Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
03-24-2020, 09:02 AM,
#32
RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"शायद आपके पति ने उसे न बताया हो कि वे शादीशुदा थे और उसे शादी का झांसा देकर खराब किया हो !"

"मिस्टर !"

"फरमाइए।"

तुम्हें नशा हो गया है।"

"कैसे जाना ?"

"तुम्हारी अक्ल तुम्हारा साथ नहीं दे रही । मैं अभी तो कहकर हटी हूं कि यहां आया करती थी और मुझे आंटी कहा करती थी।"

"ओह, सॉरी ।" मैंने रेड एंड वाइट का अपना पैकेट निकालकर एक सिगरेट सुलगा लिया। मैंने महसूस किया, मेरा दिमाग वाकई हवा में उड़ने लगा था । सिगरेट ने मुझे थोड़ी राहत पहुंचाई। "मैं मिलूंगा उस लड़की से ।"- मैंने घोषणा की।

"जरूर मिलना लेकिन सावधान रहना ।"

"किस बात से ?"

"उसकी खूबसूरती से । बहुत खूबसूरत है वो ।"

"आपसे ज्यादा ?"

“हां । मुझसे ज्यादा ।”

"पहली बार किसी खूबसूरत औरत को किसी दूसरी खूबसूरत औरत को अपने से ज्यादा खूबसूरत तसलीम करते देख रहा हूं।"

"हकीकत हकीकत है।

" "मैं तो नहीं मान सकता ।"

"क्या ?"
"कि दुनिया में कोई औरत आपसे भी ज्यादा खूबसूरत हो सकती है ।”

वह खुश हो गई लेकिन प्रत्यक्षतः वह बोली - "अरे, मैं कुछ नहीं हूं।"

"अपनी निगाहों में । मेरी निगाहों में नहीं । मैडम, हीरे की कद्र सिर्फ जौहरी को होती है।"

"तुम जौहरी हो ?"

वह हंसी । हंसी तो फंसी ।

मैंने अपना गिलास खाली कर के सामने के मेज पर रख दिया और उसकी तरफ सरका । वह उठकर खड़ी हो गई। मैंने उसकी नंगी बांहें थाम लीं । उसने बांहें छुड़ाने का उपक्रम न दिया। मैंने उसको तनिक अपनी तरफ खींचा तो वह मेरी गोद में आकर गिरी । उसके हाथ में थमे गिलास में से ब्रांडी छलकी और उसके छींटें उसके चेहरे पर जाकर पड़े। मैंने बड़ी नफासत से उसके गुलाब-से-गालों पर से हैनेसी की बूंदें चाटी । फिर उसने गिलास हाथ से फिसलकर नीचे कालीन पर गिर जाने दिया और अपनी लम्बी सुडौल बांहें मेरे गले में डाल दीं । उसका कठोर उन्नत वक्ष मेरे चेहरे से टकराने लगा। मैंने उसे कसकर, अपने साथ चिपटा लिया और अपना मुंह उसके उरोजों में धंसा दिया। उसके नौजवान जिस्म में से भड़की हुई आग जैसी तपिश पैदा होने लगी । उसने आंखें बन्द कर ली और निढाल होकर मेरी गोद में पसरी जाने लगी। इमारत में कहीं टेलीफोन की घण्टी बजने लगी । तुरन्त उसके जिस्म से मेरी पकड़ ढीली पड़ गई।

बजने दो।" - वह मेरे कान में फुसफुसाई ।

"नहीं । फोन सुनकर आओ।"

"लेकिन..."

"इसे इंटरवल समझो । इतनी रात गए कोई खामखाह फोन नहीं कर रहा होगा। फोन कॉल का कोई रिश्ता तुम्हारे पति की मौत से हो सकता है।"

"अच्छा !"

बड़े अनिच्छापूर्ण ढंग से वह मेरी गोद में से उठी । अपने कपड़े और बाल
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RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास ) - by sexstories - 03-24-2020, 09:02 AM

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