मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:19 PM,
#90
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
बलराम भैया भी मुझे पेलते पेलते झड़ने लगे. जोर जोर से मेरी चूत मारते हुए बोले, "साली की क्या कसी चूत है! आह!! मुझसे रोका नही जा रहा है! आह!!"
"सोनपुर के बाद ज़्यादा चुदी नही है ना." मामीजी बोली, "इसकी चूत फिर से कस गयी है."
"जीजाजी, भर दीजिये वीणा की चूत अपने वीर्य से!" अमोल उत्तेजित होकर बोला.

"आह! आह!! आह!! आह!!" करते हुए बलराम भैया मेरी चूत मे झड़ गये और मेरे ऊपर ढह गये. उनका लन्ड मेरी चूत मे ही फंसा रहा.

अमोल अब अपनी दीदी की चुदाई की वीडिओ बनाने लगा. मामाजी भाभी को अब भी कुतिया बनाकर चोदे जा रहे थे. वह अपने भाई के लन्ड को मुंह मे लेकर चूसने लगी और अपने ससुर से चुदवाने लगी.

"अमोल बेटा...अपनी दीदी की अच्छी सी वीडिओ बनाओ." मामाजी भाभी को पेलते हुए बोले, "फिर अपने माँ-बाप को भेजो...वह भी तो देखें...उनकी बेटी अपने ससुर...की कितनी सेवा करती है!"

अमोल अपनी दीदी को अपना लन्ड चुसाते हुए उसकी चुदाई की वीडिओ लेने लगा.

अपने दीदी की इतनी अश्लील हालत देखकर वह जोश मे आ गया और भाभी के मुंह को चोदते हुए झड़ने लगा.

उसके पेलड़ का गाढा, सफ़ेद वीर्य उसकी दीदी के मुंह मे गिरने लगा. भाभी पीछे से अपने ससुर के धक्के ले रही थी, इसलिये अमोल का वीर्य उसके मुंह से छलक का गद्दे पर गिरने लगा. अपने भाई का बाकी वीर्य भाभी गटक गयी.

तभी गुलाबी बोली, "अरे कोई हमरी भी तो फिलम बनाओ!" वह अब भी विश्वनाथजी का बांस जैसा लन्ड चुसे जा रही थी.

अमोल ने कैमेरा उसकी तरफ़ किया तो वह उठी और कैमेरा मे सामने बहुत ही कामुक अंदाज़ से अपने चोली खोलने लगी. चोली खोलते ही उसके सुन्दर गदरायी चूचियां नंगी होकर बाहर आ गयी. उसका मंगलसूत्र उसके नंगी चूचियों के बीच लटक रहा था. एक हाथ से अपने एक चूचियों को वह मलने लगी. दूसरे हाथ से उसने अपना घाघरा उठाया और अपनी नंगी चूत को सहलाने लगी.

"अमोल भैया, हमरे जोबन की फिलम अच्छी आ रही है?" वह बोली. वह बहुत ही नशे मे लग रही थी.
"हाँ, गुलाबी. बहुत अच्छी आ रही है." अमोल बोला.
"और हमरी चूत की?" गुलाबी अमोल को अपना घाघरा उठाकर अपनी चूत दिखा के बोली, "हमरी चूत की भी फिलम बनाइये!"
"तु घाघरा उतार, तब अच्छी आयेगी." अमोल बोला.

अब गुलाबी ने अपना घाघरा उतार फेंका और पूरी नंगी हो गयी. वह बहुत नशे मे थी और हद से ज़्यादा चुदासी हो गयी थी. एक रंडी की तरह कैमेरे को दिखा दिखाकर अपने चूत मे उंगली घुसाने लगी.

"अमोल भैया! अब हमरी चुदाई की फिलम बनाइये!" गुलाबी हिचकी लेकर बोली, "साहेब! अब हमरी चूत अपने खूंटे से मारकर फाड़ दीजिये!"

विश्वनाथजी ने गुलाबी को खींचकर अपने बाहों मे ले लिया और उसके नरम होठों को पीने लगे.

फिर उसे गद्दे पर लिटाकर उस पर चढ़ गये. उन्होने अपना विशालकाय लन्ड उसकी छोटी सी बुर पर रखकर जोर का धक्का मारा तो गुलाबी दर्द से चिल्ला उठी. "हाय, मर गयी! मेरी चूत फट जायेगी!"
"विश्वनाथ, ज़रा आराम से." मामाजी भाभी को पेलते हुए बोले, "इसने इतना बड़ा हबशी लन्ड कभी लिया नही है."

विश्वनाथजी ने थोड़ा रुक कर एक और धक्का मारा. गुलाबी की आंखें बड़ी बड़ी हो गयी. अगर वह इतने नशे मे न होती तो शायद डर जाती. उसके पैरों को पकड़कर विश्वनाथजी धीरे धीरे धक्का मारते रहे. आखिर उनका पूरा लन्ड गुलाबी की चूत मे घुस गया.

वह खुद भी नशे मे थे. इसलिये ज़्यादा सब्र नही कर सके. गुलाबी की कसी चूत को अपने विकराल लन्ड से जोर जोर से चोदने लगे.

गुलाबी की आंखें ऐसी हो गयी जैसे वह सांस नही ले पा रही हो. उसकी संकरी चूत विश्वनाथजी के लन्ड के धक्कों से बहुत चौड़ी हो जा रही थी. हर धक्के के साथ लग रहा था बेचारी का दम ही निकल जायेगा!

पर जल्दी ही उसे मज़ा आने लगा. और इतना मज़ा आने लगा कि वह अपने काबू के बाहर हो गयी. चूत के नाज़ुक तंत्रिकाओं पर मोटे लन्ड की रगड़ से उसे इतना सुख मिल रहा था कि वह बर्दाश्त नही कर पा रही थी.

आनप-शनाप बकते हुए गुलाबी जोर से झड़ने लगी. "हाय, फाड़ दो हमरी चूत को! आह!! ओह!! चुद गये हम दईया रे!! अपने मरद के सामने चुद गये!! आह!! उफ़्फ़!! क्या लौड़ा है रे राम! फाड़ दी हमरी चूत को! आह!! आह!! ओह!!"

गुलाबी झड़कर पूरी तरह पस्त हो गयी. लग रहा था चरम आनंद से वह बेहोश हो गयी थी.

विश्वनाथजी ने गुलाबी की चूत से अपने लन्ड को निकाला और कहा, "यह बेचारी तो गयी. अब कौन चुदेगी मुझसे?"
"विश्वनाथजी, मै!" भाभी मस्ती मे बोली, "मुझे चुदना है आपसे!"

मामाजी ने अपना लन्ड भाभी की चूत से निकाला और अलग हो गये.

भाभी अपनी चूत खोलकर लेट गयी. विश्वनाथजी आकर भाभी के पैरों के बीच बैठे और अपना लन्ड उसकी चूत पर रखकर धक्का देने लगे. एक एक धक्के मे लन्ड दो दो इंच अन्दर जा रहा था.

बलराम भैया मेरे ऊपर से उठकर बैठ गये थे. रामु ने उनकी गिलास भर दी थी और वह शराब पी रहे थे और विश्वनाथजी के लन्ड से अपनी प्यारी पत्नी की बर्बादी देख रहे थे.

भाभी अपने पति को देखकर बोली, "देखिये जी...इसी आदमी ने...आपकी मीना को एक रंडी बनाया है! आह!! मिलना चाहते थे ना आप...विश्वनाथजी से? मिल लीजिये! आह!! क्या मोटा लन्ड है! ओह!! लगता है मेरी चूत को...उम्म!! फाड़ ही देगा! और इतना लंबा है...के घुसता है तो लगता है...खतम ही नही होगा! आह!! इसी लौड़े से...आपकी बीवी सोनपुर मे रोज़ चुदती थी! इसी लौड़े ने...आपकी भोली भाली पत्नी को...चुदाई की लत लगायी है!"

बलराम भैया का लन्ड अपनी पत्नी की दशा देखकर फिर खड़ा हो गया था. उनकी माँ उनका लन्ड पकड़कर हिलाने लगी.

विश्वनाथजी भाभी को जोर जोर से चोदने लगे. भाभी का पेट भी मेरी तरह थोड़ा फुल गया था. विश्वनाथजी का मोटा लन्ड जब उसकी चूत मे घुसता तो पेलड़ उसकी गांड पर जाकर लगता. वह मस्ती मे हाथ पाँव मार रही थी.

इधर मैं फिर चुदाई के लिये तैयार हो गयी थी. मैने चिल्लाकर पूछा, "अब कौन चोदेगा मुझे?"

"दीदी, अब मेरी बारी है!" किशन ने कहा और जल्दी से आकर मेरे पैरों के बीच बैठ गया.
"किशन तु इतना बड़ा हो गया कि चूत मार सके?" मैने मज़ाक मे कहा.
"हाँ, दीदी!" किशन मेरी चूत पर अपना लन्ड सेट करता हुआ बोला, "मै तो गुलाबी, भाभी, और माँ को रोज़ ही चोदता हूँ."
"तो मुझे भी चोदकर दिखा तुझे क्या आता है." मैने कहा और अपनी कमर उचकायी.

किशन ने पूरी दक्षता से मेरी चूत मे अपना लन्ड घुसा दिया. उसका लन्ड अपने भैया से एक इंच छोटा था, पर काफ़ी सुन्दर था. मेरे ऊपर लेटकर वह मुझे चोदने लगा.

अमोल विश्वनाथजी के द्वारा अपनी दीदी की जबरदस्त चुदाई का वीडिओ बना रहा था. वह अब मेरी वीडिओ बनाने लगा. उसके सामने उसके मंगेतर को दूसरा आदमी चोद रहा था. उत्तेजना मे उसकी हालत खराब हो रही थी. मैं उसे दिखा दिखाकर किशन से चुदवाने लगी.

मैने पहले कभी किशन से चुदाया नही था. पर लग रहा था भाभी ने अपने देवर को अच्छी शिक्षा दी है. उसके ठापों से मैं जल्दी ही झड़ने के करीब आ गयी.

उधर भाभी विश्वनाथजी को पकड़कर झड़ रही थी. विश्वनाथजी के लन्ड के धक्कों से उसका शरीर बुरी तरह हिल रहा था. अपने पति को दिखा दिखा के कह रही थी, "विश्वनाथजी, चोद डालिये मुझे! आह!! देखिये जी, इसे कहते हैं चुदाई!! आह!! कुछ सीखिये विश्वनाथजी से!! ओह!! देखिये...आपकी बीवी कैसे चुद रही है!! हाय, क्या लौड़ा है! औरत को पागल का देता है!! आह!! आह!! ऊह!!"

विश्वनाथजी भी बहुत हो जोरों से भाभी को पेल रहे थे. वह अपना लन्ड भाभी की चूत से सुपाड़े तक बाहर ले आते और फिर एक जोरदार धक्के से पेलड़ तक पेल देते. उनका पेलड़ भी बहुत बड़ा था और भाभी की गांड मे जा जाकर लग रहा था. अचानक वह जोर से कराहे और भाभी को बेरहमी से पेलते हुए उसकी चूत मे झड़ने लगे.

"हाय, भर दो मेरी चूत को!! विश्वनाथजी, मेरे गर्भ मे आपका ही बच्चा है! हाय, मैं गयी!! मैं गयी!! आह!!" भाभी बड़बड़ाते हुए झड़ गयी.

विश्वनाथजी और भाभी नंगे होकर एक दूसरे से लिपटकर पड़े रहे.

उनकी चुदाई देखकर किशन बहुत ज़्यादा गरम हो गया. मुझे ठोकते हुए वह मेरी चूत मे झड़ने लगा. मेरी चूत पहले ही बलराम भैया के वीर्य से भरी हुई थी. उसमे वह अपना वीर्य मिलाने लगा.

झड़कर किशन मुझसे अलग हो गया. मैं तब मस्ती के शिखर पर थी. खीजकर चिल्लायी, "अबे साला कोई और लन्ड डालो मेरी चूत मे!"

रामु जो मेरी चुदाई देख रहा था और अपना लन्ड हिला रहा था बोला, "मालकिन, हम चोदे अब वीणा दीदी को?"
"हाँ हाँ चोद ले." मामीजी बोली, "छिनाल की चूत है. कोई भी मार ले."

यह सुनते ही रामु जल्दी से आकर मेरे ऊपर चढ़ गया.

मै पहली बार किसी नौकर से चुदवा रही थी. रामु थोड़े कम कद का, काले रंग का हट्टा-कट्टा आदमी था. उसका लन्ड बिलकुल काला था. लंबई किशन जैसी ही थी, करीब 7 इंच की, पर मोटाई बहुत ज़्यादा थी.

जैसे ही उसने मेरी चूत मे अपना मोटा सुपाड़ा घुसया, किशन का खूब सारा वीर्य पचाक! से मेरी चूत से निकल आया. मेरी चूत चौड़ी हो गयी पर वीर्य से मेरी चूत इतनी चिकनी हो चुकी थी कि उसका मोटा लन्ड आराम से अन्दर चला गया. वह मुझे पकड़कर जोरदार धक्कों से चोदने लगा. मुझे उससे चुदवाने मे बहुत मज़ा आने लगा.

"अमोल, तुम्हारे घर मे कोई जवान नौकर है?" मैने चूत मे लन्ड लेते हुए पूछा.
"नही, वीणा. क्यों?" अमोल ने पूछा. वह अब मेरी और रामु की चुदाई की फ़िल्म बना रहा था.
"अरे तुम काम पर जाओगे...तो तुम्हारे पीछे तुम्हारी बीवी किससे चुदवायेगी?" मैने पूछा, "मेरे लिये एक मोटे लन्ड वाला...जवान नौकर रख देना...जो तुम्हारी वीणा को चोदकर शांत रख सके...नही तो एक दिन...घर आकर देखोगे...तुम्हारी बीवी अपनी चूत की गर्मी मिटाने के लिये...किसी रंडीखाने मे चली गयी है!"

सुनकर सब हंसने लगे.
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