये देखने के लिए दबे पावं दीदी के पास गयी और दीदी के रूम के अंदर का सीन देख कर मेरे पावं के नीचे से ज़मीन खिसक गयी क्योंकि रूम मे दीदी पूरी नंगी संचित भैया की गोद मे बैठी थी और संचित भैया दीदी के बूब्स को मसल रहे थे और दीदी से पुच्छ रहे थे कि तेरा पति तुझे कैसे चोदता है.
दीदी ने कहा भैया उसका लंड तो बहुत छ्होटा है और मेरी चूत मे कहाँ चला गया पता ही नही चलता क्योंकि आपके लंड ने मेरी चूत का सुराख इतना खोल दिया है कि तेरे जीजा का लंड कब अंदर गया और कब बाहर आया पता ही नही चलता,ये बोल कर दीदी भैया की गोद से उठी और मैं भैया का मस्त लंड देख कर दंग रह गयी.
क्योंकि भैया का लंड लगभग 10 इंच लंबा और 4 इंच मोटा था फिर दीदी ने भैया का लंड पकड़ कर अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी, दीदी भैया का लंड चूस रही थी और संचित भैया दीदी के मूह को चोदने लगे, तभी दीदी ने लंड मूह से निकाला और हान्फते हुए बोली मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ तू आराम से चोद और फिर भैया ने कहा दीदी मैं तुझे चोद्ने के लिए कितने दिनो से तड़प रहा हूँ और तू साली आराम से चोद्ने को बोल रही है.
तो दीदी ने कहा भैया मैं तेरे लंड के लिए चूत का पक्का इंतज़ाम कर देती हूँ, ये सुन कर भैया ने कहा दीदी तुम किसकी बात कर रही हो तो दीदी ने कहा मैं नेहा को तुमसे चुदवाने के बारे मे कह रही हूँ, ये सुन कर मैं हैरान हो गयी और भैया ने दीदी को चूमते हुए कहा वाह दीदी तुम तो पूरी रंडी निकली.
इस पर दीदी ने कहा मैं तो पूरे गर्व से कह सकती हूँ कि मई अपने सगे भाई की रखैल हूँ और अब मैं अपनी छोटी बेहन को भी अपने भाई की रखैल बनाने जा रही हूँ.
ये सुन कर भैया ने दीदी को कहा कि अब तुम जल्दी से घोड़ी बन जाओ तो दीदी ने कहा भैया आज तुम अपनी बेहन का दूध नही पीओगे ये कह कर दीदी ने अपना एक बूब भैया के मूह मे डाल दिया और भैया छोटे बच्चे की तरह दीदी का दूध पीने लगे.
फिर थोड़ी देर बाद दीदी ने कहा अब तुम बच्चे से कुत्ते बन जाओ और भैया ने दीदी का बूब छोड़ कर अपनी जीब दीदी की चूत मे घुसा दी भैया दीदी की चूत को ऐसे चाट रहे थे जैसे कोई आइस क्रीम चाट रहा हो.
5 मिनिट चूत चाटने के बाद दीदी की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और भैया दीदी की चूत का सारा पानी पी गये.
फिर भैया ने अपना लंड दीदी की चूत के सुराख पर रख कर एक ज़ोर से धक्का मारा और अपना पूरा लंड दीदी की चूत मे घुस्सा दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए दीदी को चोदने लगे और दीदी भी नीचे से अपनी गान्ड उठा कर चुद्ने लगी और चुदते हुए बोलने लगी.
आआआआअ.. भैया ज़ोर से चोदो आआआआ.. भैया आपके लंड की चोट मेरी बच्चेदानी पर पड़ रही है आआआआअ.. भैया आज चोद कर मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो तेरे जीजा तो मुझे माँ नही बना सकते आआआआ…
भैया ज़ोर से òऊऊऊऊ और ज़ोर से चोदो आआआआ.. भैया ज़ोर से चोदो आआआआ.. भैया ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए दीदी को चोद्ने लगे, फिर थोड़ी देर बाद भैया ने कहा ले मेरी रंडी ले अब अपने भाई का वीर्य अपनी चूत मे लेकर अब तू मेरे बच्चे की माँ बन जा और अपने लंड से वीर्य की पिचकारी दीदी की चूत मे छोड़ दी और दीदी के उपर ही पड़े रहे.
फिर भैया ने दीदी की चूत से खींच कर अपना लंड बाहर निकाल लिया और लंड फच की आवाज़ के साथ दीदी की चूत से निकल आया, फिर दीदी ने भैया का लंड और भैया ने दीदी की चूत को चाट कर साफ किया और अपने कपड़े पहनने लगे.
मैं भी वहाँ से हट गयी और अपने रूम मे आ गयी और सोचने लगी कि जब दीदी मुझसे भैया से चुद्ने के बारे मे पुछेगि तो मैं क्या जवाब दूं,मैं तो सोचती थी कि अपनी चूत का उद्घाटन मैं अपने पति से कर्वाउन्गि और यहाँ तो मेरा अपना सगा भाई ही मुझे चोदने को तैयार है.
काफ़ी देर सोचने के बाद मैने फ़ैसला किया कि मेरे पति का लंड जाने कैसा होगा क्यू ना भैया के मोटे और लंबे लंड से अपनी चूत की सील तुड़वा लूँ और ये सोच कर मैं खुद ही दीदी के पास जाने लगी कि तभी दीदी मेरे पास आई और मुझसे बोली नेहा मैने तुमसे एक बात करनी है अगर तुम बुरा नही मनोगी तो मैं बोलूं मैने कहा दीदी बोलो क्या बात है तो दीदी ने कहा मैं ज़्यादा घुमा फिरा कर बात नही करती.
और मुझसे बोली नेहा क्या तेरा कोई बॉय फ्रेंड है तो मैने जान भुज कर शरमाते हुए बोली दीदी ये आप क्या कह रही हैं मैं क्या आपको ऐसे लड़की लगती हूँ इस पर दीदी ने कहा तो फिर तुम अपने जिस्म की आग को कैसे ठंडा करती हो ये सुन कर मैं कुच्छ नही बोली और अपनी नज़रें नीची कर ली.
दीदी ने फिर कहा नेहा बताओ ना मैं जो तुमसे पुच्छ रही हूँ, मैने फिर धीर्रे से कहा दीदी क्या तुम भी, फिर दीदी ने कहा अच्छा ये बता अगर मैं तेरी चुदाई का इंतज़ाम घर मे ही कर दूं तो.
मैं ये बात सुन कर मन ही मन बहुत खुश हुई पर मैं चोन्क्ते हुए इधर उधर देखने लगी तभी स्नेहा दीदी ने कहा क्यूँ नाटक कर रही हो मुझे पता है तेरा मन भी चुदने को कर रहा है पर तू शरम से बोल नही रही.
मैं शरमाते हुए धीर्रे से बोली दीदी मन तो मेरा भी बहुत करता है कि मुझे भी कोई मर्द अपनी बाहों मे लेकर खूब प्यार करे और मुझे ज़ोर से चोदे पर मैं तो सिर्फ़ अपने पति को ही अपना जिस्म सोपूंगी और मेरा पति ही मेरे साथ सुहाग रात मनाएगा.
ये सुन कर दीदी ने कहा नेहा पागल मत हो क्या पता तेरा पति तुझे अच्छे से चोद ही ना पाए और तू चुद्ने के लिए तड़पति रहे, मैने कहा दीदी तुम मुझे किस से चुदवाना चाहती हो तो दीदी ने कहा पहले तू मुझसे वादा कर कि तू मेरी बात मानेगी मैने कहा दीदी मैं तुम्हारी हर बात मानूँगी प्लीज़ मुझे बताओ कि तुम मुझे किस से चुदवाना चाहती हो तो दीदी ने कहा अगर तुम किसी को कुच्छ नही बोलोगि तो मैं संचित भैया के बारे मे सोच रही हूँ.
ये सुन कर मैने दीदी को कहा दीदी तुम ये कैसी बात कर रही हो संचित हमारा भाई है और तुम छिह, फिर दीदी ने कहा अगर तुम तैयार हो तो संचित भाईया की बात मुझ पर छोड़ दे.
फिर मैने पुछा दीदी तुझे क्या लगता है क्या संचित भाईया मान जाएँगे, तो दीदी ने कहा भैया को मैं खुद मना लूँगी, फिर मैने कहा दीदी मुझे तो डर लग रहा है ,दीदी ने कहा कैसा डर तो मैने कहा दीदी पता नही भैया का लंड कैसा होगा और मैं पहली बार चुदुन्गि और मैने सुना है कि पहली बार चुद्ने मे बहुत दर्द होता है.
फिर दीदी ने कहा हाँ ये ठीक है कि जब चूत की सील टूटती है तो दर्द होता है पर मज़ा भी बहुत आता है और ये कह कर दीदी ने अपनी नाइटी उतार दी और अपनी टाँगो को फैला कर मुझे अपनी चूत दिखाने लगी और बोली नेहा देख तेरी चूत भी चुद्ने के बाद ऐसी हो जाएगी,मैं दीदी की चूत देख कर बोली दीदी तेरी चूत तो काफ़ी खुल्ली हुई है और मेरी चूत तो एकदम बंद है क्या जीजा जी ने चोद कर तेरी चूत इतनी खोल दी है.
तो दीदी ने कहा अरे तेरे जीजा मे इतना दम कहाँ जो मुझे ढंग से चोद भी सके ये तो संचित भैया के गधे जैसे लंड का कमाल है जब भैया का गधे जैसा मस्त लंड मेरी चूत मे जाता है तो मत पुछो कितना मज़ा आता है, मैं दीदी को देखते हुए हँसने लगी तो दीदी ने मुझसे हँसने के बारे मे पुछा.
तो मैने कहा दीदी मैं आज सुबह तुम दोनो की चुदाई देख चुकी हूँ और मैं तो कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ कि तुम कब आ कर मुझे भैया से चुदने के लिए कहो और भैया कब मुझे चोदे,ये सुन कर दीदी ने भैया को आवाज़ दी संचित भैया आ जाओ नेहा मान गयी है.
तभी संचित भाईया नंगे ही हमारे पास आ गये और दीदी के बूब्स को पकड़ कर मेरी तरफ देखने लगे और मैं वहाँ से भाग कर दूसरे रूम मे चली गयी तो भैया ने दीदी को इशारे मे पुछा इसे क्या हुआ और दीदी मेरे पास आई और पुछ्ने लगी नेहा क्या हुआ तो मैने कहा दीदी मैं अभी नही चुदुन्गि मई तो आज रात को अपने पति के साथ अपनी सुहाग रात मनाउन्गि.
ये सुन कर दीदी ने कहा नेहा ये तुम क्या कह रही है तो मैने कहा दीदी मैं चाहती हूँ कि आज रात को भैया मुझे अपनी पत्नी मान कर मेरे साथ सुहाग रात मनाएँ और तब तक मैं अपनी चूत के बाल भी सॉफ कर लूँगी.
तो दीदी ने कहा ला मैं तेरी झान्टे सॉफ कर देती हूँ तो मैने कहा नही दीदी मेरी चूत के पहले दीदार मेरे पति यानी संचित भाईया ही करेंगे और शरमा कर अपनी नज़रें नीची कर लीं, तभी भैया भी अंदर आ गये और बोले स्नेहा नेहा ठीक कह रही है.
मैं आज रात को अपनी छोटी बेहन की चूत की सील तोड़ूँगा तब तक मैं तुमसे ही अपना काम चला लेता हूँ और भैया दीदी पर टूट पड़े और दीदी भी भैया का साथ देने लगी और जब भैया दीदी को चोद रहे थे और दीदी भी नीचे से अपनी गान्ड उठा कर चुद रही थी.
तो अचानक भैया ने अपना लंड दीदी की चूत से निकाल लिया और अपने लंड को दीदी के मूह मे डाल दिया और बोले ले साली कुतिया ले अब तू अपने भाई का मूत पी और एक मोटी मूत की धार दीदी के मूह मे छोड़ दी और दीदी भी मस्त हो कर भैया का मूत पीने लगी जब दीदी भैया का सारा मूत पी गयी.
तो दीदी ने भैया को कहा भैया आज तुमने मेरी चूत मे क्यूँ नही मुता तो भैया ने कहा साली कुतिया मेरे मूत से तेरी कोख मे जो मेरा बच्चा है वो खराब हो जाता तो दीदी ने हैरान होते हुए कहा भैया तुम्हे कैसे पता चला कि मैं तेरे बच्चे की मां बनने वाली हूँ.
तो भैया ने कहा सुबह जब मैं तुझे चोद रहा था तब तू ही बोल रही थी कि हाँ भैया तेरे लंड की चोट मेरी बच्चेदानी पर पड़ रही है आज तेरा वीर्य मेरी बच्चेदानी मे ही गिरेगा और मैं तेरे बचे की माँ बनूँगी, ये सुन कर भैया और दीदी दोनो हँसने लगे.
फिर मैने बाथरूम मे जाकर अपनी झान्टे साफ की और नहा कर अपने रूम मे आ कर एक पतली सी नाइटी पहन ली और नीचे से नंगी ही रही और खूब अच्छी तरह से सजी और रात का इंतज़ार करने लगी.
और रात को आठ बजे दीदी मेरे पास आई और मुझसे बोली नेहा तुम तैयार हो तो मैने हाँ मे जवाब दिया और दीदी ने भैया को कहा लो भैया तेरी दुल्हन तैयार है अब तू मेरी भाबी के साथ अपनी सुहाग रात मना ले और खुद नंगी मेरे पास आ गयी और दीदी के पीछे ही भैया भी नंगे ही मेरे पास आ गये.
और आते ही मेरे 30 के बूब्स को मेरी नाइटी के उपर से ही पकड़ लिया और ज़ोर से मसल्ने लगे और मेरी नाइटी को उतार दिया अब मे भैया के सामने बिल्कुल नंगी थी और भैया मेरे गोरे चिट जिस्म को देखते हुए बोले वाह नेहा तेरा जिस्म तो बहुत खूबसूरत है और अपना हाथ नीचे मेरी चूत पर ले गये और मेरी चूत के टिट को अपनी उंगली से छेड़ने लगे और मेरे मूह से एक मादक सिसकारी निकल गयी और भैया मेरी चूत मे अपनी उंगली डालने लगे.
तो मैने भैया का हाथ पकड़ लिया और बोली भैया मेरी चूत मे सबसे पहले आपका लंड घुसेगा और भैया ने अपना हाथ मेरी चूत से हटा लिया और मेरे दोनो बूब्स को बारी बारी से चूसने लगे भैया मेरे बूब्स को चुस्स और मसल रहे थे और दीदी भैया का लंड अपने मूह मे लेकर चूसने लगी और भैया भी मेरे बूब्स को छोड़ कर अपनी जीब को मेरे पेट पर फिराते हुए अपना मूह मेरी चूत की ओर ले गये और अपनी जीब को मेरी चूत की टिट पर फेरने लगे.
फिर अपनी जीब मेरी चूत मे डाल कर मेरी चूत को चाटने लगे मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं अपनी चूत उठा कर भैया के मूह मे देने लगी और आआआआ.. भैया आआआ… भैया ऊऊऊ.. भैया ज़ोर से òऊऊऊ.. चूसो और ज़ोर से òऊऊ.. और फिर मेरी चूत ने अपना पानी भैया के मूह मे छोड़ दिया और भैया ने मेरी चूत का सारा पानी पी लिया.

फिर दीदी ने भैया को कहा भैया अब आप अपने मोटे और लंबे लंड से अपनी छोटी बेहन की चूत की सील तोड़ डालो, ये सुन कर भैया ने अपने लंड का सुपाडा मेरी चिकनी चूत के उपर रख कर एक हल्का सा धक्का मारा और भैया का लंड फिसल कर मेरे पेट पर आ गया.
फिर दीदी ने भैया का लंड अपने हाथ मे पकड़ा और लंड को मेरी चूत के मूह पर रख कर बोली भैया अब लगाओ धक्का और भैया ने फिर एक हल्का सा धक्का मारा और इस बार भैया के लंड का सुपाडा मेरी चूत मे घुस गया और दीदी ने फिर कहा भैया अब मारो एक धक्का और अपना पूरा लंड नेहा की चूत मे घुसा दो.
फिर भैया ने एक ज़ोर का धक्का मारा और भैया का आधा लंड मेरी चूत की सील तोड़ता हुआ मेरी चूत मे घुस गया और मैं ज़ोर से चीखने लगी और कहने लगी छोड़ो मुझे मैने नही चुदना तभी दीदी ने अपनी चूत मेरे मूह पर लगा दी और मैं दीदी की चूत को चाटने लगी.
और भैया ने फिर एक ज़ोर से धक्का मारा और भैया का पूरा लंड मेरी चूत मे घुस गया और मैं फिर ज़ोर से चिल्लाई अब भैया अपना पूरा लंड मेरी चूत मे घुसा कर मेरे उपर आ गये और मेरे दोनो बूब्स को बारी बारी से चूसने लगे.
अब मुझे दर्द से कुच्छ आराम मिल रहा था और मुझे भी अब दर्द के साथ मज़ा आने लगा था अब भैया भी अपने लंड को अंदर बाहर करने लगे और मैं भी नीचे से अपनी गान्ड उठा कर चुदने लगी. ।
भैया ने अपने धक्को की रफ़्तार तेज़ कर दी और मैं भी चुद्ते हुए बोलने लगी आआआअ.. भैया ज़ोर से चोदो आआआअ.. भैया ज़ोर ज़ोर से चोदो आआआ.. भैया आज मुझे चोद कर मेरी चुत को फाड़ डालो ऊहह… आआआ.. हाँ भैया वोòò करने लगी.
भैया भी मुझे चोदते हुए बोले ले मेरी बहना ले आज अपने भाई का लंड अपनी चूत मे ले ले आज मैं अपनी बेहन को चोद कर पका बेहन चोद बन गया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे और अब मैं भी चुदते हुए गाली देने लगी.
और बोली एयाया. अब चोद मुझे बड़ा मर्द बना फिरता है आज अपनी बेहन की चूत की अग बुझा कर दिखा एयेए साले हिजररे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अब दिखा अपनी मर्दानगी अगर आज अपनी बेहन को चोद कर उसकी चूत को ठंडा कर दे तो मैं तुझे असली मर्द मानु.
ये सुन कर भैया को और ज़्यादा जोश आ गया और भैया पूरी ताक़त से मेरी चूत मे धक्के लगाने लगे और बोले ले साली कुतिया ले अब अपने भाई के लंड का कमाल देख साली रंडी आज तेरी चूत का भोसड़ा ना बनाया तो मुझे बेहन चोद ना कहना और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे.
भैया के लंड की चोट मेरी बच्चेदानी पर पड़ रही थी और मैं अपनी गान्ड को उठाते हुए चुद रही थी और तभी भैया ने कहा ले मेरी रंडी ले अब अपने भाई का वीर्य अपनी चूत मे ले और बन जा अपने भाई के बच्चे की माँ और फिर भैया के लंड से वीर्य की पिचकारी मेरी चूत मे पड़ी.
भैया के वीर्य से मेरी चूत पूरी तरह से भर गयी फिर थोड़ी देर बाद भैया ने अपना लंड खींच कर मेरी चूत से निकाला और भैया का लंड फच की आवाज़ के साथ मेरी चूत से बाहर आ गया जब मेरी नज़र भैया के लंड पर पड़ी तो भैया का लंड मेरी चूत के खून से लाल हो गया था मैं ये देख कर घबरा गयी और दीदी से बोली दीदी क्या मेरी चूत सच मे फट गयी.
तो दीदी ने कहा नही ये तो जब चूत की सील टूटती है तब खून निकलता ही है और मुझे ढाँढस बंधाने लगी,भैया का लंड मेरी चूत से निकलने के बाद भी खड़ा ही था और मेरी चूत से खून और भैया का वीर्य निकल रहा था मैं अपनी चूत से निकलते हुए वीर्य को देख कर बोली भैया आपने मेरी चूत मे वीर्य छोड़ा है या मूत किया है.
तो भैया से पहले दीदी बोली नेहा जितना तेरा जीजा एक बार मे मुतता है उस से ज़्यादा तो भैया के लंड से वीर्य निकलता है इसी लिए तो मैं भैया के बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ क्योंकि जितना गाढ़ा और ज़्यादा वीर्य मेरी बच्चेदानी मे पड़ेगा उतना ही खूबसूरत बच्चा मेरी चूत से निकलेगा.
ये सब बातें अभी चल ही रही थी कि मुझे पेशाब आने लगा और मैं मूतने को जाने के लिए उठने लगी मैं अभी उठने की कोशिश कर ही रही थी और जब मैं उठने लगी तो मेरी चूत मे जबरदस्त दर्द होने लगा और मैं उठ ना सकी मैने दीदी को कहा दीदी मुझसे उठा नही जा रहा है.
तो भैया ने कहा अरे साली रंडी अभी तो मेरी मर्दानगी को चॅलेंज कर रही थी और अब तू बिस्तर से उठ भी नही सकती तो मैने कहा भैया वो तो मैं तुम्हे जोश दिलाने के लिए बोल रही थी मुझे क्या पता था कि तुम मेरा ये हॉल कर दोगे.
तो दीदी ने कहा अरे भोसड़ी के बेहन चोद साले तूने नेहा को चोद दिया और साले बेहन चोद मुझे भूल गया अब तू इस साली कुतिया से बातें ही करेगा या मुझे भी चोदेगा ये बोल कर दीदी ने अपनी दोनो टाँगे खोल दी और भैया ने भी बिना समय नष्ट किए दीदी की चूत मे एक ही धक्के मे अपना पूरा लंड पेल दिया.
उस रात भैया ने मुझे दो बार और दीदी को तीन बार चोदा और हम तीनो ही नंगे एक दूसरे की टाँग मे टाँग फसा कर सो गये,सुबह जब मेरी आँख खुली तो 10 बज चुके थे और भैया और दीदी अभी भी गहरी नींद मे थे मैने भैया को हिलाते हुए कहा भैया उठो तुम्हारा ऑफीस जाने का टाइम हो गया है.
भैया ने मुझे खींच कर अपने साथ लगा लिया और बोले नेहा मैने ऑफीस से 10 दिन की छुट्टी ले ली है अब जब तक मम्मी पापा नही आ जाते तब तक हम तीनो मे से कोई ना तो कपड़े पहनेगा और ना ही कोई घर से बाहर जाएगा और तब तक सिर्फ़ चुदाई ही होगी.
10 दिन लगातार भैया ने मुझे और दीदी को दिन रात चोदा और 10 दिन बाद जब मैं अपने कपड़े पहनने लगी तो मेरी ब्रा का साइज़ जो 30 था वो मेरी बूब्स पर नही आ रही था और मेरी चूत का सुराख भी अब 2 इंच खुल गया था.
मम्मी पापा के आने के बाद हमारी दिन की चुदाई बंद हो गयी पर रात को भैया हम दोनो बहनो को अच्छे से चोदते थे जिसकी वजह से दीदी की कोख मे भैया का बच्चा पल रहा है अब दीदी अपने सुसराल मे है और भैया मुझे रोज रात को अपनी रंडी बना कर चोदते है.
अब मुझे भी लंड का चस्का लग चुका है और जब मैं भैया से चुद नही लेती मेरी चुत को चैन नही आता और अब भैया मेरा इंतज़ार कर रहे हैं और मेरी चूत मे भी खुजली हो रही है अब मैं भैया से चुदने जा रही हूँ और आप भी अपने बेहन या भाई के साथ चुदाई का मज़ा लो मैं तो ले रही हू.
Reply
06-08-2021, 12:52 PM,
#73
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
परिवार का असली हिस्सा-1

ममता अपने गाँव छोड़ कर अपनी ससुराल मगतपुर आयी थी, उसके कई सपने थे जैसे कि एक बड़ा घर हो बड़ा परिवार हो. ससुराल में सब लोग उसे प्यार करें, उसका पति उसे इज्ज़त दे. और वैसा ही हुआ भी - उसके पति के तीन भाई और दो बहने थी. उसके पति अमर शहर में एक फैक्ट्री में कार्यरत थे. उसके दो देवर थे - विवेक और गगन. विवेक एमएससी कर रहा था और गगन बारहवीं कक्षा का छात्र था और इंजीनियरिंग कि तैयारी कर रहा था. उसकी पति की बड़ी बहन शोभना शहर में ब्याही थी. और छोटी बहन आहना बी ए कर रही थी. शोभना का विवाह हो चुका था और उसके दो बच्चे थे.

जब ममता घर से चली उसकी माँ ने उसे सारे घर को जोड़ कर रखने की सीख दी. उसे ये भी बताया कि वो घर कि सबसे बड़ी बहु है और उसे घर चलाने के लिए काफी मेहनत करनी होगी. कई समझौते करने होंगे. उसे कुछ ऐसा करना होगा कि तीनों भाई मिल जुल के रहें और उसे बहुत माने.अ.

ममता घूघट संभाले इस घर में आयी. जैसा होता है उसे शुरू शुरू में कुछ समझ में आ नहीं रहा था. उसकी सास उसे जिसके पैर छूने को कहती वो छु लेती. जिससे बात करने को कहती वो कर लेती इतना बड़ा परिवार था इतने रिश्तेदार थे कि कुछ ठीक से समझ नहीं आ रहा था कि कौन क्या है. उसे उसकी सास ने समझाया कि घबराने कि कोई बात नहीं है. धीरे धीरे सब समझ आने लगेगा.

और फिर उसकी जिन्दागी में वो रात आई जिसका हर लडकी को इंतज़ार रहता है. वो काफी घबराई हुई थी. उसे उसकी ननदों ने उसे सुहागरात के बिस्तर पर बिठा दिया. रात उसके पति अमर कमरे में आया. अमर काफी हैण्डसम जवान था - गोरा रंग मंझला कद अनिल कपूर जैसी मून्छे और आवाज दमदार. दूध वगैरह कि रस्म होने के बाद कुछ तनाव का सा माहौल था.

अमर ने चुप्पी तोडी और बोला, "अब हम पूरे जीवन के साथी हैं हमें जो भी करना है साथ में करना है."

ममता ने बस हाँ में सर हिला दिया.

अमर ने मुस्कुराते हुए बोला, "चलो अब हम वो कर लें जो शादीशुदा लोग आज कि रात करते हैं"

मामता को समझ आ गया कि अमर उसकी जवानी के मजे लूटने कि बात कर रहा है. उसने एक बार फिर शर्माते हुए हाँ में सर हिला दिया.

अमर को ममता कि ये शर्मीली अदा बड़ी भाई. वो उसे बाहोँ में भरने लगा, उसे गाल पे चूमने लगा और अपने हाथों से उसके पीठ और पेट का भाग सहलाने लगा. ममता के लिए ये नया अनुभव था. उसे अभी भी डर लग रहा था पर मज़ा आ रहा था.

पाठकों को बता देना चाहता हूँ कि, ममता एक बहुत सुन्दर चेहरे कि मालिक थी. उसका कद पांच फूट तीन इंच था. वह गोरी चिट्टी थी. चेहरा गोल था. होठ सुन्दर थे. आँखें सुन्दर और बड़ी बड़ी थीं. उसकी चुंचियां सुडौल और गांड भारतीय नारियों की तरह थोडा बड़ी थी. कुल मिला कर अगर आपको वो नग्नावस्था में मिल मिल जाएँ तो आप उसे चोद कर खुद को बड़ा भाग्यवान समझेंगे. उसके गाँव में कई लौंडे उसके बड़े दीवाने थे. कई ने बड़ी कोशिश की, कई कार्ड भेजे, छोटे बच्चों से पर्चियां भिजवाईं, कि एक बार उसकी चूत चोदने को मिल जाए. पर ममता तो मानों जैसे किसी और मिट्टी कि बनी थी. उसने किसी को कभी ज्यादा भाव कभी नहीं दिया. वो अपने आप को अपने जीवन साथी के लिए बचा कर रखना चाहती थी. और आज इस पल वो जीवन साथी उसके सामने था.

अमर अपने हाथ उसकी चुन्चियों पर ले आया और लगा सहलाने. उसने अपने होंठ ममता के होंठों पर रख दिये और लगा ममता के यौवन का रसपान करने. अमर उसके चुन्चियों को धीरे धीरे दबाने लगा. वो अपना दूसरा हाथ उसके चूत के ऊपर था. अमर ममता कि चूत को कपडे के ऊपर से ही सहलाने लगा. ममता अमर कि इस करतूत से बेहद गर्म हो चुकी थी. उसने अभी तक चुदाई नहीं की थी पर उसकी शासिशुदा सहेलियां थीं जिन्होंने उसे शादी के बाद क्या होता है इसका बड़ा ज्ञान दिया था उसे. ममता अमर का पूरा साथ दे रही थी और उसके होठों पर होंठ रख के उसे पूरा चुम्मा दे रही थी. उसने अपनी आँखे बंद कर रखीं थी, उसे होश नहीं था बिलकुल. इसी बीच उसने ध्यान दिया कि अमर बाबू ने उसकी साड़ी उतार दी है और वह बस पेटीकोट और ब्लाउज में बिस्तर मे लेटी हुई है. अमर ने उसका पेटीकोट उठा दिया. उसकी केले के खम्भें जैसी जांघे पूरी साफ़ सामने थीं. अमर ने अपना हाथ उसकी चड्ढी के अन्दर डाल दिया और उसकी मखमली झांटें सहलाने लगा. अमर कि एक उंगली कि गीली हो चुकी चूत में कब घुसी ममता को बिलकुल पता नहीं चला. ममता को बड़ा मज़ा आ रहा था इसका अंदाजा अमर को इस बात से लगा गया कि वो अपनी गांड हिला हिला कर उसकी उंगली का अपनी चूत में स्वागत कर रही थी.

अमर ने अपने स्कूल के दिनों में मस्तराम कि सभी किताबें पढीं थीं. उन किताबों से जो ज्ञान प्राप्त हुआ था आज उसका वो पूरा प्रयोग अपनी नयी नवेली पत्नी पर कर रहा था. ममता की गर्मी को हुये अमर ने उसकी चड्ढी उतार फेंकी. ब्लाउज और ब्रा के उतरने में भी कोई भी समय नहीं लगा. अब ममता केवल एक पेटीकोट में उसके सामने लेटी हुई थी. उसके मम्मे बड़े ही सुन्दर थे.

अमर ने कहां, "जब सामने इतनी सुन्दर नारी कपडे उतार के लेटी हो, तो मुझ जैसे मर्द का कपडे पहन कर रहना बड़े ही शर्म कि बात है".

ममता इस बात पर मुस्करा दी. अमर ने अपन सारे कपडे उतार फेंके. ममता ने अमर के सुडौल शरीर को देखा. अमर का लैंड ६ इंच से कम नहीं होगा. वो एकदम तना हुआ था. ममता की चूत अमर के आसमान कि तरफ तने लौंडे को देख कर उत्तेजना में बजबजा सी गयी. मन हुआ कि बस पूरा एक कि झटके में पेल ले अपनी गीली चूत में और जम के चुदाई करे, पर नयी नवेली दुल्हन के संस्कारों ने उसे रोक लिया.

अमर उसके पास आया और उसे एक बार होठों पर होठ रख के जोर से चुम्मा लिया.

फिर बड़े शरारती अंदाज़ में बोला, "इतनी बात इन होठों को चूमा है इस शाम. अगर दुसरे होठों को नहीं चूमा तो बुरा माँ जायेंगे जानेमन."

ममता बड़ी कशमकश में थी कि उसके दुसरे होंठ कहाँ हैं. पर जब अमर ने उसकी पेटीकोट उठा के उसकी चूत पर जब अपना मुंह रखा तो उसे साफ़ समझ आ गया कि अमर का क्या मतलब था. उसने अपनी सहेली के साथ ब्लू फिल्म देखी थी जिसमें एक काला नीग्रो एक अंग्रेज़ औरत कि चूत को चाटता है. पर उसे ये नहीं गुमान था कि हिन्दुस्तानी मर्द ऐसा करते होंगे. वो ये सब याद ही कर रही थी कि अमर ने उसकी चूत का भागनाशा अपने मुंह में ले कर उसे चूसना चुरू कर दिया. फिर वो चूत कि दोनों तरफ की फाँकें चाटने लगा. फिर अपनी जीभ उसकी चूत के छेद में दाल कर अपनी जीभ से उसे चोदने लगा. ममता इस समय सातवें आसमान पर थी. उसने सपने में भी कल्पना नहीं की थी कि ये सब इतना आनंद दायक होगा. उसकी चूत से प्रेम रस बह कर बाहर आने लगा और उसकी गांड के छेद के ऊपर से बहने लगा. अमर अपनी जीभ को ममता के अन्दर बाहर कर रहा था साथ ही उसने अपनी छोटी उंगली को गीला कर के ममता की गांड में डाल दिया. ममता आनंदातिरेक में सीत्कारें भर रही थी. उसे यह सब एक सपने जैसा लग रहा था.

अमर ने अपनी जीभ ममता कि चूत से निकाल ली और उसका पेटीकोट खींच कर उतार फेंका. वो ममता के बगल में आ कर बैठ गया. और ममता को इशारा किया अपने लण्ड कि तरफ. ममता समझ गयी कि उसकी चूत कि चटवाने का बदला अब उसे चुकाना है. वो झुक कर आनंद के लंड पर अपन मुंह ले गयी और अपने होठों से उसका सुपाडा पूरा अपने मुंह में ले लिया. अमर के लण्ड में एक अजीब सी महक थी जो उसे उसे पागल किये जा रही थी. वो अपने होंठों को ऊपर नीचे कर के उसका लंड को लोलीपॉप कि भांति उसे चूसने लगी. अमर तो जैसे पागल हो उठा. उसकी नयी नवेली दुल्हन तो मानों कमाल कर रही थी. उसने अपनी एक उंगली ममता कि गांड में पेल दी और लगा उसे उंगली से चोदने. ममता को अमर का उंगली का अपनी गांड में चोदना बड़ा अच्छा लग रहा था. वो जोरों से उसका लौंडा चूसने लगी. सारे कमरे में चूसने कि आवाजें गूँज रहीं थीं.

इसी बीच अमर ने उसका मुंह अपने लंड से उठाया और उसे सीधा दिया. फिर ममता कि टांगों को चौड़ा कर के उसने अपने लंड का सुपादा उसकी गीली और गर्म चूत में घुसा दिया.

"कैसा लग रहा है मेरी रानी" अमर ने पूंछा.

"पेलो राजा पेलो बड़ा मज़ा आ रहा है" ममता ने बोला.

फिर क्या कहना था. अमर ने अपना लंड अगले झटके में पूरा ममता कि गुन्दाज़ चूत में पेल दिया. और लगा अपनी कमर को हिलाने. ममता कि चूत तार तार हो गयी थी अमर के इस हमले से. वो मजे में चीख रही थी. वो अपनी गांड जोरों से हिला रही थी ताकि अमर के धक्कों का पूरा आनंद पा सके. अमर उसकी चुन्चियों को चाट रहा था दबा रहा था. ममता अमर के ६ इंच के लौंडें को अपनी जवान चूत में गपागप समाते हुए देख रही थी. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि चुदाई इतनी मजेदार होगी.

अमर ने इसी बीच अपना लंड निकाल लिया और उसे पलट के अपनी गांड उठाने को बोला. ममता थोडा डर गयी. अमर का लंड काफी मोटा था. अगर उसने उसे गांड में घुसेड दिया तो गांड में बड़ा दर्द होगा. पर अब क्या कर सकती थी. वो उलटा हो कर कुतिया के पोस में हो गयी. अमर घटनों के बल उसकी चूतडों के पीछे बैठ गया. उसने थोडा थूंक निकाल कर अपने लंड पर लगाया और लंड को ममता कि चूत के मुहाने पर टिका के एक झटके में पूरा का पूरा लंड ममता कि चूत में पेल दिया. अमर का लंड अपनी चूत में पा कर ममता की जान में जान आई. आज गांड मरते मरते बच गयी. कुतिया बन के चुदवाने का मज़ा ही कुछ और था. बड़ा आनंद आ रहा था. वो अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए अमर का लंड अपनी चूत में गपागप लेने लगी. अमर उसकी पीठ पर जोरों से चुम्मा ले लेता, अपने हाथों से ममता कि चुंचियां दबा देता. और गांड पर चिकोटियां काट देता.

दोनों की साँसे भारी हो गयीं थीं. अमर के झटके बड़े तेज़ हो गए ममता भी अपनी गांड हिला हिला के उसका पूरा पूरा लंड अपनी चूत में पिलवा रही थी. चूत मस्त गीली थी. सारे कमरे में चप-चप की आवाज़ गूंज रही थी. और सारे कमरे में चूत और लंड कि जैसे महक भर सी गयी थी. ममता कि चूत से पानी दो बार छूट चूका था. पर अमर तो बस अपना लंड पेले जा रहा था. अब तीसरी बार वो झड़ने वाली थी.

"आह मैं गयी ...मेरा होने वाला है...."कहते हुए वो झड गयी.

अमर भी अब झड़ने वाल था. उसका लंड उत्तेजना में ममता कि गीली चूत के अन्दर मोटा फूल सा गया था. वो जोरों से अपना लंड पेलने लगा.

"आह ....आह ...ये ले मेरी रानी ....मेरा अपनी चूत में पहला पानी ले......"

और एक अंतिम झटका लगाया और वो झड गया. ममता ने महसूस किया कि बहुत सारा गरम पानी उसकी चूत के अन्दर जैसे बह रहा है. झड़ने के बाद अमर ममता की पीठ के ऊपर ही मानों गिर गया.

"कैसा लगा मेरी रानी" अमर ने पूछा.

"बहुत मज़ा आया मेरे राजा", ममता ने हँसते हुए जवाब दिया.

अमर का लंड अभी भी ममता कि चूत के अन्दर था. झड़ने के बाद तो छोटा हो कर बाहर निकल आया. ममता कि चूत से अमर का वीर्य और उसकी अपनी चूत का पानी बाहर बह कर आने लगा.

दोनों बिस्तर पर थक के गिर गए. ममता ने तौलिये से उसे साफ़ किया.

अमर और ममता ने एक बार फिर से किस किया. ममता कपडे बिना पहने अमर की बाहोँ में अमर का लंड अपने हांथों में ले कर नंगे ही सो गयी..

ससुराल का पहला दिन इतना मजेदार होगा ये ममता को पता नहीं था. पर उसे क्या पता था कि ये बस छोटी सी शुरुआत थी और आगे के दिनों में उसका मज़ा दिन दूना रात चौगुना होने वाला है.

ममता सुहागरात के बिस्तर पर पूरी नंगी हो कर अपने पति अमर कि बाहो में मस्त सो रही थी. सुहागरात की रात अमर ने उससे पहले आगे से चोदा और फिर कुतिया बना के पीछे से चोदा. इस चुदाई के प्रोग्राम के दौरान ममता तीन बार झड़ी. उसकी शादीशुदा सहेलियों ने उसे बताया था कि सेक्स में बड़ा बजा है, पर इसमें इतना मज़ा होगा ये उसे आज रात पता चला.

चुदाई की थकान से नींद इतनी गहरी आयी कि सुबह के पांच बज कब गए थे पता ही नहीं चला. ममता की सास का अलार्म बजा और ममता की नींद खुल गयी. सो कर उठी तो उसने देखा कि वो ऊपर से नीचे तक पूरी कि पूरी नंगी है और बगल में अमर भी नंग धडंग लेटा हुआ है. उसे बड़ी शर्म सी आयी. वो उठी और उसने जल्दी जल्दी अपने कपडे पहने और कमरे से बाहर निकल गयी.

ममता किचेन में गए और अपनी सासु माँ के पैर छु लिए. सासु माँ ने उसे आशीर्वाद दिया. ममता चाय बनाने में अपनी सास कि मदद करने लगी. बीच बीच में रात की चुदाई की याद सी आ जाती थी और उस याद से उसकी चूत में बड़ा अजीब सा ही अहसास हो रहा था.

“मैं तेरे पापा जी के लिए चाय ले जाती हूँ, तू अमर के लिए चाय ले जा.” उसकी सास राजेश्वरी देवी ने कहा.

“जी मम्मी जी”, ममता ने जवाब दिया.

ममता चाय ले कर अपने बेडरूम में आई. अमर अभी भी बिस्तर पर नंगा हो कर मस्त सो रहा था. ममता ने अमर को हिलाया. अमर ने अपनी आँखे खोलीं तो देखा कि ममता उसके लिए चाय ले कर आई है.

ममता को देखते ही अमर रात की चुदाई याद आ गयी. ममता कि गोल और चौड़ी गांड कि याद करते ही उसका लंड झट से खड़ा हो गया.

ममता खड़े लंड को देख कर वक्त का इशारा समझ गयी. सास ससुर जगे हुए थे. मामला थोडा रिस्की था. ममता ने कमरे कि सिटकनी बंद कर दी. और अमर के ऊपर बैठ गयी. उसने अपनी साड़ी ऊपर उठा ली और अपनी जवान चूत को अमर के लंड के ऊपर भिड़ा दिया. ममता ने अपनी चूत को अमर के लंड के ऊपर रख कर आपने शरीर का वज़न जैसे ही छोड़ा अमर का पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.

“रात में आपने मेरे ऊपर चढ़ कर जो किया न आज उसका बदला मैं निकालूंगी.” ममता फुस्गुसाते हुए बोली.
“पिलवाओ रानी पिलवाओ”, अमर बोला.

ममता को अपने बेशर्मी पर हैरानी हो रही थी. पर समय कम था. इसलिए जल्दी जल्दी अपने गुन्दाज़ चुतड अमर के लंड को अपनी चूत में पेले हुए ऊपर नीचे करने लगी.

अमर का लंड ममता कि गीली चूत में समा रहा था. जब ममता अपनी गांड उठाती, अमर का चमकता हुआ लंड उसे नज़र आता. अमर ममता के मम्मे दबा देता. उसकी गांड पर चपत रसीद देता. ममता कि चौडी गांड अमर के लंड के ऊपर नीचे हो रही थी.

अमर ने उठ कर ममता को पटक दिया और ममता के ऊपर चढ़ कर उसकी चूत में अपना लंड जल्दी जल्दी पेलने लगा.

“आह... आह.. जल्दी करो मेरे राजा मम्मी पापा जाग रहे हैं....पेलो पेलो ..”

थोड़ी ही देर का अमर का लंड फूल कर ममता की चिकनी एवं गरम चूत में पिचकारी छोड़ने लगा. ममता भी बहुत जोर से अपने चूत का पानी छोड़ने लगी.

“ये ले मेरी जान ...मेरा लंड ..इस की क्रीम अपनी चूत. में ले ..ए ...ए ....” कहते हुए अमर ममता की चूत में झड गया.

ममता भी इस चुदाई के मजे से झड गयी.

“चलो अब चाय पी लें.” ममता ने हँसते हुए बोला.

और वो दोनों अपनी शादीशुदा जिन्दगी की सुबह कि पहली चाय साथ में पीने लगे.

उधर राजेश्वारी देवी अपने पति जगमोहन के संग चाय कि चुस्कियां ले रहीं थी. घर में नया मेहमान आया है इसकी खुशी उन दोनों को थी.

अगले एक हफ्ते के अन्दर सारे मेहमान अपने घर चले गए. और घर में जीवन सामान्य दिनचर्या में चलने लगा. अमर सुबह जल्दी काम पर निकल जाता था और शाम को अँधेरा होने के बाद ही वापस आता था. पर रात में दोनों जम के जवानी के खेल खेलते थे.

कैसे कैसे लगभग एक साल गुज़र गया पता ही नहीं चला.

एक दिन दोपहर में घर का काम करने के बाद ममता को समझ नहीं आ रहा था कि शाम को खाने में क्या बनया जाए. वो सास से ये पूछने के लिए उनके कमरे कि तरफ जाने लगी. जैसे ही उसकी सास राजेश्वरी देवी का कमरा करीब आ रहा था वहां से कुछ अजीब सी आवाजें आ रहीं थीं. उसे लगा सासू माँ कोई टीवी सरियल देख रही हैं. उसने रूम का दरवाजा खोल दिया. अन्दर का नज़ारा देख कर उसके हालत फाख्ता हो गयी. उसकी सास राजेश्वरी देवी अपने घुटनों के बल हो कर पर कुतिया के पोस में बिस्तर पर थीं. पीछे से उसके ससुर उनकी चुदाई कर रहे थे. सासू माँ अपनी गोरी और मोटी गांड ऊपर उठा उठा कर लंड अपनी चूत में ले रही थीं. आह आह कि आवाजें पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं. हर धक्के पर गांड पर पक पक की आवाज आती थी सासु मन के बड़े बड़े मम्मे हवा में झूल से जाते थे. कमरे में लाइट पूरी नहीं जल रही थी और खिड़की के परदे भी बंद थे इसलिए सारा दृश्य ममता कि साफ़ नहीं दिख रहा था. वो डर था कि अगर सास ससुर ने उसे इस समय देख लिया तो सबकी स्थिति थोडा खराब हो जायेगी. इस लिए ममता दबे पाँव उस कमरे से बाहर निकल आयी.

उसके पैरो में एक अजीब सी झुरझुरी हो रही थी. अन्दर कि चुदाई को देख कर उसे लग रहा था कि काश अमर यहाँ होता. वो लिविंग रूम में आ कर सोफे पर बैठ गयी. उसने टेबल पर से एक गृहशोभा उठाई और पढने के लिए जैसे ही पेज पलटती. उसने देखा उसके ससुर सामने के सोफे पर बैठ कर अखवार पढ़ रहे हैं. उसके मुंह से चीख निकल गयी. वो डर के मारे एकदम से खडी हो गयी. ससुर ने उसे देखा.

“क्या हुआ बहु. तुम इतना डरी डरी क्यों हो... क्या हुआ?” ससुर ने पूछा.

“पापा जी वो उधर ...उधर ...” ममता को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.
वो सासु मन के कमरे की तरफ देख रही थी. और जैसे काँप रही थी.

“आप तो मम्मी जी के साथ थे न?......” ममता हकलाते हुए बोल रही थी.

जगमोहन को समझ में आ चुका था की ममता ने उनकी पत्नी राजेश्वरी को उनके भाई सुरजमोहन के साथ रंगरेलियां मनाते देख लिया है. जगमोहन और सूरजमोहन ने शुरू से अपने बीच में कोई पर्दा नहीं रखा, जवानी में नौकरानी से ले कर कॉलेज में रत्ना तक,जब भी किसी एक को चूत मिली तो उसने दुसरे के साथ मिल बाँट कर उसे चोदा. यहाँ तक शादी कि सुहागरात तक में दोनों नयी दुल्हन के साथ रहे. और आज भी दोनों एक दुसरे के घर जा कर एक दुसरे कि पत्नियों को नियमित रूप से चोदते थे.

जगमोहन को पता था कि ममता सारा दिन घर पर रहेगी तो किसी न किसी दिन उसे पता तो चलेगा ही. इसी लिए उन्होंने योजना बना रखी थी कि ममता को थोड़े दिन में किसी प्रकार से अपनी इन गतिविधिओं में शामिल कर लेंगे. पर आज अचानक से यह स्थिति आ गयी तो उन्हें लगा कि अब वो दिन आ गया है.

उसने ममता का हाथ पकड़ लिया और पूछा,

“उस कमरे में कुछ भूत है क्या? आओ चल कर देखते हैं बेटी.”

ममता इस सब बातों से अनजान थी. पर वो नहीं चाहती थी कि उसकी सास कि उसके ससुर इस अवस्था में देखे.

“नहीं पापा जी...कुछ नहीं हैं” वो बोली.

“अरे नहीं बहूँ. डर का हमेशा सामना करना चाहिए.” कहते हुए जगमोहन अपनी बहु को लगभग खींचता हुआ कमरे के अन्दर ले गया.

राजेश्वरी देवी अपनी पीठ पर सीधा लेती हुईं थीं. उनके दोनों पैर हवा में थे. और सुरजमोहन अपना मोटा लंड उनकी चूत में अन्दर बाहर पेल रहा था. चूत गीली थी हर झटके में चपर चपर की आवाज आती थी.

मनोरमा शर्म के मारे वो सब देख नहीं पा रही थी. अगर उसके ससुर ने उसका हाथ नहीं पकड़ रखा होता तो वो वहां से भाग ही जाती. पर उसकी हैरानी उस समय दुगुनी हो गयी जब उसने अपने ससुर मुस्कराते हुए देखा.

“सूरज भाई, और जोर से पेलो अपनी भाभी को. जरा हमारी बहू भी तो देखे की हम लोग भी किसी जवान लड़के से कम नहीं हैं.”
जब जगमोहन ये बोले, तब जा कर राजेश्वरी देवी और सुरजमोहन को पता चला कि कमरे में और दो लोग हैं. दोनों ने जगमोहन की तरफ देखा और मुस्करा दिए. उनके चुदाई के काम में को भी रुकावट नहीं आयी.
ममता अब थोडा थोडा समझ गयी कि मामला थोडा पेंचीदा है. पर उसकी समझ में ये गया कि सास ससुर खुल कर जीवन का आनंद लेते हैं. ससुर ने अपने दुसरे हाथ से अपना लंड पतलून से बाहर निकाल लिया. और ममता का हाथ अपने लंड पर रख दिया.

ममता तो मानों चौंक उठी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कुछ हो रहा है, पर ये सब देख कर उसकी चूत थोड़ी गीली सी हो गयी थी. उसने सोचा कि अगर वो इस कमरे से जबरदस्ती भाग गयी, तो उसके सास ससुर उसे परेशान करेंगे. उसके बारे में पता नहीं क्या कुछ अमर के कान भर के उसे घर से निकलवा दें. उसने खुद को हालात के ऊपर ही छोड़ देना उचित समझा.
वह नीचे देख रही थी. उसका हाथ उसके ससुर ने जबरदस्ती खींच कर अपने लंड पर रखा हुआ था. ममता ने अपना हाथ से धीरे धीरे ससुर के लंड को सहलाने लगी. ससुर का लंड खड़ा हो चुका था. वो ममता को लेकर बिस्तर के कोने में बैठ गया. उसकी पत्नी और उसका भाई अभी चुदाई कर रहे थे और बिस्तर हर झटके पर हिल रहा था. जगमोहन ने ममता का ब्लाउज और ब्रा उतार दिए और उसकी गोल गोल चुंचियां सहलाने लगे. ममता एक दम गरम हो चुकी थी. ससुर ने उसे नीचे बैठा दिया और अपना खड़ा लंड उसके होठों पर लगा दिया. ममता ने ससुर का इशारा समझते ही उनका लंड मुंह मने ले लिया और उसे धीरे धीरे चुभलाने लगी. ससुर जी बहु के मुखचोदन करने लगे. थोड़े देर ममता के मुंह का आनंद लेने के बाद उन्होंने ममता को राजेश्वरी देवी के बगल में लिटा दिया.

“देखो तुम्हारी सास पूरी नंगी है, इस लिए तुम्हें भी नंगा होना पड़ेगा बहूँ”, जगमोहन बोले.

ममता के रहे सहे कपडे भी दो मिनट में उतार फेंके. दोनों हाथों से उसकी टाँगे चौडी कि और ममता की चूत कि फाँकें चाटने लगे. ममता गहरी सीत्कारें भर रही थी. इसी बीच उसकी सासू माँ उसकी चुंचियां दबाने लगीं. जगमोहन अपनी जीभ से ममता कि चूत जो चोदने लगा. ममता थोड़ी ही देर में झड गयी.

जगमोहन उठ कर बैठ गया. उसने अपना लंड ममता कि चूत के मुहाने पर टिकाया और एक जहतक लगाया. आधा लंड ममता कि चूत में घुस कर जैसे अटक सा गया. ममता निहाल हो उठी. ससुर ने दुसरे ही झटके में पूरा का लंड अन्दर पेल दिया.
इसी बीच सूरजमोहन और राजेश्वरी देवी कि चुदाई जोर पकड़ गयी थी. थोड़ी ही देर में दोनों झड गए.
जगमोहन ने ममता को चोदना चालू कर दिया. सूरजमोहन और राजेश्वरी उसके अगल बगल बैठे थे. राजेश्वरी उसकी चुन्चिया चूस रहीं थीं. सुरज्मोहन ने अपना लंड ममता के मुंह में दे रहा था. ममता को बड़ा अनद आ रहा था. एक लंड उसके मुंह कि चुदाई कर रहा था और दूसरा लंड उसकी चूत नाप रहा था. ऊपर से सास उसकी चुंचियां पी रही थीं. वह अपने ऊपर हो रही इस सारी कार्यवाही को बर्दाश्त न कर सकी और झड गयी. पर ससुर का लंड तो अभी भी ताना हुआ था और वो एक जवान छोकरे की तरह उसके पेले जा रहा था.

थोड़ी देर में ससुर ने उसको पलट के कुतिया के पोस में खड़ा किया. और खुद आ गया उसके मुंह के सामने.

“लो बहु थोडा मेरा लंड चुसो. अब मेरा भाई सूरजमोहन तुम्हारी लेगा”
ममता समझ गयी थी कि आ उसकी जम के चुदाई होने वाली है. और उसने वो स्थिति का पूरा फायदा उठाना चाहती थी. उसने गपाक से ससुर का लंड अपने मुंह में ले लिया. अपनी ही चूत के रसों से सना हुआ लंड चाटना थोडा अजीब तो लगा, पर यहाँ तो सब कुछ अजीब ही हो रहा था. वो लंड चूसने में इतना तल्लीन थी कि जैसे भूल ही गयी कि एक और लंड उसकी खैर लेने के लिए मौजूद है. उसने अपनी चूत के मुहाने पर कुछ गरम और टाइट सा महसूस हुआ. उसने अपनी गांड को उठा कर जैसे सूरजमोहन के लंड को निमंत्रण दिया. सूरज ने अपना लंड पूरा का उसकी चूत में समा कर गपागप उसे चोदने में बिलकुल देर नहीं लगाई.
Reply
06-08-2021, 12:52 PM,
#74
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
परिवार का असली हिस्सा-2

बड़ा ही रंगीन नज़ारा था. राजेश्वरी देवी बिस्तर पर नंगी खडी हुई थीं. उनके पति जगमोहन बिस्तर पर बैठ कर उनकी चूत चाट रहे थे. उन दोनों कि बहू ममता कुतिया के पोस में जगमोहन का लंड चूस रहीं थीं. जगमोहन के भाईसाहब सुरजमोहन पीछे से ममता कि चूत में अपना आठ इन्ची हथियार पेल पेल कर उसे जीवन का आनंद प्रदान कर रहे थे.
ममता ने महसूस किया कि उसके मुंह में ससुर जी का लंड फूल सा गया है. वह उसे और प्रेशर लगा के चूसने लगी. ससुर ममता के मुंह में झड गए. लगभग इसी समय ममता कि सास राजेश्वरी अपने पति से चटवाते हुए झड गयीं. ममता भी झड रही थी. और एक मिनट बाद ही सूरजमोहन ने अपने लंड को चूत से निकाल लिया और ममता कि गांड के ऊपर झड गए.

सारा परिवार इस चुदाई कि प्रक्रिया से थक चुका था. चारो लोग बिस्तर पर नंगे ही सो गए.

उस शाम ममता मन ही मन ये सोच कर परेशान थी कि जब उस का पति शाम को घर आएगा तो उसका सामना कैसे करेगी. आज दोपहर के घटनाक्रम के दृश्य उसकी आँखों के सामने बार बार घूम जाते थे. उसका सासु माँ के कमरे के कार्यक्रम का गलती से देख लेना, उसकी ससुर का उसको चोदना, चाचा जी का उसको कुतिया बना कर चोदना, चाचा जी की सासू माँ से चुदाई, सासु माँ का खड़े हो कर ससुर जी से चूत चुस्वाना सब बार उसकी आँखों के सामने घूम जाता था. वो इस बात से बड़ी हैरान थी कि उसे ये सब अच्छा लगा था. बात तो साचा है चुदाई का कोई न दीं है ना धर्म. लंड में चूत घुस कर की चूत की मलाई बनाता है, तो लंड और चूत धारकों जीवन का आनंद प्राप्त होता है.

रोज की तरह अमर शाम को कम से लौटा. ममता अपनी दिन की हरकत से इतनी शर्मिंदा थी कि जैसे ही उसने अमर की मोटर साइकिल की बात सुनी, वो घबरा कर बाथरूम में घुस गयी. बाथरूम में बैठ कर अपने मन को शांत किया और जब वो पूरा संयत हो गयी बाहर निकली. अमर सासु माँ के कमरे में था. वो जैसे ही उनके कमरे में घुसी, दोनों अचानक चुप हो गए. अमर ममता की तरफ देख रहा था. ममता को तो जैसे काटो तो खून नहीं था. उसे लगा कि उसके सास ससुर कोई गेम खेल रहे हैं उसके साथ. अमर उसकी तरफ देख कर मुस्कराया.

"मैं चाय बनाती हूँ आप के लिए", ममता ने जैसे तसे कहाँ और कमरे से जल्दी से बाहर निकल गयी.

उसे जाने क्यों लगा कि उसके पति और उसकी सासु माँ उसकी घबराहट को देख कर हंस रहे हैं. पर उसने जैसे खुद को बताया कि ये उसका वहम है.

वो शाम ममता के लिए बड़ी भारी थी. रात जब वो बिस्तर पर गयी, अमर उसके बगल में लेट कर मंद मंद मुस्करा रहा था. ममता ने आखिर पूछ ही लिया.

"क्या बात है जी, आज जब से आयें हैं घर बड़ा मुस्करा रहे हैं"

"अरे ऐसी कोई बात नहीं है", अमर बोला.

अमर ने उसकी चुंचियां मसलना शुरू कर दिया. और दुसरे हाथ से उसकी चूत को उसके गाउन के ऊपर से ही रगड़ने लगा. ममता आज की तारीख में दो दो मर्दों से चुद चुकी थी. पर उसके पति कि पुकार थी इस लिए चुदना उसका धर्म था. उसने झट से अपना गाउन उतार फेंका. अमर ने देखा कि उस की प्यारी पत्नी ममता ने आज गाउन के अन्दर न ब्रा पहनी हुई है न पैंटी. वो एक बार फिर मुस्कराया.

अमर ममता के गोर और नंगे बदन के ऊपर चढ़ गया. लंड तो खड़ा था ही और ममता की चूत भी गीली थी. तो लंडा गपाक से घुस गया.

"आह ...उई माँ ...मई मर गयी ..." ममता अचानक अपनी चूत पर ही इस हमले पर हलके से चीख उठी.

"क्यों क्या हुआ ..." अमर ने पूछा, वो अभी भी मुस्करा रहा था.

"क्या पापा और चाचा जी का लंड खाने के बाद मेरा लंड अच्छा नहीं लगा आज रात?" अमर ने पूछा.

ममता को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था. तो क्या अमर को शाम से ये सब पता था. और अगर उसे ये सब पता है फिर भी वो शाम से हंस रहा मुस्करा रहा है. और तो और वो उसे प्यार भी कर रहा है.

"क्या मतलब..." अमर के लंड के धक्के खाते खाते वो इतना ही बोल पायी.

"अरे ममता रानी मुझे आज तुम्हारी दिन कि सारी करतूत पता है..." अमर हंस रहा था और दनादन चोद रहा था उसे.

ममता को ये सब सुन कर एक अजीब तरह की अनुभूति हुई. उसे अपनी चूत में जैसे कोई गरम लावा सा छूटता हुआ महसूस हुआ. अमर का लंड भी अब पानी छोड़ने वाला था. दोनों थोड़ी देर में ही झड गए.

अमर उसके बगल में ढेर हो गया. ममता अभी भी बड़ी कन्फ्यूज्ड थी.

"क्या तुम्हें मम्मी जी और पापा जी ने कुछ बताया है" ममता ने पूछा.

अमर ने उसे बताया कि उसे सब पता हुई. अमर के परिवार में सब लोग आपस में काम क्रिया का आनंद लेते थे. पहले ये सब खुले में होता था. जब से अमर ममता का विवाह हुआ, ये सब छुप के हो रहा था. पर आज जब ममता ने ये सब देख लिया, जैसा कि पहले से प्लान था, उसे इस प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया.

"चलो अच्छा हुआ जो हुआ, देर सबेर तुम्हें ये सब पता चलना ही था. उससे अच्छा ये हुआ कि तुम अब इस परिवार के इन आनंद भरें खेलों में शामिल हो गयी हो मेरी रानी." अमर ने शरारत भरी अदा से बोला.

"मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि एक ही परिवार के लोग आपस में ऐसा कर सकते है", ममता अभी भी हैरान थी.

"तुम्हारा सोचना भी जायज़ है. पर सेक्स इतना आनंद भरा काम है. जरा सोचो ये सब बाहर के लोगों से करना थोडा खतरे वाला काम हो सकता है. इस लिए हमारे परिवार में हम इतनी आनंददायक चीज को आपस में करते हैं." अमर ने बोला.

"पर फिर भी सोच के अजीब सा लगता है", ममता बोली.

"अरे जरा याद करो, आज दोपहर में जब चाचा जी पीछे से अपना लंड तुम्हारी चूत में पेल रहे थे, तब तुम्हें जरा भी बुरा लगा क्या. तब तो तुम मजे से पापा जी का लंड अपने मुंह में चुभला चुभला के चूस रहीं थीं. एक ही जिन्दगी मिली है. इसे एन्जॉय करें. इसे क्यों बेकार में ऐसे ही जाने दे जमाने के बेकार के नियम मान कर?" अमर बोला.

"ह्म्म्म.... तो तुम कब से चुदाई के खेल खेल रहे हो?"

"बस मेरी रानी, जब से अठारह का हुआ, तबसे पेलाई कि प्रैक्टिस कर रहा हूँ. ताकि जब भी तुम जैसी कोई मिले उसे जीवन का पूरा मज़ा दे सकूं."

"और कितने रिश्तेदार शामिल होते हैं इस समारोह में?"

"अब चाचा का तुम्हें पता ही ही है. चाची भी एक नम्बर की चुदाक्कड हैं. मैं जब उनके यहाँ जाता हूँ, मुझे चाचा चाची के रूम में सोना पड़ता है. बाकी के रिश्तेदारों के बारे में धीरे धीरे पता चल जाएगा"

"और गौरव और विवेक?"

"जब भी घर में कोई जन्मदिन वगैरह मनाते हैं. हम सब मिल के मम्मी कि चुदाई करते हैं. जिसका जन्मदिन होता है उसे सब से पहले लेने को मिलती है."

"हे भगवान्..." ममता अभी भी हैरानी में थी

"कल छुट्टी है, गौरव और विवेक को भी तुमसे मिलवा देंगे" अमर बोला

"नहीं अमर. इस परिवार ने मुझे इतना चुदाक्कड बना दिया है. गौरव और विवेक से तो मैं अब अपने अंदाज़ से मिलूंगी. थोडा मुझे भी नए जवान लड़कों को रिझाने का मज़ा लेने को तो मिले"

"अरे बिलकुल ममता रानी. उन सालों कि किस्मत खुल जायेगी."

"हाँ अमर. बड़ा मज़ा आएगा मुझे मेरे दोनों देवरों को एक साथ चोद के". ममता पूरे उत्तेंजना में थी.

"दो दो मर्दों को एक बार चोद लिया आज तो अब दो से कम में काम नहीं चलेगा तुम्हारा लगता

है."

"नहीं अमर. एक बात मैं एकदम साफ़ कर दूं. अब मैं किसी से भी चुदूं या कुछ भी करू. पर सच्चा प्यार मैं हमेशा तुमसे ही करूंगी." ममता ने बोला.

"ममता रानी तुम मेरी हो और सदा मेरी रहोगी. ये मेरा वादा है". अमर ने उसका हाथ अपने हाथ में ले कर वादा दिया.

"तो क्या तुम लोगों कि बहनें भी?"

"मैंने पहले ही बताया कि मेरा पूरा परिवार एक दुसरे से एकदम खुला हुआ है. जब भी हम में से कोई भी अठारह वर्ष का हुआ, उसे पारिवारिक चुदाई समरोह का टिकट तुरंत दे दिया गया", अमर ने बोला.

"धीरे धीरे सब पता चलेगा. अभी इन चीजों का मजा एक एक कर के लो. सब इकट्ठे ले नहीं पाओगी" अमर ने बोला.

"आप ठीक कहते हो" ममता ने बोला.

इस परिवार की इस सारी चर्चा पर ममता कि चूत में एक अजीब सी सरसराहट होने लगी . उसकी चुंचियां टाइट हो कर उठ गयीं. अमर के लंड में भी जैसे जान आ गयी थी.

अमर बिस्तर छोड़ कर जमीन पर खड़ा हो गया. ममता ने देखा उसका लंड एकदम टाइट हो चुका था.

"आ जाओ जानेमन ....इस खड़े लंड का कुछ इंतज़ाम कर दूं....दोपहर की बात याद दिला कर मेरी चूत में भी पानी आ रहा है...." ममता पुकार उठी.

"ये हुई न बात. पर आज के दिन को थोडा और स्पेशल बनाएंगे ममता रानी." कहते हुए अमर दरवाजे तक गया.

ममता हैरान थी कि नंगा बदन अमर कहाँ बाहर की तरफ जा रहा है.

दरवाजा खोल कर अपना चेहरा बाहर निकाल कर बोला,

"आ जाइए"

बस कहने की देर थी कि दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए.

ममता को समझ आ गया कि उसकी जिन्दगी में अब चुदाई की तादाद अब जोरों से बढ़ने वाली है. और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी. जब उसके पति अमर की रजामंदी इसमें शामिल है तो उसे क्या ऐतराज़ होगा.

परिवार की इस सारी चर्चा पर ममता कि चूत में एक अजीब सी सरसराहट होने लगी . उसकी चुंचियां टाइट हो कर उठ गयीं. अमर के लंड में भी जैसे जान आ गयी थी.

अमर बिस्तर छोड़ कर जमीन पर खड़ा हो गया. ममता ने देखा उसका लंड एकदम टाइट हो चुका था.

"आ जाओ जानेमन ....इस खड़े लंड का कुछ इंतज़ाम कर दूं....दोपहर की बात याद दिला कर मेरी चूत में भी पानी आ रहा है...." ममता पुकार उठी.

"ये हुई न बात. पर आज के दिन को थोडा और स्पेशल बनाएंगे ममता रानी." कहते हुए अमर दरवाजे तक गया.

ममता हैरान थी कि नंगा बदन अमर कहाँ बाहर की तरफ जा रहा है.

दरवाजा खोल कर अपना चेहरा बाहर निकाल कर बोला,

"आ जाइए"

बस कहने की देर थी कि दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए.

ममता को समझ आ गया कि उसकी जिन्दगी में अब चुदाई की तादाद अब जोरों से बढ़ने वाली है. और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी. जब उसके पति अमर की रजामंदी इसमें शामिल है तो उसे क्या ऐतराज़ होगा.

दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए. ममता ने घबरा कर चादर खींच कर अपने नंगे बदन को धक् लिया. पर उन तीन लोगों ने अपने कपडे उतार फेंकने में एक पल भी नहीं लगाया.

"अरे ममता बेटी हम सब तो दोपहर में तुम्हें पूरा नंगा देख चुके हैं. अब हमसे कैसा पर्दा." ससुर जी कहा.

"हमारे इस खुले परिवार में तुम्हारा स्वागत है बेटी" सासु माँ ने कहते हुए उसकी चादर खींच कर फ़ेंक दी.

ममता की खुली दूध के जैसी गोरी चुंचियां छलक रही थीं. उसने अपनी टाँगे कास के बंद कर रखीं थी पर उसकी चूत का ऊपर का हिस्सा साफ़ नज़र आ रहा था. वो अभी भी शर्म से पानी पानी थी.

चाचा जी उसके बगल में बैठ कर उसकी चुंचियां सहलाने लगे. और पापा जी ने अपने हाँथ उसकी टांगों के बीच घुसा कर उसकी चूत खोल थी और और गीली चूत के ऊपर से अपनी उंगलिया फिराने लगे. ममता को ये सब अच्छा भी लग रहा था और अजीब भी.

इसी बीच ममता ने देखा कि उसका पति अमर बिस्तर पर खड़ा है. अमर कि माँ राजेश्वरी देवी अपने बेटे का खड़ा लंड अपने मुंह में लेकर चुभला रहीं हैं. अमर के लंड पांच मिनट पहले ही ममता की चूत का बाजा बजा रहा था. इसका मतलब ये था कि ममता कि सास अपनी बहु की चूत का रस अपने बेटे के लंड से चाट रहीं थीं.

ममता इस सबसे बड़ा गरम हो चुकी थी. उसने अपनी टाँगे अब पूरी खोल दीं. और चाचा जी को उनके होठों पर चूमने लगी. अमर ने अपनी "मासूम" बीवी का ये रूप आज तक देखा नहीं था. वो अपनी माँ के बड़े बड़े मम्मे जोरों से दबाने लगा.

ममता को बिस्तर पर लिटा दिया गया. पापा जी उसके ऊपर चढ़ गए और आना मोटा लंड उसकी गीली चूत में पेल दिया. चाचा जी ने अपना लंड उसके चेहरे पर लहराया तो ममता को इशारा समझने में एक पल भी लगा. उसने गपाक से चाचा जी का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसके लेमन चूस कि भाँति चूसने लगी.

ममता ने अमर के तरफ देखा. अमर ने अपनी माँ को कुतिया के पोस में लिटाया हुआ था. अमर एक एक्सपर्ट खिलाड़ी कि तरह धीरे और लम्बे धक्कों से राजेश्वरी देवी कि चूत में लंड पेल रहा था. ममता और अमर कि नज़रें मिलीं और अमर ने उसको आँख मारी और बोला,

"ममता पापा जी और चाचा जी का आशीर्वाद ठीक से लो"

"बहु कि चूत इतनी टाइट है कि मज़ा आ रहा है कसम से" ससुर जी बोला.

"भैया अगर आपको ऐतराज़ न हो तो मैं थोडा इस टाइट चूत का आनंद ले लूं" चाचा जी ने ममता के ससुर से पूछा.

"अरे बिलकुल जरूर. ममता को हमारे घर में सब का प्यार मिलना चाहिए." कहते ही ससुर जी ने अपना लंड उसकी चूत ने निकाल लिया.

चाचा जी ने ममता को उठा कर कुतिया के पोस में बिठाया और अपना लम्बा और मोटा लंड उसकी चूत में एक ही झटके में पेल दिया.

ममता सिहर उठी.

ममता ने देखा कि ससुर जी बिस्तर पर बैठे है और उनका लंड तना हुआ है. इसी बीच सासु माँ ने अमर को अमर को हटा लिया और कुतिया बने बने ससुर के पास आईं और अपने पति का लंड चूसने लगीं. अमर चल कर ममता के पास आया और अपनी माँ के रस से सना हुआ लंड उसके मुंह में दाल दिया.

उधर सासु माँ अपने पति के लंड के ऊपर बैठ कर अपनी गांड ऊपर नीचे हिलाने लगीं. चाचा जी ममता की चूत में बहुत जोर से पेलने लगे. ममता अभी तक एक बार झड चुकी थी और उसे लगा कि वो एक बार और झड़ने वाली है. उधर सासु माँ चीख चीख कर चुद रहीं थीं. ममता को अमर का लंड अपने मुंह में फूलता हुआ महसूस हुआ.

थोड़ी ही देर में पाँचों लोग एक एक कर के झड गए. आज के दिन में ममता ने तीन लोगों का लंड अपनी चूत में लिया और दो दो लोगों के लंड का रस अपने मुंह में.

ममता वैसे तो इस परिवार में विबाह कर के लगभग एक साल बाद आयी थी, पर वास्तव में वो परिवार का असली हिस्सा आज बनी.
Reply
06-08-2021, 12:52 PM,
#75
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
पापा मेरे पापा कितने प्यारे प्यारे तुम-1

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो ये कहानी एक बेटी की ज़ुबानी है उसने किस तरह अपने बाप को दूसरे की चुदाई करते हुए देखा और फिर कैसे वो अपने बाप की दीवानी हो गई..................
मेरा नाम सुनीता है और मेरी उमर 20 साल है, मेरे शरीर की रचना कुछ इस प्रकार है, मेरी लंबाई 5’6″.. चुचियाँ 36″.. कमर 28″.. और गान्ड.. 34″ है. एक बात मैं आपको कुछ भी शुरू करने से पहले बता दूं कि मुझे नये नये लंड लेना बहोत पसंद है.

दर असल मेरी ये नटखट चूत मुझे नये नये लंड लेने पर मजबूर कर देती है. क्योकि इसमे खुजली बहुत होती है और इसी लिए मेरी इस प्यारी सी चूत ने आज तक करीबन 13 लंड का स्वाद चखा है और मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि 14वा लंड आप सभी मे से किसी का भी हो सकता है. केसे वो कहानी के अंत मे बताउन्गि, तो चलो आब कहानी स्टार्ट करती हूँ.

बात आज से 2 साल पहले की है जब मैं 18 साल की होने वाली थी, मेरा बर्तडे बहोत नज़दीक आ रहा था और मुझे इसकी बड़ी खुशी भी थी. क्योकि मुझे बर्तडे गिफ्ट बहोत पसंद है, क्योकि मेरे मोम डॅड मुझे हर बार एक अलग ही गिफ्ट देते है और वो हमेशा ही अच्छा होता है.

तो बात मेरे बर्तडे से दो दिन पहले मैं रात को बाथरूम जाने के लिए उठी, मैं बाथरूम से जेसे ही बाहर निकली तो मैने एक साया सा देखा, पहले तो मैने अनदेखा कर दिया पर फिर जेसे ही मैं बेड पर बैठ और सोने लगी, तो मुझे डोर खुलने की आवाज़ आई, जिसे सुन कर मैं घबरा गयी. क्योकि उस वक्त रात के 1:38 बज रहे थे, तो मैने सोचा कही कोई चोर तो नही है ना, तो इस लिए मैं धीरे से आगे बढ़ी और रूम से बाहर आई और लॉबी मे आ गयी और चारो ओर देखने लगी कि आख़िर आवाज़ कहाँ से आई है.

मैं बहोत डर रही थी पर मैने होसला सा करके अपने कदम मैन-डोर की ओर बढ़ाए और देखा कि डोर लॉक नही है. मुझे थोड़ा अजीब सा लगा तो मैने हल्के से डोर खोला और बाहर की ओर झाँकने लगी, और मैं क्या देखती हूँ कि एक आदमी हमारे घर के गेट पर एक कोने मे लगा हुआ बैठा और बाहर की ओर देख रहा है. पहले तो मुझे समझ नही आया कि वो कॉन है पर जेसे ही उसने अपना फोन निकाला और फोन ऑन किया, तो उसकी लाइट से पता चला कि वो आदमी कोई और नही बल्कि मेरे डॅड है.

मैं हेरान थी कि डॅड आख़िर वहाँ इस वक्त रात को क्या कर रहे है, मैं उन्हे आवाज़ लगाने ही वाली थी कि वो चोरों की तरह छुपते हुए वहाँ से उठे और बाहर की और जाने लगे. मैने भी सोच लिया कि अब मुझे जानना ही पड़ेगा कि आख़िर माजरा क्या है, तो मैने भी छुपते हुए उनका पिछा शुरू किया और देखा कि वो हमारी पड़ोसन मिस काव्या के घर घुस गये.

मैं जब वहाँ पहुँची तो मैने देखा कि गेट खुला हुआ है तो मैं भी उनके घर मे घुस गयी, पर वहाँ कोई नही था और एक दम अंधेरा था. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आख़िर डॅड गये तो गये कहाँ? फिर अचानक एक रूम की लाइट ऑन हो गयी और उस रूम की खिड़की से रोशनी बाहर आने लगी. मैने तुरंत वहाँ से अंदर झाँका और मैं अंदर का नज़ारा देख कर दंग रह गयी.

मेरे पापा अंदर एक दम नंगे खड़े थे और मिस काव्या उनके लगभग 7″ लंबे और मोटे लंड को मूह मे लाकर मज़े से चूस रही थी. मैं ये सब देख कर हेरान थी पर मुझे गुस्सा भी बहोत आया कि डॅड ऐसा केसे कर सकते है. तभी अंदर से आवाज़ आने लगी.

काव्या – अम्म्म्म.. आमम्म्म.. डार्लिंग मुझे तुम्हारे लंड का स्वाद बहोत पसंद है.

डॅड – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

काव्या – नही आज तो मैं जी भर के तुम्हारे इस मोटे लंड को चूसने वाली हूँ.

डॅड – अहह.. नही बेबी आज हमें जल्दी करना होगा, मैं बड़ी मुश्किल से आया हूँ.

काव्या – ओह्ह्ह.. फ्फो कभी तो जल्द बाजी छोड़ दिया करो.

डॅड – आह.. तुम मस्त चूस रही हो बेबी चुस्ती रहो.

काव्या – क्यो तुम्हारी वो कुत्ति पत्नी तुम्हारे लंड से नही खेलती क्या.

डॅड – नही वो ऐसे चुसाइ कभी नही करती मेरी जान कम ऑन अह्ह्ह्ह..

मुझे ये सुनकर बहोत गुस्सा आया, पर देखते ही देखते डॅड अपने असली रूप मे आ गये और उन्होने मिस काव्या को बेड पर लिटाया और अपने मोटे तगड़े साँप को उसकी चूत की गहराइयों मे पहुचा दिया, और कब डॅड ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कब रूम से आहह.. आह.. की आवाज़े आने लगी पता ही नही चला.

डॅड पूरी रफ़्तार से मिस काव्या की ठुकाई कर रहे थे, वो लंड को पूरा बाहर निकालते और स्टाककक से पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देते, इससे काव्या की चीख निकल जाती और वो डॅड वो गालिया निकालने लग गई, और डॅड भी उसकी माँ बहेन कर देते. वो चुदाई इतनी मजेदार हो गयी थी कि मेरा हाथ भी कब मेरी नरम से चूत पर चला गया मुझे पता ही नही चला और मैने लोअर मे हाथ घुसाया और अपनी चूत मे उंगली घुसाने लगी.

डॅड धड़ा धड़ काव्या की चुदाई कर रहे थे.

काव्या – चोद साले चोद आहह.. फाड़ दे मेरी चूत बहेन चोद साले अह्ह्ह्ह..

डॅड – तेरी माँ की चूत साली कुतिया बहेन की लौडी, ले ये ले बहेन चोद.

काव्या – ह.. चोद चोद मेर राजा आहह.. फाड़ दे आअज..

डॅड – अहह.. तेरी चूत आज बड़ी टाइट लग रही है, क्या हुआ तेरी वो खस्सि पति तेरी बजाता नही है क्या?

काव्या – नही वो बहेन का लोड्‍ा है साला बस काम करता रहता है सारा दिन रात ऑफीस मे.

काव्या – साले तू उस माँ चोद भोन्सडि के बीज का नाम क्यो ले रहा है, मेरा मज़ा खराब होता है.

डॅड- साली कुतिया ले तेरी चूत का बाजा बजाता हूँ आज.

और इतना बोलते ही डॅड ने पूरी रफ़्तार से मिस काव्या की चुदाई करना शुरू कर दिया. काव्या चिल्लाती रही पर डॅड एक ही पोज़ मे उसे 30 मिंट तक लगातार चोदते रहे, और इस दोरान वो तीन बार झड़ी पर डॅड बिना रुके उसे धड़ा धड़ बस चोदते रहे.

डॅड को देख कर मेरा नज़रिया अब उनके लिए कुछ और ही हो चुका था, उनका वो मोटा लंड मेरी आँखो मे वासना जगा चुका था और ये सोचते सोचते मैं भी झाड़ गयी, और उधर डॅड ने भी लंड चूत से निकाला और पचछररर पचछररर वीर्य की पिचकारियाँ मार मार कर काव्या का सारा शरीर अपने गरम गरम माल से नहला दिया.

मैं तो ये सब देख कर एक दम हेरान थी, मैने ऐसा दृश्य पहले कभी न्ही देखा था. डॅड का लंड अब आधा मुरझा गया था और इस दशा मे वो और भी सेक्सी लग रहा था. मैं तो जेसे उनके लंड की दीवानी सी हो गयी थी, फिर मैने वहाँ देर नही की और वहाँ से घर आ गई और थोड़ी देर बाद डॅड भी चुपके से आए और अपने रूम मे जा कर सो गये. मैने उस दिन रात भर डॅड को सोच कर अपनी चूत मे उंगली की और कई बार झड़ी.

क्रमशः.......................................................
Reply
06-08-2021, 12:52 PM,
#76
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
पापा मेरे पापा कितने प्यारे प्यारे तुम-2

रात को कई बार अपनी चूत मे उंगली करने के बाद मुझे काफ़ी अच्छी नीद आई और सुबह जब मेरी आँख खुली, तो बस मेरी आँखों के सामने डॅड का वो मोटा लंड नज़र आ रहा था. मुझे तो सोच कर ही बहोत खुशी हो रही थी, मैं मन ही मन मचल सी रही थी.

खेर मैं वहाँ से उठी और नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गयी और नहाते वक्त तो मैं अपनी चूत मे उंगली किए बिना रह ही नही सकी. नहाने के बाद जब मैं कपड़े पहेन कर अपने रूम से बाहर आई, तो मोम-डॅड सामने टेबल पर बैठे ब्रेक फास्ट कर रहे थे.

मैं – गुड मॉर्निंग मोम-डॅड.

मोम – गुड मॉर्निंग

डॅड – गुड मॉर्निंग बेटा, आओ नाश्ता कर लो.

मैं – हां ठीक है.

मोम – नहा के भी आई हो या ऐसे ही आ गयी हो.

मैं – कम ऑन मोम मैं नहा कर आई हूँ.

डॅड – हां तभी पूरी चमक रही हो.

मैं – हाहाहा डॅड आप भी ना.

मैं (मन मे) – पर मुझसे ज़्यादा तो आपका वो मोटा लंड चमकता है मेरे सेक्सी डॅड.

खेर हम ने ब्रेक फास्ट किया और फिर डॅड अपने ऑफीस के लिए निकल गये और मोम भी घर के काम मे लग गयी, मेरी उस दिन स्कूल से छुट्टी थी, तो मैं तो बस बस ये ही सोच रही थी कि आख़िर डॅड के साथ ऐसा कॉन्सा खेल खेला जाए कि मुझे उनके साथ स्वर्ग मे जाने का मोका मिल सके.

वैसे तो मेरा एक बाय्फ्रेंड है और उसने मेरी कई बार ठुकाई भी की है, पर डॅड के लंड को और रात की वो चुदाई देखने के बाद मेरा मन मान ही नही रहा था. मैं तो बस ये चाहती थी कि आख़िर किसी भी तरह से कुछ ऐसा किया जाए कि मैं डॅड को ब्लॅकमेल या ऐसा ही कुछ कर सकूँ.

तो मैने तय किया कि मैं डॅड पर रात को नज़र रखूँगी और जब भी वो दोबारा हमारी पड़ोसन मिस काव्या के घर जाएगे तो मैने उनकी एक वीडियो बना लूँगी ताकि उससे उनको ब्लॅकमेल किया जा सके. मैं ऐसा ही किया मैं उस रात बिल्कुल नही सोई और बस डॅड के बाहर जाने का इंतेज़ार करने लगी. पर मेरी कराब किस्मत वो वहाँ नही गये और मुझे अपनी उंगली से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ी.

मैं ऐसे ही कुछ दिनो तक उनपर रात को नज़र रखती रही, पर वो दोबारा वहाँ जा ही नही रहे थे. मेरा तो जेसे सबर ही टूटा जा रहा था, तो मैने तय किया कि कल सुबह मैं केसे भी करके कुच्छ ना कुच्छ तो ज़रूर करूँगी.

अगले दिन मैने पूरी प्लानिंग की हुई थी कि कोन्सि बात कब और कहाँ कहनी है, मैं रेडी हो कर अपने रूम से बाहर आई और मैने डॅड से कहा प्लीज़ आज मुझे स्कूल तक छोड़ देना मेरी सहेली आज नही जा रही नही तो मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा. तो जो कि होना ही था उन्होने हां करदी और मेरा काम बन गया.

डॅड ने कार निकाली और हम दोनो बैठे और घर से निकल गये और इतेफ़ाक से जब हम घर से निकल रहे थे मिस काव्या हमे अपने गेट पर खड़ी मिली. डॅड ने उसे चोर नज़र से देखा और आँख मार दी, मैने सब देख लिया और फिर.

मैं – डॅड काव्या जी भी बहोत अच्छी है.

डॅड – हां बेटा बहोत अच्छी है

मैं – हां पर बेचारी हमेशा अकेली ही रहती है, उनके पति तो बस सारा दिन काम ही करते रहते है.

डॅड – हां बेटा पर इसी लिए वो बहोत अमीर भी तो है ना.

मैं – हां अमीर तो है पर खुश नही है.

डॅड – क्यो खुश क्यो नही है?

मैं – मतलब उनके साथ कोई बात करने वाला नही होता और वो आस पास के लोगो से भी ज़्यादा बात नही करती, हम लोगो से भी कभी कभी ही बात करती है.

डॅड – बेटा शायद वो भी अपने पति की तरह बिज़ी रही होगी, शायद इसी लिए.

मैं – हां, या फिर किसी और के साथ.

डॅड (हेरान होते हुए)- किसी और के साथ मतलब?

मैं – पता नही मैने कई बात उनके घर एक अंजाने से आदमी को आते हुए देखा है.

डॅड – किस तरह का अंजान आदमी?

मैं – पता न्ही, मैने एक दिन रात को उनके घर एक आदमी को चोरों की तरह छुपते हुए जाते देखा था.

मेर मूह से ये बात सुनके डॅड का तो जेसे हलक ही सूख गया.

डॅड (लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे)- बेटा क्या पता वो कोई जानवर होगा कोई कुत्ता या और कुछ?

मैं – कम ऑन डॅड अब आप अपने आपको कुत्ता क्यो बुला रहे हो.

ये बात सुनते ही डॅड ने एक दम से कार साइड मे लगाई और हैरानी से मुझे देखने लगे, डर उनके चेहरे पर सॉफ नज़र आ रहा था.

डॅड (घबराते हुए) – सुनीता ये क्या बात है अपने पापा को कुत्ता कह रही है और तेरा मतलब क्या है.

मैं – कम ऑन डॅड अब इतने भी भोले मत बनो मुझे आपके और काव्या के बारे मे सब पता चल गया है.

डॅड (घबराते हुए) – क्या पता चल गया है.

मैं – अब क्या ये भी मुझे बताना पड़ेगा.

डॅड (घबराते हुए)- देख तेरा ये मज़ाक बहोत हो गया.

मैं – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

मेरे मूह से ये बात सुनते ही मैं आपको लड़को के अंदाज मे बताऊ तो डॅड की तो गान्ड ही फट गयी.

डॅड (गुस्से मे)- बदतमीज़ अपने डॅड के सामने ये सब बाते करती है तुझे शरम नही आती?

मैं – डॅड अब ज़्यादा ओवर मत हो जाओ, सीधे सीधे अपनी ग़लती मान लो.

डॅड – अपनी बकवास बंद कर.

मैं – ठीक है तो फिर मैं आपकी और काव्या जी की वीडियो आज घर जाते ही मोम को दिखा दूँगी.

वीडियो की बात सुनते ही डॅड का तो पुच्छ मत बुरा ही हाल हो गया.

डॅड (गिडगिडाते हुए)- प्लीज़ बटी ऐसा मत करना मुझे माफ़ कर्दे मैं आगे से कभी अभी काव्या से नही मिलूँगा तेरी कसम.

मैं – कम ऑन डॅड मुझे इससे कोई फरक नही पड़ता कि आप किसके साथ सोते हो और किसके साथ नही, मुझे तो बस अपनी बात पूरी करवानी है.

डॅड (हैरानी से)- क्या?

मैं – ह्म्‍म्म्म.

डॅड – कौन सी बात?

मैं – डॅड मुझे भी आपके लंड का स्वाद चखना है.

मेरे ये कहते ही डॅड भड़क उठे और बेकाबू होकर मुझ पर चिल्लाने लगे, और जेसा कि आप सभी जानते ही है कि आख़िर मे जीत तो आख़िर मेरी ही होनी थी.

मैने डॅड से कहा कि कल मेरा 18वा बर्तडे है और मुझे आपका लंड ही गिफ्ट मे चाहिए. डॅड भी अब क्या कर सकते थे उनका एक अनमोल खजाना मेरे पास जो था जोकि उनके सारे राज खोल सकता था.

हम ने तय किया कि रात को आते टाइम डॅड आइस क्रीम लेकर आएगे और उसी मे हम मोम को नींद की गोलियाँ मिला कर दे देंगे. क्योकि उस रात घर मे बहोत हहा कार मचने वाला था.

सब वैसे ही किया जैसा मैने सोचा था और मैने वैसे ही मोम की आइस क्रीम मे नीद की गोलियाँ मिलाई और वो सोने चली गयी, और मैं रात के 1:04 बजने का इंतेज़ार करने लगी. अब आप सोचोगे कि 1:04 क्यों?, तो दोस्तो बात सीधी सी है मेरा जनम रात 1 बजकर 4 मिनट पर ही हुआ था, तो इसी लिए हम ने ये टाइम तय किया था.

मैं तो अपने बेड पर लेटी हुई बस दरवाजे की ओर देखे जा रही थी और साथ साथ अपनी चुचियों को तो कभी कभी अपनी चूत को सहला रही थी. मुझसे तो बिल्कुल भी इंतेज़ार नही हो रहा था, ऐसा लग रहा था जेसे पहली बात चुदने जा रही हूँ.

फिर आख़िर वो टाइम आ ही गया जब डॅड ने अपने दर्शन मेरे रूम मे ठीक 1:04 पर दिए, मैं तो उन्हे देख कर ही फूली नही समा रही थी. डॅड भी मुझे कामुकता भरी नज़रों से देख रहे थे, शायद वो समझ चुके थे कि अब अगर जवान माल मिल ही रहा है तो क्यो ना इस मज़े से चोदा जाए. उस वक्त मेरे सामने खड़ा वो आदमी मेरे लिए सिर्फ़ एक मर्द था और शायद डॅड के लिए मैं एक औरत. दोस्तो पढ़ते रहिए क्योकि कहानी अभी जारी रहेगी,

रात को कई बार अपनी चूत मे उंगली करने के बाद मुझे काफ़ी अच्छी नीद आई और सुबह जब मेरी आँख खुली, तो बस मेरी आँखों के सामने डॅड का वो मोटा लंड नज़र आ रहा था. मुझे तो सोच कर ही बहोत खुशी हो रही थी, मैं मन ही मन मचल सी रही थी.

खेर मैं वहाँ से उठी और नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गयी और नहाते वक्त तो मैं अपनी चूत मे उंगली किए बिना रह ही नही सकी. नहाने के बाद जब मैं कपड़े पहेन कर अपने रूम से बाहर आई, तो मोम-डॅड सामने टेबल पर बैठे ब्रेक फास्ट कर रहे थे.

मैं – गुड मॉर्निंग मोम-डॅड.

मोम – गुड मॉर्निंग

डॅड – गुड मॉर्निंग बेटा, आओ नाश्ता कर लो.

मैं – हां ठीक है.

मोम – नहा के भी आई हो या ऐसे ही आ गयी हो.

मैं – कम ऑन मोम मैं नहा कर आई हूँ.

डॅड – हां तभी पूरी चमक रही हो.

मैं – हाहाहा डॅड आप भी ना.

मैं (मन मे) – पर मुझसे ज़्यादा तो आपका वो मोटा लंड चमकता है मेरे सेक्सी डॅड.

खेर हम ने ब्रेक फास्ट किया और फिर डॅड अपने ऑफीस के लिए निकल गये और मोम भी घर के काम मे लग गयी, मेरी उस दिन स्कूल से छुट्टी थी, तो मैं तो बस बस ये ही सोच रही थी कि आख़िर डॅड के साथ ऐसा कॉन्सा खेल खेला जाए कि मुझे उनके साथ स्वर्ग मे जाने का मोका मिल सके.

वैसे तो मेरा एक बाय्फ्रेंड है और उसने मेरी कई बार ठुकाई भी की है, पर डॅड के लंड को और रात की वो चुदाई देखने के बाद मेरा मन मान ही नही रहा था. मैं तो बस ये चाहती थी कि आख़िर किसी भी तरह से कुछ ऐसा किया जाए कि मैं डॅड को ब्लॅकमेल या ऐसा ही कुछ कर सकूँ.

तो मैने तय किया कि मैं डॅड पर रात को नज़र रखूँगी और जब भी वो दोबारा हमारी पड़ोसन मिस काव्या के घर जाएगे तो मैने उनकी एक वीडियो बना लूँगी ताकि उससे उनको ब्लॅकमेल किया जा सके. मैं ऐसा ही किया मैं उस रात बिल्कुल नही सोई और बस डॅड के बाहर जाने का इंतेज़ार करने लगी. पर मेरी कराब किस्मत वो वहाँ नही गये और मुझे अपनी उंगली से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ी.

मैं ऐसे ही कुछ दिनो तक उनपर रात को नज़र रखती रही, पर वो दोबारा वहाँ जा ही नही रहे थे. मेरा तो जेसे सबर ही टूटा जा रहा था, तो मैने तय किया कि कल सुबह मैं केसे भी करके कुच्छ ना कुच्छ तो ज़रूर करूँगी.

अगले दिन मैने पूरी प्लानिंग की हुई थी कि कोन्सि बात कब और कहाँ कहनी है, मैं रेडी हो कर अपने रूम से बाहर आई और मैने डॅड से कहा प्लीज़ आज मुझे स्कूल तक छोड़ देना मेरी सहेली आज नही जा रही नही तो मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा. तो जो कि होना ही था उन्होने हां करदी और मेरा काम बन गया.

डॅड ने कार निकाली और हम दोनो बैठे और घर से निकल गये और इतेफ़ाक से जब हम घर से निकल रहे थे मिस काव्या हमे अपने गेट पर खड़ी मिली. डॅड ने उसे चोर नज़र से देखा और आँख मार दी, मैने सब देख लिया और फिर.

मैं – डॅड काव्या जी भी बहोत अच्छी है.

डॅड – हां बेटा बहोत अच्छी है

मैं – हां पर बेचारी हमेशा अकेली ही रहती है, उनके पति तो बस सारा दिन काम ही करते रहते है.

डॅड – हां बेटा पर इसी लिए वो बहोत अमीर भी तो है ना.

मैं – हां अमीर तो है पर खुश नही है.

डॅड – क्यो खुश क्यो नही है?

मैं – मतलब उनके साथ कोई बात करने वाला नही होता और वो आस पास के लोगो से भी ज़्यादा बात नही करती, हम लोगो से भी कभी कभी ही बात करती है.

डॅड – बेटा शायद वो भी अपने पति की तरह बिज़ी रही होगी, शायद इसी लिए.

मैं – हां, या फिर किसी और के साथ.

डॅड (हेरान होते हुए)- किसी और के साथ मतलब?

मैं – पता नही मैने कई बात उनके घर एक अंजाने से आदमी को आते हुए देखा है.

डॅड – किस तरह का अंजान आदमी?

मैं – पता न्ही, मैने एक दिन रात को उनके घर एक आदमी को चोरों की तरह छुपते हुए जाते देखा था.

मेर मूह से ये बात सुनके डॅड का तो जेसे हलक ही सूख गया.

डॅड (लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे)- बेटा क्या पता वो कोई जानवर होगा कोई कुत्ता या और कुछ?

मैं – कम ऑन डॅड अब आप अपने आपको कुत्ता क्यो बुला रहे हो.

ये बात सुनते ही डॅड ने एक दम से कार साइड मे लगाई और हैरानी से मुझे देखने लगे, डर उनके चेहरे पर सॉफ नज़र आ रहा था.

डॅड (घबराते हुए) – सुनीता ये क्या बात है अपने पापा को कुत्ता कह रही है और तेरा मतलब क्या है.

मैं – कम ऑन डॅड अब इतने भी भोले मत बनो मुझे आपके और काव्या के बारे मे सब पता चल गया है.

डॅड (घबराते हुए) – क्या पता चल गया है.

मैं – अब क्या ये भी मुझे बताना पड़ेगा.

डॅड (घबराते हुए)- देख तेरा ये मज़ाक बहोत हो गया.

मैं – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

मेरे मूह से ये बात सुनते ही मैं आपको लड़को के अंदाज मे बताऊ तो डॅड की तो गान्ड ही फट गयी.

डॅड (गुस्से मे)- बदतमीज़ अपने डॅड के सामने ये सब बाते करती है तुझे शरम नही आती?

मैं – डॅड अब ज़्यादा ओवर मत हो जाओ, सीधे सीधे अपनी ग़लती मान लो.

डॅड – अपनी बकवास बंद कर.

मैं – ठीक है तो फिर मैं आपकी और काव्या जी की वीडियो आज घर जाते ही मोम को दिखा दूँगी.

वीडियो की बात सुनते ही डॅड का तो पुच्छ मत बुरा ही हाल हो गया.

डॅड (गिडगिडाते हुए)- प्लीज़ बटी ऐसा मत करना मुझे माफ़ कर्दे मैं आगे से कभी अभी काव्या से नही मिलूँगा तेरी कसम.

मैं – कम ऑन डॅड मुझे इससे कोई फरक नही पड़ता कि आप किसके साथ सोते हो और किसके साथ नही, मुझे तो बस अपनी बात पूरी करवानी है.

डॅड (हैरानी से)- क्या?

मैं – ह्म्‍म्म्म.

डॅड – कौन सी बात?

मैं – डॅड मुझे भी आपके लंड का स्वाद चखना है.

मेरे ये कहते ही डॅड भड़क उठे और बेकाबू होकर मुझ पर चिल्लाने लगे, और जेसा कि आप सभी जानते ही है कि आख़िर मे जीत तो आख़िर मेरी ही होनी थी.

मैने डॅड से कहा कि कल मेरा 18वा बर्तडे है और मुझे आपका लंड ही गिफ्ट मे चाहिए. डॅड भी अब क्या कर सकते थे उनका एक अनमोल खजाना मेरे पास जो था जोकि उनके सारे राज खोल सकता था.

हम ने तय किया कि रात को आते टाइम डॅड आइस क्रीम लेकर आएगे और उसी मे हम मोम को नींद की गोलियाँ मिला कर दे देंगे. क्योकि उस रात घर मे बहोत हहा कार मचने वाला था.

सब वैसे ही किया जैसा मैने सोचा था और मैने वैसे ही मोम की आइस क्रीम मे नीद की गोलियाँ मिलाई और वो सोने चली गयी, और मैं रात के 1:04 बजने का इंतेज़ार करने लगी. अब आप सोचोगे कि 1:04 क्यों?, तो दोस्तो बात सीधी सी है मेरा जनम रात 1 बजकर 4 मिनट पर ही हुआ था, तो इसी लिए हम ने ये टाइम तय किया था.

मैं तो अपने बेड पर लेटी हुई बस दरवाजे की ओर देखे जा रही थी और साथ साथ अपनी चुचियों को तो कभी कभी अपनी चूत को सहला रही थी. मुझसे तो बिल्कुल भी इंतेज़ार नही हो रहा था, ऐसा लग रहा था जेसे पहली बात चुदने जा रही हूँ.

फिर आख़िर वो टाइम आ ही गया जब डॅड ने अपने दर्शन मेरे रूम मे ठीक 1:04 पर दिए, मैं तो उन्हे देख कर ही फूली नही समा रही थी. डॅड भी मुझे कामुकता भरी नज़रों से देख रहे थे, शायद वो समझ चुके थे कि अब अगर जवान माल मिल ही रहा है तो क्यो ना इस मज़े से चोदा जाए. उस वक्त मेरे सामने खड़ा वो आदमी मेरे लिए सिर्फ़ एक मर्द था और शायद डॅड के लिए मैं एक औरत.
Reply
06-08-2021, 12:52 PM,
#77
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मामी की जबर्जस्ती चुदाई

हेलो दोस्तो मेरा नाम मनीष है और में 26 साल का हूँ. ,मेरा लंड 6 इंच लंबा और 3 इंच चौड़ा है. और बॉडी बहुत सुंदर है और मेरी हाइट ६ फीट है. मुझे चूत देखना और फिर उसमे लंड डालना बड़ा पसंद ही हैं.

में आगरा का रहने वाला हूँ और मेरे घर में मेरे मम्मी पापा और में हूँ. यह बात 3 साल पहले की है. मेरे पापा का ट्रान्सफर बाहर हो गया था. इसलिए घर पर अब में और मम्मी ही रह गए थे. मेरे एक मामाजी है और वो आर्मी में थे. पर वो कुछ टाइम पहले गुजर हो चुके थे. मामी के दोनों बेटे भी फ़ौज में थे.

लेकिन उनकी वाइफ यानी मामी की बहु घर पर ही रहती थी और वो मामी को बहुत परेशान करती थी. में आप को मामी के बारे में बता देता हूँ. ,

मेरी मामी की उम्र 45 साल है उनका फिगर बहुत शानदार है. उनकी हाइट ५ फीट ६ इंच है. उनके बूब्स ३८ , विस्ट ३० अस ३८ है. मेरी मामी का फिगर बहुत टाइट है.

उसके २ कारन है एक तो मेरे मामा फ़ौज में थे जिससे मामी का मामा के साथ लाइफ में बहुत कम सेक्स हुआ. और दूसरा मामी घर का सारा काम खुद करती थी तो फिट रहती थी. मामी की दोनों बहु मामी को बहुत परेशान करती थी और एक दिन तो हद ही हो गयी.

उन्होंने मामी के साथ मार पीट कर दी. उन्होंने रोते हुए सब मेरी मम्मी को बताया. मेरी मम्मी बहुत सॉफ्ट दिल की है . उन्होंने उन्हें हमारे पास बुला लिया. अब मामी हमारे पास ही रहती थी.

मामी घर के काम में मम्मी का हाथ बटाती थी. मामी सुबह झाड़ू लगाती तो उनके बूब्स साफ़ दिखते थे. जिसे देख कर मेरे मुह में पानी आ जाता था. मेरे मन में वासना की भूख बढती जा रही थी. और मामी के यहाँ रहने से वो और ज्यादा निखर गयी. मामी के मन में सेक्स की कोई इच्छा नही थी.

एक दिन मैंने सोच ही लिया कि मुझे मामी के साथ सेक्स करना है. उनकी जवानी जो अधूरी रह गयी है उसका रस पीना है. उसकी जवानी को लूटना है. मामी आज भी ३५ की लगती थी. इसी तरह दिन निकलते गए. लेकिन मुझे एक दिन मौका मिल ही गया. मेरे पापा के सर्वेंट ने छुट्टी कर ली तो मम्मी को पापा के पास जाना पड़ा.. मम्मी को मेरी कोई चिंता नहीं थी क्यूंकि मेरे साथ मामी थी. मेरे तो ख़ुशी का ठीकाना ही नहीं रहा . मम्मी सुबह में ही पापा के पास जाने के लिए निकल गयी.

दिन में हमने साथ खाना खाया और शाम को में शॉप से सेक्स की गोलिया ले आया क्यूंकि आज रात को मुझे अपने काम को अंजाम देना था. कुछ नींद की गोलिया भी ले आया. रात में मामी नहाने चली गयी और जब वो बाहर निकली तो बहुत सेक्सी लग रही थी.

उन्होंने नीचे घाघरा और ऊपर कुर्ती पहनी थी. मैंने और मामी ने खाना खाया और ११ बजे तक हम टीवी देखते रहे. मामी मुझसे बहुत कम बोलती थी क्यूंकि वो शर्मीले स्वाभाव की थी.मैंने सेक्स की गोलिया खा ली थी.

अब मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और हाँ मैंने मामी के खाने में नींद की गोली भी मिला दी थी. और उनका असर अब दिख रहा था क्यूंकि मामी को नींद आने लगी थी. और मामी सोने चली गयी. लेकिन मुझे कहाँ नींद आ रही थी. आधे घंटे बाद में मामी के रूम में गया तो मामी गहरी नींद में थी.

मामी का घागरा घुटनों तक था और टाँगे एक दम चिकनी थी. रूम में हलकी हलकी रौशनी थी. मैंने घागरे को ऊपर किया उफ्फ्फ…. मामी की जांघे एक दम मस्त थी. मुझ से बिलकुल भी कण्ट्रोल नहीं हो रहा था. मामी ने ऊपर ब्लाउज पहना हुआ था. कुर्ती मामी ने खोल दी थी.

मामी की पतली कमर और चिकनी जांघे देख कर मुझ से कण्ट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने धीरे धीरे मामी का घागरा थोडा और ऊपर उठाया तो देखा मामी ने नीचे कुछ नहीं पहना था. उफ्फ्फ… काले काले बाल चूत पे. इतनी चिकनी और प्यारी चूत में तो बेहाल हो गया.

इतने में मामी ने करवट ली. मैं चोंक गया कि नींद की गोलियों का असर नहीं हुआ. लेकिन मुझे आज मामी को चोदना ही था. किसी भी हालत में. में किचिन से चाकू ले आया. और अब लग गया अपने काम पर. मैंने अपने सारे कपडे खोल दिए.

मामी के ब्लाउज के बटन धीरे धीरे खोलने लगा. कि इतने में मामी जाग गयी और मुझे इस हालत में देख कर चौंक गयी और जोर से चिल्लाई ! अरे मनीष ! तू यहाँ क्या कर रहा है? उन्हें अचानक समझ ही नहीं आया. फिर मामी ने देखा कि उनका घागरा उनकी कमर तक उठा हुआ है.

तो वो सब समझ गयी और कमरे से बाहर जाने लगी. मैंने उनको पकड़ लिया. वो चिल्लाने लगी और गालिया देने लगी. मैंने मामी को धमकाया कि अगर वो चिल्लाई तो जान से मार दूंगा. मेरे हाथ में चाकू देख कर मामी डर गयी. मैंने चाकू उनकी गर्दन पर लगा दिया.

वो रोने लगी, प्लीज मनीष ऐसा मत करो मेरे साथ. में तुम्हारी मामी हूँ. मेरी इज्ज़त मत ख़राब करो. में तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.

मैंने मामी से कहा कि इतनी मस्त जवानी है. फ्री में ख़तम हो रही है. हमारे घर पर रहती हो. तो क्या इतना सब भी नहीं कर सकती लेकिन वो सिर्फ रो रही थी.

मैंने कहा कि अगर तुम नहीं मानी तो तुम पर झूठा इलज़ाम लगा कर घर से बाहर निकलवा दूंगा. यह कहते ही वो डर गयी. वो वापिस अपनी बहुओ के पास नहीं जाना चाहती. मैंने कहा कि में जो करना चाहता हूँ मुझे करने दो किसी को पता भी नहीं चलेगा. अब वो चुप हो गयी. मैंने लोहा गरम देख कर हथोडा मार दिया.

मामी को पलंग पर लिटा कर चाकू साइड में रखा और मामी ने सपर्पण कर दिया. में मामी को बुरी तरह चूमने लगा. उनका ब्लाउज फाड़ दिया और ब्रा भी फाड़ के फेंक दी. और घागरा भी खोल कर फेंक दिया. अब मामी मेरे सामने बिलकुल नंगी थी.

मामी के बूब्स इतने बड़े और गोल मटोल टाइट थे कि क्या बताऊ. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि एक 45 साल की ऐज में औरत इतनी जयादा सेक्सी हो सकती है. में मामी को पूरा चूसने लगा. वो अभी भी रोये जा रही थी. और अपने आप को छुड़ाने की भीख मांग रही थी.

लेकिन में नहीं रुका और मैंने मामी के बूब्स पर हमला बोल दिया. उनको बुरी तरह मसलने लगा. खूब चूसा अपने दांत गढ़ा दिए. अब मामी को दर्द होने लगा. उसने अब वापिस संघर्ष करना शुरू कर दिया. उसने देखा कि चाकू दूर रखा हुआ है.

तो वो अब हाथ पाँव चलाने लगी . मामी शरीर की काफी हेल्ती थी तो वो अपना पूरा जोर लगाने लगी मुझे दूर करने के लिए. लेकिन में दूर नहीं हो रहा था. अब मुझे लगा कि अब जयादा टाइम देना ठीक नही.

तो मैंने मामी को चोदने के लिए मामी की टाँगे खोलनी चाही. लेकिन उसने दोनों टांगो को बिलकुल बाँध लिया था और मुझे धक्का देने लगी. इतने में उसने मुझे धक्का दिया और बाहर की तरफ भागी.

लेकिन पूरे घर में अँधेरा होने की वजह से वो एक चेयर से टकरा गयी और गिर गयी पर अब भी वो संभल कर भागने की कोशिश कर रही थी. वो घर से बाहर जाना चाहती थी. लेकिन मैंने उसे पकड़ लिया. अब भी वो तैयार नहीं थी. इतने में मुझे बहुत गुस्सा आ गया. पर मैंने आराम से अपना दिमाग चलाया.

मैंने मामी की चूत में उंगली डाल दी जिस से वो थोड़ी ढीली पड़ी और इतने में मैंने उसे गोद में उठाया और वापिस रूम में ले आया और पलंग पर पटक दिया और रूम लॉक कर दिया. वो फिर से उठने की कोशिश कर रही थी लेकिन में अब पूरा गुस्से में था . मैंने उसे धक्का दे कर लिटा दिया और खुद उस पर चढ़ गया.

अब मेरे पास एक यही तरीका था में फटाफट उसको चोद दूँ. उसकी चूत इतनी चिकनी लग रही थी कि किसी के भी मुह में पानी आ जाये. लेकिन उसने अपनी टाँगे फिर से बाँध ली. इस बार मैंने उन्हें अलग किया और टांगो के बीच में आ गया. तब वो अपनी चूत के आगे हाथ लगाने लगी.

लेकिन मैंने उसका हाथ हटा दिया और अपने एक हाथ से उसके दोनों हाथो को ऊपर की ओर पकड़ लिया और दुसरे हाथ से अपने लोडे को उसकी चूत पे सेट किया. वो हलकी सी गीली थी. मैंने लंड को सेट कर के ज़ोरदार शॉट लगाया और पूरा लौंडा मामी की चूत में चला गया.

मामी के मुह से चीख निकल गयी. उसे चुदे हुए १०- १२ साल हो गए थे. चूत बहुत ज़यादा टाइट थी. अब मैंने ज़ोरदार शॉट लगाने शुरू किये. उसकी आँखों से दर्द के आंसू आने लगे. लेकिन में नहीं रुका.

मुझे अपने ऊपर गर्व हो रहा था कि में एक २६ साल का लड़का एक 45 साल की औरत की चूत मार के उसकी हालत ख़राब कर रहा हू. अब मामी कमज़ोर पड़ने लगी थी और बेसुध सी हो गयी. अब वो समर्पण कर चुकी थी.

मैंने १ घटे तक मामी को बहुत चोदा. हर तरह से चोदा और जगह जगह से काट भी लिया. उसकी चूत सूज गयी थी. वो भी मस्ती में धीरे धीरे आःह्ह…… अह्ह्ह्ह…. की सिस्कारिया निकाल रही थी और मैंने गोलिया खा रखी थी और में रुक भी नहीं रहा था. बस पुरे पुरे शॉट लगा रहा था.

इतने में मामी बेहोश हो गयी. में फटाफट किचिन में गया और पानी लेकर आया. पानी के छींटे मामी के मुह पर मारे. वो जैसे ही होश में आई मैंने फिर से उसकी चूत में लौडा पेल दिया और पुरे शॉट लगाने लगा.

अब मामी समझ चुकी थी कि आज वो नही बच सकती और मैंने मामी को चोद ही दिया और एक घटे बाद अपना सारा माल मामी की चूत में छोड़ दिया और पूरी रात कई आसनो में चुदाई की.

और आज भी जब मन होता है मामी की चुदाई कर लेता हू. और अब तो वो भी बड़े मजे लेकर मुझ से चुदवाती है . कहानी पढने के बाद अपने विचार हमे जरुर बताये….
Reply
06-08-2021, 12:52 PM,
#78
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
वासना की प्यासी भूतनी

दोस्तों इस दुनिया में हमारे आलावा और भी रहस्यमयी ताकतें मोजूद है। ये भूत प्रेत भी चुदाई के दीवाने होते है। इस बात पर आप विस्वास करे या ना करें मेरे को कोई फर्क नही पड़ता। क्युकि जब तक ये घटनाएँ आप के साथ नही घटेंगी आप को विस्वास नही होगा।

मेरा नाम गौरव है और मैं 23 साल का हू। और राजस्थान का रहने वाला हु। मैने अपना कॉलेज ख़तम कर लिया था और अब मैं राजस्थान के एक गाव अजबगढ़ में नोकरी कर रहा था। यहाँ पर एक कहानी बहुत फेमस है।वो भी एक भूतनी के बारे में उसे यहा के लोग सुसीला का भूत कहते है। लोगो के अनुसार सुसीला एक नंबर की रंडी थी और सेक्स के बहाने लोगो के बाल काट के ले जाती और उन बालो से जादू - टोना करती थी।जब ये बात गाव वालो को पता लगी तो उन्होंने उसे नंगी कर के पुरे गाव में घुमाया और बाद में उसे बड़ी भयानक मौत दी। लोगो ने सुसीला के बोबे काट दीये और उसकी चूत में पेट्रोल भर दिया और खम्बे से बांध कर उसे जिन्दा जला दिया ।लोगो को सुसीला को जलते समय उसके शरीर में से कई रूहे निकलती हुई नजर आई थी।

लोगो का कहना है कि वो अब लोगो को नज़र आती है और पहले सेक्स करती है फिर वो उनकी गांड को चीर के आदमी के दो टुकड़े कर के मार देती है। चलो अब मेरी तो फट गयी थी । मेरे को नोकरी करते हुए 23 दिन हो गये थे। एक बार मैं ऑफिस से लेट हो गया और रात को ऑफिस से छुटा। अब मं घर की ओर आ रहा था। तो मेरे पीछे से किसी ने मेरे को आवाज दी मैने पीछे मूड के देखा तो कोई नही जैसे ही मैं आगे मुड़ा तो मेरे ठीक सामने सुसीला का भूत खड़ा था। मैं उस को देखते ही निचे गिर गया। उस का चेहरा सड़ चूका था और बोबे कटे हुए थे।उस के पैर उलटे थे और उस की चूत से पैट्रोल की बदबू आ रही थी।

मेने हाथ जोड़ कर सुशीला से विनती की मैं यहा नया हु और किसी को भी नहीं जानता । प्लीज़ मेरे को मत मारना भूतनी बोली चल ठीक है नही मारती लेकिन पहेले मेरी चुदाई कर।मैं बोला आप को देख के मेरा खड़ा ही नही हो रहां तो मैं आप को कैसे चोदू। वो भूतनी थोड़ी देर में एक जवान लड़की के रूप में बदल गयी। उस के मोटे मोटे और तने हुए बोबे और चिकनी चूत को देख कर आखिर मेरा लंड खड़ा हो ही गया। और उस भूतनी ने मेरे को जमीन पर लेटा दिया और मेरे कपडे गायब कर दिए । अब वो मेरे उपर उछल उछल कर खुद को चोदने लग गयी। अब मेरे को भी मज़ा आने लग गया और मैने उसे घोड़ी बनाकर उसे चोदना शुरू कर दिया । वो आह्ह्ह आह्ह्ह की आवाजे कर रही थी। करीब 30 - 40 मिनट तक मेने भूतनी की चुदाई की। अब मेरा वीर्य आ गया तो सुशीला मेरा सारा वीर्य पी गयी। अब सुसीला मेरे को किस्स करने लग गयी । मैने बोला प्लीज अब मेरे को जाने दो। सुसीला बोली जाऒ। अब जैसे ही मैने आस पास देखा तो पाया अरे सुसीला और मैं हवा में क्यों उड़ रहे है। सुसीला अपने असली रूप मे आ गयी और जोर जोर से हसने लग गयी। वहा उस के साथ और भी भूत आ गये और जोर जोर से हसने लग गये। मेने बोला तुम हँस क्यों रहे हो और हम सब हवा में क्यों उड़ रहे है। सुसीला ने नीचे इशारा किया। नीचे मेरा शरीर दो टुकडो मे पड़ा हुआ था । पता नहीं मैं तो कब का मर चूका था।

समाप्त

Reply
06-08-2021, 12:52 PM,
#79
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
दूध की जिम्मेदारी


‘दिया और बाती’ नाटक की संध्या एक ऐसी बहू है जो कोई भी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाती है और अब तो वह पुलिस ओफिसर भी है। तब क्या होता है जब भाबो (संध्या की सास) संध्या को दूध देने के बाद पिलाने की जिम्मेदारी देती है।

हम बता दें की संध्या जो की ‘दिया और बाती’ नाटक की एक आज्ञाकारी बहू है। संध्या का फीगर 36-30-34 है। संध्या की सास (भाबो) संध्या को दूध देने की जिम्मेदारी देती है।

***** *****
संध्या शाम को ड्युटी खत्म करके घर आती है। संध्या घर का दरवाजे खटखटाती है तो भाबो दरवाजा खोलती है। भाबो वैसे तो संध्या को रोज ही देखती है, लेकिन आज जब भाबो दरवाजा खोलती है तो संध्या को देखती रह जाती है, संध्या के चहरे में एक अनोखी चमक थी। संध्या अपने कमरे में चली जाती है भाबो समझ जाती है की संध्या ही इस जिम्मेदारी को उठा सकती है।

रात में खाना खाने के बाद संध्या किचेन में काम कर रही होती है तभी भाबो वहां आती है और संध्या से कहती है- “संध्या बींदड़ी मुझे तुझसे कुछ बात करनी है…”

संध्या- “हाँ बोलिये भाबो।

भाबो- “संध्या तू तो जानती है कि हमारे घर में किसी भी जानवर का दूध नहीं पिया जाता है। हमारे घर में केवल औरत का दूध ही पिया जाता है…”

संध्या- “हाँ… मुझे पता है भाबो, पर यह नहीं पता की वो कौन है जिसका इतना बढ़िया दूध निकलता है?

भाबो- “तू बता संध्या बींदड़ी, तुझे किसका दूध लगता है?”

संध्या- “भाबो, शायद मीना देवरानी जी का हो सकता है, क्योंकी वो मेरी शादी से पहले से हैं…”

भाबो- “संध्या, तू भी ना… तुझे लगता है की मीना बींदड़ी इतना अच्छा दूध दे सकती है? मीना बींदड़ी तो एकदम बेकार है। तुझे पता है संध्या बींदड़ी कि मीना बींदड़ी के मुम्मे तो ठीक हैं पर उसके मम्मों से कम दूध निकलता है, करीब आधा किलो…”

संध्या- “पर भाबो, इतना दूध तो एक औरत के हिसाब से बहुत है…”

भाबो- संध्या बींदड़ी, मीना बींदड़ी से ज्यादा दूध तो मैं देती हूँ।

संध्या- भाबो, आप कितना दूध देती हैं?

भाबो- “संध्या बींदड़ी, मीना बींदड़ी तो आधा लीटर दूध ही देती है और मैं एक लीटर दूध देती हूँ… वह भी दिन में दो बार…”

संध्या- इसका मतलब की भाबो आप एक दिन में दो लीटर दूध देती हैं।
भाबो- “हाँ संध्या बींदड़ी, दूध की जिम्मेदारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। अगर एक बार इस जिम्मेदारी को उठा लिया तो जिन्दगी भर निभानी पड़ती है। मीना बींदड़ी और मैं दोनों मिलकर ढाई लीटर दूध अपने मुम्मोँ से निकालती हैं। पर अब परीवार बड़ा हो चुका है…”

संध्या- तो आप मुझसे क्या चहती हैं भाबो?

भाबो- संध्या बींदड़ी, मैं चहती हूँ की तू भी दूध की जिम्मेदारी उठा।

संध्या- भाबो, क्या मैं इस जिम्मेदारी को अच्छी तरह निभा पाऊँगी?

भाबो- “संध्या बींदड़ी, तू पूरी तरह इस जिम्मेदारी को उठा सकती है। घर में सबसे बड़े मुम्मोँ की रानी है तू। तू तो मुझसे भी अच्छी तरह निभा सकती है इस जिम्मेदारी को…”

संध्या- पर भाबो, मेरे मम्मों से तो एक बूंद दूध भी नहीं निकलता है।

भाबो- “अरे पगली, हम एक जड़ीबूटी से बनी एक गोली रात में खा लेते हैं और सुबह तक मम्मों में दूध भर जाता है…”

संध्या- तो मैं भी खा सकती हूँ भाबो?

भाबो- बिलकुल संध्या बींदड़ी, बल्की आज से ही खा सकती हो।

संध्या- तो मुझे भी दीजिये कुछ गोली भाबो।

भाबो- “संध्या तू ने आज से यह जिम्मेदारी उठाई है, इसलिए पहली बार में गोली नहीं मिलती। बल्की घर में जो-जो दूध की जिम्मेदारी पहले से उठाई होती है वे उस गोली का पेस्ट बनाकर अपने मम्मों की निप्पल पर लगा लेती हैं और जिम्मेदारी उठाने वाली औरत उनके मम्मों को चूसती है…”

संध्या- ठीक है भाबो, मैं मम्मों को चूसने को तैयार हूँ।

भाबो संध्या से बोली- “जा बींदड़ी, मीना बींदड़ी को भी बुला ले…”

संध्या जब मीना के कमरे में पहुँची तो उसे कुछ आवाज आई। संध्या ने दरवाजा खटखटाया।

तो मीना दरवाजा खोलती है और अपना सर दरवाजे से बाहर निकालकर कहती है- “क्या बात है संध्या, इतनी रात को आप क्या कर रहे हो?”

संध्या- “मीना, तुझे भाबो ने बुलाया है…” संध्या मीना का हाथ पकड़ लेती है और मीना को बाहर की तरफ खींचती है।

मीना- संध्या, मैं नंगी हूँ।

संध्या- मीना, तू नंगी क्या कर रही है?

मीना- संध्या, तू इतनी रात को नंगी होकर क्या करती है?

संध्या- मैं तो सूरज जी से चुदती हूँ।

मीना- वही मैं भी कर रही हूँ।

संध्या- पर देवर जी तो बाहर गये हैं, क्या वे आ गए हैं?

मीना- “मेरे वो तो अभी नहीं आए हैं, पर सबसे छोटे देवर जी तो घर पर हैं ना…”

संध्या- “मीना, तू सबसे छोटे देवर जी से चुद रही है? भाबो को पता चल गया तो तेरी खैर नहीं…”

मीना- “अरे संध्या, यह मेरा हक है और जो भी तुम्हें पूछना है भाबो से जाकर पूछो…”

संध्या- “ठीक है। पर मीना तू जल्दी किचेन में आ जाना…”

संध्या किचेन में जाती है और भाबो से इस सब के बारे में पूछती है- “भाबो, मीना छोटे देवर जी से चुदवा रही है, क्या यह ठीक है?”

भाबो- “संध्या बींदड़ी, तू सोच मीना बींदड़ी, मैं और अब तू भी इस घर के लिए कितना कुछ करते हैं? माँ, भाभी, बहन सभी औरतों का दूध हमारे घर के मर्द लोग पीते हैं, तो वे भी बदले में हमारी चुदने की इच्छा पूरी कर देते हैं। मतलब दूध पीना उनका हक है, और चुदना हमारा… और जहां तक चुदने का सवाल है तो मीना बींदड़ी घर के सभी मर्दो से चुदवाती है और मैं भी… बस चुदने की शर्त यह है की आपका पति या पत्नी घर पर नहीं हो, तभी आप दूसरे से चुदवा सकती हो…”

संध्या- “हाँ भाबो, मैं समझ गई हूँ। भाबो मुझे गले से लगा लो ना…”
भाबो- “यह भी कोई पूछने की बात है…” और भाबो ने अपनी और संध्या की साड़ी का पल्लू हटा दिया और अपने और संध्या के ब्लाउस का एक हुक खोल दिया। फिर भाबो ने संध्या को गले से लगा लिया।

कुछ देर बाद वहां मीना बींदड़ी आ गई और बोली- भाबो, आपने मुझे बुलाया था?

भाबो- “हाँ मीना बींदड़ी, आज संध्या बींदड़ी भी दूध की जिम्मेदारी उठाने जा रही है…”

मीना- यह तो आच्छी बात है। भाबो, मैं गोली का पेस्ट बनाकर लाती हूँ।

मीना और भाबो ने उस गोली का पेस्ट अपनी निप्पल पर लगाया और भाबो वोली- “चल संध्या बींदड़ी, मेरे मम्मों को चूस और जितनी देर तक तू चूसना चाहती है चूस सकती है…”

संध्या 30 मिनट तक बारी-बारी से भाबो के मम्मों को चूसती रही।

तभी मीना ने कहा- “संध्या देवरानी जी, आप भाबो के मम्मों को ही चूसोगी की मेरे मम्मों को भी चूसोगी?”

संध्या- “हाँ मीना, मैं तेरे मम्मों को भी चूसूंगी…” फिर संध्या मीना के मम्मों को भी चूसने लगी। 30 मिनट बाद तीनों अपने-अपने कमरे में चली गईं।

संध्या की छाती पर दबाव पड़ रहा था जिसकी वजह से संध्या की नीन्द खुल गई। संध्या ने देखा की उसका ब्लाउस, जो की रात में ढीला था वो अब एकदम कस गया था। संध्या के मम्मों के कटाव दिख रहे थे। संध्या उठी और नहाने चली गई। नहाने के बाद वो औफिस के लिए तैयार हो गई, लेकिन जो ब्रा संध्या ने पहनी थी वो संध्या को बहुत टाईट हो रही थी।

संध्या ने मीना को आवाज लगाई- “मीनाऽऽ…”

मीना- “हाँ जेठानी जी, अभी आई। हाँ बोलिये जेठानी जी। अरे जेठानी जी आपके मम्मों का साइज तो बढ़ गया है…”

संध्या- “हाँ मीना, यही तो परेशानी है। देखो मेरी कोई भी ब्रा मेरे बड़े मम्मों की वजह से छोटी हो गई है…”

मीना- “हाँ… तो इसमें क्या परेशानी है? मैं भाबो से उनकी ब्रा ले आती हूँ…”

और थोड़ी देर बाद मीना संध्या के पास जाती है- “जेठानी जी, आपको भाबो ने किचेन में बुलाया है…”

संध्या- “मैं अभी आती हूँ…” और संध्या किचेन में पहुँचती है।

भाबो- संध्या बींदड़ी, तू आ गई?

संध्या पुलीस की वर्दी पहने हुए थी- हाँ भाबो, क्या काम था?

भाबो ने हँसते हुए दूध का बर्तन संध्या की तरफ खिसका दिया, और कहा- “संध्या बींदड़ी, चल इस वर्तन को दूध से भर दे…”

संध्या ने अपनी वर्दी के 4-5 बटन खोले और अपनी समीज ऊपर करके अपने एक मुम्मे को बाहर निकाल दिया और मम्मों को दबा-दबाकर दूध निकालने लगी। वर्तन आधा भर गया था, संध्या ने भाबो से वोला- “भाबो, मेरे हाँथ में दर्द होने लगा है, मैं और दूध नहीं निकाल पाऊँगी…”

भाबो- मीना बींदड़ी, संध्या बींदड़ी की मदद कर दूध निकालने में।

मीना- “जेठानी जी, आप चिंता मत करो, मैं दूध निकालने में एक्सपर्ट हूँ…” और मीना संध्या के पीछे जाकर अपनी चूत से संध्या के पिछले हिस्से में रुक-रुक कर धक्के मारने लगती है, और मीना संध्या के दोनों मम्मों को खाली कर देती है।

भाबो- “संध्या बींदड़ी, तू ने तो कमाल कर दिया… दो लीटर का वर्तन पूरा भर दिया…”

मीना- भाबो, जेठानी जी को कोई भी ब्रा नहीं आ रही है।

भाबो- “तो क्या हुआ संध्या, तू मेरी ब्रा पहन ले…” और भाबो ने अपना ब्लाउस उतारकर भाबो ने जो ब्रा पहन रखी थी वो संध्या को देते हुए कहा- “ले संध्या बींदड़ी, ये ब्रा तुझे फिट होगी…”

संध्या ने अपनी समीज उतारी और भाबो की ब्रा पहन ली, कहा- “भाबो, आपकी ब्रा तो गर्म है…”

भाबो- “संध्या बींदड़ी, मेरी ब्रा ही नहीं, मैं भी गर्म हूँ। तेरा प्यारा सूरज रोज तेरे जाने के बाद मुझे जम के चोदता है और मेरी गर्मी का फायदा उठाता है…”

संध्या- “भाबो, तभी मुझे फोन पर कुछ आवाज सुनाई देती रहती है…” और संध्या ओफिस चली गई।
***** THE END समाप्त *****
Reply
06-08-2021, 12:53 PM,
#80
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
पत्नी को चुदने दिया

अब मैं 34 साल का हूँ; और मेरी बीवी का नाम उर्मि है | मेरा खुद का एक कंप्यूटर सेंटर है और मेरी बीवी एक बैंक में असिस्टेंट मैनेजर है | मैं हर रोज़ सेंटर पे जाने से पहले उर्मि को बैंक में छोड़ता हूँ

एक दिन उर्मि ने घर आ कर बताया के उनके बैंक ने एडवांस कंप्यूटर कोर्स के लिए क्वोटेशन्स फ्लोट की है और बिड की आखरी तारीख भी बता दी. मैंने उर्मि से कहा की अगर ये contract हमें मिल जाए बात बन जाएगी. निधि ने कहा की वो पूरी कोशिश करेगी. अगले दिन घर आ कर उर्मि ने फिर बताया कि सारा मामला उनके मैनेजर सिस्टम के हाथ में है और उसका नाम प्रशांत है. उर्मि ने ये भी बताया कि प्रशांत आज लंच के बाद उसे मिला था और चलते चलते उसने उर्मि से पूछा था कि ये कंप्यूटर कोर्स वाले मामले में क्या वो प्रशांत को असिस्ट कर सकती है. इस पर उर्मि ने कहा कि सर आप रीजनल मैनेज सर से बात कर लो, मुझे कोई दिक्कत नहीं है..

अगले दिन उर्मि ने कहा कि मैं उसे बैंक के सामने न उतारूँ क्योंकि वो कोशिश करेगी के बैंक वालों को ये पता न चले कि ये बिज़नस मैं भी करता हूँ और मैं उर्मि का पति हूँ. मैं उर्मि की प्लानिंग समझ गया और उस दिन से उसे बैंक से दूर उतारने लग गया. इसी बीच मैंने भी बैंक में अपना कोटेशन भी दाल दिया.

1 हफ्ते के बाद शाम को 4:30 बजे के करीब उर्मि ने बैंक से मुझे फोन किया और कहा "हो गया" बाकी बात शाम को. मै ख़ुशी के मारे उछल पड़ा.

शाम को उर्मि आई तो हम दोनों ख़ुशी के मारे पागल हो रहे थे. उर्मि ने कहा की भूल से भी किसी को ये पता न चले की हम दोनों पति पत्नी हैं. मैंने कहा बिलकुल पता नहीं चलेगा. उर्मि ने कहा की प्रशांत के साथ दोस्ती गांठना अब मेरी जिम्मेवारी होगी, ताकि आगे के लिए बैंक कंप्यूटर से संबंधित सर्विस करने के लिए प्रशांत मेरा मुह ही ताके क्यों की अब सब कुछ उसी के ही हाथ में है. मैंने कहा तुम चिंता मत करो और अब मैं सब को शीशे में उतार लूँगा. और उस रात हम दोनों ने जम कर सेक्स किया

धीरे धीर बैंक के लोग शाम को बैंक टाइम ख़तम होने के बाद 1 घंटा कंप्यूटर कोर्स के लिए आने लग पड़े. बीच बीच में मेरी प्रशांत से भी बात होती रहती थी. 1 हफ्ते के अन्दर ही हम 3-4 बार मिले और 7-8 बार फोन पर बात हुई. एक दिन दोपहर 3 बजे प्रशांत का फोन आया और उसने कहा कि उसके लिए कोर्स अटेंड करने के लिए कोई 7 बजे का टाइम फिक्स कर लो और साथ ही प्रशांत ने ये भी कहा की कि कोई अच्छा सा इंस्ट्रक्टर भी अप्पोइंट कर दूं. मैंने कहा "सर आप आज शाम को आयिए सब अरेंजमेंट हो जायेगा"

शाम 7:30 बजे के करीब प्रशांत मेरे केबिन में आया. फिर हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे.प्रशांत ने कहा कि क्या किसी अच्छे इंस्ट्रक्टर को कहा मैंने. मैंने कहा कि आपको कोई ज़रूरत नहीं है क्लास अटेंड करने की और न ही इंस्ट्रक्टर की, मैं आपको यहीं अपने ऑफिस में अपने लैपटॉप पे सिखा दूंगा.

2-3 दिनों में ही हम काफी घुल मिल गए और फिर 4th day क्लास ख़तम होने पर मैंने कहा "सर आप आज मेरे साथ डिनर करिए".प्रशांत ने कहा- "हाँ ठीक कहते हो आज सारा दिन बहुत काम था. एक-एक बियर भी पियेंगे...तुम पी लेते हो न बियर". मैंने कहा "चलो आज थोड़ी मस्ती करते हैं, बढ़िया वाली बियर पीते हैं"

और में प्रशांत को एक बहुत अच्छे रेस्टोरेंट में ले गया. बियर पिटे हुए हम ने इधर उधर की बातें शुरू की. फिर प्रशांत ने कहा- "यार तुम तो सारा दिन फ्रेश रहते होओगे. हर क्लास में कितनी सुंदर सुंदर लड़कियां आती हैं". मैं जोर से हंसा और कहा- "और हम ये सोचते हैं की आपके बैंक में एक से एक पटाका एम्प्लोयी है".
उसने हँसते हुए कहा," हाँ और वो भी आज कल तुम्हारी स्टूडेंट्स हैं".

फिर हम दोनों हंस पड़े. प्रशांत ने कहा- "यार अभिनव ! हमारे बैंक का पटाका नंबर 1 तो अभी तुमने देखा नहीं है".

मैंने पूछा कब दिखा रहे हो. इस पर प्रशांत ने कहा- "अरे जी भर के देख लेना तुम भी. मैं तो दीवाना हूँ उसका, एक बार ,तुम्हें अगर उसकी मिल जाये , सच कहता हूँ तुम्हारी लाइफ बन जाएगी".

मैंने कहा :" मतलब आप पेल चुके हो उसको.!!!"

"अरे यार अभिनव बस पूरी कोशिश में हूँ., पिछले दो हफ़्तों से ही ज्यादा इंटिमेसी हुई है बस कार में ही थोडा बहुत कर पाए हैं."

मैंने कहा: "क्या क्या कर चुके हो बताओ न, अब मेरे साथ बैठ के बियर पी सकते हो तो बता भी दो क्या क्या किया है और कौन है वो पटाका?"

प्रशांत ने हँसते हुए कहा.
"नहीं यार असल में बहुत ही सेक्सी है . पता नहीं कब देगी, स्मूच तक तो बात पहुँच चुकी है और 5 -6 बार बूब्स भी दबवा चुकी है,लेकिन एक तो वो शाम को ही फ्री होती है और दूसरे हम कार में होते हैं, तीसरे वो भी शादीशुदा है और मैं भी.इसलिए दुनिया की नज़रों से भी बचना चाहते हैं. और भाई असल में तो बात ये है के कार में जगह कम होती है नहीं तो उसको कब का रगड़ दिया होता".

"अरे भाई साब मिलवाओ तो कभी उसको, आप तो सब कुछ हो बैंक में, अपने साथ ही ले आया करो ट्रेनिंग के लिए."

शाम को करीब 7 बजे प्रशांत आ गया और साथ में थी उर्मि . मैंने प्रशांत से हाथ मिलाया और उर्मि से अनजान बना रहा. प्रशांत ने हमारी इंट्रोडक्शन करवाई. प्रशांत ने उर्मि को कहा,"उर्मि मेरी नोटबुक कार कि बैक सीट पे ही रह गयी है प्लीज ले आओ". और उर्मि उठी ओर नोटबुक लेने चली गयी.

मैंने पूछा,"आपका वो पटाका नहीं आया."

तभी प्रशांत ने कहा,"अरे यही तो है जो तुमने अभी देखा!"
यही है वो पटाका ! और मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी. मुझे लगा कि मेरे दिल की धड़कन रुक गयी.

मैं अभी पिछली शाम कि बातें सोच ही रहा था कि प्रशांत ने कहा था कि--- "नहीं यार असल में बहुत ही सेक्सी है ,पता नहीं कब देगी, स्मूच तक तो बात पहुँच चुकी है और 5 -6 बार बूब्स भी दबवा चुकी है"
तभी प्रशांत ने कहा," आज प्रोग्राम बना के आया हूँ के यहाँ से जाते हुए रास्ते में पक्का कुछ न कुछ करूंगा." इतने में केबिन का दरवाज़ा खुला और उर्मि नोटबुक ले कर आ गयी. उससे प्रशांत ने कहा," तुम क्लास अटेंड कर लो मैं अभिनव जी के साथ कुछ ज़रूरी काम कर लेता हूँ."

उर्मि के बाहर जाते ही प्रशांत ने कहा," क्यों भाई कहा खो गए ?.कैसी लगी ?"

अब मैं प्रशांत को क्या बताता कि लगी तो बहुत अच्छी लेकिन जो लगी थी वो मेरी गांड लगी थी धरती में.

मैंने कहा,"हाँ हाँ बहुत अच्छी है बिलकुल मस्त."

"आज हम एक स्टेप और बढ़ गए."
"क्या ?"
"बैंक से ले कर यहाँ तक मैंने उसका हाथ अपनी पेंट के ऊपर से ही अपने लंड पे रखवाया और कमाल तो ये हुआ कि इसने एक बार भी नहीं हटाया और मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाती रही."

ये मैं क्या सुन रहा था वो भी उर्मि के बारे में जो पिछले 7 साल से मेरी पत्नी है. क्या वो ये सब ज़बरदस्ती सह रही है मेरे लिए!
या इस कॉन्ट्रैक्ट तो हांसिल करने के लिए, ये मैंने क्या किया?
अपनी पत्नी को फ़ोर्स किया?
.क्या इस सब का रीज़न मैं हूँ?

तभी प्रशांत ने मेरा ध्यान तोडा,उसने कहा ," आज तो पक्का इसकी चुदाई करूँगा चाहे होटल ही बुक क्यों न करवाना पड़े,"
मैंने कहा," और ये घर पे क्या बताएगी ?"
"जो मर्ज़ी बताए लेकिन अभिनव सच कह रहा हूँ पूरी तरह तैयार है देने को. मैं ही देर कर रहा हूँ. कोई जगह भी तो नहीं है."

उस समय मुझे जलन और गुस्सा दोनों हो रहा था लेकिन मेरा लौड़ा भी टाइट हो गया था

तभी प्रशांत ने कहा,"यार अभिनव कर सको तो तुम कोई तो अरेंजमेंट करो."

मेरे मुह से अनायास निकल पड़ा," ऐसा है कि मेरे पास तो ये कंप्यूटर सेंटर है..और ये रात 8:30 के बाद बंद होता है और खाली रहता है."

हे भगवान् !!!! ये मैं क्या कह रहा था.... प्रशांत को चोदने के लिए अपनी पत्नी दे रहा था और अपनी ही जगह दे रहा था. इससे पहले मैं संभल पाता प्रशांतने कहा," ये हुई न बात! बस 8 :30 का बाद आज ही !"

खैर प्रशांत के कहने से क्या होगा, जब उर्मि मानेगी तभी न !.मुझे पाता था कि उर्मि चुदने के लिए यदि तैयार तो यह कभी नहीं चाहेगी कि मुझे इस बात का पता लगे इसलिए अगर वो यहाँ चुदने के लिए तैयार हुई तो इसका मतलब कि वो जानती है कि मेरे और प्रशांत के बीच में क्या बात है.
लेकिन ऐसा नहीं हो सकता!!!!!

तभी मेरे मन में एक विचार कौंधा. मैंने प्रशांत से कहा कि मैं अभी आया और बाहर जा कर मैंने उर्मि के मोबाइल पे फोन किया और कहा,"मै उसे ये बताना भूल गया था कि मुझे आज रात को एक पार्टी में जाना है और पार्टी एक फार्म हॉउस में है."
उर्मि ने कहा ,"अब क्या करें?"
मैंने कहा," वैसे तो मैं रमेश(ऑफिस असिस्टेंट जो सबसे बाद में जाता है) को कह दूंगा कि वो ध्यान रखे, लेकिन क्या प्रशांत को इस तरह छोड़ के जाना शालीनता होगी?"
उर्मि ने कहा ,"तुम प्रशांत को कह दो कि कोई इमरजेंसी है और जल्दी से घर जा के तैयार हो जाओ और पार्टी में जाओ. मैं बाद में आ जाउंगी. और फिर सेंटर पे मैं तो रहूंगी ही. चिंता कि कोई बात नहीं है."
एक पल के लिए मुझे लगा कि उर्मि कि चूत के होठों में शायद प्रशांत को सोच कर पानी आ रहा है. फिर मुझे गिल्टी फीलिंग भी हुई कि मैं ये क्या सोच रहा हूँ.
खैर वापिस ऑफिस में आ कर मैंने प्रशांत से कहा कि मुझे तो कोई इमरजेंसी है और अभी जाना पड़ेगा लास्ट क्लास चल रही है 15 मिनट के बाद ख़तम हो जाएगी.
प्रशांत ने तुरंत कहा,"अभिनव क्या रात को यहाँ पे कोई और भी रहता है ?"
"कोई नहीं बस रमेश सबसे बाद में लॉक लगा कर जाता है."
"तुम रमेश को कह दो कि आज लॉक मैं लगा कर चाबी उसके घर दे दूंगा."
मैंने पूछा," पक्का आज ही करोगे और अगर उसके पति को पता चल गया तो?"

"यार वो कोई बहाना बना देगी और फिर कौन सा हमने पूरी रात बितानी है? 1 घंटे में फ्री हो जायेंगे हम दोनों."

मैंने सोचा कि मैं ये क्या कर रहा हूँ?.क्या मेरे दिमाग में जो विचार कौंधा था क्या वो मैं देखना चाहता हूँ?

तभी न चाहते हुए भी मैंने इण्टरकॉम पे रमेश को बुलाया और कहा," प्रशांत सर को सेंटर कि सारी चाबियाँ दे दो और सुबह इनके घर से ले लेना अभी 1-2 घंटे इनको बैंक की कोई स्टेटमेंट्स वेरीफाई करवानी हैं मुंबई ब्रांच से."
रमेश ने चाभियां प्रशांत को दे दी और फिर मैं उसको बॉय बॉय कह के बाहर आ गया.
जिस बिल्डिंग में मेरा कंप्यूटर सेंटर है उसके साथ वाली बिल्डिंग नयी बन रही थी. मैं कार में बैठा और घुमा फिरा कर कार उस बिल्डिंग के पीछे ले गया. वहां अँधेरा और गन्दगी पड़ी थी. वहां पे 2 ट्रक और एक वन खड़ी रहती थी. मैंने सलीके से अपनी कार उन दोनों ट्रकों और वन के बीच खड़ी कर दी और जल्दी से कूड़े के ढेर में से होता हुआ साथ वाली बन रही बिल्डिंग के पिछले हिस्से से अन्दर घुस गया और सीढ़ियों से चढ़ कर टॉप फ्लोर पे पहुँच गया सारा शहर दिखाई दे रहा था.मैं 6th फ्लोर पे था और साथ वाली बिल्डिंग में मेरा ऑफिस 4th फ्लोर पे था.मैं जल्दी से छत के रास्ते होता हुआ अपने बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पे आ गया. और नीचे देखते हुए इंतज़ार करने लगा की कब सभी लोग सेंटर से बाहर जायेंगे. धीरे धीरे सभी बाहर आने लगे और लास्ट में १० मिनट के बाद रमेश निकला और चला गया.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,488,228 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,979 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,226,698 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 927,741 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,646,534 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,074,287 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,940,318 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,022,040 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,018,819 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,660 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 14 Guest(s)