मेरी पड़ोस वाली भाभी
06-02-2017, 04:57 PM,
#1
मेरी पड़ोस वाली भाभी
प्यारे दोस्तो !

मैं राहुल …आप लोगों को अपनी पहली कहानी सुनाने जा रहा हूं।

एक दिन मैं अपने घर की तरफ़ जा रहा था कि मैंने देखा कि कोई मुझे बुला रहा है। मैं उनके पास गया तो देखा कि वो मेरे पड़ोसी हैं और बहुत ज्यादा पीने की वजह से वो चल नहीं पा रहे हैं। मैंने अंकल की मदद की और उन्हें उनके घर तक छोड़ने गया। डोरबेल बजाई तो एक औरत ने दरवाजा खोला जिन्हें मैं भाभी बुलाता था और जब उन्होंने मुझे अपने पति के साथ देखा तो चिड़चिड़ाना शुरू कर दिया।

मैंने कहा- पहले अन्दर तो आने दो फ़िर जो मर्जी कह लेना, पर वो गुस्से से लाल हो रही थी। मैंने उनके पति को बेडरूम में ले जा कर लिटा दिया और वापिस जाने लगा तो मुझे अन्तर्वासना की एक कहानी याद आ गई और मैंने जानबूझ कर एक गिलास पानी मांगा तो भाभी पानी लेने चली गई। जब वो वापिस आई तो पानी पीने के बाद मैं उनसे बोला कि मुझे नींद आ रही है और मैं जा रहा हूं।

इसपर भाभी ने कहा - आप बहुत थक गए होंगे।

मैंने कहा- भाभी कोई बात नहीं।

मैं तो घर ही जा रहा था कि देखा भैया बुला रहे हैं, तो वो बोली कि इनका तो रोज़ का काम है और आज तो हद कर दी इन्होंने !

मैं उनको समझा कर जाने लगा तो भाभी ने पूछा कि आप चाय लेंगे?

मैंने कहा- इतनी रात को क्यों तकलीफ़ करती हो भाभी !

तो वो बोली- क्या तकलीफ़ ! बस दो मिनट लगेंगे।

मैंने कहा- ठीक है।

वो चाय बनाने चली गई और मैं टीवी देखने लगा। तभी टीवी पर एक ब्लू फ़िल्म आने लगी। करीब रात के 1 बजे और आप तो जानते हैं कि दिल्ली की कालोनी में देर से ब्लू फ़िल्म आती ही है। फ़िल्म देख कर मैं एक्साईटिड हो गया और मेरा लण्ड खड़ा हो कर पैन्ट की ज़िप तोड़ने लगा। इतने में भाभी चाय लेकर आ गई और मैंने चैनल बदल दिया। फ़िर हम चाय पीने लगे तो उनकी नज़र मेरी जीन्स पर गई तो मैं थोड़ा टेढा होकर बैठ गया। फ़िर वो मेरे जोब के बारे में पूछने लगी। मैं उनकी बातों का जवाब देता रहा।
अचानक उनके मुंह से छूटा कि तुम शादी कब कर रहे हो, तो मैंने कहा कि जैसे ही कोई लड़की मिल जाएगी। तो वो हंसने लगी और कहने लगी कि तुम्हारे लिए लड़कियों की क्या कमी है।

मैंने कहा- मुझे लड़की नहीं मैच्योर औरत चाहिए।

वो बोली- तुम पागल हो।

मैं चाय पीकर जाने को उठा तो वो बोली- क्या हुआ? नींद आ रही है?

मैंने कहा- नहीं भाभी, सुबह ड्यूटी पर जाना है।

तो वो बोली- बैठो, थोड़ी देर और गप्पें मारते हैं।

मैं बैठ गया। मुझे औरतों से बात करने में शरम आती है इसलिए कुछ बोल नहीं रहा था। जितना वो पूछती, केवल उसका ही जवाब देता और चुप हो जाता। तब वो बोली कि तुम इतना चुप क्यों रहते हो।

तो मैंने कहा- पता नहीं। अब मैं नोर्मल हो गया था पर पता नहीं भाभी का क्या इन्टेंशन था जो मेरी समझ में नहीं आ रहा था। शायद मैं गलत हूं पर आखिरकार मुझे लगा कि मुझे ही शुरूआत करनी पड़ेगी।

मैंने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया और बोला कि भाभी आप लोग फ़ैमिली प्लानिंग कर रहे हैं क्या। वो बोली- नहीं ! ऐसी कोई बात नहीं है।

" फ़िर आपकी शादी को कई साल हो गए हैं और आपके घर में नया मेहमान नहीं आया?"

तब भाभी ने बताया कि तुम्हारे भैया ने डाक्टर से चेक अप कराया था और डाक्टर ने उनमें कमी बताई है, उस दिन से ये शराब पीने लगे हैं और रोज रात को ऐसे ही लेट आते हैं।

मैं उन्हें दिलासा देने लगा और वो रोने लगी।

मैं उनके पास गया और उनके कंधे पर हाथ रख कर कहा- आप चिन्ता ना करें, सब ठीक हो जाएगा। फ़िर मैं थोड़ा पीछे हट गया क्योंकि मेरे दिमाग में गंदे ख्याल आने लगे थे।

तब भाभी बोली- कहाना बहुत आसान है पर जिस पर बीतती है उसे ही मालूम पड़ता है।

फ़िर मैंने उनका हाथ पकड़ा और कहा- आप चुप हो जाएं, नहीं तो मैं चलता हूं।

वो बोली- नहीं … बैठो… कोई और बात करते हैं, और उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर बैठा लिया।

मैंने कहा कि आप कुछ दिनों के लिए अपनी मम्मी के पास चली जाएं तो आपका दिल बहल जाएगा। वो मेरे करीब आ कर बोली कि वहां जाने की सोच तो रही हूं पर कोई साथ नहीं मिल रहा है और इनसे कहा तो कहते हैं कि छुट्टी नहीं मिल रही है।

" ठीक है… मेरी शनिवार की छुट्टी रहती है, मैं आपको छोड़ कर रविवार को वापिस आ जाऊंगा। " मैंने कहा। फ़िर मैंने घड़ी की तरफ़ देखा तो मुझे लगा कि काफ़ी देर हो गई है और मैं चलने को उठा तो वो बोली- शनिवार तो कल ही है।

मैंने कहा- हां मैं तो भूल ही गया था। तो भाभी बोली- तभी तो कहती हूं, शादी कर लो, कब तक अकेले रहोगे तो मैं हंस दिया।

फ़िर भाभी मेरी होबीज़ के बारे में पूछने लगी। मैंने एकदम से उनके और हस्बैंड के सम्बंधों के बारे में पूछा तो वो बोली क्यों मूड खराब करते हो।

मैंने कहा कि बस पूछ ही रहा हूं। फ़िर वो उठने लगी तो मैं भी उठ गया और कहा कि भाभी आपको भी नींद आ रही है और मैं भी सोने जाता हूं।

फ़िर मैं अपने घर आ गया और सारी रात मुझे नींद नहीं आई। अगले दिन दरवाजा खटखटाने की आवाज से मैं उठा और दरवाजा खोला तो देखा कि भाभी खड़ी थी।

वो बोली- कैसे घोड़े बेच कर सो रहे हो और वो अन्दर आ गई।

मैंने पूछा कि भैया कहां हैं तो उन्होंने कहा कि ओफ़िस गए हैं, तुम घर आ जाओ, मैंने आलू के परांठे बनाए हैं।

मैं फ़्रेश होकर गया तो भाभी टेबल पर नाश्ता लगा रही थी। उन्होंने काली टी और कैप्री पहनी थी जिसमें उनके हिप्स साफ़ दिख रहे थे।मैंने अपना ध्यान वहां से हटाया और पूछा कि भाभी आज मुझ पर आप इतनी मेहरबान कैसे?
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