मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 12:14 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
उस समय तक वह और तअपनी चेहरा चादर से ढ़की थी। वह हमारे लण्ड को इस प्रकार अपने हथेली में कैद कर वह मसल रही थी। पर हम किसी प्रकार अब भी मटीया कर सोये सब कुछ कनखियों से देख कर मन ही मन बहुत उतावला हो रहे है।

अचानक उस औरत का चेहरा झलक सा गया। और उसकी चादर मुह पर से गिर गद्न पर आ गई थी। मैने देखा तो उस औरत को पहचान नहीं सका।
और सोचने लगा की यह औरत कौन है और इसे कभी देखा भी न था। यही सब सोच रहा था। ___ वह और काफी चोदास होने लगी थी। हम समझ गये की वह हमारे लण्ड को पकड़ वह काफी मस्ती में आने लगी है।
कभी कभी तो बेतहासा अपनी चुची को मसलने और कभी तो अपनी बुर पर हाथ रख वह जोरो से सहलाती हुइ वह सिसयाने भी लगी थी आवाज साफ सुनाई दे रहा था।
वह आह आह करती और अपने बदन को यह हमारे लूंगी के बंधन को धीरे से खोल दी।
जैसे ही लूंगी हमारे लण्ड से हटी तो मेरा लण्ड बाहर आते ही वह इतनी जोरा से फनफना की वह औरत देखकर कांप गयी।
और मेरा लण्ड एकदम नंगा होकर सामने चांदनी रात के उजाले में आसमान को ओर देखने लगा।
मैने जब अपने लण्ड को देखा तो हम अपने आप पर विश्वास नहीं कर सके की यह हमारा ही लण्ड होगा।
काफी मोटा और लम्बा...?
हम तो आत तक अपने लण्ड को इतना मोटा और लम्बा होते हुये नहीं देखा था।
आज तो उस औरत के हाथ से लगते ही पता नहीं हमारा लण्ड कैसे इतना लम्बा और मोटा हो गया।

लण्ड हमारा देखने लायक था। जिस प्रकार हम घोड़े और गदहे को रास्ते में देखा था। ठीक उसी प्रकार का हमारा लण्ड का आकार था।
वह औरत मेरे नंगे लण्ड को देखकर पागल की तरह करती वह झपाक सा पकड़ ली और वह अपनी नरम हाथ से सहलाते हुए वह उपर नीचे करने लगी तो मै सर से पांव तक गनगना उठा और हमारी सांसं तेज होने लगी।
आठ दस बार मेरे लण्ड को इस प्रकार उपर नीचे की तो मेरा लण्ड केले के छिलके की तरह अलग होता चला गया।
वह औरत एकदप से मस्ती में आ चुकी थी।
वह इतनी चोदास हो गई की देखी की वह एकदम अपने बदन से चादर को हटा एकदम से कमर से उपर नंगी हो गई। मैने जैसे ही नंगा बदन उस औरत का देखा तो हम पागल हो गये।
उसकी गोरी बदन और चौड़ी छाती को देख हम एकदम से चोदने के लिए पागल हाने लगा। उस समय छाती तो जवान छोकरी की तरह तो नही थी। पर उसकी चुची काफी बड़ी सी लग रही थी। औरी गडा नहीं होने के कारण लज तो थी। पर हमें उसे समय वह चची इतनी अच्छी लगने लगी की उसके सामने जवान छोकरी की चुची भी फीकी लगने लगी।
उस समय वह औरत हमारे लिये जवान लग रही थी। और खूबसूरत भी।
मै अब भी उस अवस्था में सोया था। मुझे ना तो हिम्मत हो रहा था ना ही उसे कुछ कहूं.... मै आगे देखना चाह रहा था कि उसके आगे वह औरत क्या, क्या करना चाह रही थी।
उस औरत को अपने फूफा के बेटी के शादी में आई हुई थी। उससे तो कई बार हम देख भी चूके थे।
पर चादर के घर होने के कारण हम उस औरत से कभी बात नहीं की थी। । क्योंकि उसका पति एकदम से बूढ़ा था। और वह पूरे परिवार के साथ फुफा के बेटी की शादी में आई हुई थी।
उसके साथ दो जवान बेटी भी थी। और एक जवान बेटा। जिसका शादी हो गया था। उस औरत का एक पोता **** वर्ष का था सभी परिवार शादी में आये हुए थे। - इसी से हम अनुमान लगा चुके थे कि वह चालीस से कम नहीं होगी....।

पर इतना सोचना उस समय मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। उस समय तो वही औरत हमे जवान छोकरी लग रही थी। जो हमारे नंगे लण्ड के इस तरह उपर नीचे कर रही थी कि वह रंगीन राते नजर आ रहा था.....।

देखा की वह औरत अब चोदास से पागल होकर वह तेजी के साथ मेरे लण्ड उपर नीचे करने लगी। और मेरा लण्ड लोहे से कड़ा होकर लाल लाल होने लगा।
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06-10-2021, 12:14 PM,
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मै अब भी वही अवस्था में लेटा था। वह अब यही समझ रही थी कि मैं सोया हूं.....।

वह इतनी चोदास हो गई थी मेरे लण्ड को बच्चों की तरह अपने हाथ में लेकर चुचकारने लगी। और वह कुछ बुदबुदाने लगी......।
वह अपने आप से कहने लगी कि बाप रे बापन इस छोकरा का लण्ड है। एकदम लाखों मर्द में से एक मर्द है। - इतना बड़ा लण्ड तो आज तक हमने कभी किसी मर्द का नहीं देख पाई थी।
मेरे लण्ड तो डस लण्ड के सामने एकदम से बच्चा नजर आता
मेरा लण्ड एकदम से सामने आकाश की ओर लपलपा रहा • था और इतना कड़ा हो गया था कि मेरा लण्ड में दर्द होने लगा था।
वह करने लगी कि इस लण्ड से तो मेरी बूर की प्यास बूझ ही जायेगी।
मेरे नंगे लण्ड के उपर वाले भाग जो अण्डाकार की तरह था। उस पर अपना नाजूक होठ को ज्यों ही सटाया तो मुझे लगा कि कोई अंगारा हमारे बदन पर बरस रहा हो।
मै तेजी से जलने लगा। मन तो चाहा की मै झटपट बैठू और बिना कुछ कहे बिना पटककर उस औरत के बुर में अपना पूरा लण्उ घूसा डालूं।
पर इतना होने के बावजूद भी मुझे शर्म आ रही थी। और ना ही हिम्मत ही हो रहा था।
वह अपने नाजूक नरम होठो से मेरे लण्ड को रगड़ने लगी तो पहने से और कड़ा होकर सर्प की भांति फनफनाने लगा।
वह औरत पागल की तरह करने लगी। उसने इतनी मस्ती से आ गई वह मेरे लण्ड को धीरे धीरे होठो से सआ अपने जीभ को चलाने लगी। तो मै उपर से गनगना उठा। - अब तो मै बेहद मस्ती में आकर उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को देख चोदने को अमादा हो बैठा।
वह मेरे लण्ड के उपर भाग को अपने जीभ से चाटने लगी। और सहलाने लगी। ___ हम बेहद आनंद में सपना की तरह मजा ले रहा था। मै उस औरत को इस तरह का व्यवहार देख ताज्जुब होने लगा।
मै समझ गया कि जरूर यह औरत पढ़ी लिखी और शहर की रहने वाली है।
अगर यह देहात गांव की होती तो इस तरह से कभी भी नहीं। करती इस तरह गांव की औरत नहीं कर सकती।
गांव की औरत तो इतना मजा लेना जानती भी नहीं है।
वह धीरे धीरे मेरे लण्ड को अपने मुह में समाने लगी तो हमने । मुंह से आह आह निकलने लगी।
मै उस समय सांतवा आसमान पर घुम रहा था। आज अजूब मजा देख मै पागल हो गया।
इस से पहले यह नहीं जानता था कि औरत का मजा इतना अच्छा होता है........।
यहा घटना जो हमारे साथ घटी रही थी वह पहली पहली बार ही थी... , अब तो वह हमारे लण्ड को आधा से ज्यादा अपने मुंह में घुसा जीभ से रगड़ने लगी एवं चूसने लगी तो मेरे बदन में आग लग
गया। __मै आह आह एवं जोरो से सांसें चलने लगा। पर वह औरत भी हमारे उपर यह ध्यान देना भूल गई कि हम अब जाग गये है।
वह तो खूद बेसुध हो गई थी। वह तो उस समय उसे कुछ सूझ नही रहा था।
वह चोदास से पागल होकर मेरे लण्ड को चूसने लगी।
उसकी बूर में लग रहा था कि जोरों से खूजली हो रही थी।वह किसी प्रकार मुंह में समाते वह आधा से ज्यादा भाग को अपने मुंह में घूसा डाली और मजे से चूसने लगी।
जिस प्रकार अपने हाथ से मेरे लण्ड को उपर नीचे कर रही थी ठीक उसी प्रकार मेरे लण्ड को अपने मुंह से कर रही थी।
मेरा लण्ड काफी गरम हो चुका था। और उसके थूक से हमारा लण्ड इतना भींग गया था लण्ड साढ़ी तरह हो गया था।
वह मेरा पूरा लण्ड को अपने मुंह में घुसाने की कोशिश कर रही थी। पर इतना लम्बा और मोटा था कि वह अकबका सी जाती, तो झट से बाहर निकाल देती। । पर वह अपने जानते भर में अपने कंठ तक हमारे लण्ड को नीगल जाती। __ वह तेजी के साथ जब उपर नीचे की तरह चाटने लगी तो मेरे लण्ड से कुछ गरम चीज बाहर निकलने के लिये होने लगा तो हम बेकाबू होकर आह आह करने लगे।
करी वह दस पन्द्रह मिनट तक हमारे लण्ड को चूसते चूसते हमें पागल बना डाला।

जब हम बर्दाश्त नहीं हुआ तो सामने उसकी लटकी बड़ी बड़ी चुची को हम हवाक से हाथ से पकड़ और जोर जोर से मसलने लगा...।
और तेजी से कहने एवं हाफने लगा तो वह समझ गई कि अब खलास होने वाला हं तो वह और तेजी के साथ मेरे लण्ड को चूसने लगी.....।
देखते देखते मेर लण्ड से तेजी के साथ गरम गरम कुछ निकलने लगा तो हम आह आह हो हो करते आसमान की सैर करने लगा शरीर कांप गया था।'
और वह औरत तो मजे साथ लण्ड का तीन तिहाई भाग अपने लण्ड तक उतार मजे के साथ मेरे वीर्य को पी ली। .
वह जब तक हमारे लण्ड को पीती रही जब तक की मेरे लण्ड से एक एक बूंद न निकल जाये।
जब पूरा खलास हो गया तो हम सुस्त होने लगे। वह तब हमारे लण्ड को अपने मुंह से निकाल वह अपने साये से मेरे लण्ड को पाछने लगी और मेरे तरफ देख हंसती हुई बोली हाय मुकेश तुझे कैसा लगा।
मै तो शर्म के उसके नजर नहीं मिला रहा था हम नजर नीचे की मै कुछ भी नहीं बोल सका था वह औरत बोली......। मुकेश देखा ......कितना मजा आता है। ऐसा मजा तो तुम कभी सोचा भी नहीं होगा। वह हंसती कहती जा रही थी। वह तो हमसे कुछ भी लजा नहीं रही थी। पर मुझे शर्भ आ रही थी। उस समय उसे हम कुछ कह नहीं सके थे।
कुछ मिनट बीता ही था कि वह हमारे लण्ड को अपने हाथ में लेकर सहलाई तो मेरा लण्ड मिनटों में फिर फनफना सा गया।
देखते देखते मेरास लण्ड इतना टाईट हो गया कि मै फिर से जोश में आ गया था।
तब वह औरत बोली.. देखा मुकेश तुम्हारा लण्ड कैसे फनफनाया है। इस बार में पहले से ज्यादा जोश आ गया था। और अब हिम्मत भी हो गई थी।
इस बार हम उस ओरत से नजर में नजर मिलाते कहा हाँ आन्टी मुझे बेहद अच्छा लग रहा है।
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06-10-2021, 12:14 PM,
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आज तक ऐसा मजा तो हम कभी नहीं पाया था। ना ही जानता था। ना ही सोचा था।
वह मेरे लण्ड को अपने नाजूक हाथ से सहलाते सहलाते इतना कठोर कर दिया कि हमने आन्टी से कहा......।
हाय आन्टी आप कितनी अच्छी लग रही हो आप इतनी हसीन और जवान लग रही हो कि आपके सामने तो जवान सोलह साल की लड़की भी कुछ नहीं....।
वह औरत हंसते बोली तूझे अच्छा लगा ना.....। इससे कही ज्यादा मजा आयेगा।
जब तूम हमारी बूर में अपना लण्ड डाल कर चोदोगे तब मुकेश इस बात पर झटपटा सा गया।
हाय आन्टी तब मुझे चोदने दो ना...

आन्टी बहुत समझदार थी। वह अच्छी तरह से जानती कि मुकेश एकदम से जवान छोकरा है। अगर पहले लण्ड बुर में डलवा लिया तो वह चार पांच धक्के में ही खलास हो जायेगा।
और मेरी प्यास भी नहीं बूझ पायेगी........ इसी कारण से आटी पहले लण्ड की गरमी का निकाल चुकी थी। की दोबारा जब मेरी प्यासी बुर मे लण्ड डालेगा तो वह खूब देरी तक हमें चोदेगा। - वह मुस्कुराते हुए बोली पुकेश क्या तुम हमारी बूर देखना चाहते हो।
हां हां.....आन्टी मुझे अपनी बूर दिखाओं ना.....। वह आन्टी के सामने बच्चों की तरह करने लगा। -
आन्टी इस बार मुकेशको इतना जोश से भर देना चाहती थी कि मुकेश आधा एकाधा घण्टा मेरी बूर को चोदते रहे ताकी । हमारी प्यासी बुर को अच्छी तरह प्यास बुझ सके।
आन्टी हंसती हुई बोली......। मेरी बूर चोदना चाहते हो तो रूको वह उठकर इधर उधर देखी तो उस समय एकदम से आधी रात हो चुकी थी। सभी लोग नींद्रा देवी के गोद में सोये हुए थे।
चांदनी रात नजर होने से मुकेश और आन्टी एक दूसरे को • साफ साफ नजर आ रहे थे।
आन्टी अभी तक पेटीकोट पहने थी। वह मुकेश को अभी तक अपनी अनमोल बुर का दशन नहीं होने दी थी। इससे पहले मुकेश को इतना जोश भर देना चाहती कि मुकेश उसकी बुर को खूब अच्छी तरह से चोद सके........
मुकेश कहने लगा। हाय आन्टी अपनी बुर दिखाओं ना........।
आन्टी लण्ड को मसल मसल कर इतना आग बना डाली कि मुकेश से अब रहा नहीं जा रहा था।
आन्टी बोली....। _मुकेश तुम्हारा लण्ड तो काफी मोटा और लम्बा है। इतना बड़ा लण्ड तो आज तक किसी मर्द को नहीं देख पाई थी।
वह इस प्रकार बोली रही थी कि मुकेश को इतना जोश आ -जाय की वह आज हमारी बूर को खूब दम लागर चोदे। और बूर को फार डाले.......।
वह हंसती हुई मुकेश को पहले अपनी चुची को मसलने को बोली तो वह झट से वह दोनो चुची को पकड़ घुटी को कुदेरने लगा तो आन्टी पानी पानी होने लगी।
और वह चोदास पागल होकर बोली हाय मुकेश तुम कितने अच्छे हो। तुम्हारास लण्ड एकदम घोड़ा जैसा है।
लण्ड के उपर जब आन्टी अपने हाथ पर ढेर सारा थूक निकाल कर के उपरी भाग पर लपेस उसे उपर नीचे की तो मुकेश झटपटा हुआ बोला। हाय आन्टी अब,अपनी बुर मुझे दिखाओं ना......। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.......।
आन्टी तो जान बूझ कर मुकेश को अपनी बुर दिखा नहीं रही थी कि मुकेश इतना जोशीला हो जाए कि वह आज हमारी बुर के एक एक नश ढीला कर सके.
आन्टी बोली...। मुकेश आज तक किसी औरत की बुर देखे हो कि नहीं। इस बात पर मुकेश अपने बदन को ऐठते कहने लगा। हाय आन्टी ....आज तक हम किसी औरत की बुर नहीं देख पाये है। कभी हमें मौका ही नहीं मिला। दिखाओं......न आन्टी.....दिखाओ..........
आन्टी अब समझ गयी कि मुकेश अब रह नहीं सकता वह मुकेश को आदेश दिया कि अगर तुम हमारी बुर देखना चाहते हो...खुद ही पेटी कोअ के जबरन को खोल कर हमारी बुर को देख सकते हो।
मुकेश इस पर इतना मचल गया की वह एकाएक आन्टी के बदन में सिमटते हुये उसकी पेटीकोट के जबरन को पकड़ एक ही बार में खींचा तो उसकी जबरन खूलते ही पेटीकोट कमर से एकदम ढीली हो गई। पर अभी तक आन्टी पूरी नंगी नहीं हो पाई थी। अभी भी मुश्किल आने थोड़ी दूरी थी।
मुकेश ने अपने हाथों से आन्टी के पेटीकोट को कमर से ससारते उसे नंगा किया तो मुकेश को आंखों हवा में लहराता उसका लण्ड इतनी तेजी के साथ आन्टी के हाथ से फिसला की वह सर्प की भांति फनफनाने लगा......
मुकेश से रहा नहीं गया तो वह आन्टी को वहीं चादर पर सोला डाला।
और उसके पैरों से पेटीकोट को ससारकर आन्टी को एकदम सेगा कार डाला।
बरसात बांदनी रात के मजाला में जब आदी को अपार में गोपे नाक देशा हो या पागरण हो गया और यह भाटी के पर पसार होकर पहन शाल की तरह उस अनुनको वने उदेन म जगाने लगा तो आनटी भी छदाम मे पागल होकर अकरा कों अनासाले सीने से रगबने लगी। + की तो आप पवारण साप्त हो गया का यह आज तक
मीरा को भगाना देख पाय का आको तो मा सवार होने लगा ।
याम मान्दी वरवको बास जैकमा रपट एका महलानी बहा रही यी मूठियाने लगी कशी जगह को ।
आन्दी इतनी उप होने के बावजूना भी इतनी हसीन लग रही attी लग रहा था कि वह मोल्ड मारण की सौण्डिया को ।
प्याकई में आन्टीकी वदन गदराया बदन और दूध पीसी सफेद चंदार का वेशा मुकेश पागला हो गया था।
माकेश सदमती आन्दी के दोनों आपों का फताया तो यह महारी याद आन्टी की ४५ देवा मुकेश अपने आप को रोक नही
वार से आउटी के उपर सवार होकर यह बुर में तुरना गाड पुसा देना चाहता था।
आदी पोली पुश करे..... पहले वह किया हमारे नाम के पीछे हाण दो....। यह भारी के आदेशा पिणार हौ मा जनिया को अली के

कमर के नीचे डाल दिया।
अब आन्टी की बुर काफी उपर उठ चुकी थी।
जब गौर से आन्टी की बुर को देखा तो हम इतना पागल हो गये की मै जल्द से जल्द लण्ड को घुसा देना चाहते थे। पर आन्टी ने कहा। मै अभी बताती हूं।
मुकेश अगर सही मजा लेना चाहते हो तो पहले हमारे बुर को अपने हाथों से सहलाओं तो तुम्हे खूब मजा मिलेगा।
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06-10-2021, 12:14 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
आन्टी तो मुकेश को मस्ती से इतना नशा आ गया कि चुरचुर कर देना चाहती थी आन्टी को भरपूर मस्ती में आकर अपनी प्यासी मुरझाई बुर को एकदम तरोताजा कर देना चाहता था।
वह पहले मुकेश को अपनी बुर को चुसवाना चाहती थी। मुकेश जैसे ही उसकी पुआ जैसी बुर पर हाथ रखा की आन्टी कसमसा गई।
और बोली हाय मुकेश तुम कितने अच्छे हो। इधर आन्टी मुकेश के लण्ड को एकदम भाला की तरह कड़ाकर मुकेश को मस्ती में चुर चुर कर रही थी।
मुकेश आठ दस बार बुर को सहलाया ही था कि आन्टी बोली हाय मुकेश मजा आ ही रहा होगा...... वह मस्ती मे बोला........।
हां आन्टी आप की बुर हमें बेहद खूबसूरत एवं हसीन नजर आ रही है।
आन्टी ने कहा, मुकेश इससे भी मजा तब आयेगा जब रि चोदने से पहले तुम हमारी बुर के अन्दर अपनी जीभ घुसाकर चाटोगे तो देखना कितना मजा आयेगा।
तब तुम खूब मजे के साथ बुर को चोद सकते हो। उर कहा हां आन्टी खूब मजा आयेगा। ह ना कह वह उसकी बुर पर अपने मुह को लगा वह अपरभ को निकाल जैसे ही बुर के उपर सटाया तो आन्टी गनगर उछल पड़ी।
और वह एकदम से चोदास होती हुई बोली हाय मुकेश तुम कितने अच्छे हो.......।
मुकेश जीभ को बुर पर रखते ही वह पहले से चौगुना जोश में भरता चला गया। वह चार पांच बार बुर के उपरी सतरह पर फिरंग की तरह नचाया ही होगा कि मुकेश एकाएक अपना जीभ बुर के अन्दर घूसा डाला तो आन्टी बेहद चोदास होकर वह लण्ड को इतनी जोर जोर से उपर नीचे करने लगी की मुकेश को चार बोतल शराब अन्दर जब फिरंगी की तरह घुमाने लगा तो उसकी बुर की मधुर सुगन्ध को सुघ कर मुकेश के बदन जोरो से अकड़ने लगा। "वह काफी जारो से हांफने लगा था। आन्टी तो मजे से अपनी बुर को चुसवा रही थी। करीब मुकेश नमकीन पानी को पिकर मुकेश को नशा और सवार होता चला गया। वह तेजी के साथ जीभ को अन्दर बाहर करने लंगा......। . - इधर आन्टी सातवां आसमान पर परीयों की तरह घुमने लगी।
वह आंख मुद वह भर अकवार मुकेश की कमर पकड़ वह आह ........आह.........ओह...... ओह........सी.......सी........ करने लगी थी।
जब मुकेश से रहा नहीं गया तो वह झटपट अपनी जीभ को बुर से निकाल वह आन्टी के कमर के नहीचे चौकोर बन कर उसकी दोनों टांगे अपने कंधे पर सवार कर वह आन्टी के बुर पर अपना तमतमाया हुआ गदहा जैसा लण्ड को रख वह आन्टी के बुर पर अपना हाथ घुसाकर दोनों कंधा पकड; वह अपने सीने से सटा इतनी जोर से धक्का मारा कि मुकेश का लण्ड एक ही बार में तेजी के साथ सरसराता हुआ गपाक से पुरा का पूरा लण्ड बुर के भीतर समा गया। __पर आन्टी जोरों से मुकेश को अपने सीने में चिपक वह अपनी बदन को एंठते हुये बोली हाय मुकेश तुम तो मुझे जान ही निकाल डाला.....।
मुकेश का पुरा लंण्ड जाते ही वह कठोर होता चला गया। ___ और वह इतनी जोर जोर ठाप मारने लगा कि आन्टी का बदन सिहर उठती थी.........।
पर आन्टी तो मुकेश को इतनी जोर से पकड़ वह जोश में. आकर नीचे से इतनी जोर से उपर की ओर कमर को उछालने लगी कि मुकेश को और जोश एवं मस्ती होने लगा..........। वह लगातार ठाप ठाप मारने लगा।
आन्टी बेहद चोदास होकर वाह वाह करने लगी और पागल की तरह मुकेश को अपने सीने से लगा कहने लगी वाह से मेरे शेर......।
और जोर जोर से मारो मुकेश........। फार डालो हमारी बुर को......।
मुकेश इतना सुनते ही वह जब आसमानी ठाप मारने लगा तो लण्ड तेजी के साथ गपाक गपाक करता फचाफच कर अन्दर बाहर करने लगा। - उस समय मुकेश को कुछ भी सूझ नहीं रहा था। वह तो आज पहली बार बुर का मजा को ले रहा था।
उसे तो इससे बढ़ीया मजा तो किसी चीज में नहीं था।
वह इतना तेजी के साथ चोदने लगा कि आन्टी बाग बाग होने लगी वह सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि मुकेश हमारी बुर को इस तरह से चोद सकता था।
चालीस वर्ष की मुड़झाई बुर आज सोलह साल की जवान बूर बन कर खिल गई थी। . और वह नीचे से मुकेश को जी भर कर साथ दे रही थी।
एक घण्टा बीत जाने के बाद अभी तक मुकेश के लण्ड से गरमी बाहर नहीं हो पाया था।
आन्टी तो इस बीच दो दो बार अपनी बर की गरमी निकाल भी चुकी थी। मुकेश तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। आन्टी तो बस यही चाहती थी कि कोई हमें खूब चोदे।
आज मुकेश जिस तरह से चोद रहा था। वैसे तो घोड़ा या गदहा ही चोदता है।
मुकेश चोदते समय पसीने पसीने हो गया था। पर अब लग रहा था कि उसके लण्ड से गरमी निकलने वाला है।
वह पागल की तरह आन्टी को नोचने खसोटने लगा और दांतों से काटने लगा।
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06-10-2021, 12:14 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
हाय मुकेश तुम्हारा लण्ड एकदम बांस है। तुम्हारे लण्ड ने हमारी बुर के नश नश को ढिला कर डाला है। ___ इतना सुना ताकि मुकेश इस बार इतनी जोर जोर से ठाप मारने लगा कि आठ दस ठाप मारा ही होगा कि उसके लण्ड से बलबला कर गरम गरम पदार्थ उसकी बुर में गिरने लगा।
मुकेश का चेहरउस समय लाल लाल हो गया था और वह उस समय पूरी ताकत से आन्टी को पकड़ अपने सीने से उसकी गाली पर नोच खसोट धक्का पर धक्का लगा रहा था।
कहने लगा.........हाय साली.........मारो..... .फारो....... चोदो न....बुर को फार डालो।
हरामजादी.....देखों अब हम खलास हो गये है। आन्टी तो उस समय अपनी बुर में गरम गरम पदार्थ का आनन्दपाकर और सातवे आसमान पर नाचने लगी।
और वह भी बकने लगी। हाय मुकेश फार डालो हमारी बुर को।
मुकेश के लण्ड से जब तक पूरी गरमी निकल नहीं गया मुकेश ठाप पर ठाप मारता ही चला गया।
और आन्टी नीचे से तल ठाप देती रही........। जब तक एक बुंद निचोर कर उसकी बुर के अन्दर गिर गया , तो मुकेश पूरी तरह सुस्त हो गया था।
और उसकी अवस्था में आन्टी के उपर सोया रहा। जब दस मिनट हो गया तो उसका लण्ड कुछ मुड़झाया तो वह बुर से लण्ड निकाल वह एक ओर लुढ़क गया।
आन्टी जल्दी से उठी।
और वह हंसते हुए मुकेश के लण्ड को अपने पेटीकोट से अच्छी तरह पाछ कर वह मुस्कराती वहा से जल्द ही जाने लगी।
क्यों कि अब भोर होने वाला था। अंधेरा इंजोरा में बदलने वाला था।
और कौवा काव काव करने लगा था।
आन्टी जल्द ही छत से उतर वह नीचे घर में चली गई और मुकेश जल्दी से लूंगी लपेट वह सो गया था।. । उसकी आंख तब खुली जब उसे किसी ने उसके आंख पर पानी का छिटा दी। - वह जैसे ही आंख खेला तो सामने वही औरत को हंसते हुये देखा ....तो वह शर्म से नजर गिरा लिया।
इतने में वह आन्टी हंसती हुये बोली क्यों मुकेश कितना मजा आया वह पूछने लगी।
और वह हमारे लिए एक लोटा पानी और एक कप गरम गरम चाय ले कर आई थी।
वह मुस्कुराती हुई हमारे पास रखती बोली उठो मुकेश रात भर का जगी हो देह हाथ दर्द कर रहा होगा.....चाय पी लो। सब थकावट दूर हो जायेगी।
और इतना कह वह वापस छत से चली गई। हमने उठ कर बैठा तो नींद तो अब भी आ रही थी। क्योंकि ठीक से सोया नहीं था।

और रात भर उस आन्टी के साथ पहली बार चोदाई करने से शरीर भी काफी थक सा गया था। ___पर हमारे सामने जब तक खड़ी रहती तो मेरा लण्ड उसे देखते ही फिर से खड़ा होगया था।
मन तो कर हर था कि अभी भी आन्टी को पकड़ कर चोद
डालू।
अपनी मस्ती अभी तुरन्त झाड़ लूं। पर करता क्या........? सुबह के आठ बज चुके थे। हमने पानी से हाथ मुंह धोकर चाय पीने लगा और बुर की रंगीन चोदाई के बारे में सोचने लगा।
धीरे-धीरे सभी मेहमान जाने लगे तो वह औरत भी सहेली के घर से विदा होने लगी। __मुकेश का चेहरा उतरा सा था और फुलवा को मुकेश जब ट्रेन में चढ़ाया तो एक पत्र मुकेश को दिया। मुकेश वापस आया और जब पत्र को पढ़ा तो वह राजस्थान बुलाई थी। लिखा था अपनी बेटी की बुर भी तुमसे चोदवाउंगी।

समाप्त
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06-10-2021, 12:15 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मस्ती का आलम

लेखक - मस्तराम

मेरी दिल की धडकन थम गई थी - मेरे दिल में जो भय था समाप्त हो गया था । डर से मेरा लंड सिकुड़ गया था जिसमें उठान आना शुरू हो गया था। मेरा बदन गुदगुदाने लगा था - अब मैं निफिक हो गया था और मैं प्रिया की ओर देखा । वह मुझे देखकर मुस्कुराई और मेरे पास चली आई। वह मेरे हाने पर अपने होंठों को चिपकाकर चूसने लगी। और साथ ही मेर कुर्ते को खोल कर बटन से अलग कर दी।
जीवन में कभी कभी ऐसी घटनायें घट जाती है जिसे भूला पाना बड़ा कठिन होता है । मेरी उम्र अभी बीस वर्ष की है। मैं एक जवान मर्द हूं और एक दुकान में सेल्समैन हूं।
मेरा नित्य दिन का काम है कि दुकान को सबेरे ही खोलना । मैं सुबह से ही दुकान खोलकर रखता हूं।
करीब दस बजे दुकान के मालिक आकर अपना काउन्टर सम्भालते हैं और वह शाम छ: बजे ही घर चले जाते हैं।
मालिक के घर जाने के बाद आठ बजे तक मुझे ही दुकान सम्भालना पड़ता है।
दुकान बन्द करने के बाद मैं दुकान की चाभी देने के लिए प्रतिदिन मालिक के घर जाता हूं और उन्हें चाभी सौंप देता हूं। एक दिन की बात है कि मैं दुकान बन्द करेन जा रहा था । दडुकान की सारी बती को बुझा चुका था और दुकान के शटर को ज्योहि गिराने वाला था कि उसी बीच एक औरत दुकान में प्रवेश की। वह दुकान में प्रवेश कर बेसलीन के साथ और भी समान लेने के लिए मुझसे बोली।

मैं पुन: दुकान के अन्दर प्रवेश किया और लाईट जलाने के लिए प्रयास करने लगा। अंधेरे में मुझे जरा भी पता नहीं चला कि मेरे साथ वह भी दुकान में प्रवेश कर गई है । मेरे पीछे पीछे वह दुकान के अंदर चली आई थी।
मैं स्वीच बोर्ड की तरफ बढ़ रहा थी, लेकिन मैं स्वीच बोर्ड के पास पहुंच नहीं पाया, क्योंकि बीच में ही उसके बदन पर मेरा हाथ चला गया था।
वह अपने बदन को मझसे टकराने दी थी। मैं उसके बदन पर रगड़ पाकर चिहूंक पड़ा और बोला - सारी मैडम ! इतना कहकर मैं स्वीच बोर्ड के पास पहुंचा और दुकान की लाईट जला दिया ।
मैं बती जलाने के बाद उस औरत की तरफ मुड़कर देखने लगी। वह एक पुष्ट शरीर की औरत थी और वह लगभग बसी से अधि क उम्र की थी।
वह देखने में बहुत प्यासी लग रही थी और उसकी बड़ी एवं मांसल दार चुचियां ब्लाऊज के कैद से आजाद होने के लिए फड़फड़ा रही थी।
मैं उस औरत को वह सामान दिखने लगा जो वह लेने के लिए दुकान पर आई थी । वह अपनी जरूरत के सामान को छांट ली और मनी बैसे से सारे समान का भुगतान कर दी।
मैं समूचे सामान को एक डिब्बा में पैक कर दिया । और वह सामान लेकर बाहर निकल गई।
उस जवान युवती के बाहर निकलते ही मैं पुनः बती को बुझा दिया और दुकान के बाहर निकलने लगा तभी वह पुन: दुकान में प्रवेश की और बोली
सौरी डू डिस्टर्व यू यानि तकलीफ देने के लिए क्षमा चाहती हूं । बट आइ फार नेट माई पर्सदी काउण्टर यानि में अपना पर्स काउण्टर पर ही भूल गई।
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06-10-2021, 12:15 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
सौरी मैडम? यह कहकर में दुकान के अन्दर चला गया और वह भी मेरे पीछे पीछे चली आई। काउन्टर से पर्स को उठाकत उसने अपनी बाहों में बांधकर मुझे आलिंगनबद्ध कर ली।
उसके द्वारा आलिंगनबद्ध करते देखकर मैं सकपका गया और सोचने लगा कि वह मुझसे क्या चाहती है। लेकिन तुरन्त ही उसके द्वारा हरकतों को महसुस कर मैं सब कुछ समझ गया ।
वह मस्तानी युवती अपेन हाथ को नीचे ले गई और मेरे लंड को पैंट से ऊपर से ही सहलाने लगी।
इस तरह से उसकी बड़ी-बड़ी चुची मेरी छाती से दब रही थी. जिससे मैं उतेजित होने लगा।
मै उसके हरकतों का विरोध कर पाने में असमर्थ था ।
मेरे लण्ड में तनाव आने लगा। वह लंड को सहलाते हये मेरे पैंट को खोलकर मेरे तमतमाये लन्ड को बाहर निकाल दी।
वह अपेन कोमल और मुलायम उंगलियों के बीच मेरे लंड को लेकर सहलाने लगी। मैं इस तरह की हरकतों से समझ गया कि वह मुझसे चोदवाने के लिए बेचेन है।
मैं भी अपने हाथों को उसकी बड़े-बड़े चुचियों पर ले गया और ब्लाउज के ऊप से ही दबाने लगा।
मुझे चुचियों का दबात देखकर वह अपेन हाथ से खुद ही ब्लाउज के साथ ब्रा भी खोलकर अपने बदन से अलग कर दी।
अन्धकार में उसकी बड़ी बड़ी और कड़ी चुचियां आजाद होकर फुदकने लगी थी।
मैं अन्धेरे में ही उसकी नग्न चुचियों की अपने हाथ से पकड़ कर दबाने लगा और मैं महसुस किया कि उसकी चुचियों उतेजना से तप रही थी। मैं उसकी मदस्त चुचियों को जोर जोर से दबाने लगा। और साथ मैं अपनी अंगुली के बीच कड़ी हा उठी घुन्डी को पकड़ कर रगड़ रहा था ।
वह मस्तानी युवती मस्ती में सिसियाते हुए मेरे लन्ड को हाथ से पकड कर मुठिया रही थी।
तभी वह मेरे लण्ड को मुठियाते हुए मेरे चेहरे की और अपना चोहरा बढ़ाती चली गई और अपेन नमुलायम एवं लाल होठों को मेरे गले थरथरा रहें होइठो पर चिपका कर चुमने लगीं।
वह मेरे जल रहे होठों को अपेन होठों के बीच दबाकर चूस रही थी। इस तरह से हम दोनों एक लंबे अन्तराल तक एक दूसरे को चुमते रहे । जब हम दोनों की सांसें जोर से चल रही थी।
तभी वह मेर का कान के पास अपने मुंह को लाकर बह फुसफुसाते हुए बोली
ओह-प्लीज, फक गी यंग मेन ? ओह - नौजान कृपा कर अब मुझे चोदो आई एम डायिंग प्लीज वी क्वीक मैं मर रही हूं कृपा कर जल्दी करो।
मैं अन्धेरे में ही मुस्कुराया और अपने हाथ से साड़ी एवं पेटीकोट को खोलना शुरू कर दिया । कुछ ही पल से साड़ी और पेटीकोट को उसके बदन से अलग कर नग्न कर दिया। "मैं भी वासना की आग में जलने लगा था।
उसकी मुलायम और चिकन जांघे उतेजना की उन्माद में थरथराने लगी थी। मैं उसे नग्न करने के बाद अपने हाथ को उसकी जांघों के बीच बुर पर ले गया और धीरे धीरे सहलाने लगा। उसकी बूर पर घने बाल ऊगे थे और बूर पसीज कर चिपचिपा उठी।
वह उतेजना से बिल्कुल बेचैन हो रही थी और तभी वह मेरे कन्धेको अपेन हाथ से बांधकर उछल गई और अपने पैरों से मेरे कमर को बांध ली।
वह अपनी बर में लंड पेलवाने के लिए बेताब हो रही थी और इस लिए वह मेरी गर्दन को अपेन लम्बे हार्थों का घेरा बनाकर मजबूती से बांधे हुए लटकी थी। इस तरह से उसकी बड़ी-बड़ी चुचियां मेरी छाती पर महसुस कर रहा था।
मैं खड़े-खड़े ही उसे अपने हाथो में बांध लिया और अपनी कमर को उचकाते हुए एक धक्का मारा ।
उसकी रस भरी बुर की गहराई में मेरा दस इंच का लण्ड प्रवेश कर चुका था । मैं सिहरन से भर उठा।
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06-10-2021, 12:15 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
ओह भगवान में नहीं जानता उस अनुभवी औरत का नाम क्या है। लेकिन उसकी भीगी बूर में मेरा पूरा लंड घुसा हुआ था ।
वह अपने बूर को मुझे अपने हाथों से जकड़ते हुए मेरे लंड पर चापे थी और इस तरह से मेरे लंड का ठोकर उशकी बूर की जड़ पर पर रहा था ।
मेरा गरदन को अपने हाथ में पकरकर अपनी बूर को लंड पर नचाने लगी वह । इस नरह उसकी बूर मेरे लंड पर नाच रही थी।
वैसे पाठको मैं सबसे पहले अपने बारे में बता दूं। मैं अपने बदन से हृष्ट पुष्ट हूं और किसी भी औरत को अपनी गोदी में उठाने में जरा भार महसुस नहीं होता है।
और यही बात उस समय आ औरत के साथ हो रही थी। मैं खड़े-खड़े ही उस की बुर में लंड पेले हुआ था और वह मेरे बदन से चिपक कर अपनी चुतड़ को ऊपर नीचे कर धक्का मार रही थी।
मेरा मोटा एवं लंबा लंड उसकी बूर के अन्दर फचाफच जा रहा था। मैं उसके कमलायम एवं चिकने चतडों को हाथ से पकड़कर धक्के लगाने में सहयोग कर रहा था।
मैं सटेचु के तरह खड़ा था और वह अपने बदन में हरकत लाते हुये धक्के मार रही थी।
बीच-बची में मैं भी अपनी कमर को उछालते हुये बूर पर ध क्का मार देता । वह अपने पैरों को मेरे कमर से चिमटा की तरह लिपटाकर जकड़े हुये थी।
औरचुतड़ को फदकाते हुए धक्का लगा रही थी। मेर अण्डकोष उसके बूर की ओठों के दीवारों पर चोट मार रहा था ।
इस समय हम दोनों की ही स्थिति वासना की आग से तप रही थी। और हम दोनों को अपेन बदन का जरा भी खबर नहीं था । हम दोनों लिए बची एक विचित्र तरह की शमा दंधी हुई थी।
हम दोनों का एक ही लक्ष्य था - और वह था वासना की अतिम मंजिल प्राप्त करना ।

मैं खड़ा था और मेरी अजनवी डालिंग अपनी कमर उछाल उछाल कर लंड को बूर में लील रही थी। इस समय का दृश्य ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों अजन्ता एक्सप्रेस का नकल कर रहे है।
वह अपनी चुतड़ को घिरनी की तरह नचाते हुए और मैं उसके जबाव में अपेन लंड को बूर में पेल कर धक्के का जबाव दे देता था।
मैं खडा था और मेरी अजनवी डार्लिंग कमर उछाल उछालकर लमें को बर में लील रही थी। इस समय का दृश्य ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों अजन्ता एक्सप्रेस का नकल कर रहे हैं। वह अपनी चुतड़ को घिरनी की तरह नचाती हुई धक्के मार रही थी और मैं भी ऊपर से जोश में आकर उसे चांपे जा रहा था। मेरा अण्डरकोष बुर के होंठ के दीवारों पर ठोकर मार रहा था।
मुझे इस समय औरत को खड़े-खड़े चोदन में बहुत मजा आ रहा था इस स्थिति में मेर लंड को उसकी बर की दीवारें खीचं लेती थी।
हम दोनां आपस में सुध बुध खोकर एक दूसरे के प्रति धक्का मो जा रहे थे। इसी तरह से करीब दस मिनट के उपरान्त उसकी बर से गर्म पानी का श्रोत फुटना शुरू हो गया।
वह झड़ते समय अपनी नाखून को मेर कन्धे पर दबाती चली गई और वह अपने बदन को मेर बदन से पर्ण रूप से चिपका कर लिपट गई।
उसके चिपट कर लिपटने पर उसकी बड़ी-बड़ी एवं भारी चुचियों के बीच कड़ी हो चुकी धुण्डी मेरे छाती में चुभन पैदा करने लगी थी। मेरे लंड पर बूर के पानी का छिड़काव हो रहा था ।
और तभी मैं भी नीचे से अपनी कमरे को उचकाते हुए खलास होन लगा । मैं अपने दानों हाथों से उसके चुतड़ों को पकड़कर अपेन लन्ड पर दवा लिया ।
इस तरह से मेरे लन्ड का गाढ़ा पानी उसकी बूर की तह पर बौछार कर रहा था।

उसकी. बुर की गहराई में मेरा गर्म गर्म वीर्य ढेर मात्रा में गिरा था वह अपनी बुर में लन्ड के गर्म वार्प को महसूस कर सिहरन से भर उठी और इस स्थिति में वह अपनी पसीज रही बूर को मेर लन्ड पर मजबूती से दबोच ली।
उसे अपनी बुर में गर्म वीर्य पाने में अच्छा लग रहा था।
कुछ पल तक मैं खड़े-खड़े अपने हाथों के भार पर उसे उठाया रहा जब हम दोनों पूर्ण रूप से सन्तुष्ट हो गये।
तब मैं उसे अपने हाथों से सहारे लंड पर उतार कर नीचे कर दिया और वह भी अपने बूर से लन्ड को निकलवा कर जमीन पर खड़ी हो गई।
वह एक पल मेरी ओख देखकर एक शोखी भरी मुस्कान फेकी और तब अपने वस्त्रों को पहनने लगी।
वा अपने कपड़े पहनने के बाद अपने पर्स और समान उठाई और दरवाजे की ओर मुड़ी।
तभी मैं उस औरत के पास पहुंचा और अपेन हाथ से उसकी बांह को पकड़ लिया। वह मेरी आंखों में झांकते हुए देखने लगी। उसकी आंखें अन्धकार में चमक रही थी।
मै उसे प्यारे चेहरे का अपने हाथों के नीचे लिया और अपने हाठों से चिपकाकर चुमने लगा । मेरा चुम्बन पाकर वह भी मुझे चुमने लगी और साथ में अपनी जीभ को मेरे मुंह में दबाने लगी।
मैं अपने मुंह को थोड़ा चौड़ा कर दिया और वह अपनी जीभ को मेर मुंह में प्रवेश कर इस तरह से घुमाने लगी ।
जैसे वह अपनी जीभ से मेरे मुंह में कोई चीज खोज रही हो।
करीब एक मिनट बाद में उसे चुमना छोड़कर उसे अपने हाथों के बीच आजाद कर दिया।
औरवह मुझसे विदा लेकर दूकान से बाहर चली गई मैं अपने पेण्ट को पहनकर तैयार हो गया और दूकान बन्द कर दूकान की चाभी मालिक को देकर घर लौटा ।
उस दिन के बाद वह और फिर मेरी दूकान पर नहीं आ रहे ।

उसके द्वारा बिताये गये क्षण मेरे दिमाग में घुमते रहते थे ।
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06-10-2021, 12:15 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मैं सप्ताह भर तक उसे भूल नहीं पाने में असमर्थ महसूस भी किया। मेरी आंखें सड़क पर टिकी रहती थी कि शायद वह पुनः मेरे नजर आ जाय।
मैं एक बार फिर उसे पाने के लिए लालायित हो रहा था लेकिन मेरी अभिलाषा को पुर्ण होने में दिक्कत हो रही थी।
मैं उस दिन के बाद से उसको याद में जलने लगा था और उसकी याद जब मेरी मानस पर आती थी।
तब मेरी उतेजना भडक उठती थी वैसे दिल्ली जैसे बडे शहर में जिस्म की भूख के लिए औरत पाने में कठिनाई होती है।
और मिलने पर भी तो मेरे जैसे वर्ग के लिए कोफी दिक्कत कठिन कार्य ही था।
एक दिन की बात है कि मैं अपने दूकान को समय पर ही बन्द कर दिया और दूकान की चाभी देने के लिए अपने मालिक के घर की ओर चल पड़ा । मालिक के घर पहुचकर मैं निर्वाध गति से घर में प्रवेश किया वैसे ही मेरी नजर मालिक के ली के पास बैठी महिला पर पड़ी में उसे देखकर चौक पड़ा । मेरे मालकिन के पास बैठी महिला वही औरत थी जो मुझे दुकान पर मुझसे खड़े-खड़े चुदवाकर मजा ली थी।
वे दोनों आपस में गपशप कर रही थी। जब उसकी नजर मुझपर पड़ी तो वह उत्साहित होरक अपनी आंख फाड़ते हुए मुझे धुरने लगी। उसकी आंखों में चमक आ गई थी और वह साथ में वह उतेजीत होने लगी थी।
वह अपनी जीभ से होठों को गचाटते हुए मुझे देखकर मुस्कुराई। मैं अपने मालीक के पत्नी को चाभी देते हुए बोला ---
मैडम अपने दुकान का चाभी लीजीये।
मालिक के बीबी बेमन ले चाभी अपने हाथ में ले ली और मैं चाभी देने के बाद पीछे की ओर मुड़ गया । मैं घड़ से जल्दी ही बाहर निकल जाना चाहता था, क्योंकि इस समय उसके पास वही औरत बैठी थी । मेरो दिल डर से धड़कने लगा था। तभी मेरे मालिक की पत्नी श्यामा मुझे पुकारकी
प्रेम सूनो तुम मेरी प्यारी सीली प्रिया को जानते हो? वह एक अजभरी नजरों से मुस्काते हुए मुझ से पूछी।
सवाल पर सकपका गया । मैं नहीं चाहता था कि मेरे मालिक की बीबी जान जाय की दुकान में किसी औरत को चोदा है। मैं हकलाते हुए बोला ओ मैडम मैं उसे जरा भी नहीं जानता यहां तक मैंने पहले कभी नहीं देखा है।
तुम सरासर झूठ बोल रहे हो प्यारे जिस रात दूकोन में तुम मुझे घुमाया था उस रात की घटना में अपनी सहेली श्यामा को बता दी
पास में बैठी मेरे मालिक की बीबी की सहेली प्रिया मुस्कुराते हुए बोली । देखों प्रेम मैं प्रिया के साथ वाली घटना के बारे में सब कुछ जानती हूं।
श्यामा जोरदार आवाज में बोली अब तुम जा सकते हो। लेकिन दो बजे दिन में यहां पर आना।
मैं अपनी मालकिन की कड़ी आवाज सुनकर सहम गया । मै समझ गया कि मालिक से दुकान वाली घटना बता देगी और हमको नौकरी से निकाल देगा।
अपने घर से भारी मन के साथ बाहर निकला मेरे चेहरे पर उदासी छा गई थी। आंखों में उस रात वाली घटना पुनः नाचने लगी उस दिन मेरा थोड़ा कुसुर नहीं था। रात भर सो भी नहीं सका । कई तरह के सवाल उठ रहे थे
दसूरे दिन दूकान का बन्दी था । घर पर दो बजने का इन्तजार में था। जब दो बजा मालिक के यहां चल दिया ।
बन्दी थी जिससे मालिक का घर पर होना निश्चित था । भगवान के भरोसे मैं घण्टी का स्वीच दबाया। एक बच्चा आकर दरवाजा खोला । घर में प्रवेश कर ड्राइंगरूम की ओर चल परा ।
ड्राइंग रूम में जाने के बाद कुसी में बैठ गया और वह बच्चा

रूम में चला गया।
कुछ दरे बाद वह बच्चा पुनः मेरे पास आया और मुझे रूम की ओर जाने के लिए इशारा किया था। उसके हाथ में पांच रूपया था। वह मुझे रूम ओर जाने के लिए बताया और घर से बाहर की ओर गया ।
मैं उस बच्चे के द्वारा बताये गये रूम की ओर चला । मेरे दिल की धरक तेज हो गयी थी। जब मैं रूम में प्रवशे हाने लगा था ध स्कने तेज होने के कारण थे आज जरूर हमें नौकरी से छुटकारा हो ही जायेगी । जब रूम में प्रवेश किया तो -
मालकिन के अलावा कोई न था । वह बिछावन पर चादर ओढ़कर लेटी हुई थी। सीर्फ मालकिन का चेहरा खुला था। वह बोली प्रेम आओ मेरे पास आओ !
मैं धीरे-धीरे चलते हुये उसकी बिछावन की ओर बढ़ता चला गया । अचानक दरवाजा बन्द होने की आवाज मेरे कानों में पड़ी।
शायद कोई दरवाजा की सिटकनी बन्द कर रहा था।
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06-10-2021, 12:15 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मै दरवाजे की ओर देखकर चौंक पड़ा। दरवाजा कोई दूसरा नहीं बन्द कर रहा था बल्कि वही औरत सिटकनी लगी रही थी जिसे मै दुकान में चोद चुका था ।
मैं सवालिया नजर से अपनी मालकिन श्यामा को देखा और उससे पूछ बैठा
मैडम मैं नहीं जानता कि आप मुझसे क्या चाहती हैं । कृपाकर बतलाइए कि मालिक कहां हैं?
प्रेम डालिंग तुम चिन्ता मत करो । वह इस समय दिल्ली में है । हमलोगों को डिस्टर्व करने के लिये नहीं है। मैं उन्हें अपने एक परिवार के यहां फरीदाबाद भेज दिया है।
तुम आज हम दोनों को एक साथ चार घण्टे तक आजाद होकरे चोद सकते हो।
तुम्हारा मालिक छ: बजे शाम को घर लौटेंगे । मेरी मालकिन बिछावन पर परी-परी बोली। - ओह मैडम आप यह क्या बोल रही हैं। ममैं आपका नौकर हूं। मैं अकचका कर बोला ।
और इसलिए तुमको जो मैं कहती हूं तुम्हें एक नौकर के रूप में मेरी आज्ञा को मानना है । श्यामा मेरी बातों को पूरा करते हुये बोली । लेकिन यह औरत?
वह भी। हम दोनों साथ मजा लेगे । और तुमको उसे भी मेरे साथ चोदना होगा?
लेकिन सबसे पहले तुम मुझको चोदो। मैं तुम्हारे लंड को खान के लिये तड़प रही हूं।
त्रिया से मालुम हुआ कि तेरा लंड मोटा होने के साथ लंबा भी
हाय प्यार प्रेम आज तुम अपने मोटे और लम्बे लंड से मेरी कोमल बुर को चोदो।
मालकिन मस्ती में सिसियाई।
मेरी दिल की धड़कने थम गई थी। मेरे दिल में जो भय थेवे समाप्त हो गये थे।
डर से मेरा लंड सिकुड़ गया था जिसमें उछाल आना शुरू हो गया था मेरा बदन गुदगुदाने लगा था।
अब मैं निफिक्र हो गया था और मैं प्रिया की ओर देखा वह मुझे देख कर मुस्कुराई और मेरे पास चली आई।
वह मेरे हाठों पर अपने होठों को चिपका कर मुझे चुमने लगी और साथ ही मरे कुरते को खेलकर बदन से अलग कर दी।
फिर अपेन हाथ को बेलबटन पेन्ट पर ले गई और चेन को खेलकर पैंट को भी उतार दी।
अब मेरे बदन पर सिर्फ अन्डरवीयर ही रह गया था । मैं उतेजित होने लगा था । प्रिया पर भी मस्ती छाने लगी थी और वह भी अपने बदन से कपडे अलग कर रही थी।
सबसे पहले अपनी कमर से साडी की गांठ खोलकर अपने वदन से अलग कर फेक दी।
फिर वह अपनी ब्लाउज के हुक को खोलकर हाथ से सहारे सरकाते हुए निकाल रही थी।
मैंने देखा वह ब्लाउज के नीचे ब्रेसियर नहीं पहने हुई थी। ब्लाउज ने खलने पर उसकी बड़ी और गोरी चुची आजाद होकर फुदकने लगी।
जब वह अपेन वदन को थिरकाते हुये अपेन साये की डोरी को खाल रही थी तो उसकी चुची हिल रही थी।
इस तरह वह मुझसे पहले ही पूर्ण रूप से नग्न हो गई थी। वह नग्न हो मेरे ओर बढ़ी और मेरे अण्डरवीयर को मुझसे अलग कर दी।
मेरा लंड अन्डरवीयर से आजाद होकर फुदकने लगा।
मेरा लंड अब मेरे वा में नहीं था वह तनकर खड़ा हो गया था। राड के समान कड़ा हो गया था और आप डाउन करने लगा था ।
वह मेरे फुदक रहे लंड को अपनी हथेली पर लेकर सहलाने लगी। मेरा लंड प्रिया के हाथ का सहलाहट पाकर फुफकारने लगा
तभी श्यामा बोली - ओह प्रिया - हाय। उसे मेरे पास भेजा न? हाय मेरी बुर खुजला रही है।
माई डार्लिंग - बस पहले मेरी सहेली का चोदकर शान्त करो तब मैं तुम्हें प्यार करूंगी।
मेरी सहेली तेरे लंड के लिए व्याकुल हो रही है। हाय । प्यारे उसे चोदो ? प्रिया मुस्कुराते हुए बोली । मैं झिझका।
श्यामा पच्चीस वर्ष की थी और उसका एक चार पांच साल का बच्चा था जिसे वह पाच रूपया का नोट देकर बाहर भेजी थी।
यदि मालिक को इन बातों की जानकारी मिल जाती हो मुझे नौकरी से छुट्टी के लिए कोई नहीं बचा सकता था।
लेकिन जब दो नौजान औरत खूद ही अपने बदन के साथ अपनी पसीज रही बुर में लन्ड पेलवाने के लिए मजबूर करे तो इसमें मेरा क्या कसुर है ।
वे दोनों मेरे लम्बे लण्ड को बूर में पेलवाकर सन्तुष्ट होना चाहती थी और उन दोनों को सांठ गांठ के साथ में श्यामा के | बिछावन के पास पहुंचा।
वह अब अपेन बदन पर चादर ओढ़े हुए बिछावन पर चित लेटी
मेरे पहुंचने पर वह अपने बदन पर पड़ी चादर को अलग कर फेक दी।
वह चादर के नीचे पर्ण रूप से नग्न होकर पड़ी थी और उस चादर हटने से श्यामा का नग्न एवं सुनहला बदन मेरी आंखों के सामने पड़ा था।
मैं उसके पुष्ट शरीर को टकर टकर ताक रहा था कि तभी मेरे मालकिन श्यामा मैडम अपेन हाथ से मेरे हाथ को पकड़ ली और एक झटके के साथ मुझे अपेन नग्न बदन पर खींच ली।
ओह गांड़-1 मेरी मालकिन अपनी सहेली बनिस्पद बहूत ही सुन्दर थी । श्यामा को बदन सांचे में ढाला हुआ था और चुचियाँ बड़ी कठोर लग रही थी।
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