RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
सासुमाँ भी उठी और अपनी साड़ी ब्लाउज़, पेटीकोट वैगरह उतारकर पूरी नंगी हो गयी. फिर किशन से बोली, "चल किशन, अब चोद मुझे!"
सासुमाँ जमीन पर लेट गयी और किशन उन पर चढ़ गया. अपना लन्ड अपनी माँ की चूत मे घुसाकर उन्हे चोदने लगा. सासुमाँ ने अपने बेटे को बाहों मे भर लिया और उसके होठों को चूमने लगी और अपनी कमर उचका उचका कर चुदने लगी.
कुछ देर बाद वह बोली, "रामु, अपनी बीवी की चूत चाट चुका हो तो मेरे पास आ जा!"
मेरे वह बोले, "रामु, तेरी जोरु की चूत मेरे लौड़े के लिये तैयार हुई कि नही?"
"तैयार हो गयी, बड़े भैया!" रामु बोला, "अब आप गुलाबी को चोदिये."
गुलाबी मन लगाकर मेरे पति का लन्ड चूस रही थी. अपनी पत्नी की यह अश्लील हरकत देखकर रामु को बहुत उत्तेजना हो रही थी. वह उठकर सासुमाँ के पास चला गया.
सासुमाँ को किशन चोद रहा था. देखकर रामु बोला, "किसन भैया, आप तो अपनी माँ को चोद रहे हैं!"
"हाँ तो? तेरी बीवी भी तो मेरे भैया से चुद रही है." किशन बोला.
"ऊ अलग बात है. गुलाबी बड़े भैया की माँ थोड़े ही है." रामु बोला, "हम तब से यही सोच रहे हैं कि माँ-बेटा कैसे चुदाई कर सकते हैं."
"रामु, तु सोचना बंद कर और मेरे मुंह मे अपना लौड़ा दे." सासुमाँ ने डांटकर कहा, "अभी तो मैं बलराम से भी चुदवाऊंगी."
"राम-राम! कलयुग मे कैसे कैसे पाप होते हैं..." रामु बड़बड़ाने लगा तो गुलाबी चिल्लाकर बोली, "तुम का यहाँ सतनारायण कथा सुनने आये थे? चूत मिल रही है चुपचाप चोद लो. हम लोगन का मजा खराब मत करो!"
रामु चुप होकर सासुमाँ के सीने पर बैठ गया और उसने अपना काला, मोटा लन्ड सासुमाँ के मुंह मे दे दिया. सासुमाँ रामु के लन्ड को चूसने लगी और अपने बेटे के अपनी चूत मराने लगी.
इधर गुलाबी चाय की मेज पर अपनी चूत फैलाये पड़ी थी. मेरे पति गुलाबी के फ़ैले हुए जांघों के बीच घुटने के बल बैठ गये. अपने 8 इंच के मूसल को गुलाबी की चूत पर टिकाकर उन्होने एक धक्के मे पूरा अन्दर पेल दिया. गुलाबी मस्ती मे कराह उठी. फिर गुलाबी के टांगों को पकड़कर वह उसे चोदने लगे.
हम सातों नंगे जिस्म चुदाई मे मश्गुल हो गये थे. हम सब पर शराब और चुदास का नशा चढ़ा हुआ था. हम हर तरह की अश्लीलता कर रहे थे और उसका आनंद उठा रहे थे. सही-गलत, आचार-दुराचार, रिश्ते-नाते भुलकर हम एक दूसरे के नंगे शरीर से लिपटकर अपने जिस्म की घिनौनी भूख को मिटा रहे थे. चूतों मे लन्ड पेले जा रहे थे, चूचियां मसली जा रही थी, होंठ चूस जा रहे थे. सबके बदन पसीने-पसीने हो रहे थे. पूरे कमरे मे शराब और चूत की महक भर गयी थी. सबके मुंह से मस्ती की आवाज़ें आ रही थी. "ओह!! आह!! उफ़्फ़!!" की आवाज़ से पूरी बैठक गूंज रही थी.
मैं ससुरजी के कंधों को पकड़कर उनके लौड़े पर उछल रही थी. बीच-बीच मे अपने चारो तरफ़ देख भी रही थी.
मेरे पति चाय की मेज पर गुलाबी को लिटाकर चोदे जा रहे थे पर उनकी नज़र मेरी चूत मे अपने पिताजी के आते-जाते लन्ड पर थी. हमारी नज़रें मिली तो हम दोनो मुस्कुरा दिये. मेरी उत्तेजना उन्हे देखकर इतनी बढ़ गयी कि मैं ससुरजी ने नंगे जिस्म से लिपटकर झड़ने लग गयी. उनके लौड़े को पेलड़ तक अपने चूत मे घुसाकर मैं "ऊंह!! ऊंह!! ऊंह!! ऊंह!!" की आवाज़ निकालने लगी और अपने कमर को हिला हिलाकर झड़ने लगी.
"क्या हुआ बहु, तु झड़ गयी क्या?" ससुरजी बोले.
"हाँ, बाबूजी." मैं निढाल होकर उनके सीने पर लेटकर बोली. "आपके बेटे के सामने आपसे चुदवाकर मैं बहुत गरम हो गयी थी."
"चल कोई बात नही." ससुरजी बोले, "तु ज़रा नीचे उतर. मैं ज़रा गुलाबी को चखता हूँ."
मै ससुरजी के गोद से उतरकर सोफ़े पर लेट गयी और बाकी सबकी चुदाई देखने लगी.
ससुरजी उठे और उन्होने गुलाबी के गले के दोनो तरफ़ अपने पाँव रख दिये. फिर उन्होने उसके चूचियों पर बैठकर अपना लौड़ा उसके मुंह मे दे दिया. तुम्हारे भैया गुलाबी के पैरों को पकड़कर उसे जोर जोर से चोद रहे थे. गुलाबी ने मस्ती मे ससुरजी के लन्ड को मुंह मे ले लिया और चूसने लगी.
बेचारी वह भी झड़ने की सीमा तक पहुंच चुकी थी, पर वह न हिल पा रही थी न बोल पा रही थी. बस "ऊं!! ऊं!! ऊं!!" कर रही थी.
उसके मुंह को पेलते हुए ससुरजी झड़ने लगे. अपना मोटा लन्ड उसके गले तक घुसाकर वह अपना पानी गिराने लगे.
गुलाबी का मुंह वीर्य से भर गया और उसके मुंह के दोनो तरफ़ से बाहर बहने लगा. बेचारी की आंखें बड़ी बड़ी हो गयी. किसी तरह उसने ने ससुरजी का वीर्य हलक से उतारा. उसकी हालत देखकर मैं जोर से हंसने लगी.
"का हुआ भाभी?" रामु ने पूछा. वह अब भी सासुमाँ को अपना लन्ड पिलाये जा रहा था.
"देखो, तुम्हारी जोरु को बाबूजी अपनी मलाई पिलाकर मार ही न डालें!" मैने कहा.
"कुछ नही होगा, भाभी." रामु बोला, "ऊ छिनाल घोड़े की मलाई भी गटक जायेगी."
ससुरजी ने गुलाबी के मुंह से अपना लन्ड निकाला और वीर्य की रही सही बूंदें उसके सांवले चेहरे पर गिरा दी. फिर उठकर मेरे पास सोफ़े पर बैठ गये.
मेरे वह अब गुलाबी को बहुत बेरहमी से पेल रहे थे. लग रहा था अब वह अपना संयम नही रख पा रहे थे. गुलाबी का सारा शरीर उनके धक्कों से हिल रहा था. वह धक्कों के ताल पर "आह!! आह!! आह!!" कर रही थी.
गुलाबी चुदाई के आनंद को और बर्दाश्त न कर पायी और जोर से चिल्लाने लगी, "हाय, बड़े भैया! हम झड़ रहे हैं! आह!! हम....झड़....रहे....हैं!! आह!! आह!! आह!! आह!!"
"मै भी...झड़ने वाला हूँ...गुलाबी!" मेरे पति बोले, "बस....दो चार...मिनट और!"
पर वह दो मिनट भी नही टिक पाये. गुलाबी को लंबे लंबे ठाप लगाते हुए वह झड़ गये. उनके पेलड़ का रस गुलाबी की चूत की गहराई मे गिरने लगा. गुलाबी लेटे लेटे उसका आनंद उठाने लगी.
झड़कर मेरे वह सोफ़े पर बैठ गये. गुलाबी अपनी चूत फैलाये चाय की मेज पर पड़ी रही.
"तेरा हो गया, गुलाबी?" रामु ने पूछा.
"हाँ, हम तो पूरी तरह पस्त हो गये. बहुत बढ़ियां चोदे बड़े भैया." गुलाबी बोली, "तुम्हारा हुआ कि नही?"
"हम मालकिन की सेवा कर रहे हैं." रामु बोला, "तुझे काहे की जल्दी हो रही है?"
पर सासुमाँ की भी हालत बहुत खराब थी. किशन उन्हे काफ़ी देर से चोद रहा था. वह जोर जोर से कराह रही थी और चुदाई का मज़ा ले रही थी.
"माँ, अब मैं और नही रुक सकता!" किशन बोला. उसने बहुत मुश्किल से खुद को रोक रखा था.
"कोई बात नही. तु अपना लन्ड बाहर निकाल ले और रामु को चोदने दे." सासुमाँ बोली.
किशन ने अपना लन्ड अपनी माँ की चूत से निकाला और हिलाने लगा. रामु सासुमाँ के ऊपर से उठा और उनके जांघों के बीच बैठकर उनकी भोसड़ी को चोदने लगा.
"मेरे मुंह मे अपना लन्ड दे, बेटा." सासुमाँ किशन को बोली.
किशन ने ऐसा ही क्या. सासुमाँ उसका लन्ड चूसते हुए रामु से चुदवाने लगी.
"मेरा निकलने वाला है, माँ!" किशन गनगना कर बोला.
"मै भी यही चाहती हूँ, बेटा! आह!!" सासुमाँ बोली, "मुझे तेरी मलाई पीनी है. उम्म!! रामु! और जोर से चोद मुझे! मैं बस झड़ने वाली हूँ!!"
सासुमाँ किशन के पेलड़ को छेड़ रही थी और उसके लन्ड को जोरों से चूस रही थी.
किशन अपने लौड़े पर माँ के होठों की सुखद अनुभुति को और बर्दाश्त नही कर पाया और चिल्ला उठा, "हाय, माँ! मेरा निकल रहा है!! साली रंडी माँ! आह!! ले कुतिया, मेरा लन्ड का पानी ले, चुदैल! आह!! पी अपने बेटे का पानी, छिनाल! आह!! आह!! आह!!"
उसने अपना लन्ड अपनी माँ के मुंह से निकाल लिया और मुट्ठी मे लेकर जोर से हिलाने लगा. पिचकारी की तरह उसके लन्ड से वीर्य निकलकर सासुमाँ के चेहरे और बालों पर गिरने लगा.
"आह!! आह!! आह!!" करके उसने अपना सारा कामरस अपनी माँ के मुंह पर गिरा दिया.
बेटे की मलाई मुंह पर गिरना था कि सासुमाँ उत्तेजना मे झड़ने लगी.
"हाय, किशन! नहला दे अपनी रंडी माँ को अपने वीर्य मे!! आह!! गंदी कर दे मुझे!! आह!!" सासुमाँ बकने लगी, "रामु और जोर से चोद रे! हरामज़ादे, तेरी गांड मे दम नही है क्या? ओह!! इसलिये तेरी जोरु दुसरों से चुदाती रहती है!! आह!! आह!! उम्म!! आह!!"
रामु पूरी तकत लगाकर सासुमाँ को चोद रहा था. दोनो के पेट टकराते तो "ठाप! ठाप! ठाप! ठाप!" की जोर की आवाज़ हो रही थी. उसके जोरदार धक्कों के मज़े से सासुमाँ पूरी तरह झड़ गयी.
झड़कर सासुमाँ ने रामु को खुद से अलग कर दिया और किशन के नंगे जिस्म से लिपटकर लेट गयी.
ससुरजी बोले, "चलो, सबका एक दौर हो गया."
"मालिक, हमरा तो नही हुआ!" रामु उत्तेजना मे बोला.
"रामु, तुम ऐसा करो, मुठ मार लो." मैने चिढ़ाकर कहा, "अब जब तुम्हारी जोरु दूसरों से चुदवाने लग गयी है, तुम्हे रोज़ मुठ ही तो मारनी पड़ेगी."
रामु तैश मे आ गया. उसकी आंखे शराब और हवस से लाल थी. उसका मोटा काला लन्ड फनफना कर खड़ा था और सासुमाँ की चूत के रस से चमक रहा था. उस वक्त उसकी ऐसी हालत थी वह किसी का बलात्कार भी कर सकता था.
वह मुझे देखकर बोला, "साली बाज़ारु रंडी! मुझे चिढ़ाती है? मेरे लिये तेरी चूत तो है ना. मेरा जब मन करेगा मैं तुझे अपनी रखैल की तरह चोदुंगा!"
सुनकर ससुरजी और सासुमाँ हंसने लगे. किशन हैरान होकर रामु को देखने लगा और मेरे वह बोले, "रामु! ज़बान सम्भाल कर बात कर! मीना जैसी भी हो, घर की बहु है. तु उससे तमीज़ से बात करेगा!"
रामु सकपका गया तो मैने तुम्हारे भैया से कहा, "सुनिये जी, यह मेरे और रामु के बीच का एक मज़ाक है. आप बुरा मत मानिये. रामु मुझे गालियाँ देकर चोदता है तो मुझे बहुत उत्तेजना होती है."
"तुझे भी मज़ा आयेगा, बलराम, जब तेरी बीवी को कोई रंडी, छिनाल बोल के चोदेगा." सासुमाँ बोली, "रामु, तुझे बहु को रंडी, कुतिया, जो बोलने का मन है बोल और चोद ले साली को. अपनी हवस मिटा ले घर की बहु की इज़्ज़त लूटकर."
सासुमाँ की आज्ञा पाकर रामु बहुत खुश हो गया. अपना लौड़ा हाथ मे लेकर मेरे पास आया और बोला, "तुझे मैं कुतिया बनाके ही चोदुंगा! चल कुतिया बन और अपनी गांड इधर कर!"
घर के नौकर की हुकुम सुनकर मैं सोफ़े पर उकड़ू हो गयी और अपनी नंगी गांड उसके तरफ़ कर दी.
उसने मेरी कोमल, गोरे गोरे चूतड़ों पर दो चार जोर के चपत लगाये जिससे मेरे दोनो चूतड़ लाल हो गये.
"हाय, मार क्यों रहे हो? रामु मुझे दर्द हो रहा है!" मैने कहा.
"रंडी को लोग मार मारकर ही चोदते हैं!" रामु बोला, "जब मेरा लौड़ा तेरे गर्भ मे जाकर टकरायेगा ना, तब देखना कितना दर्द होता है!"
"बस और देर मत करो, मेरे राजा!" उसकी गालियों से उत्तेजित होकर मैने कहा, "अब चोद डालो अपनी रखैल को!"
रामु ने पीछे से मेरी चूत पर अपना लौड़ा रखा. चूत तो पहले से ही गीली और ढीली हुई पड़ी थी. एक जोरदार ठाप से उसका पूरा लन्ड मेरी चूत मे चला गया. मैं मज़े मे चिहुक उठी.
फिर रामु ने मेरी कमर को पकड़ा और मुझे एक कुतिये की तरह चोदने लगा. हर धक्के मे उसका लन्ड सुपाड़े तक बाहर आ जाता और फिर पेलड़ तक अन्दर चला जाता.
मुझे जल्दी ही फ़िर मस्ती चढ़ गयी और मैं चुदाई का पूरा आनंद उठाने लगी.
ससुरजी जो मेरे पास ही बैठे थे, मेरी लटकती चूचियों को दबा रहे थे, जिससे मेरा मज़ा दुगुना हो रहा था. ऊपर से मेरे पति घर के नौकर से मेरी चुदाई और बेइज़्ज़ती देख रहे थे. सोचकर ही मैं गनगना उठ रही थी.
घर के बाकी सब लोगों की नज़र भी मेरी चूत मे रामु के आते जाते लन्ड पर टिकी थी. मुझे लग रहा था जैसे सब नंगे होकर एक चुदाई फ़िल्म देख रहे हैं और मैं उस फ़िल्म की नायिका हूँ. सोचकर मैं मस्ती से भर उठी.
"हाय, सब लोग मुझे क्यों देखे जा रहे हो?" मैने रामु का ठाप खाते हुए पूछा.
"बहुत कामुक लग रही है तु, बहु, नौकर से चुदवाते हुए!" सासुमाँ ने कहा, "जैसे उस फ़िलम मे वह लड़की अपने बाप से चुदवा रही थी."
ससुरजी बोले, "कितना अच्छा हो अगर हम बहु और रामु की चुदाई की एक फ़िलम बनाये!"
"सच, पिताजी!" किशन उत्साहित होकर बोला, "बहुत मज़ा आयेगा भाभी की चुदाई को टीवी पर देखकर!"
"सिर्फ़ बहु की ही क्यों," सासुमाँ बोली, "गुलाबी भी बहुत सुन्दर है. एक फ़िलम बनानी चाहिये जिसमे दो मरद उसकी गांड और चूत को मार रहे हों!"
"हाय, मालकिन, हम कभी गांड नही मरवाये हैं!" गुलाबी बोली.
"वह कमी तो मैं आज पूरी कर दूंगा." ससुरजी बोले, "तेरी गांड को आज मैं चौड़ी कर दूंगा जिससे तुझे फिर गांड मरवाने मे दिक्कत ना हो."
"हाय, मालिक, हमको बहुत डर लग रहा है!" गुलाबी उत्तेजित होकर बोली.
"साली, 8 इंच का लौड़ा गांड मे घुसेगा तो डर तो लगेगा ही!" रामु अपनी बीवी को बोला. "बोल, मीना बाई, तेरी गांड मारुं आज?" रामु ने पूछा.
"मार लो जो मारना है, रामु!" मैने कहा, "बस मुझे जल्दी से एक बार झड़ा दो!"
रामु ने मेरी चूत से अपना लन्ड निकाला और फिर हाथ से पकड़कर मेरी गांड के छेद पर रखा. कमर के धक्के से पहले उसने सुपाड़े को अन्दर कर दिया, फिर पूरा लन्ड ही अन्दर कर दिया.
वीणा, गांड मराने का एक अलग मज़ा है और मैने यह मज़ा अपने पति के साथ बहुत लिया है. इसलिये रामु के लन्ड से मुझे कोई तकलीफ़ नही हुई.
"चुदैल, तु बहुत गांड मराती है क्या?" रामु ने पूछा, "हमरा लन्ड ऐसे ले ली जैसे गांड मे गधे का लन्ड लेने की आदत है?"
"तेरा लन्ड छोटा है, रामु. तभी." सासुमाँ उसे उत्तेजित करने के लिये बोली.
"अभी इस कुतिया की गांड फाड़ देंगे ना, तो समझेगी मेरा लन्ड छोटा है कि बड़ा!" रामु गुस्से से बोला.
"हाँ, रामु! फाड़ दो मेरी गांड को!" मैने उसे कहा, "तुम्हारा लन्ड बहुत मोटा है. मुझे बहुत पसंद है."
रामु ने मेरे चूतड़ों को पकड़ा और मेरी गांड मे अपना लन्ड पेलने लगा.
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