महारानी देवरानी
10-24-2023, 07:51 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 56-G

पारस जाने की तयारी और यात्रा की शुरुआत  

देवरानी: तुम्हें ऐसा लगता है तो ऐसा ही होना चाहिए पर बलदेव ये भी हो सकता है। के सच जानने के बाद वह हमारा मुँह भी देखना पसंद न करे।



बलदेव: तो ना करे मुझे किसी का परवाह नहीं जो हमें स्वीकार करे तो ठीक, नहीं करे तो वह मेरा कोई नहीं।




देवरानी: चल जा बाद में बड़ी-बड़ी बात करना । अभी जा कर मित्रो को खिलाओ कुछ।




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बलदेव निकल कर अपनी कक्ष में जाता है और कमला से कह कर नाश्ता ऊपर ही मंगवा लेता है। फिर तीनो मित्र मिल कर खाने लगते है।

बलदेव: तो कहो बद्री आज ही पारस के लिए निकले या कल सवेरे?

बद्री: वैसे बलदेव आज ही जाना सही होगा क्यू के महाराज ने कहा है के हमे जल्दी वापस आना है। अन्यथा घाटराष्ट्र के लोग सोचेंगे कि उन्हें लड़ने के लिए कह दिया गया है और खुद अपने परिवार को चुपचाप पारस भेज दिया गया है घुमने के लिए।


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बलदेव: हम्म सही कह रहे हो बद्री!

श्याम: भाई. इसका मतलब इन हालात में हम ज्यादा दिन पारस नहीं रुक पाएंगे।

बद्री: 2 से 3 दिन श्याम उससे ज्यादा नहीं।

श्याम: इतने दिन में हम पूरा पारस कहाँ घूम पाएंगे

बद्री: श्याम तुम्हें बस घुमना और खाना सूझता है। यहाँ राष्ट्र पर आक्रमण की आशंका है।

बलदेव: श्याम चिंता मत करो फिर कभी हम जाएंगे तो घूम आएंगे वैसे भी पारस तो मेरा ननिहाल है।

 (मन मैं: और अब तो ससुराल भी पारस ही है।) 

और मुस्कुराता है।

ऐसे ही दोपहर का समय हो जाता है । चारो अपनी यात्रा पर साथ ले जाने वाला हर समान अच्छे से त्यार कर एक जगह रखने लगते हैं और फिर दोपहर के भोजन का समय हो जाता है।


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श्याम, बद्री, राजपाल, जीविका, सृष्टि, और बलदेव सब आसन पर बैठ भोजन की प्रतीक्षा कर रहे थे। देवरानी कमला और राधा मिल कर हर तरह के व्यंजन परोसती है।

श्याम: मुझसे तो रहा नहीं जा रहा! देवरानी मौसी के हाथों का व्यंजन खाने के लिए बहुत भूख लग रही है!

बलदेव: माँ सबसे पहले श्याम को दो इसे बहुत भूख लगी है।

देवरानी कमला से पनीर की सब्जी ले कर श्याम के थाली में रखती है और फिर बलदेव को पूछती है।

"खाओगे क्या पनीर"

देवरानी का पल्लू सरक जाता है और उसके दूध साफ दिखने लगते हैं।



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बलदेव जैसे देवरानी के स्तनी के बीच की गहरी घाटी में खो जाता है।

बलदेव देवरानी के वक्ष को देखते हुए कहता है ।

"दो ना माँ मुझे खाना है।"

देवरानी पनीर की सब्जी रख देती है उसकी थाली में और एक अदा से मुस्कुराती है और फिर सबको बांटने लगती है।

बद्री जो बगल में बैठा भोजन कर रहा था। अपने चतुराई से दोनों का नैन मटक्का देख लेता है और सोच में डूब जाता है।


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बलदेव: पिता जी हमें तय किया है। के हम अभी भोजन के तुरंत बाद पारस के लिए यात्रा पर निकल जाएंगे।

राजपाल: हाँ ठीक है। जाओ पर जल्दी वापिस आना है। इस बात का भी ध्यान रखना बलदेव की इस समय राष्ट्र पर आक्रमण की आशंका है ।

जीविका खाने की कोशिश कर रही थी पर उसके हलक से खाना अंदर नहीं जा रहा था।

जीविका: (मन में-बता दू क्या राजपाल को ...पर कैसे बताऊ?

देवरानी: आप चिंता मत करें महाराज हम सही समय पर लौट आएंगे!


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जीविका: बहु तुम्हें कब से सही गलत की पहचान हो गई और एक घूरती हुई नजर से बलदेव की ओर देखती है।

बलदेव को समझ में नहीं आता है। के दादी क्यों अंदर से इतना गुस्सा है।

बलदेव: दादी मैंने वह बात माँ को बताई है जो आपने मुझे सिखायी थी।

जीविका: क्या?


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बलदेव: हाँ दादी आप ने बहुत दुनिया देखी है और आपने समझाया था।की जब दिल और दिमाग में द्वन्द हो तो अपनी खुशी के लिए हमे हमेशा अपने दिल की सुननी चाहिए ...अब जब भी मुझे निर्णय लेना होता है तो मैं हमेशा अपने दिल की सुनता हूँ। आपका धन्यवाद दादी।

जीविका को अपनी कही हुई बात याद आती है और कहीं ना कहीं उसका दिल अपने पोते, जिसको वह जान से ज्यादा चाहती थी उसकी बात मानने लगता है ।

बलदेव आदि आज अब आप चल कर आकर हमारे साथ भोजन कर रही हैं तो मैं बहुत खुश हूँ।

जीविका: (मन में-बलदेव सही तो कह रहा है। आज बलदेव के कारण से ही मेरे पैर थोड़े ठीक हुए हैं नहीं तो बलदेव के आने से पहले मुझे कोई पूछता भी नहीं था और मैं एक जगह अकेली चुपचाप सोयी रहती थी।

जीविका बहुत कठिन परिस्थिति का अनुभव कर रही थी । एक तरफ उसके बेटे राजपाल का घर उजड़ रहा था। दूसरे ओर उसके पोते का घर बस रहा था।

जीविका एक बार राजपाल को देखती है। फ़िर बलदेव को देखती है। बलदेव के आखो में उसे देवरानी के लिए बेशुमार प्यार दिखता है।


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जीविका देवरानी को देखती है। देवरानी अपना सारा झुकाये दुखी मन के साथ बैठी थी । उसकी आँखों में आसु भरे हुए थे और जैसे जीविका को कह रहे हो के "कृपया कर के हमारा साथ दीजिए. मैं बहुत दुखी हूँ।"

बलदेव चुप्पी तोड़ते हुए बोलता है

बलदेव: दादी खुशी पाने के लिए कभी-कभी कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ता है।

जीविका फिर देवरानी की ओर देखती है। जो अपने आखो में आसु भरे हुए जीविका की ओर एक आस से देख रही थी।

देवरानी: बलदेव तुम्हारे पास तो दादी थी जो तुम्हें ज्ञान दे रही थी पर मेरे पास ना दादी थी ना माँ बाप जिन्होंने मेरी परवरिश की उनका भी देहांत हो गया था ।

जीविका को ये बात सुई की तरह चुभती है।

जीविका का दिमाग दुखने लगता है के आखिर वह किस मोड़ पर फंस गई है। वह अपना सर नीचे कर के खाने लगती है।

सब भोजन समाप्त कर के उठते है।

जीविका अपनी कक्ष में जाने लगती है।

बलदेव: रुको दादी हम अब निकलेंगे आशीर्वाद नहीं दोगी?


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बलदेव और देवरानी दोनों साथ में जीविका के पैर पकड़ कर आशीर्वाद लेते हैं।



जीविका को ना चाहते हुए भी आशीर्वाद देना पड़ता है।

"सदा ख़ुश रहो!"

जीविका अपना बैसाखी को लिए अपने आंखो में आसु के लिए अपने कक्ष में चली जाती है।

जीविका अपने कक्ष में जा कर

"हे भगवान ये कैसी स्थिति है। मैं अपने बेटे का साथ नहीं दे सकती हूँ कहीं ये देवरानी को जो जीवन भर दुख हुआ है वह तो नहीं रोक रहा मुझे।"

और उसके आँखों से आसु गिरने लगते हैं।

सेनापति सोमनाथ चार घोड़ों को तैयार कर चारो पर सैनिकों से सामान बंधवा रहा था। अंदर बलदेव देवरानी और श्याम और बद्री त्यार र हो रहे थे।



[Image: horse1.gif]
शुरष्टि अपने कक्ष में आकर अपना रखा पिटारा खोलती है। तो उसमे अब भी सांप अपने जहर के साथ मौजुद था।

सृष्टि: देवरानी तेरी ये अंतिम यात्रा होगी और उसके बाद मैं तेरे बेटे को भी मारवा दूंगी। हाहाहाहा!

सृष्टि त बड़ी चालाकी से पीटारी छुपाये बाहर आती है। तो देखती है। दो सैनिक और सेनापति सोमनाथ घोड़े पर समान बाँध रहे थे और घोड़े को उसका चारा दे रहे थे।

शुरुष्टि: उफ़ अब क्या करु

फिर कुछ सोचते हुए

शुरुष्टि: सेनापति सोमनाथ!

जारी रहेगी
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10-24-2023, 07:52 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 56-H

पारस जाने की तयारी और यात्रा की शुरुआत  


सेनापति सोमनाथ चार घोड़ों को तैयार कर चारो पर सैनिकों से सामान बंधवा रहा था। अंदर बलदेव देवरानी और श्याम और बद्री त्यार र हो रहे थे।



[Image: horse1.gif]
शुरष्टि अपने कक्ष में आकर अपना रखा पिटारा खोलती है। तो उसमे अब भी सांप अपने जहर के साथ मौजुद था।

सृष्टि: देवरानी तेरी ये अंतिम यात्रा होगी और उसके बाद मैं तेरे बेटे को भी मारवा दूंगी। हाहाहाहा!

सृष्टि त बड़ी चालाकी से पीटारी छुपाये बाहर आती है। तो देखती है। दो सैनिक और सेनापति सोमनाथ घोड़े पर समान बाँध रहे थे और घोड़े को उसका चारा दे रहे थे।

शुरुष्टि: उफ़ अब क्या करु

फिर कुछ सोचते हुए

शुरुष्टि: सेनापति सोमनाथ!

सेनापति सोमनाथ: जी महारानी

शुरष्टि: आपको महाराज ने बुलाया है। कुछ काम से!

सेनापति सोमनाथ: जी महारानी

सोमनाथ अपना काम छोड़ महल के अंदर चला जाता है।

शुरुष्टि: सैनिको ये किस किसके घोड़े है।

सैनिक: महारानी ये भूरा वाला युवराज श्याम का है। ये काला घोड़ा पर युवराज बलदेव जायेंगे और ये वाले काले घोड़े पर युवराज बद्री

शुरष्टि आर ये सफ़ेद घोड़े पे?

सैनिक: महारानी ये सफ़ेद घोड़े पर रानी देवरानी जायेंगी।

सृष्टि एक कातिल मुस्कान देते हुए

शुरुष्टि: आह! मेरा गला सुख रहा है। सैनिको जरा पानी लाना।

सैनिक पहला: तुम जाओ ले आओ पानी!

सैनिक दूसरा: नहीं मेरा काम अब होने वाला है। तुम ले आओ!

शुरष्टि: गधो दोनों जाओ एक साथ और पानी लाओ अन्यथा।

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दोनों सैनिक डर जाते है और भागने लगते हैं। श्रुष्टि मौका देख पीटारा खोल सांप को देवरानी के घोड़े पर बंधे झोले में रख देती ह और पीटारा छुपा लेती है।



दोनों सैनिक भाग कर पानी लाते हैं।

सैनिक: ये लीजिये महारानी पानी

सृष्टि: तुम दोनों ने इतनी देर कर दी की मेरी प्यास ही ख़त्म हो गई

और सृष्टि वापस महल में जाने लगती है।

सैनिक: अरे इतनी जल्दी तो ले आये फिर भी महारानी के नखरे देखो!

दोनों सैनिक एक दूसरे का मुंह देख अपना बाकी का काम करने लगते हैं।

सब तैयार हो कर महल के बाहर आते हैं। जहाँ पर उनका घोड़ा त्यार खड़ा था। देवरानी सब से विदा लेती है।

सृष्टि हल्का रोने का नाटक करती है।

"देवरानी अपना ख्याल रखना।"

सृष्टि: (मन में: वापस मत आना कलमुही देवरानी) 

देवरानी: हाँ दीदी आप भी अपना ध्यान रखना।
राजपाल: देवरानी साले साहब से मेरा प्रणाम कहना मत भूलना।

देवरानी (मन में असल जीजा को तो मैं साथ ले जा रही हूँ तुम्हारे प्रणाम का क्या करूं।) 

सृष्टि (मन में: बुधु राजपाल देवरानी ने देवराज का जीजा ही बदल दिया है। अब भी भ्रम में हो तो रहो ।) 

कमला: महारानी अपना ख्याल रखना!

देवरानी: तुम भी अपना ख्याल रखना!


[Image: raj-dev-bal.jpg]

बलदेव अपने पिता के चरण छू कर आशीर्वाद लेता है और फिर सब बारी अपने घोड़े पर बैठने लगते हैं और सब अपने घोड़े को लगाम खींचते हैं।

राजपाल और श्रुष्टि अंदर चले आते है।

शुरष्टि: आख़िर बला टली!

राजपाल: पर मुझे तो अब भी उनके ऊपर हमारे शत्रु के हमले का डर है।

शुरुआत: तो मर जाने दो माँ बेटे को वह कौन-सा आपकी बात माने!

राजपाल: तुम सही कह रही हो सृष्टि वह मुझे नहीं समझती तो मैं क्यू उसके बारे में सोचु!

इधर बलदेव अपनी माँ और मित्रो के साथ तेज गति से घोड़े पर सवार होकर देश की सीमा पार कर लेता है। घोड़े को दौड़ाते हुए शाम हो जाती है।


[Image: HORSE-RIDE3.jpg]

बलदेव अपना हाथ दिखा कर सबको धीरे होने का इशारा देता है। सब रुक जाते हैं।

बलदेव: बद्री अँधेरा हो गया है। अब हमें मशाल जला लेनी चाहिए

बद्री: ठीक है। बलदेव

बद्री मशाल जलाने लगता है।

बलदेव: अब हम सब आगे पीछे चलेंगे । सबसे आगे बद्री मशाल के लिए चलेगा उसके पीछे श्याम उसके पीछे माँ और उसके पीछे मैं!

देवरानी घोड़े पर बैठी अपने बेटे की बुद्धिमानी पर गर्व महसुस कर रही थी।

बद्री मशाल जला कर आगे आता है।

बलदेव: ध्यान रहे हम दिल्ली के पास हैं। हमें आबादी से बच कर जंगल से हो कर आगे बढ़ना है और ये पूरे चंद्रमा की रोशनी भी आज हमारे साथ है।

अब बद्री हाथ में मशाल लीए हुए था घोड़े की लगाम उसके दूसरे हाथ से थी। वह घोड़े को भगाता है। उसके पीछे श्याम उसके पीछे देवरानी और बलदेव अपने घोड़ो को दौड़ा देते हैं ।

रात 10 बजे बलदेव की आवाज से बद्री अपना घोड़ा रोकता है।

बलदेव: बद्री आधी रात होने को है। हमें अब कुछ खा कर आराम करना चाहिए.

श्याम: हाँ मैं भी थक गया । अब कुछ खाना चाहिए.

बलदेव: क्या कहती हो माँ?

देवरानी एक मुस्कान के साथ "खिला दो मुझे भी।"

बद्री: महल में भी मौसी कुछ अलग अंदाज से बलदेव को अपना पल्लू हटा कर दिखा रही थी और मुस्कुरा रही थी और अब भी । क्या मैं जो सोच रहा हूँ वह सही है?

बद्री: मौसी खाने का झोला मेरे पास है। आ जाओ सब भोजन करते हैं।

बलदेव: यहाँ पास ही झरना है और हम किसी गांव् के करीब हैं। तुम सब गौर से देखो खेत के उस पार द्वारा पर दिये जल रहे हैं।

देवरानी: हाँ यहाँ ठण्ड भी बहुत अधिक है।

बलदेव: बद्री यही अपना रात का पसंदीदा शिविर घर बनाया जाए।

बद्री: हाँ क्यू नहीं!

देवरानी: शिविर घर और यहाँ क्या कर रहे हो तुम लोग?


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बद्री: हम दो शिविर बना सकते हैं।

बद्री हथौड़ी निकाल कर अपने हाथ से  तम्बू बनाने लगता है।

अब सब समझ जाते हैं। के उनको क्या करना है और देवरानी भी हाथ बटाने लगती है। और देखते ही देखते दो तंबू बन के तैयार हो जाते हैं।

देवरानी: वाह ये शिविर तो हुबहू घर जैसा बन गया।

बद्री: मौसी ये सब हमारे गुरु ने सिखाया है।

फ़िर सब वही बैठ कर चटाई पर खाना खाते है और घोड़ो को भी चारा देते हैं और छोटा-सा लालटेन जला कर दोनों तंबू में रख लेते हैं।

खाना खाने के बाद सब इधर उधर की बातें करने लगते हैं।


[Image: CAMP-FIRE.gif]

बलदेव पास के एक वृक्ष से सूखी लकड़ीया तोड़ लेता है और उसे जला देता है।

बलदेव: अब इनसे हमें गर्मी महसूस होगी और रात में जानवरों से भी बचाव होगा

ये सब करते हुए 11 बज जाते है।

देवरानी: मेरा बदन टूट रहा है। वर्षो बड़ी घुड़सावरी की है मुझे सोना है और बलदेव की और देखती है।

बलदेव समझते हुए

तो मित्रो अब हमें सोना चाहिए फिर हमें भौर होते ही फिर पारस की ओर जाना है।

बद्री: हाँ सो जाते हैं। भाई. अब दो तंबू है। पर दोनों छोटे हैं। , मौसी एक तंबू में सो जाएगी और हम तीनो एक तंबू में सो जाते हैं। ऐसे भी हम आचार्य जी के वहाँ भी साथ ही सोते थे।

देवरानी ये सुन कर बलदेव की ओर निराशा से देखती है।

बलदेव: बद्री बात ये है। ना मित्र के माँ को अकेला डर लगेगा अकेले में । तो मैं माँ के पास सो जाता हूँ।

बद्री (मन में: कुछ तो गड़बड़ है।) 

श्याम: हाँ चलेगा मैं और बद्री इस तंबू में सो जाते हैं।

देवरानी: हाँ मैं बलदेव के साथ सो जाती हूँ।

बद्री: ठीक है। ठीक है।


[Image: KIS-FRENCH.gif]

सब अपने घोड़े को अच्छे से बाँध कर बिस्तर लगा कर तंबू में घुस कर परदे से तंबू बंद कर लेते हैं।

श्याम और बद्री अपने राज्य की कहानी बता रहे थे वही देवरानी के बगल में बलदेव ऊपर की तरफ देख रहा था।

"बलदेव क्या सोच रहे हो राजा?"



"मां मैं यही सोच रहा हूँ कि कभी सोचा नहीं था। तुम मेरी हो जाओगी आज ऐसा लग रहा है जैसे कि हम दुनिया से दूर हैं। आजाद बिना किसी बंधन के!"

"हाँ बलदेव मुझे भी वर्षों बाद सुकून मिल रहा है।"

बलदेव और देवरानी अपने अतीत से जुड़ी हर बात कर रहे थे

आधे घंटे बाद

"बलदेव क्या हुआ आज मौका है। तो हाथ नहीं मारोगे"

बलदेव तंबू से बाहर आता है और देखता है। बद्री और श्याम सो रहे



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बलदेव फिर तंबू में आकर देवरानी से चिपक जाता है।

"महारानी देवरानी बोलो ना मेरी पत्नी बनोगी?"

"बना पाओगे तो मेरी हाँ है। मैं इस चंद्रमा को साक्षी मान कर कह रही हूँ।"

बलदेव की आंखो में दिखती है।

बलदेव उसको आलिंगन में लेते हुए देवरानी के होठों पर चूमता है।

बद्री जिसके दिमाग में शक हो गया था। उसने बलदेव की आहट सुन लिया था और जब बलदेव आया था। तो नकली खर्राटे लेने लगा था।


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बद्री श्याम को सोता हुआ छोड़ बाहर निकलता है और जैसा वह देवरानी के तंबू की ओर देखता है। उसके पैरो से ज़मीन निकल जाती है। लालटेन की रोशनी से परछाई बनी हुई साफ़ दिख रहा था कि बलदेव और देवरानी क्या कर रहे हैं।


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परछाई से साफ़ पता चल रहा था को दोनों एक दूसरे को चूम रहे हैं। बद्री का दिमाग कम करना बंद करने लगता है और वही बूत बना खड़ा उन्हें चुंबन करते देख रहा था...

 जारी रहेगी
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10-24-2023, 07:57 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी 

अपडेट 57-A

असंभव नहीं सत्य  

बद्री बूत बना खड़ा सामने उनकी परछाईया देख रहा था। अंदर जो खेल खेला जा रहा था उसका तंबू में उनकी परछाई से साफ पता चल रहा था। वह एक माँ बेटे के बीच नहीं खेलना जाना चाहिए था इसलिए बद्री गुस्से से लाल हो जाता है।


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बद्री (मन में: अभी पूछता हूँ बलदेव को, ये सब करने के लिए उसे मौसी ही मिली थी और मौसी भी तो सावित्री बनती थी, मुझे अब घृणा हो रही है।) 

किसी तरह बद्री गुस्से को काबू किये हुआ खड़ा था। फिर कुछ सोच के वापस तंबू में जाता है और अपना सामान एकत्रित करने लगता है और इस आवाज़ से श्याम जग जाता है।

"क्या हुआ बद्री इतनी रातें गए तुम क्या कर रहे हो?"


[Image: 57-pack.gif]

"श्याम मैं वापस जा रहा हूँ। मैं और आगे नहीं जा सकता मित्र!"

"बद्री क्या हुआ भाई? ऐसा क्या हुआ जो आधी रात तुम वापिस जाने की बात करने लगे?"

ये सुन कर बद्री श्याम का हाथ पकड़ कर तंबू को बाहर लाता है।


"ये देखो इस अधर्मी बलदेव को क्या कर रहा है! मुझे तो इसे अब मेरा मित्र कहते हुए भी घृणा हो रही है।"


 [Image: TENT-KIS2.gif]

श्याम तंबू की परछाई को देखता है और वह भी चौक जाता है और उसके मुँह से निकलता है।


 [Image: TENT-KISS.gif]

"असंभव!"

"असंभव नहीं है। श्याम ये जो देख रहे हो तुम! वही सत्य है।"

ये कह कर गुस्से में बद्री वापस तंबू में आ जाता है।

बद्री को गुस्से में देख श्याम उसके पीछे आता है।

श्याम: सुनो भाई. इतनी रात गए तुम अकेले कहा जाओगे?

बद्री: हे भगवान मैंने क्या पाप किया था। जो मुझे आज ये सब देखना पड़ रहा है।

श्याम: होश में आओ बद्री, तुम कहीं नहीं जाओगे!

बद्री: श्याम तुम्हें यकीन हो रहा है। इतनी सती सावित्री और पतिव्रता महिला ऐसा भी कर सकती है। जरूर उनके साथ ये ठरकी बलदेव जबरदस्ती कर रहा होगा

श्याम: पागल हो तुम अगर मौसी के साथ ज़ोर से जबरदस्ती करता बलदेव तो इतना चुप चाप नहीं रहती मौसी?



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बद्री: तुम समझ नहीं रहे श्याम हमारे माँ जैसी थी वो!

श्याम: देखो हम जंगल में हैं और हमारे दुश्मनों के करीब भी। अगर तुम अभी कोई भी कदम उठाओगे, तो सोच लो नुक्सान तुम्हारा ही होगा और लाभ कोई नहीं!


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बद्री: मुझे डराओ मत! श्याम! मुझे अपनी जान की परवाह नहीं है पर मैं इस पाप को अपने सामने सहन नहीं कर सकता ।

श्याम: तू ज़िद्दी है। ऐसा नहीं मानेगा, तुझे हमारी दोस्ती की कसम है। अगर तू यहाँ से गया तो हमारी दोस्ती खत्म!

बद्री: तू पागल है। क्या श्याम?

श्याम: चल अपना झोला रख और सो जा अभी । और अगर मौसी और बलदेव अवैध सम्बंध बना रहे हैं। तो आपसी सहमति से ही बना रहे है। ऐसा मुझे लग रहा है।

बद्री: हाँ! मैंने भी इनके इशारे और नैन मटक्का महल में भोजन करते समय देखा था।



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श्याम बद्री के कंधों पर हाथ रख कर उसको पानी पीने के लिए देता है।

श्याम: देखो बद्री! अगर तुमको इतना दुख है इस बात का, तो कल सुबह बलदेव से इस बारे में पूछ लेंगे। मुझे भी कोई अच्छा नहीं लगा ये सब देख के. फिर आगे का निर्णय लेते हैं ।

बद्री: हाँ तुम सही कह रहे हो मैं तो बलदेव से इसका उत्तर ले कर रहूंगा।

श्याम: हाँ तो अब सो जाते हैं।

फिर दोनों-दोनों सोने की तय्यारी करने लगते है ।

श्याम: तुझे याद है। हम घरेलू और पारिवारिक चुदाई की कहानियो की पुस्तके पढ़ते थे।

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बद्री: हाँ! श्याम!

श्याम और हमने बलदेव को वह पढ़ने के लिए पुस्तक दी थी।

बद्री: तुम कहना क्या चाहते हो?

श्याम: कही ये उसका ही तो असर नहीं है।

बद्री: हम तो कहानिया मजे के लिए पढ़ते थे, पर बलदेव ने तो इतिहास रच दिया।

श्याम: हाँ! मुझे भी यही लगता है कि एक बार बलदेव जो हम से भी समझदार है। ये जानना जरूरी है कि उसकी सोच क्या है ये सब के पीछे, बलदेव ने तो उन कहानीयो को जैसे जीवन दे दिया हो। जब कहानी में इतना मजा आता था। तो उसको वास्तव में कितना मज़ा आ रहा होगा।

बद्री: चुप कर और सो जा!


[Image: 57-kis.gif]
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तभी दोनों के कानों में चप-चप चू चू की आवाज आती है। दोनों को लगता है कही आसपास कोई जानवर तो नहीं। फिर दोनों खामोशी से आवाज की दिशा में देखते है तो ये आवाज है बलदेव और देवरानी के तंबू से शुरू हो रही थी जो निश्चित तौर पर एक दूसरे को चूमने की ही थी।

ये दोनों समझ जाते हैं और श्याम बद्री की ओर देख एक मुस्कान देता है और इशारे से कहता हैं। सो जाओ!

बद्री गुस्से से अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लेता है और दोनों सोने की कोशिश करने लगते है।

इधर दूसरे तंबू में बलदेव इस सब से बेख़कर देवरानी को बेतहाशा चूमे जा रहा था।


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flip a dice

"गैल्पप्प गैलप्प स्लरप्प"

"आह मेरे राजा!"

"उम्म्मह गल्प!"

"मेरी रानी! "


जारी
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10-24-2023, 07:58 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी 

अपडेट 57 B

असंभव नहीं सत्य  


"गैल्पप्प गैलप्प स्लरप्प"

"आह मेरे राजा!"

"उम्म्मह गल्प!"

"मेरी रानी! "



[Image: 57-04.gif]
"गलप्पप्पप्प गलप्पप्प-गलप्पप्प गलप्पप्प गलप्पप्प गैल्प्प गैल्प्प्प्प गैल्प्प्प्प!"

"देवरानी मेरी रानी! तू बनेगी मेरी पत्नी?"

"हाँ! मेरे राजा बनूंगी तेरी पत्नी नहीं धर्म पत्नी!"


[Image: 54-6.gif]

बलदेव देवरानी को खूब चूम और चूस रहा था और देवरानी भी उसका खूब साथ दे रही थी।

देवरानी अब उसके ओंठ छोडती है। उसकी सांस फूलने लगी थी ।

"राजा आराम से कहीं वह दोनों सुन ना ले" !


[Image: 57-boobs.gif]


देवरानी की चुन्नी हट जाने से उसके दोनों बड़े वक्ष उसके सांसो के साथ ऊपर होते नीचे होते हुए साफ़ दिख रहे थे।


 [Image: 57-breathe.gif]

बलदेव हाथ पकड़ कर "इधर आ मेरी जान!"

उसके दोनों वक्षो को ऊपर नीचे होते हुए देखता है ।

[Image: 57-breathe2.gif]



और अपने दोनों हाथ बढ़ा कर उन्हें महसूस करता है।

"माँ क्या पपीते है। तेरे आह मजा आ गया!"


[Image: boob-hand.gif]
उसके दोनों स्तनों को खूब दबाने लगता है।


[Image: 57-2.gif]
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"आह राजा!" देवरानी अपने स्तनों को सहलाने से आनंदित होती है और बलदेव को सहलाने लगती है।

"देवरानी इधर आ मेरे पास!"

"हा मेरे राजा!"


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बलदेव: "आ ना मेरे रानी! मेरी गोद में बैठ ना!"

देवरानी इशारा समझ जाती है और बलदेव की तरफ अपना बड़ी गांड करती है।



[Image: 57-3.gif]

"हाँ लाना ये तरबूज़ जैसी गांड में गन्ना डाल दू और अपना रस छौड दू इसमें!"

"गंदा बलदेव!"

"अभी बताता हूँ कितना गंदा हूँ मेरी रानी!"

जारी
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10-24-2023, 08:00 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी 

अपडेट 57 C

असंभव नहीं सत्य  


"हाँ लाना ये तरबूज़ जैसी गांड में गन्ना डाल दू और अपना रस छौड दू इसमें!"

"गंदा बलदेव!"

"अभी बताता हूँ कितना गंदा हूँ मेरी रानी!"

बलदेव देवरानी की गांड पर अपना लंड लगा देता है और देवरानी अपनी गांड पीछे कर मजा कर रही थी बलदेव खूब मन से अपना लौड़ा उसके नितम्बो की दरार में मसल रहा था।

देवरानी को अब हल्का झुका कर बलदेव अपने दोनों हाथ आगे ले वक्षो के बीच ले जाता है।

"आह रानी! तुम्हारे ये दोनों तरबूज़ो का रस पीना है। ...पिलाओगी ना"



[Image: 57-b1.gif]
64 sided die
बलदेव खूब अच्छे से दोनों भारी स्तनों का मर्दन कर रहा था।

"अई हा! मैं मर गई! उफ़ हे भगवान!"

"आह माँ!"

"हाय दय्या मेरे दूध उफ़ आह!"


[Image: 57-b2.gif]

"बोलो ना दोगी ना! इस का दूध पीने अपने पति को! अपने बेटे बलदेव को?"

"हाय मेरे पति ही नहीं तुम मेरे पति परमेश्वर हो । सब कुछ ले लो। जो चाहो वह कर लो!"

"समय आने दो!"

"हाँ मुझसे विवाह कर लो ना, बलदेव मुझे अपनी बना लो!"

[Image: 57-5.gif]

"बना लूंगा! तुझे अपनी पत्नी जरूर बना लूँगा! मेरी जान भरोसा रखो!"

"बलदेव! तुम्हारे ही तो भरोसा है अब! मुझे और नहीं रहा जाता है। मेरे राजा आह!"

बलदेव अब भी खूब अच्छे से दूध दबाये जा रहा था और साथ में देवरानी की झुकी हुई गांड की दरार में अपना खड़ा कड़ा लंड रगड़ रहा था।

[Image: 57-7.gif]

"आहह राजा ऐसे ही, करो! करते रहो!"

"मुझे पत्नी बना लो रोज़ भूल दूंगी इससे भी ज़्यादा"

"मुझे पता है। मेरी माँ के तुम डालने नहीं दोगी बिना विवाह किये!"

बलदेव अब ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड रगड़ रहा था। फिर देवरानी की गांड को बलदेव एक हाथ पकड़, अपना लंड दुसरे हाथ से पकड़ कर देवरानी की गांड से सीधा अपना लंड उसकी चूत पर सटा देता है।

[Image: 57-kis2.gif]
"आह राजा ये लोहे-सा गरम है।"

"तुम्हारा चूल्हा भी भट्टी बना पड़ा है।"

"आह राजा!"

बलदेव की ऐसी चुत पर लंड रगड़ने से देवरानी का पानी चुत से बाहर आ जाता है।

"आआआआआह बलदेव" देवरानी इस बार अपने आप को रोक नहीं पाती और चिल्ला देती है।

[Image: 57-n1.gif]
बलदेव देवरानी को चिल्लाता देख सीधा अपना लौड़ा उसकी चूत के छेद पर रख वस्त्र के ऊपर से ही घुसाने की कोशिश करता है।

"आह मैं तुम्हें पत्नी बना कर ऐसे ही भोगूंगा! और तुम ऐसे ही चिल्लाओगी!"

अब बलदेव का लौड़ा भी खूब पानी छोड़ने वाला था।

"भोग लेना बेटा!"


[Image: 50-6.gif]

बलदेव देवरानी के दोनों बड़े पपीतो को दबाते हुए फिर उसके चेहरे पर, फिर उसकी गर्दन पर चुम्मो की बरसात कर देता है। "

"आह्ह्ह्ह देवरानी, मेरी पत्नी, मेरी रानी, मेरी जान!"

और बलदेव अपना आख बंद कर देवरानी गले लग जाता है और उसका लंड बड़ी जोर की पिचकारी उसकी धोती पर मारता है।

बलदेव निढाल हो कर देवरानी के बगल में लेट जाता है।

देवरानी: क्यू थक गये मेरे राजा?


[Image: 54-5.gif]

बलदेव अपना हाथ आगे बढ़ा कर देवरानी की एक चुची पकड़ कर मसलने लगता है।

"मां तुम्हें प्यार कर के मैं कभी थक नहीं सकता!"

"चल जाओ बहुत देखे है, तुम्हारे जैसे।"

"मां सुबह हमे जल्दी निकलना है और अँधेरा छटते ही पारस की ओर निकल जाना है।"

देवरानी भी अब सीधा लेटा रहता है ।

"मेरे राजा! आज चाँद के नीचे खुले में तुमसे प्यार कर के बहुत मज़ा आया।"

ऐसा है तो बस हमारी शादी विवाह हो जाने दो फिर तुमको बताओ चाँद के नीचे प्यार करना किसे कहते है। मेरी रानी! "


[Image: HUG2.gif]

"क्यों ऐसा क्या करेगा तू?"

"तेरे पिछवाड़े में अपना डंडा डाल के तुझे ठोकूंगा । मेरी पत्नी तो बनो, फिर देखना!"

देवरानी शर्म और लाज से अपना सर झुका कर नज़रे बचाने लगती है।

"चल हट गंदे कमीने!"

और फिर दोनों सो जाते है।

इधर घटराष्ट्र में दोपहर से सोच में डूबा हुआ था सेनापति सोमनाथ।

सेनापति सोमनाथ: "क्या करूं मैं ये गुत्थी सुलझाने के लिए कहा जाऊँ? आखिर ये सब करने की वजह क्या हो सकती है।"

महल के सामने सेना के लिए उद्यान और वही पास में सेना गृह था। जहाँ पर सेनापति के लिए खास कक्ष था।

सोच में डूबा हुआ सोमनाथ बाहर निकल कर अपना अश्व पर बैठ घाटराष्ट्र के मुख्य बाज़ार की ओर चल देता है।



[Image: horse1.gif]
सोमनाथ ने कहा, "आखिर ये कौन था। जो महारानी श्रुष्टि से मिलने आया था। उसका रानी देवरानी को मारने की साजिश में उसका ही हाथ है...? ।"

"पर महारानी श्रुष्टि रानी देवरानी को क्यू मारना चाहती है।"

सोमनाथ मुख्य बाज़ार में ले जा कर अपना घोड़ा एक ओर बाँध देता है।

बाज़ार में शौर था। हर तरफ दुकान थी दौड़-दौड़ कर लोग अपनी खरीददारी करने आये थे।

सोमनाथ: अब उस दिन जो आदमी रानी सृष्टि से मिलने आया था वही असली बात बता सकता है पर उसको ढूँढू कैसे?

सोमनाथ बीच बाज़ार में खड़ा सोच रहा था। उसे बाज़ार में हर फल वाले और सब्जी वाले खरीददारी करने के लिए अपनी तरफ बुला रहे थे ।

तभी सोमनाथ के कान में डमरू की आवाज आती है और वह उस ओर देखता है जहाँ पर तमाशे वाला अपना तमाशा दिखा रहा था।

सोमनाथ: (मन में-सांप का राज तो ये सपेरा ही खोलेगा) 

जारी
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11-08-2023, 02:41 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 58 A

राज की बात 

बाज़ार में अपनी जांच पडताल करता हुआ सेनापति सोमनाथ तमाशे वाले की ओर बढ़ रहा था।


[Image: MADARI.jpg]

सोमनाथ: (मन में-मैंने सांप को महारानी शुश्रुष्टि के हाथ में तो देखा और वह उसे देवरानी के घोड़े पर लादे हुए सामान में रखते हुए भी मैंने देखा था पर जो आदमी महारानी से मिलने आया था, उसका पता मिले तो काम बन जाएगा ।

बाजार में बड़ा-सा घेरा बना कर लोग तमाशे वाले का तमाशा देख रहे थे।



[Image: MADARI2.jpg]
spaghetti smileys
"आपने देखा कैसे हमने ये गायब कर दिया । अब हम आप सब को सांप का नाच दिखाएंगे।"

सेनापति सोमनाथ भीड़ को चीरता हुआ आगे जाने लगता है।

"देवियो और सज्जनों डरने की ज़रूरत नहीं ये सांप जंगली तो है। पर मुझे काटेगा नहीं और मेरे रहते हुए ये किसी और को भी नहीं काटेगा।"


[Image: SANPERA.jpg]

"ए बच्चो तुम थोड़ा दूर हो जाओ! "

भीड़ में भी लोग कहते है ।

"बच्चो दूर रहो!"


[Image: SNAKE2.jpg]

अब तमाशा वाला अपना पेटारा खोलता है और सांप को कहता है।

"नाच मेरे राजा तुझे सिक्का मिलेगा!"

सांप अपना सर उठाये सर को हवा में चारो और घुमाता है।

चारो और खड़ी भीड़ ताली बजाती है।


[Image: SNAKE.gif]
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सोमनाथ अब सबसे आगे आकर खड़ा हो जाता है।

सोमनाथ (मन में-"ये तो वह नहीं है जो महल में आया था।)"

थोड़े देर बाद वह खेल दिखा कर तमाशे वाला अपने पेटरे को ले कर सब के पास जाने लगता है।

"भाईओ और बहनो आप सब ख़ुशी से जो भी देंगे ये संपेरा उसे रख लेगा।"

धीरे-धीरे भीड़ छंटनी शुरू ही जाती है।

और तमाशे वाला सपेरा अपने पेटारी में लोगों द्वारा दिए गए सिक्को को निकल कर गमछे में बाँधने लगता है।

तभी उसकी नज़र सामने खड़े सोमनाथ पर पड़ती है ।

तमाशे वाला: उस्ताद आप क्यू खड़े हैं। खेल तो ख़तम हो गया है।


[Image: SENAPTI.jpg]

सोमनाथ: अरे! खेल तो अब शुरू हुआ है, मैं सेनापति सोमनाथ हूँ इधर आओ।

तमाशे वाला डर के पास आता है।

"श्रीमान मैं कभी-कभी ही यहाँ पर अपना खेल दिखाता हूँ अगर आपको चाहिए तो आज की कमाई आप रख लो।"

डरते हुए सवेरा सोमनाथ से कहता हैं।

सोमनाथ: मूर्ख तुम्हे मेरे बारे में पता नहीं है ।

डरते हुए तमाशे वाला सोमनाथ के समीप आकर उन्हें प्रणाम करता है और कहता है ।

तमाशेवाला: श्रीमान कुछ सैनिक आते हैं और हम से सिक्को की मांग करते हैं और नहीं देने पर कहते हैं कि वह हमें यहाँ काम नहीं करने देंगे। मैंने सोचा आप भी इसीलिए आये हैं । इसलिए ऐसा कहा। क्षमा करे। मुझे!

सोमनाथ का मस्कुराते हुए बोलता है "ठीक है । डरो मत! तुम्हारा नाम क्या  है तमाशे वाले?"

"सरकार हमारा नाम दुर्जन है।"


[Image: CHARMER.jpg]

सोमनाथ: देखो दुर्जन! अगर मैं चाहूँ तो तुम से जो कर वसूला जाता है, सैनिको द्वारा, वह इस बाज़ार में तुमसे जीवन भर नहीं वसुला जाएगा ।

दुर्जन: सही में महाराज!

सोमनाथ: पर उसके लिए तुम्हें मेरा एक काम करना पड़ेगा।

दुर्जन: मेरा जैसा तुच्छ! भला आपके क्या काम आएगा! श्रीमान!

सोमनाथ! देखो दुर्जन मुझे जितने भी संपेरे है। उनसब से मिलना है।

दुर्जन: श्रीमान् किसलिए?


[Image: SENAPATI1.jpg]

सोमनाथ: मुझसे प्रश्न मत करो! जो कहता हूँ वह करते जाओ!

दुर्जन: तो सरकार हमारी बस्ती यहाँ से 4 कोस दूर है। आप चाहे तो चले हमारे साथ।

सोमनाथ: चलो!

सेनापति दुर्जन को ले कर उस सपेरे- (जिसे उसने महल में देखा था) की खोज में निकल जाता है। सेनापति और दुर्जन दोनों संपेरो की बस्ती में पहुँचते है।


जारी रहेगी ...
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11-09-2023, 04:49 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 58 B

राज की बात 


सोमनाथ: मुझसे प्रश्न मत करो! जो कहता हूँ वह करते जाओ!

दुर्जन: तो सरकार हमारी बस्ती यहाँ से 4 कोस दूर है। आप चाहे तो चले हमारे साथ।

सोमनाथ: चलो!

सेनापति दुर्जन को ले कर उस सपेरे- (जिसे उसने महल में देखा था) की खोज में निकल जाता है। सेनापति और दुर्जन दोनों संपेरो की बस्ती में पहुँचते है।

सोमनाथ: गाँव में ढिंढोरा पीट दो के जितने तमाशे वाले पुरुष हैं। उन्हें बाहर आना है।

दुर्जन: कौन पीटेगा ढिंढोरा ?
[Image: SENAPATI1.jpg]

सोमनाथ: तुम! ये कोई बड़ी बस्ती नहीं हो। तुम हर घर जा कर सबको बाहर बुलाओ!

दुर्जन: ठीक है! सरकार!

दुर्जन जा कर हर घर में कह देता है कि सेनापति आप सब से मिलना चाहते हैं।

देखते देखते कुल मिला कर 35 से 40 लोग इकट्ठा हो जाते हैं।

सोमनाथ: दुर्जन कोई रह तो नहीं गया?

दुर्जन: नहीं सरकार सभी आगये हैं।!

सोमनाथ एक-एक को बड़े गौर से देखता है पर उनसे कोई भी वह नहीं था जो उस दिन महल में आया था।

तभी सोमनाथ की नज़र एक अधेड़ उम्र की व्यक्ति पर पड़ती है।



[Image: ALOK.jpg]
दुर्जन: श्रीमान ये हमारे सरदार हैं। आलोक!

सोमनाथ एक मुस्कान के साथ -"सुनो! सिर्फ आलोक का छोड कर, तुम सब जा सकते हो"

आलोक जैसे वह भीड छटते हुए देखता है और सेनापति को अपनी ओर आये हुए देखता है और उलटा हो भागने लगता है।

सेनापति उसके पीछे दौड़ने लगता हैं।

दुर्जन: ई का हो रहा है?

"रुक जाओ आलोक!"

आलोक भागा ही जा रहा था और गाँव की गलियों से दूर निकल जाता है। सोमनाथ उसका पीछा नहीं छोड़ता आख़िर कर थोड़ा दौड़ने के बाद आलोक हाफने लगता है और सोमनाथ उसे दबोच लेता है।

सोमनाथ: सोमनाथ की चुंगल से बच नहीं पाओगे। आलोक!


[Image: ALOK1.jpg]

आलोक: आप मुझे क्यों पकड़ रहे हो? मैंने कुछ नहीं किया1

सोमनाथ दुर्जन मेरा घोड़ा खोल कर लाओ!

दुर्जन घोड़ा खोल कर लाता है।

सोमनाथ ने आलोक की गर्दन को पकड़ कर रखा था और आलोक छूट भागने का अपना प्रयास कर रहा था।

भीड जो लौट रही थी वही रुक जाती है और कुछ घरो से बच्चे और औरतें भी बाहर आ जाती है।

भीड़ से एक संपेरा पूछता है- "महाराज इनहोने क्या किया है जो आप इन्हें पकड़ रहे हैं? ये हमारे सरदार हैं।"

"ऐ हम तुम्हारी जिभ पकड़ कर खींच लेंगे। हम सेनापति सोमनाथ हैं और राष्ट्रहित में ये काम किया जा रहा है। अगर ज्यादा चतुराई दिखाई देगी। तो ये तुम सब के लिए अच्छा नहीं होगा ।"

सब डर जाते हैं।

सोमनाथ दुर्जन! आलोक के बदले में तुम्हें तुम्हारा उपहार मिल जाएगा ।

आलोक: मुझे छोड़ दो महाराज! मैंने कुछ नहीं किया!

सोमनाथ आलोक को बाँध कर घोड़े पर लाद देता है और उसको लिए हुए महल की ओर जाने लगता है।

सोमनाथ: (मन में-आलोक तुम मेरे घटराष्ट्र का राजा बनने के बरसों के सपने, की कुंजी हो! अब राजपाल से राजगद्दी छीनने का सही समय आ गया है ।) 

सोमनाथ आलोक को अपने कक्ष में ला कर रस्सी से बाँध देता है।

सोमनाथ: बोलो आलोक तुम उस दिन महारानी श्रुष्टि से मिलने क्यों आये थे?

आलोक: मैं तो बस कुछ समान पहुँचाने आया था।

सोमनाथ पास रखा कौड़ा उठा कर खीच कर एक बार कौड़ा आलोक को मारता है।

आलोक अह्ह्ह! मर गया!

सोमनाथ: बताएगा नहीं तो तुझे आज मैं जान से मार दूंगा। आलोक मुझे झूठ नहीं सुनना !

आलोक: महाराज आप महारानी श्रुष्टि से ही पूछ लीजिये मैं किस काम से आया था।

सोमनाथ: तेज़ बनने की कोशिश! वह भी सोमनाथ के सामने!

और फिर सोमनाथ बंधे हुए आलोक पर कौडों की बारिश कर देता है पर आलोक कुछ भी उगलने के लिए तैयार नहीं था।

सोमनाथ अपनी तलवार निकालता है।

"आलोक मुझे जो जानना है वह तो मैं जान ही लूंगा, मुझे जानन है कि तुम महारानी शुष्टि के साथ क्या षड़यंत्र कर रहे हो और तुमने महारानी को विषधर सांप क्यों दिया है ।"

ये सुन कर आलोक की आखे फटी की फटी रह जाती है।

"क्यू आलोक तुम्हारे आँखे क्यों फट गई?"

"देखो आलोक अगर मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ, तो भी राज्य में षड्यंत करने के जुर्म में तुम आज नहीं तो कल फांसी पर चढ़ा दिए जाओगे उससे अच्छा है मैं तुम्हे आज ही मार देता हूँ।"

अब आलोक डर जाता है कहीं वह उसे मार ही ना दे।

"नहीं महाराज!"

सोमनाथ अपना तलवार उठा कर अपनी एक उंगली तलवार पर फेरता है।

"एक झटके में ही तुम्हारा सर धड से अलग होगा।"




[Image: SWORD.jpg]
सोमनाथ जैसे ही तलवार को ऊपर उठाता है।

आलोक अपना आँखे बंद कर लेता है।

"महाराज मत मारो मुझे । मैं सब बताता हूँ।"

सोमनाथ मुस्कुराते हुए अपनी तलवार नीचे करता है और कहता है।

"तो शुरू हो जाओ आलोक!"


[Image: SLEEP0.jpg]
रात में उस बंद कमरे में इधर सोमनाथ आलोक से पूरा षड्यंत्र जान रहा था। उधर दिल्ली के पास देवरानी बलदेव के साथ तंबू में सोई हुई थी।

कुछ 4 बजे बलदेव की नींद टूट गई है तो वह देखता हैकी देवरानी उसके कांधे पर सर रखे सोई हुई है।

बलदेव (मन में: कितनी मासूम लग रही है माँ देवरानी सोते हुए. मैंने माँ को इतने चैन से सोते हुए कभी नहीं देखा हैं ।

बलदेव अपना हाथ आगे बढ़ा का देवरानी के बाल जो उसके चेहरे पर आ गए थे उनको सवारता है और देवरानी के सर पर सहलाने लगता है।

थोडे देर ऐसे ही सहलाने से देवरानी की भी आँख खुलती है और वह पाती है कि बलदेव उसे देख रहा था और उसे प्यार से सहला रहा था।

[Image: TOUCH.gif]

"उठ जाऔ मेरी रानी! हमें जाना भी है।"

"सोने दो ना बलदेव!"

बलदेव देवरानी के सर को सहला रहा था। देवरानी फिर आखे बंद कर लेती है।

दस मिनट बाद।

"उठ जाओ मेरी माँ! हमें चलना है।"

"बलदेव तुम्हारे बाहो में मुझे थोड़ी देर और सोने दो!"

"मां तुम्हारे नखरे बढ़ते हे जा रहे हैं।"

"हाँ तो और कौन करेगा मेरे नखरे बर्दाश्त, बड़ी-बड़ी बातें करते हो कि पत्नी बनाऊंगा ये वो!"



[Image: dev-bal.jpg]
देवरानी की बात सुन कर बलदेव मुस्कुराता है।

"मां अभी बनी तो नहीं हो ना और अभी से हक जता रही हो।"

"और तूने जो रात भर मेरे साथ किया है। तू भी तो मेरा पति नहीं है। ना!"

देवरानी धीमी आवाज में कहती है।

"अरी मेरी रानी!"

बलदेव देवरानी को अपने से चिपका लेता है।


[Image: BAL-DEV1.jpg]

"महारानी जी उठो! हमें जाना है। समय रहते हमे शत्रु की क्षेत्र से निकलना है।"

"हाँ तो अगली बार मत कहना कि मैं हक जता रही हूँ।"

"बिल्कुल नहीं मेरी रानी! मेरा सब कुछ आपका ही है। मैं तो ऐसे ही बोल रहा था।"
जारी रहेगी ...
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11-09-2023, 04:50 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 58 C

राज की बात 


देवरानी की बात सुन कर बलदेव मुस्कुराता है।

"मां अभी बनी तो नहीं हो ना और अभी से हक जता रही हो।"

"और तूने जो रात भर मेरे साथ किया है। तू भी तो मेरा पति नहीं है। ना!"

देवरानी धीमी आवाज में कहती है।

"अरी मेरी रानी!"

बलदेव देवरानी को अपने से चिपका लेता है।


[Image: BAL-DEV1.jpg]

"महारानी जी उठो! हमें जाना है। समय रहते हमे शत्रु की क्षेत्र से निकलना है।"

"हाँ तो अगली बार मत कहना कि मैं हक जता रही हूँ।"

"बिल्कुल नहीं मेरी रानी! मेरा सब कुछ आपका ही है। मैं तो ऐसे ही बोल रहा था।"

देवरानी मुस्कुराती हुई।

"मुझे पता है। मेरा राजा! कभी मेरे से तंग नहीं आ सकता, मैं भी मज़ाक कर रही थी मेरे रोम-रोम पर सिर्फ मेरे बलदेव का हक है।"

देवरानी उठ खड़ी होती है।

"बेटा तुम बाहर जाओ मुझे कुछ काम है।"


[Image: bal2.jpg]

"क्या काम है। माँ आप मेरे सामने कर लो ना! "

"नहीं बेटा वह मुझे कपड़े बदलने है।"

"क्यू माँ ये जो आपने अभी पहने हुए है वह अच्छे भले तो है ।"

"वो बेटा!  गंदे... हो ..।."

देवरानी अपना सर नीचे झुका लेती है।

बलदेव की नज़र देवरानी के घाघरे पर जाती हैऔर देवरानी की चूत के ठीक ऊपर उसे एक धब्बा दिखता है।

बलदेव अंजान बनते हुए।

"माँ मुझे समझ नहीं आया।"


देवरानी फिर बलदेव को देखते हुए-"पगले वह रात में मेरा घाघरा भीग गया था।"



[Image: HUG3.png]
ये कह कर अपने आँखे तरेर कर बलदेव को देखती है और अपने पैरो की उंगली से जमींन कुरेदने लगती है।

माँ की बात सुन और उसे शर्माता देख बलदेव मुस्कुरा देता है।

"तो माँ आप इन्हे पारस जा कर भी बदल सकती हैं।"

"पर बेटा सुबह होने को है और मैं पूजा कर के ही निकलूंगी यहाँ से और ऐसे गंदे वस्त्र में आगे नहीं जा सकती ..।."

देवरानी अब पानी-पानी हो गई थी वह अपने बेटे को कैसे बताये की उसकी चूत के पानी ने उसका घाघरा खराब कर दिया है।


[Image: hug-front.webp]

"हम्म माँ! तो बदल लो।"

"और वैसे बेटा दिन में अगर कहीं गलती से बद्री या श्याम की नज़र इस पर पड़ी तो वह क्या सोचेंगे"

"क्या सोचेंगे माँ यही सोचेंगे कुछ गिर गया होगा और वैसे भी समझ गए तो आपको तो कुछ नहीं बोलेंगे ।"

"पर वह दोनों मुझे माँ जैसी समझते है और इसीलिए मौसी कहते है और मैं भी उनको अपना बेटे जैसा प्यार देती हूँ।"

"देवरानी जी तो कह देना अपनी बेटो से कि ये दाग तुम्हारे होने वाले पति के कारण है।"

देवरानी: हट बदमाश कमीने!

"अगर तुम नहीं कहोगी तो मैं अपने मित्रो से कहूंगा कि मित्रो! तुम दोनों की भाभी देवरानी ही है।"

और बलदेव हसता है।

"तू सुधरेगा नहीं बलदेव!"

"तुम्हारे जवानी ने मुझे बिगाड़ दिया है। मेरी रानी!"

"अब जाओ ना बाहर और तुम भी अपनी धोती बदल लो।"

और देवरानी भी हसती है।

" मां तुम मेरे सामने नहीं बदल सकती हो, कहती है पत्नी बनूंगी! और झूठा गुस्सा दिखाते हुए बलदेव बाहर जाता है।


इधर बद्री और श्याम भी उठ जाते हैं। बलदेव देखता है। दोनों बैठ कर दातुन कर रहे थे।

बलदेव: शुभ प्रभात भाईयो! उठ गये तुम लोग!

दोनो चुप रहते है । कोई कुछ नहीं कहता।

"मैं माँ के लिए भी दातून बना देता हूँ।"

बद्री और श्याम की नज़र बलदेव की धोती पर लगे दाग पर जाती है और वह समझ जाते हैं दाग किस चीज का है और कैसे लगा।

कुछ देर बाद बलदेव दतुन ला कर माँ को देता है। धीरे-धीरे सब तैयार होते हैं।

देवरानी तैयार हो कर अपने साथ लाए छोटी-सी मूर्ति की पूजा करती है।

बलदेव: माँ आपकी पूजा हो गई हो तो बाहर आ जाओ हमेंआगे जाना है। बहुत सफर बाकी है ।

बद्री (मन में-सुबह सुबह पूजा कर रही है और रात में क्या कर रही थी। कैसे लोग होते हैं।) 

देवरानी बाहर आती है।

बलदेव अब तंबू में जा कर अपनी धोती बदल लेता है और सब मिल कर सब समान इकट्ठा कर घोड़े पर बाँध देते हैं।

बलदेव: अरे तुम दोनों चुप क्यू हो सांप सूंघ गया क्या?



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nekos emojis
बद्री और श्याम चाहते थे के वह बलदेव से पूछे, पर देवरानी के सामने उनकी बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी।

बद्री हिम्मत कर के बोलता है ।

"सुनो बलदेव!"

बद्री बलदेव को ले कर देवरानी से दूर जाता है।

"बलदेव मुझे तुम से कुछ जरूरी बात करनी थी।"

"हाँ कहो बद्री!"

"बलदेव हम तुम्हारे साथ और आगे नहीं जा सकते।"


[Image: ARMY.jpg]

तभी बलदेव देखता है कि बद्री के पीछे कुछ घुड़सावर आ रहे थे और उनमें से एक ने अपने धनुष से तीर खींच दिया था ।

फिर बलदेव देखता है के तीर बद्री की ओर तेजी से आ रहा है।

"बद्री बचो!"

बलदेव बद्री को ले कर नीचे गिर जाता है।

श्याम और देवरानी घोड़ों के पास खड़े थे।



[Image: HORSE-ARMY.jpg]
बलदेव: भागो शत्रु हमारे पीछे आ गया है।


[Image: HORSE-DEV.jpg]

श्याम जल्दी से सब घोड़े खोल देता है और चारों अपने-अपने घोड़ों पर सवार हो कर भागने लगते हैं और उनके पीछे कुछ 10-15 घुड़सवार तलवार और धनुष लिये उनका पीछा कर रहे थे।



[Image: HORSES3.jpg]


जारी रहेगी ...
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11-09-2023, 04:54 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 59 A

बला टली

बलदेव: भागो शत्रु हमारे पीछे आ गया है।

श्याम जल्दी से सब घोड़े खोल देता है और चारों अपने-अपने घोड़ों पर सवार हो कर भागने लगते हैं और उनके पीछे कुछ 10-15 घुड़सवार तलवार और धनुष लिये उनका पीछा कर रहे थे।


[Image: 59-horse1.gif]
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बलदेव, देवरानी, श्याम और बद्री इतने सुबह अपने ऊपर अचानक हुए इस हमले से अपनी जान ले कर भागना उचित समझते हैं। बद्री भी अचानक हुए हमले से हर बात भूल कर बलदेव के साथ भागने लगता है।

बलदेव: और तेज़ भागो, पता नहीं इन्हें हमारी खबर कैसे मिल गई?

बद्री: वह अभी भी हमारे पीछे है। बलदेव!


[Image: 59-HORSE.gif]

बलदेव: सब अपनी-अपनी तलवार निकाल लो।

 "खच्च" से खीच कर बलदेव अपनी तलवार निकाल लेता है।

कुछ देर भागने के बाद।

श्याम: बद्री वह लोग हमारे पीछे नहीं हैं।

देवरानी: जान बची भगवान का शुक्र है । बला टली!

तबहि बलदेव देखता है के उसके सामने से वह घुड़सवार आ रहे थे ।

बलदेव: बला अभी टली नहीं है । सामने देखो!


[Image: 58-1.gif]

देवरानी: ये तो यहीं के वासी लगते हैं इसीलिए इन्हें इस जंगल का चप्पा-चप्पा पता है। पर ये सब अपने चेहरे को ढके हुए क्यू है।

बद्री: चलो अब हो जाए दो-दो हाथ दोस्तो!

बलदेव: हाँ चलो और माँ आप यहीं रहें!

देवरानी: अपनी मर्यादा में रहो तुम सब। मैं महारानी देवरानी हूँ एक राजपूतानी। इन सबको सबक सिखाने का पहला हक मेरा है।

बलदेव: पर मौसी!

श्याम: रानी माँ आप को अगर आंच भी आ गयी तो हम महाराज को क्या मुँह दिखाएंगे।



[Image: 59-arrow.gif]
बद्री: श्याम सही कह रहा है। मौसी!

बलदेव: बस करो! ये समय बात करने का नहीं मित्रो काम करने का है। बद्री तुम नीचे उतरो और वह पेड़ को काट सामने से बंद कर दो।

श्याम और मैं आगे जायेंगे । माँ तुम यहाँ पर रहना और तीरो से उनको धूल चटा देना।

देवरानी: मेरे पास आये तो मेरी तलवार उनका खून पीयेगी ।

बद्री झट से घोड़े से उतर एक पेड़ काट कर गिरा देता है और उसे रास्ते में बिछा कर अवरोध बना रास्ते को बंद कर देता है। बलदेव और श्याम अभी भी सामने से आ रहे हैं घुड़सवारो की ओर बढ़ रहे थे ।

बलदेव: जैसा ही मैं इशारा करू उन पर तीरो की बरसात कर देना।



[Image: 59-akra.gif]
बलदेव और श्याम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे, देवरानी अपना धनुष ताने खड़ी थी और बद्री पीछे धनुष ताने बलदेव के इशारे का इंतजार कर रहा था।

बलदेव: सब तैयार!

जैसे जैसे वह करीब आ रहे थे बलदेव उनके हर कदम को गिन रहा था और फ़िर इशारा करता है ।

बलदेव: आक्रमण!

[Image: 59-bahu.gif]

घोड़े पर बैठी देवरानी अपने कमान से तीर छोड़ने लगती है और बद्री भी तेजी से तीर छोड़ रहा था।

तीर कुछ घोड़े को घायल कर रहा था। कुछ तीर घुड़सवारो को भी लगे!

और तभी एक बद्री का तीर एक घुड़सावर के सीने में लगा ।

 "आआआआह!" 



[Image: 59-arrow2.gif]
और वह ढेर हो गया।

दूसरा तीर देवरानी ने निशाना लगा कर मारा और अबकी देवरानी ने एक घुड़सवार को मार गिराया।

बलदेव: बहुत खूब, अब वह हमारे बिल्कुल पास है। तलवार से हमला करना बद्री!

श्याम: जय भवानी!

बलदेव: जय भवानी!

बद्री भी अपने घोड़े पर चढ़ तलवार निकाल कर तेज़ी से घोडा दौड़ाने लगता है। बलदेव और श्याम भी उतने में हमला करते है । दोनों गुटों की टक्कर होती है।

बलदेव अपने दूसरे हाथ में एक और तलवार ले लेता है।



[Image: 59-horse-fight.gif]
बलदेव उनकी बीच पहुँच हमला करते हुए उन घुड़सवारों की तलवार पर अपनी तलवार मारता है। घुड़सवार दोनों तरफ से बलदेव के सर पर तलवार चलाते है। बलदेव झुक कर अपनी दोनों तलवारो से दोनों घुड़सवारों पर एक तेज प्रहार करता है और दोनों घुड़सवार गिर जाते है।

देवरानी के पास चार घुड़सावर आते हैं। जिसमें से दो नीचे बिछे पेड़ से टकरा कर गिर जाते है और अन्य दो को अपने तीर से देवरानी मार गिरा देती है।



[Image: 58-2.gif]
देवरानी: अपना घोड़ा भगा कर घोड़े से गिरे दोनों व्यक्ति को अपने घोड़े से कुचलती है। फिर अपने तलवार के वार से-से उनके सर को अलग कर देती है ।

देवरानी: जय भवानी!

बलदेव श्याम और बद्री बचे हुए घुड़सवारों के साथ तलवार से लड़ रहे थे।



[Image: 58-1.gif]
बलदेव फिर से दो लोगों को अपनी तलवार से मार गिराता है।

बद्री और श्याम एक से लड़ते हुए जा रहे थे बद्री अपने तलवार से उसका सर धढ़ से अलग कर देता है।

अब बस एक घुड़सवार ही बच गया था।

जारी रहेगी ...
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11-09-2023, 04:56 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 59 B

बला टली

देवरानी: अपना घोड़ा भगा कर घोड़े से गिरे दोनों व्यक्ति को अपने घोड़े से कुचलती है। फिर अपने तलवार के वार से-से उनके सर को अलग कर देती है ।

देवरानी: जय भवानी!

बलदेव श्याम और बद्री बचे हुए घुड़सवारों के साथ तलवार से लड़ रहे थे।



[Image: 58-1.gif]
बलदेव फिर से दो लोगों को अपनी तलवार से मार गिराता है।

बद्री और श्याम एक से लड़ते हुए जा रहे थे बद्री अपने तलवार से उसका सर धढ़ से अलग कर देता है।

अब बस एक घुड़सवार ही बच गया था।

देवरानी बद्री श्याम बलदेव के पास आ जाते है।

वो व्यक्ति अपने आप को अकेला जिंदा देख डर जाता है और उसके हाथ से तलवार छूट जाती है।

श्याम: क्यू बहादुर फट गई? तलवारबाजी में तुम हम से कभी जीत नहीं सकते, चाहो तो अपने राजा शाहजेब से पूछ लो ।


[Image: 59-fight.webp]

बलदेव: श्याम रुको उसे मारना मत!

श्याम तलवार का एक वार उस घुड़सवार के हाथ पर देता है। वह घुड़सावर नीचे गिर जाता है।

"महरबानी कर के मुझे जाने दो!"

बलदेव बद्री देवरानी अपने घोड़ों से उतर कर हमें व्यक्ति के पास ले जाते है।

बलदेव: हमलावार अपनी पहचान बताऔ! कौन हो तुम?

देवरानी: कही तुम शाहजेब दुवारा तो नहीं भेजे गए हो?

श्याम घोड़े से उतरता हुआ।


[Image: 58-HORSE.gif]
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"इसका पता ये खुद कहेगा । क्यू के मरना तो शायद इसे भी पसंद नहीं हो।"

श्याम उतार कर वह व्यक्ति जो अपना हाथ जोड़े पीछे खिसक रहा था, उसके पास जाता है।

बलदेव: बताओ किसने भेजा है, तुम्हे?

हमलावार: नहीं नहीं!

बद्री अपनी तलवार के लिए उसके पास जाता है और चिल्ला कर!

 "आआआआआह" अपनी तलवार के वार से उसकी गर्दन को अलग कर देता है।

बलदेव: ये क्या किया बद्री? वह हमे बता सकता था कि उसको किसने भेजा था ।

बद्री चुप चाप अपना तलवार में लगे खून को अपने अंगुठे से पूछते हुए बोलता है ।

"श्याम चलो हम अपने तलवारे पास वाली नदी में साफ कर आएं!"

बद्री और श्याम पास ही नदी के किनारे पर जाने लगते हैं।

बलदेव: श्याम सुनो ये हमारे भी तलवार धो लाओ!

श्याम कुछ नहीं बोलता और उनकी तलवार ले कर जाने लगता है।

श्याम और बद्री नदी पर अपने तलवार धो कर साफ़ कर रहे थे।

बलदेव देवरानी के पास जाता है ।

बलदेव: कही तुम्हें चोट तो नहीं आई ना, मां!

देवरानी देखती है। बलदेव उसकी कितनी चिंता कर रहा है।

देवरानी: जब मेरे पास इतना बुद्धिमान और इतना वीर बेटा है तो नुझे कैसे खरोच आ सकती है।



[Image: 59-luv.gif]
how to upload pics
देवरानी आ कर बलदेव से गले लग जाती है।

बलदेव धीमे स्वर में: देवरानी!

बलदेव: बला टली!

देवरानी: हाँ मेरे राजा!  बला टली!

देवरानी फुसफुसाते हुए बलदेव को भींच कर पकड़ती है।

देवरानी: बेटा तुम्हें तो नहीं लगी ना, मुझे तो डर लग रहा था, कहीं मेरे राजा बेटे को कुछ नहीं हो जाए.!

बलदेव: जब तक आप मेरे साथ हो मुझे कुछ नहीं हो सकता। माता! वैसे आपने भी अच्छी युद्ध कला दिखायी।

देवरानी अपनी प्रशंसा सुन मुस्कुराती है।


[Image: princess1.gif]

नदी तट पर बैठे श्याम से बद्री बोलता है ।

बद्री: देखो इन बेशर्मो को फिर से चालू हो गए!

श्याम: हाँ पर अब हमें क्या करना चाहिए मुझे समझ नहीं आ रहा है ।

दोनों तलवारे साफ़ कर नदी से वापस आते हैं।

बलदेव: अच्छा हुआ तुम लौट आये! हमें अब चलना चाहिए!

बद्री: सुनो बलदेव!

बलदेव: हाँ बोलो मित्र आज तुम दोनों ने बहुत अच्छा युद्ध किया । आज अगर आचार्य जी होते तो बहुत खुश होते।

बद्री: (मन में-अब कैसे बोलू इसको?) 

बद्री: भाई. मुझे वापस जाना है।

बलदेव को जैसे झटका लगता है।

बलदेव: पर तुम इतने दूर हो और दुश्मनो से घिरे हुए हो।



[Image: SEMI3.jpg]
देवरानी: बेटा बद्री अकेले कही जाओगे तुम? तुम्हारा ऐसे अकेले जाना खतरे से खाली नहीं है ।

बलदेव: हमने इन सभी को मौत के घाट उतार दिया है पर जिसने इन्हें भेजा है उसे हमारे बारे में सब पता है और वह फिर से हमला कर सकता है।

श्याम: (मन में-बात तो बलदेव की ठीक है।

बद्री: नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना।

बलदेव: बद्री ! सुनो तुम्हें क्या परेशानी है? बोलो तो! तुम्हें अगर सही में घर जाना है। तो पहले हमारे साथ पारस चलो, हम आते समय तुम्हें तुम्हारे राज्य में छोड़ देंगे।

देवरानी: हाँ बद्री बेटा! बलदेव सही कह रहा है । अकेले जाने में  खतरा है।

बद्री: पर मौसी (झुझलाते हुए!) ... !

श्याम: बलदेव ठीक कह रहा है। अकेले जाने में तुम्हारी जान को खतरा है। अकेला जाना वैसे भी उचित नहीं है और हम दोनों जे महाराज को वचन दिया है माता देवरानी को सुरक्षित घाटराष्ट्र वापिस पहुँचाने का।

बद्री: पर...!

श्याम: पर वर कुछ नहीं। हमारे साथ चलो! नहीं तो कल महाराज को क्या मुंह दिखाओगे और तुम्हारी जो भी दुविधा है उसपर हम बात करेंगे।

श्याम आश्वासन देते हुए कहता हैं।


[Image: 59-h-rani.gif]

बद्री भी सब कुछ समझते हुए और खतरे का आकलन करने के बाद बलदेव के साथ जाने को तैयार हो जाता है और चारो अपने-अपने घोड़ो पर बैठ जाने लगते है।

श्याम: मौसी! ये धनुष बाण आप अपने झोले में रख दीजिए.

देवरानी: ठीक है। बेटा लाओ!

श्याम और बद्री अपने घोड़ो पर बैठ जाते हैं।

बलदेव देवरानी के पास खड़ा था।



[Image: SNAKE.gif]
देवरानी धनुष बाण अपने घोड़े पर लगे हुए झोले में रखने जाती है।

देवरानी: अरे ये तो सामान से भरा है।

श्याम: तो मौसी कुछ जगह बना लो।

देवरानी ऊपर के सामान को निकलने की कोशिश करती है और अपना दाया हाथ अंदर डालती है और वह सामान जो ओढ़ने के लिए था उसे बाहर निकल ही रही थी के देवरानी की नज़र उसके हाथ के पास अपना फैन उठाये सांप पर जाती है और वह सांप उड़के एक डंक मारता है। देवरानी का हाथ थोड़ा-सा उठ जाता है और सांप का डंक घोड़े की पीठ पर लग जाता है।

"आआआहह बलदेव!"

बलदेव भागती हुआ देवरानी के पास आता है। देवरानी सांप को देख अपने आप को संभाल नहीं पाती और गिरने लगती है। बलदेव आकर पीछे से उसे पकड़ लेता है।

देवरानी इशारे काले रंग सांप दिखाती है को झोले से निकल कर जा रहा था।

देवरानी को सीधा खड़ा कर बलदेव अपनी तलवार निकाल कर सांप की तरफ जाता है।

ये सब देख बद्री और श्याम भी आ जाते हैं।

देवरानी: छौड दो उसे ।


[Image: 59-snake-run.gif]

बलदेव: इस सांप ने मेरी माँ पर हमला किया है । इसकी तो...!

पर सांप तेजी से पास के जंगल में भाग जाता है।

बलदेव वापिस आता है और देवरानी उसके गले लग जाती है।

देवरानी: बलदेव ये क्या था। कौन हमारे पीछे पड़ा है।

बलदेव: जो भी है। उसको इसका उत्तर मैं दूंगा।

श्याम: ये जंगली सांप नहीं पालतू था।

जारी रहेगी ...
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