मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:03 PM,
#3
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
अब एक आदमी मेरे करीब आया और उसने पहले मेरी ब्लाऊज़ और फिर ब्रा और फिर बाकी के सभी कपड़े उतार कर मुझे पूरी तरह से नंगा किया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. मैं गनगना गयी क्योंकि जीवन मे पहली बार किसी पुरुष का हाथ मेरी चूचियों पर लगा था. मैं सिसिया रही थी. मेरी चूत मे कीड़े चलने लगे थे.

मेरे साथ वाला आदमी भी जोश मे भर गया था, और पगलों के समान मेरे शरीर को चूम चाट रहा था. मेरी चूत भी मस्ती मे भर रही थी. वह काफ़ी देर तक मेरी चूत को निहार रहा था.

मेरी चूत के उपर भूरी-भूरी झांटें उग आयी थी. उसने मेरी पाव-रोटी जैसी फ़ूली हुई चूत पर हाथ फेरा तो मस्ती मे भर उठा और झूक कर मेरी चूत को चूमने लगा, और चूमते-चूमते मेरी चूत के टीट (clitoris) को चाटने लगा. अब मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा था और मैं जोर से सित्कार रही थी. मुझे ऐसी मस्ती आ रही थी कि मैं कभी कल्पना भी नही की थी.

वह जितना ही अपनी जीभ मेरी कुंवारी चूत पर चला रहा था उतना ही उसका जोश और मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था. मेरी चूत मे जीभ घुसेड़ कर वह उसे चकरघिन्नी की मानिंद घुमा रहा था, और मैं भी अपने चूतड़ उपर उचकाने लगी थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. इस आनंद की मैने कभी सपने मैं भी नही कल्पना की थी. एक अजीब तरह की गुदगुदी हो रही थी.

फिर वह कपड़े खोल कर नंगा हो गया. उसका लंड भी खूब लम्बा और मोटा था. लंड एकदम सख्त होकर सांप की भांति फ़ुंफ़्कार रहा था. और मेरी चूत उसका लंड खाने को बेकरार हो उठी.

फिर उसने मेरे चूतड़ों को थोड़ा सा उठा कर अपने लंड को मेरी बिलबिलती चूत मे कुछ इस तरह से चांपा कि मैं तड़प उठी, चीख उठी और चिल्ला उठी, "हाय!! मेरी चूत फटी!! हाय!! मैं मरी!! आह्ह्ह!! हाय बहुत दर्द हो रहा है ज़ालिम!! कुछ तो मेरी चूत का खयाल करो. अरे निकालो अपने इस ज़ालिम लंड को मेरी चूत मे से. हाय!! मै तो मरी आज!!" और मै दर्द के मारे हाथ-पैर पटक रही थी पर उसकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि मै उसकी पकड़ से छूट न सकि. मेरी कुंवारी चूत को ककड़ी की तरह से चीरता हुआ उसका लंड नश्तर की तरह चुभता गया.

आधे से ज़्यादा लंड मेरी चूत मे घुस गया था. मै पीड़ा से कराह रही थी तभी उसने इतनी जोर से ठाप मारा कि मेरी चूत का दरवाज़ा ध्वस्त होकर गिर गया और उसका पूरा लंड मेरी चूत मे घुस गया. मै दर्द से बिलबिला रही थी और चूत से खून निकल कर बह कर मेरी गांड तक पहुँच गया.

वह मेरे नंगे बदन पर लेट गया और मेरी एक चूचि को मुंह मे लेकर चूसने लगा. मै अपने चूतड़ो को उपर उछालने लगी, तभी वह मेरी चूचियों को छोड़ दोनो हाथ जमीन पर टेक कर लंड को चुत से टोपा तक खींच कर इतनी जोर से ठाप मारा कि पूरा लंड जड़ तक हमारी चूत मे समा गया और मेरा कलेजा थर्थरा उठा. यह क्रिया वह तब तक चलाता रहा जब तक मेरी चूत का स्प्रिंग ढीला नही पड़ गया.

मुझे बाहों मे भर कर वह जोर-जोर से ठाप लगा रहा था. मै दर्द के मारे ओफ़्फ़्फ़ उफ़्फ़्फ़ कर रही थी. कुछ देर बाद मुझे भी जवानी का मज़ा आने लगा और मै भी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर गपागप लंड अन्दर करवाने लगी. और कह रही थी, "और जोर से राजा! और जोर से पूरा पेलो! और डालो अपना लंड!"

वह आदमी मेरी चूत पर घमासन धक्के मारे जा रहा था. वह जब उठ कर मेरी चूत से अपना लंड बाहर खींचता था तो मै अपने चूतड़ उचका कर उसके लंड को पूरी तरह से अपनी चूत मे लेने की कोशिश करती. और जब उसका लंड मेरी बच्चेदानी से टकराता तो मुझे लगाता मानो मै स्वर्ग मै उड़ रही हूँ.

अब वह आदमी जमीन से दोनो हाथ उठा कर मेरी दोनो चूचियों को पकड़ कर हमें घपाघप पेल रहा था. यह मेरे बर्दाश्त के बाहर था और मै खुद ही अपना मुंह उठा कर उसके मुंह के करीब किया कि उसने मेरे मुंह से अपना मुंह भिड़ा कर अपनी जीभ मेरे मुंह मे डाल कर अन्दर बाहर करने लगा. इधर जीभ अन्दर बाहर हो रही और नीचे चूत मे लंड अन्दर बाहर हो रहा था. इस दोहरे मज़े के कारण मै तुरन्त ही स्खलित हो गयी और लगभग उसी समय उसके लंड ने इतनी फ़ोर्स से वीर्यपात किया कि मै उसकी छाती से चिपक उठी. उसने भी पुर्ण ताकत के साथ मुझे अपनी छाती से चिपका लिया.

तूफ़ान शांत हो गया. उसने मेरी कमर से हाथ खींच कर बंधन ढीला किया और मुझे कुछ राहत मिली. लेकिन मै मदहोशी मे पड़ी रही.

वह उठ बैठा और अपने साथी के पास गया और बोला, "यार ऐसा गज़ब का माल है प्यारे, मज़ा आ जायेगा. ऐसा माल बड़ी मुश्किल से मिलता है."

मैने मुड़ कर भाभी की तरफ़ देखा. भाभी के उपर भी पहले वाला आदमी चढ़ा हुआ था और उनकी चूत मार रहा था. भाभी भी सी-सी करते हुए बोल रही थी "हाय राजा! ज़रा जोर से चोदो और जोर से हाय!! चूचियां ज़रा कस कर दबाओ ना! हाय मै बस झड़ने वाली हूँ!!" और अपने चूतड़ों को धड़ाधड़ उपर नीचे पटक रही थी.

"हाय मै गयी राजा!" कह कर उन्होने दोनो हाथ फैला दिये.
तभी वह आदमी भी भाभी कि चूचियां पकड़ कर गाल काटते हुए बोला, "मज़ा आ गया मेरी जान!" और उसने भी अपना पानी छोड़ दिया.

कुछ देर बाद वह भी उठा और अपने कपड़े पहन कर बगल मे हट गया. भाभी उस आदमी के हटने के बाद भी आंखें बंद किये लेटी थी और मैने देखा कि भाभी की चूत से उन दोनो का वीर्य और रज बह कर गांड तक आ पहुँचा था.

अब उनका दूसरा साथी मेरे करीब बैठ कर मेरी चूचियों पर हाथ फिराने लगा और बचा हुआ चौथा आदमी अब मेरी भाभी पर अपना नम्बर लगा कर बैठ गया.

उसके बाद हम भाभी ननद की उन दो आदमीयों ने भी चुदाई की. अबकी बार जो आदमी मेरी भाभी पर चढ़ा था उसका लंड बहुत ही ज़्यादा मोटा और लम्बा, करीब 11" का था. पर मेरी भाभी ने उसका लंड भी खा लिया.

चुदाई का दूसरा दौर पूरा होने पर जब हम उठ कर अपने कपड़े पहनने लगे तो उन्होने कहा कि, "पहले तुम दोनो ननद भाभी अपनी नंगी चूचियों को आपस मे चिपका के दिखाओ."

इस पर जब हम शर्माने लगी तो कहा कि, "जितना शर्माओगी उतनी ही देर होगी तुम लोगों को."

तब मेरी भाभी ने उठ कर मुझे अपनी कोली मै भर और मेरी चूचियों पर अपनी चूचियां रगड़ी और निप्पलों से निप्पल मिला कर उन्हे आपस मे दबाया. वह चारों आदमी इस द्रिश्य को देख कर अपने लंडों पर हाथ फिरा रहे थे. मुझे कुछ अटपटा भी लग रह था और कुछ रोमांच भी हो रहा था.

उसके बाद हमने कपड़े पहने और वह लोग हमे अपनी कार मे वापस मेले के मैदान तक ले आये. उन्होने रास्ते मे फिर से हमे धमकाया कि यदि हमने उनकी इस हरकत के बारे मे किसी से कुछ कहा तो वह लोग हमे जान से मार देंगे. इस पर हमने भी उनसे वादा किया कि हम किसी को कुछ नही बतायेंगे. 

जब हम लोग मेले के मैदान पर पहुँचे तो सुना कि वहाँ पर हमारा नाम announce कराया जा रहा था और हमारे मामा-मामी मंडप मे हमारा इंतज़ार कर रहे थे. वह चारों आदमी हमे लेकर मंडप तक पहुँचे. हमारे मामा हमे देख कर बिफ़र पड़े कि, "कहाँ थे तुम लोग अब तक? हम 4 घंटे से तुम्हे खोज़ रहे थे."

इस पर हमारे कुछ बोलने से पहले ही उन चार मे से एक ने कहा, "आप लोग बेकार ही नाराज़ हो रहें हैं. यह दोनो तो आप लोगों को ही खोज रही थी और आपके ना मिलने पर एक जगह बैठी रो रही थी. तभी इन्होने हमे अपना नाम बताया तो मैने इन्हे बताया कि तुम्हारे नाम का announcement हो रहा है और तुम्हारे मामा मामी मंडप मे खड़े है. और इन्हे लेकर यहाँ आया हूँ."

तब हमारे मामा बहुत खुश हुए ऐसे शरीफ़(?) लोगों पर और उन्होने उन अजनबीयों का शुक्रिया अदा किया. इस पर उन चारों ने हमे अपनी गाड़ी पर हमारे घर तक छोड़ने कि पेश्कश कि जो हमारे मामा-मामी ने तुरन्त ही कबूल कर ली.

हम लोग कार मे बैठे और घर को चल दिये.
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