Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-21-2019, 07:24 PM,
#81
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
अचानक बाहर बड़ी ज़ोर की आवाज़ होती है. दोनो भाई बहन होश में आते हैं. ऋतु बहुत घबरा जाती है, फटाफट अपनी नाइटी पहनती है, रवि अपना पाजामा पहन कर बाहर निकल ता है तो देखता है कि रमण फर्श पे गिरा पड़ा था.

रवि उसके पास जा कर उसे उठाता है. ‘क्या हुआ पापा, गिर कैसे गये.’

रमण : बस नींद में ध्यान नही रहा और ठोकर लग गई. आह्ह्ह्ह

रवि : पापा ज़्यादा लगी है क्या

रमण : लगता है कमर में मोच आ गई. मुझे बिस्तर तक ले चल और पानी की एक बॉटल ले आ.

तब तक ऋतु भी आ जाती है आर रवि के साथ मिल कर रमण को उसके बिस्तर पे लिटा देती है.

ऋतु : भाई तू पानी ले आ, मैं पापा की कमर पे आयोडेक्स मल देती हूँ, उन्हें आराम मिल जाएगा.

रवि जा कर पानी ले आता है. रमण पानी पी कर बिस्तर पे लेट जाता है.

ऋतु : भाई जा के सोजा, मैं पापा को आयोडेस्क लगा कर सोने चली जाउन्गि.

रवि का चेहरा उतर जाता है और वो चुप चाप अपने कमरे में चला जाता है. अब नींद कहाँ आनी थी. अभी भी उसे अपने जिस्म के साथ ऋतु के जिस्म का अहसास हो रहा था. वो बिस्तर पे करवटें बदलता रहता है.

इधर ऋतु की नाइटी वही थी, जिसमे उसका सारा जिस्म झलक रहा था. रमण की नज़रें जब ऋतु पे पड़ती हैं तो फिर उसके अंदर वासना जागने लगती है,उसका लंड फिर खड़ा होने लगता है.

ऋतु उसकी कमर पे आयोडेक्स लगा के जाने लगती है तो रमण उसे अपने उपर खींच लेता है और ऋतु ऐसे गिरती है कि उसके होंठ रमण के होंठ से सट जाते हैं और रमण की बाँहें उसे खुद से चिपका लेती हैं.

रमण पागलों की तरह उसके होंठ चूसने लगता है, ऋतु पहले से ही बहुत गरम थी, तो वो भी रमण का साथ देने लगती है. दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं.

रमण की ज़ुबान जैसे ही ऋतु के मुँह में घुसती है, ऋतु सिहर जाती है और कस के रमण को पकड़ लेती है और उसकी जीब चूसने लगती है.
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08-21-2019, 07:25 PM,
#82
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
रमण अचानक अपना हाथ ऋतु के स्तन पे ले आता है तो ऋतु को एक झटका लगता है. वो रमण से अलग हो कर बैठ जाती है.

‘अभी आपने मेरे सवाल का जवाब देना है पापा. बस अब और इस से आगे नही’ कह कर ऋतु अपने कमरे में चली जाती है.

उसके दिमाग़ में अब तक जो हुआ वो घूमने लगता है, रवि से तो वो प्यार करने लगी थी, पर उसके पापा जो उसके साथ करना चाहते हैं वो उसे अजीब लग रहा था.

फिर दिमाग़ में ख़याल आया कि जब वो भाई के साथ सब कुछ करने को तैयार है तो पापा के साथ भी कर सकती है, फरक क्या पड़ेगा, दोनो ही तो घर के और उसके अपने हैं.

उसके चेहरे पे एक मुस्कान आ जाती है, उसे रवि का उतरा हुआ चेहरा याद आता है और उसके कदम उसे रवि के कमरे की तरफ खिंचने लगते हैं.

ऋतु अपनी नाइटी उतार फेंकती है और नग्न ही रवि के कमरे की तरफ बढ़ जाती है. रवि का कमरा खुला था, वो अंदर जा कर, दरवाजा अंदर से बंद कर लेती है.

रवि अभी भी जाग रहा था. ऋतु को देख उसके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है. बिस्तर से उठ कर वो अपने कपड़े उतार देता है और ऋतु की तरफ अपने कदम बढ़ाता है जो अभी भी बंद दरवाजे के साथ खड़ी उसे देख रही थी.

रवि जैसे ही उसके पास पहुँच कर उसे बाँहों में लेने की कोशिश करता है. ऋतु उसे रोक देती है.जी भर के रवि के नंगे रूप को देखती है और जब उसकी नज़रें रवि के खड़े लंड पे पड़ती हैं तो शर्मा कर नज़रें झुका लेती है. रवि से और रुका नही जाता वो ऋतु को उठा कर बिस्तर पे लिटा देता है और उसके गुलाबी होंठों पे टूट पड़ता है,उसके होंठों का अहसास अपने होंठों पे पाते ही ऋतु भी तड़प कर उसका साथ देने लगती है.



दोनो भाई बहन एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं.दोनो की ज़ुबान आपस में लड़ने लगती है और रवि उसके स्तन दबाने लगता है.

अहह भाई धीरे दर्द होता है

रवि आराम आराम से उसके स्तन सहलाने लगता है .

उफफफफफफ्फ़ उम्म्म्मममम हाआऐययईईईईईईईई

ऋतु की सिसकियाँ निकलने लगती हैं. रवि उसके एक निपल को चूसने लगता है

अहह ऊवूऊवूवुउवुउयियैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयीयीयियी म्म्म्मऊममममाआआआआआ
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08-21-2019, 07:25 PM,
#83
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
ऋतु की चूत बहुत गीली हो जाती है और वो रवि के सर को नीचे की तरफ दबाने लगती है. रवि उसका इशारा समझ जाता है और उसके निपल को छोड़ कर सीधा उसकी चूत पे आ कर पूरा उसे मुँह में भर के चूसने लगता है.

आाआआईयईईईईईईईईईईईईईईई और चूस ज़ोर से चूस अहह मज़ा आ रहा है

उसकी चूत को चूस्ते चूस्ते रवि अपनी एक उंगल उसकी चूत में डाल देता है. पहली बार उसकी चूत में कुछ घुसा था. ऋतु दर्द से तड़प उठती है.

अहह निकाल दर्द हो रहा है

रवि निकालता नही पर तेज़ी से उसकी चूत में अपनी उंगल अंदर बाहर करने लगता है. थोड़ी देर बाद ऋतु को मज़ा आने लगता है और वो अपनी गान्ड उछालने लगती है.


रवि थोड़ी देर में अपनी पोज़िशन बदलता है अब वो 69 के पोज़ में आता है. उसका लंड ऋतु के मुँह पे लहराने लगा. ऋतु उसके लंड को सहलाने लगी और फिर जब रवि ने अपनी कमर का ज़ोर लगाया तो ऋतु ने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और अपनी ज़ुबान फेर फेर कर उसे चाटने लगी.

अहह बेबी सक इट ….

ऋतु को थोड़ी परेशानी हो रही थी, रवि फिर पोज़िशन बदलता है, खुद नीचे आ जाता है और ऋतु को अपने उपर कर लेता है. अब ऋतु आसानी से उसका लंड चूस पा रही थी.

रवि का लंड चूस्ते चूस्ते ऋतु को अपने पापा रमण का खड़ा लंड दिखाई देता है, एक दिन वो भी उसके मुँह के अंदर होगा. सोच कर वो और भी उत्तेजित हो जाती है और ज़ोर ज़ोर से रवि के लंड को चूसने लगती है.

रवि को लगने लगा कि वो झड़ने वाला है, पर वो अभी ऋतु के मुँह में नही झड़ना चाहता था वो अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाल लेता है और उसे अपने नीचे कर उसकी चूत पे अपना लंड घिसने लगता है.
ऋतु तड़प उठती है.

‘आह्ह्ह्ह भाई और मत तडपा अब डाल दे अंदर. चोद डाल अपनी बहन को.’

‘हां मेरी रानी अभी ले, थोड़ा दर्द होगा पहली बार, चिल्लाना मत.’

‘सह लूँगी तू डाल अंदर, अब नही रहा जा रहा’

और रवि अपना लंड उसकी चूत पे सेट कर के एक धक्का मारता है.

आआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

ऋतु की चीख निकल जाती है, आँखों से आँसू बहने लगते हैं.
रवि उसके होंठ चूसने लगता है और निपल उमेठने लगता है.
ऋतु की टाइट चूत में मुश्किल से उसके लंड का सुपाडा ही घुसा था अभी तक.
रवि बिल्कुल नही हिलता और उसके होंठ चूस कर उसके दर्द को कम करने की कोशिश करता है.
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08-21-2019, 07:25 PM,
#84
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
जब ऋतु थोड़ी शांत होती है तो रवि फिर एक झटका मार कर अपना आधा लंड उसकी चूत में घुसा देता है. दर्द के मारे ऋतु बिलबिला उठती है. उसकी चीख रवि के मुँह में ही घुल के रह जाती है और रवि फिर रुक जाता है. थोड़ी देर बाद जब ऋतु की कमर में हरकत होती है तो रवि अपने आधे घुसे लंड को ही अंदर बाहर करने लगता है. ऋतु की टाइट चूत में उसका लंड मुश्किल से ही हिल पा रहा था. ऋतु को दर्द के साथ थोड़ा मज़ा आने लगता है और उसकी चूत अपना रस छोड़ने लगती है.

रवि अब अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ा देता है.

आह आहआइ म उम हां चोद मुझे आह उफ़ मज़ा आ रहा है आआआअहह

ऋतु ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगती है. रवि तब उसके होंठों पे अपने होंठ रख के एक ज़ोर का झटका मार अपना पूरा लंड अंदर घुसा देता है .

म्म्म्मकमममममाआआआआआआआआआआअ

ऋतु फिर चीख पड़ती है पर रवि के होंठ उसकी चीख को कुचल देते हैं. ऋतु के आँसू फिर बहने लगते हैं. रवि अब उसके आँसू चाटने लगता है.

‘हो गया मेरी रानी, अब पूरा अंदर ले लिया है तूने. अब तुझे दर्द नही होगा फिर.बस थोड़ा और बर्दाश्त करले, फिर मज़ा ही मज़ा है.’
रवि अब उसके निपल चूसने लगता है.


थोड़ी देर बाद जब ऋतु अपनी गान्ड उपर उठाने लगती है, तो रवि उसकी टाँगें उठा कर अपने कंधों पे रख लेता है और धीरे धीरे अपनी गति बढ़ाने लगता है.

ऋतु को ज़यादा मज़ा आने लगता है.

आह आह हां ज़ोर से और ज़ोर से फफफफफफफ्फ़ उउम्म्म्म यस यस फास्टर फास्टर भाई और तेज़ हां अंदर तक उफफफफफफ्फ़ उम्म्म्मममम उउईईईईईईईईईई

रवि सतसट अपना लंड ज़ोर से पेलने लगता है उसकी चूत में.


ऋतु दो बार झाड़ जाती है, पर रवि रुकने का नाम नही लेता, वो एक मशीन की तरह ऋतु को चोदने लगता है.

ऋतु बार बार सातवें आसमान पे पहुँचती है और फिर नीचे आती है.

रवि भी अपने चर्म पर पहुचने लगता है, उसका लंड फूलने लगता है, जो ऋतु को अपनी चूत में महसूस होता है. वो समझ जाती है कि रवि झड़ने वाला है. पहले तो उसका दिल किया कि बाहर निकालने को बोले, पर उसे इतना मज़ा आ रहा था कि वो बहती चली जाती है और जैसे ही रवि के वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छूटने लगती हैं, उसकी गर्माहट से ऋतु फिर झाड़ जाती है और कस के रवि से चिपक जाती है.

उसकी चूत रवि के लंड को जाकड़ लेती है और एक एक बूँद अपने अंदर समाती रहती है.
रवि उसके उपर गिर पड़ता है और हांफता रहता है. थोड़ी देर बाद जब रवि का लंड ढीला हो कर उसकी चूत से बाहर निकल पड़ता है तो रवि उसकी बगल में लेट कर अपनी साँसे संभालने लगता है.

ऋतु बाथरूम जाने के लिए उठती है तो कमर में तेज़ दर्द होता है और वो तड़प कर गिर पड़ती है. साथ में लेटा रवि उसकी ये हालत देखता है तो खुद उठा कर उसे बाथ रूम में ले जाता है. गीजर चला कर पानी गरम करता है. फिर उसकी सफाई कर के उसे थोड़ी देर गरम पानी में लेट ने के लिए कह कर बाहर आ जाता है.
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08-21-2019, 07:25 PM,
#85
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
आ कर देखता है कि बिस्तर पे खून के धब्बे पड़े हे हैं. वो फटाफट चद्दर बदलता है और उस चद्दर को अपने वॉर्डरोब में रख देता है.

फिर वो हाल में जा कर दो पेन किल्लर लाता है और बाथरूम में घुस कर ऋतु को खिलाता है. रवि उसका ऐसे ध्यान रख रहा था जैसे अपनी बीवी का रख रहा हो. ऋतु की नज़रें शर्म से झुकी रहती हैं.

थोड़ी देर गरम पानी में सिकाई करने के बाद ऋतु को चैन मिलता है दर्द से. उसके दिल में रवि के लिए और भी प्यार बढ़ जाता है जो अहसास सिर्फ़ जिस्म की प्यास भुजने से शुरू हुआ था वहाँ प्यार की कोपलें उगने लगती थी. अब उसे रमण का अपने करीब आना अच्छा नही लग रहा था. लेकिन रमण की आँखों में जो चाहत और प्यास उसने देखी थी, वो उसे बहुत परेशान कर रही थी. उसने सोच लिया था कि वो रवि से इस बारे में खुल के बात करेगी.

ऋतु बाथटब से बाहर निकल खुद को सुखाती है और हल्के कदमो से बाहर निकल बिस्तर पे बैठे रवि को उसके होंठ पे छोटा सा किस करती है और गुड नाइट बोल कर अपने रूम में चली जाती है.

रवि तकिये को अपने सीने से लगा कर लेट जाता है. उस तकिये में ऋतु की सुगंध समा गई थी. आज पता नही कितने साल बाद वो चैन से सोया था क्यूंकी आज उसे ऋतु मिल गई थी पूरी तरह से.

धीरे धीरे ऋतु के बारे में सोचते हुए वो भी नींद के आगोश में चला जाता है.
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ये रात वोही रात है जहाँ एक तरफ ऋतु रवि से चुद गई और दूसरी तरफ चलती हुई इंनोवा में विमल सुनीता की गोद में सर रख के लेटा हुआ था.

सोए सोए विमल अपना चेहरा घुमा लेता है और अब उसकी नाक बिल्कुल सुनीता की चूत के करीब थी. उसकी चूत से आती हुई खुश्बू से विमल की नींद उड़ जाती है. विमल अपनी नाक सुनीता की चूत के उप्परवाले हिस्से पे रगड़ने लगता है. ऐसा लग रहा था जैसे हिलती हुई कार की वजह से विमल हिल रहा हो. अपनी चूत के पास कुछ रगड़ता हुआ महसूस कर सुनीता की आँख भी खुल जाती है उसे विमल की नाक रगड़ने से मज़ा आने लगता है और उसकी टाँगे अपने आप थोड़ी खुल जाती हैं. उसने पाजामा सूट पहना हुआ था और उसकी पाजामा बिल्कुल जिस्म के साथ चिपकी हुई थी. जैसे सुनीता अपनी टाँगे खोलती है विमल का चेहरा थोड़ा अंदर हो जाता है और विमल की नाक एक दम उसकी चूत पे आ जाती है. विमल गहरी गहरी साँस लेता हुआ उसकी चूत की सुगंध को अपने अंदर समा रहा था. सुनीता के हाथ उसके सर को अपनी चूत पे दबा लेते हैं.

बेध्यानी में सुनीता क्या करती जा रही थी, उसे पता ही नही था. अपने बेटे के सर को अपनी चूत पे दबा कर जैसे उसे बहुत शांति मिल रही थी. सुनीता के जिस्म में इस अहसास से उत्तेजना बढ़ जाती है. उसकी टाँगें और खुल जाती हैं और विमल के होंठ पाजामी समेत उसकी चूत को अपने अंदर समेटने की कोशिश करने लगते हैं.

जैसे ही विमल के होंठ सुनीता की चूत को निगलने की कोशिश करते हैं, सुनीता से ये सुखद अनुभूती बर्दास्त नही होती और अपने मुँह से निकलने वाली जोरदार सिसकी को दबा कर वो झड़ने लगती है. उसकी चूत से फव्वारा सा छूटने लगता है जो पाजामी से रिस्ता हुआ विमल के मुँह में समाने लगता है. विमल वो सारा रस पी जाता है, पर अपना चेहरा वहाँ से नही हटाता.
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08-21-2019, 07:25 PM,
#86
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
सुनीता का शर्म के मारे बुरा हाल हो जाता है, आज उसका बेटा उसकी चूत का रस पी गया था. अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नही जब उसका लंड उसकी चूत में समा जाएगा. ये ख़याल आते ही सुनीता के जिस्म में फिर से एक नई उत्तेजना जनम लेने लगती है और फिर से उसका हाथ विमल के चेहरे को अपनी चूत पे दबाने लगता है. थोड़ी देर में सुनीता फिर झाड़ जाती है और फिर एक बार विमल को सुनीता की चूत का रस पीने को मिल जाता है. दोनो जानते थे कि दोनो जाग रहे हैं, पर दोनो ही इस बात से अंजान बने रहते हैं.

और थोड़ी देर बाद रात का वो सफ़र भी ख़तम होता है. रमेश ने इंनोवा होटेल के पोर्च में लगा दी थी.
रमेश फटाफट चेक्किन करवाता है. तीन कमरे एक लाइन में थे और कमरे की खिड़की नैनी लेक की तरफ थी, जिसका नज़ारा बहुत ही बढ़िया था.

रमेश और कामया तो सीधा बिस्तर में घुस जाते हैं नींद पूरी करने के लिए. सोनी भी बिस्तर में घुस जाती है. पर सुनीता की आँखों से नींद उड़ चुकी थी. वो फ्रेश होती है और अपना जॉगिंग सूट निकाल कर पहन लेती है. जॉगिंग सूट में भी उसकी जवानी खिल रही थी. सुनीता रोज सुबह सुबह जॉगिंग करती है अपने जिस्म को फिट रखने के लिए.

होटेल के पीछे एक घुमाव दार पगडंडी जा रही थी, सुनीता उसी पगडंडी पे चली जाती है. पहाड़ों में सुबह सुबह की हवा बड़ी ताज़ी होती है. सुनीता उस सोंधी हवा का लुत्फ़ उठाते हुए चलती रहती है. जब सुनीता बाहर निकली थी तो विमल ने से जाते हुए देख लिया था, इस तरह वो अकेले निकल जाएगी कहीं, ये सोच कर विमल थोड़ा परेशान हुआ पर जब ध्यान से देखा कि उसने जॉगिंग सूट पहन रखा है तो विमल ने भी फटाफट अपना शॉर्ट और टी-शर्ट पहनी और उसी दिशा में सुनीता के पीछे चल दिया.

15 मीं के अंदर सुनीता काफ़ी आगे निकल आई थी और वहाँ पेड़ के जुरमुट में उसे कुछ आवाज़ें सुनाई दी. सुनीता को थोड़ा डर लगा और वो पलट पड़ी.
वहाँ दो इसराइली लड़के नशा कर रहे थे, जब उनमें से एक की नज़र सुनीता पे पड़ी जो उस सुन सान रास्ते पे अकेले जॉगिंग कर रही थी तो वो अपने साथी को ले कर सुनीता के पीछे पड़ गये. अपने पीछे तेज़ कदमों की चाप सुन सुनीता ने भागना शुरू कर दिया, पर ढलान में नीचे की तरफ भागना इतना आसान नही था.

भागते हुए सुनीता का पैर फिसलता है और वो सड़क पे गिर कर नीचे की तरफ लूड़क पड़ती है. उधर से विमल भी उसी सड़क पे उपर की तरफ आ रहा था. उसकी नज़र अपनी तरफ लुढ़कति हुई सुनीता की तरफ पड़ती है और पीछे दो फिरंगी लड़के भागते हुए दिखते हैं तो विमल सुनीता की तरफ भागने लगता है और इससे पहले वो सुनीता को थाम पाता सुनीता उस से टकरा जाती है और विमल का बॅलेन्स भी खराब हो जाता है और वो भी गिर पड़ता है. अब हालत ये थी कि दोनो एक दूसरे से सटे हुए लूड़कते हैं और इस गिराव को रोकने के लिए विमल साइड में से बाहर निकली हुई चट्टान पे अपना पैर फसाता है. एक झटका सा लगता है, विमल का पैर मुड़ता है उनके गिराव में रुकावट आती है पर सुनीता के जिस्म का ज़ोर पड़ने की वजह से विमल के पैर पे ज़ोर पड़ जाता है और शायद उसके पैर में मोवा आ जाती. सड़क पे घिसटने की वजह से दोनो को काफ़ी खरोन्चे आ जाती हैं.

विमल को सुनीता के साथ देख वो दोनो फिरंगी पलट पड़ते हैं. अब विमल और सुनीता दोनो ही हाँफ रहे थे. जब साँस संभलती है तो सुनीता उठ के खड़ी होती है, अपने कपड़े झाड़ती है आर हाथ बढ़ा कर विमल को सहारा देती है उठने के लिए. विमल उठ के जैसे ही अपने पैर पे ज़ोर डालता है उसकी चीख निकल जाती है दर्द के मारे. सुनीता फटाफट नीचे बैठ के देखती है, विमल का पैर काफ़ी सूज चुका था.
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08-21-2019, 07:25 PM,
#87
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
सुनीता विमल को सहारा दे कर किसी तरह होटेल पहुँचती है और फटाफट डॉक्टर ऑन ड्यूटी को बुल्वाती है. जब तक डॉक्टर आता होटेल का स्टाफ विमल को सहारा देकर उसे उसके रूम में बिस्तर पे लिटा देते हैं.

जब तक डॉक्टर. आता, सुनीता, विमल की सारी खरोन्चे डेटोल से सॉफ करती है और उनपे आंटिसेपटिक लगाती है.
दर्द के बावजूद विमल को ठिठोली सूझती है

‘मासी डार्लिंग, यूँ ना अकेले फिरा करो, सबकी नज़र से बचा करो, फूल से ज़यादा नाज़ुक हो तुम चाल सम्भल के चला करो….’
‘चुप, बहुत मुँह खुल गया है तेरा’
‘अरे मासी डार्लिंग नाराज़ क्यूँ होती हो, मैं तो बस यूँ ही तुम्हारा दिल बहलाने की कोशिश कर रहा था. अब जॉगिंग जाना हो तो इस बंदे को साथ लेलेना’

‘हाँ हाँ पहले ठीक तो होले, मेरी वजह से देख कितनी चोट आ गई तुझे’
‘मर्द लोग इतनी छोटी चोटों से नही डरते. कल तक ठीक हो जाउन्गा’
‘ओह हो तो साहिब अब मर्द बन गये हैं’
‘कोई शक़!!’
इस से पहले आगे कोई बात होती डॉक्टर. आ जाता है. विमल का पैर अच्छी तरह चेक करता है, कुछ दवाइयाँ देता है और पैर पर कम से कम 3 दिन तक ज़ोर डालने के लिए मना करता है, साथ ही बरफ की सिकाई बताता है.

डॉक्टर. चला जाता है, सुनीता विमल को दवाई खिलाती है और फिर मिनिफ्रिज से बरफ निकाल कर उसके पैर की सिकाई करने लगती है. विमल की नज़रें सुनीता पे टिक जाती हैं. सुनीता जबउसकी तरफ देखती है तो अंदर ही अंदर सिहर जाती है. विमल की आँखों में उसे अपने लिए चाहत दिखाई दे रही थी. सुनीता अपनी नज़रें तुरंत मोड़ती है और फिर 10 मिनट तक उसकी पैर की सिकाई करती है.

सिकाई के बाद वो विमल से ये कह कर कि थोड़ी देर में आती है, अपने कमरे में चली जाती है और अब अपने जिस्म में लगी खरोंचो पे ध्यान देती है. डेटोल से सॉफ कर हर जगह आंटिसेपटिक लगाती है और अपने कपड़े बदल कर फिर विमल के कमरे में जाती है.

सुनीता ने स्ट्रिचबल नीले रंग की जीन और हल्के पीले रंग का टॉप पहना था.
उफ्फ कोई भी देख कर ये नही कह सकता था कि वो टीन बच्चों की माँ बन चुकी है. 20-22 साल की लड़कियों को सही टक्कर दे रही थी.

सुनीता जैसे ही विमल के कमरे में घुसती है, विमल का लंड बग़ावत कर देता है और शॉर्ट में उसे छुपाना आसान नही था. विमल झट से एक चादर अपने उपर डालता है.

‘अरे तू सोया नही. सोजा थोड़ी देर आराम मिलेगा’

‘नींद नही आ रही मासी’

‘चल मैं तुझे सुलाती हूँ’

और सुनीता उसके करीब बैठ कर उसके बालों को सहलाने लगती है. मजबूरन विमल अपनी आँखें बंद करता है और बंद आँखों के अंदर ही उसे सुनीता दिखाई देने लगती है. उसका लंड शॉर्ट में तूफान मचा देता है और उसका तंबू अब चद्दर भी छुपा नही पा रही थी.

सुनीता की नज़र उस तंबू पे पड़ती है तो वही अटक जाती है. उठान इतना था कि विमल के लंड की लंबाई का अंदाज़ा लिया जा सकता था. इतना लंबा सोच कर सुनीता का कलेजा मुँह को आ जाता है. उसके पति रमण का तो कुछ भी नही था इसके सामने. फिर इस लंबाई का राज उसकी समझ में आ जाता है. रमेश का लंड भी काफ़ी लंबा था तो उसके बेटे का तो होगा ही.

वो अपनी नज़रें हटाने की कोशिश करती है, पर नज़रें उसका साथ नही देती. विमल भी अपने खड़े लंड की वजह से कुछ परेशानी में आता है और करवट लेता है ताकि सुनीता के सामने उसका तंबू ना रहे. पर सुनीता के मन में तो खलबली मच ही चुकी थी.
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08-21-2019, 07:28 PM,
#88
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
दोस्तो चलें ज़रा देखें वहाँ ऋतु क्या कर रही है

इधर ऋतु सुबह उठ कर सबका नाश्ता बनाती है. रमण और रवि दोनो ही टेबल पे आ के बैठ जाते हैं.
रवि की नज़रों में ऋतु के लिए अथाह प्यार का सागर था. और जैसे ही ऋतु की नज़र रमण पे पड़ती है तो उसकी आँखों में उसे ग्लानि के साथ साथ की प्यास नज़र आती है, रमण बार बार अपनी नज़रें ऋतु के वक्षस्थल पर गढ़ाता फिर हटाता जैसे उसके दिमाग़ में कोई जंग चल रही हो. धीरे धीरे वो ग्लानि का भाव उसकी आँखों से ख़तम हो जाता है और वहाँ सिर्फ़ एक अन्भुजि प्यास दिखाई देती है, एक इल्तीज़ा दिखाई देती है.

ऋतु को रमण पे शायद तरस आ जाता है. जैसे ही रमण उठ कर ऑफीस के लिए निकलने लगता है.

ऋतु : पापा आज दोपहर में जल्दी आ जाना.

रमण जैसे ही ये सुनता है उसके भुजे चेहरे पे मुस्कान आ जाती है और वो निकल पड़ता है.

रमण के जाने के बाद.

ऋतु रवि से : भाई आज तो शाम को देर से आना.

रवि : क्यूँ क्या हुआ?

ऋतु : रात को बताउन्गी, अभी कुछ मत पूछ, और प्लीज़ वो पिल्स!!!

रवि : हां लेता आउन्गा, तू कॉलेज नही जा रही?

ऋतु : नही आज नही. कुछ काम है.

रवि उठता है और ऋतु को अपनी बाँहों में भर कर उसके होंठ चूमने लगता है.

थोड़ी देर बाद रवि चला जाता है और ऋतु बाथरूम में घुस जाती है.

ऋतु बाथरूम में घुस कर अपने कपड़े उतारती है और खुद को लंबे कद के शीसे में निहारती है. रात की चुदाई के बाद उसकी चूत के लब खुल चुके थे, अपनी चूत को देख कर शर्मा जाती है और फिर बाथटब तैयार कर उसमे घुस जाती है.
गरम गरम पानी उसकी देह को काफ़ी सकुन पहुँचा रहा था.

नहाने के बाद ऋतु अपने कमरे में आ कर अपना वॉर्डरोब खोलती है, कुछ देर अपने कपड़े देखती है, फिर कुछ सोच कर रमण के कमरे में चली जाती है और सुनीता का वॉर्डरोब खोलती है. काफ़ी कपड़े तो सुनीता ले जा चुकी थी, पर कुछ फिर भी रह गये थे, उन कपड़ों में सुनीता की कुछ लिंगेरीज थी, जिनमे से उसने एक पहनी थी पहले. ऋतु सारी लिंगेरिज देखती है और उनमे से एक चुन लेती है.

गुलाबी रंग की लिंगेरी, जिसका गला बहुत डीप था उसमे से उसके आधे स्तन दिख रहे थे. और लिंगेरी की लंबाई सिर्फ़ उसकी गान्ड तक आ रही थी.

ऋतु गुलाबी रंग की पैंटी पहनती है और बिना ब्रा के लिंगेरी पहन लेती है.
फिर किचन में जा कर लंच की तैयारी करती है और सारा इंतज़ाम करने के बाद अपने बिस्तर पे आ के लेट जाती है और अपने मोबाइल से सोनी को फोन करती है.

ऋतु : हाई सोनी , क्या कर रही है यार.

सोनी : कुछ नही यार बस अभी सो कर उठी हूँ, तू सुना कैसी रही कल.

ऋतु : काल तो मेरा काम हो गया, उफ्फ क्या चुदाई करता है रवि.

सोनी : सच! जाय्न दा गॅंग बेबी.

ऋतु : तो क्या तू भी?

सोनी : हां मेरी जान, विमल का बस चले तो सारा दिन अपने नीचे रखे मुझे, लेकिन आजकल तो तेरी मोम के पीछे पड़ गया है.

ऋतु : क्या मेरी मोम के पीछे?

सोनी : तेरी मोम के पीछे तो दोनो ही पड़े हैं मेरा बाप भी और भाई भी,यार है ही इतनी सेक्सी, कभी कभी तो मुझे डर लगता है कि तेरी मोम के चक्कर में विमल मुझे छोड़ देगा.

ऋतु : नही यार लड़कों को बस चूत चाहिए होती है, कोई भी मिल जाए, देख लेना तेरी मारनी कभी नही छोड़ेगा.

सोनी : और सुना क्या चल रहा है.

ऋतु : यार डॅड भी मेरे पीछे पड़ गये हैं. बड़ी मुस्किल से उन्हें रोका हुआ है.

सोनी : तेरे तो मज़े हो गये, दूसरा लंड मिल रहा है.

रीत : यार पर डॅड के साथ?

सोनी : तो क्या फरक पड़ता है, मौसा जी के भी मज़े हो जाएँगे और तुझे भी नया स्वाद मिल जाएगा.

ऋतु : नही यार डॅड के साथ ठीक नही लगता, कल मोम को पता चल गया तो?

सोनी : कुछ नही होता. मेरी मोम को यहाँ अपने भाई से चुदवाउन्गि, तू वहाँ अपने डॅड से चुद ले. में तो सोच रही हूँ, घर में महॉल ही ऐसा हो जाए, जिसका जिसके साथ दिल करे उसे चोद ले. कोई परदा नही. देख सब कितना खुश रहने लगेंगे.

ऋतु : ह्म्म बात तो सही है तेरी, पर मैं रवि से प्यार करने लगी हूँ.

सोनी : मैं भी तो विमल से प्यार करती हूँ. अगर वो मुझे बता कर किसी औरको चोदेगा तो मुझे दुख नही होगा. उल्टा मैं उसकी मदद करूँगी, कहीं बाहर तो जा नही रहा, बस माँ और मासी के पीछे पड़ा है. सब अपने ही तो हैं क्या फरक पड़ता है. उसे मोका दिलाने के लिए में सोच रही हूँ, डॅड का लंड लेलुँ, तो डॅड मेरे साथ बिज़ी हो जाएँगे और विमल को सही मोका मिलजाएगा.

ऋतु : सच में तू अपने डॅड के साथ भी करेगी?

सोनी : हां, कौन सा मेरी चूत घिस जाएगी, और मज़ा दोनो को आएगा. भाई का काम भी बन जाएगा.

ऋतु : आज मैने डॅड को जल्दी आने के लिए बोला है, वो तो मोका ढूंड रहे हैं मेरी लेने के लिए.

सोनी : लग जा मेरी जान और रात को फोन करके बताना क्या हुआ.

ऋतु : चल बाइ, रात को कॉल करती हूँ.

सोनी : बाइ, हॅव आ नाइस फक.
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08-21-2019, 07:28 PM,
#89
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
फोन के बाद ऋतु सोचने लगती है कि वो रमण यानी अपने पिता के साथ कितना आगे बढ़े. अपने लिए उसकी आँखों में जो प्यास उसने देखी थी उसे देख कर वो अंदर ही अंदर बहुत खुश थी, और इस प्यास को बुझाने के लिए अगर वो रमण से कुछ भी माँगेगी तो वो ना नही कर पाएगा.

फिर वो सोनी की बातें सोचने लगती है, घर में महॉल ऐसा होना चाहिए, जिसे चाहे चोद लो, कोई परदा नही, कोई शरम नही, बिकुल्ल एक दम खुल्ला वातावरण.

यानी एक ही बिस्तर पे वो रमण के साथ और रवि सुनीता के साथ फिर थोड़ी देर बाद जोड़ा बदल जाता है वाह कितना मज़ा आएगा, एक ही दिन में दो लंड का मज़ा मिलेगा और चारों एक साथ भी तो कर सकते हैं, दोनो आदमी एक ही औरत को चोदे, एक चूत में डाले और दूसरा गान्ड में और मुँह में एक चूत.

उफ्फ कितना मज़ा आएगा, सोच सोच कर ऋतु की चूत गीली होने लगती है.
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08-21-2019, 07:28 PM,
#90
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
उधर रमण का मन ऑफीस में बिलकल नही लग रहा था, बार बार उसके सामने ऋतु का वो रूप आ रहा था जब घर जा कर उसने से अपनी चूत में उंगली करते हुए देखा था. चाहे उसे नशा चढ़ गया था पर फिर भी उसके होंठो के अहसास को वो महसूस कर रहा था अपने होंठों पे. वो बार बार अपने होंठों पे ज़ुबान फेर रहा था और आँखें बंद कर ऋतु के होंठ अपने होंठ पे महसूस कर रहा था. अफ ये दोपहर कब होगी. कब जाएगा वो अपनी ऋतु के पास, उसकी चूत का रस पिएगा, उसके जिस्म के एक एक हिस्से पे अपनी मोहर लगाएगा.
उसका लंड पॅंट में तुफ्फान मचाने लगता है.

हे भगवान ये मैं क्या सोचने लग गया, वो मेरी बेटी है, कैसे मैं उसे वासना की निगाह से देख सकता हूँ. उफ्फ कितना बड़ा पाप कर रहा था मैं. घिंन आत्ती है मुझे अपने आप से. पता नही क्या सोच रही होगी वो मेरे बारे में.

कुछ ग़लत नही कर रहा तू रमण, देखा नही था कैसे अपनी चूत में उंगली कर रही थी. अब उसे लंड चाहिए, कैसे वो रवि का नाम ले रही थी. तो क्या वो रवि से चुदना चाहती है. अगर रवि उसे चोद सकता है तो मैं क्यूँ नही. घर की बात घर में रहेगी. कह भी तो रही थी कि साबित करूँ मैं उसे प्यार करता हूँ. हां मैं साबित करूँगा कि मैं उसे प्यार करता हूँ. दुनिया में एक ही रिश्ता होता है लंड और चूत का, बाकी सब दिखावा है. हां बाकी सब दिखावा है.

रमण के अंदर एक जंग चल रही थी, और इस जंग में लंड जीत जाता है, अब उस से सबर नही होता, वो तबीयत खराब का बहाना बना कर बाहर निकल पड़ता है. और सीधा एक ज्वेलर के पास जाता है और ऋतु के लिए बहुत अच्छे कानो के बूंदे खरीद लेता है और सीधा घर के लिए निकल पड़ता है.

घर पहुँच कर रमण बेल बजाता है, जैसे ही ऋतु को बेल सुनाई देती है वो अपने ख़यालों से बाहर आती है, उसे जैसे मालूम था कि बाहर रमण ही होगा, उसका चेहरा शर्म से लाल पड़ जाता है और हल्के हल्के कदमो से जा कर वो दरवाजा खोलती है, उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी.

दरवाजा खुलते ही रमण जैसे ही ऋतु को देखता है उसका खड़ा लंड चिल्लाने लगता है, पकड़ ले और डाल दे चूत में. पर रमण पत्थर की तरहा उसे देखता रह जाता है, रमण की चुबती हुई नज़रें ऋतु बर्दाश्त नही कर पाती और पलट जाती है, वो सीधा किचन की तरफ बढ़ती है रमण के लिए पानी लाने के लिए.

लेकिन रमण वहीं दरवाजे पे खड़ा रह जाता है, ऋतु का जानलेवा रूप जो उसने अभी देखा था वो उसकी आँखों में पर्दे की तरहा छा जाता है और उसके कदम वहीं जम जाते हैं.

ऋतु जब पानी ले कर आती है तो रमण को वहीं दरवाजे पे खड़ा पाती है, उसे अपने हुस्न पे नाज़ होने लगता है.



ऋतु : ‘अरे क्या हुआ, आप वहाँ क्यूँ खड़े रह गये, अंदर आइए और दरवाजा भी बंद कर दीजिए. मैं पानी यहाँ रख रही हूँ और लंच का इंतेज़ाम करती हूँ’

रमण : उन्न ओह ( वो अंदर आ कर पानी पीता है और सोफे पे बैठ जाता है.)

रमण से बैठा नही जाता वो किचन में चला जाता है. अंदर ऋतु गॅस पे खाना गरम कर रही थी. रमण उसके पीछे आ कर उससे सट जाता है और ऋतु घबरा कर चीख पड़ती है और मूड के देखती है तो रमण था.

‘उफ्फ आपने तो डरा दिया.जाइए हाल में बैठिए मैं बस अभी खाना लेकर आ रही हूँ’

रमण फिर उस के साथ सट जाता है और उसके कमर में हाथ लप्पेट लेता है आर उसकी गर्दन को चूमने लगता है.

‘अकेला में वहाँ क्या करूँ, अपनी बेटी के साथ यहीं रहता हूँ’

ऋतु को रमण के खड़े लंड की चुबन अपनी गान्ड पे महसूस होती है और उसकी साँसे तेज हो जाती हैं.

‘अहह जाइए ना, क्या कर रहे हैं’

रमण उसकी मरमरी बाहों पे अपने हाथ फेरता है और उसके कंधे को चूम लेता है.

‘अपनी बेटी से प्यार कर रहा हूँ’

‘छोड़िए ना, पहले खाना तो खा लीजिए’

रमण उसे अपनी तरफ घुमाता है. ऋतु का चेहरा नीचे झुका होता है. चेहरे पे लाली छाई होती है.

रमण उसके चेहरे को उपर उठाता है, रीत अपनी आँखें बंद कर लेती है और रमण
‘आइ लव यू जान’ कह कर उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है और हाथ पीछे ले जाकर गॅस बंद करदेता है.
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