Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:48 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान की मेहनत से आज फॅक्टरी का काम काफी बढ़ गया था उसके नई-नई आइडियास नई-नई पॉलिसी ने मार्केट में गारमेंट्स के उसके बिजनेस को बुलंदियों के उस मुकाम तक पहुँचा दिया था, जहाँ उसके अब्बू अमन ख़ान हमेशा पहुँचना चाहते थे। अपने लगन के पक्के जीशान को बिजनेस में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं होती थी चाहे फिर वो उसके अपने ही क्यों ना करें? 

जब जीशान अपने केबिन में बैठा कुछ काम कर रहा था, तब उसे सामने से अनुम आती दिखाई देती है। अचानक ही उसे कुछ सूझता है और वो अपना सेलफोन उठा लेता है। जब अनुम केबिन में पहुँचती है तो जीशान उसे किसी से बात करता हुआ दिखाई देता है। 

जीशान-“हाँ हाँ जी, आपसे बात करने के लिए तो टाइम ह टाइम है। भला आपसे इम्पोर्टेंट कोई हो सकता है? आप जब कहें बंदा हाजिर हो जाएगा आपकी खिदमत में। अच्छा मैं रखता हूँ , थोड़ी देर बाद बात करता हूँ …” ये कहकर जीशान सेल टेबल पर रखने लगता है। 

तभी सामने से घूर ते हुये अनुम उसके हाथ में से सेल छीन लेती है। 

जीशान-ये क्या अम्मी, लाइए मेरा सेल? 

अनुम-किससे बात कर रहे थे तुम? 

जीशान-“आपको क्या किसी से भी करूँ?” वो खड़ा होकर अनुम के हाथ से सेल छीनने लगता है। 

मगर अनुम उसे परे धकेल देती है, और सेल चेक करने लगती है-“ये तो बंद है?” 

जीशान मुस्कुराता हुआ-“जी हाँ बंद है। बैटरी डिस्चार्ज है इसके काफी वक्त से…” 

अनुम सेल टेबल पर रख कर वापस जाने लगती है। तभी जीशान उसका हाथ पकड़ लेता है। 

अनुम-“छोड़ो मुझे, तुमने कसम खाई है कि तुम मुझे टच नहीं करोगे…” 

जीशान अनुम के सामने आ जाता है-“वादा किया ही जाता है तोड़ने के लिए। आपने अपनी कसम तोड़ दिया, फिर मैंने। अपने हिसाब बराबर। वैसे एक बात बताइए? क्या मैं जान सकता हूँ इस तरह शक करने के लिये मैं क्या समझू?” 

अनुम-“तुम्हें जो समझना है वो समझ लो, पहले मेरा हाथ छोड़ो…” 

जीशान-“नहीं छोड़ूँगा क्या करेंगी आप?” 

अनुम-“मैं कहती हूँ , हाथ छोड़ो मेरा…” 

जीशान-“पहले मेरे सवाल का जवाब दो मुझे। जब आपको मुझसे कोई मतलब नहीं है तो क्यों चेक कर रही थी आप मेरा सेल?” 

अनुम खामोश हो जाती है और उसके पलकें झुक जाती हैं। जीशान उसके हाथ को मजबूती से पकड़कर कलाई मरोड़ देता है। 

अनुम-“आह्ह…” 

जीशान-“दर्द होता है ना? मुझे भी होता है दिल में, जब आप मुझे वो अपनत्व वो प्यार नहीं देती, जिसका मैं मुस्तहिक हूँ …” 

अनुम-“तुम किसी चीज के हकदार नहीं हो। मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं । तुम मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते…” 

जीशान-“मेरे जनाजे में तो आएगी ना आप?” 

अनुम तड़प के अपना दूसरा हाथ जीशान के मुँह पर रख देती है-“तुझे मेरी कसम… अगर दुबारा ऐसी बात मुँह से निकाला तो?” 

जीशान उसके हाथों को अपने मुँह पर पाकर उन्हें चूम लेता है। 

अनुम झट से अपना हाथ हटा लेती है-“बस तुम्हारी यही बात मुझे पसंद नहीं है। पता नहीं हर वक्त तुम्हें एक ही बात क्यों सूझती है?” 

जीशान-कौन सी बात अम्मी? 

अनुम खामोश हो जाती है। 

जीशान-बोलिए भी अम्मी जान्न? 

अनुम-मुझे दर्द हो रहा है। 

जीशान-एक शर्त पर छोड़ूँगा आपका हाथ? 

अनुम नजरों से पूछती है-कौन सी शर्त? 

जीशान-“शर्त ये है कि आप मुझे रोज एक सुबह और एक शाम में होंठों पर किस दोगी…” 

अनुम स्पाट करके जीशान के गाल पर थप्पड़ जड़ देती है-“ये हर वक्त मिल सकते हैं, चाहिए?” 

जीशान अनुम की कलाई छोड़ देता है और जैसे ही अनुम वहाँ से जाने लगती है, जीशान उसे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लेता है, और अनुम के मुँह खोलने से पहले उसके दोनों होंठों को अपने मुँह में ले लेता है। 

अनुम जैसे बेहोश सी हो जाती है। उसका दिमाग़ काम करना फौरन बंद कर देता है। वो खुद को बहुत हल्का फूल का सा महसूस करती है, और अगले ही पल जब उसे एहसास होता है कि वो किसी की बाहों में है तो पूरी ताकत से जीशान को धकेल देती है, और एक और थप्पड़ जीशान को जड़ देती है। 

जीशान-“मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, आप मुझे कितना ही मारो। मगर हाँ ये वादा रहा आपसे आज के बाद कि जब भी मुझे आपको चूमना होगा, मैं उस वक्त आपको चुमूंगा, चाहे फिर वो आप कहीं भी हों, मैं कुछ नहीं देख दूँगा। उसके बाद आप मुझे कुछ भी करो…” 

अनुम उससे कुछ कहने वाली थी, मगर पीछे से लुबना की आवाज़ सुनकर वो खामोश रह जाती है। 

लुबना-“भाई वो लेबर आपसे बात करना चाहती है…” 

जीशान अनुम को देखता हुआ लुबना के साथ चला जाता है, और अनुम को कुछ सोचने पर मजबूर कर जाता है। 

***** ***** 

इधर अमन विला में सोफिया और नग़मा रूम में बैठे बातें कर रही थी। 
नग़मा-आपी एक बात पुच्छू ? 

सोफिया-ह्म। 

नग़मा-“आपी वो मैं ये पूछना चाहती थी कि की…” 

सोफिया-“क्या नग़मा पूछ ना?” वो अपना चेहरा अब पूरी तरह नग़मा की तरफ घुमा लेती है। 

नग़मा-“मुझे शर्म आती है आपी…” 

सोफिया-“ओयए होये… मेरी शम़ील बहन क्या बात है, जिसे पूछने में तुझे इतनी शर्म आ रही है ?” 


नग़मा-आपी मैं ये पूछना चाहती थी को… नहीं जाने दो आप मुझे गंदी कहोगी…” 
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