मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:13 PM,
#59
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
मै और ससुरजी कमरे के अन्दर घुसे. किशन और तुम्हारे भैया का मुंह दीवार के तरफ़ था. सासुमाँ बड़े बेटे से अपनी मुंह चुदा रही थी. इसलिये किसी ने हमे नही देखा.

"बलराम, सिर्फ़ देवर से ही क्यों? अपनी बीवी को अपने ससुर से भी चुदते हुए देख ले!" तुम्हारे मामाजी ने हंसकर कहा.

ससुरजी की आवाज़ सुनकर किशन और मेरे वह चौंक उठे. दोनो ने अपनी माँ को चोदना बंद किया और दरवाज़े की तरफ़ मुड़े.

उन्होने देखा कि उनके पूज्य पिताजी ने एक बनियान पहनी हुई थी और कमर के नीचे नंगे थे. उनका 8 इंच का मोटा लौड़ा तनकर खड़ा था. साथ मे मैं खड़ी थी, एक पेटीकोट पहने, ऊपर से पूरी नंगी. मेरी कसी कसी चूचियां खुलकर थिरक रही थी.

सासुमाँ के मुंह मे मेरे उनका लौड़ा ठूंसा हुआ था. वह, "ऊंह! ऊंघ!" करके कुछ बोलने लगी.

ससुरजी हंसकर बोले, "अरे तुम दोनो रुक क्यों गये? चालु रखो अपनी रंडी माँ की चुदाई. मैं और बहु यहाँ बैठकर देखते हैं."

वह मुझे लेकर सासुमाँ के बगल मे पलंग पर बैठ गये.

"पिताजी आप और मीना..." मेरे वह बोले.
"तु सोच रहा है हम दोनो अध-नंगे क्यों हैं?" ससुरजी ने पूछा, "दर असल मैं काफ़ी दिनो से बहु को चोद रहा हूँ. रोज़ रात को जब तु अपनी माँ को लेकर सोता है, तो तु क्या सोचता है बहु कहाँ सोती है?"
"मीना तो बोली वह मेहमानों के कमरे मे सोती है." मेरे वह बोले.
"बेवकुफ़, तु एक औरत की बात पर विश्वास करता है? वह मेरे साथ सोती है, मूरख!" ससुरजी जोर से हंसकर बोले, "मैं रोज़ रात को अपनी सुन्दर बहु की जवानी को लूटता हूँ. उसकी मस्त चूचियों को पी पीकर उसे चोदता हूँ."

मेरे पति ने अपना लन्ड अपनी माँ के मुंह से निकाल लिया और नीचे खड़े हो गये.

वह बोले, "माँ, यानी कि मीना रामु, किशन और पिताजी सब से चुदवा रही है?"
"हाँ बेटा." सासुमाँ बोली, "अब तुझे सब पता लग ही गया है तो बाकी भी सुन ले. तेरे पिताजी ने बहु को पहली बार सोनपुर मे जबरदस्ती चोदा था."
"तुम ने कुछ कहा नही?"
"तेरी माँ क्या कहेगी?" ससुरजी बोले. वह एक हाथ से मेरी एक नंगी चूची को दबा रहे थे. "वह खुद विश्वनाथ से चुदवाने मे व्यस्त थी."
"यह विश्वनाथ कौन है, माँ?"
"तेरे पिताजी के एक दोस्त हैं. सोनपुर मे रहते हैं. हम उन्ही के घर मे ठहरे थे." सासुमाँ बोली.

"माँ, बताईये ना, विश्वनाथजी ने आपको कैसे ट्रेन के टॉयलेट मे चोदा था!" मैने जोड़ा. मेरा हाथ ससुरजी के खड़े लन्ड पर था जिसे मैं धीरे धीरे हिला रही थी.

मेरे वह अपनी माँ को हैरानी से देखने लगे. "माँ, तुम ने ट्रेन के टॉयलेट मे चुदवाया था?"
"अरे वह एक लम्बी कहानी है, बेटा. कभी फ़ुर्सत मे बताऊंगी." सासुमाँ हंसकर बोली. "विश्वनाथजी का लौड़ा बहुत मोटा और लंबा था, 9-10 इंच का. चूत मे लेकर बहुत मज़ा आता था. बहु भी तो बहुत चुदवाई है उनसे."
"मीना इस विश्वनाथ से भी चुदी है!" मेरे वह बोले, "माँ, आखिर सोनपुर के मेले मे तुम लोग क्या करने गये थे?"
"गये तो मेला देखने थे, बेटा." सासुमाँ बोली, "पर हुआ यूं कि चार बदमाशों ने पहले बहु और वीणा का - तेरी बुआ की बड़ी बेटी जो हमारे साथ सोनपुर गयी थी - उन दोनो का सामुहिक बलात्कार किया..."
"मीना का सामुहिक बलात्कार! मतलब गैंग-रेप?" तुम्हारे भैया की हैरानी बढ़ती ही जा रही थी.
"हाँ. फिर अगले दिन विश्वनाथजी ने उन चारों के साथ मिलकर हम तीनो की जबरदस्ती चुदाई की. वहीं से यह सब शुरु हुआ." सासुमाँ ने कहा.

किशन ने अपनी माँ के बुर से अपना लन्ड निकाल लिया था और उनकी बातें सुन रहा था. ससुरजी मेरी नंगी चूचियों को चूस रहे थे और मैं उनके लन्ड को हिला रही थी. सासुमाँ ने तुम्हारे भैया के लन्ड को पकड़ा और लेटे लेटे हिलाने लगी.

"फिर क्या हुआ माँ?" मेरे उन्होने पूछा.
"बेटा, वीणा तो कमसिन थी, पर बहु पहले से ही चुदैल मिजाज़ की थी. मैं तो शादी के बाद तेरे पिताजी से छुपके चार-पांच लोगों से चुदवाई भी हूँ." सासुमाँ बोली, "उस रात की सामुहिक चुदाई मे हमे इतना मज़ा आया कि हम तीनो के अन्दर जैसे वासना की ज्वाला जल उठी. चुदाई का ऐसा चस्का लग गया कि बस जी करता था हर समय अपनी चूत मे किसी का लौड़ा लिये पड़े रहें."

"माँ, पिताजी ने भी सबके साथ मिलकर आप तीनो को चोदा था?" किशन ने पूछा.
"नही रे. उस रात तो तेरे पिताजी पीकर टल्ली हो गये थे." सासुमाँ बोली, "उन्हे तो कुछ पता ही नही चला."
"फिर उन्होने भाभी को कब चोदा?"
"अगले दिन जब मैं विश्वनाथजी का साथ अपने पीहर को गयी थी, तब मौका देखकर उन्होने बहु और वीणा बिटिया दोनो को जबरदस्ती चोद लिया." सासुमाँ बोली.

"और पीहर जाने के रास्ते विश्वनाथजी ने माँ को ट्रेन के टॉयलेट मे और होटल मे बहुत चोदा." मैने जोड़ा.

"यहाँ आकर बहु ने रामु, किशन, और गुलाबी को चुदाई के लिये पटा लिया." सासुमाँ बोली. "बस यही कहानी है. अब समझ मे आया?"
"हूं." मेरे वह बोले.

"अब जब सब कुछ साफ़ हो गया है हम सब खुलकर चुदाई कर सकते हैं." ससुरजी बोले, "रामु और गुलाबी आ जाये तो उन्हे भी बाकी का सब बता देंगे. फिर कल शाम को एक दावत करेंगे."
"कैसी दावत पिताजी?" किशन ने पूछा.

"जैसी दावत सोनपुर से आने के पिछले दिन हमने की थी." मैने हंसकर कहा. "उस दिन हम सब ने बहुत शराब पी थी. विश्वनाथजी उन चार बदमाशों को भी बुला लाये थे. फिर छह मर्दों ने मिलकर हम तीन औरतों की रात भर चुदाई की थी. हाय क्या मज़ा आया था अपनी चूत और गांड मरवाने मे!"

"मीना, तुम ने शराब भी पी थी?" तुम्हारे भैया ने मुझे पूछा.

"अरे बलराम, शराब के बिना कोई दावत होती है क्या?" सासुमाँ बोली, "शराब पीकर चुदाने मे एक अलग मज़ा होता है. और शराबी औरत को चोदने मे भी मर्दों को बहुत मज़ा आता है. मैने भी बहुत पी थी उस दिन."

सारी कहानी सुनकर दोनो बेटों की आंखें चमक रही थी. उनके लौड़े तने हुए थे. लग रहा था वह आने वाले दिनो के मज़े के सपनों मे खो गये थे.
"कहाँ खो गये तुम दोनो?" सासुमाँ ने पूछा, "चलो दोनो अब मेरी चुदाई चालु करो."

किशन ने फिर अपना लौड़ा अपनी माँ की चूत मे घुसा दिया और हुमच हुमच कर चोदने लगा.

तुम्हारे भैया अपनी माँ के मुंह मे अपना लन्ड डालने लगे तो सासुमाँ बोली, "बलराम, मेरी ज़रा गांड मार दे बेटा."
"माँ, गांड मे?" मेरे वह बोले.
"क्यों तुने कभी बहु की गांड नही मारी है?"
"मारी तो है..."
"तो मेरी भी मार दे. मैने तो विश्वनाथजी का खूंटा भी अपनी गांड मे लिया था. बहुत मुश्किल हुई थी, पर मज़ा भी बहुत आया था." सासुमाँ बोली, "किशन तु नीचे आ और मुझे ऊपर चढ़ने दे."

किशन ने अपनी माँ के बुर से अपना लन्ड निकाला और पलंग पर लेट गया. सासुमाँ ने अपने बड़े बेटे का लन्ड चाटकर तर किया फिर किशन पर चढ़ गयी. किशन के लन्ड को पकड़कर अपने चूत पर सेट किया और कमर से दबाकर अपने अन्दर ले लिया.
"बलराम, अब अपना लन्ड मेरी गांड मे डाल दे, बेटा." सासुमाँ बोली.

मेरे पति अक्सर मेरी गांड मारा करते थे पर अपनी माँ के साथ उनका यह पहला अनुभव था. दोनो चूतड़ों को अलग करके उन्होने अपने लन्ड का चिकना सुपाड़ा सासुमाँ की गांड के छेड़ पर रखा और दबाव देने लगे. बिना ज़्यादा मेहनत के सुपाड़ा अन्दर चला गया. और थोड़ी देर मे पूरा लन्ड पेलड़ तक गांड मे घुस गया. सासुमाँ की चूत मे छोटे बेटे का लन्ड पहले से ही था. वह आंखें बंद करके जोर से कराह उठी "आह!!"

सासुमाँ और दोनो बेटे कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे. फिर सासुमाँ ने कांपती आवाज़ मे कहा, "अब दोनो मुझे पेलना शुरु करो!"

तुम्हारे भैया ने अपनी माँ के कमर को पकड़ा और अपने लन्ड को सुपाड़े तक निकाल लिया फिर एक धक्के मे जड़ तक ठूंस दिया. सासुमाँ फिर मस्ती मे बोली, "आह!! ऐसे ही पेल मेरी गांड को, बलराम! हाय क्या मज़ा मिल रहा है!"

मेरे वह अपनी माँ की गांड को धीरे धीरे मारने लगे. दोनो के कमर के हिलने से किशन का लन्ड अपने आप सासुमाँ की चूत के अन्दर बाहर होने लगा.

ससुरजी अपनी पत्नी की इस अश्लील छवी को देखकर बहुत गरम हो गये थे. उन्होने मुझे सासुमाँ के बगल मे लिटा दिया और मेरी पेटीकोट को उतार दिया. मैं पूरी नंगी हो गयी. फिर उन्होने अपनी बनियान उतार दी और मुझ पर चढ़ गये. मेरे होठों को पीने लगे और मेरी चूचियों के दबाने लगे. उनका खड़ा लन्ड मेरी बहुत ही गीली चूत पर फिसलने लगा.

"पिताजी, ठूंस दीजिये इस रंडी की चूत मे अपना लन्ड!" तुम्हारे भैया अपनी माँ की गांड को पेलते हुए बोले.

मैने ससुरजी के लन्ड को पकड़कर अपनी चूत पर रखा और ससुरजी ने कमर के धक्के से उसे अन्दर घुसा दिया. मैने पैरों से उन्हे जकड़ लिया और वह हुमच हुमचकर मुझे चोदने लगे.

वीणा, जैसे कि तुम समझ ही सकती हो, पूरे घर का माहौल बहुत ही कामुक हो गया था. हम पांचों पूरी तरह नंगे थे. हमारे कपड़े पूरे घर मे बिखरे हुए थे. मैं अपने पति के सामने अपने ससुर से चुदवा रही थी. सासुमाँ अपने पति के सामने अपने दोनो बेटों से अपनी बुर और गांड मरवा रही थी. "आह!! आह!! ऊह! ओह!!" की आवाज़ पूरे घर मे गून्ज रही थी. जिस्म से जिस्म के टकराने से "ठाप! ठाप! ठाप! ठाप!" की आवाज़ हो रही थी. मेरा शरीर सासुमाँ के नंगे शरीर से सटा हुआ था. हम दोनो सास-बहु चुदाई मे डूबे हुए थे.

"हाय, बलराम!" सासुमाँ बोली, "मार मेरी गांड को अच्छे से! उम्म!! मार मार के फाड़ दे मेरी गांड को!"
"बहुत मस्त गांड है तुम्हारी, माँ!" मेरे वह बोले, "बहुत मज़ा आ रहा है पेलने मे!"
"आह!! माँ, लग रहा है भैया अपना लन्ड मेरे लन्ड पर रगड़ रहे हैं!" किशन बोला.
"चूत और गांड के बीच की दीवार बहुत पतली होती है, बेटा!" सासुमाँ बोली, "इसलिये तो चूत और गांड की दोहरी पेलाई मे मर्दों को इतना मज़ा है!"

मै भी ससुरजी के ठाप खा खा के बहुत गरम हो गयी थी. "हाय बाबूजी! और जोर से चोदो मुझे! आह!! और जोर से!!" मैने चिल्लायी, "मेरे पति के सामने मुझे रंडी की तरह चोदो!"

ससुरजी जोश मे आकर मुझे और जोर से चोदने लगे.
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