मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 12:08 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
किराये दार से प्रेम



लेखक-मस्तराम

तो रानी ठीक है तूमअपनी ऑख बंद कर लो

ना जी नही मैं सामने देख रही हूं। तूम अपना काम करते रहो न हमें इस से कोई मतलब नही है तो ठिक है मैं देखती हूं।

तब वो अपना हाथ को उसकी जांघों पर ले गई उसका लण्ड तो पहिले से ही खड़ा था और फुफाकर रहा था।

मैने उसके लण्ड पर हाथ रखी तो वो सिसक उठा था। आह सीने को अपने लण्ड को वेचैन हाथों से थामकर तो वो वेचैन हो उठा था।

तभी मैं अपनी उंगली उसकि पैन्ट कि जिप पर रख दिया था और मै उसके पैंट को खोल दी थी।
और चैन को नीचे सर कातें ही जाघिया से बाहर निकलतें हमको समझ में आ गया था।

और मैं अपने हाथकों उसके लण्ड पर रख दिया थाऔर मैं लण्ड को दवाने लगा था। कि वो सिसकार कर बोला हाय मारिया इसे खोल डालो ना । तब मैं मूस्कूरा कर के मैने उसके लण्ड को पकड़ कर मै। जोरो से दवाने लगी थी।

उसका लण्ड जाधिया से निकलने ही टनटना कर खड़ा हो गया था और मैं उसके लण्ड को देख कर में मस्त हो गई थी। और मै। सो चनेलगी थी कि हाय ये मेरी बूर में चलाजायेगा उस समय मै। सिसक उठी थी हाय मैं तो लण्ड कि कलपना में रात दिन करती थी।
और मै चाहती हूं कि ऐ लण्ड मेरी बूर में घूसें मगर मैं तड़प कर रह जाती थी।

तब मै। अपनी बूर को अपनी हाथो कि उंगलीघूसा कर मैं अपनी बुर को चोदकर सान्त करती थी।
खैर ये मेरे जीवन का पहला क्षण था उसका लण्ड मूझे बड़ी अच्छा लग रहा था हाय ।

मैने उसके लण्ड को पकड़ा तो बो सिसक उठा और वो मेरी भी पेन्टी उतारते हुए बोला हाय देर क्यों करती हो मेरी जान ।
और मै खड़ी हुई तो मेरी पेन्टी उतारने लगा था। और वो मेरी पेन्टी उतार कर फेक दिया ।
फिर वो मेरी बूर में वो उगली को डाल दिया था और मैं सिसक उठी थी।

हाय मे। इतना मदहोश हो चूकि थी कि क्या कहना और मैं वेचैन होकर उसके लण्ड को अपनी मूठी मे भर कर मैं दवाने लगी थी। तब वो कोशिश कर बोला हाय रानी।

जब मैं देखी कि लड़कि नंगह है वह लड़के को लण्ड को वो देख रही थी तभी वो मुझकों खीच कर गोद में बैठा लिया था और मेरी चूतर कके बीच अपना लण्ड को फसा दिया ।

वो लण्ड को फसा करके अपना लण्ड को मेरी बूर से सटा लिया था तब मैं सिसक ने लगी थी हाय मेरी बूर वो वो लण्ड से सहला रहा था और मेरी बूर पर लण्ड को रगड़ रहा था।
वो लड़का लेटा हुआ था । वो भी उसकसें उपर लेट गयी थी फिर वो उसके लण्ड को पकड़ कर वो सहला रही थी।
ईधर पन्टी भी अपने लण्ड से मेरी जांघों को विच में वो तेजी से रगड़ रहा था। वो फिर अपने लण्ड को मेरी बूर में पेलने कि कोशिश में था और दूसरा हाथ से मेरी चूची को मसल रहा था।
जब वो मेरी चूची को दवाने लगा तो मैं वेचैन हो उठी थी फिर बोली रानी । तो मैं उस वक्त मदहोश बोली क्यों न हम लोग भी इस तरह से चोदाई कि जाय।
क्यों तुम उसके जैसा नही कर सकती हो हां बन्टी क्यों नही मैं कर सकता हूं है।
ओर मैं फिर उसके लण्ड को दवाने लग गयी थी हाय रानी तू ईसे अपनी बूर में लकर छूप लो ना । रिकी बाल विधवा थी उसकि शादी सिमा पूर में हुई थी। वो अपने ताऊ के पास रहती थी।
उसकि उम्र 25 वर्ष की हो रही थी वो बहूत हि खूबसूरत लड़की थी और वो चड़ती जवानी कि औरत थी।
रिकी के ताउ एक किरायेदार के घर पर अच्छी नौकरी करता था उसका कोई बाल बच्चा नही था।
इसलिए वो अपना बाल बिधवा बच्चे को वो पअने ही पास रख्ने थे। रिकी कि चाची भी एक अच्छी औरत थी वो भी रिकी
के साथ बहुत प्यार करती थी बिना पूरूष से बिना गर्मा कर बोली थी।
मेरी उम्र सिर्फ साठ बर्ष की थी जब से छोटी थी तो मेरे पिताजी मेरी शादी कर दी थी।
कि मेरा दूर भाग्य था कि मेरे पति एक एकसिडेन्ट में चल बसे थे उस समय मतें 15 बर्ष की थी।
मेरी चड़ती जवानी कि सूरूयात हुई तो उसका दो तीन महीने के बाद मेरी चूची बड़ी हो रही थी।
मेरी सास फुलने लगी थी मेरी चूतर भी उपर नीचे होने लगी थी घर के लोग भी मुझ पर तना कसी कर लिया करतें थे मजूबूरन हमें उसे छोड़ देना पड़ा ।
दूसरी शादी के लिए मैं एक दम परे सानी सी हो गयी थी। उसके बाद मेरा जिवन तहस नहस हो गया था।
आज उस बात का करीब दस साल बित चूकें है मगर घाव अभी तक ताजें लग रहे है। - मैने सूहाग रात मनाने के लिए रूम मे गया सिकरी सिमटी सकू चाई वो मेरा इन्तजार कर रही थी। वो भी आदीवासी नयी नवेली लड़कि थी उसे देखतें ही दोस्तों कि बातें मेरे दिमाग में खलवली मचाने लगी तूम उस पर जोर मजत करना समझे ।
तुम उस पर एक बैक एटेक मत करना उसका नखरा होगा तूम उसे घड़ घ्ज्ञडा कर उसे चोद देना तब वो तूम्हें सम्पूर्ण मर्द रमझेगा बरर्ना तूम्हें कमजोर समझेगी। तूम्हे हवश का सैतान समझेगा मैं नही उसकि घूघट उठाया और नही उसे प्यार भरी बातें कि । - मैने एक दम से झपट कर उसे दवोच लिया और मैं उसके कपड़ें खोलने लगा।

इस कदर वो तेज हमले से घवरा गई उसकि आंखों में जो समने थे वो एकदम से विखर गये । - उसकि मुंह से घूटी घूटी सी चिख सी नीकल गयी थी। उसे शायद मेरे मुंह से उठतें शराब कि बदबू भी लग गयी थी। तभी तो उसकि चेहरे पर एक सौफ उभरा हुआ था।
मैने उसके कपड़े क सती लड़ने वाले स्टाईल से उसके कपड़ें को खोल दिया जरा सा भी उसके बदन पर कपड़े नही रहा और मैं लाल लाल आंखों से उस कि नंगी बदन को देखा हलाकि नशे के कारन मेरी नजर उसकि बर पर नही जा रही थी फिर भी उसने नंगी औरत कि चमक ही अलग होती है। - वो उसकों देख कर वो थर थर काप रही भी जहा। उसकि आंखों में शोखी मादकता होनी चाहें दि थी वही वह खौफ के मारे नंगी सिकरी बैठी ही वो काप रही थी। ___ मैने कपकपातें हाथों से अपने भी कपडे झट से उतारे
और पहले से अधिक तेजी के साथ उसे मैं पकड़ कर उसकों मैं दवोच लिया वो फिर चिखी मानों शेर ने बकरी को दवोच लिया हो।
पता नही मैं किने कस कर उसकी चूची को तथा सारे हीस्से को दवाया कि वो काप उठी थी खौफ ओर शर्म केसाथ साथ उसे दर्द भी होने लगा था मैने तो नंगा हो चूका था उस मैं बकरी की तरह मैं उसे विस्तर पर दवोचे। उसके बूर पर मैं अपना लण्ड को रगड़ने लगा था। उसने बौखला कर अपनी टागें सिकोड जी और खौफ और डर से विलबिला कर बोली नही नही
क्या क्या हिच्च नही हरामजादी तूझे तो मै एक झटके में पेल दूगा देखा।

नशे के कारण मूझे भी अपने पर भी काबू नही था। फिर मैं अपने दिल में गुस्सा भी भर लिया थां
पता नही मूझाकें किस कदम से भयानक आवाजें निकली थी कि मेरी बीबी खिसिया उठी थी।
मूझे हलका हल्का ये याद हे कि मै। उसके बाद में उसकों टांग को चिरकर अपनी तरपु को खीचा तो तो उसने घबरा कर अपनी बूर पर हाथ रख कर वोजोर से दवा ली थी।
मैने उसकि हाथों को देखा भी नही और मैं अपने लण्ड को उसकि बूर पर में पहला मेरा लण्ड उसकों हाथ पर ठोकर मार कर बो लौट आया आगे का रास्ता उसने बन्द कर रखा था।
फिर मैं कछ देर बाद मैने तब जाना जब उसकि जांघों के बिच में मेरी नजर कुछ ठहरी ।
हो भी अपनी भयानक आंखों से मेरी लण्ड को वो देख रही थी। -उसे ईस समय वो मेरा लण्ड नही बल्ली ललकार या खंजर नजर आ रहा था।
ईतने कडियल रूख को भला कौन लडकि बर्दाश्त कर सकती थी। और तो यह बात है। पिरि मैं ठंठा कर हंसा अभी मैं देख लेता हूं में।
साली कों मैने उसका हाथ पकड़ कर झटके दिये जैसे वो फेवी कॉल में हाथ डूवों कर अपनी बूर पर चिपकाली हो हाथ उसने नही हटा या था नही नही मूझे को मत चोदो मैं मर जाउगी । उसके घूटें घटे से शब्द मेरे कानों में गूजने लगे थे।
मेरे दोस्तों ने कहा था कि वो नखरा करेगी इस नखरे को मै। तोड़ना चाहता था। मैने उसके हाथ को जोर से मैं झटके दिये पता नही कि कितनी जान थी उसकि जांघों कि उसका हाथ तो मैं नही हटा सका मगर मैं ईस कोशिश में 'मेरी टागों में उलझी उस कि टांगें निकल गई और वो पलटी खा गइ थी।
मेरी पकड़ से वो निकल कर उसने कही भाग जाना वों चाहा मगर नशे में भी मुझे इतना होश था कि मै। उसकि कमर को थाम कर मैं वही पर गिरा लिया ।
वो उल्टी है किसी थी मैने यह भी नही देखा उसकि बदन पर मैने गीर गया बूरी तरह से और मैं उसे जाकड़ लिया था।और फिर मैने अपने लण्ड को उसकि गांड पर घड़ा पड़ माने लगा इतने में उसकों जोर से चिखने कि आवाज आई।
घूस गया । घूसगया मैने उसकि चिख कि और ध्यान दिये बिना मैने खूशी हो कर नारा सा लगा था।
वाकई मरा लण्ड गांड में घूसा चूका था सटाक से मगर जहाँ पर घूसना चाहिए था वहा नही मगर गांड में घूस चूका था उसकि बदन में एक दम से भूकम्प आ गई थी।
मेरी पकड से वो निकल कर वो भाग जाना चाहा मगर मुझे नशे में भी इतना होथ था कि मैं उसकि कमर थाम कर मैं उसको वही पर गीरा दिया था।
और फिर मैने उसे उठने ही नही दिया था वो उल्टी है कि सिधी मैने यह भी नहीं देखा उसके बदन पर गीर कर मैं उसें बुरी तरह से जकड लिया था।
और फिर अपने लण्ड को उसके गांड पर मैने धड़ा घडे अपने लण्ड स मैं चोदने लगा।

ईतने में उसे जोर से चिखने कि आवाज आई में तो उसकि गांड को चोदता रहा कभी भीतर कभी बाहर लण्ड को निकालता रहा और वो चिख रही थी रो रही थी।
उस बेचारी ने ईतनी कष्ट सही थी कि उसने दर्द से बोझल शरीर के उपर मूझ को नही लपाई।
वो घूटी घूटी सांसों के बीच वो पूरी तरह से रो रही थी पअनी समझ के अनूसार मैने तो उसकि चोदाई कर ली ।
मगर उस वेचारी को अधमरी हालत में पहचा दिया था सूबह जब आंख खुली तो घर में हगामा सा पाया ।
मेरी नयी नवेली बीबी कमरे में मौजूद नहीं थी पता नही वो रात को या सूबह पहर वो किस समय घर से निकल पड़ी थी।
मै क्या लि खू आप यू समझ लिजिए कि मेरा ससूराल. वाले गुस्से की हालत में आये मूझे और मेरे घर वालों को काफी गाली बकि ।
मेरी रात की गन्दी हरकत के विश्य में बताया और यह भी कहा कि उनकी लड़कि यहां पर कभी नही आयेगी । यह तो ऐयास शराबि को नही आ सकती मैं फौरन उसे मैं तलाक दे देना चाहिए।
मुझे पिछली रात के विसय में हल्की हल्की थी उसकि जानबर पंना सून कर मैं सनन रह गया वैसे मेरा कोई ईरादा नही था दोस्तों ने मूझकों शराब पिलादी यह सब उसी की ब जह से हुआ ।
मै चिख चिख कर बताना चाहता था लेकिन मेरी अब सून्नता ही कौन।
गरज यह कि मेरी बीबी जिसकी में सूरत तक पर मै। उसें गौर नही किया था। वह अच्छी थी या बूरी गोरी थी
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06-10-2021, 12:08 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
गरज यह कि मेरी बीबी जिसकी में सूरत तक पर मै। उसें गौर नही किया था। वह अच्छी थी या बूरी गोरी थी

या काली मैने नही जाना उसे तलाक देना पड़ा ।
वो जैसी भी थी उसका याद हमेशा आती रही कभी कभी तो मैं रो देता कि न ऐसा होता न मेरा घर बसने से उजड़ता फिर समय बितता गया।
मेरा तो सबकूछ बरबाद हो चूका था क्यो कि मेरी खराब आदत के चलतें न मै शराब पिता नह दोस्तों के चक्कर में पड़ता।
मैं तो एक दम से बरबाद हो चूकि थी मेरे परिवार वालें तो घर वसा लिए मैं वही का वही रह गया ।
उस फान्ड के मै चलतें बहूत थक गया था न मैं किसी से ज्यादा बोलता न हंसता था।
ईसी बिच न जाने हमसे कौन से वाल पूछलिया कि क्या तूम अभी तक घर नही वसाये । मैने तो अपने परिवार से अलग हो गया था। मै भी सोचता कि ऐ दूनिया एक धोखा है। दल दल है।
मैं हमेशा बाहर को रहता था रात में घर आता ओर घर में सो जाता था।
• जब तक मेरी मां जिन्दा नही तो मूझे को खाना मिल जाता था। - मेरे छोटे भारई कि उस सयम शादी हो चुकी थी।उसने एक बार भी नही कहा कि मैं चल कर खाना खाउ या फिर वा नही तो तो तो मोरे पास खाना नहीं आता था मैं अपने जिवन से निरास हो चूकि थी।
मेरी भाई कि वीबी को मैं एक दो वार मैं अपनी कनखी से देखा था। खैर एक घर के सदस्य मूझ से जरूर पछ लेता ओर कह देता भाई नीये आकर तूम खाना तो
झगड़े के अगले रोज से मेरा परिवार मेरे पास खाना ले कर आ जाता था।
मेरे लिए तो तुम वही हो भाई मैने उसे माकूल स्वर में कहा तेरे उपर भी मेरा क्या ऐसान हे अगर तू भी खाना न ले आये जातों मैं होटल में खा लू गा ।
नही दोस्त अगर आप ऐसा बात करकों में तो मैं तुम्हारे पास में कभी नही आउगी ।पता है मैं यहा पर आप के चलतें रूका हु बर्ना मे। कही चला जाता मूझें अब यहाँ पर रहना नही है।
मैं यदि सोच कर नही गया कि अगर मैं चला जाउगा तो आप को कौन देख भाल करेगा।
भाई दोस्त तूम टाईम कि चिन्ता कत करना जब भी आपकों भूख लगें घर में चाल देकर कह देना या आप घर में जाकर खाना खालेना ।
रात को अकसर मैं चूतड़ कि खनखनाहट को सूनती और मैं सूनकर मैं चौकता। मैने उससे धड़कतें दिल से पूछा क्यो आप मेरे लिए खाना लाये है दरवाजे पर आहट हुई।
तो मैं सम्भल कर बैठ गया जैसे कोई पूलिस कि आवाज पर लोग सम्भल जाता है।,
यह आवाज मेरे दोस्त कि बिबि कि थी मैने सकल नही देखी थी मगर मैं उसकि आवाजे पर धान रखी थी।
अन्दर आ जाये क्या मैने कहा हां हां और तुरन्त पायलों कि झनकार के साथ वो पहली बार मेरे रूम में वो आई थी।
और टेबल पर खाना रख कर बोली आप खाना खा लिजिय नही तो ठण्डा हो जायेगा।
उसकि आवाज में कही भी झल और मेरे प्रति किसी सक को कोई गूजाईस नही था। - बल्की आवाज में एक रस था। चोर दिल ऐसा होता है। कि किसी का आहट सुनकर दिल घबरा जाता है। आप जाये में खाना खालूगा तो फिर भी थोड़ी देर तक वो मेरे पास खड़ी रही थी।
किा वो एक गहरी सांस लेकर चली गयी थी जब तक वो मेरे पास रूकि रही तब तक मुझकों पसिना छ्टता रहा उसकि घूमती नजरों को मै देखता रहा था।
आज पहली बार किसी के आने का इन्तजार किये बिना मूझ को समय पर खाना पहूच गया था मैं एक बात से घवरा रही थी कि वो कही अपनी मर्जि से तो वो मेरे पास नही आ गई थी।
कही दोस्त बाहर से आयेगा तो उस पर बिगड ने पडें देर रात तक कारने में कान लगाये बैठा रहा। - उस दिन के बाद वो रोज मेरी कमरे में खाना पहूचाने आ जाती थी वो धड़क खाना चाय वो पहूचाने आ जाती थी।
मैने कभी भी उससे मैने बात नही कि थी वो मूझ से जितना भी पूछती तो मैं हू हां कर रह जाता था।
यदा कदा कभी कभार उस पर नजर पड़ ही जाती थी। ओ भी सान्त ओर सून्दर औरत थी। लेकिन मूझ को लगता कि वो मुझे से बात करने कि ईच्छुक है मूझे उस कि बातों को महसूस होता था। __ मैं गलत नहीं था मैं बहूत ही सूधर गया था एक रात में खाना लेकर मेरे पास आई थी। वापस जाने के बजाये वो वही जमकर बैठ गयी थी। जब वो कूछ देर तक अपनी जगह से नही हिली तो मैने पूछा क्या तूम्हें मूझ से और कोई काम है।
नही हमकों आप पसे कूछ पूछना है उसने हमसे कहा।वोलिऐ क्या काम हैं मुझसें।
क्या मेरी सकल इतनी बुरी हे कि आप नजर उठाकर देख भी नही सकतें । उसने एक सवाल किया मैने चौक कर मैं पहली बार उसे देखा तो में दखतें ही मै। अन्दर तक हिल गया ।
शादी के बाद पहली बार किसी औरत से नजर मिली थी रिमा की आंखों से आसू निकल रहे थे।
तूम तो काफी खूबसूरत हो मैने उससे कहना चाहा मगर इतना कहने से भी मते घवरा गया था मतैने सिर्फ इ तना कहा कि ऐ वात नही है तुम गलत सोच रही हो ।
सही तो मैं कह रही हूं अगर मैं बूरी नही हो ती तो आप एक बार तो हमें देखतें तो हमें बात तो आप करतें ।
हमने आप का क्या बिगाड़ा है जो आप हम से ईस तरह से नही बोलतें है।
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06-10-2021, 12:09 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
फिर वो धिमी आवाज में बोला यह वस बहम हे आपका तूम से क्या मै। अपनों से भी नही बोलता हूं।
मैने किसी से भी नही रूठा हूं ले किन खफा हूं सिर्फ अपने आप से आखिर मै। उससे क ह ही दिया तूमईसकि बजह नही समझोगी।
हम आप को समझते है उसने यह कह कर मेरा दिल को दहला दिया हम सब जानते है। अब जो हो गया उसे आप भूल जाईए आप सोच लिजिये कि वो एक रात कि आपकि रखैल थी।
यह जो हुआ वो शराब के नशे में ह आ है इतने अच्छे आदमि के दिल को टूकरा कर वो चली गयी ।

आप जानतें है वो आजतक सूखी नही है आप से सम्बंध बिच्छेद होने के बाद उसकी शदी एक बूढे से हो गयी हैं।
आप तो शराबी नही थे मगर दोस्तों ने आप को शराबी बना दिया था आज भी वो पअनी किस्मत पर रो रही है।
फिर वो धिरे धिरे चलतें वो मेरे पास में आ गइ थी हम आपके पास है न आप को चिन्ता नही करना है। मेरा मतलब है कि मैं आपका मै। हमेशा साथ दूगी मैं वस आप हसतें मूस्कूरातें रही थे।
उसने बिना सोचे समझें वो मेरे बगल में आकर बैठ गयी और धिरे से मेरा हाथ पकड़ लिया ।
उसके चेहरे पर मेरे लिए जमाने मर कि हमददि झलक रही थी मेरे हाथों के रास्तें पूरे बदन में सिहरन दोड़ती चली गयी। - वॉख लादर में मुंह से आवाज निकली देखो तूम चंदा पर से जाओं अगर किसी ने देखा लिया तो मैं वेकार में बदनाम हो जाउगा नही तूमे मेरे पास से चले जाओं।
मेरे आपके दूश्मन उसने एक दम से मेरे होठों पर अपनी नाजूक. हथेली रख दी थी। हम आपके पास बैठेगे कहा हम लेट जायेगें कोई रोक कर दिखा ये हमें उसने सिर्फ कहा ही नही बल्की पांव उपर कर के मेरी गोंद में सर रख कर लेट गयी थी।
मेरे शरीर में जैसे अनार के गोले छटने लगे थे रिमा के छूतें ही में अपने आप से शर्मा गया था।
और मैं घवरा कर मैं अपने गोद में उसकि सरहटातें हुए बोला तूम रिमा यह सब क्या कर रही हो ईतनी हम दर्दि भी अच्छी नही मेरा दोस्त आता हेगा।

नही मैं यहा से आज नही जायेगें लो यहाँ पर नही हैं वो कल या परसों तक आवेगा ।हम अकेले निचे क्या करेगें देखी। ये आप हमें भगाईयेनही मैने आप से सचकह रही हूं मे। आप को खेयाल करेगे।
मैने आप को अपना समझतें है हमारा दिल आप को देख कर कलेजा बिह रता है।
ईस दिल से आप सारे दूख उतार दिजियें यह कहकर उसने जल्दी से मेरा सर खिच कर अपनी चूची में वो सटा लिया था।वस एक बार बस एक बार अपना दूख मेरे दिल में उतार दे ।
उसके बाद आप जिवन भर भी हम से आप बात न करें तो मैं आपसे कभी सिकायत नही करूगा ।
वो यह कह कर मूझकों अपने चूची से दवायें जा रही थी। और मूझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मैं कहा भटक गया हूं।
मेने उसके आगोश में गिरता चला गया मेरे अन्दर के भी कप कपी हो रही थी। । उसने तो बिना पीये मूझे पर नशा चड़ा दिया था वों भी उसकड़िसन में जब कि आदमी दूनिया में अकेला महसूस नही हो गया हो उसके जिवन में हमेशा दूखों के सिवा कुछ भी नही रहा हो।
मूझ के रिमा अपनी रूम में जाना चाहती थी क्यो वो मूझसें हमदर्दी जताने के लिए । या केवल चोदने के लिए या मूझमें उसे कोई खास बात नजर आ गयी थी जो वो मेरे साथ वहक रही थी।
यह म। भी नही जान्ता थि उसकि चूची की उछल कुछ मेरे अन्दर भी उछल कूछ मचा देगली ।

एक वैक मेरा हाथ उसकि कमर में फस सी गयी थी मैने और जोर से उसकि चूची में मूह सटा ये पलंग पर मैं वह गया था क्या यह बात हकित है।
मैने तो ऐंसा खाब्बा में भी नहीं सोचा था मैने उसके गठिलें चूची पर मूंह को रगड़तें घूटें घूटें स्वर में बोला। - यह हकिकत है सह बनी मेरे बाहों में कसने के लगा था जिससे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। _हम आप को कूछ करके दिखायेगें बल्की आप को मजा देना मेरा करर्त्यब हो गया आप का हम हंसते हुए में देख ना चाहती हूं एक दम में ही में उसके कितना बड़ा बना दिया सच में नारी तो एक मिनट में सव कुछ साफ में मिला दे नही तो वो औरत चाहें तो आदमी को बूलन्दी पर पहूचा दे ।
यह तो अकसर जालिम औरत में ही पाई जाती है वो भी एक लड़कि थी जो मूझ को एक मिनट में क झ को खाक में मिला दिया था।
और एक लड़कि जो मेरे दोस्त कि बीबी है जो मूझें आसमान कि बूलदियों में पहचा रही है।
मगर अगले पल क्या हो गा में जाता था और मैं भी कभी कभी ज जानना चाहता था । यही जो खूसी कुझे मिल रही थी उसे मै। समेट लेना में चाहता था हमेश हमेशा के लिए।
मैं क्यो सोचचता कि वो रे दोस्त कि बीबी ही जिस पर मेरा अधिकार नही है।
जरा आप छोडिये में। एक सब कपडे को निकाल दू उसने अपने हाथो से बलौज पर हाथ के रख कर कहा ओर मै फौरन अपनी बाहें उपर को कर दी।

रिमा का चेहरा गूलाव के तरह खिल रहा था उसने मेरे होठों को चूमा ओर उठकर अपनी साड़ी को खोलने लगी।
मैने फटी फटी नजरों से किसी लड़कि को अपने सामने कपड़ें खोल कर अपनी बलौज को खोला निये से उसने ब्रेजरी नही पहनी थी।
अतः बलौज उपर करते ही उसकि फसी फसी चूची उछलने लगी तो मेरे आंखों में चका चौन्ध हो गयी ।
वो शर्मा ने वाले स्टाईल से अपनी चूची पर हाथ को वो रख कर वो मेरे बराबर में आकर लेट गयी । - उसने अभी पेटीकोट नही उतारा था बो ईतनी वेशर्म वन गयी कि वो पेटी कोट मेरे लिए छोड़ा था।
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06-10-2021, 12:09 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
उसके चेहरे पर शर्म के भाव को देख कर मैने कहा नही रनहे दिजिये हम एसे ही ठीक हैं अब मैं नही शर्मायेगे | उसने शर्मिली हसी हंस कर के अपनी चूची पर से वों अपना हाथ को हटा लिया।
और वो आंखें बन्द कर के वो मेरे पास वो लेट गयी थी।मगर उसकि होठों पर शर्मिली मुस्कान हो रही थी। मैने भी झूक कर अपना ओठ उसकि होठों पर रख दिये और मैं अपने हाथों के उसकि चूची पर रखा।
उसने सिसकि भर कर सीना हिला या और आंखों मेरी होठों को अपने मुंह में दवा कर जोर जोर से वो चूसने लगी।
इधर मै उसकि चूची को पकडते ही मेरे अन्दर उतेजना के संचार होने लगा था।
फिर मेरा हाथ उसकि गठीली चूची पर रेंगने लगा था। यहाँ से वहाँ तक मेरे हाथ उसकि चूची पर गये उसी समय मैं जोश में आकर उसकि दोनो चूची को मिजने लगा ।

मगर मै इतना खेयाल भी रखा कि कही हम से गलती न हो जायें कही वो मूझ को जगली न मान ले ।
रिमा कि चूची में मूझको कठोरता मिली उसी समय रिमा मेरे हाठ को छोड़ते हुए कहा आप हिचकियाईया नही जितनी जोर से आप का मन करे मेरीचूची को दवालैं।
हम कोई तकलिफ नही होगी मूझे तो मजा आता है। रिमा ने मेरे हिचकिचाहट को कितनी जल्दी ताड़ लिया था। उसके कहने के बाद मेरा हाथ जोर जोर से उसकी चूची को मलने में लग गया था।
रिमा कि मुंह से भिची भिची सिसकी निकल रही थी। उसके हाथ अब नीचे से पैनट खोल रहे थे। फिर उसने अपने हाथ से बलौज खोल कर मेरी दोनो चूची पर गिरा दिया था।
उधर मेरा पांब उसकि पिड़लियों पर पिसल रहें थे पैर से ही मे। उसकि पेटीकोट मैं काफी उपर तक चढा दिया था तभी वो अपना सिना मेरी चूची को दवा कर वो जोर से मझाके कस लिया था।
अब तो बिल कूल नही शर्मा नही रही थी बल्की वो अपनी भिचिभिची आंखों से वो मूस्कूरातें हूए मूझकों देख रही थी।
उसकि मूस्कान ने मेरे अन्दर आग को ओर भड़का दिया था। और मैं उसकि पेटीकोट से झाकती टांगे को मैने देखी मतेरे मन में गूदगूदी हो रही थी।
कितनी सून्दर होती है लड़कि कि टांगें आज मे। उसकि बूर हकिकत में देख रहा था। फिर उसकि बूर पर दा हो गया था वाकि कि पूरी टांगें नंगी पड़ी थी।
उसने ढकने की कोशिश भी नही कि थी मैने भी झट पट अपकमिज उतारी मैं पहले से ही चूल बूल था। और मैं वाकिला ओभी उतार दिया था और मैने अपने हाथों से ओर करके उसकें उठतें बैठतें पेट पर बंधे पेटीकोट थी नाड़ खागा बो गाठे तो खूल ही नही रहा था।
तब मैने फिर पेटी कोट के अन्दर को डाल कर कमर बन्द साहित मैने उसकि पेटीकोट का हड़ लिया ।
मैने हाथ को डजल तो फक से उसकि नमन बूर पर हाथ पड़ गयी थी।
फिर मैं फिर जोर का झटका दिया तो नाड़ा टूट गयी थी।और रिमा कि मुंह से कराह सी निकली गयी थी। तगड़ा झटका लगा था मूझें अपनी गलती पर लेकिन नाड़ा टूिट गया था। - मैने रिमा को आंखों से देखा था और वो वोली ठीक हे ठीक है। यह सव तो चलता ही हें कुछ नही हुआ मुझको ।
असल में मुझकों अपनी पत्नी का खचाल अ जब रिमा को नार्मला अन्दाज में हंसतें देखातों मझें कुछ तसल्ली हुयी थी परि मैने उसकि पेटी छोट टांगों से उतर कर उसे पूरी तरह नंगा कर दिया था। __ मैने उसकि गोरी बूर को देख कर मेरी पसिना छूटने लगा था। मैने उसे एक दम से एकटक सा देखता रहा था। पहले तमो वो शर्मा कर टांगें भिचली थी फिर वों धिरे धिरे थोड़ी थोड़ी कर के खोलने लगी थी।
मैने उसकि पूरी बूर को देखा तो कि विचसे चीरी हुई उसमे से रस टपक रही थी।
उसी समय रिमा ने अपने हाथों से पकड़ कर मेरे लण्ड को छेड़ा था तो मैं होश गवा बैठी थी। उसकि बूर का पता नही क ब हम देखते रहें थे फिरमै। अपनी नजर उठाकर उसके चेहरे को देखा जो बला कि सोखी भरी हुयी थी वो मेरी लण्ड को वो मुस्कराकर उसे छेड रही थी।
मैने अन्जान सी बन कर पूछा आप का लण्ड उसने तो कह दिया पर खूद ही आंखों पर हाथ रखकर शमा गयो ।
उसका मेरा लण्ड अच्छा लगा यह जान कर बड़ी खूशी हूयी फिर मैने उसके एकटांग को उठाकर मैं। अपन लण्ड को उसकि जांघों के बिच में ले गया ऐसा क्या खास लगा तूम्हें मेरे लण्ड में ।
जैसे मोटाई लम्बाई चिकनाहट और कडियन सव खास यह सव बता कर वो खिल खिला उठी थी।
क्या मेरे दोस्त का ऐसा लण्ड नही है मैने उससे पूछा ऐसा क्या बल्की ईसका आधा भी नही है। सी ई।
उधर मैं उससे बातें कर रहा था और ईधर मैने एक हाथ चोड़ा करके उसकि बूर पर रखा अऔर मे। बूर को सहलाया तो मेरा लण्ड वौखला गया था।
दूसरे हाथ से मैने उसकि दूसरी टांग को पकड़ी और उसे मोड़ते हुए अपने कन्धे पर रखा ।
तो मेरा लण्ड ने झटसा उसकि जांघों के जडों में आ लगा फिर मैने वहाँ से हाथ को हटा कर लण्ड को पकड़ कर उसकि बूर के पास पहूचा दिया और पिर मैने उसकि दूसरी टांग को उठाकर कन्धे पर रखली ।
उसी समय रीमा कि मुंह से सिसकि निकली अपने शरीर को वो धकेला तो मेरा लण्ड उस कि बूर मे जोक की तरह जा कर सट गया था। मेरी अन्दर की उमंगे पूरी तरह से फड़ फडा उठी थी

मैने भी अब देर करना उचित करना नहीं समझी । - उसकि बूर में लण्ड पेलने के लिए वो तैयार थी मेरा लण्ड भी बूर में जाने के लिए छटपटा रहा था। उसके बाद मैने उस कि कमर को थाम कर उसंकों मैं अपनी और खिचतें हुए मैने उसकिर पर एक धक्का मारा कि मेरा लण्ड उसकि बूर में अटक गया उसकी बूर भी बड़ी टाईट थी उसकि बूर के मंझ खोलने में लण्ड को काफी दिक्कत हूआ क्यो कि ला जकड़ा हुआ था। ना पूरी तरह सिसिया रही थी और वो बेताब हो कर लण्ड को आगे सरकाने कि गरज से अपनी बदन को फिर मेरी लण्ड के. तरफ धकेला मैने उसे दिख रहा था।
जबाब मूझकों मिल चूका थामने लण्ड को थोड़ा और आगे बड़ा या रिमा अपनी जगह ठहर कर मेरे लण्ड को अपनी बूर में जाने का इन्तजार करने लगी।
आह रिमा कि मेंह से कछ कराहट निकली तो मै। रूक गया तब तक मेरा आधा लण्ड जा चूका था। रिमा कि कसमसाहट दो रही थी उसे चेहरे पर कुछ परेशानी हो रही
थी।
क्या क्या हुआ रानी तकलिफ है चोने में ओफओ हमने आप से कहा न ईसा बार रिमा कूछ झूझुला सी गई थी ठीक है आप बन्द क्यो कर दिये आप चोदतें जाईये ।
ऐसा दर्द मूझकों अच्छा लगता हैं हमारी यह खूसी का दर्द है कि आह चोदे जाओं राजा सैया ।
मैने तो दर्द के खेयाल से नही तुम्हें चोद रहा था अब ओ लण्ड को एक दिवार में पूरा का पूरा मेरी बूर मे पेल दिया। आह सी अब कि बार रिमा जोर से मचली थी उसके येहरे पर दर्द के रेखाये दिखाई दे रही थी। मैने सोचा मैने सोचा कि मेरे कस के चोदाई से वो मचल सी गयी है।
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06-10-2021, 12:09 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
परन्तु ऐसा नही था उसकि चेहरे पर जो दर्द दिखाई दे रहा था वो खूसी की दर्द थी मैने रिमा कि चेहरा को मैं देख रहा था ओ भी मेरे लण्ड क देख रही थी।
होगा या पूरी चोदाई तो तो गया मैने हंस कर कहा तो आपबैठ क्योो जरा दूवारा कस कस कर चोदोन मगर यो दाई में दिल मत करना हमें तेज चूदाई पसन्द है।
वो ईतनी मस्ती में पहूच चूकि थी कि वो किसी भी चिज को अदा करने में वो नही चूक रही थी।
आज मुझ को होश में तड़प का साथ पझ को चोदाई का मजा मूझे मिला था। फिर मै ऐसा रवाने के लिए क्यो कहता ईस लिए उसकि टांगें थाम कर ओर मै। बूर में पेलना फिर से शुरू कर दिया था जरा सी देर बाद हम दोनो हर चिल से वेखवर एक दूसरे के वाहों में कसे बूरी तरह हाफ रहे थे।
मैने अपना सारा जोश उसकि बूर को अन्दर छोड़ चूका था और जो भी मूझे से चोदवा कर खूस थी।
बढिया बहूत बढिया बल्की ऐसा लगा जैसे तूमने हमें नयी जिन्दगी दी हों मैने उसे चूमने लगी थी।
फिर वो मुझसे लिपट कर बोली नही जिन्दगी तो आप ने मूझ को दि है जी और हम उमिद करतें है कि फिर आप हम बराबर चोदतें रहेगे।
हा। रिमा यह तो मेरी खूसकिश्मती हि होगी मैने भी उसको जोर से अपनी बाहों में भिच लिया । फिर रात को हमलोग नगें बदन हो कर रात भर चोदाई करते रहे। वे दोनो पूरी तरह थक चूकें थे और मैं लूग्गी लपेटा और मैं सो गया था।

मैने पूरा दिन साता रहा उधर ओ भी सोती रही थी तभी तो वो मेरा खाना लेकर नही आई थी।रात को फिर वो खाना को साथ वो मेरे पास वो हाजिर हो गयी उस दिन भी मेरा दोस्त वापस नही आया था।
दो दिन तक मेरे दोस्त के नही रहने पर रिमा को काफी हद तक हमने उसे चोदा लेकिन उसका आजाने से ऐसा लग रहा है अब हमें बूर की दर्शन नही होता लग रहा है मगर ऐसा नही हूआ रात में तो नही मगर एक रोज दिन मे ही हमको चोदने को दिया मैने उसे काफ हद तक उसको चोदा ।
उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता तो हमारे पास में आकर हमें चोदने को दे जाती थी।
आज तक मैने यह नही जान पाया कि वा हमपर ईतनी मेहर वानी क्यों कर रही है। फिर वो मुझ पर क्यो मेहर बान हे क्या वो हमसे वो शादी करना चाहती है।
वैसे रिमा मकसद जो हो मगर वो मेरे जिवन कि बगिया को वो महका दी थी। मैने अब उससे बिछूडना नही चाहता था। अब उसकि जूदाई मूझसे बदार्शत नही होती हैं।
असल में मैं खूद पहले से दुखी था क्योकि मेरी गल्ती से मेरी बीबी मूझे छोड कर भाग गयी थी। उसी दरमयान मूझ को एक लड़कि से दोस्ती हो गया मेरी दोस्त कि बिबी ने बताया कि मेरी एक सहेली प्रभा है आप उसको चोदिये उसकि भी बूर काफी अच्छी है। एक बार कि बात है कि मैने कही वाहर आकर के सिधे उसके घर गया तो देखा प्रभा वाथरूम में वो बलौज खोलकर वो नहाने के लिए तैयारी कर रही थी।
तबतक मैं पेसाव करने के बहाने में उसकि वाथ रूम में घुस गया था। तो वो हमें दली तो वो घवरा कर अपनी चूची पर परदा करने लगी तो मैंने कहा क्यों परदा कर रही हो मैं कोई अनजान नही हूं।
मूझकों तो रिमा ने आपके पास भेजा हैं कि मेरी सहेली प्रभा है वो भी बड़ी हंस मूख है। तो मैने सोचा कि क्यों न आपसे मिल आउ । ठीक है ठीक है आप बाहर जाकर बैठे मै। अभी नहा कर आती हूँ।
वाक अपनी बलौज को उस समय एक अगल कर चूका थ वो साडी कि गाठ को खोल कर साडी भी उतारने ही जा रहा था वाथरूम के साजस्था देख कर मै। झूम उठी थी।
मेरी उगली प्रभा के पेट से टकराई तो मूझकों अच्छा सा लगने लगा था। जब प्रभाने साड़ी भी खोल चूकि तो झकों अच्दा सा लगने लगा था। जब प्रभा ने साड़ी भी बोल चूकि तो वाह अपने ने तो अच्छी माल को छुपा रखी
उसने चमकती आंखों से मेरी पेन्टी को घूरतें हुए कहा मासका तरिफ सुन कर मेरी बूर बाहर निकलने के लिए कडक रही थी अपनी बर अभी अन्छर ही में रहने दिया
फिर उसने मुझकों खीच कर अपने सीने से मूझ को वपका लिया था। मैंने उसकि गहरी गहरी सांसों का नूभव कर रही थी।फिर उसने मेरी कमर को पकड़ लिया और मेरी दोनों चूची को मिजने लगा था।
उसने मेरी गौन को भी खोल कर अलग करतें देर नही गी मैने भी अपना पूरा कपड़ा खोल कर अलग कर दिया से सिर्फ अन्डर वियर रह गया था।

मैने उसकि आर्कसक जांचें को देख कर मेरा माथ चकरा गया था। उसने भी देखा कि मेरा लण्ड अन्डर वियर में कूलाचे मार रहा है तो अपना हाथ घूसा कर तो मेरा लण्ड को वो पकड लिया था वो मेरा लण्ड को पकड़ कर देखी तो उसकि आंखें फटी रह गयी थी।
हाय प्रभा तूम्हारी चूची तो किकेट का बौल लग रहा हैं तो प्रभा बोली क्या तुम्हें इससे किकेट से छकका मारना चाहतें होतो मारो न छकका। वह पर तो मुझकों पति के ईशारों पर नाचना पड़ता था वो बती बुझा कर मेरे पास में आजातें और जरा सा हमें चोद कर वो लम्बी तान देते थे।
हाय रे मेरी किश्मत कि मेरा ऐसा नादान पति मिला था। तब हम दूसरा काम को अन्जाम दिया ।
मै रोज सहेली रिमा के पास जाती थी ओ भी अपने पति से काफी दुखी था तो उसके पति के दोस्त से मैं दोस्ती कर ली क्यो कि मेरे कमकान के उपर तल्लें में बो रहते थे। उस सयम तब उनका कोई बिसी नही रहती थी।
मै उनके लिए रोज सुबह शाम खाना पहचातें थे एक रोज देखा कि वो अपना लण्ड को खोल कर अपना लण्ड को सहला रहे थे।
मैने जब उनका लण्ड को देखा तो मैने बेहोश हो गया था क्योकि उनका लण्ड एक दम टाईट और लम्बा था।
जब मैं उनका लण्ड देखा तो मेरी बूर में पानी उमा गया था तो मैने सोचा क्यो नईनको दो बार आपनी जाल में फांस कर मैं अन से चोदवा कर अपनी बर कि गर्मी को सान्त कर लू ।
प्रभा ने ये बात बताई तो मैं हँस पड़ा और बोली प्रभा मैं तो समझता हूं कि रिमा से भी तूम्हारी बूर अच दी लगती है। क्यो मेरी बूर अच्छी है।

वो अपनी तारिफ सूनकर फुली नही समाई।तो आप चोद कर देख लि जिस कि मेरी बूर कैसी आपको लगी है।
तो ठीक है प्रभा अगलें पल वो फर्स पर वो नगी लेट गयी तो मैं उस कि पूरावदन को देखकर मेरी अन्दर झर झरी पैदा होने लगी थी। तो आ ओन सूरूकर दो लेकिन प्रभा मैं तो पहले तूम्हारी चूची से खेलूगा तब चोदूगा ।
बाकइ उसका आजादा निराला था रिमा तो बहूतो से चूदा चूकि थी मगर उसके से चूदवाने में कुछ अलग प्रकार के मजा आता था। मेरा बदन तो उसका लण्ड देख कर 'मन मेंरा एक दम से गनगना उठा था।
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06-10-2021, 12:09 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह

कभी वो मेरी चूची को अपने मुंह में लेकर चूसता और बो दूसरे हाथ से मेरी दूसरी चूची को दवा भी रहा था वो मैं नशें कि वो झसें मैने सिसियाती हूयी मैं उससे पिछे होती गयी थी।
मैं दूसरे पल फर्स पर चित लेट कर सिसिया रही थी ओर वो अपना बजनी शरीर मेरे उपर डालें वो मेरी दोनो चूची को कसकस कर मसल रहा था।
फिर मूझे कहना पड़ा कि वस करों मेरी चूची में दर्द करने लगा है। प्रभा भी नंगी होकर वैठी थी वो बोली सहेली जारा मझे भी अपनी चूची को मसलवाना चाहता हूं तो रिमा ने वोली नही सहेली पहले मूझे चोदवाने दो न ।
नही सहेली पहले मेरी चूची मिजवा कर मेरी बूर तो तैयार होने दो तब तूम आराम से चोदबाना ।
ठीक है ठीक है तुम पहलें मिजवा तो तब हमें चोदवा ले गे तब प्रभा ने अपनी नागपूरी संतरे जैसी अपनी चूची को हिलातें हिलातें मेरे पास में आई तो मैने पहले गौर किया कि इस कि चूची तो तारीफे का बिल हैं कितनी छोटी छोटी चूची है। मलप्रभा कि चूची पकड कर पहले उसे दवाया था कि कही चूची में स्पीग तो नही लगी है।
तो प्रभा बोली तुम क्या देख रहे हो ईलू जी तूम यह चूची को पहले बार देख रहे हो क्या नही नही ऐसी बात नही हे मेरी जान।
प्रभा ने तो देखा तो उसकि बूर से रसटपकने लगी थी कि वो आज तक ऐसा लण्ड को नही देखा था।
वाह क्या लण्ड हैं आज मैं पहले दम इसे से चूची मलवाने के बाद मैं पहले चूदा उगा तब रिमा चोदाईगी।
जब ईल प्रभा के चची पकड़ कर मिजने लगा। तो इल का लण्ड भी खड़ा होने लगा था और इतना खड़ा हो गया कि प्रभा भवराने लगी थी। वो बोली कि ईतना मोटा लण्ड मेरी छोटी सी बूर में कैस जायेगी।
प्रभा ने ते देखा तो उसकि बूर से रस टपकने लगी थी कि वो आज तक ऐसा लण्ड को नही देखा था।
बाह का लण्ड है आज मे। पहले दम ईसे से चूची मलवाने के बाद मैं पहले चूदा उगा तब रिम चोदाईगी। जब ईलू प्रभा के चूची पकड़ कर मिजने लगा तो इलू का लण्ड भी खड़ा होने लगी थी। वो बोली कि ईतना मोटा लण्ड मेरी छोटी सी बूर में कैसी जायेगी।
फिर प्रभा ने अपने मुंह से थूक निकाल कर ईलू को लण्ड पर मलनेलगी थी। तो ईलू ने बोला कि तूम प्रभा मेरे लण्ड पर थूक क्यो लगा कर रगने लगी थी।
देखा ईलू कि ईतना मोटा और लम्बा लण्ड मेरी बूर में कैसे जायेगी मेरी तो बूर फट कर अलग अलग हो जायेगी।
क्या तुम्हारी बूर जो हैं बो नट बोलट से कसा हुआ हे

कि बूर को चोने से अलग अलग हो जायेगा नही ऐसी बात तो नही हैं
तब तम मझ से डर क्या रही हो। जब ये लण्ड तुम्हारी बूर में जायेगा तो बूर को फैलाता हूआ चला जायेगा । क्योकि औरत कि बूर रबड़ कि तरह ही होती है जब मै अपना लण्ड पेलूगा तो तूम्हरी बूर कि चमड़ी हटातें हुए पूरा का पूरा अन्दर चला जायेगा।
नही नही पहलें तूम्हारे लण्ड को मैने अच्छी तरह से देख भाल कर मैं अपनी बूर में घुसवाउ गी अगर मेरी बूर फट गयी तो हम से शादी फिर कौन करेगा मै। तो जिवन भर कूवारी रह जाउगी।
नही नही ऐसी बात नही होगी मेरी जान ।

end
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06-10-2021, 12:09 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
देवर भाभी का प्यार.

लेखक - मस्तराम
मैं सबसे कमसिन थी तभी से मनचली के हवस का शिकार होती रही। शादी से पहले जब मेरी यौवन फुटा तो.मैं ही दो एक के साथ जवानी का मजा लिया।
वेसे बात तो बूरी का पर मुझको बड़ा मजा आया था और मैं अपने कुंवारी जवानी को दिल खोलकर दोनों हाती से लुटने को उतावली दिखने लगी थी। - जहां मेरी उमर को साफ-सुथरी लड़कियों का यौवन संतरे के आकार का था। वहीं मैं यारों के साथ सी-सी कर मैं बेल सराखा बनवा ली थी।
नीचे की कुंवारी लड़की भी कली से चटखकर फूल बन गई थी काश-?
इसके साथ मैं अपने बदन के पूरे स्वाद से परिचित हो गई थी। मनचले यारों से कोरेपन में ही हमें अंग-अंग का स्वाद से परिचित कराके आनंद कैसे लिया जाता हे बना दिया था।
इसी बीच मेरी शादी हुई।
मायके से खेलखाकर ससुराल आई सुहाग रात को मजा ली पर हमें अपने सौहर के साथ एकदम मजा नहीं आया न तो उसको मजा लेना आता था।
सौहर में और को प्यास बुझाने का ताकत नहीं था। संभोग किया तो लगा जेसे बिना कोई ललक का हो।
सुहाग रात में ही मैं समझ गई कि मर्द राजा मेरी मशीन को अपने कमजोर हैंडल से स्टार्ट नहीं कर सकते हैं और न तो मैं उससे जवानीह के रंगीन खेल ही खेल सकती हैं।
मेरे आदमी का हथियार भी कमजोर था जब दूसरी रात को मिलन हुआ तो जिस्म के चटपटे स्वाद के लिए इशारा भी हुआ तो र पहले कि तरह चोंच लगाकर सो गया।
ऐसी हालत में मेरी जैसी मनचली मस्तानी कोराहत केलिए किसी । दूसरे खिलाड़ी कि नितांत आवश्यकता थी। उस समय मैं नई-नई का आई थी ससुराल।
वह हर रात मुझसे मजा ल पर उनके साथ मुझे जरा भा आनद न आता था।
मुझे ऐसा लगता था जेसे कोई नाबालिग लड़का मेरी बूर को अपने मरियल लंड से चोदता हो।
मेरे देवर का लंड काफी मजबूत था और उसका हथियार अच्छा भी था। मैं वैसे दिलखोल कर आशिक थी और जबर्दस्त लंड की तलाश में भी थी।
शायद भगवान को भी हमारी गदराई जवानी का तड़प देखकर रहम आ गई थी।
एक शाम को मेरी नजर अपने किशोर देवर के हथियार पर जमा वह खड़ा खड़ा पेशाब कर रहा था। उसके दमदार लंड के आकार को देखते ही मेरी आंख प्यास से भर उठी थी। . छोकड़ा था अभी वह पर मैंने अभी तक जितना लंड देखी थी उसमें यहसबसे दमदार था। _मैं उसके जालिम हथियार को देखकर वासना से तड़प उठी। वैसे अभी शरम आती थी।
मैं अभी कल्पना भी नहीं कर सकी थी कि इतना छोटा लड़का के पास ऐसा हैवी लंड होगा।
वह मेरा अकेला देवर था। मैं भूखी आंखों से उसके लंड को अबतक देखती रही थी जबतक वह मस्ताये और मजबूत लंड को वह अपने पैंट में नहीं खुपाया। - उसके लंड को देखकर मेरी बेकरारी और भी बढ़ गयी थी। भला मेरी जेसे मसताई बदल वाली मस्तानी को ऐसे जालिम देवर को अपनी आशिक कयों न बनाती। • उसके दमदार लंड से हमारी पुरानी बूर को तफरसे चौदह साल
वाली आनंद प्राप्त हो सकता था।
देवर का विशाल लंड को देखने पर मेरे सारे शरीर में मसतीपन की बदली की तरह झूम उठी। मेरा मन ओर जेसे जंगल में मोर नाचती है वैसे नाच उठी।
शिकार घर में ही थी। यह शिकार अगर जाल में फंस जाता तो फिर इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। फिर अभी तो वह कुंवारा छोकड़ा था। उंमत का मजा कहाँ पाया होगा।
मैं मन में सोची कि अगर अपनेदेवर कोइसका चस्का लगवा दूं। मुझे इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा ओर वह मेरा दिवाना हो जायेगा। फिर गज का हथियार उसके पास था।
हमारे मुरझायी बाग को हरा करने के लिए हथियार काफी बड़ा था साधारण अवस्था में भी देखने से लगताथा जेसे उसका लंड नहीं बम्बईया केला हो।
साधारण अवस्था में ऐसा था तो उस अवस्था में मसतीमें आकर वह जानवर जैसा हो जाएगा।
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06-10-2021, 12:09 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मायके में जिन मनचले यारों का लंड खा चुकी थी। उसूकाहथियार भी देवर के सामने छोटा था।
मैं उस दिन से देवर से अधिक दिलचस्पी रखने लगी। उसे नाश्तापानी प्रेम से देने लगी। जब मैं करीब आई तो वह मुझे वह भाभी भाभी करके करीब आ गया।
वह मुझसे लजाने बंद कर दिया था। मैं देवा कोअपने मीठेबातव्यवहारसे उसे करीब करती गई वह भी मुझसे करीब आता जा रहा था। मेरा नियत उससे जाहिर नहीं हो पाई थी।

अब मैं इस ताक में थी कि मरियल मर्द घर से बाहरजाए तो जानवर घोड़े को अपने लगाम सेकसकर हिलहिनाना सिखाऊँ। इस बीच में उसे पूरी तरह नाप भी ली।
अभी उसका मजा जरी सी भी नहीं आया था। नतो ओर छोकरों की तरह लौडियों के उठानों को ही घरता था। एकदम सीधा सादा देवर था।
एकाएक मेरा सौहर काम के सिलसिले में दिल्ली चला गया। उनके जाने से मुझे बहुत खुशी हुई। अब घर में सिर्फ सास थी और ससुर थे। एक उमेश था।
बूढौती में भी मेरी सास ससुर के साथ रात को सोती थी। उमेश का रूम अलग था। जब जालिम हथियार से अपनी प्यासी औरत को भरपूर मजा देने का सुनहरा अवसर हमारे पास आया सोचा कि खेली खाली सहेली के फैले होंठी मेंनये यार की मस्ती भर आया। ___ मैं बार-बार यही सोचती उमेश का तो एकदम कसा कसा होगा
और नाभि तक पहुँचकर जन्नत का लुफ्त देगा। अभी खेला खाया नहीं है मजा पाएगा तो कुत्ते की तरह दुम हिलायेगा।
मैं ऐसे देवर से अपनी हर साधन आसानी से पूरा करवा सकती हूँ चाहे जो काम हो। ___ मैं यारों के साथ कुंवारी रात को गुलाबी करके एक नम्बर की चालाक हो गई थी।
देवर राजा का लंड देखकर ही मेरीबूर में पानी आ गया था। इस छोटे उम्र में ही वहपुरे मर्द बन गया था। भगवान ने उसे पस्त लंड दिया था।
तभी मेरी नजर उसी कमर कीओर चली गई। दिदि को केला के सामान जांघ काफी फैली हुई थी दिदि कि मोटा जांघों को देखकर मेरा बदन सनसना उठा। दिदि को कमर में पेटीकोट का डोरी बंधा हुआ था और जांघो के बीच के भाग फटा हुआ था जिससे दिदि का पेट का भाग नग्न हो गया था पेटीकोट जांघों के बीच दबा हुआ था।
और महीन कपड़ों के ऊपर से झांटदार बूर को झलक मिल रहा था। मैं धीरे अपनी उंगली को फटे स्थान में घुसा दिया और धीरे धीरे दिदि कीबूर की बालों से छूने लगा था। । पहले तो मैंबूर कि होठों की ओर सरकाने लगा। अब मेरा ऊँगली दिदि की बूर के छेद पर.फिर रहा था ओह माई गॉड मेरी आश्चर्य का सीमा नहीं था।
मेरी बहन की बर पनिया गई थीओर सिसि कर पानी गिर रहा था। ओर मैं नहीं जानता था कि वह सो रही थी या फिर सोने का बहाना कर रही थी।
यहद वह जगी भी होती तो वह इस समय मेरा विरोध नहीं करती मैं बहन कीबूर की बाल के साथ होठों पर भी अपने ऊँगली को धिरे धिरे फिसला रहा था। - जेसा कि मैंने महसुस किया किबहन की बूर की बाल रेशम के समान था उसकी रसीली बूर को सहलाकर गनगना उठा था और मैं उत्तेजना के चरम सीमा पर पहुंच गया था।
मेरे दिल में ख्याल होने लगा था कि उसकी पेटीकोट कि डोरी को खींसकर नग्न कर दूं।
और अपने लंड को अपनी बहन कि एकदम रसिलि बूर में डालकर हचहचा दूं।
लेकिन इतना होने के बाद भी हममें साहसनहीं होपा रहा था। आखिर तो वह रिश्ते में अपनी बड़ी बहन थी अंत मेंअपने दिल में थोड़ा हिम्मतकर अपने दाहिनेहाथ के हथेली की बहन के पेटीकोट क ऊपर से रसीली भीगी बर पर दबाने लगा।
और बूर को हथेलि से दबाते हुए हाथ को बहन की चुचियों पर ले गया।
बहन की चुचियां सॉसों कि गति कि रफतार के अनुसार ऊपर नीचे हो रही थी।
मैं धीरे-धीरे बहन की चुचियों को भी दबाना शुरू कर दिया। बूर केसाथ चूचियों को दबाने में मुझे बहुत मजा आ रहा था और तभी मेरी मस्ती ओर आ गया था। " और अब हमारी इच्छा था कि उसकी गहरी नाभी को देखकर हमेंचुसने को हाने लगी।
मैं झुककर बहन की नाभि को चूम लिया। नाभि को चुमबन लेने केबाद हम अपनी जिभ की गहरी नाभि में डालकर के अंदर घुसेड़ घूमाने लगा।
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06-10-2021, 12:09 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मेरे दिदि चुपचाप से सो रहीथी। हम तरह से मेरे दिल में धड़कन बड़ गया ओर मैं उसकी चुचियों और बूर पर होठों को चिपकाकर चुम्बन लिया। - अब मैं इस समय बूर ओर चूचियों का चुम्बन कर रहाथा। तब दिदि के मुंह से सिसकी आवाज सुनकर घबड़ा उठा ओर उसके बिछावन पर आ गया।
मेरा लंड तनकर फुफकाने लगा था ओर मैं इसे हाथ से पकड़ लिया मैं अपनी उत्तेजना को बश करने में सक्षम नहीं हो पा रहा था
ओर मेरे दिमाग में तनाव बढ़ गया था। मैं अपने दिल मेंआराम महसुस नहीं कर पा रहा था। अत: मैं अपनी जांघों से लुंगी को उलट दिया और अपने सनसनाये हुए लंड को हथेली से बांध लिया था।
मेरे लंड के लाल सुपाड़ा केबीच केदेद से रस टपक रहा था। मैं इसे हथेली के नीचे कसकर बांध लिया और ऊपर नीचे कर दिदि को मस्त जवानी कि कल्पना कर मुठियाने लगा।
मैं इस समय कल्पना कर रहा था कि मेरा लंड हथेली केबीच में होकर बल्कि दिदि कि प्यारी बूर में अंदर बाहर हो रहा है। धीरे धीरे हथेली का रफ्तार तीव्र हो गया।
मेरा मुंह हर धक्के के साथ सुखता जा रहा था।
मेरा लंड हथेली के बीच तनकर लोहे के समान हो गया था। मेरी प्यारी बहन का सलोना चेहरा गुलाबी गाल नोकदान चुचियां पतली कमर मांसल गाड़ था। - ओर झांटदार बूर से मेरा उत्तेजना को भड़का दिया था। अत: मैं लंड को मुठियाते हुए फुसफुसा रहाथा। ओ.....मेरी...प्यारी बहन तु अपनी प्यारी बूर में इसे समा लो।
और इसलिए तुम उत्तेजित हो उठे। वह में आंखों में झांकते हुए निरीक्षण कर रही थी। हां दिदि तुम्हारी मदमस्त जवानी ने हमे उत्तेजना में भर दिया था।
मेरे खोलने पर उसके चेहरने कर रक्त बदल गया था और वह मस्त होकर बोला ओह कितना भाग्यशाली हूं कि तुम्हें मेरा हमारी जवानी पसंद आई है।
ओहर प्रमोद तुम हमें चाहते हो ओह मेरे प्यारे भाई तुम कितने अच्छेभाई हो तुम।
और इतना कहकर मेरी गर्दन में हाथ डालकर मुझे अपने बदन से चिपका ली।
और हमारे ओठों को चूसने लगी थी। और वह अपनी जीभ को हमारी मुंह में दबा दी थी। और मैं भी अन्जान बनकर उसके जीभ को चुसने लगा।

मैं अन्जान होकर अपनी लंड को मुठियाते हुए कराह रहा था। अच्छा यह बात है अपने घर में बाहर रहकर हां पर यह कौन सी पढ़ाई कर रहे हो प्रमोद।
यह आवाज सुनकर मैं घबड़ा गया ओर अपने लंड को हाथ से आजाद कर अपने सिर का आवाज के तरफ घूमाया दिदि अपने बिछावन पर उठकर बैठी हुई थी।
और मेरी ओर ध्यान से देख रही थी मैं लंड को हाथ से मूठियाना बंद कर दिया था और भयभीत होकर उसी ओर ताक रहा था।
उर्मीला मेरी हन हम को घूरते हुए देखकर हमसे अपनी बिछावन पर आने के लिए बोला।
काफी डर गया था ओर अपने लंड को लुंगी से झांप गया। मैं दिदि के बुलाने पर उठ खड़ा हुआ और धड़कते दिल से उसके सामने बिछावन पर जाकर बैठ गया।
तुम यहां पर क्या कर रहे थे प्रमोद? वह मुझसे पूछी। मैं मैं दिदि मैं हालाने लगा ओर कछ भी बोल नहीं रहा था ठीक है मैं इस घटना को चिट्ठी लिखकर मां से कहूंगी।
और सारी बातों का वर्णन करूंगी कि तुम कौन सी पढ़ाई कर रहे हो और तुम्हारा बेटा अपने शरीर को कैसे बर्बाद कर रहा है। वह मुझे धमकाते हुए बोली।
मुझसे गलती हो गई दिदि अब मैं दोबारा ऐसा नहीं करूंगा। वास्तव में ऐसा कभी नहीं करता लेकिन आज सिर्फ क्षमा मांगते हुए बोला। - मैं कैसे विश्वास कर सकती हूं कि तुम रोज ऐसा नहीं करते आज मैं यहा पर ठहरी हूं और इस तरह कि हरकत का अपनी आँखों से तुम्हें देखी हूं।

और हमे तो आभास हो रहा है कि दिन भर तुम कितनी बार इस तरह का प्रैक्टिस करते होगे।
वह डांटते हुए बाली नहीं दिदि मैं तुम्हे विश्वास दिलाता हूं कि मैं ऐसा कभी भी नहीं करता हूं। आज सिर्फ उत्तेजना में आकर इस तरह का काम किया है।
मैं अपनी उत्तेजना को बस में करने में सक्षम नहीं सका। ओर सबसे बड़ी बात है तुम यहां पर ...। मैं बोलते बोलते एकदम हो गया बोलो क्या वजह है? । आज तुम यह सब कर रहे थे? " मेरी दिदि मुझसे पूछी। यदि मैं तुमसे बोलुंगा तो तुमहम पर क्रोधित होगी। मैं हिचकिचाते हुए बोला नहीं प्रमोद मैं ऐसा कभी नहीं करूंगी।
बोलो क्या बात है?
वह बोली तुम पहले वादा करो कि तुम हमपर बिगड़ेगी नहीं। मैं बोला मैं तुमसे वादा करती हूं कि मैं तुमको कुछ भी नहीं बोलूंगी। - वहहमको सांत्वना देते हुए बोली ओर तब मैं बोलना शुरू किया दिदि..मेरी प्यारी बहन तुम्हारी सुंदरता पर उत्तेजित हो उठा था। - और मैं तुम्हारे फुली गाल नोकदार चुचियों पतली कमर ओर भारी चुतड़ को देखकर पागल हो गया था।
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06-10-2021, 12:09 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
दिदि मेरी बातो को शांत होकर सुन रही थी और तब बोली तो प्रमोद... तुम्हारे कहने का मतलब है कि मेरी सुंदरता ने तुम्हे पागल बना दिया था।
जब वह मुझसे अपने बहन से चिपक ली थी तब उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों मेंरी छाती पर गड़ने लगा था। - वह मेरी होठों को चुसते हुए अपनी चुचियों को छाती से रगड़

रही थी और इस तरह रगड़ से मेरा बदल सनसनाने लगा था।
पहले तो मैं स्थिर होकर जिभ को चुस रहा था, लेकिन उसे अपने चुचियाँ पर दबाते देखकर मैं भी उसे अपने आलिंगन में बांध लिया।
वह मेरे चेहरे को चारों तरफ चुम्न करते हुए मेरी पीठ को सहलाते हुए बोली तुमने मुझे अपनी हरकतों से पागल बना दिया है .... तुम बदमाश लड़के गुंडा... साले तुम मेरी पेटिकोट को खोलकर उसी समय अलग क्यो नहीं कर दिया?
मुझे चोद क्यों नहीं दिया... जब तुम्हारा हाथ पहली दफा मेरी गांड पर पड़ा था तभी मैं जाग गई थी।
। मैं तो सोने का बहाना कर रही थी और सोच रही थीं कि तुम मेरे साथ क्या करने जा रहे हो।
तुम्हारी हरकतों ने मेरी बुर को गुदगुदा दिया था ओर बूर से पानी। रिसने लगा था। - मेरे प्यारे भाई तुम जानते हो....मैं चाह रही थी कि तुम तुम अपने लंड को मेरी बूर में धांस दो।
लेकिन साले तुम तो गदहे निकल... ओह प्रमोद... वह मुझसे गाली का शब्द प्रयोग करते हुए बोल रही थी और साथ में मुझे अपनी दन से चिपका भी रही थी। - दिदि के मुंहसे गाली -भरी बातों को सुनकर मैंफिर से सनसनानेलगा ओर मेरा लंड खड़ा होकर डंडे के समान कड़ा हो गया था।
ओह मेरी प्यारी दिदि....तुम कितनी अच्छी हो...। - मैं बोला ओर मस्ती में भरकर अपने हाथों को उसकी बाडिज के ऊपर चुचियों पर ले गया ओर हाथ से पकड़ कर दबाने लगा।

अब मेरे दिल में जो भय था खत्म हो चुका था। उसके गुदाल चुचियों को मसलने में अच्छा लग रहा था।
उर्मीला दिदि को अपने मुलायम हाथ में लेकर मेरे लंड पर धक्का लगा रही थी। - और मैं उसकी चुचियों को जोर जोर से मसल रहा था। तब मैं चुचियों को मसलते हुए उसकी किस किस समान कुंडियों को दो उंगली के बीच लेकर मसलने लगा था। _मैं इस समय बूर को मसलते हुए सोच रही थी कि अब मुलायम अपने बदन को बूर चोदने को मिलेगा अब वह धक्का अपने हाथों से दे रही थी।
तब मुझे महसुस हो रहा था उसे मेरी दिदि के बूर में लंड आ रहा
हम दोनों एक दूसरे के अंगों पर जोर कि अजमाइस की तेज कर दिया था।
मैं उसकी चुचियों और बूरको कपड़े के उपर जोर जोर से मसल रहा था।
दिदि की चुचियां असलाहट पाकर कड़ी हो गई थी और साथ में बूर से पानी निकलने के वजह पेटिकोट बूर कि भाग का भाग उठी थी। बहन के बूर कि खुजली बढ़ती जा रही थी। - अब वह मेरे लंड को हथेली के बीच कसकर दबाकर ऊपर नीचे कर रही थी जिसस लंड पर नशा कि बैगनी रेखा उमर उठी थी। बहन एक अनुभवी की तरह मेरे लंड को मुठिया रही थी।
इस तरह मेरे लंड में मस्ती कुछ ही पल में खलास हो गया था उम्मी हो चली थी जैसा कि महसुस कर रहा था।
मेरा बदल कांपने लगा था और कांपते हुए बोला आवाज में बोला- मैं कुछ ही देर में झड़ जाउंगा-दिदि। म..म... स.स..ओह दिदि मेरी मस्ती खलास हो रहा है हाय मेरा लंड से पानी गिर रहा है..ओह. हाय..सी...ई।
और मेरा लंड से गरम वीर्य का फौव्बारा पिचकारी के तरह उसके शरीर पर गिरना शुरू हो गया बहुत ही गाढ़ा बीर्य उसके बदन के अंगों पर गिरकर चिपक गया था।
जैसे किपहला तो उसकी दाहिने हाथ कि हथेली वाले से तर हुआ था ओरबाद फौब्बारे की तरह उसकी चुचि के उपर वाली तथा पैंट के काफी भाग में वीर्य का लसलसा चिपक उठा था। - अब मेरा लंड से पानी गिर रहा था तब वह हो जाने साथ ने लंड को अपनी शरीर की ओर मोड़ दि थी। के जब मैं झड़ गया तब वह मुझसे मुस्कुराते हुए बोली- ओह माई गॉड तुम्हारा लंड से बहुत मात्रा में पानी गिरा है।
हाय प्रमोद- मेरे प्यारे भाई जान- यहतो गाढ़ा भी बहुत है अच्छा ठीक है अब हम दोनों मिलकर इस तरह से खेलकर आनंद प्राप्त करेंगे। - और यह कहकर यह दिवार के तरफ चली बड़े और अपने कपड़े को उतार कर खूटी पर टांग दी।
जब वह आरही थी तब मैं उसके चिकने कुल्हे को बहुत ही गौर से देख रहा था। - उसके कुल्हे मटक रहे थे। सबसे पहले वह अपनी बाडिस को खोल कर चुचियां का नग्न कर दि ओर तब अपनी पेटिकोट कि डोरी को खोलकर जमीन पर गिरा दि।
जैसे ही उसके ऊपर से पेटिकोट सरक कर जमीन पर गिरा वैसे ही मेरी नजर उसके कोहरे समान के चुतड़ो के बिच गहरे पड़े पर पड़ी। मैं बहुत ही गौर उसके फुले चुतड़ों को देख रहा था।
उसके दोनों गोल चुतर आपस में सटकर आकर्षण पैदा कर रहेथे। जब वह अपने वस्त्र को खूटी पर टांग दी तब वह पलट कर मेरे सामने हो गई।
और मैं उसके नग्न बदन को देखकर फिर से गनगनां उठी उसके चमक रहे जांघ मुलायम पेट केबिच गहरी नाभी ओर उसके झांटो के बिच पत्तिदार बूर को अच्छी तरह से देख रहा था।
उसके बूर के होठ थोड़ा सा खूला हुआ था और साथ में छेद का किनारा भाग काला -काला नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे बूर मेकं काजल लगा दिया गया है।
उसके बड़ी ओर कड़ी चुचियां के बिच आधे इंच कि काली घुड़ियाँ थी।
ओह- मेरे भगवान- मेरी बहन नग्न अवस्था में बहुत सुंदर लग रही थी।
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