महारानी देवरानी
11-12-2023, 06:20 AM,
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महारानी देवरानी

अपडेट 61 B

इधर सेनापति की खोटी नियत, उधर पारस में ख़ुशामदीद बहना 

दोपहर का समय हो गया था और पारस की ओर तेजी से जा रहे थे बलदेव देवरानी श्याम और बद्री के साथ अपने अश्वो पर ।

श्याम: बद्री यार मुझे भूख सताए जा रही है। ये पारस कब आएगा?

बद्री: धीरज रखो हम पहुँचने ही वाले हैं।

तभी बलदेव को दूर एक बाज़ार नज़र आता है।

बलदेव: माँ देखो वहाँ बस्ती है और बाज़ार भी है ।

ये सुन कर देवरानी की खुशी का ठिकाना नहीं था।




[Image: 60-hcpl2.gif]


देवरानी: हाँ बलदेव हम पारस पहुच गए हैं।

श्याम: हाँ! मौसी हम पहुच गए।
बलदेव श्याम और बद्री अपने घोड़े को तेजी से बाज़ार की तरफ बढ़ाते है और वहाँ पर अपने घोड़े रोक देते हैं ।

श्याम: कितना सुंदर बाज़ार है।

सब घोड़े से उतरते हैं। देवरानी उतर कर अपने वस्त्र ठीक करती है। बलदेव देखता है देवरानी अपनी गांड को सहलते हुए अपने वस्त्र ठीक कर रही थी । बाज़ार में बहुत शोर था।

पास में एक बूढ़ा व्यक्ति कुछ बेच रहा था । बलदेव उसके पास जाता है।

ग्राहक: ये अंजीर कितने सिक्के के दिए ।

दुकानदार: 10 सिक्के के।

बलदेव अंजीर ले कर सिक्के देता है और बलदेव दुकानदार से पूछता है ।

"श्रीमान ये कौन-सा बाज़ार है?"

"लगता है मुसाफिर हो । तुम पारस में हो बच्चे!"

तभी वहा पर श्याम बद्री तथा देवरानी भी आजाते हैं और सब ये सुन कर खुश हो जाते हैं।

बद्री: श्रीमान हमें महल जाना है।


[Image: paras-palace.png]

दुकंदर: बेटा यहाँ बहुत महल है।

देवरानी: हमे सुल्तान मीर वाहिद के महल जाना है।

ये सुन कर दुकानदार और आसपास खड़े ग्राहक डर के देवरानी को देखने लगते हैं।

बलदेव: या फिर आप के महाराज देवराज के महल ।

ग्राहक: लगता है आप लोग सुल्तान के करीबी हो। वैसे सुल्तान का महल, जहाँ वह रहते हैं यहाँ से जुनूब में है और महाराज देवराज का महल सोमल में है ।

देवरानी: नहीं आप हमें सुल्तान के यहाँ जाने का रास्ता बताएँ।

बलदेव: आप कहें हमे सुल्तान के महल जाने के लिए कौन-सी दिशा में जाना है।

दुकन्दर: यहाँ से सीधा चले जाओ।

बलदेव दिशा समझ कर अपने घोड़े पर बैठता है और अपनी माँ को भी सहारा दे कर बैठाता है।

बद्री और श्याम भी अपने-अपने घोड़ों पर बैठ जाते हैं । फिर उस दिशा में घोड़े दौड़ने लगते हैं।

कुछ देर भगाने के बाद गाँव और घर दिखाई देने लगते हैऔर हर तरफ सेना दिखने लगती है । तभी सामने से दो घुड़सावर आकर उन्हें रोकते हैं ।

"ए तुम लोग कौन हो? और महल की ओर जाने की वजह क्या है?"

[Image: sildier.gif]


बलदेव समझ जाता है कि ये पारस के सुरक्षा कर्मी है।

देवरानी: मैं देवरानी हूँ! सुल्तान की खास मित्र की देवराज की बहन!

सैनिक: माफ़ करना मोहतरमा, आप सबका ख़ुश आमदीद!

सैनिक चिल्ला कर-"ए लोगों रास्ता सुरक्षित करो। हिंद से हमारे मेहमान आये हैं।"

[Image: 61-palace.gif]


बलदेव देवरानी आगे बढ़ते है और देखते हैं सामने बहुत बड़ा महल दिखता है।

देवरानी: कितना विशाल और सुंदर महल है।


[Image: palace.jpg]

श्याम: ओह क्या चमत्कारी महल है।

बद्री: अधभुत!

बलदेवःअति सुन्दर!

सब अपने घोड़े को धीरे-धीरे ले जा रहे थे या । जैसे-जैसे घोड़े महल के करीब जा रहा थे वह चारो महल की ख़ूबसूरती में डूब जाते हैं।

महल के रास्ते में दोनों तरफ से कतार में खड़े सैनिक थे। बलदेव धीरे-धीरे घोड़ा आगे बढ़ रहा था। उसके पीछे श्याम या उसके पीछे बद्री था ।

सामने दो सैनिक आकर खड़े हो जाते हैं।

"बहोशियार हिन्द के महाराजा राजपाल और महारानी देवरानी महल में तशरीफ़ ला रहे हैं।"

बद्री देखता है सामने से राजसी पोषक पहने एक बूढ़ा पर हट्टा कट्टा व्यक्ति कुछ सैनिकों के साथ आ रहा था।
"खैरमकदम मेरी बहन देवरानी आओ!"

देवरानी देखती है ये तो मेरा भाई नहीं है फिर कौन है?

बलदेव सैनिक के कहे अनुसार घोड़े को एक तरफ ले जाता है, फिर देवरानी को पहले उतारता है फिर खुद उतारता है।

सैनिक: आइए आपका स्वागत करने खुद सुल्तान करने आए हैं।

देवरानी: (मन में:-ओह!  तो ये है सुल्तान मीर वाहिद!) 

देवरानी अपने हाथ जोड़ कर प्रणाम करती है और फिर बारी-बारी सब प्रणाम करते है।

सुलतान: आइए! आप सबको महल ढूँढने में कोई परेशानी तो पेश नहीं आई!

बलदेव देवरानी के साथ चलता हैं ।

"नहीं सुल्तान !"

सब चल कर महल के द्वार पर आते हैं।


[Image: 61-SUL3.jpg]

सुलतान: सुनो जा कर सब से कह दो के हमारे मेहमान आ गए हैं ।

सैनिक: जी सुल्तान !

सुल्तान के बाए बलदेव और गाते हाथ देवरानी चल रही थी।

उनके पीछे श्यामऔर बद्री चल रहे थे। इन चारो को ले कर सुल्तान सभा में पहुँच जाते जहाँ पर दोनों तरफ से बड़े कुर्सी सोफ़े पर मंत्री बैठे थे सुल्तान को आता देख पूरी सभा में मौजूद सभी खड़े हो जाते है।

और दोनों तरफ से लोग बलदेव देवरानी के ऊपर फुलो की बारिश कर देते हैं ।

"ख़ुशामदीद ख़ुशामदीद!"

श्याम और बद्री अपना स्वागत देख गदगद हो जाते हैं।

सुल्तान जा कर अपने आसन पर बैठ जाते हैं।

सुलतान: आप यहाँ बैठिए राजा राजपाल जी! और देवरानी बहन आप यहाँ पर बैठें।

बद्री: (मन में:-ये बूढ़ा बलदेव को राजपाल बुला रहा है।) 

जगह देख कर बद्री और श्याम भी बैठ जाते हैं ।

बलदेव: सुल्तान वह मैं वह नहीं...। 

सुलतान: अरे हमारी आँखे आप दोनों को घोड़े पर बैठे देख ही समझ गई थी के आप ही देवराज के जीजा राजपाल और ये हमारी बहना देवरानी है।

ये सुन कर देवरानी शर्मा जाती है और बलदेव को भी अंदर से अच्छा लगता है। पर लोगों को दिखाने के लिए झूठा नाटक करता है।

बलदेव: नहीं सुलतान!

देवरानी: आप से भूल हुई ये मेरा बेटा है!

सुल्तान को जैसा एक झटका लगता है।


[Image: 61-DEV2.gif]

"मुआफ़ करना बहना!"

देवरानी: अरे कोई बात नहीं सुल्तान आप पहली बार ही तो मिले हैं। वैसे मेरे पति कोई कारणवश मेरे साथ नहीं आ सके।

देवरानी: (मन में:-जब मेरा असली पति यहीं है तो लगेंगे ही हम पति पत्नी ।) 

और उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है जिसे बलदेव देख लेता है तो वह भी मुस्कुराता है।

बलदेव: (मन में;-माँ बस मेरी पत्नी कहलाकर इतना खुश है, सच में बना लूंगा तो कितनी खुश होगी।) 

देवरानी: सुल्तान...भैया देवराज कहा रह गए?

सुल्तान: देवराज शहजादे शमशेरा के साथ शिकार पर गए हैं हमने खबर भेजवा दी है।

सुलतान: दोस्तो ये हिंद से आए हमारे मेहमान है मैं चाहता हूँ कि इनको पारस में किसी भी चीज़ की तकलीफ़ न हो ।

सुल्तान: बहन देवरानी! आप सब अंदर जाएँ! देवराज को आने में समय लग सकता है।

सुलतान: सुनो!

सैनिक: जी जहाँ पनाह!

सुल्तान: सबके रहने और खाने का बंदोबस्त करो। इनसब की मल्लिका जहाँ से मुलाकात करवाओ!

सैनिक चारो को अंदर ले जाते हैं।

बद्री श्याम के कान में।

"ये क्या नौटंकी है? तुम जाओ उन दोनों के साथ, मैं यहीं रुक रहा हूँ।"

"हाँ यार बद्री मुझे भी प्यास लगी है।"

बद्री: सुनो हमें पानी पीना है।

एक सैनिक बद्री और श्याम को पानी पिलाने ले जाता है, बाकी सैनिक बलदेव और देवरानी के साथ चल रहे थे।

मल्लिका जहाँ के कक्ष के पास रुक कर सैनिक बोलता है ।


[Image: halima.gif]

सैनिक: गुस्ताख़ी मुआफ़ हो! मल्लिका जहाँ! हमारे मेहमान आपसे मिलने आये हैं।

मल्लिका जहाँ: इजाज़त है।

बलदेव और देवरानी सैनिकों के इशारे पर अंदर आते हैं। सैनिक वही रुक जाते हैं । एक बड़ा-सा कक्ष था जिसमें जड़े हीरे सोने जवाहरात चमक रहे थे । कक्ष के बीचो बीच में पलंग था जिसपर मखमली बिस्तर लगा हुआ था । सामने नकाब में खड़ी थी मल्लिका जहाँ।

बलदेव और देवरानी दोनों हाथ जोड़ कर मलिका का इस्तकबाल करते हैं ।

"प्रणाम मल्लिका जहाँ!"

मल्लिका जहाँ भी उनका स्वागत करती है ।

"सलाम आप दोनों को!"

मल्लिकाजहाँ: तुम दोनों की जोड़ी बेहद खूबसूरत है।

देवरानी: मुआफ़ कीजिए! पर क्या आप सुल्तान मीर वाहिद की मल्लिका है?

मल्लिकाजहाँ: जी हा मैं उनकी बीवी हूर-ए-जहाँ हू। प्यार से मुझे हुरिया भी कहते हैं।

देवरानी: आप भी हम दोनों को गलत समझ रही हैं। मल्लिका जी!

मल्लिकाजहाँ: मतलब?

देवरानी: मतलब ये मेरे पति नहीं है।

मल्लिकाजहाँ: यानी तुम कह रही हो कि ये आप शौहर नहीं है तो फिर कौन है?

देवरानी: ये मेरा बेटा है।

मल्लिकाजहाँ: तौबा तौबा! मुआफ़ करना! मेरी बहन । तुम दोनों की जोड़ी देख कोई भी धोखा खा सकता है।

देवरानी: कोई बात नहीं दीदी, तो क्या आप हमेशा अपने चेहरे को ढके रहती हैं?

मल्लिकाजहाँ: नहीं मेरी बहन। में सिर्फ गैर मर्द से, भले से वह रिश्तेदार ही हो उनसे पर्दा करती हूँ।

देवरानी: तो क्या, आपको देखने के लिए बलदेव को बाहर भेजना होगा?


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मल्लिकाजहाँ: नहीं, नहीं, ये तुम्हारा बेटा है, तो फिर मेरे भी बेटा जैसा ही है, सिर्फ ये मेरा चेहरा देख ले, तो कोई हर्ज़ नहीं।

मल्लिकाजहाँ उर्फ हूर-ए-जहाँ हुरिया अपना नकाब अपने चेहरे से हटाती है तो देवरानी और बलदेव उसे देखते रह जाते हैं।

देवरानी: वाह! क्या सुंदरता है! आपका नाम हूर-ए-जहाँ बिलकुल सही रखा गया है । आप हूर से कम नहीं हैं ।

हुरिया: देवरानी शुक्रिया मेरी बहन! तुम भी कोई कम सुंदर नहीं ही । लगता ही नहीं के हिंद की हो।

देवरानी: दीदी! मैं पारस में ही पेदा और पली बड़ी हुई हूँ। इसीलिए आपको ऐसा लगा।

बलदेव देख रहा था कि दोनों बहुत जल्दी घुल मिल गई थी।

हुरिया: बेटा तुम क्यू चुप चाप हो?

बलदेव (मन में: बेटा तुम यहाँ से निकलो ही लो। दो औरतें के बीच में फ़सना ठीक नहीं ।) 

बलदेव: मल्लिका जहाँ मैं आपको मौसी बुलाऊँ तो चलेगा ना।

हुरिया: हाँ बेटा तुम बहन देवरानी के बेटे हो इसलिए मुझे खाला (मौसी) बुला सकते हो, बड़ा शरीफ बेटा है आपकी बहन देवरानी।

देवरानी बलदेव की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली -"बहुत नटखट है।"

बलदेव: मैं ये बद्री और श्याम को देखता हूँ, कहाँ रह गए । आप लोग बात करो।

हुरिया: आओ बैठो देवरानी खड़ी क्यों हो।

बलदेव वहा से बाहर आ जाता है और देवरानी वहाँ एक सोफे पर बैठ जाती है।

जारी रहेगी ।
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12-17-2023, 05:41 AM,
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अपडेट 62 A

मिलन - भाई बहन,  सेनापति  महारानी सृष्टि  का 


बलदेव अपनी माँ को छोड़ कर बाहर आता है तो देखता है बद्री, श्याम बैठे एक दूसरे से बात कर रहे हैं।

बलदेव: तुम दोनों बाहर वह क्यू रुक गए, मल्लिका जहाँ से मिलने क्यू नहीं आए?


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श्याम: वो बस प्यास लग गई थी तो पानी पीने के लिए रुक गए थे ।

बलदेव: ठीक है चलो मेरे साथ उन से मिलवाता हूँ ।

बद्री: रहने दो बलदेव अभी हम थके हुए हैं बाद में मिल लेंगे वैसे भी हम कुछ दिन तक यहीं हैं ।

बद्री का स्पाट जवाब सुनने के बाद जो बद्री ने बिना बलदेव को देखा हुआ कहा था बलदेव सोचने लगा ।

बलदेव (मन में: मेरी हर बात मानने वाला बद्री आज कल मुझ से यु चिढ़ा क्यू रहता है और बीच रास्ते में कह रहा था इसे वापिस जाना है, पता नहीं क्या चल रहा है इसके दिमाग में!) 


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बलदेव: ठीक है श्याम, बद्री! तुम दोनों हाथ मुह धो लो।

सैनिक: आप सब कक्ष के पास के गुसलखाने को इश्तमाल में ले सकते हैं।

बलदेव: धन्यवाद!


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तीनो हाथ मुँह धोने चले जाते हैं। इधर देवरानी के साथ बैठी हुरिया गप्पे लगा रही थी।

हुरिया: अच्छा जी तो तुम पारसी हो वैसे मैं मिश्र की हूँ।

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देवरानी: वाह मिश्र तो बहुत बड़ा राष्ट्र है।

हुरिया: देखो तुम इतने सालो बाद आई हो और शमशेरा को भी आज ही देवराज जी को ले कर जाना था।

देवरानी: आरी दीदी इसमें बेचारे युवराज शमशेरा की क्या गलती ।

हुरिया: बेचारा ...शैतान है एक नंबर का!


तभी सैनिक आता है।

"मल्लिकाजहाँ शहजादे शमशेरा राजा देवराज जी के साथ वापस आ गए हैं।"

हुरिया एक मुस्कान से

"देखा देवरानी नाम लेते ही शैतान हाज़िर।"




[Image: persia4.jpg]

देवरानी


देवरानी: हेहेहे दीदी । उम्र लम्बी है युवराज और मेरे भाई की ।

हुरिया: जाओ अपने भाई से मिल लो।

देवरानी का मुंह अपने भाई के आने के आभास से ही दिल की धड़कन बढ़ जाती है और फिर खुशी के मारे उसके लिए एक पल भी गुजारना मुश्किल था।

देवरानी उठ के जाने लगती है तभी उसके कानों में आवाज आती है।

सैनिक: होशियार सुल्तान मीर वाहिद तशरीफ़ ला रहे हैं।



[Image: SULTAN0.jpg]
हुरिया: रुक जाओ देवरानी लगती है वह सब यहीं आ रहे हैं।

हुरिया की कक्षा के आगे खड़ा सैनिक -"मल्लिका जहाँ बाहर सुल्तान के साथ राजा देवराज आये है।"

हुरिया झट से अपने नकाबसे फिर से अपने चेहरे पर ढक लेती है।

हुरिया: आजाए सुलतान।

देवरानी उठ खड़ी होती है।

सामने से लम्बे चौड़ी कद काठी का देवराज जिसके चेहरे पर आधी सफ़ेद आधी काली दाढ़ी थी सुलतान के साथ आ रहा था



[Image: DEVRAJ1.jpg]
देवराज देखता है लम्बे चौड़े बदन की मालकिन। सफेद गोरा रंग की अपनी बहन को आज 18 साल बाद देख उसकी आँखों से आसु छलक जाते हैं।

"देवरानी मेरी बहना।!"

देवरानी अपने भाई की आँखों में आसू देख के उसकी आँखों से भी धडा-धड आसू बहने लगते है।

"भैयाआ।"

देवरानी अपने भाई के पास जा कर सबसे पहले उसके चरण स्पर्श करती है।

"उठ जाओ मेरी बहन।"

देवराज उसकी बाहे पकड़ कर उसे उठाता है ।

देवराज देवरानी के सर पर हाथ फेर कर उसके सर को अपने सीने पर रख देता है।

"मुझे क्षमा कर दो! मेरी बहन मुझे! इतने वर्षों से मैं तुमसे मिल नहीं सका।"

"भैया एक आप तो हैं मेरे इस दुनिया में।"


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"बहन क्षमा कर दे मुझे! मैं राखी का लाज रख ना सका।"

देवरानी फूट-फूट के रो पड़ती है।

देवराज अपनी बहन के आसु पूछते हुए कहता है ।

"अब हम मिल गए हैं ना, अब मैं अपनी बहन के ऊपर कोई दुख नहीं आने दूंगा।"

उतने में बलदेव आजाता है।

देवरानी अपना आसू पूछती है।

"खड़े क्यू हो बलदेव! आकर चरण छूओ मामा के."

बलदेव आकर माँ के चरण स्पर्श करता है। प्रणाम मामा !

"जीते रहो भांजे!"

"ये तो मेरे से भी ज्यादा लंबा हो गया देवरानी।"

"हा भैया आप पर ही गया है।"

सुल्तान: देवराज जी! शाम होने आई चलो पहले इन सब को खाना खिलवाए!

देवराज: जी सुल्तान!

वहा से सब खाने के लिए निकल जाते हैं।




[Image: GHAT2.jpg]
 "घाटराष्ट्र" 

महारानी श्रुष्टि तेजी से चल कर बाहर आती है और महल में घुस कर अपने कक्ष में जा कर लेट जाती है। आज कई वर्षों बाद श्रुष्टि इतना परेशान थी । पलंग पर आकर लेटी हुई शुश्ष्टि अपने बेबसी से परेशान थी। उसके आखो में आसु थे जिसे वह ना छुपा पा रही थी ना किसी को दिखा पा रही थी क्यू के एक स्त्री कितनी भी बुरी हो ख़ुशी से अपने शरीर का सौदा नहीं कर सकती।



[Image: shristi.gif]
शुरुष्टि: राधा! पानी लाना।

राधा: लाई महारानी।

शुरष्टि: (मन में-क्या करूं मैं इस कमीने सेनापति ने तो मुझे बड़े असमंजस की स्थिति में डाल दिया है । मैं किसी की मदद भी नहीं ले सकती, महाराज को बोलू! ...नहीं नहीं वह पूछेंगे के तुम ऐसा क्यू किया? महाराज और घाटराष्ट्र वासियों को पता चला की मैं बलदेव को मरवाना चाह रही हूँ तो वह सब मेरे लिए फांसी की सजा की मांग जरूर करेंगे ।)


जारी रहेगी
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12-17-2023, 05:42 AM,
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अपडेट 62 B

मिलन - भाई बहन,  सेनापति  महारानी सृष्टि  का 

 "घाटराष्ट्र" 

महारानी श्रुष्टि तेजी से चल कर बाहर आती है और महल में घुस कर अपने कक्ष में जा कर लेट जाती है। आज कई वर्षों बाद श्रुष्टि इतना परेशान थी । पलंग पर आकर लेटी हुई शुश्ष्टि अपने बेबसी से परेशान थी। उसके आखो में आसु थे जिसे वह ना छुपा पा रही थी ना किसी को दिखा पा रही थी क्यू के एक स्त्री कितनी भी बुरी हो ख़ुशी से अपने शरीर का सौदा नहीं कर सकती।



[Image: shristi.gif]
शुरुष्टि: राधा! पानी लाना।

राधा: लाई महारानी।

शुरष्टि: (मन में-क्या करूं मैं इस कमीने सेनापति ने तो मुझे बड़े असमंजस की स्थिति में डाल दिया है । मैं किसी की मदद भी नहीं ले सकती, महाराज को बोलू! ...नहीं नहीं वह पूछेंगे के तुम ऐसा क्यू किया? महाराज और घाटराष्ट्र वासियों को पता चला की मैं बलदेव को मरवाना चाह रही हूँ तो वह सब मेरे लिए फांसी की सजा की मांग जरूर करेंगे ।)


[Image: radha.gif]

राधा: महारानी पानी!

शुरुष्टि: हाँ लाओ!

राधा: क्या हुआ? आप चिंतित प्रतीत होती हैं।

शुरष्टि: नहीं राधा ऐसी बात नहीं है ।



[Image: RAMYA-GIF.gif]
what is this an image of
राधा: तो फिर आपके माथे पर पसीना क्यों है ।

शुरष्टि: वो...वो तो बस बाहर से आई थी इसलिए ।

राधा: आपने दोपहर का भोजन भी नहीं किया।

शुरुआत: मेरे खाने का मन नहीं है। अभी तुम जाओ ।



[Image: SLEEP.gif]
राधा सोचते हुए चली जाती है की महारानी जरूर कुछ छुपा रही है।

शुरष्टि मन में: क्या करु अपनी इज्जत बचाने के लिए भाग जाउ।, यहाँ से। पर कहाँ जाउ, कुछ समझ नहीं आ रहा ।
[Image: 62-SLEEP.webp]

सोचते सोचते शुरुआत की आँख लग जाती है, जब उठती है तो शाम हो गई थी।

शुरष्टि जा कर स्नान करती है। फिर अपने वस्त्र बदल कर बाहर आती है।



[Image: 62-BATH.jpg]
शुरष्टि महल से बाहर निकल कर -"सैनिको महाराज कहाँ है?"



[Image: ezgif-com-video-to-gif-1.gif]


सैनिक: महारानी वह सीमा पर गए हैं ।



[Image: 62-WORRIED.gif]
शुरष्टि धड़कते दिल के साथ ये सुन और रास्ता साफ देख कर सेना गृह की ओर चल देती है। उसका हर कदम लड़खड़ाहट से साथ आगे बढ़ रहा था।

शुरष्टि: (मन में-भगवान क्षमा करना मेरे पास अपनी जान बचाने का कोई चारा नहीं है । क्षमा करना महाराज राजपाल मुझे।)


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चलते हुए शूरुष्टि सेनापति सोमनाथ की कक्ष के द्वार पर पहुचती है।

शूरुष्टि रुक जाती है उसका शरीर कांपने लगता है । हिम्मत कर के शूरुष्टि अपने हाथ से दरवाजे पर ठक-ठक करती है। थोड़ी देर बाद अंदर से सेनापति सोमनाथ दरवाजा खोलता है।


[Image: 62-HEAD-DOWN.webp]

जैसे ही शूरुष्टि की नज़र सेनापति पर पड़ती है, शुरष्टि अपने सर नीचे झुका लेती है।



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12-17-2023, 05:44 AM,
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अपडेट 62 C

मिलन - भाई बहन,  सेनापति  महारानी सृष्टि  का 


चलते हुए शूरुष्टि सेनापति सोमनाथ की कक्ष के द्वार पर पहुचती है।


[Image: shristi.gif]



शूरुष्टि रुक जाती है उसका शरीर कांपने लगता है । हिम्मत कर के शूरुष्टि अपने हाथ से दरवाजे पर ठक-ठक करती है। थोड़ी देर बाद अंदर से सेनापति सोमनाथ दरवाजा खोलता है।


[Image: 62-HEAD-DOWN.webp]

जैसे ही शूरुष्टि की नज़र सेनापति पर पड़ती है, शुरष्टि अपने सर नीचे झुका लेती है।

सेनापति: स्वागत है राजपूतानी महारानी श्रुष्टि का! पधारिये महारानी।

शुरुआत दबे पांव अंदर आती है और सेनापति फुर्ती से दरवाजे को बंद करता है।

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सेनापति: शर्मा क्यू रही हो महारानी? अपना खुबसूरत चेहरा तो ऊपर उठाएँ!


शुरष्टि शर्माती हुई अपना सर ऊपर उठाती है।

सेनापति: अच्छा हुआ आप आगयी क्यू के अगर आप कुछ पल और देरी कर देती तो मैं अभी बाहर जा कर घाटराष्ट्र की प्रजा के सामने आपका कच्चा चिट्ठा रख देता

शुरुष्टि दुःख और गुस्से के साथ बोलती है ।

[Image: 62-RAMYA-FIGHT.webp]

"तुम्हे! एक स्त्री की इज्जत से खेलने का पाप लगेगा तुम देखना ये तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा ।"

सेनापति: वैसे तुम पर किसी को जान से मारने का तो कोई पाप नहीं लगेगा क्यों रानी साहिबा?

शुरुष्टि आँखे तरेरती है पर चुप रहती है ।
[Image: 62-TRER.gif]

सेनापति: रानी ! तुम पर ऐसे ही तेवर शोभा देते है । रस्सी जल गई पर तेवर वही है। हाहा! आखिर रानी हो!

सेनापति शुरुष्टि के हाथ पकड़ कर बिस्तर की ओर ले जाता है। शुरुष्टि सोमनाथ का हाथ झटक देती है।

"अरे मेरी रानी! आ तो गयी हो फिर क्यों लज्जा रही हो?"


[Image: ezgif-com-video-to-gif-2.gif]


सेनापति फिर शुरुष्टि के खुबसूरत हाथ को पकड़ के सहला रहा था।

"क्या सुंदर है आपके हाथ महारानी। ये सुंदर हाथ किसी की जान भी ले सकते है मैंने ऐसा सोचा नहीं था।"

जो करना है जल्दी करो! नहीं तो इसी से ही तुम्हारा गला दबा दूंगी। "

"हम तो पहले ही मर मिटें तैयार हैं आपकी सुन्दरता पर महारानी।"

सेनापति झुक कर शुरुआत के हाथ पर चुमता है।



 [Image: ezgif-com-video-to-gif-3.gif]


"उम्म्म्ह्ह्हआआ!"

श्रुष्टि: आह!

सेनापति: क्षमा कीजिए महारानी पर इस कक्ष के बिस्तर पर धूल है। ये कक्ष और बिस्तर आपके महल के जितने साफ नहीं है ।

शुरष्टि अपना मुंह दूसरी ओर फेर लेती है।



 [Image: ezgif-com-video-to-gif-4.gif]


सेनापति सोमनाथ श्रुष्टि को बाहो में भर लेता है शुरष्टि अपना मुंह दूसरी तरफ लेती है।

सेनापति श्रुष्टि को अपनी बाहों में भर कर बोलता है "वाह! क्या ख़ुशबू है महारानी आपके बदन में, कितनी मुलायम हो आप!"




 [Image: ezgif-com-video-to-gif-5.gif]


सेनापति का हाथ शुरष्टि के पीठ पर था और फिर शुरष्टि को लिए हुए सेनापति बिस्तर पर लेट जाता है।

शुरष्टि अपनी आंखे बंद कर लेती है

शुरष्टि: (मन में-छी! इस नीच के बिस्तर से कैसी दुर्गंध आ रही है।) 



[Image: 62-FEET-KIS.webp]

सेनापति अब शुरष्टि की टांगो के नीचे बैठ शुरष्टि की पैर के अंगूठो को चूमता है।

 "उम्माहा" 


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12-17-2023, 05:45 AM,
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अपडेट 62 D

मिलन - भाई बहन,  सेनापति  महारानी सृष्टि  का 

सेनापति अब शुरष्टि की टांगो के नीचे बैठ शुरष्टि की पैर के अंगूठो को चूमता है।

 "उम्माहा" 




[Image: 62-FEET-KIS.webp]

"क्या रसगुल्ले जैसी पैर है महारानी!"

सेनापति पैरो को पहले चूमता है फिर चाटने लगता है और शुरष्टि के अंगुठे को अपने मुंह में ले लेता है।

"आह!" शुरूष्टि सिसकती है



[Image: GAGHRA.jpg]

सेनापति अब खूब अच्छे से शुरष्टि का अंगूठा चूसने लगता है।

शुरुष्टि: आआह उह!



[Image: 62-MOAN.gif]

सेनापति अब पिंडिलियों को चूमते हुए ऊपर बढ़ने लगता है और अपने होठों और जिभ से शुरष्टि की टांगो को गीला कर के चूमने लगता है।


[Image: 62-leg-kiss-kiss.gif]


शुरुष्टि: आआह आह उम्म! शुरष्टि आँखे ज़ोर से बंद कर लेती है।

सेनापति अब धीरे से महारानी का घाघरा ऊपर उठाने लगता है और उसके घुटने को चटने लगता है।

सेनापति: ह्म्म्म उम्म्म क्या चिकनी टाँगे है।



 [Image: 62-MOAN2.gif]
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अब शुरष्टि का घाघरा घुटनो तक था। सेनापति घुटने पर चुम घाघरा ऊपर करता है जिसे शुरष्टि की चिकनी दूधिया जाँघे सामने आ जाती है।

सेनापति अपना हाथ जांघो पर रख हाथ जांघो पर फिराता है।

शूरश्री: आआआआआह!

सेनापति अब ज़ोर से जांघ को दबा कर जाँघे दबाता है

श्रुष्टि: आआआआह ओह्ह्ह!


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सेनापति बारी-बारी से दोनों जांघो को चूमता है, चाटता है।

सेनापति अब शुरष्टि के दोनों टांगो को मोड़ कर शुरष्टि की टांगो की बीच में बैठ जाता है और शुरष्टि के घाघरे को कमर तक उठा देता है।

शुरष्टि की झाटो से भरी चूत देख सेनापति की आखे फटी रह जाती है।


[Image: 62-HAIRY.gif]
सेनापति: हाय महारानी! असली खजाना तो महाराज ने यहाँ छुपा रखा है और वह पूरा संसार खजाना खोजने के लिए घुमते रहते हैं।

शुरुआत: चुप कर और जल्दी करो जो भी करना है।

सेनापति घाघरा पकड़ कर निकाल देता है और अपनी धोती खोल शुरष्टि के ऊपर लेट जाता है।



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सेनापति एक कट्टाकट्टा मर्द था और 5.5 की 48 वर्ष आयु की महारानी के ऊपर लेट गया, जिस से महारानी श्रुष्टि को लगा उसका शरीर अब टूट जाएगा।

सेनापति 5.10 लंबाई का तगड़ा मर्द, आज महारानी के लिए बहुत भारी था क्यूकी राजपाल भी महारानी शुरष्टि से कुछ एक इंच ही ऊंचा था।


शुरष्टि: आआआह मार डाला रे!

सेनापति: अभी कहा मारा। अभी तो मारूंगा। सेनापति अपना लौड़ा देवरानी की झाटो से भरी चूत पर रख कर रगड़ता है।

श्रुष्टि: आआआह!

सेनापति देखता है कि धीरे-धीरे महारानी अब गरम हो रही है।


[Image: ezgif-com-video-to-gif-2.gif]



सेनापति चोली के ऊपर से वह शुरष्टि मध्यम आकर के वक्ष को अपने हाथ से सहलाते हुए दोनों को ज़ोर से दबा लेता है।

श्रुष्टि: आआआआह! सेनापति तुम्हारी इतनी जुर्रत!

सेनापति: आह! कितने मुलायम मखमली वक्ष हैं। महारानी जी आपके!



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cozy cat cottage


सेनापति झट से उसकी चोली खोलने लगता है। जिससे महारानी के दोनों वक्ष कूद कर बाहर आते हैं, जिसे देख सेनापति सोमनाथ अपने होठ पर अपनी जिभ फेरता है।

अब श्रुष्टि अपने आप को पूरा नंगा देख अपना हाथ अपने चेहरे पर रख लेती है।

सेनापति: शर्मा रही है महारानी! रानी तुम तो पूरी छमिया लग रही हो।

सेनापति आगे बढ़ कर दोनों वक्षो को हाथ में ले कर मरोड़ने लगता है। उसको दबाने लगता है और फिर निचोड़ते हुए अपना लौड़ा श्रुष्टि की बुर पर रगड़ रहा था।




शुरुष्टि: आआह नहीं!

सेनापति बारी-बारी से वक्षो को मुँह में ले कर चूसता है।

"गलप्प्प्प उम्म्ह आआआह!"

श्रुष्टि शर्म से अपने चेहरे को ढक लेती है।

सेनापति श्रुष्टि के हाथ हटा कर उसके चेहरे की तरफ अपना मुँह ले जाता है और अपने ओंठ श्रुष्टि के ओंठो की तरफ बढ़ाता है।

जारी रहेगी
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12-17-2023, 05:46 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 62 E

मिलन - भाई बहन,  सेनापति  महारानी सृष्टि  का 

सेनापति चोली के ऊपर से वह शुरष्टि मध्यम आकर के वक्ष को अपने हाथ से सहलाते हुए दोनों को ज़ोर से दबा लेता है।

श्रुष्टि: आआआआह! सेनापति तुम्हारी इतनी जुर्रत!

सेनापति: आह! कितने मुलायम मखमली वक्ष हैं। महारानी जी आपके!



[Image: 62-BOOBS-SUCK.gif]
cozy cat cottage


सेनापति झट से उसकी चोली खोलने लगता है। जिससे महारानी के दोनों वक्ष कूद कर बाहर आते हैं, जिसे देख सेनापति सोमनाथ अपने होठ पर अपनी जिभ फेरता है।

अब श्रुष्टि अपने आप को पूरा नंगा देख अपना हाथ अपने चेहरे पर रख लेती है।

सेनापति: शर्मा रही है महारानी! रानी तुम तो पूरी छमिया लग रही हो।

सेनापति आगे बढ़ कर दोनों वक्षो को हाथ में ले कर मरोड़ने लगता है। उसको दबाने लगता है और फिर निचोड़ते हुए अपना लौड़ा श्रुष्टि की बुर पर रगड़ रहा था।

शुरुष्टि: आआह नहीं!

सेनापति बारी-बारी से वक्षो को मुँह में ले कर चूसता है।

"गलप्प्प्प उम्म्ह आआआह!"

श्रुष्टि शर्म से अपने चेहरे को ढक लेती है।

सेनापति श्रुष्टि के हाथ हटा कर उसके चेहरे की तरफ अपना मुँह ले जाता है और अपने ओंठ श्रुष्टि के ओंठो की तरफ बढ़ाता है।

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श्रुष्टि हाथ खोलती है और अपना हाथ से सीधे सोमनाथ की गर्दन को दबाती है।

सेनापति: क्या हुआ महारानी, आपको! अपने गुलाबी होठ चूसने दो!

श्रुष्टि: नहीं!

सेनापति: क्यू? क्या इस लोहार के ओंठ चूसने से राजपूतनी महारानी अपवित्र हो जाएगी?

शुरष्टि: तुम्हारी तो... !

राजपूतनी महारानी श्रुष्टि ज़ोर से सेनापति के गर्दन को दबाती है।



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सेनापति अपना हाथ ज़ोर से शुरष्टि के वक्षो पर रगड़ता और वक्षो को दबाता है और अपना लौड़ा शुरष्टि की झाटों से भारी चूत पर रगड़ता है।

शुरष्टि हाथ से सेनापति सोमनाथ की गर्दन को छोड़ देती है और शुरष्टि की आँखे कामोतेजना से बंद हो जाती है।

सेनापति सोमनाथ: क्यों वैश्याओं जैसी हरकत कर रही हो, खुद भी भूल जाओ और मजे लो और मुझे भी मजे लेने दो।



[Image: KIS-BED-ROLL.gif]
poodle rescue of new england

सेनापति अपने होठ आगे बढ़ा शुरुआत के ओंठो को अपने मुँह में भर लेता है और उन्हें चूम कर चूसने लगता है।

"गैलल्लप्प गैलप्पप्प गैलप्पप्प! गैलप्पप गैलप्प-गैलप्प उम्म्म्ह स्लरप्प!"

साथ में सेनापति नीचे से शुरष्टि की चूत पर अपना 7 इंच का लौड़ा भी रगड़ रहा था और शुरष्टि के दोनों वक्ष को सेनापति निरंतर अपने हाथ से रगड़ रहा था।

सेनापति ओंठ छोड़ कर शुरष्टि के गाल को अपने दांत से पकड़ लेता है और गाल चुसने लगता है।

"उम्हहा गलप्प!"

शुरष्टि: आअहह आह ओह्ह!

सेनापति अपना दांत शुरष्टि के गाल पर लगा देता है।

शुरष्टि: आह दांत मत लगाओ, निशान पड़ जाएगा! 

सेनापति अब सृष्टि को चुमता हुआ उसकी नाभि पर आकर अपनी जीभ से चाटने लगता है।

शुरष्टि: जल्दी करो महाराज आ जायगे।

सेनापति: महारानी वह रात से पहले नहीं आने वाले थे मैंने उन्हें आज दूर की सीमा पर भेजा है और शुरष्टि: को देख आख मार देता है।

शुरुष्टि: कामिने हो तुम!

सेनापति: अब क्या करे! हमारी तो हमेशा से चाहत थी कि कभी किसी महारानी को जरूर चोदूंगा। आज तुम मिल गई तो महाराज को दूर भेजना तो बनता ही था।




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the westminster schools

शुरुष्टि: हवसि कामिने!

सेनापति: महारानी! अब हम सेनापति बचपन से आपके राज्य को आगे बढ़ाने के लिए, अपना दिन रात एक करते हैं, युद्ध करते हैं। बदले में हमे क्या मिलता है? सूखी रोटी, सूखी चूत!

शुरष्टि: छी! क्या गंदी बात कर रहे हो?

सेनापति: आज! आपको चोद के मेरा सालो से महाराज के पीछे कुत्ते की तरह घूमना, सफल हो जाएगा।

सेनापति नाभि को चूमते हुए शुरष्टि: की टांगो के बीच जाकर उसकी टांगो को उठा देता है और उसकी झांटोदार चूत को सहलाते हुए चूत का छेद देखने लगता है और दो उंगली से चूत का दाना सहलाते हुए एक उंगली चूत में घुसा देता है।


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श्रुष्टि: आआआआह!

उंगली चुत के अंदर बाहर करते हुए सेनापति शुरष्टि की चुत पर झुक कर अपने होंठ चुत पर रख चूमता है।

"उम्हहाआ! क्या प्यारी चूत है। महारानी!"

अब तेजी से उंगली अंदर बाहर करते हुए सेनापति शुरष्टि की चूत के ऊपर से बाहर चाटता है और फिर ऐसे ही चूत को चारो ओर से चाटने लगता है। अब सेनापति की उंगली पर गीला मेहसूस होता है वह अपनी उंगली से बाहर निकालता है और अपनी जीभ अंदर डाल कर अपने होठों से उसकी चूत को चूसना शुरू करता है ।

[Image: lick1c.webp]
planned parenthood santa barbara


"उम्म्म आहा सेनापति नहीं!"

शुरष्टि की चुत से बहता पानी रुकने का नाम नहीं ले रहा था और सेनापति हर बहता हुआ पानी पीने लग जाता है। अब फिर से उंगली रख चुत में घुसा देता है और चुत के दाने पर अपनई जीभ रख कर चाटने लगता है।

शुरष्टि: आआआआआआह! हाये मैं मर गई!



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"उह्ह्ह आआआआआह सेनापतिइइइइइइओना आआआआह सेनापतिईईईईईईई।" महारानी अब कराह रही थी ।

सेनापती देखता है कि शुरष्टि का शरीर अब गरम है या चूत आग की भट्टी-सी गयी है। फिर वह घुटनों के बल बैठ शुरुआत का हाथ ले कर अपने लौड़े पर रख देता है।

शुरुआत एकझटके के साथ अपना हाथ पीछे खींच लेती है।

शुरष्टि अपना आख खोलती तो देखती है कि सेनापति का लौड़ा आसमान को सर उठाये खड़ा था ।

शुरष्टि: (मन में-उफ़! कितना काला और बड़ा लिंग है। ये तो महाराज से भी बड़ा है और दमदार है। हाय! मैं ये क्या सोच रही हूँ।)



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सेनापति फिर से शुरष्टि का हाथ ले जा कर अपने लौड़े पर रखता है । फिर सृष्टि इस बार लौड़े को अपनी मुट्ठी में भर लेती है।

सेनापति: लगता है इतना बड़ा लौड़ा कभी नहीं देखा । डर रही हो क्या महारानी?

शुरष्टि लौड़े को हाथ में पकडे मेहसुस कर रही थी।

सेनापति: इसे मुँह में लो महारानी!

शुरुआत एक चपत लौड़े पर मारती है और लौड़ा छोड़ देती है।

सेनापति मुस्कुराते हुए "अच्छा मुझे मत लो पर थोड़ा सहलाओ तो ।"

इस बार शुरष्टि खुद अपना हाथ आगे ले जा कर सेनापति के लौड़े को पकड़ कर आगे पीछे करने लगती है।

सेनापति: ये हुई ना बात!

सेनापति का लौड़ा अब शुरष्टि के पेट पर था । वह अपने दोनों टांगो को दोनों तरफ रखे हुआ था और शुरष्टि उसके लौड़े को हाथ से मुठिया रही थी ।

सेनापति शुरष्टि दोनों वक्षो को दबाने लगता है और शुरष्टि के हाथ को अपने लौड़े से छूटा कर दोनों वक्षो को अपने हाथों से पकड़ कर अपना काला लौड़ा महारानी के वक्षो के बीच में घुसाता है और आगे पीछे ढकेलने लगता है।


शुरष्टि आख फाडे देख रही थी।

"ये क्या है सेनापति?"

"महारानी मुझे लगता है महाराज ने कभी आपको ढंग से नहीं चौदा और भोगा!"

शुरष्टि उन पलो को ही याद कर रही थी की कैसे उसे तड़पता छोड़ राजपाल दो पांच झटको में वह पानी छोड़ देता है।

ये बात सुन कर शुरष्टि शर्मा कर अपने आखे नीचे कर लेती है।




 [Image: ezgif-com-video-to-gif-3.gif]

अब सेनापति अपना लौड़ा वक्षो से निकल कर शुरष्टिके ऊपर लेट जाता है और उसको अपनी बाहों में भर कर उसकी गर्दन पर और उसके होठों को चूमने लगता है । फिर बिस्तर पर पलटने लगता है, कभी शुरुआत को अपने ऊपर लेता है और कभी खुद ऊपर आता है और फिर उसे ऊपर ले उसकी गांड को मसलने लगता है।

"आह महारानी श्रुष्टि, आपकी गांड को मैंने कई बार मटकते देखा है। मैं जब से अपने पिता के साथ सेना में भरती हुआ था तब से आपको पसंद करता हूँ।"


जारी रहेगी
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12-19-2023, 03:57 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 62 F

मिलन - भाई बहन,  सेनापति  महारानी सृष्टि  का 


शुरष्टि उन पलो को ही याद कर रही थी की कैसे उसे तड़पता छोड़ राजपाल दो पांच झटको में वह पानी छोड़ देता है।

ये बात सुन कर शुरष्टि शर्मा कर अपने आखे नीचे कर लेती है।




 [Image: ezgif-com-video-to-gif-3.gif]

अब सेनापति अपना लौड़ा वक्षो से निकल कर शुरष्टिके ऊपर लेट जाता है और उसको अपनी बाहों में भर कर उसकी गर्दन पर और उसके होठों को चूमने लगता है । फिर बिस्तर पर पलटने लगता है, कभी शुरुआत को अपने ऊपर लेता है और कभी खुद ऊपर आता है और फिर उसे ऊपर ले उसकी गांड को मसलने लगता है।

"आह महारानी श्रुष्टि, आपकी गांड को मैंने कई बार मटकते देखा है। मैं जब से अपने पिता के साथ सेना में भरती हुआ था तब से आपको पसंद करता हूँ।"

सेनापति अपने ऊपर लिए हुए शुरुआत की गांड को खूब दबाता है और अपना लौड़ा चूत पर रख रगड़ता है।


[Image: BEFORE1.gif]
अब शुरुष्टि को सीधा लेटा कर उसकी टांगो को घुटनों से मोड़ कर फिर अपना काला लौड़ा शुरुष्टि की चूत पर रख सहलाता है। वह फिर शुरुष्टि की ओर देखता है तो सृष्टि आँखे भीचे लेटी हुई थी, सेनापति अपने लौड़ा चूत के मुहाने पर रख एक तगड़ा झटका मारता है।

शुरष्टि: आआआआआआह्ह्हह्ह्ह्ह!


लौड़ा चूत को फाड़ते हुए आधा अंदर चला गया था ।

सेनापति: आह! आज भी महारानी आपकी चूत कितनी कसी हुई है ।!

सेनापति ने एक और झटका मारा । इस बार सेनापति का पूरा लौड़ा महारानी शुरष्टि की चूत में गायब हो गया।


[Image: enter.gif]
सृष्टि अब अपनी आँखों को फाड़कर ऊपर की ओर देख कर कराह रही है।

"आआह हे भगवान!"

सेनापति अब अपनी कमर हिलाते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगता है।

"आआआअहह सेनापति नहीं अह्ह्ह्ह ओह्ह!"



[Image: mis-fast.gif]


"ये ले सेनापति का लौड़ा मेरी महारानी।"

फत्त पछ-पछ की आवाज के साथ लौड़ा तेजी से अंदर बाहर होने लगा।

"आह नहीं सेनापति तुम्हारा लिंग निकालो! बहुत बड़ा है।"

"ये ले लोहार का लौड़ा। महारानी!"

"गहप घपल्प घपल्प! "

"आह सेनापति!"




[Image: 62-DOG.gif]
घप्प घप्प घपघप्प घपल सेनापति अब सृष्टि को घुमा कर घोड़ी बना कर पीछे से लंड पेलने लगता है।

"आहहह नहीं ओहह आआह सेनापति!"

शुरष्टि अपने हाथ से बिस्तर पर चादर को पकड़ लेती है जोर के झटके से कभी शुरष्टि की आख बंद होइ जाती थी और कभी झटके से आख खुल जाती थी ।

अब सेनापति अपने बिस्तर से उतरता है और सृष्टि को पलंग के किनारे ला कर उसकी टांगो को फेला कर चूत में फिर से गलप से लैंड पेल देता है।


[Image: 62-BED.gif]

"आआआआह नहीं सेनापति!"

सेनापति अब तेज धक्को की बरसात कर देता है।

फिर एक सुर से धक्के लगाने लगता है सृष्टि को चीखे अब उत्तेजना भरी कराहो और सिस्कीयो में बदल गयी थी और वह आनंदित हुई सेनापति से चुदती रहती है।

कोई आधा घंटा चोदने पर भी श्रुष्टि सेनापति को लौड़ा निकालने के लिए नहीं कहती ।

इसी बीच वह तीन चार बार झड़ गई थी, आखिरकार सेनापति सोमनाथ भी अपने पानी की एक-एक बूंद चुत में उड़ेल देता है। 


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सृष्टि अपनी आँखे बंद किए हुए अपने बरसों बाद अपनी चुत में आये इस सैलाब से बहुत खुश थी।

उसके चेहरे पर सेनापति असीम आनंद देखता है।

"मजा आया के नहीं महारानी?"

शुरष्टि सेनापति देख के बोलती है ।

"अब अपना ये निकलो!"

सेनापति "गल्प" की आवाज से अपना लौड़ा बाहर खींचता है।



[Image: 62-DRIP.gif]
सृष्टि खड़ी होती है। उसकी चूत से गाढ़ा सफेद पानी उसके जांघो तक बह रहा था।

वो गुस्से में सोमनाथ को देखते हुए उसकी धोती उठा कर अपनी चूत को पूंछती और अपनी जाँघ साफ कर अपना घाघरा चोली पहन कर बाहर जाने लगती है।

सेनापति सोमनाथ वही मुस्कुराते हुए पलंग पर अपने लौड़े को देखते हुए लेट जाता हैं।

शुरष्टि अपने अस्त व्यस्त कपडे को देखते हुए ठीक करने लगती है और फिर अपने बाल बाँधते हुए सेना गृह से बाहर निकलती है तो शाम के समय अपना काम ख़तम कर के कामला अपने गाँव गाजा रही थी। तभी उसकी नज़र शुरष्टि पर पड़ती है।

कमला: अँधेरा हो गया और सृष्टि अब सेना गृह से क्यू आ रही है।

सृष्टि अपना पल्लू ठीक से करते हुए हल्का घूंघट कर लेती है।



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शुरष्टि: (मन में-हे भगवान अच्छा हुआ अँधेरा हो गया है दिन ढल गया। दिन में तो सब यहाँ पर मुझे देख लेते पता नहीं महाराज अगर आ गए होंगे तो मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे और घरवाले भी सोच रहे होंगे के मैं शाम को कहाँ चली गयी?) 



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cook childrens home health

कमला देखती है सेनागृह से सृष्टि निकलती है और छुपती हुई-सी महल में घुस जाती है। कमला से रहा नहीं जाता है वह सेनागृह में जाती है और उसे सेनापति के कक्ष का दरवाज़ा खुला दिखता है, जिसे शुरुआत जल्दबाजी में खोल कर चली गई थी।

कमला दबे पांव आकर सेनापति की खिड़की की दरार से अंदर देखती है तो पाती है की सेनापति नंगा है अपने हाथ में लौड़ा लिए सहला रहा है या उसके लौड़े पर पानी चमक रहा है। खेली खाई कमला समझ जाती है कि ऐसा हाल तो चुदाई के बाद होता है-है । कमला लौड़े का कमाल समझ जाती है। बिस्तर की भी दशा ठीक नहीं थी और कपडे भी इधर उधर फेंके हुए थे ।

कमला: (मन में-तो महारानी सृष्टि अपनी प्यास तुम यहाँ बुझा रही हो!) 

और कमला एक मुस्कान के साथ दबे पाँव वहाँ से निकल अपने घर चली जाती है।

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12-19-2023, 04:00 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 63 A

अपनी जन्म भूमि 


सेनापति से चुद के महारानी शुरष्टि चारो ओर अपने नजर दौड़ा कर अपने बाल को बाँधते हुए अपने महल में घुस जाती है।

शुरष्टि घर में महौल ठीक देख राहत की सांस लेते हुए अपने कक्ष में जा ही रही थी की राधा उसे देख पूछती है।


[Image: shristi1.gif]

राधा: क्या हुआ महारानी आप इतना पसीना-पसीना क्यू हो?

शुरुष्टि: वह बस तेज़ चलने के कारण से हूँ।

राधा: महाराज आये हैं वह बहुत समय से राज माता रानी जीविका की कक्षा में आप का इंतजार कर रहे हैं।

[Image: radha.gif]

ये कह कर राधा चली जाती है।

शुरष्टि: (मन में:-अब क्या जवाब दूंगी। हे भगवान बच्चा ले! शुरष्टि चुदाई के बाद से हुए अपने अस्त व्यस्त घाघरा चोली को ठीक करते हुए, न चाहते हुए भी अपनी सास राजमाता जीविका के कक्ष में चली जाती है।

शुरुष्टि: सांसु माँ!


[Image: JIVIKA1.gif]

जीविका: आओ बहु अंदर आ जाओ!

अंदर जीविका लेटी गई थी और राजपाल पलंग के किनारे बैठा हुआ था।

जीविका: कहा थी बहू?


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शुरुष्टि: वह माँ जी वैध जी ने कहा है शाम को चलने के लिए।

राजपाल: महारानी हम सब आपके लिए चिंतित थे और ये आपके माथे पर पसीना क्यू है?


[Image: shristi4.gif]
शुरुष्टि झट से बिना देरी के अपना माथा अपने हाथ से पूछ लेती है।

राजपाल: वैसे कहा थी आप 1 घंटे से?

शुरष्टि: वह चलते हुए नदी किनारे चली गई थी।

जीविका: ठीक है बहू पर भरी अकेली शाम मत निकला करो। किसकी नज़र कैसी रहती है हम बता नहीं सकते।

शुरष्टि: जी सासु मां, अब मैं चलती हूँ।

[Image: ezgif-com-video-to-gif-5.gif]

शुरष्टि आकर अपने कक्ष में बिस्तर पर आकर पट लेट जाती है और हाफने लगती है और जैसे ही वह आँखे बंद करती है तो शुरुष्टि को अपनी जोरदार चुदाई याद आती है। शुरुष्टि का अंग-अंग दुख रहा था। नस्स-नस्स फट रही थी फिर आँखे बंद कये शुरष्टि सो जाती है।


थोड़े समय बाद राधा आती है।

राधा: महारानी! "हे महारानी" "महारानी इतनी जल्दी सो गई"

कुछ देर आवाज देने पर सृष्टि एक आँख खोलती है।


[Image: sristi-sleep2.jpg]

राधा: महारानी खाना खा लो!

शुरुआत का शरीर टूट रहा था वह बस अपने हाथ से इशारा करती है कि उसे सोने दो। उसे खाना नहीं खाना।

राधा: (मन में:-ऐसा क्या हो गया जो महारानी आज इतनी जल्दी सो गयी। खाना भी नहीं खाना।) 

सृष्टि फिर से आखे बंद कर सो जाती है।


[Image: persia0.webp]

पारस मैं

सुल्तान मीर वाहिद के कहे अनुसर देवराज अपनी बहन तथा भांजे को खाना खिलाने के लिए-लिए एक बड़े कमरे में ले जाते हैं जहाँ पर बहुत बड़ी मेज और बहुत-सी कुर्सीया लगी हुई थी।

देवराज: बैठो भांजे!

सुल्तान: आप लोग बैठिये।

तभी वहा पर बद्री या श्याम आजाते हैं जिन्हे शमशेरा अपने साथ ले कर आया था।

देवरानी शमशेरा को देख मुस्कुराती है।



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सुल्तान: बेटा शमशेरा महारानी देवरानी से मिलो और ये इनके बेटा बलदेव1

शमशेरा एक टक दोनों की ओर देख मुस्कुराता है।

"अब्बा हुजूर इनसे मेरी मुलाकात पहले भी हुई है।"

सुलतान: कब हुई?

शमशेरा: बस जब हम घटराष्ट्र गए थे।

सुलतान: तो क्या हुआ इन्हे सलाम करो। ये आपकी माँ जैसी है। इन्हें सलाम करो शहजादे!


[Image: salam-sham.gif]

शमशेरा: सलाम खाला जान!

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12-19-2023, 04:02 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 63 B

अपनी जन्म भूमि 

सुल्तान: बेटा शमशेरा महारानी देवरानी से मिलो और ये इनके बेटा बलदेव1

शमशेरा एक टक दोनों की ओर देख मुस्कुराता है।

"अब्बा हुजूर इनसे मेरी मुलाकात पहले भी हुई है।"

सुलतान: कब हुई?

शमशेरा: बस जब हम घटराष्ट्र गए थे।

सुलतान: तो क्या हुआ इन्हे सलाम करो। ये आपकी माँ जैसी है। इन्हें सलाम करो शहजादे!


[Image: salam-sham.gif]

शमशेरा: सलाम खाला जान!

देवरानी: प्रणाम बेटा!


[Image: pranam.gif]
और दोनों मस्कुराते है।

देवरानी: सुल्तान जी बात ऐसी है सिर्फ शमशेरा की वजह से आज मैं मेरे अपने भाई से इतने दोनों बाद मिली हूँ। वह मुझे घाटराष्ट्र में मिले थे और देवराज भैया के बारे में बताया था।

सुल्तान: तब तो मुझे आप दोनों का तारूफ भी नहीं करवाना चाहिए था और सुलतान हसने लगते है।

सुल्तान को देख सब हसने लगते हैं।

देवरानी: शमशेरा बेटा तुम बद्री या श्याम से मिले के नहीं।

शमशेरा: हाँ मिल लिया खाला!

देवरानी: हाँ ये बलदेव के बचपन के साथी हैं और गुरुकुल में भी बलदेव के साथ थे।

[Image: frnd2.jpg]
circles emojis
शमशेरा: सब से तो मिल गए पर बलदेव जी आप चुप क्यू है कहीं आपको ज्यादा भूख तो नहीं लगी?

बलदेव: नहीं शमशेरा भाई मैं बस अपनी बारी का इंतजार कर रहा था और वैसे भी जब बड़े बात कर रहे हो तो छोटो का बोलना उचित्त नहीं होता है।

शमशेरा: वाह भाई आप तो बहुत नेक हो। सब खाला की हिदायत का कमाल है। है ना देवरानी खाला?


[Image: 56-dev.gif]

देवरानी मुस्कुरा देती है।

बलदेव: वैसे आपका धन्यवाद हमें अपनी मामा और माँ को उनके भाई से मिलवाने के लिए. माँ हमेशा माँ की बात करती थी।

शमशेरा: भाई हम धन्यवाद भर से काम नहीं चलते बदले में कुछ तो हमारी भी मानियेगा।

देवराज: कर दी ना राजाओ वाली बात!

शमशेरा: मेरे अब्बा पूरी दुनिया पर हुकूमत ऐसे ही नहीं कर रहे हैं थोड़ी बहुत लेन देन तो हम भी जानते हैं। आखिर हममे भी खून है शहंशाह का।

सुल्तान: आप सब खाना खाइये!

[Image: 63-food-table.gif]

मेज़ पर हजारो किस्म के फल या खाना सजा हुआ था।

श्याम बद्री देवराज एक कुर्सी पकड़ कर बैठ जाते हैं।

देवराज: बहन देवरानी आप अंदर जा कर मल्लिका जहाँ के साथ भोजन कर लीजिये।

सुल्तान बीच वाली बड़ी कुर्सी पर बैठते हुए.

"हाँ बहना आप अंदर चले जाएँ!"

बलदेव: मामा!

देवराज: बोलो भांजे!

बलदेव: मामा मैं कुर्सी पर बैठ कर नहीं खा सकता मुझे नीचे आसन पर बैठ कर खाना है।

सुल्तान: तो ऐसा कीजिए बलदेव, आप भी मल्लिका-जहाँ हुरिया के कमरे में जा कर खा लीजिए.

सब खाने लगते हैं बलदेव और देवरानी उठ कर मल्लिका-जहाँ हुरिया के कक्ष की ओर आ जाते हैं और दरवाजे पर खड़े हो कर मलिका को पुकारते हैं।


[Image: halima.gif]

"मल्लिका जहाँ!"

"कौन?"

"मैं देवरानी!"

"अरे आओ बहना!"

देवरानी अन्दर आती है।

"वो बलदेव भी है।"

"बुला लो उसको भी देवरानी!"

देवरानी: बलदेव अन्दर आजाओ!

हुरिया: आरी देवरानी आप मुझे दीदी या आपा कहो मल्लिकाजहाँ तो सब कहते हैं।

देवरानी: ठीक है दीदी हेहे!

बलदेव: हुरिया खाला! मुझे बहुत भूख लगी है!

हुरिया: तो वाहा सब खाने गए थे तो उनके साथ क्यू नहीं खाया?

देवरानी: दीदी! वह बलदेव कह रहा था कि उसे नीचे बैठ कर खाना है!

हुरिया: हा हन समझ गई! आओ मेरे साथ!

हुरिया उन दोनों को पास में एक कक्ष में ले जाती है।

"देवरानी तुम दोनों इस दस्तरखान पर खा सकते हो। हमने इसे खास कर नीचे बैठ कर खाने के लिए बनाया है।"

देवरानी: ठीक है दीदी!


[Image: HURIYA.jpg]
right anger bubble emojis

हुरिया दो बार ताली बजाती है।

या एक दासी उसके पास आकर बोलती है।

"जी मलिका जहाँ!"

"इन दोनों के लिए खाना यहाँ लगा दो!"

हुरिया वहा से चली जाती है।

दोनों का खाना आता है या दोनों बैठ कर खाने लगते हैं

बलदेव: खुश तो हो मेरी जान!


देवरानी: बहुत खुश, मेरे राजा! तुमने मुझे वह खुशी दी है जिसका कर्ज मैं जीवन भर, नहीं चुका सकती।

बलदेव: माँ तुम्हारे लिए मैं अपनी जान दे दूं तो भी तुम्हें नहीं कहूंगा कर्ज चुकाने के लिए। ये तो मामुली-सी बात है।

देवरानी: हाँ अब खाना खाओ मजनू मत बनो।

बलदेव: अपने हाथो से खिलाओ!



[Image: feed0.gif]
देवरानी मुस्कुराते हुए अपने हाथों से निवाला तोड़ कर खिलाने लगती है। हर बार बलदेव निवाले के साथ देवरानी की उंगली भी चाट लेता है।

"बदमाश!"

"तुमने ही बनाया है।"


[Image: feed-2.gif]


बलदेव भी देवरानी को निवाला खिलाता है 

हुरिया आकर अपने कक्ष में बैठती है।

हुरिया: देखती हूँ दोनों को किसी चीज की कमी तो नहीं हुई-फिर कुछ सोचते हुए वापस उस कक्ष में लौट जाती है जो हुरिया के कक्ष की ठीक बगल में था।

हुरिया आकार दरवाजे पर खड़ी होती है देखती है देवरानी अपने हाथों से अपने बेटे को खिला रही है।

हुरिया: इतना बड़ा हो गया फिर भी अपने हाथों से नहीं खाता क्या...?

बलदेव के मुंह में तभी मिर्ची चली जाती है और चिल्लाता है।

बलदेव: आह! मिर्ची खा लि माँ पानी दो।

[Image: 63-1.gif]

देवरानी पास राखे पानी के जग से पानी डाल कर पानी बलदेव को देती है।

जैसे वह झुकती है उसके आधे से ज्यादा वक्ष ब्लाउज से बाहर आने को थे ।

ये दृश्य देख हुरिया हेरान थी।

क्यूके पानी पीते हुए बलदेव भी तिरछी नजरों से अपनी माँ के बड़े दूध घूर रहा था।

हुरिया 9 मन में-ये लड़की कैसे कपडे पहनती है। जवान बेटे के सामने ऐसा पहनेगी तो वह देखेगा ही। मैं इसको समझाती हूँ।

जारी रहेगी
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12-19-2023, 04:03 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 63 C

अपनी जन्म भूमि 


बलदेव के मुंह में तभी मिर्ची चली जाती है और चिल्लाता है।

बलदेव: आह! मिर्ची खा लि माँ पानी दो।

[Image: 63-1.gif]

देवरानी पास राखे पानी के जग से पानी डाल कर पानी बलदेव को देती है।

जैसे वह झुकती है उसके आधे से ज्यादा वक्ष ब्लाउज से बाहर आने को थे ।

ये दृश्य देख हुरिया हेरान थी।

क्यूके पानी पीते हुए बलदेव भी तिरछी नजरों से अपनी माँ के बड़े दूध घूर रहा था।

हुरिया 9 मन में-ये लड़की कैसे कपडे पहनती है। जवान बेटे के सामने ऐसा पहनेगी तो वह देखेगा ही। मैं इसको समझाती हूँ।
हुरिया: खाने के बाद देवरानी मेरे कक्ष में आओ!

भोजन करने के बाद और फिर कुछ देर बातें करने के बाद देवरानी बलदेव की छोड हुरिया के पास जाती है।

"आओ बैठो देवरानी!"

हुरिया: कैसा लगा खाना!  किसी चीज़ की कमी तो नहीं हुई ना।

देवरानी: धन्यवाद दीदी! ये सब के लिए! मैं शमशेरा से मिली और भाई देवराज से भी ।

हुरिया: मेरे बच्चे ने शैतानी तो नहीं की।

देवरानी: नहीं दीदी आज उसके कारण से ही मैं यहाँ हूँ।

हुरिया: हाँ शमशेरा 25 का हो गया पर अभी मुंह फट हो गया है । पर जैसी बलदेव के पास है वैसी होशमंदी नहीं है उसके पास।

देवरानी: ऐसा नहीं है दीदी वह नटखट जरूर है पर दिमाग या बुद्धि में किसी से कम नहीं है । रही बात बलदेव की तो वह बचपन से ही कड़े अनुशासन में रह रहा है।

हुरिया: वैसे कितने साल का है वो।

देवरानी: बलदेव तो सिर्फ 18 साल का है पर परिपक्व हो गया है।

हुरिया: ये तो है उसके उमर के हिसाब से करोड़ो से बहुत आगे है। देखने में तो लगता है ही नहीं 18 का। ऐसा लगता है 28...30 का होगा। वो तुमसे भी बड़ा लगता है देवरानी! 
देवरानी: वो उसने व्यायाम कर के अपना शरीर बढ़ा लिया है दीदी इसलिए ऐसा लगता है वैसे आपकी उमर कम ही है।

हुरिया: मैं भी 44...45 की हूँ या तुम देवरानी?

देवरानी: मैं 35 वर्षीय हू।

हुरिया: लगती तो हो कम उमर की पर इतनी कम उमर में 18 साल का बेटा।

देवरानी: ये बलदेव तो मेरा 18 लगते ही पैदा हो गया था । दीदी मेरा विवाह जल्दी करवा दिया गया था ।

हुरिया: शमशेरा तो तब पैदा हुआ जब मैं 20 की थी वैसे एक बात पूछनी थी अगर बुरा मत मानो !

देवरानी: आप बड़ी बहन हो। बहन भी कहती हो या पूछती भी हो।
हुरिया: तुम अपने ब्लाउज में कुछ पहनती हो की नहीं?

देवरानी: नहीं दीदी अंतर्वस्त्र ब्लाउज के साथ पहनना मुश्किल होता है। हमारे यहाँ उसको नहीं पहनते।

हुरिया: ब्रेज़ियर पेहना करो ।

देवरानी: लेकिन आप ऐसा क्यू पूछ रही हो?

हुरिया: बुरा मत मानना पर जब तुम अपने बेटे को खाना खिला रही थी तो तुम्हारा ऊपरी हिस्सा दिख रहा था। जवान बेटे के सामने ऐसे हाल में रहना ठीक नहीं है।

[Image: 63-hmmm.gif]

देवरानी: हम्म्म!

हुरिया: और इससे घर की बरकत ख़तम होती है। इसलिए जितना हो सके अपने आप को ढक कर रखो!

देवरानी: दीदी मैं भी पारसी हूँ, घर पर किसी अंजन के सामने अपना घूंघट तक नहीं उठाती ।

हुरिया: दूसरो के सामने जैसे घूंघट करती हो वैसा घूंघट मत करो। पर कम से कम अपने बदन को छुपा के रखो । वैसे ये हो सकता है कि कभी-कभी गलती हो जाती है।

देवरानी: खैर मैं अब से ध्यान दूंगी दीदी! वैसे ये ब्रेज़ियर क्या होता है?

[Image: bra.jpg]

हुरिया: तुम्हें तो पता ही नहीं है । चलो मेरे साथ आज मैं तुम्हे देती हूँ।

हुरिया अपना अलमीरा खोल कर अपने कपड़े हटाने लगती है और कुछ 6 7 जोड़ी ब्रेज़ियर निकाल कर देवरानी को देती है ।

"ये लो देवरानी आज से तुम इन्हे रख लो।"

देवरानी: पर दीदी!

[Image: bra-gif.gif]

हुरिया: रख लो! ये बहुत कीमती है। हम जब फ्रांस गए थे तो हमने लिए थे । इन्हे मैंने एक बार भी नहीं पेहना है और इसमें जंघिया भी है।

देवरानी: अब पता नहीं ये कैसा होता है, हम तो बस एक वस्त्र का पट्टी बना कर पहन लेते हैं, अपने वक्ष को आकार में रखने के लिए.

हुरिया: ये तुम पहनो के देखो इसमें तुम और सुंदर लगोगी । ये कुछ दिनो पहले ही ब्रिटेन की महारानी ने पहनना शुरू किये है । तो कुछ दर्जी अब सिल कर बड़े भुगतान पर फ्रांस में बेचते है। बहुत कम लोग इनके बारे में जानते हैं।

देवरानी: मैं भी पहली बार देख रही हूँ।

हुरिया: तो चलो मैं तुम्हारे कमरे तक छोड़ दूं!

देवरानी हुरिया का दिया हुआ सामान एक कपड़े से ढक कर उसके साथ जाने लगती है।

[Image: 63-2.gif]
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हुरिया: बड़ी शर्मीली हो!

देवरानी: हेहे!

तभी सामने से देवराज के साथ बद्री या श्याम आ जाते हैं।

देवराज: बहन देवरानी तुम मल्लिका जहाँ के बगल वाले कक्ष में रहो और बलदेव बद्री तथा श्याम मेरे बगल में अतिथि घर में रुक जायेंगे।

देवरानी: पर भैया तीन लोग एक कमरे में, बलदेव को मेरे साथ सोने दो ना भैया!

हुरियाःपर देवरानी!

देवराज: ये क्या कह रही हो बहना बलदेव अब बच्चा नहीं रहा, जो अब भी तुम्हारे पल्लू में बंधा रहे।

देवरानी: (मन में-वह जवान हो गया है भैया इसलिए तो कह रही हूँ की मेरे साथ सोए और कहीं और जा कर अपना जवानी व्यर्थ नहीं करे।

बद्री: (मन में-सोने दो मामा दोनों चोदा चोदी खेलेंगे।) 

बलदेव: मामा! बात ये है ना के माँ आज कल डर जाती है रात में, इसलिए कुछ दिनों से मैं उनके पास सो रहा हूँ।

ये सुन कर श्याम बलदेव को आश्चर्य से देख रहा था।

देवरानी: हाँ माँ या नई जगह है तो रात में पक्का डरूंगी।

देवराज: ठीक है ठीक है तो फिर सो जाओ बलदेव के साथ।

बद्री: (मन में-क्या भयानक युग है भाई खुद कह रहा है, अपनी बहन से, जाओ चुद आओ अपने बेटे से!) 

हुरिया: आप सब आराम करो मैं चलती हूँ।

देवरानी: लंबी यात्रा से मैं भी थक गई हूँ ।


[Image: 61-HURIYA.gif]
fisted hand sign smileys

देवरानी भी हुरिया के पीछे जाने लगती है । उसके साथ बलदेव भी मुड़ता है

देवराज: बलदेव तुम कहा जा रहे हो?

बलदेव: मैं भी थक गया हूँ माँ के साथ जा कर सो जाता हूँ।

ये सुन देवरानी अंदर से लज्जा जाती है और मुस्कुरा देती है।

देवरानी (मन में: "बहुत जल्दी है मेरे सैया राजा को मेरे साथ सोने की।") 

देवराज: तुम रुको बलदेव हम तुम्हें बद्री और श्याम के साथ महल घुमाते हैं।


[Image: 56-happy-gif.gif]
बलदेव का चेहरा उतर जाता है।

जिसे देख देवरानी मुस्कुरा देती है और मन में कहती है । "बदमाश! " 

देवरानी जाते हुए-"बेटा जाओ अपने मामा के साथ तब तक मैं बिस्तर पर रहूंगी ।तुम आओगे फिर सोएंगे! ।"

बलदेव मतलब समझ कर मुस्कुराता है। बलदेव ख़ुशी-ख़ुशी अपने मामा के साथ जाता है और कुछ देर घुमने के बाद अपने कक्ष में जहाँ उसे उसकी माँ के साथ रहना था वहा आता है।

"माँ किधर हो?" "मेरी जान किधर हो?"

 "माँ" 

कमरे में घुस कर बलदेव आवाज लगा रहा था तब भी वह देखता है सँघड़ से कुछ आवाज आती है और दरवाजा खुला हुआ था । वह अंदर जैसा जाता है अंदर का दृश्य देख उसके आखे वही जम जाती है और उसकी सांसें लगभग बंद हो जाती है।



[Image: BATH1.jpg]
scissors
देवरानी एक झीने-सी कपडे से अपने बड़े वक्ष को छुपाने की कोशिश कर रही थी और जैसे ही बलदेव पर नजर पड़ती है । वह अपनी नजर नीचे कर कहती है ।

"बलदेव! में नहा रही हूँ तुम जाओ ना यहाँ से"

बलदेव एक टक देवरानी के बड़े-बड़े पपीतो जैसे वक्षो को घूर रहा था । उसके वक्ष पर घुंडी भी साफ नजर आ रही थी जो किसी के सिक्के के गोलाई जैसी थी।

[Image: 63-gif-bath.gif]

बलदेव देख कर अपना होठ दबाता है।

देवरानी: जाओ ना बलदेव मुझे शर्म आ रही है

बलदेव: क्यू अपने होने वाली पति से क्यू शर्मा रही हो!

देवरानी अब और शर्मा जाती है

बलदेव: क्या ख़ूबसूरत वक्ष है मेरी रानी मेरी पत्नी के!



[Image: BATHROOM-P75.webp]
देवरानी: तुम्हें मेरी कसम मेरे सैंया जाओ!

बलदेव हड़बड़ी में बाहर निकलता है या फिर कक्ष का दरवाजा बंद कर देता है...

जारी रहेगी
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