Adult kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
07-25-2018, 11:01 AM,
#30
Lightbulb  RE: Adult kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
में यहाँ शब्दों में बयान नही कर सकती, उससे समय मुझे कैसा फील हो रहा था…..कुछ पलों के लिए तो मेरी साँस ही रुक गयी…..मूह खुला का खुला रह गया……मुझे ऐसा लग रहा था कि , जैसे अभी मेरे जिस्म से जान निकल जाएगी…फिर थोड़ी देर बाद मुझे ऐसा लगा जैसे आसमान में उड़ रही हूँ….मेरे मूह से सिसकारियाँ निकल कर पूरे घर में गूंजने लगी…..

में: अह्ह्ह्ह अमित ओह खा जा मुझे पूरा खा जाआअ मेरी फुद्दि को आह तू मुझीए अह्ह्ह्ह उहह रंडी कहता है ना अह्ह्ह्ह हां तूने मुझे रंडी बनाअ दिया है अहह ओह माआ. हाईए ओईई एह मुंडा पागल हो गयाआ हाईईइ….अहह अहह अहह अमित्त मेरीए फुदीईईइ जल गयी ओह्ह मेरा काम होने वाला हाई आह आह अमित्त्त…….

में उसके सर को पकड़े हुए अपनी गान्ड को उछाल रही थी…वो किसी तरह मेरे ऊपेर काबू पाए हुए था………फिर कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगा जैसे सच में मेरे जान मेरी फुद्दि से ही निकल जाएगी…….”अहह अमित्त ले गाईए मेन्णन्न् कंजरी बना देताअ मेनू…..आहह मेरीए इज़्ज़त लूट लेती तू कंज़ारा ह ओह मेरीए फुदीई…..

में बुरी तरह काँपते हुए, झड़ने लगी….मेरा बदन थरथरा रहा था….चूत से पानी निकल कर मेरी गान्ड की दरार और छेद पर चला गया था. इस बार में बहुत बुरी तरह से झड़ी थी…..

में: अमित्त छड दे मेनू……मेरीए फुदीई वाज गइईई. हाए ओईए…

पर अमित तो जैसे बहरा ही हो गया था…..वो अपना मूह मेरी चूत से हटा नही रहा था……

में एक बार बुरी तरह से झाड़ चुकी थी, थोड़ी देर बाद उसने अपना मूह मेरी चूत से हटाया, और बेड पर मेरे बगल में लेट गया….”चल उठ जल्दी कर अभी तू तूने कुछ देखा ही नही है….” ये कहते हुए, उसने मेरे हाथ पकड़ कर अपने ऊपेर खेंच लिया….में उसके ऊपेर आ चुकी थी, मेरे दोनो घुटने उसकी कमर के दोनो तरफ थे……उसने मेरी जाँघो के नीचे हाथ डालते हुए, मेरी गान्ड को पकड़ कर ऊपेर उठाया, तो में पैरों के बल बैठ गयी…..

फिर वो मेरे नीचे से खिसकता हुआ इतना नीचे हो गया कि, मेरी चूत ठीक उसके मूह के ऊपेर आ गयी….मेरा बदन ये देख कर फिर से कांप गया. अब और कितना तड़पाएगा मुझे…..जैसे ही मेरी चूत उसके मूह के ऊपेर आई तो वो बोला” चल अब खोल अपना फुद्दा….चल खोल ना ड्रामा क्या कर रही है” मेने काँपते हुए हाथों से अपनी चूत की फांकों को फेला दिया….

में उसके सर के दोनो तरफ पैर करके पंजो के बल बैठी थी…..ऊपेर से मेरा पूरा बदन अभी भी झड़ने के कारण कांप रहा था.इसलिए मुझे बॅलेन्स बनाने में दिक्कत होने लगी….और में आगे की तरफ गिरने वली थी कि, मेने अपने हाथों से अमित के सर को पकड़ लिया…..इससे पहले कि में कुछ बोल पाती, उसने मेरी चूत को फेलाते हुए, चूत पर मूह लगा दिया….मेरे बदन में मानो 420 वॉट का करंट दौड़ गया हो…..

उसने मेरी चूत को चाट्ना शुरू कर दिया….और अपनी ज़ुबान को मेरी चूत के छेद पर रगड़ने लगा….”अहह मुंडिया क्या कर रहा है,,,,हाईए आज मेरी फुद्दि दी खैर नही…..ओह मर गइई….क्यों मेरी फुद्दि नू ख़ान ळगया है…..हाए ओईई एहह मुंडा किथे मूह मार रहााअ है..हाई हट जा… बस वी कर हुन्न्ं अह्ह्ह्ह मेरीए फुदीी गइई.,……लंड पा दे मेरी फुद्दि विच……आह अमित अपना लंड मेरी फुद्दि च पा दे……..”

अमित एक दम से रुक गया….और मुझे अपने ऊपेर से हटाते हुए नीचे लेटा दिया. फिर मेरी टाँगों को खोल कर बीच में आकर बैठ गया……”हां बोल क्या कह रही थी तू मेरा लंड चाहिए तुझे तेरी फुद्दि में….बोल” जो कुछ पल पहले में अनाप सनाप बक रही थी…….अब में उसके मूह से सुन कर शर्मिंदा हो रही थी…में उसकी तरफ देख भी नही पा रही थी……





उसने मेरी चूत के फांकों पर अपने लंड को रगड़ते हुए फिर पूछा “बोल अब क्या कह रही थी….नही तो तब तक ऐसे ही करता रहूँगा…..” में सच में इस क़दर मस्त हो चुकी थी, कि दिल कर रहा था कि उसका लंड अपनी चूत में लेकर ज़ोर ज़ोर से चुदवाऊ……”कुतिया हूँ की सुनना चहन्दा है……मार मेरी फुद्दि….पा दे अपना लंड मेरी फुद्दि विच…..मेरे घरवाले ने मेरी आज तक इक दिन विच इनवारी नही लयी……..तू ता मेनू गस्ति ही बना दित्ता है”

मेरी ये बातें सुनकर वो हँसने लगा…और मेरी चूत पर अपने लंड के सुपाडे को दबाने लगा….उसका लंड फिसलता हुआ मेरी चूत के अंदर जाने लगा….जैसे ही उसका आधा लंड मेरी चूत में गया….उसने मेरी कमर को पकड़ कर एक ज़ोर दार धक्का मारा…फॅच की आवाज़ से पूरा लंड मेरी चूत में समा गया…..मेने तड़प्ते हुए, उससे अपने ऊपेर खेंच लाया, और उसके होंटो को खुद ही होंटो में भर-2 कर चूसने लगी…..वो मेरी इस हरक़त से जोश में आ गया…और अपने लंड को पूरा निकाल-2 कर अंदर डालने लगा….उसके हर धक्के से मेरा पूरा बदन हिल जाता……

में भी पागलों के तरफ उसके होंटो को चूस्ते हुए, अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल-2 कर उसका लंड अपनी फुद्दि में लेने लगी…..उसने मेरे होंटो से अपने होंटो को अलग किया, और मुझे बाहों में भरते हुए, ऊपेर उठाने लगा…..अब में उसकी गोद में आ चुकी थी…मेरी टाँगें उसके कमर के इर्द गिर्द घेरे की शकल में आ चुकी थी……वो अपनी कमर को लगतार हिलाते हुए मुझे चोद रहा था. और साथ में वो मेरी नाइटी को ऊपेर उठाने लगा…. में वासना की आग में इस कदर झुलस रही थी, कि मेने अपनी नाइटी को खुद ही उतार कर नीचे फेंक दिया….

में: आहह अमित लेले जी भर कर मेरी ले आज अह्ह्ह्ह मेरे मम्मे चुस्स नाअ…

मेरी बात मानते हुए, उसने मेरा एक निपल मूह में भर कर चूसना शुरू कर दिया…अब उसकी कमर हिलनी बंद हो चुकी थी…..पर मेरी गान्ड तो मानो मेरे काबू में नही थी…..में लगतार अपनी गान्ड को आगे पीछे करते हुए, उसके लंड से चुद रही थी…..उसका लंड बुरी तरह से मेरी चूत की दीवारों से रगड़ खा रहा था…..मेरे इस तरह करने पर वो और जोश में आ गया…….और फिर मुझे अपने बाहों में उठाते हुए वैसे ही खड़ा होने लगा……उसका लंड अभी भी मेरी चूत में था…..
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