RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"कौन आदमी ?"
"जो यहां आया था ?"
"किस्सा क्या है, ओक साहब ?"
"भई चन्द घंटे पहले यहां एक आदमी आया था । मैं इत्तफाक से तब तक यहीं खड़ा था। उसने मुझसे पूछा था कि तुम्हारा फ्लैट कौन-सा था । मैंने कहा था कि तुम घर पर नहीं थे । वह बोला कि उसे मालूम था और यह कि दरअसल तुम्हीं ने उसे यहां अपने कुछ कपड़े ले आने के लिए भेजा था।"
"यानी कि वह मेरे फ्लैट में गया था ?"
"गया ही होगा । मैं कोई आधा घंटा यहां ठहरा रहा था । मेरे सामने तो वह नीचे उतरा नहीं था।" "उसने मेरे फ्लैट का ताला खोला था ?"
"खोला ही होगा।"
"आप उस आदमी का हुलिया बयान कर सकते है ?"
उसने किया। वह सरासर जान पी एलैग्जैण्डर का हुलिया था। "वह यहां पहुंचा कैसे था ?"
"एक शोफर ड्रिवन शानदार विलायती कार पर ।"
"बाहर एक विलायती कार खड़ी है, जरा देखिये, वह वो ही तो नहीं ?" उसने बाहर खड़ी इम्पाला को फौरन पहचान लिया। तो मेरा शक गलत नहीं था कि मेरे पीछे कोई मेरे फ्लैट में घुसा था।
इसीलिए एलेग्जैण्डर राजेंद्र प्लेस से हमारे साथ पंजाबी बाग नहीं आया था। अपने चमचों के साथ मुझे पंजाबी बाग रवाना करके वह पहले मेरे फ्लैट पर पहुंचा था। लैजर की तलाश में जो कि उसे नहीं मिली थी।
"अब चलो।" - ए एस आई उतावले स्वर में बोला । मैं उसके साथ जाकर जीप में सवार हो गया। हवलदार ने फौरन जीप वहां से भगा दी।
"क्या हुआ ?" - रास्ते में मैंने पूछा - "कैसे आत्महत्या की लड़की ने ?"
"उसने अपने-आपको किचन में बंद कर लिया और कुकिंग गैस का सिलेण्डर खोल दिया।" –
"गैस से मरी है वो ?"
"हां । ओपन एण्ड शट केस है आत्महत्या का ।"
"लेकिन क्यों की उसने आत्महत्या ?"
"दिल जो टूट गया था बेचारी का ।"
"दिल कैसे टूट गया था ?"
"भई, वो अमर चावला से मुहब्बत करती थी । वो मर गया तो उसके गम में लड़की ने आत्महत्या कर ली । ऐसा.
आम होता है।"
"लेकिन इस बार भी ऐसा ही हुआ है, यह मुबारक ख्याल किसका है? तुम्हारा ?"
"नहीं । सब-इंस्पेक्टर यादव का ।"
"बाई दि वे, तुम्हारा क्या नाम है ?"
"मेरा नाम रावत है । भूपसिंह रावत ।"
"यादव इस वक्त कहां है?"
"वहीं है । मौकायवारदात पर ।"
"जूही चावला के बंगले पर ? नारायणा ?"
"हां ।"
"मुझे क्यों तलब किया है उसने ?"
"तुम्हारे आदमी की वजह से।"
"और मेरा आदमी क्यों गिरफ्तार है ?"
"गिरफ्तार किसने कहा है ?"
"तो और क्या है ?"
"मैंने कहा है, वो पुलिस की हिरासत में है।"
"हिरासत में भी क्यों है ?"
"क्योंकि उसने लाश बरामद की थी।"
,,, "लाश बरामद करने से वया कोई...."
"छोड़ो, यार" - रावत बोला - "ऐसे सवाल यादव साहब से करना । खामखाह मेरे कान मत खाओ । मैं पहले ही बहुत खपा बैठा हूं।"
मैं खामोश हो गया।
मैंने एक सिगरेट सुलगा लिया और जीप के नारायणा पहुंचने की प्रतीक्षा करने लगा। - यह बात मेरे गले से नहीं उतर रही थी कि जूही ने आत्महत्या की थी । हकीकतन जरूर उसका कत्ल हुआ था। वह | चावला के हत्यारे को जानती थी और हत्यारा इस हकीकत से वाकिफ था । जूही चावला का मुंह सदा के लिए बंद कर देने की नीयत से ही उसने उसका काम तमाम किया था।
और यह काम कमला चावला का हो सकता था। जिस वक्त जीप जूही के बंगले पर पहुंची, उस वक्त ठीक साढ़े ग्यारह बजे थे । बंगले की तकरीबन सारी बत्तियां जल रही थीं । वहां पुलिस की एक गाड़ी और मौजूद थी। रावत मुझे लेकर यूं बंगले में दाखिल हुआ, जैसे वह कोई इनाम के काबिल काम करके लौटा था। यादव अपने दल-बल के साथ मुझे ड्राइंगरूम में मिला ।
वहां मनहूस सूरत बनाए पाण्डे भी मौजूद था।
"बधाई ।" - मुझे देखते ही यादव व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोला ।
"किस बात की ?" - मैं सकपकाया।
“इतनी शानदार बॉडीगार्ड सर्विस की । बहुत खूब गार्ड दिया तुम्हारे क्लायंट की बॉडी को तुम्हारे आदमी ने !" ३
"जूही ने आत्महत्या की है ?" –
"हां । गैस से ।"
"फिर मेरा आदमी इसमें क्या कर सकता था? बॉडीगार्ड क्लायंट के दुश्मन से उसकी जान की हिफाजत के लिए। होता है। जब कोई खुद अपना दुश्मन बन जाए और खुद अपनी जान लेने पर उतारू हो जाए, तो इसमें बॉडीगार्ड। क्या कर सकता है ? बॉडीगार्ड क्लायंट के साथ नहीं सो सकता । वह उसके साथ टॉयलेट में नहीं जा सकता था।"
"मरने वाली तुम्हारी क्लायंट थी ?"
"हां ?"
"क्या सबूत है ?"
"क्या मतलब ?" - मैं अचकचाया।
"इस बात का क्या सबूत है कि तुमने इस आदमी को" - उसने पाण्डे की तरफ इशारा किया - "जूही के कहने पर यहां तैनात किया था ? मुमकिन है जूही की निगरानी तुम किसी और की खातिर करवा रहे हो ।”
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