Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:21 PM,
#80
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रात 10:00 बजे-

सभी अपने-अपने रूम में जा चुके थे। शीबा दूध का ग्लास लेकर जीशान के रूम में जाती है। जीशान कंप्यूटर पे कुछ नोट्स बना रहा था। पर दिमाग़ तो अभी भी उस फाइल पे टिका हुआ था। 

शीबा-“जीशान बेटा, दूध पीलो…” वो अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों के सामने दूध का ग्लास लिये खड़ी थी। 

जीशान उठकर शीबा के पास आता है। दोनों की आँखें मिलती हैं और साँसे भी। 

जीशान शीबा से कुछ पूछना चाहता था… शायद फाइल वाली बात। पर कुछ सोचकर खामोश रह जाता है। 

शीबा-क्या हुआ जीशान , गरम दूध चाहिए? 

जीशान-“हाँ… एकदम गरम ताजा…” 

शीबा-“इस वक्त गरम दूध कहाँ मिले गा बेटा?” 

जीशान अचानक दोनों हाथ शीबा की चुची पे रख देता है-“यहाँ…” 

शीबा सिहर जाती है-“अह्ह… छोड़ मुझे… अपनी अम्मी के साथ भला कोई ऐसी हरकत करता है क्या?” 

जीशान एक बार फिर से शीबा की चुची मसलता है, और अपने होंठ शीबा के होंठों के पास लाकर छोटी सी किस करता है-“गुडनाइट अम्मी…” 

शीबा के होंठ लरज के रह जाते हैं। वो दूध का ग्लास टेबल पे रख देती है और जीशान की गर्दन के पीछे अपना हाथ डालकर एक ही पल में जीशान के होंठों को अपने मुँह में ले लेती है। वो जीशान के होंठों को इतने आवेश में किस करती है कि जीशान को अनुम के वो लाल रसीले होंठ जो उसे बचपन से परेशान करते आये हैं, जिन्हें चूमने की ख्वाहिश में अब तक जीता आया है, वो नजरों के सामने घूम जाते हैं और वो अनुम समझ के शीबा के होंठों को चूसने लगता है। 

5 मिनट के बाद पता नहीं शीबा को क्या होता है कि वो जीशान से अलग हो जाती है और बाथरूम में चल जाती है। 

जीशान के पास यही वक्त था। वो भागकर शीबा के रूम में जाता है और वो फाइल निकालकर वापस अपने रूम में आकर बेड के नीचे छुपा देता है। 

कुछ देर बाद शीबा जीशान के बाथरूम से बाहर निकलती है और बिना कुछ बोले अपने रूम में चल जाती है। 

जीशान को यकीन नहीं हो रहा था कि शीबा, उसकी अम्मी उसके साथ ये कैसा व्यवहार कर रही है? पर दिल ही दिल में वो इन सब बातों से बहुत खुश था। भला कौन कम्बख़्त चूत की खुश्बू से खुश नहीं होगा? वो दरवाजा बंद कर देता है और वो फाइल बेड के नीचे से निकालकर देखने लगता है। 


पहला दस्तावेज़ अमन और अनुम के निकाहनामा था। 

दूसरा अमन और रज़िया का निकाहनामा था। 

तीसरा अमन और शीबा के निकाहनामे का था। 

उसका दिमाग़ चकरा जाता है। 

उसके नीचे जीशान का बर्थ सर्टिफिकेट था। 

उसके नीचे सोफिया, फिर लुबना और एक नग़मा का बर्थ सर्टिफिकेट था। 

जीशान खुद की डेट आफ बर्थ जानता था। पर जब वो सोफिया और लुबना की बर्थ डेट नग़मा के बर्थ डेट के साथ मैच करता है तो दिमाग़ की घंटियाँ बजने लगती हैं। 

सोफिया की डेट आफ बर्थ 20 अप्रेल 1980 थी। 

जीशान की 25 अप्रेल 1980। 

नग़मा की 7 जुलाइ 1980। 

और लुबना की 2 फ़रवरी 1982। 

वो सोच में पड़ जाता है कि ये कैसे हो सकता है? उसे सारी बात समझ में आ जाती है। वो ये बात तो जान चुका था कि उसके अब्बू ने अपनी अम्मी और बहन से भी शादी की थी और उन्हें प्रेग्नेंट भी किया था। बस उसे ये पता करना था की रज़िया, अनुम, और शीबा में से उसकी अम्मी कौन सी है? 

दिमाग़ में बहुत कुछ चल रहा था। उसे पूरा यकीन था कि हो ना हो रज़िया या अनुम इन दोनों में से कोई एक उसकी अम्मी ज़रूर है। और यही बात उसे अमन के लौटने से पहले पता करनी थी। वो इन्ही बातों के साथ बेड पे लेट जाता है और थकान की वजह से फौरन सो जाता है। 

सुबह जब जीशान की आँख खुली तो सुबह के 9:00 बज रहे थे। उसके सर में बहुत दर्द था। वो फ्रेश होने बाथरूम में घुस जाता है। जब वो बाहर आता है तो उसे नग़मा और लुबना रूम में बैठी मिलती हैं। 

लुबना-“भाई, आप जल्द से नाश्ता कर लो…” 

जीशान-क्यों, क्या बात है? 

लुबना-“नग़मा, मैं, दादी और अम्मी फ़िज़ा आंटी के यहाँ जा रहे हैं…” 


जीशान-फुफुई नहीं जा रही क्या? 

नग़मा-“नहीं भाई, उन्हें घर पे कुछ काम है, वो नहीं आएँगी। आप फटाफट नाश्ता कर लो और हमें फ़िज़ा आंटी के यहाँ ड्रॉप कर दो…” 

जीशान पैंट पहनकर डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ जाता है। नाश्ता करने के बाद सभी बाहर जीशान की कार में इंतजार कर रहे थे। 

अनुम घर पे रुकने वाली थी। 

जीशान कार की ड्राइविंग सीट पे बैठ जाता है। पास में लुबना बैठी हुई थी, उसके चेहरे पे मुस्कान थी। पर जीशान अंदर ही अंदर जल रहा था। उसका दिल तो चाह रहा था कि कार किसी ट्रक से दे मारे और हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनियाँ से निजात पा ले। पर उसे पहले सच जानना था, वो सच जो उसकी जात से तालुक रखता था। वो बोझिल मन से कार फ़िज़ा के घर की तरफ दौड़ा देता है। जब कार फ़िज़ा के घर पहुँचती है तो सभी नीचे उतर जाते हैं, और जीशान को भी अंदर चलने के लिए कहते हैं। 

पर जीशान दोस्त से मिलने का बहाना बनाकर अपने घर की तरफ निकल जाता है। 

अनुम अपने बेडरूम में बैठी हुई थी। उसे उस बात का अफसोस था कि उसने अपने बेटे के गाल पे थप्पड़ क्यों मारा? 

जीशान अपने हाथ में अनुम और अमन के निकाहनामे के वो कागज लेकर अनुम के रूम में पहुँचता है। 

अनुम जीशान को देखकर खड़ी हो जाती है। वो उसकी तरफ बढ़ती है उसे मनाने के लिए। 

पर जीशान अनुम को हाथ के इशारे से अपनी तरफ आने से रोक देता है-“मैं यहाँ कुछ पूछने आया हूँ , उम्मीद करता हूँ आप मुझे सच बताएँगी…” 

अनुम धीमी आवाज़ में कहती है-“पूछो क्या पूछना चाहते हो?” 

जीशान अपने हाथ में का वो कागज अनुम के हाथ में दे देता है। 

उस कागज पे जैसे ही अनुम की नजर पड़ती है, उसके होश उड़ जाते हैं। वो खुद को किसी खाई में गिरता महसूस करती है, साँस लेना मुहाल हो जाता है और वो मुँह खोलकर जीशान की तरफ देखने लगती है। 

जीशान आगे बढ़ता है-“मैं जान चुका हूँ कि आज से 20 साल पहले आपने और अब्बू ने शादी की थी। मुझे उस शादी की वजह बताओ और ये भी बताओ कि मैं आप तीनों में से किसका बेटा हूँ ?” 

अनुम काँपने लगती है। उसे समझ में नहीं आता कि वो क्या कहे? वो सभी मिलकर जिस तूफान को पिछले 20 सालों से रोके हुये थे, आज वो तूफान आ चुका था और आज वो अपने साथ सभी को ले जाने वाला था, जो भी उसके रास्ते में आता फना हो जाता। अनुम साँस लेने के लिए खिड़की के पास आ जाती है। 

जीशान झटके से उसे अपनी तरफ मोड़ देता है, और एक गरजदार आवाज़ जीशान के मुँह से निकलती है-“मुझे बताओ, आखिर वो क्या वजह थी? और किसका बेटा हूँ मैं?” 

अनुम काँपती हुई आवाज़ में कहती है-“मेरे बेटे हो तुम जीशान…” 

जीशान एक बार और चिल्लाता है-“अम्मी, तुमने ऐसा क्यों किया?” 

अनुम रोने लगती है। पर आज उसे समझाने वाला कोई नहीं था। वो सिसकती रही , पर जीशान ने उसे नहीं मनाया। वो उसी तरह खड़ा रहा। 

अनुम-“तुम जानना चाहते हो ना मैंने ऐसा क्यों किया? तो सुनो…” और अनुम अपने पास्ट की वो किताब खोल देती है। उस किताब के हर पन्ने पे अमन और अनुम की मोहब्बत दर्ज थी। वो सारे जज़्बात खिले हुये थे जो अनुम अमन के लिए महसूस करती थी। अनुम अपनी जिंदगी की बातें जीशान के सामने खोल रही थी और जीशान के चेहरे के आसार बदलते चले जा रहे थे। 

जब अनुम खामोश होती है तो उसके चेहरे पे सकून था। वो खुश थी कि आज उसने अपने अंदर छुपे हुये उस राज को बाहर निकालकर फेंक दिया, जो उसे तिल-तिल मार रहा था। 


जीशान चुपचाप वहाँ से चला जाता है। 

और अनुम भीगी पलकों से जीशान, अपने बेटे को जाता देखती रह जाती है। दिल के किस्से ज़ुबान पर आ चुके थे
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