महारानी देवरानी
10-14-2023, 12:03 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 55 A

हाय बुढ़ापा !

बलदेव की गोदी में बैठी देवरानी इशारे से बलदेव को खतरे का इशारा कर देती है क्यू की देवरानी ने एक आहट अपनी कक्षा के बाहर सुन ली थी।

दोनों सोच में पड़े थे के आखिर कर कौन है जो उनकी जासुसी कर रहा है। आधी रात को सृष्टि वही खड़ी थी और अंदर का हाल जानने की कोशिश कर रही थी।

[Image: annkhe-fati.jpg]

शुरुष्टि। (मन में-ये दोनों को कहीं इस बात की भनक तो नहीं लग गई की मैं यहाँ हूँ। अभी कुछ देर पहले तो खूब उह आआह कर रहे थे दोनों माँ बेटा।

बलदेव देवरानी को इशारा करता है कि उठो । देवरानी बलदेव के गोद से उठ जाती है और फिर बलदेव भी खड़ा होता है।


[Image: vouyer2.webp]


इधर शुरष्टि भी समझ गई थी कि अब यहाँ रुकना ठीक नहीं है। वह दबे पाव अपनी पायल की आवाज़ के बिना चलने की कोशिश करती है और अपने कक्ष की ओर जाने लगती है।

देवरानी बलदेव के कान में फुसफुसाती है।

"बेटा तुम रुको मैं देखती हूँ।"

अपनी माँ की बात समझ कर बलदेव रुक जाता है। देवरानी धीरे से उठ कर सबसे पहले एक ओढ़नी उठा कर अपने सीने पर डालती है। उसके स्तन जो छोटे से ब्लाउज में बाहर आने को तैयार थे और अपने अंग ओढ़नी में छुपा कर दरवाजा खोलती है। दोनों तरफ देखने पर उसे कुछ नहीं दिखता।

तभी देवरानी के कान में "खट्ट" से दरवाजा बंद करने की आवाज आती है। देवरानी आवाज का पीछा करती है। तो पाती है कि ये आवाज शुरष्टि के कक्ष से आई थी।



[Image: voyer2.webp]
देवरानी के होठों पर एक कातिल मुस्कान आती है ।

"रानी शुरष्टि तो तुम थी। तो तुमने मेरी और मेरे प्रेमी की आवाजे सुन ली। जल भुन गई होगी शुरष्टि तुम तो!"

देवरानी को मुस्कुराता देख बलदेव कमरे के दरवाजे पर आकर धीमी आवाज में पुकारता है ।

"माँ ओ माँ!"

देवरानी बलदेव की ओर देखती है।

[Image: BAL-DEV1.jpg]

"क्या हुआ माँ इधर आओ।"

देवरानी फुसफुसाते हुए कहती है ।

"उधर ही रहो बलदेव मैं अभी आयी ।"

देवरानी दरवाजा लगा लेती है।

"मां मुस्कुरा क्यू रही हो?"

"बेटा बात वह कुछ ऐसी है।"

"कैसी बात है माँ?"

"यहाँ पर खड़ी हो कर सब सुन रही थी सृष्टि ।"



[Image: SEMI-DR.jpg]
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बलदेव थोड़ा घबरा जाता है।

"क्या माँ?"

"हाँ बेटा वह कमिनी जीवन भर मेरे पीछे पड़ी रही है ।"

"पर माँ इसमें मुस्कुराने की क्या बात है?"

"बेटा मैं मुस्कुरा रही हूँ के आज मेरी खुशी देख के सृष्टि के बदन और सीने में सांप लौट रहे होंगे।"

"अच्छा माँ।"

और बलदेव भी मुस्कुरा देता है ।

[Image: dev-bal.jpg]

"बेटा अब तुम जाओ! सुबह हमें बद्री और श्याम का भी स्वागत करना है।"

"पर माँ मेरा मन नहीं करता तुम्हें छोड़ कर जाने का ।"

"पगले! मुझे छोड़ के तू जा भी नहीं सकता कभी। तू तो मेरे दिल में रहता है।"

"माँ! "

बलदेव देवरानी के गले लग जाता है।

[Image: EMB1.jpg]

"ठीक है। माँ मुझे पता है । आप अपना ख्याल रखना ।"

बलदेव अपनी माँ से विदा ले कर ऊपर अपने कक्ष में चला जाता है और इधर सृष्टि आकर अपने बिस्तार पर लेटी हुई सोच रही थी और उसके कानो में अभी भी देवरानी की सिस्की आ रही थी।

कुछ देर में सृष्टि फिर से सोने की कोशिश कर रही थी पर जलन के कारण उसे नींद नहीं रुक आ रही थी।

सृष्टि (मन में-देवरानी कैसे मजे मार रही थी अपने बेटे के साथ एक मैं ही हू जो इस आग में जल रही हूँ ।


[Image: SAREE-CARESS.gif]


सृष्टि अपना एक हाथ अपनी चूत पर ले जाती है। "आआह!"

शुरष्टि फिर उठती है।

अपनी कक्ष से बाहर निकल कर बाहर जाती है और कुछ देर चल के वह अब महाराज राजपाल के कक्ष के सामने थी।

"अब मैं क्या करूँ? क्या अभी राजपाल को जगाना ठीक होगा?"

सृष्टि एक धक्का दरवाजे पर देती है। तो वह खुला ही था। शुरष्टि अब सीधे ंद्र जाती है। कक्ष में राजपाल की खर्राटे की आवाज आ रही थी और राजपाल बेसुध सोया हुआ था।

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शुरुआत: (मन मैं) ये महराज किसी काम के नहीं है । अब तुम इस बुढ़ापे में खर्राटे मार रहे हो और तुम्हारी जवान पत्नी की कोई और मार रहा है। वैसे तो ये उन दोनों की मस्ती मारने की आखिरी रात होगी और शुरष्टि कुटिलता से मुस्कुराती है।

अब अपने बदन की कामग्नि से जल रही सृष्टि सोये हुए राजपाल के बगल में बैठ जाती है और राजपाल के सर को सहलाने लगती है और एक हाथ से उसका हाथ पकड़ कर अपने गोद में रख लेती है।

राजपाल नींद से जगते हुए पूछता है?

"कौन है?"

और उसके हाथ अपने पास राखी तलवार की तरफ हाथ बढ़ जाते हैं ।

"महाराज मैं हूँ आपकी पत्नी शुरष्टि।"

[Image: queen.webp]

"अरे महारानी! आप?"

"जी महाराज"

"आपने तो हमें तो डरा दिया था। महारानी!"

सृष्टि (मन में: महाराज जितना तुम अपने और अपने महल के लिए चौकसी करते हो, इतनी चौकसी अगर तुम देवरानी की करते तो देवरानी आज बलदेव के साथ मजे नहीं मार रही होती।) 

"महारानी कहिए आधी रात में ऐसा क्या हो गया जो आपको हमने जगाना पड़ा?"



जारी रहेगी
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10-14-2023, 12:08 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 55 B

हाय बुढ़ापा !

"अरे महारानी! आप?"

"जी महाराज"

"आपने तो हमें तो डरा दिया था। महारानी!"

सृष्टि (मन में: महाराज जितना तुम अपने और अपने महल के लिए चौकसी करते हो, इतनी चौकसी अगर तुम देवरानी की करते तो देवरानी आज बलदेव के साथ मजे नहीं मार रही होती।) 

"महारानी कहिए आधी रात में ऐसा क्या हो गया जो आपको हमने जगाना पड़ा?"


[Image: ramya-raj.gif]
"महाराज आपने दिन में कुछ कहा था।"

राजपाल को याद आता है कि दिन मैं उसने सृष्टि के पास आने का वादा किया था।

"हाँ क्षमा कर दो महारानी मेरी आँख लग गई थी।"

"परन्तु मैं आपकी प्रतीक्षा कर रही थी, आपको कोई दूसरी तो नहीं मिल गई महाराज।"

"अरे नहीं मेरी रानी। आपके सिवा हम किसी को देखते भी नहीं।"

[Image: ramya2.gif]

शुरष्टि (मन में: झूठे! राजा रतन के साथ उसके राज्य में तुम क्या-क्या कर के आते हो ये किसी से छुपा हुआ नहीं है, तुम दोनों का मन वैश्यो से भरता नहीं है ।) 

सृष्टि जो बलदेव और देवरानी की कामुक आवाजे सुन कर गरम हो गई थी

राजपाल को सहलाने लगती है।


[Image: KIS2.gif]

"महाराज! मुझे प्यार कीजिये।"

[Image: shrishti.gif]
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"आओ मेरी रानी!"

शुरष्टि राजपाल के उपर छा जाती है और राजपाल को सहलाने लगती है।

राजपाल की छाती को चुम कर ऊपर को आने लगती है।

फिर राजपाल के होठों से जोर से अपने होठों से चूमने लगती है।

[Image: KIS-DEEP1.gif]

राजपाल अपना हाथ पीछे से सृष्टि की कमर पर रख कर सहलाता है। शुरष्टि अपना मध्यम आकार के वक्ष राजपाल की छाती पर खूब मसलने लगती है।

अब शुरष्टि राजपाल को चुमते हुए राजपाल की दोनों जांघो को सहलाने लगती है और राजपाल की धोती को अपने दोनों हाथों से खोल देती है।

राजपाल का मुरझाया लौड़ा देख शुरुआत के चेहरे की लाली खो जाती है। दो इंच का लंड मुरझाया हुआ था। मरती क्या न करती सृष्टि उसके लंड को सहलाते हुए मुठियाने लगती है।

[Image: hj1.gif]

राजपाल ने अपने आँखे दिन बंद कर ली थी और अह्ह्ह ओह्ह्ह करता हुआ सिस्की ले रहा था।

"महाराज आपने कहा था। आप अपने लिए कोई औषधि लेंगे?"

"हाँ औषधि ली तो थी। पर वह खत्म हो गई है। उसका असर तब तक ही है जब तक हम उसका प्रयोग कर रहे हैं।"

शुरष्टि अब एक हाथ से राजपाल का लंड खड़ा कर रही थी दूसरे से उसके छोटे-छोटे सूखे हुए अंडकोषों को सहला रही थी।

राजपाल: क्या हुआ रानी आज बहुत गरम हो। ऐसा क्या हुआ रानी को। जो आज बुढ़ापे में आधी रात मेरे पास आना पड़ा?

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सृष्टि: चुप करो महाराज!  अभी  मेरी आयु 50 की भी नहीं हुई है परन्तु तुम बूढ़े हो गए बेशक अन्तिम चरण में है पर मेरी जवानी अब भी बाकी है। 

राजपाल: वह तो तुम ठीक कह रही हो, अब मैं लगभाग 60 का हो गया हूँ ।

शुरष्टि (मन में: किसने कहा था। अपने से आधी आयी से भी कम आयु की कन्या से विवाह कर लो। तुम्हारी इसी हालत के कारण तुम्हारी जवान पत्नी देवरानी आज अपने बेटे के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है।) 

कहीं ना कहीं सृष्टि को देवरानी और बलदेव से बहुत जलन हो रही थी, इसलिए उसके दिमाग में ये बात बार-बार आ रही थी।

सृष्टि ने अब देखा की राजपाल का । लौड़ा हल्का-सा उठा। रहा है। सृष्टि झट से अपना मुँह खोल उसे चुसने लगती है।



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"आह श्रुष्टि!"

बड़े तेजी से शुरू होते हुए सृष्टि अपने ब्लाउज खोल देती है और उसके दूध जो ना बड़े थे ना छोटे खुलते ही लटकने लगते हैं।

"इनहे मसलो महाराज।"

सृष्टि राजपाल का हाथ ले कर अपने दूध पर रख देती है।

[Image: boob-hand.gif]

राजपाल उसके दूध को मसलने लगता है।

"आह मेरी महारानी श्रुष्टि!"

[Image: boob-press0.webp]

शुरष्टि देखती है कि उसके दो इंची लौड़े ने अब अपना सर उठा लिया था और अब बड़ा होकर लगभग 4 इंच का हो गया था।

"महाराज जल्दी डाल दो महाराज!"

राजपाल शुरष्टि की गांड को सहलाते हुए लिटा देता है और उसके घाघरा को खोल कर उसके दोनों टाँगे उठा देता है।

जारी रहेगी
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10-14-2023, 12:11 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 55 C

हाय बुढ़ापा !
राजपाल उसके दूध को मसलने लगता है।

"आह मेरी महारानी श्रुष्टि!"

[Image: boob-press0.webp]

शुरष्टि देखती है कि उसके दो इंची लौड़े ने अब अपना सर उठा लिया था और अब बड़ा होकर लगभग 4 इंच का हो गया था।

"महाराज जल्दी डाल दो महाराज!"

राजपाल शुरष्टि की गांड को सहलाते हुए लिटा देता है और उसके घाघरा को खोल कर उसके दोनों टाँगे उठा देता है।

[Image: entr-29.gif]
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और अपना लौड़ा सृष्टि की बुर में एक बार में पेल डालता है।

"आह महाराज ज़ोर से पेल दीजिये!"

[Image: entr0.gif]

राजपाल आगे बढ़ कर शुरुआत करता हैं। उसके दोनों वक्षो को मसलने लगता है। फिर राजपाल ज़ोर-ज़ोर से सृष्टि को चोदने लगता है।

शुरष्टि चुड़ते हुए आखे बंद किये हुए सिसक रही होती है।

राजपाल झटके मार-मार के पसीने से तरबतर हो गया था और वह अब धीरे-धीरे हिलने लगता है।

"महाराज ज़ोर से पेलो ना अपनी रानी को।"

[Image: MIS-00.webp]
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अभी 3 या 4 मिनट की चुदाई ही हुई थी की राजपाल हांफने लगता है। शुरष्टि समझ जाती है कि महाराज से अब और ना हो पायेगा क्यूकी उन्होंने औषधि या जड़ी बूटी भी नहीं ली है।


"ओह्ह! सृष्टि मेरा अब निकलने वाला है।"

"महाराज नहीं अभी नहीं! महाराज! थोड़ी देर और!"


[Image: mis6.gif]
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"आह! श्रुष्टि!"

राजपाल दो धक्के मारता है और अपनी आखे बंद कर लेता है। "

"महाराज अपने आप पर काबू पाएँ! रुके! अभी पानी मत छोड़िये!"

[Image: MIS2.gif]

राजपाल एक और धक्का मारता है।

" आआआ सृष्टि! और आखे बंद किये हुए कांपते हुए झड़ने लगता है।

[Image: CUM4.gif]

सृष्टि उदास हो कर राजपाल को ही देख रही थी। राजपाल जब पूरा झड़ जाता है। तो सृष्टि के ऊपर से हट कर उसकी बगल में लेट जाता है और ज़ोर-ज़ोर से सांस लेने लगता है। अपना आख बंद किये हुए सृष्टि की आखो में आसु आ जाते है। पर वह अपना आसु छुपा महराज से चिपक कर लेटी रहती है।


थोड़ी देर बाद राजपाल अपने सांसो पर काबू पाता है। तो सृष्टि का बुझी-बुझी देखता है तो बेबसी से उसकी नज़र नीचे झुक जाती है।

"महाराज आपका तो हो गया पर मेरा?"

"मुझे क्षमा कर महारानी ने आपका साथ नहीं दे पाया और समय से पहले स्खलित हो गया । मुझसे आज फिर गलती हो गई !"

राजपाल अपना धोती उठा। कर शौचालय में घुस जाता है और अपने वस्त्र बदल कर वापस बिस्तर पर आता है।

सृष्टि अब भी वही पर लेटी थी।

"महरानी सृष्टि! क्या हुआ कपडे पहन लो अपने!"

"महाराज मैं अपने कक्ष में जाती हूं"

राजपाल समझ जाता है के शुरष्टि संतुष्ट नहीं हुई है और दुखी है।

"ठीक है। जैसी आपकी इच्छा महारानी!"

शुरष्टि अपने ब्लाउज और घाघरा पहन कर अपनी पोशाक पहन लेती है और बाहर चली जाती है। "
अपने कक्ष में आकर फिर से अपने वस्त्र उतार कर फेंक देती है और अपने गरम शरीर को अपने हाथों से सहलाने लगती है और अपनी योनि में उंगली कर उत्तेज़ना से सिसकने लगती है।

कुछ देर यू वह अपने अंग से खेल कर अपनी योनि का पानी निकालती है। अपने आपको शांत कर वह भी नींद की आगोश में चली जाती है।

शुरष्टि उठती है। उसका बदन बहुत ज़ोर से दर्द कर रहा था। वह नहा धो कर बाहर आती है।

"कमला ओ कमला आई नहीं अब तक?"

कमला और राधा सुबह-सुबह अपने काम में रसोई में लगी हुई थी।

[Image: KMLA.jpg]

कमलाः जी महारानी शुरष्टि आज्ञा दीजिये!

शुरष्टि: कुछ जल्दी बनाओ, सारा बदन टूट रहा है , बहुत भूख लगी है ।

राधा: क्या हुआ महारानी क्या राज है इस भूख और थकान का?

कमला: मैं कुछ बनाती हूँ!

राजपाल सवेरे उठ कर अपने महल के चारो ओर रोज की तरह घूमने लगता है।

राजपाल को तभी सामने से दो घोड़ों पर सवार दो लोग आते हुए दिखते हैं।

राजपाल गौर से देखने के बाद समझ आया की ये तो बलदेव के मित्र श्याम और बद्री है।

श्याम और बद्री राजपाल के पास आकर घोड़े को रोक घोड़े से उतर जाते हैं।

श्याम और बद्री एक स्वर में: प्रणाम महाराज!

दोनों महराज के सामने अपने हाथ जोड़े खड़े हुए थे।



[Image: frnd.jpg]
राजपाल: प्रणाम स्वागत है। तुम्हारा राजकुमारो!

श्याम और बद्री अपने स्वागत किये जाने से खुश हो कर महाराज के चरण छू लेते हैं।

राजपाल: राजकुमारों आप ये क्या कर रहे हो?

श्याम और बद्री: महाराज! आप हमारे पिता समान हैं।

राजपाल एक मुस्कुराहट के साथ !

राजपाल: आयुष्मान भवः!

राजपाल ताली बजाता है।

भागता हुआ एक सैनिक उसके पास आता है।

 "आज्ञा ! महाराज" 

"सुनो इन्हें ले कर जाओ ये हमारे मेहमान हैं। इन के आदर सत्कार में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होनी चाहिए! "



[Image: rajpal.jpg]
सैनिक: जो आज्ञा महाराज।

राजपाल: और सुनो सेनापति सोमनाथ को भेजो ।

जारी रहेगी
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10-14-2023, 12:18 PM,
RE: महारानी देवरानी
MAHARANI DEVRANI 

Update 57


Boot bana khada Badri singh dekh raha tha tambu me parchai ko jis se saaf pata chal raha tha andar jo khel khela ja raha tha wo ek maa bete k beech nahi khela jana chahiye Badri ka gussa se laal ho jata hai

Badri man me: Abhi puchta hu kamine baldev ko usko ye sab karne k lye Mausi he mili thi or mausi bhi to savitri banti thi ,mujhe ghrina horhi hai

Badri gusse ko kabu kye hue khada tha fir kuch soch k wapas tambu me jata hai or apne saman ekathha karne lagta hai is awaz se shyam jag jata hai
"kya hua badri itne raate gaye tum kya kar rahe ho"

"shyam mai ja raha hu wapas me or aage nahi ja sakta mitra"

"badri kya hua bhai aisa kya hogaya jo aadhi raaat tum"

Ye sun kar badri shyam ka hath pakad kar tambu k bahar lata hai

"ye dekho is adharmi baldev ko mujhe to ise ab mera mitra kahte hue bhi ghrina horhi hai "
shyam tambu ki parchai me dekhta hai or wo bhi chauk jata hai or uske muh se nikalta hai.


"asambhaw"

"ashambhaw nahi hai shayam ye jo dekh rhe ho tum yahi satya hai"
ye keh kar gusse me badri wapas tambu me aa jata hai

gusse me dekh badri ko shyam uske peeche aaata hai

ShyamConfuseduno bhai itni raat gaye tum kaha jaoge

Badri:hey bhagwan Maine kya paap kya tha jo mujhe aaj ye sab dekhna pad raha hai

Shyam:Hosh me aao badri,tum kahi nahi jaoge

BadriConfusedhyam tumhe yaqeen horha hai itni sati savitri or pativarta mahila aisa bhi kar sakti hai zarur use baldev jabrdasti kar raha hoga

ShyamTongueagal ho tum agar mausi k sath zor zabardasti karta baldev to itna chupchap nahi rahti mausi

Badri:tum samajh nahi rahe shyam hamare maa jaisi thi wo

Shyam:dekho hum jungle me hai or hamare dushmano k kareeb bhi agar tum abhi koi bhi kadam uthaoge to soch lo nuksaan tumhara he hoga hamara nahi

Badri:Mujhe darao mat shyam mujhe apni jaan ki parwah nahi

Shyam:Tu ziddi hai aise nahi manega ,tujhe hamare dosti ki kasam hai agar tu yaha se gaya to humari dosti khatm

Badri:tu pagal hai kya shyam

Shyam:chal apne jhola rakh or so ja
or agar mausi or baldev avaidh sambandh bana rahe hai to aapasi sahmati se he bana rhe hai jaisa mujhe lag raha hai

Badri:han maine bhi inka ishara mahal me khate samay dekha tha

shyam badri k kandho par hath rakh kar usko paani peene k lye deta hai

Shyam:dekho badri agar tumko itni he dukh hai is baat ki to kal subah baldev se puch lenge mujhe bhi koi acha nahi laga ye sab dekh k

Badri:Han tum sahi kah rahe ho me to baldev se iska uttar le kar rahunga

Shyam:han to ab so jate hai

Done sone ki tayyari fir kar rhe the

shyam:tujhe yaad hai hum gharelu chudai ki pushtake padhte the

Badri:han shyam

Shyam AUR ham ne baldev ko bhi dya tha padhne

Badri:tum kehna kya chahte ho

Shyam:kahi ye uska he to asar nahi

Badri:Hum kahania maze k lye padhte the Baldev ne to itihas he rach dya

Shyam:Han Mujhe lagta hai k ek bar baldev jo hum se bhi samajh dar hai use jan na zaruri hai k uski soch kya hai ye sab k peeche,Baldev ne to kahani ko jaise jeevan de dya ho jab kahani me itna maza ata tha to usko kitna maza aa raha hoga

Badri:chup kar or so ja

tabhi dono k kaano me chapp chapp chu chu ki aawaz aati hai dono ko lagta hai koi janwar to nahi dono khamoshi se aawaz k disha dekhte hai to ye aawaz baldev or devrani k tambu se aarahi thi jo ek dusre ko chumne ki thi

Ye dono samajh jate hai or shyam badri ki ore dekh ek muskan deta hai or ishare kehta hai so jao

badri gussa se apna muh dusri taraf ghuma kar let jata hai or dono sone ki koshish karne lagta hai

idhar dusre tambu me baldev devrani ko betahasha chume ja raha tha
[Image: EthicalVariableHartebeest-size_restricted.gif]

"galppp galppp slurpp"

"aah mere raja "

"ummmh galp "
"meri rani "
"galppppppppppppp galpppppppppp
galpppppp galppp gallpppppp
gallpp galllpppp galpppp"
"Devrani meri rani tu banegi meri patni"

"han mere raja banungi teri patni nahi dharm patni"

baldev devrani ko khub chus raha tha or devrani bhi khub sath de rahi thi

devrani ab chhorti hai uski sanse fulne lagi ti
[Image: DeficientGracefulAlaskankleekai-size_restricted.gif]

"raja aaram se kahi wo dono sun na le"
devrani ki chunni hat jane se uske dono bade vaksha uske saanso k sath upar neeche ho rhe the

Baldev hath pakad kar
"idhar aa meri jaan"
uske dono vaksho ko dekhta hai

Or apne dono hath badha kar
[Image: DaringFamousAustraliancurlew-size_restricted.gif]

"maa kya papite hai tere aah maza aagaya"
dono vaksha ko khub dabane lagta hai
"ahhh raja " devrani apne vaksho ko sahlane jane se aanandit hoti hai baldev ko sahlane lagti hai
"devrani idhar aa mere paas"
"han mere raja "
[Image: TemptingTallCoyote-size_restricted.gif]

Baldev: "aa na meri goad me baith na "
devrani ishara samajh jati hai or baldev k taraf apna bada gaand karti hai

"haan laa na ye tarbooze jaisi gaand me ganna daal du or apna ras chhor du isme"

"ganda baldev"

"abhi bata ta hu kitna ganda hu maata rani"
baldev devrani k gaand par apna land laga deta hai or devrani apna gand piche kar maza kar rahi thi baldev khub man se apna lauda masal raha tha gand per

devrani ko ab halka jhuka kar apna dono hath aage le jata hai baldev or vaksho ko bheech
"aah maa tumhare ye dono tarboozo ka
ras peena hai ..peelaogi na"
[Image: FlusteredBriskGypsymoth-size_restricted.gif]

baldev khub ache se dono bhari stano ka mardan kar rha tha
"aii ha mai mar gayi uff hey bhagwan"
"ahh maa"
"hayy dayya mere doodh uff ah"
"bolo na dogi na apne pati apne bete baldev ko is ka doodh peene"
"haye mere pati nahi tum mere pati parmeshwar ho sab kuch le lo jo chaho wo"
"samay aane do "
"han mujhse vivah kar lo na baldev mujhe apni bana lo"
"bana lunga tujhe apni patni meri jaan bharosa rakho"
"baldev mujhe or nahi raha jata hai mere raja ah"
baldev ab bhi khub ache se doodh dabaye ja rha tha or devrani ko jhukaye apna land uske gaand k darar me ragad raha tha
"ahhh raja aise he"
"mujhe patni bana lo roz maze dungi is se bhi zyada"
"mujhe pata hai meri maa k tum dalne nahi dogi bina vivah kye"
baldev ab zor zor se apna land ragad raha thai devrani k gand per baldev ek hath se apna land pakad kar devrani k gaaand se sidha uske chut par lauda sata deta hai
"ahh raja ye loha to garam hai"
"tumhara chulha bhi bhatti bani padi hai"
"ahh raja "
baldev k aise chut par land ragade se devrani ka pani chut se bahar aa jata hai
"aaaaaaaaaah baldev"devrani is bar apne aap ko rok nahi pati or chilla deti hai


Baldev devrani ko chillata dekh seedha kar k apna lauda uske chut k chhed par rakh vastra k upar se ghusane ki kohish karta hai
"ah me tumhe patni bana kar he bhogunga"

Ab baldev ka lauda bhi akad kar paani chhorne wala tha
[Image: AcceptableEvilGerenuk-size_restricted.gif]

"bhog lena beta "
baldev devrani k dono bade papito ko fir uske chehre ko fir uske gardan par chumme ki barsat kar deta hai"

"ahhhhh devrani meri patni meri maa"
or baldev apna aaakh band kye devrani gale lag jata hai or use land badi zor ki pichkari uske dhoti par marta hai

Baldev nidhal ho kar devrani k bagal me so jata hai
[Image: DismalIdealCuckoo-size_restricted.gif]

Devrani:kyu thak gaye mere raja
baldev apna hath aage badha kar devrani ki ek chuchi pakad kar masalne lagta hai
"maa tumhe pyar kar k mai kabhi thak nahi sakta "
"chal jaoo bhut dekhe hai"
"maa hume andhera chhat te he paras ki ore nikal jana hai"

devrani bhi ab seedha leta sustane lagti
"aaj chand k niche tumse pyar kar k bhut maza aayya"

"aisa hai to bass hamari shadi vivah ho jane do fir tumko batau chand k niche pyar karna kise kehte hai meri rani"

"kyu kya karega tu aisa"

"tujhe thokunga tere pichhwade me apna danda daal k meri patni to bano"

devrani sharm or laaj se apna sar jhuka kar nazre bachane lagti hai
"chal hattt gande kamine"
or dono so jate hai

Idhar ghatrashtra me

Dopahar se soch me dooba Senapati somnath

Senapati somnath

"kya karu me ye gutthi suljhane k lye kaha jau aakhir ye sab karne ki wajah kya ho sakta hai"
Mahal k samne sena k lye udyan or wahi pas me sena gruh tha jaha par senapati k lye khas kaksha dya gaya tha

soch me dooba somnath bahar nikal kar apna ghoda par baith Ghatrashtra k mukhya bazar ki ore chal deta hai

Somnath man me " aakhir ye kaun tha jo Maharani shurushti se milne aya tha kya uska he hath hai..
"par maharani shurushti rani devrani ko q marna chahti hai "

somanth mukhya bazar me le ja kar apna ghoda ek ore bandh deta hai

bazar me shor tha har taraf dukane thi door door se log apni kharedi karne aaye hue the

Somnath:ab us din jo aadmi rani shurushti se milne aaya tha wahi bata sakta hai par usko dhundu kaise

Somnath beech bazar me khada soch raha tha use bazar me har fal wale or sabzi wale apni taraf bula rahe the khareedi karne k lye

Tabhi somnath k kaan me damru ki aawaz aati hai or wo us ore dekhta hai jaha par tamasha wala apna tamasha dikha raha tha


Somnath:man me)saanp ka raaj to sapera he kholega


To be continued
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10-14-2023, 12:19 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 56-A

पारस जाने की तयारी और यात्रा की शुरुआत  


श्याम और बद्री सैनिक के साथ महल के मुख्य दुवार की ओर जाने लगते हैं। रास्ते में वह उन दोनों की नजर कसरत करते हुए बलदेव पर पड़ती है जो अपने ही धुन में कसरत करने में मग्न था।


[Image: 56-1-exerc.gif]

सैनिक: युवराज आपके मित्र आये हैं।

बलदेव: क्या सच में?

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बलदेव पलट कर देखता है। तो सामने श्याम और बद्री मुस्कुराते हुए खड़े हुए थे।

बलदेव: अरे मित्रो! तुम दोनों का स्वागत है।

बलदेव खुला नग्न शरीर लिए हुए, उनका स्वागत करने के लिए, अपने मित्रो के पास जाता है।




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बद्री: बलदेव तुम्हारा शरीर अब हम जैसा नहीं रहा हे तुम पत्थर के समान हो गए हो।

श्याम: हाँ भाई. आज कल भाई बहुत ज़्यादा मेहनत कर रहे हैं।

बलदेव मुस्कुराता हुआ सैनिक को आज्ञा देता है ।


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"जरा मेरा परिधान लाना!"

"जी युवराज !"

बलदेव: वह सब छोडो! तुम दोनों इतनी सवेरे कैसे पहुँच गए?

बद्री: भाई! हम रात में ही तुम्हारे क्षेत्र में आ गए थे और हम पास के एक राज्य में रुक गए थे।

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शयाम: हाँ और सुबह होते हे हम वहाँ से चल दिए, इसलिए सुबह सवेरे ही पहुच गए।



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बलदेव: मेरी मन रखने के लिए मित्रो, तुम दोनों का धन्यवाद!

बद्री: भाई. हम मित्र हैं। अगर हम एक दूसरे का साथ नहीं देंगे तो कौन देगा?

श्याम: मित्र तुम्हारे लिए तो हम जान भी दे सकते हैं। जब हम आचार्य जी पास शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब तुमने भी तो हमारे लिए बहुत कुछ किया है।

तीनो चल कर अब महल के मुख्य द्वार पर पहुँच गये थे।


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बद्री: श्याम सही कह रहा है। बलदेव हम वह दिन भूल नहीं सकते जब तुमने हम सब की गलती की सजा अपने सर ले ली थी। बलदेव बात काटते हुए-

"मित्रो! अब छोड़ो भी जो हुआ सो हुआ। तुम दोनों मेरे मित्र हो तुम्हारे लिए तो मैं अपनी जान की परवाह कभी भी नहीं परवा नहीं करूंगा।"


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श्याम: ओ भाई! मुझे तो बहुत भूख लगी है और मैं तो घातराष्ट्र आता ही हूँ मौसी के हाथों बने पकवान खाने के लिए ।

बलदेव: श्याम चलो आज तुम्हें हम बहुत बढ़िया पकवान खिलाएंगे!

श्याम: मुझे तो मौसी के हाथ का खाना है।

बलदेव: हाँ मैं माँ से कह कर तुम्हारे लिए विशेष भोजन बनवा दूंगा।

बद्री: तुम तो अब भी बच्चे ही हो। आये नहीं कि शुरू हो गये। पेटू कही के ।


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बलदेव: अरी ऐसा नहीं है। बद्री श्याम को इसका पूरा हक है। "तुम दोनों झगड़ा बंद करो और चलो मेरे साथ।"

तीनो महल में घुस जाते है। देवरानी अपनी कक्ष में व्यायाम करने के बाद स्नान कर सुबह की जड़ी बूटी खा रही थी फिर उसके कानो में बलदेव और किसी की बातें सुनाई देती हैं ।

देवरानी अपना घूंघट कर अपने कमरे से बाहर आती है और देखती है सामने बलदेव के साथ उनके दोनों मित्र थे।


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बलदेव देखता है कि माँ घूंघट ताने दूसरी ओर मुंह किये हुए पहचानने की कोशिश कर रही थी की आख़िर बलदेव के साथ कौन आये है।

बलदेव: अरे माँ इधर आओ! ये मेरे मित्र श्याम और बद्री हैं।


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10-24-2023, 07:43 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 56-B

पारस जाने की तयारी और यात्रा की शुरुआत  


बलदेव: अरी ऐसा नहीं है। बद्री श्याम को इसका पूरा हक है। "तुम दोनों झगड़ा बंद करो और चलो मेरे साथ।"

तीनो महल में घुस जाते है। देवरानी अपनी कक्ष में व्यायाम करने के बाद स्नान कर सुबह की जड़ी बूटी खा रही थी फिर उसके कानो में बलदेव और किसी की बातें सुनाई देती हैं ।

देवरानी अपना घूंघट कर अपने कमरे से बाहर आती है और देखती है सामने बलदेव के साथ उनके दोनों मित्र थे।


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बलदेव देखता है कि माँ घूंघट ताने दूसरी ओर मुंह किये हुए पहचानने की कोशिश कर रही थी की आख़िर बलदेव के साथ कौन आये है।

बलदेव: अरे माँ इधर आओ! ये मेरे मित्र श्याम और बद्री हैं।

अब तक तो देवरानी ने भी चोर नजरों से देख पता लगा लिया था के बद्री और श्याम आये हैं।


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देवरानी उनके पास चली जाती है और अपना घूँघट किया हुआ पल्लू हटाती है।

बद्री और श्याम देवरानी को हो देखते ही उसके चरण स्पर्श करते हैं।


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बद्री और श्याम: मौसी आप को बहुत दिन बाद देख बहुत अच्छा लगा हमें। आशीर्वाद दीजिये।

देवरानी: अरे मेरे बेटे मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है। देवरानी दोनों को सर पर हाथ फेरती है। फिर देवरानी उन्हें आयुष्मान होने का आशीर्वाद देती है ।

फिर दोनों खड़े होते हैं।


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ये सब देख बलदेव मुस्कुरा रहा था।

देवरानी: बलदेव इन दोनों को अपने कक्ष में ले कर जाओ, अभी पूजा नहीं हुई है।


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श्याम: मौसी मुझे प्रसाद चाहिए।

बद्री: श्याम तू बस खाने के जुगाड़ में रहना बच्चे, मौसी आपको पूजा करने की क्या आव्वश्यकता है आप तो खुद देवी लगती हो और देवी जैसी पवित्रा हो।


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देवरानी ये सुन कर मुस्कुरा देती है।

बलदेव: बद्री तुम कह रहे थे ना के मेरे गठीले शरीर का राज क्या है। ये राज ये है कि मैं इसी देवी की पूजा करता हूँ।

ये बोल कर बलदेव देवरानी की ओर देख आख मार देता है।


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देवरानी अपना घूँघट फिर से डाले अपने कमरे में जाने लगती है। देवरानी बलदेव के मित्रो की बात सुन लज्जा के साथ अपने ऊपर गर्व भी कर रही थी।

बद्री: पूजा भर से ये कैसे हुआ, मित्र?

बलदेव: भाई. माँ मेरे खाने पीने सब कुछ का हिसाब रखती है।

तीनो सीढ़ियों से होते हुए बलदेव के कक्ष तक पहुँच जाते है।

बद्री: भाई से। बलदेव पारस कब निकलने का इरादा है।

बलदेव: जब तुम कहो?

श्याम: हाँ! हमें वहा खूब प्राचीन चीजे देखने को मिलेगी और मैंने सुना है वहाँ के पकवान भी बहुत स्वादिष्ट होते है।


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बद्री: श्याम अब तुम बच्चे नहीं हो! कुछ और भी सोचो खाने से हट कर, मूर्ख!

श्याम: तुमने मुझे मूर्ख कैसे कहा? मैं मेवाड़ का युवराज हूँ अभी तुम्हारे उज्जैनी जिभ को खींच लूंगा, कालू राम!

श्याम बद्री को देख कर जोर से हसता है। जिस से बलदेव की भी हंसी छूट जाती है।

बद्री श्याम की गर्दन को हाथ में ले कर पीछे से दबा कर बोलता है ।

"श्याम अपने गोरे रंग पर इतना अहंकार मत करो!"

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे मुर्ख कहने की? बद्री काले बादल!"

बद्री: इसकी तो मैं जान ले लूंगा!

बलदेव: छोडो भी बद्री इसको! तुम दोनों बच्चो को तरह लड़ना कब बंद करोगे! फिर बलदेव दोनों को अलग करता है।

बलदेव: अब हम बारी-बारी से स्नान कर लेते हैं।

तभी तीनो के कानों में ढोल की आवाज आती है।

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बद्री: कोई ढिंढोरा पीट रहा है।

तभी तीनो कान लगा कर ढिंढोरे की आवाज के साथ कोई सन्देह राज्य में सुनाया जा रहा था। वह सुनने लगे।

"सुनो सुनो सुनो...सुनो सुनो घटराष्ट्र वासिओ! महाराज राजपाल सिंह ने आज अभी-अभी सभा बुलाई है। कृपा कर के सब पहुचे! महाराज कोई महवपूर्ण निर्णय लेना हैं। सुनो-सुनो घटराष्ट्र वासिओ!"

बलदेव: अब तो समय व्यर्थ करना ठीक नहीं होगा, मैं जल्द ही स्नान कर के आया।

बद्री और श्याम समझ जाते हैं और अपने साथ लाया हुआ समान सैनिक को कह कर कक्ष में रखवाते है और पहनने  के  लिए   अपने साथ लाये वस्त्र का चुनाव करने लगते हैं।


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थोड़ी देर में बलदेव स्नान कर के आ जाता है और बारी-बारी से सभी स्नान कर लेते हैं और अपने राजसी परिधान पहन लेते हैं।

देवरानी इधर आकर अपनी कक्ष में पहले अगरबत्ती जलाती है और कुछ प्रसाद का चढ़ावा लगा कर रोज़ की तरह अपना पाठ पढ़ रही थी, कुछ देर पाठ पढ़ने के बाद पूजा ख़तम होती है और देवरानी अपने और बलदेव के लिए कामना करती है।

"भगवान धन्यवाद तूने मेरी हृदय की बात सुन ली और इतने बरसो बाद मैं अपने मायके पारस जा रही हूँ । हम सब दूर की यात्रा करने जा रहे हैं। हम सब पर अपनी कृपा रखना । भगवान!"


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10-24-2023, 07:44 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 56-C

पारस जाने की तयारी और यात्रा की शुरुआत  

बलदेव: अब तो समय व्यर्थ करना ठीक नहीं होगा, मैं जल्द ही स्नान कर के आया।

बद्री और श्याम समझ जाते हैं और अपने साथ लाया हुआ समान सैनिक को कह कर कक्ष में रखवाते है और पहनने  के  लिए   अपने साथ लाये वस्त्र का चुनाव करने लगते हैं।


[Image: 56-male-shower-hot.gif]


थोड़ी देर में बलदेव स्नान कर के आ जाता है और बारी-बारी से सभी स्नान कर लेते हैं और अपने राजसी परिधान पहन लेते हैं।

देवरानी इधर आकर अपनी कक्ष में पहले अगरबत्ती जलाती है और कुछ प्रसाद का चढ़ावा लगा कर रोज़ की तरह अपना पाठ पढ़ रही थी, कुछ देर पाठ पढ़ने के बाद पूजा ख़तम होती है और देवरानी अपने और बलदेव के लिए कामना करती है।

"भगवान धन्यवाद तूने मेरी हृदय की बात सुन ली और इतने बरसो बाद मैं अपने मायके पारस जा रही हूँ । हम सब दूर की यात्रा करने जा रहे हैं। हम सब पर अपनी कृपा रखना । भगवान!"


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देवरानी दोनों हाथो जोड़े खड़ी भगवान से उनकी कृपा मांग रही थी। उसने मंदिर में दीया जला कर पूजा की थी। वह पूजा की थाली ले कर बलदेव के कक्ष की ओर जाती है।

देवरानी देखती है। तीनो त्यार हो कर बैठे हुए थे।

देवरानी: लो बच्चो तुम सब के लिए पूजा का प्रसाद!


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बद्री और श्याम झट से अपना सारा झुक कर अपना हाथ आगे बढ़ा कर प्रसाद ले लेते हैं। पर बलदेव नहीं लेता।

देवरानी: अरे बलदेव तुम भी लो बेटा।

बलदेव सर निचे कर के बोलता है ।

"मां मैं बाद में ले लूंगा" और देवरानी को एक अंदाज़ से देखता है।

श्याम: मौसी! महराज ने अभी सभा क्यू बुलायी है?

देवरानी: सभा बुलाने के बारे में तो मैंने नहीं सुना और तुम मुझे मौसी कहते हो और उनको महाराज । ऐसा क्यों?


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श्याम: क्यू के मौसी महाराज राजपाल खड्डूस है। इसलिए उन्हें मौसा नहीं कहता और आप एक दम अपनी-सी लगती हो तो आपको महारानी नहीं कह सकता । आपको मौसी कहना ही अच्छा लगता है।

देवरानी श्याम की बात पर मुस्कुराती है।

बद्री: मुर्ख श्याम चुप रहो! वैसे मौसी अभी थोड़ी देर पहले हमने ढिंढोरा सुना, सभा के बारे में! उस समय शायद आप पूजा कर रही होंगी।

देवरानी: हाँ मैं पूजा कर रही थी।


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बद्री: आप तो देवी हैं। मौसी! आपने तो सच में कुछ नहीं सुना जबकि पूरे घटराष्ट्र ने सुन लिया, सच कहु आप की भक्ति को मेरा नमन है ।

देवरानी: अरे बस भगवान की कृपा है। मेरे जैसी पुजारिने तो करोड़ो होंगी ।

बद्री: मौसी इस श्याम को भी कुछ सिखा दो। इसे कुछ नहीं आता।

श्याम: हाँ जैसे तुम बहुत ने बड़े भक्त हो और साक्षात शिव जी से वार्तालाप करते हो।

ये सुन कर सब हसने लगते है।


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देवरानी: अगर ऐसा है। तो तुम लोग जाओ. हम सबको प्रसाद दे कर आते हैं।

देवरानी प्रसाद की थाली ले कर चली जाती है और बलदेव अपने मित्रो को ले कर महल के बाहर निकल सभा स्थल की और जाने लगता है।

देवरानी सबसे पहले सृष्टि के कक्ष की और जाती है।

"दीदी श्रुष्टि!"

"आओ देवरानी।"


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"दीदी ये लीजिए भगवान का प्रसाद।"

"अरे वाह देवरानी इतनी सवेरे तुमने पूजा पाठ भी कर लीया ।"

"हाँ दीदी! वैसे आज आप उदास-सी लग रही हो। क्या हुआ आप की तबीयत तो ठीक है ना?"

शुरुष्टि अंदर से जल भुन जाती है।

"क्यू? ऐसा क्यू कह रही हो देवरानी में ठीक तो हूँ।"

"दीदी वह मैं रात में उठी तो मैंने देखा था आप अपने कक्ष में जा रही थी और जब तक मैं आवाज देती आप ने दरवाजा बंद कर लिया था।"

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"श्रुष्टि दीदी लगता है। आपकी नींद पूरी नहीं हो पाई है।"

शुरष्टि को इतना गुस्सा आया की वह अब देवरानी के गालो पर रख कर दे पर वह अपने आप पर काबू रख बोलती है ।

शुरुष्टि: (मन में-कामिनी तू रंडीनाच कर ले जितना करना है बस आगे आने वाले दो दिन में तेरे चिता में आग मैं ही दूंगी।) 

देवरानी: क्या सोचने लगी आप? ये लीजिए प्रसाद, भगवान मनुष्य को शक्ति वह उतनी ही देता है। जितने की अवश्यक्ता होती है। इसलिए हमें अपनी शक्ति का कभी भी गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जो भगवान शक्ति देता है वही गलत इतेमाल करने पर उसे छीन भी लेता है।

सृष्टि हाथ आगे बढ़ा कर अपने मन को मार कर प्रसाद देवरानी के हाथों से लेती है।


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शुरष्टि: (मन में-रंडी बड़ा ज्ञान दे रही है। देवी बनने कि कोशिश कर के शुरू से ही तुमने सोचा था घर पर अपना सिक्का जमाने का। पर आज तक तुम सब के पैरो की धूल ही हो, एक दो दिन अपने बेटे पर इतरा लो । फिर तो मैं तुम से स्वर्ग लोक में मिलूंगी, कमिनी वही पर अपने बेटे से प्रेम का खेल खेलना...देवरानी! उह्ह्ह! बड़ी आयी है देवी माँ!

सृष्टि के चेहरे पर एक बड़ी कुटिलता भरी मुस्कान आ जाती। जिसे देवरानी देख लेती है।

देवरानी: क्या बात है। दीदी बेवजह मुस्कुरा रही हो! कहीं रात की महाराज की कोई बात तो याद नहीं आ गई?


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शुरष्टि: तुम कहना क्या चाहती हो देवरानी?

देवरानी: यहीं जब मैं पानी पीने उठी थी तब मैंने आपको महाराज के कक्ष से निकलते हुए देखा था ।

सृष्टि चुप चाप बूत बनी देवरानी की बात सुन रही थी । उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे?

देवरानी: वैसे लगता है कल रात आपने खूब आनंद लिया, इसलिए आप अब तक मुस्कुरा रही हो।

शुरष्टि के लगा जैसे देवरानी ने उसके जले पर नमक छिड़क दिया हो । महाराज ने तो असल में शुरुष्टि को असंतुष्ट, तड़पती हुई प्यासी और खुमारी में छौड दिया था। वह प्यास और खुमार सृष्टि अब तक महसुस कर रही थी।

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10-24-2023, 07:45 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 56-D

पारस जाने की तयारी और यात्रा की शुरुआत  


शुरष्टि: (मन में-रंडी बड़ा ज्ञान दे रही है। देवी बनने कि कोशिश कर के शुरू से ही तुमने सोचा था घर पर अपना सिक्का जमाने का। पर आज तक तुम सब के पैरो की धूल ही हो, एक दो दिन अपने बेटे पर इतरा लो । फिर तो मैं तुम से स्वर्ग लोक में मिलूंगी, कमिनी वही पर अपने बेटे से प्रेम का खेल खेलना...देवरानी! उह्ह्ह! बड़ी आयी है देवी माँ!




[Image: shrishti.gif]

सृष्टि के चेहरे पर एक बड़ी कुटिलता भरी मुस्कान आ जाती। जिसे देवरानी देख लेती है।

देवरानी: क्या बात है। दीदी बेवजह मुस्कुरा रही हो! कहीं रात की महाराज की कोई बात तो याद नहीं आ गई?


[Image: shristi-smile.gif]

शुरष्टि: तुम कहना क्या चाहती हो देवरानी?

देवरानी: यहीं जब मैं पानी पीने उठी थी तब मैंने आपको महाराज के कक्ष से निकलते हुए देखा था ।

सृष्टि चुप चाप बूत बनी देवरानी की बात सुन रही थी । उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे?

देवरानी: वैसे लगता है कल रात आपने खूब आनंद लिया, इसलिए आप अब तक मुस्कुरा रही हो।

शुरष्टि के लगा जैसे देवरानी ने उसके जले पर नमक छिड़क दिया हो । महाराज ने तो असल में शुरुष्टि को असंतुष्ट, तड़पती हुई प्यासी और खुमारी में छौड दिया था। वह प्यास और खुमार सृष्टि अब तक महसुस कर रही थी।

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शुरष्टि: (मन में-देवरानी की बच्ची मेरा मज़ाक उड़ा रही है। पर इसे कैसे पता राजपाल ने मुझे प्यासी छोड़ देता है। , हाँ इसने भी तो राजपाल का लिंग लीया है। भले ही ये आज से 17 साल पहले ही चुदी थी पर जानती है कि बूढ़े महाराज के 4 इंच के लौड़े से क्या होता है।) 

देवरानी: (मन में-अब तुम उस बूढ़े के छोटे से लिंग को खड़ा करती रहना जीवन भर और तीन धक्के में ही खुश रहना, भले ये कद की नाटी है पर चालबाज़ी तो भरपूर है कमीनी।) 

सृष्टि: नहीं, नहीं देवरानी। ये क्या बकवास कर रही हो तुम, अब मैं 48 साल की हो गई हूँ, अब मेरा दिल नहीं करता, वह सब का करने का ।


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देवरानी: (मन में-वह तो तेरा दिल जानता हैै । शुरुष्टि) 

देवरानी: ऐसा क्या! दीदी मुझे तो पता नहीं था।

शुरष्टि: हाँ अब बकवास तुम्हारी ख़तम हो गई हो तो जाओ. मुझे कुछ काम है।

देवरानी को गुस्सा आता है। पर ये बदला लेने का सही समय नहीं था । इसलिए वह वहाँ से चल देती है।

देवरानी जीविका के ओर चल देती है।

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"माँ जी कहा हो आप?"

जीविका अपनी कक्षा से बाहर आते हुए-"हाँ बहु कहो!"

और गुस्से से देखते हुए देवरानी से पूछती है।

"वो माँ जी आपके लिए प्रसाद लायी थी।"

जीविका को उस रात का दृश्य याद आता है जब बलदेव देवरानी के कुल्हो को हाथ से दबा कर देवरानी को गोद में ले रसोई से ले जा रहा था।

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जीविका अपने मन में "देवरानी तू कितनी बड़ी पापिन है। मैंने कभी नहीं सोचा था तुम ऐसा कुछ करोगी। मुझे शर्म आती है अपने ऊपर अब!"

"माँ जी क्या सोच रही हैं। मुझे आशीर्वाद दीजिए । मैं कई वर्षों बाद अपने मायके पारस जा रही हूँ ।"

देवरानी जीविका के पाँव छू लेती है।

जीविका नहीं चाहते हुए भी आशीर्वाद देती है ।

"हाँ हाँ जीती रहो!"


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देवरानी एक कातिल मुस्कान के साथ जीविका की परिस्तिथि समझते हुई खड़ी होती है और जीविका को देखती है। जिसका चेहरा उतरा हुआ था।

देवरानी को जीविका का चेहरा देख कर बहुत ख़ुशी होती है।

जीविका (मन में "मुझे इन दोनों को पाप करने से कैसे रोकना चाहिए, राजपाल को कैसे बतायू की उसकी पत्नी और उसका बेटा अवैध सम्बंध बना रहे हैं।") 

देवरानी सबको प्रसाद बांटती है और फिर कमला को थाली दे कर बोलती है ।

देवरानी: कमला इसे बांट दो!

कमला: क्या बात है। आज बहुत खिल रही हो?


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देवरानी: क्यू क्या मैं रोज़ अच्छी नहीं लगती?

कमला: नहीं महारानी आज ऐसा खिल रही हो जैसे युवराज ने खूब अंदर तक अपने काले से मालिश कर दी हो।

देवरानी: चुप कर पगली...ऐसा कुछ नहीं हुआ।

कमला: तो कैसा हुआ?

देवरानी: बस तुझे तो बताया तो था। बस वहा तक । बिना विवाह के और आगे नहीं जाना ...डर लगता है। कहीं कुछ...?


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कमला: देवरानी कहीं ये डर तो नहीं है कि के कहि युवराज आप को पेट से कर के छोड़ नहीं दे। (तो फिर तुम ना घर की रहोगी ना घाट की) इसलिए पहले उसे बंधन में बाँधना चाहती हो।

देवरानी शर्मा जाती है।

देवरानी: कमला! तू छिनाल है। ...मुझे बलदेव पर पूरा भरोसा है। ...

कमला अरो डरो मत मेरी बहना! बलदेव तुमसे सच्चा प्यार करता है। उसके सामने कोई हूर या परी भी आ जाए तो वह आपको छोड़ उसको देखेगा भी नहीं!

देवरानी: पहले मैं ...!



[Image: md22.jpg]
कमला: मैं समझ रही हूँ महारानी आप सोच रही हो कहीं आगे जा कर उसका मन बदल जाए किसी कुंवारी दुल्हन के लिए और वह विवाह कर ले...पर ऐसा नहीं होगा।

देवरानी: भगवान न करे ऐसा हो, ठीक है। अब मैं चलती हूँ मुझे जरूरो काम है।

देवरानी अपने कक्ष में जाती है और सभा में जाने की तयारी करने लगती है।

धीरे-धीरे सब सभा में पहुँचते हैं और महराजा, महारानी और युवराज सबका जय जयकार से स्वागत होता है।

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10-24-2023, 07:47 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 56-E

पारस जाने की तयारी और यात्रा की शुरुआत  



देवरानी शर्मा जाती है।

देवरानी: कमला! तू छिनाल है। ...मुझे बलदेव पर पूरा भरोसा है। ...

कमला अरो डरो मत मेरी बहना! बलदेव तुमसे सच्चा प्यार करता है। उसके सामने कोई हूर या परी भी आ जाए तो वह आपको छोड़ उसको देखेगा भी नहीं!

देवरानी: पहले मैं ...!



[Image: md22.jpg]
कमला: मैं समझ रही हूँ महारानी आप सोच रही हो कहीं आगे जा कर उसका मन बदल जाए किसी कुंवारी दुल्हन के लिए और वह विवाह कर ले...पर ऐसा नहीं होगा।

देवरानी: भगवान न करे ऐसा हो, ठीक है। अब मैं चलती हूँ मुझे जरूरो काम है।

देवरानी अपने कक्ष में जाती है और सभा में जाने की तयारी करने लगती है।

धीरे-धीरे सब सभा में पहुँचते हैं और महराजा, महारानी और युवराज सबका जय जयकार से स्वागत होता है।



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राजपाल: सेनापति सोमनाथ खड़े हो कर जनता को बताओ!

सेनापति सोमनाथ: देवियो और सज्जनो और घाटराष्ट्र के 20 गांवों से आए हुए हमारे गाँव के सम्मानित मुखिया जनो आप सभी का घाटराष्ट्र के महाराज राजपाल और सेना स्वागत करते हैं। , महाराज ने एक निर्णय लिया है जिस में र आप सबका योगदान जरूरी है। ,

महाराज को घटराष्ट्र के ऊपर आक्रमण होने की आशंका है और इस बात का डर मुझे भी है। राष्ट्र का सेनापति होना मेरे लिए भी सौभाग्य की बात है। पर आप सब जानते हैं। की हम आयत निर्यात में पीछे हैं और घाटराष्ट्र का खजाना भी अब कुछ खास बचा नहीं है और हमें आशंका है दिल्ली से शाहजेब हम परआक्रमण कर सकते हैं और हमे सुचना मिली है कि उनकी सेना उत्तर की ओर निकल गई है। मैं आप सब से निवेदन करता हूँ कि आप सब सेना में शामिल हों क्यू के बादशाह शाहजेब के सैनिक 25000 से कम नहीं है।

क्या आप सब अपने बच्चों को हमारी सेना में घाटराष्ट्र बचाने के लिए भेजेंगे?



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पुरी सभा में लोग एक स्वर में बोलते हैं ।

"हाँ हम अपने बच्चे भेजेंगे और हमारी माँ घाटराष्ट्र की धरती को आक्रमण करने वालो से बचाएंगे ।"

सेनापति: और एक मदद और चाहिए आप सब अपने घर पर जो भी हथियार या लोहा हो आप उसे हमारे हवाले कर दे। हम उन्हें गला कर हमारे सैनिकों के लिए हथियार बनायेंगे।

सेनापति: क्या आप सब हमारा साथ देंगे?

भीड़ में से एक दस वर्ष का बालक आगे अत है और कहता है।

"सेनापति जी मैं एक लोहार का बेटा हूँ और मैं अपने राज्य को बचाने के लिए अपनी आखिरी सांस तक लड़ूंगा! "


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भीड़ में सब एक साथ कहते है।

"जियो लाल !"

"जब राज्य के लिए ये बालक आगे आ सकता है तो हम सब क्यू नहीं?"

वो दस वर्षीय बालक अपने झोले में हाथ डाल कर एक हथोड़ी निकालता है।

"सेनापति जी मेरे पिता लोहार हैं और उनकी ये हथोड़ी में राज को दान करता हूं। "

सेनापति सोमनाथ अत्यंत खुश होते हैं और बालक के पास आकर बोलते हैं ।

सेनापति: इस घाटराष्ट्र के लाल का दान में स्वीकार करता हूँ। लाओ मेरे बच्चे! सेनापति उसके सर पर हाथ फेर कर उसकी हथोड़ी ले लेता है।

सेनापति: आप सब सचेत रहिए अपने-अपने गाँव में । हम सब मिल कर सीमा को चारो ओर से घेर लेंगे।


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सेनापति सोमनाथ: महाराज आप कुछ कहना चाहेंगे।

राजपाल: आज अगर पिता श्री जीवित होते तो वह बहुत प्रसन्न होते। आप सबका धन्यवाद घाटराष्ट्र वासियों और मैं आप सब की और से हमारे अतिथि राजकुमार बद्री जो उज्जैन के युवराज हैं और राजकुमार श्याम जो मेवाड़ से आये है उनका स्वागत करता हूँ।

पूरी भीड कहती है।

"स्वागत है। आप दोनों का अतिथियो!"

बद्री और श्याम, बलदेव और देवरानी की ओर देख मुस्कुराते है।

राजपाल: एक बात और कहना चाहूंगा आज रानी देवरानी अपनी माँ के यहाँ पारस जाने वाली है।

भीड में से एक व्यक्ति उठ कर बोलता है ।

"महाराज क्षमा करें क्या इस परिस्थिति में हमारे सैनिकों को बाहर जाना ठीक है।"

राजपाल देखिये हम इस बात को भली-भाति समझते हैं। इसलिए देवरानी के साथ केवल बलदेव, श्याम और बद्री ही जाएंगे।


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व्यक्ति: महाराज की जय हो!

सबलोग पीछे से कहते हैं। महाराज की जय हो!

सेनापति: महाराज क्या आपको कुछऔर कहना है।

राजपाल: नहीं सभा ख़तम की जाए ।

सेनापति: घटराष्ट्र वासियो सभा खतम की जाती है और अभी से जिनको सेना में शामिल होना है। वह सेना शिविर के मैदान में रुक सकते है।

जय घटराष्ट्र!

पूरी भीड एक साथ कहती है।

"जय घटराष्ट्र !"

धीरे-धीरे जनता जाने लगती हैं और राजपरिवार के सब लोग अपने आसन से उठ कर महल में जाने लगते हैं।

बलदेव के साथ श्याम और बद्री भी जाने लगते हैं। देवरानी भी अपने कमरे में जा चुकी थी।

बलदेव: मित्रो तुम दोनों ऊपर जाओ। मैं माँ को कह दूं तुम दोनों के खाने के लिए कुछ विशेष बनाये।

श्याम: हाँ ठीक है!

श्याम और बद्री ऊपर चले जाते हैं।

बलदेव अपनी माँ के कक्ष में घुस जाता है। देवरानी अपने सामान को जो उसे अपने साथ पारस ले कर जाना था उसे इकट्ठा कर रही थी।



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"मां चलने की तय्यारी शुरू हो गई"

"अरे आओ बलदेव!"

बलदेव देवरानी के रूप को निहारते हुए!

"मां तुम बला की सुंदर लग रही हो"

"अच्छा मेरे राजा!"

बलदेव देवरानी को बाहो में भर लेता है।

देवरानी: जाओ मुझसे बात मत करो!

बलदेव: क्यू माँ क्या हुआ?

देवरानी: मुझे गुस्सा आया है तुम से।

बलदेव: क्यू गुस्सा है। मेरी रानी?

देवरानी: जब मैंने दिया तो तुमने प्रसाद क्यू नहीं खाया?


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बलदेव हसते हुए बोला "ओह तो ये बात है। मेरी रानी।"

बलदेव: देखो माँ मैंने प्रसाद नहीं लिया क्यू के तुम मेरी देवी हो और मेरा मनपसंद प्रसाद लेना मुझे आता है।

बलदेव आगे बढ़ कर देवरानी के होठों को अपने होठों में दबा कर चूसने लगता है।

"उम्म्हा एगललोप्प स्लर्प गलप्प-गलप्प उम्म्म स्लरप्प गैलप्प गैलप उम्म्म्हा रप्प!"



[Image: kis.webp]
ऐसे अचानक हमले से देवरानी संभल नहीं पाती और लंबी सांस लेने लगती है।

एक लम्बी चुम्बन के बाद बलदेव देवरानी के होठ को हल्का काट लेता है। फिर देवरानी के होठ छोड़ता है।


[Image: 54-6.gif]

देवरानी: उफ़ बलदेव ये क्या हरकत है।

बलदेव: माँ प्रसाद देते हुए तुमने मुझे बच्चा कहा था। ये उसकी सजा है।

देवरानी: अच्छा तो इस बात से मुंह गिराए हुए थे तुम और तुमने ये कर के साबित कर दिया की तुम अभी भी बच्चे ही हो।


  जारी रहेगी
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10-24-2023, 07:50 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 56-F

पारस जाने की तयारी और यात्रा की शुरुआत  



एक लम्बी चुम्बन के बाद बलदेव देवरानी के होठ को हल्का काट लेता है। फिर देवरानी के होठ छोड़ता है।


[Image: 54-6.gif]

देवरानी: उफ़ बलदेव ये क्या हरकत है।

बलदेव: माँ प्रसाद देते हुए तुमने मुझे बच्चा कहा था। ये उसकी सजा है।

देवरानी: अच्छा तो इस बात से मुंह गिराए हुए थे तुम और तुमने ये कर के साबित कर दिया की तुम अभी भी बच्चे ही हो।


[Image: kmr-haath.webp]

बलदेव देवरानी को ले कर दीवार से चिपका देता है और उसकी गर्दन को अपने बड़े हथेली से पकड़ लेता है ।

बलदेव: माँ वह तो मैं तुम्हें बताऊंगा की मैं कैसा बच्चा हूँ!

देवरानी हल्का खासी करते हुए  .... !

देवराणु: जान से ही मार दोगे मुझे क्या?

बलदेव अपना हाथ देवरानी की गर्दन से हटा कर देवरानी की बड़ी गांड पर रख कर दबाता है।


[Image: 50-9.gif]

बलदेव: जान से तो नहीं पर किसी और चीज़ से मारूंगा ये!

और बलदेव देवरानी की गांड पर एक थपकी मारता है।

देवरानी लज्जा कर सरा झुका लेती है।

देवरानी: मेरे प्रेमी क्यू गुस्सा हो रहे हो । अगर मैं तुम्हें बच्चा समझती हूँ तो मैं तुम पर भरोसा कर तुम्हें अपना जीवन साथी नहीं चुनती।

बलदेव को अपनी माँ पर प्यार का साथ दया आजाती है।

"मां, मैं आपके इस निर्णय को कभी गलत साबित नहीं होने दूंगा।"

तभी राजपाल आवाज देता है।

"देवरानी ओ देवरानी!"

देवरानी: जी महाराज!

बलदेव अपने हाथ से देवरानी की गांड को पूरी ताकत से दबाता है।

देवरानी: आआआआह!

देवरानी की जोर की आह सुन कर राजपाल देवरानी के कक्ष की ओर आता है।

देवरानी: छोडो बलदेव! राजपाल आरहा है।

देवरानी आकर दरवाजे पर खड़ी हो जाती है और राजपाल वहा से तेजी से चलता हुआ उधर आ गया था पर देवरानी को देख रुक जाता है।



[Image: 54-GRDN.gif]
राजपाल: क्या हुआ ऐसे क्यों चीखी?

देवरानी: महाराज वह मेरे पैर पर ठोकर लग गई थी।

राजपाल: बताओ कहा पर लगी चोट?

तभी बलदेव सोचता है कि अब छुपना बेकार है और दरवाजे के पीछे से निकल कर सामने आता है।

राजपाल: बलदेव तुम यहाँ...क्या कर रहे हो?

बलदेव: पिता जी पारस जाने की तैयारी में माता का हाथ बटा रहा था।

राजपाल: अच्छा बेटा!

बलदेव: अच्छा तो मुझे आज्ञा दीजिये! सामान बाँधना है।

बलदेव वापस दरवाजे के पीछे चला जाता है और राजपाल की आँखों से ओझल हो जाता है।

राजपाल अभी भी अपनी पत्नी देवरानी के दरवाजे के सामने खड़ा होकर बात कर रहा था, जो के दरवाजे और देवरानी से 4 हाथ की दूरी पर था।

राजपाल: सुनो देवरानी श्याम और बद्री को कुछ खिलाया पिलाया की नहीं?

देवरानी दरवाजे पर खड़ी-खड़ी बोलती है ।

"महाराज अभी कुछ देर में ही भोजन बन जाएगा कमला और राधा पकवान बना रही हैं।"


[Image: 49-8.gif]
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दरवाजे के पीछे छिपे बलदेव को शरारत सूझती है और वह किवाड़ के पट से सट कर खड़ी देवरानी की उभरी गांड को देखता है और उसकी गांड को अपने हाथो से सहलाने लगता है। जिसका असर देवरानी के चेहरे पर साफ दिख रहा था और उसके आख बीच-बीच में बंद हो जाती थी ।

राजपाल: और सुनो जितना हो सके तुमको जल्दी वापिस आना है और देवराज को मेरा प्रणाम कहना और मेरी और से साले साहेब से क्षमा मांगना ।

बलदेव देवरानी की गांड सहलाते हुए दबोच कर ज़ोर से मसलता है।

देवरानी: "आआआह" उह!

राजपाल: अब क्या हुआ?

देवरानी: कुछ नहीं वह खड़ी हूँ ना कब से तो मोच दुख रही है।


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राजपाल: ठीक है। जाओ आराम करो!

राजपाल घूम कर जाने लगता है।


बलदेव गांड पर एक थप्पड़ मारता है और इस बार देवरानी ज़ोर से !





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"आआआह!" करती है, जो जाते हुए राजपाल को भी सुनाई देती है।



राजपाल मन में "ये देवरानी पूरी पागल है।"



जैसे ही राजपाल देवरानी की आंखो से ओझल होता है। देवरानी वापस अपने कक्ष में आती है और देखती है कि बलदेव बिस्तर पर लेटा हुआ मुस्कुरा रहा था।



"बलदेव ये क्या बेवकूफी है। अगर राजपाल देख लेता तो?"



"माँ बस मेरा मन था,  मैंने कर दिया।"





"किसी दिन जान चली जाएगी तुम्हारे इस मन के चक्कर में !"



"मां क्यों परेशान हो रही हो? अच्छा बोलो तुम्हें मजा आया या नहीं जब मैंने तुम्हारे पति के सामने तुम्हें मसला तो?"





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देवरानी ये सुन कर लज्जा जाती है। क्यू के अपने बेटे द्वारा अपने पति के सामने ऐसे मसले जाने पर उसे एक अलग, उत्तेज़ना का एहसास हुआ था।



"पर बलदेव !"



"पर वर कुछ नहीं माँ उसकी पत्नी नहीं हो अब तुम और उस बुधु राजपाल को बताना है कि तुम अब मेरी हो उसकी नहीं।"



"बड़े आया मजनू कहीं का! "



"अरी रे मेरी छमिया! वह तो मैं बताऊंगा तुम्हें, कि ये मजनू अपनी लैला को कैसे प्यार करता है।"



"देखूंगी कि ये बादल गरजने वाले हैं या फिर सच में या बरसने वाले हैं..."



बलदेव ये सुन कर देवरानी पर झपट्टता है। देवरानी उससे बच निकलती है।



देवरानी: बेटा संयम रखो! ज्यादा प्रेम दिखागे तो हमारी यात्रा अभी खत्म हो जायेगी।



बलदेव: हम्म्म माँ संयम और नहीं रख पा रहा हूँ!





[Image: 56-SMILE.gif]



देवरानी: चलो जाओ और अपने मित्रो को बुला लाओ ।



बलदेव: क्या कहु...मौसी ने बुलाया है। या भाभी ने?



देवरानी: पागल हो तुम...!



बलदेव: हाँ वह तो हूँ तुम्हारे प्यार में और वैसे भी वह दोनों मेरे दोस्त हैं। श्याम और बद्री तुम्हें आज नहीं तो कल तो तुम्हे भाभी ही कहेंगे।



देवरानी: भाभी नहीं मौसी कहो



बलदेव: तो तुम क्या चाहते हो मुझे वह मौसा कहे!



और बलदेव हसने लगता है।



देवरानी: चुप कर कमीने बातो में तुम से भला कौन जीत सकता है।



बलदेव: माँ वह मेरे मित्र पहले है। बाद में तुम उनकी मौसी हो । मुझे तो पक्का यकीन है वह लोग तुम्हें मौसी नहीं कहेंगे।





[Image: 56-DEV.gif]


देवरानी: तुम्हें ऐसा लगता है तो ऐसा ही होना चाहिए पर बलदेव ये भी हो सकता है। के सच जानने के बाद वह हमारा मुँह भी देखना पसंद न करे।

बलदेव: तो ना करे मुझे किसी का परवाह नहीं जो हमें स्वीकार करे तो ठीक, नहीं करे तो वह मेरा कोई नहीं।

देवरानी: चल जा बाद में बड़ी-बड़ी बात करना । अभी जा कर मित्रो को खिलाओ कुछ।

बलदेव निकल कर अपनी कक्ष में जाता है और कमला से कह कर नाश्ता ऊपर ही मंगवा लेता है। फिर तीनो मित्र मिल कर खाने लगते है।

बलदेव: तो कहो बद्री आज ही पारस के लिए निकले या कल सवेरे?

बद्री: वैसे बलदेव आज ही जाना सही होगा क्यू के महाराज ने कहा है के हमे जल्दी वापस आना है। अन्यथा घाटराष्ट्र के लोग सोचेंगे कि उन्हें लड़ने के लिए कह दिया गया है और खुद अपने परिवार को चुपचाप पारस भेज दिया गया है घुमने के लिए।


  जारी रहेगी
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