रानी के साथ की यादें - 2
07-02-2020, 01:19 AM,
#1
रानी के साथ की यादें - 2
दूसरे दिन से मैंने अपनी कोशिश शुरू कर दी,<br/><br/>मैं नाश्ता कर रहा था. वो दरवाज़ा खोल अंदर आ गई " आओ आंटी नाश्ता कर लो! " वो अचंबित हो गई " क्या हुआ साहिल आज तो तुम अच्छे मूड में लग रहे हो, नहीं तो कुछ बोलते ही नहीं हो मुझसे! " , मुझे अपने दोस्त की बात याद आई की अगर बात नहीं करोगे तो कुछ काम नहीं बनने का ; मैं " चलो तुमको अच्छा नहीं लगता तो नहीं करता! " वो हंस पड़ी " नहीं मेरा मतलब है, अगर कोई बात करता रहे तो मन लगा रहता है! " . वो किचन में चली गई और मैंने भी फटा फट अपना अंडरवियर उतार दिया और शॉर्ट्स पहन ली, वो बर्तन धो रही थी और उसका सफ़ेद ब्रा नीली कमीज के नीचे चमक रही था, मैं उसे देखता रहा और मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, मैं उसके पास गया और प्लेट रख दी " आंटी ज़रा इसे भी धो देना " वो मुड़ी और उसकी नज़र शॉर्ट्स में मेरे तनाव पे गई, उसके हाथ से बर्तन फिसल के गिर गया, मैं अनजान बनते हुए " क्या हुआ आंटी घर से लड़ के आई हो? " . मैं वहीँ खड़ा हो गया " आंटी एक बात बताओ तुम्हारी क्या उम्र है? " वो हंस पड़ी " होगी 42 के आस पास, क्यों क्या करोगे? " . उसकी नज़र फिर मेरे तनाव पे गई जो अब ढीला हो गया था, मैं बात करता रहा " और शादी कब हुई? "<br/><br/>वो " शादी मेरी 17 साल में हो गई थी " वो भी मेरी बातों पे ध्यान दे रही थी, ऐसे ही चलता रहा, और धीरे धीरे उसके काफी बातें और हंसी मज़ाक होने लगा, और मुझे पता लगा की उसका पति किसी और औरत के चककर में पड़ा हुआ है मैंने अपनी कोशिश तेज़ कर दी.<br/><br/>एक दिन सुबह मौसम बड़ा कातिल हो रहा था, मैं कुछ ढूँढ रहा था और उसके कपड़ों वाला थैला मेरे हाथ लग गया, खोलके देखा तो उन कपड़ो में उसकी एक काली ब्रा और लाल फूलों वाली पैंटी भी थी, उसकी ब्रा का साइज ४० डी था, उतने बड़े कप देख के ही मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, मैंने उसके कपडे वापिस रख दिए और उसकी पैंटी लेके अपने कमरे में चला गया, उसकी पैंटी सूंघ के मेरा लण्ड और कैड़ा हो गया मैं लेट के उसकी पैंटी से लण्ड को सहला रहा था, इतने में दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई, और उस वक़्त मुझे कुछ नहीं सूज रहा था, मैं किचन में गया, वो बर्तन कर रही थी " आ गए, क्या कर रहे थे? " मेरा लण्ड पूरा तना हुआ था मैंने हिम्मत करके उसे जाके पीछे से पकड़ लिया और उसे चूमने लगा " आंटी अब मुझसे नहीं रहा जाता " वो हंस पड़ी " हऐ मेरा बच्चा, आज हिम्मत कर ही दी तुमने, छोड़ो मुझे तुम्हारा चुभ रहा है मुझे, मेरी हिम्मत और बड़ी और मैंने उसे घुमा दिया और आगे बाद के उसके होंठ चूम लिए " आंटी तुम्हे पता था? " , उसने भी मुझे पकड़ लिया " और क्या मेरे राजा इतने दिनों से देख रहीं हूँ की तुम क्या कर रहे हो " . मैं उसका हाथ पकड़ के कमरे की तरफ जाने लगा, उसने रोक दिया " इतने दिनों से सब्र रखा है तो थोड़ा और सही, पहले काम ख़तम कर लूँ " , वो भी उतावली थी और उसने जल्दी जल्दी बर्तन कर दिए, मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैं उसे लेकर कमरे में गया और उसके रसीले होटों को चूमने लगा और उसके दुपट्टा उतार दिया और उसे बिस्तर पे बैठा दिया, मैं उसके साथ बैठ गया और उसकी कमीज उठाने लगा " आंटी बहुत दिनों से इस दिन का इंतज़ार था, आज तुमको जी भर के प्यार करूँगा " उसने भी कमीज उतारने दी और उसके मोटे मुम्मे देख मैंने गहरी आह भरी " रानी आंटी तुम्हारे मुम्मे कितने बड़े और सुन्दर है! " , दो बच्चों के हिसाब से उसके मुम्मे और शरीर कसा हुआ था, मैंने उसकी ब्रा उतारनी चाही " रानी अब और मत सताओ आज़ाद कर दो इन्हे, उसने ब्रा उतार दी " साहिल कैसे इतने गरम हो रहे हो? " मैंने उसकी पैंटी जेब से निकाली और उसे सूंघा " रानी तुम्हारी खुशबू ने आज मुझे बेकाबू कर दिया है " मैंने अपनी शॉर्ट्स उतार दी, और मेरा लण्ड अंडरवियर पे ज़ोर लगा रहा था " देखो कैसे फाड़ के बाहर आना चाह रहा है " उसने तआव को देख " साहिल तुम तो बहुत जोश में लग रहे हो " मैं पास गया और उसका हाथ अपने लण्ड पे रख दिया " रानी इसे बाहर निकालो " , उसने मेरा अंडरवियर नीचे सरकाया और मेरा लण्ड देख अहह भर गई " हऐ साहिल तुम्हारा ये कैसा हथोड़े जैसा है " हाथ लगाने में हिचक रही थी " साहिल ऐसा कभी नहीं किया मैंने और वो भी अपने से आधे उम्र के लड़के के साथ " मैंने उसके मुम्मो को हाथो में लिया और उसके निप्पल को जीब से सहलाने लगा " इतने बड़े मैंने आज तक फिल्मो में ही देखे है " वो भी मेरे सुडौल शरीर को छूके मज़े ले रही थी, मैंने उसे लेता दिया और उसके ऊपर चढ़ के उसके मुम्मे चूसने लगा, वो गरम हो रही थी, मेरा लण्ड उसके पेट पे लगा और वो कांप उठी " अह्ह्ह साहिल कितना गरम हो रहा है तुम्हारा, थोड़ा आराम कर लो " , मैं बहुत गरम हो गया था और मेरा लण्ड पत्थर जैसा सख्त और सुपाड़ा फूल के टमाटर जैसा हो गया था, मैं उसके होटों को चूमने लगा और अपना सय्यम खो रहा था, मुझे औरत का साथ मिले हुए कई साल हो गए थे और मैं उतावला होने लगा, और एक दम से मैं उसके ऊपर ही झड़ने लगा, वो मेरी पीठ रगड़ रही थी मैं थक के उसके ऊपर ही लेट गया " रानी ये तो गलत हो गया, बिना कुछ करे ही छूट गया " मेरा सारा माल उसके पेट और सलवार पे गिरा हुआ था. वो " कोई बात नहीं पहली बार ऐसा हो जाता है, अगले में ठीक हो जाएगा, मैंने उसके खड़े निप्पल को चूमा " तुम्हारी सलवार भी सन गई है " वो उठी " रुको मैं साफ़ होके आती हूँ " . थोड़ी देर बाद उसने मुझे आवाज़ दी " साहिल मेरी सलवार पकड़ाना " मैं दरवाज़े पे गया और जैसे उसने खोला मैं अंदर घुस गया, वो चौंक गई " हऐ राम, क्या करते हो! " उसने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी और उसके मांसल टाँगे गज़ब थी, मैं उसकी पैंटी नीचे सरकाने लगा, वो मना करने लगी " नहीं साहिल रुक जाओ मुझे शर्म आ रही है " मैं नहीं माना और उसकी पैंटी उतार दी उसके चूतड़ों को पकड़ के अपनी आप से सटा दिया, उसका हाथ मेरे लण्ड से छूआ " अरे पहले इसे तो खड़ा कर लो " मैंने उसका हाथ अपने लण्ड पे रख दिया " लो आंटी तुम ही खड़ा करो " वो लण्ड सहलाने लगी और मैं उसकी झाटों में हाथ फेरने लगा " रानी इसे काट लो, चाटते समय बीच में आएँगे " वो उछल " चलो हटो! नीचे कौन चाटता है, गंदे कहीं के " , मेरी ऊँगली उसके छोले से टकराई और उसकी सिसकी निकल गई " अहह साहिल धीरे हलके से करो " मैं धीरे धीरे उकसे छोले को सहला रहा था " रानी जल्दी से नहा लो, मैं तुम्हे चाटूँगा " . थोड़ी देर में वो आई, उसे देख मेरी साँसे रुक गई. उसने छाती तक तौलिया लपेटा हुआ था और उसका जिस्म गीला था, वो मेरे पास आई " क्या हुआ, क्या देख रहे हो " मैं खड़ा हुआ और उसके होंठो को प्यार से चूमा " रानी ये सब कहाँ छुपा रखा था आज तक " वो मेरी बाहों में पिघल सी गई. उसे देख के ही मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था, मैंने उसे लण्ड पकड़ाया " देखो तुम्हे देखते ही खड़ा हो गया " . उसने बड़े प्यार से लण्ड को पकड़ा और सुपाडे पे हाथ फेरने लगी " मैं सही कर रही हूँ या गलत, पता नहीं " मैंने उसका तौलिया खोल दिया " जब इतना आ गई हो तो सब ठीक है, अब बस होने दो सब कुछ " , मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसके नितम्बो को गूंदने लगा " रानी तुम्हे देख के लगता नहीं है की तुम्हारे दो बच्चे है " मैं उसे बिस्तर पे लेटा दिया और उसकी पैंटी उतार दी, और उसकी नाभि से चूमता हुआ नीचे जाने लगा, वो आहें भरने लगी " अह्ह्ह साहिल हहह, क्या कर रहे हो नहीं वहां मुँह मत लगाओ " . मैं उसकी झांटें सहलाता रहा और उस हिस्से को चूमता रहा, वो पूरी तरह गरम पड़ी थी, मैंने उसकी चूत की फांके फैलाई और उसका मोटा छोला, खड़ा हुआ था " रानी इसके बाद तुम मेरी हो " मैं उसे हलके से चाटा, वो चिल्ला पड़ी " अह्ह्ह्ह साहिल सससस " मैं उसे चाटने लगा और एक ऊँगली भी उसकी गीली चूत में उतार दी, वो ज़ोर ज़ोर से अह्ह्ह भर रही थी, और बस मेरा नाम लिए जा रही थी " अहह साहिल हहह हहह " , उसे देख के लग रहा था, रमेश ने कभी ये सब नहीं किया, मैं उसके छोले को कभी हलके से सहलाता कभी ज़ोर से, पूरा कमरा उसकी आहों और सिसकियों से गूंज रहा था, वो अपने चरम पे आ रही थी, मैं उसके ऊपर आ गया और उसने, पैर फैला दिए और मेरे लैंड को अपनी गीली चूत पे रख दिया, मैंने हल्का सा झटका मारा और मेरा सुपाड़ा खप से उसकी चूत में चला गया, वो ज़ोर से " अह्ह्ह साहिल धीरे बहुत मोटा है दर्द हो रहा है " , उसकी चूत मेरे सुपाडे को कस के पकड़ रही थी. मैंने और जोर लगाया और उसकी गीली चूत में मेरा लण्ड समाने लगा, करते करते मैंने पूरा अंदर डाल दिया " रानी मेरे पास कंडोम नहीं है " वो गहरी सांस भरते हुए, उसकी आँखे भी नम थी " ये पहले सोचना चाइये था, बस अन्दर मत छोड़ना! " . मैंने उसके होंठ चूमे और उसने पूरी तरह मेरा साथ दिया और मेरे निचले होंठ चूसने लगी, मैं धीरे धीर झटके मारने लगा, और हर झटके के साथ वो और उत्तेजित होने लगी, और नीचे से खुद भी झटके दे रही थी " अह्ह्ह साहिल ऐसे ही बस अंदर तक लगाते रहो, रुकना नहीं " . मैं उसे पूरा अन्दर तक को जोत रहा था, उसकी चूत काफी कसी हुई थी, पांच मिनट में ही ; मुझे फिर झड़ने का एह्सास होने लगा " रानी अह्ह्ह मुझे हो जाएगा " मैंने लण्ड खींचना चाहा, पर उसने अपने टांगों से मृ कमर को कास लिया " हहह साहिल, अभी नहीं रुके रहो और करते रहो " मैं फिर जुताई में लगा गया, और अगले ही पल वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी और कांपने लगी, मैं उसे ताबड़ तोड़ छोड़ रहा था ;उसकी चूत मेरे लण्ड पे कसी हुई थी और उसे काबू करना मुश्किल हो गया और मैं भी झड़ने लगा " ओह्ह्ह रानी मेरा छूट रहा है अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह " पर वो अपने में मस्त थी और मैं उसके अन्दर ही झड़ गया, थोड़ी देर हम वैसे हे पड़े रहे, मैं उसके ऊपर से हटा " आंटी कैसा लगा? " वो उठ के बैठ गई " बहुत अच्छा, मेरा अंग अंग खुल गया, याद भी नहीं आखरी बार कब किया था, हो गए चार पांच साल " . मैंने उसे फिर लेटा लिया " आओ लेटो ना कहाँ जा रही हो अभी दिल नहीं भरा " . वो हंसने लगी " तुमने जो मेरे अंदर भर दिया है, उसे बाहर निकलने दो ; कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए " . मैं उसके साथ बैठ गया " तुमने भी रोका नहीं, मैं आज ही जाके एक बड़ा पैकेट कंडोम ले आऊंगा " . वो मेरी जांघो पे हाथ फेरने लगी " उस टाइम मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, हाथ पैर ढीले पड़ गए थे, अब से ख्याल रखना ; अभी जाने दो लेट हो गई हूँ, कल के लिए भी कुछ छोड़ दो! " . मेरा अभी और मन था, पर उसकी चाल से लग रहा था, की उसकी बस हो गई है. जाते जाते बोल के गई " तुमने अपनी आंटी को फिर से औरत होने का एहसास दिला दिया है "
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