RE: सुमित की शादी का सफर
" ये लो यह रूमाल तुम वहां छोड़ आए थे। स फक्स....इसमे यह क्या लगा है लिसलिसा" यह वोही रुमाल था जिसमे मैंने मीनू के नाम की मुट्ठ मारी थी अपनी सीट पर लेते हुए वोही मुझे देने लगी. "इसमे वोही लिसलिसा है तो अभी तुम्हारी मुनिया मै मेरे लंड ने उडेला है.... और तुम क्या लिए हो" मैंने मीनू को कहा... उसने पहले सूंघा फूले कहने लगी " ये मेरी पैंटी ही... ख़राब हो गई थी तो मैंने निकाल ली.. और तुम्हारा रुमाल मै ले जा रही हूँ इसे अपने साथ रखूँगी और तुम्हारे पानी का स्वाद लेकर इसे सूंघकर सो जाउंगी.. तुम दिल्ली में कहां रुकोगे.. और किस काम से जा रहे हो" मीनू ने मेरे से पूछा . तुम अपनी पैंटी मुझे दो मैंने मीनू से कहा फिर बताउंगा कि मैं कहां और क्यों जा रहा हूँ. पहले तो मीनू मुझे घुड़की "तुम क्या करोगे मेरी गन्दी पैंटी का" मैंने कहा " वोही जो तुम मेरे रुमाल के साथ करोगी और मै तुम्हारी पैंटी अपने लंड पर लपेट कर मुट्ठ भी मारूंगा" उसने मेरे को चुम्मा देते हुए कहा "पागल" और अपनी पैंटी मुझे दे दी मैंने वहां जहां उसकी बुर रहती है उसको अपनी नाक से लगाया और जीभ से चाटा तो मीनू शर्मा गई
मैंने मीनू को बताया की मुझे दिल्ली में थोड़ा काम है और एक दोस्त की शादी भी है इतना सुनकर वो कुछ आश्वस्त हुई. मैंने कहा तुम मेरा सेल नम्बर ले लो मेरे को फ़ोन कर लेना मै बता दूँगा की कहा पर रुकुंगा और हम कैसे और कब मिलेंगे यह भी बता देंगे.
मीनू मेरा रुमाल लेकर अपनी सीट पर आ गई और मै अपनी सीट पर. अब मेरा बैग भी आ गया था सो मैंने बैग मै से एयर पिल्लो निकाल और अपने सिराहने रख कर मीनू को याद करने लगा मेरा मेरा लंड फ़िर से खडा होने लगा सो मैंने सीट पर लेटकर मीनू की पैंटी सूंघने लगा उसमे से मीनू की पेशाब और उसके पानी की स्मेल आ रही थी. उस स्मेल ने कमाल ही कर दिया मेरा लंड फंफनाकर बहुत कड़क हो गया मैंने मीनू की पैंटी का वो हिस्सा जो कि उसकी चूत से चिपका रहता था मैंने फाड़ लिया और बाकी की पैंटी लेटे लेटे ही लंड पर लपेट ली नेक्कर के अंदर मैंने मीनू को सपने में चोदते हुए और उसकी बुर की खुसबू सूंघते हुए उसकी पेशाब भरी पैंटी को चाटते हुए मुठ मारने लगा मैंने अपना सारा पानी मीनू की फटी हुई पैंटी और अपनी चड्डी मै निकाल दिया ३ बार झड़ने के कारण पता ही नही चला की कब मै सो गया"
सुबह मुझे एहसास हुआ की कोई मुझे जगा रहा है.. तो मैंने आँख खोलते हुए पुछा कौन है गाड़ी कौन से स्टेशन पर खड़ी है .... मुझे जगाने वाला मेरा साला मीनू का भाई था बोला " देव जी उठिए निजामुद्दीन पर गाड़ी खड़ी है पिछले १५ मिनिट से सभी आपने घर पहुच गए आप अभी तक सोये हुए हूँ" मै फटाफट उठा और अपना सामान बटोरा वैसे ही हाथ में लिया और प्लेटफोर्म पर उतर आया. वहा सबसे पहले मेरी नज़र मेरी नई चुदैल जानेमन मीनू पर पड़ी वो बिल्कुल फ्रेश लग रही थी. उसके चेहरे से कतई ऐसा नही लग रहा थी कल रात को मैंने इसी ट्रेन मै मीनू की बुर का अपने हल्लाबी लंड से उदघाटन किया था और उसकी सील तोडी थी
प्लेटफॉर्म पर बहुत ठण्ड थी। सुनहरी धूप खिली थी मै टीशर्ट और नेक्कर मै खड़ा था. मैंने मीनू का कम्बल और चादर तह कर के उनको सौंपे और उनका धन्यवाद दिया मै अपने एयर पिल्लो की हवा ऐसे निकाल रहा था जैसे मीनू के दूध दबा रहा हूँ और यह मीनू को और उसकी कजिन को दिखा भी रहा था.
मैंने उन लोगों से पूछा कि आप कहा जायेंगे मीनू का भाई बोला हमको सरोजिनी नगर जाना है और आपको कहा जाना है. मुझे भी सरोजिनी नगर जाना था वहा पर मेरे दोस्त की शादी है... मैंने उन लोगों को जवाब दिया.
मैंने कहा मेरे साथ चलिए.... मुझे लेने गाड़ी आई होगी बाहर....वो लोग बोले नही नहीं आप चलिए हम बहुत सारे लोग है और इतना सारा समान है, आप क्यों तकलीफ करते है....
मैंने कहा इसमे तकलीफ जैसे कोई बात नही हम आखिर एक ही मोहल्ले के लोग है इसमे तकलीफ क्यों और किसे होने लगी फ़िर गाड़ी में अकेला ही तो जाउंगा यह मुझे अच्छा नही लगेगा. मीनू की कजिन धीमे से बोली रात की मेहनत सुबह रंग ला रही है... और मुझे मीनू को देखकर हलके से मुसकुरा पड़ी. हम सभी बाहर आए तो देखा कि एक टाटा सूमो पर मेरे नाम की स्लिप लगी हुई थी मैंने मीनू के भाई और मम्मी से कहा की देखिये किस्मत से मेरे दोस्त ने भी बड़ी गाड़ी भेजी है. इसमे हम सब और पूरा सामान भी आ जाएगा.
गाड़ी में सारा सामान लोड कर सभी को बैठा कर गाड़ी रिंग रोड पर निकलते ही मैंने गाड़ी साइड मै रुकवाई और एक पी सी ओ में घुस गया वहा से अपने दोस्त को फ़ोन किया कि यार मेरे लिए एक रूम का अलग अरेंजमेन्ट हो सकता है क्या... उसने पूछा क्यों.... मैंने कहा देखा तेरे लौडे का इन्तेजाम तो कल हो गया तू कल ही चूत मारेगा मै अपने लिए अपनी चूत का इन्तेजाम सागर से ही कर के लाया हूँ... रात में ट्रेन में मारी थी चूत पर मजा नही आया। तसल्ली से मारना चाहता हूँ.
मेरा दोस्त बोला " देव भाई तुमसे तो कोई लड़की पटती नही थी यह एक ही रात में तुमने कैसे तीर मार लिए और तुमने उसे चोद भी डाला!
मैंने कहा बोल तू कर सकता है तो ठीक नही तो मै होटल जा रहा हूं। मुझे मेरे दोस्त ने आश्वस्त करा दिया कि वो ऐसा इन्तेजाम कर देगा.
मै फ़ोन का बिल देकर गाड़ी मै बैठा और इंतज़ार कराने के लिए सभी को सॉरी बोला और ड्राईवर को चलने का हुकुम दिया ...मैंने पूछा आप लोग सरोजिनी नगर मै किसके यहां जायेंगे...मीनू की मम्मी बोली " बेटा मेरी बहिन के लड़के की शादी है... कल की मिस्टर कपूर... रोहन कपूर.....
" ओह फ़िर तो मजा ही आ गया भाई" मै उछलता हुआ बोला.. सब मेरे को आश्चर्य भरी निगाहों से देखने लगे सो मै आगे बोला " वो.. वो.. क्या है की मुझे भी कपूर साहब के बेटे यानि सुमित की शादी मै जाना है..
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