Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:44 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
लुबना और अनुम फॅक्टरी जाने के लिए तैयार खड़ी जीशान का इंतजार कर रहे थे। 

लुबना-अम्मी, कहाँ हैं भाई? 

अनुम-“मैं अभी उसे देखकर आती हूँ …” वो जीशान के रूम में चली जाती है। 

जीशान आईने के सामने खड़ा अपने बाल सँवार रहा था। अनुम को अपने सामने खड़ा देखकर वो एक हल्की सी स्माइल उसे देता है-“थैंक्स मेरी बात मानने के लिए…” 

अनुम उससे देखने लगती है। उन आँखों में कई बातें थीं, कई सवालात थे, और उनके जवाब जीशान को देने थे। कल जो उसने कसम खाया था, उस बात से अनुम काफी परेशान थी और ये उसके चेहरे से साफ बयान हो रही थी। अनुम बिना कुछ बोले जीशान के चेहरे को देखने लगती है। 

जीशान-क्या हुआ अम्मी? 

अनुम-कुछ नहीं , चलो। 

जीशान-चलिए। 

वो दोनों रज़िया के पास आते है। अनुम रज़िया से मिलकर बाहर चली जाती है। जबकि जीशान रज़िया को कुछ नहीं कहता बस उसकी आँखों में कुछ तलाश करने लगता है, और वो बात रज़िया बड़ी आसानी से छुपा लेती है। 

जीशान कार फॅक्टरी की तरफ चला देता है। लुबना और अनुम दोनों बैक सीट पे बैठी बातें कर रही थी। 

जीशान-“अम्मी, लंच टाइम में आप मेरे साथ शॉपिंग करने चल रही हैं, और आज आप मेरी पसंद की ड्रेस लेंगी, ठीक है ना?” 

अनुम जीशान की तरफ देखकर मुश्कुरा देती है-“हाँ ठीक है…” 

लुबना-“और मेरी शॉपिंग?” 

इससे पहले जीशान उससे कुछ कहता, अनुम लुबना को भी साथ चलने के लिए कह देती है। और जीशान चुप हो जाता है। कुछ देर बाद कार फॅक्टरी पहुँच जाती है। वो तीनो फॅक्टरी के अंदर जाने लगते हैं तभी जीशान का सेल फोन बजता है। 

जब वो सेल देखता है तो उसके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है, काल रूबी का था। जीशान काल रिसीव करता है। दूसरी तरफ से रूबी की घबराई हुई आवाज़ सुनाई देती है। 

जीशान-“क्या बात है रूबी? बहुत परेशान लग रही हो…” 

रूबी-“जीशान आप क्या मेरे घर आ सकते हैं? मुझे बहुत घबराहट सी हो रही है। अम्मी अब्बू भी शादी में गये हैं। प्लीज़्ज़… जल्दी आ जाए आप…” 

जीशान-“ओके, मैं अभी पहुँचता हूँ …” 

अनुम-“क्या हुआ जीशान ? चलो अंदर…” 

जीशान-“अम्मी, मैं बस अभी आया। एक दोस्त की तबीयत खराब है। आप अंदर बैठिए मैं थोड़ी देर में आया…” 

लुबना-“जल्दी आना, वरना पता चला हम यहाँ बैठे रह गये और आप वहाँ दोस्त के साथ पार्टी कर रहे हो…” 

जीशान लुबना की तरफ देखकर दाँत पीसते हुये उससे कहता है-“तुझे तो मैं वहाँ से आकर देखता हूँ …” 

अनुम और लुबना फॅक्टरी के अंदर चले जाते हैं, और जीशान कार रूबी के घर के तरफ दौड़ा देता है। जीशान ने जब से कालेज छोड़ा था, तब से वो रूबी से पर्सनल नहीं मिला था। फोन पे सिर्फ़ दोनों के बीच बात हुआ करती थी। 

रूबी ने भी जीशान को ज्यादा परेशान नहीं किया था। वो भी जानती थी कि जीशान इस वक्त किस हालत से गुजर रहा है। हालाँकि डाक्टर सोनिया ने जीशान को कई बार अपने घर पे इन्वाइट किया था, मगर जीशान कोई ना कोई बहाना बनाकर बात टाल देता था। 

मगर आज रूबी की घबराई हुई आवाज़ सुनकर जीशान से रहा नहीं गया और वो रूबी के घर पहुँच जाता है। जब वो रूबी के घर के अंदर पहुँचता है तो उसे रूबी बिल्कुल ठीक-ठाक हँसती हुई दरवाजा पे खड़ी मिलती है। 

जीशान पूछता है-“अब कैसी तबीयत है तुम्हारी ? डाक्टर को काल करूँ? हुआ क्या था?” 

रूबी-“पहले बैठो तो सही …” वो जीशान का हाथ पकड़कर उसे अपने बेडरूम में ले जाती है और बेड पर बैठाकर उसके पास आकर बैठ जाती है-“कुछ नहीं हुआ मुझे, बस तुम्हारी याद आ रही थी तो बहाना करके बुला लिया तुम्हें…”

जीशान-“व्हाट नानसेन्स रूबी? ये भी कोई तरीका हुआ बुलाने का? मैं कितना परेशान हो गया था, जब मैंने तुम्हारी वो परेशानी वाली आवाज़ सुनी। मैं जा रहा हूँ …” 
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05-19-2019, 01:44 PM,
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रूबी जीशान का हाथ पकड़कर उसे बेड पे बैठा देती है और उसके ऊपर चढ़ जाती है-“जब देखो बिजी बिजी… आखिर लाइफ में कुछ एजाय्मेंट है भी कि नहीं तुम्हारे? समर कैम्प से आने के बाद तो तुम्हारी सूरत देखने को तरस गई हूँ मैं…” 

जीशान-“रूबी, मुझे बहुत देर हो रह है। मुझे जाना है, बाद में मिलते हैं…” 

रूबी ने जीन्स की पैंट और नाइटी पर एक जैकेट पहन रखी थी। वो जीशान की आँखों में देखते हुये अपनी जैकेट निकालकर फेंक देती है। गुलाबी कलर की नाइटी में रूबी कयामत लग रही थी। जीशान की नजरें रूबी के जिस्म पे टिक सी जाती है। 

रूबी-“मैं यहाँ तड़प रही हूँ और तुम हो की मेरी प्यास भी नहीं बुझाते…” 

जीशान रूबी की कमर को पकड़कर उसे अपने ऊपर गिरा देता है-“मुझे लगा था, तू सुधर गई होगी…” 

रूबी-“जिसे तुम्हारा पानी लगा हो, वो कभी नहीं सुधर सकती। तुम्हें पता है, सिर्फ़ तुम्हारे लिए मैं खुद को संभालकर रखी हूँ …” 

जीशान रूबी के होंठों को चूम लेता है। रूबी अपना जिस्म ढीला छोड़ देती है जैसे जीशान से कह रही हो-“कर लो जो करना है…” 

मगर शायद जीशान का मूड कुछ करने का नहीं था। वो रूबी को कुछ देर चूमने के बाद उसे अपने ऊपर से उतारकर खड़ा हो जाता है। 

रूबी तड़पती आँखों से जीशान को देखने लगती है। 

जीशान-“मैं बाद में आऊूँगा बाइ…” 

रूबी बेड पर उल्ट लेट जाती है-“सारी , मैंने तुम्हारा टाइम वेस्ट किया। मुझे माफ कर दो। आइन्दा मैं तुम्हें कभी परेशान नहीं करूँगी। अगर मुझे तुम्हारे याद भी आएगी ना तो मैं नींद की गोलिया खा लिया करूँगी, मगर तुम्हें काल नहीं करूँगी…” 

जीशान रोती हुई रूबी की कमर पर जैसे ही हाथ रखता है, रूबी का मुँह बंद हो जाता है। 

रूबी मुश्कुराके जीशान की तरफ देखती है और जीशानरूबी की जीन्स की पैंट खोलकर उसे नीचे खींच लेता है। 

रूबी उठकर बैठ जाती है और जीशान के होंठों से चिपक जाती है। वो बड़े जोर-जोर से जीशान के होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती है-“मैं तड़प रही हूँ जीशान आपके लिए… इससे पहले कि मैं मर जाऊूँ, मुझे अपना बना लो, मुझे सब कुछ दे दो, मेरा सब कुछ ले लो जीशान…” 

जीशान भी सब कुछ भूल करके रूबी की जवानी में खो जाना चाहता था। पिछले एक साल से उसे चूत के दीदार नहीं हुये थे। वो तो जैसे भूल ही गया था कि चूत और चुदाई होती क्या है? 

रूबी जीशान का पैंट को खोलकर नीचे गिरा देती है और उसके सामने जीशान का लण्ड जैसे ही आता वो… वो अपना मुँह खोलकर उसे चाटने लगती है गलप्प्प गलप्प्प। 

जीशान-“अह्ह… रूबी ऐसा मत कर मुझे फॅक्टरी जाना है अह्ह…” 

रूबी-“कहीं भी जाओ मगर अभी ये सिर्फ़ मेरा है गलप्प्प गलप्प्प…” 

जीशान के लण्ड में भी धीरे-धीरे अकड़न आने लगती है और खून से नशें मोटी होने लगती हैं। वो जो पिछले एक साल से आराम कर रहा था, आज उसे जैसे रूबी के गरम होंठों ने फिर से जगा दिया था। जीशानरूबी की नाइटी निकाल देता है और पैंटी रूबी निकालकर फेंक देती है। 

जीशान को हैरानी होती है, जब वो रूबी की चूत के होंठों को खोलकर अपनी जीभ उसमें घुसना चाहता है। रूबी अब तक कुँवारी थी। 

रूबी-तुम्हें क्या लगा था? 

जीशान कुछ नहीं कहता और अपनी जीभ से उसकी चिकनी बिना बालों वाली चूत को चाटने लगता है गलप्प्प गलप्प्प। 
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05-19-2019, 01:44 PM,
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रूबी बेडशीट पकड़ लेती है। उसके आँखों में समर कैम्प का वो दिलकश हादसा घूमने लगता है, जब जीशान ने उसकी गाण्ड में पहली बार अपना लण्ड डालकर उसके जमकर घिसाई किया था। 

जीशान की जीभ रूबी के क्लोटॉरिस के साथ छेड़खानी करने लगती है। 

रूबी-“अह्ह… जीशान डाल दो ना अंदर उम्ह्ह…” 

जीशान अपने लण्ड पे रूबी की चूत से निकला पानी लगाकर जैसे ही अपने लण्ड को उसके चूत पे लगाता है, रूबी उसके लण्ड को हाथ में पकड़कर अपनी गाण्ड के सुराख पे लगा देती है। 

रूबी-“उम्ह्ह… यहाँ डालो…” 

जीशान का लण्ड बड़ा था और रूबी की गाण्ड का सुराख बहुत छोटा। कई बार कोशिश करने के बाद भी वो अंदर नहीं जा पाता। रूबी पास में पड़ी हुई तेल के बोतल जीशान के हाथ में थमा देती है। जीशान धीरे-धीरे सारा तेल रूबी की गाण्ड के सुराख में डाल देता है और थोड़ा तेल अपने लण्ड पे लगाकर फिर से कोशिश करता है। 

रूबी के चीख निकलने लगती है, जैसे-जैसे तेल से भीगा हुआ जीशान का लण्ड उसकी गाण्ड में घुसने लगता है-“अह्ह… मर जाउन्गी मैं, निकाल लो वापस इसे अह्ह…” 


जीशान-“अब बहुत देर हो चुकी है मेरी जान, अब नहीं अह्ह…” 

रूबी-“नहीं ना जीशान अह्ह… कम से कम आराम-आराम से तो करो मुझे… अम्मी जी अम्मी जीईई…” 

जीशान अपने बाप की औलाद था। एक बार वो चूत में या गाण्ड में घुस जाता तो अपनी मर्ज़ी से बाहर निकालता था। जीशानरूबी की कमर को पकड़कर अपने लण्ड को जितनी अंदर डाल सकता था, डालकर उसकी गाण्ड मारने लगता है। 
और रूबी चिल्लाने लगती है। मगर उस वाली घर में उसकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं था। रूबी धीरे-धीरे शांत होने लगती है। उसकी गाण्ड का सुराख अब जीशान को अपने अंदर अड्जस्ट कर चुका था, वो हर झटके के साथ अपनी कमर को ऊपर उठाकर जीशान का साथ देने लगती है। दोनों पसीने में भीग चुके थे। मगर दोनों में से कोई भी हार मनाने को तैयार नहीं था, ना जीशान की स्पीड कम हो रही थी और ना रूबी की कमर हिलना बंद हो रही थी। जीशान रूबी की चूत पे हाथ रख कर दनादन अपने लण्ड को रूबी की चूत में अंदर-बाहर करने लगता है। 

जीशान एक तरफ से रूबी की चूत सहलाए जा रहा था, दूसरी तरफ से गाण्ड में मोटा लण्ड ठ ठूँसे जा रहा था। इतने बेरहम अंदाज में जीशान उसकी गाण्ड मारने में लगा हुआ था कि कुछ ह देर में रूबी की चूत से ढेर सारा पानी बहने लगता है, और वो बेड पर ढेर हो जाती है। जीशान भी उसके ऊपर लेट जाता है। जब दोनों अपनी साँसे संभाल के उठकर बैठते हैं तो रूबी जीशान के होंठों को अपने कब्ज़े में लेकर चूमने लगती है। 

रूबी-मुझे प्रामिस करो, मुझसे मिलने आओगे जब मैं कहूँ गी। 

जीशान-पक्का वादा ज़रूर आऊूँगा। अब मैं जाऊूँ, अम्मी इंतजार कर रही होंगी। 

रूबी-“ठीक है, वैसे दिल तो नहीं कर रहा मेरा, मगर ओके। आप अभी जा सकते हो। 

जीशान एक बार और रूबी को चूमते हुई फॅक्टरी चला जाता है। 
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05-19-2019, 01:44 PM,
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लंच टाइम हो चुका था और अनुम लुबना के साथ जीशान का ही इंतजार कर रही थी। 

जीशान-सारी सारी मुझे आने में देर हो गई। 

अनुम-कहाँ रह गये थे जीशान? मुझे यहाँ लाकर खुद गायब हो गये हो। 

जीशान-खाना खाया आपने? 

लुबना-बस आपका ही इंतजार कर रहे थे जहाँपनाह। 

जीशान-अम्मी, आप आइए मेरे साथ, और तू भी ले ले मोटी । 

अनुम-कहाँ? 

जीशान-शॉपिंग करने। 

अनुम-अब रहने भी दे जीशान, मेरे पास बहुत सारे ड्रेस हैं। 

जीशान-आप चल रहे हो या नहीं ? 

अनुम-अच्छा बाबा चलो, पहले खाना तो खा लो। 

जीशान-किसी रेस्टोरेंट में खा लेंगे। 

अनुम खड़ी हो जाती है और बाहर कार के पास आ जाती है। 

लुबना मुँह फुलाए अब भी चेयर पर बैठी हुई थी। 

जीशान लुबना से-क्या हुआ, चलना नहीं है क्या? 

लुबना-अम्मी को इतने प्यार से चलने के लिए बोले आप, और मुझे एक बार भी नहीं । नहीं चलना मुझे आपके साथ, जाओ तुम दोनों। 

जीशान को उस वक्त लुबना का वो मुँह फुलाया हुआ चेहरा देखकर बहुत प्यार आ रहा था। उसपे बचपन में जब भी लुबना नाराज हो जाती थी, वो इसी तरह मुँह फुलाकर बैठा जाया करती थी। जीशान उसके पास आता है और उसके गाल पे हल्के से पप्पी ले लेता है-नथींग पर्सनल। 

लुबना का दिल बाग-बाग हो जाता है और वो मुश्कुराती हुई जीशान का हाथ पकड़कर बाहर निकल जाती है। 

एक लड़की जिससे मोहब्बत करते हैं वो उसके सामने कितना भी नाराजगी दिखाने की कोशिश करे मगर जब वो शख्स उस लड़की को जरा सा प्यार जताता है वो लड़की अपना सारा गुस्सा भूल जाती हैं। लुबना का भी उस वक्त वही हाल था। उसे तो बस जी शान से प्यार चाहिए था, जरा सा ही सही मगर सच्चा प्यार। मगर अभी तक जीशान ने लुबना से किसी भी तरह की मोहब्बत का इजहार नहीं किया था। 

वो तीनों एक बड़े से शॉपिंग माल में पहुँच जाते हैं, जहाँ जीशान अनुम और लुबना को अपनी पसंद के कई ड्रेस खरीद के देता है। अनुम और लुबना से चोरी से वो सोफिया और रज़िया के लिए नाइटी खरीद लेता है। अनुम नग़मा के लिए भी दो ड्रेस पसंद करती है। 

लंच करने के बाद तीनों फॅक्टरी वापस आ जाते हैं। अनुम बहुत खुश नजर आ रही थी और उसके चेहरे पे मुस्कान देखकर जीशान भी बहुत खुश था उसे यकीन हो चला था कि उसकी मोहब्बत एक ना एक दिन अनुम के दिल से उसके अब्बू अमन ख़ान का नाम हमेशा हमेशा के लिए निकाल देगी। 

रात 7:00 बजे-जीशान अनुम और लुबना के साथ घर पहुँच जाता है। 

रज़िया-अरे आ गये तुम लोग? मैं अभी तुम्हें काल ही करने वाली थी। 

अनुम रज़िया के साथ उसके रूम में चले जाते हैं, और लुबना अपने ड्रेस लेकर उसे अपने रूम में ट्राई करने चलौ जाती है। 

सोफिया उस वक्त अपने रूम में सोई हुई थी आज है उसकी एम॰सी॰ पीरियड्स ख़त्म हुई थी। नहाकर वो अपनी नाइटी में ही बेड पे गहरी नींद में सोई हुई थी। 

नग़मा जीशान के हाथ में बैग देखकर उसे पूछने लगती है-“भाई जान इतने सारे बैग्स… इनमें क्या है?” 

जीशान-कपड़े हैं। नग़मा तेरे भी हैं, ले पहनकर देख ले अगर फिटिंग ठीक नहीं आए तो बदल लेंगे। 

नग़मा-किसके पसंद के हैं? 

जीशान-मेरी पसंद के हैं। 

नग़मा-फिर तो फिटिंग एकदम सही आएगी। 

जीशान-क्याअ? 

नग़मा-“कुछ नहीं …” वो हँसती हुई जीशान के हाथ में से बैग लेकर अपने रूम में चली जाती है। 

और जीशान उसकी बात पे मुस्कुराता हुआ सोफिया के रूम में चला जाता है। 
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05-19-2019, 01:45 PM,
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सोफिया को गहरी नींद में सोया देखकर वो वापस अपने रूम में जाने लगता है। मगर फिर कुछ सोचते हुये वापस सोफिया के पास आकर उसके चेहरे के पास बैठ जाता है। सोफिया उस वक्त निहायत ही खूबसूरत लग रही थी। चेहरे पे आती उसकी जुल्फें बहुत प्यारी लग रही थीं। जीशान से रहा नहीं जाता और वो किसी परवाने की तरह शमा को चूमने की ख्वाहिश में अपने होंठ सोफिया के होंठों पर रख देता है। 

सोफिया नींद से जाग जाती है। अपने चेहरे के इतने करीब जीशान को पाकर सोफिया पहले तो डर जाती है-“ओह्ह… जीशान तुम हो… मगर तुम इस वक्त?” 

जीशान-लो जी कर लो बात? रात होने को आई है और आप पूछ रहे हो कि मैं इस वक्त? अरे बाजी उठिए, क्या हुआ है आपको? 

सोफिया उठकर बैठ जाती है-“हाँ वो थकान से आँख लग गई थी। इस बैग में क्या है?” जीशान के हाथ में बैग देखकर सोफिया उससे पूछ लेती है। 

जीशान-सरप्राइज। 

सोफिया-किसके लिए? 

जीशान-“उफफ्फ़हो… बाजी, आपके लिए और किसके लिए?” 

सोफिया-सच बता ना क्या लाया है मेरा क्यूट सा भाई? 

जीशान-क्या कहा आपने क्यूट, जब दूँगा ना तब पता चलेगा? 

सोफिया-क्या? क्या कहा तूने ? 

जीशान-“मैंने कहा जब गिफ्ट दूँगा ना तब पता चलेगा कितना क्यूट हूँ मैं?” 

सोफिया-प्लीज़्ज़… बता भी दे क्या लाया है मेरे लिए? 

जीशान-एक शर्त पर दूँगा। 

सोफिया की आँखें बैग पर ही टिकी हुई थीं। उसे बहुत जल्दी थी ये पता करने की कि जीशान उसके लिए क्या लाया है? कहा-क्या शर्त है तेरी बोल जल्दी से? 

जीशान-“मेरी शर्त ये है कि आप इसे पहनकर मुझे देखाओगी। और हाँ, किसी और को नहीं । दूसरी शर्त ये है कि आप सिर्फ़ इसे ही पहनोगी…” 

सोफिया को कुछ-कुछ समझ में आ रहा था और कुछ नहीं । वो जीशान के हाथ में से बैग छीन लेती है और उसे खोलकर जब नाइटी बाहर निकालती है तो उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। वो एक पिंक कलर की पारदर्शी नाइटी थी और इतनी छोटी लग रही थी कि अगर सोफिया उसे पहनती तो वो उसके घुटनों के ऊपर तक चढ़ जाए। 

जीशान को पता था कि सोफिया या तो इनकार कर देगी या वो नाइटी उठाकर उसके मुँह पर मार देगी। मगर सोफिया ऐसा कुछ नहीं करती, वो पूरी नाइटी को अच्छे से देखती है और फिर वापस बैग में रख देती है। 

जीशान-आपको पसंद आई? 

सोफिया-“अच्छी है ले रख ले अपने पास अपनी बीवी को पहनाना। कम्बख़्त मरे मुझे ऐसे चीज गिफ्ट करता है जान से मार दूँगी …” वो उठकर खड़ी हो जाती है। 

जीशान उसके पीछे जाकर उसे अपने बाहों में भर लेता है, और उसके कान में धीरे से कहता है-“मैं जानता हूँ ये नाइटी आप ज़रूर पहनोगी। मेरा दिल मुझसे झूठ नहीं कह सकता सोफिया…” 

सोफिया मुड़कर जीशान को जवाब देना चाहती है मगर तब तक जीशान उसके रूम से बाहर निकल चुका होता है। 

एक दूसरी नाइटी जो वो रज़िया के लिए लाया था, वो रज़िया को देने के लिए उसके रूम में जाता है। जब वो रज़िया के रूम में पहुँचता है तो उसे रज़िया रूम में दिखाई नहीं देती। बाथरूम में से पानी गिरने की आवाज़ सुनाई देती है। जीशान थोड़ी देर वहीं बैठकर रज़िया का इंतजार करने लगता है। मगर अचानक उसे रात वाली बात याद आ जाती है, और वो उठकर बाहर जाने लगता है। फिर कुछ सोचते हुये वो नाइटी का बैग वहीं रज़िया के बेड पर रख कर अपने रूम में चला जाता है। 


लुबना अपने सभी ड्रेस पहनकर देख चुकी थी और सभी को बता भी चुकी थी इसे। अपने ड्रेस वो जीशान को बताने के लिए जब उसके रूम में जाती है। जीशान उस वक्त अपने बेड पर लेटा हुआ सोफिया के बारे में ही सोच रहा था। उसे सोफिया से मोहब्बत तो नहीं हुई थी, क्योंकी उसकी मोहब्बत तो कोई और थी, जो उसे प्यार भी करती थी और इजहार-ए-मोहब्बत भी नहीं करती थी। 

लुबना जीशान के सामने आकर खड़ी हो जाती है-कैसी लग रही हूँ मैं भाई? 

जीशान लुबना को नीचे से ऊपर तक देखने लगता है-बहुत खूबसूरत । 

लुबना को अपने कानों पर यकीन नहीं होता। वो जीशान के सामने आकर उसकी आँखों के सामने हाथ हिलाती है। 

जीशान-क्या है, क्यों परेशान कर रही है? 

लुबना-भाई मुझे तो यकीन नहीं हो रहा कि आपने मेरी तारीफ़ किया, मुझे चिमटी काटो प्लीज़्ज़… ऐसा लग रहा है जैसे मैं कोई ख्वाब देख रही हूँ । 

जीशान पूरी ताकत से लुबना के बाजू पर चिमटी काट लेता है। 

लुबना-अम्मीईई जीईई। 

जीशान-बस अब आ गया यकीन? चल जा बाहर अब। 

लुबना अपनी उंगलियों को एक करके उसकी मुट्ठी बनाती है, और पूरी ताकत से जीशान के पेट में मार देती है। जीशान को वो मुक्का इतने जोर से पड़ता है कि उसके मुँह से खाँसी निकल जाती है। 

लुबना-मैंने पहले ही कहा था कि छुई मुई मत समझना मुझे? प्यार से बोली थी चिमटी काटने के लिए आपने तो अपने भड़ास निकाल ली । 
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05-19-2019, 01:45 PM,
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जीशान उसके बाल पकड़कर उसे बेड पर गिरा देता है-“जब देखो धौंस देती रहती है। अभी बताता हूँ तुझे…” 

अनुम-क्या बताना है, जरा मैं भी तो देखूं? 

लुबना-“अम्मी देखो ना भाई मुझे बोल रहे थे कि तुझे किसी दिन जान से मार दूँगा…” 

अनुम जो लुबना की चीख सुनकर किचेन में से जीशान के रूम में आ गई थी। 

जीशान-“अरे मोटी कभी तो सच बोला कर? अम्मी मैंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा इसे। उल्टा इसने देखो मेरे पेट में कितने जोर से मुक्के मारे…” 

अनुम-लुब जाओ किचेन में, और खाना डाइनिंग टेबल पर लगा दो। 

लुबना जीशान की तरफ मुश्कुराती हुई बाहर चली जाती है। 

अनुम-तुम दोनों बच्चे नहीं हो, जब जब देखो झगड़ते रहते हो। 

जीशान-अम्मी सच मैं अब बच्चा नहीं रहा, तो मेरी शादी करवा दो ना। 

अनुम-अच्छा? सच तू शादी करना चाहता है? सच बोल अभी तेरे लिए लड़कियों की लाइन लगा देती हूँ । बोल कैसे लड़की चाहिए तुझे? 

जीशान अनुम के पास आ जाता है-“मुझे जैसी लड़की पसंद है वैसे आपको मिल नहीं सकती, और मैं जिसे चाहता हूँ वो मेरी होना नहीं चाहती…” 

अनुम-क्या गोल मोल बातें कर रहा है? साफ-साफ बोल कैसे लड़की चाहिए तुझे? 

जीशान-पहले आँखें बंद करो। 

अनुम-वो क्यूँ ? 

जीशान-करो ना, और जब तक मैं ना कहूँ खोलना मत। मैं आपको एक तस्वीर दिखाता हूँ मुझे वो पसंद है। 

अनुम-अच्छा जल्दी लेकर आ, मैं अपनी आँखें बंद कर लेती हूँ । 

जीशान-आपको मेरी कसम, जब तक मैं ना कहूँ आँखें मत खोलना। 

अनुम-ठीक है बाबा, बता भी दे। 

जीशान अनुम के आँखें बंद करने के बाद उसका हाथ पकड़कर उसे एक जगह खड़ा कर देता है-“अब आँखें खोल दो…” 

अनुम जब आँखें खोलती है तो उसके पूरा जिस्म काँप जाता है। वो आईने के सामने खड़ी थी, और जीशान रूम से बाहर जा चुका था। 

डाइनिंग टेबल पर अनुम जीशान को घुरने लगती है। वहाँ सभी मौजूद थे, इसलिए अनुम जीशान को कुछ कह भी नहीं सकती थी। मगर जीशान बड़े आराम से खाना खाने में लगा हुआ था। वो सोफिया को चोर नजरों से देखकर खाना खा रहा था। 

नग़मा अपनी कातिल निगाहों से जीशान को ही देख रही थी। 

जब जीशान की आँखें उससे मिलती हैं तो जीशान को कुछ अजीब सा महसूस होता है और वो नग़मा से पूछ बैठता है-“क्या बात है नग़मा ड्रेस पसंद नहीं आई तुझे?” 

नग़मा-हाँ… वो ना मेरा मतलब है बहुत अच्छे हैं भाई, आपको मेरी पसंद कैसे पता चली ? 

जीशान-अम्मी की पसंद के हैं वो ड्रेस। 

नग़मा-ओह्ह… अच्छा मुझे लगा अपने पसंद किए हैं क्या? 

जीशान-ऐसा समझ ले मेरी भी पसंद शामिल है उसमें। 

नग़मा के गुलाबी होंठ और गुलाबी हो जाते है। जीशान को नग़मा कुछ बदली -बदली सी दिखाई दे रही थी। 

वो उसपर कुछ ख़ास ध्यान नहीं देता है और खाना खाने लग जाता है। खाना खाने के बाद सभी अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं। 

लुबना सोफिया बरतन साफ करने में लगी हुई थीं। तभी किचेन में जीशान आता है और सोफिया की कमर पर से हाथ फेरता हुआ आगे बढ़ जाता है। लुबना उस वक्त बरतन धोने में लगे हुई थी। इसलिए सोफिया की जान में जान आ जाती है, मगर उसकी नजरें जीशान को ऐसे घूर ती हैं कि जीशान डर के मारे अपने रूम में चला जाता है। 

रज़िया अपने रूम में आकर दरवाजा बंद कर लेती है, और वो नाइटी जो उसके बेड पर पड़ी हुई थी उसे उठाकर देखने लगती है। नाइटी तो उसने तभी देख ली थी, जब जीशान उसे बेड पर रख कर गया था। मगर शायद उसे पहनना अभी था। रज़िया अपने कपड़े उतारने लगती है। वो जानती थी कि ये नाइटी कौन लाया था? मगर उसने इस बारे में जीशान से कोई बात नहीं की थी। 

पूरे कपड़े उतारने के बाद जब रज़िया वो नाइटी पहनकर आईने में खुद को देखती है तो किसी दुल्हन की तरह शरमा जाती है। वो नाइटी उसके आधे जिस्म को भी छुपाने में नाकाम थी। वो सोचने लगती है कि जीशान ये उसके लिए लाया है, और इन्ही ख्यालों में अपने हाथों से जब रज़िया अपनी चुची को छूती है तो रोंगटे खड़े कर देने वाली सरसराहट उसके जिस्म में कुछ पलों के लिए दौड़ जाती है। 

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जीशान अपने बेडरूम में बेड पर लेटा हुआ था। तभी सोफिया उसके रूम के दरवाजा के पास आकर दरवाजा खटखटाती है। जीशान सिर उठाकर सामने देखता है। 

सोफिया-“जीशान 5 मिनट बाद रूम में आ जाना…” 

जीशान के तो होश ही उड़ जाते हैं, और खुशी के मारे वो बेड पर से उतरकर सोफिया की तरफ लपकता है। मगर तब तक सोफिया रूम में पहुँच जाती है और अपने रूम के दरवाजा पर खड़ी होकर इशारे से जीशान को 5 मिनट बाद आने का कहती है। 

जीशान से ये 5 मिनट गुजारना बहुत मुश्किल हो रहा था। वो सोफिया के दरवाजे के सामने टहलने लगता है, और जैसे ही 5 मिनट होते हैं वो धड़ाम से दरवाजा खोलकर अंदर घुस जाता है। अपनी आँखों के सामने हुश्न की मलिका अमन विला की सबसे खूबसूरत लड़की, जिसकी खूबसूरती के आगे अमन ने भी अपने सारे हथियार डाल दिए थे। 

रज़िया और अमन के प्यार के निशानी सोफिया, उस पतली सी पिंक कलर की नाइटी में जीशान के सामने खड़ी थी। जीशान सोफिया को उस नाइटी में देखकर दंग रह जाता है। उससे खड़ा भी नहीं रहा जा रहा था वो पास में पड़े सोफे पर बैठ जाता है। 

और सोफिया भी इतराती हुई उसके पास आकर बैठ जाती है, कहती है-“मुझे तो लगा था अमन विला का शेर मुझे देखकर कुछ कहेगा, मगर ये शेर तो ढेर हो गया है…” 

जीशान अपने गले का थूक निगलते हुये सोफिया की आँखों में देखने लगता है-“मेरे पास शब्द नहीं हैं बाजी। आप इतनी खूबसूरत लग रही हो कि क्या कहूँ ?” 

सोफिया-चल देख लिया ना… अब रूम के बाहर जा दरवाजा वहाँ है। 

जीशान-ऐसे कैसे चले जाऊूँ? इतनी मेहनत से पसंद करके लाया हूँ आपके लिए मैं ये नाइटी , और आप कह रहे हो कि बाहर चले जाओ। मुझे कुछ और भी देखना है?” 

सोफिया-क्याऽऽऽ? 

जीशान-“ये…” वो डरते-डरते अपना हाथ सोफिया की चुची पर रख देता है। 

सोफिया-नहीं कभी नहीं , अपनी हद से आगे मत बढ़ो मिस्टर जीशान। 

जीशान सोफिया की कमर पकड़कर उसे अपनी तरफ कर लेता है-“अभी औकात में ही हूँ सोफिया। ज्यादा तड़पाओगी ना तो सब कुछ भूल जाउन्गा…” 

सोफिया-मुझे धमकाता है? चल जा यहाँ से। 

जीशान भी पठान का बच्चा था कहाँ पीछे हटने वाला था। वो जानता था सोफिया उसे चाहने लगी है। बस थोड़ी हिचकिचाहट बाकी है, जो उसे ही दूर करनी थी। 
जीशान अपने हाथ की पकड़ सोफिया की चुची पर बढ़ा देता है जिससे सोफिया के होंठ सूखने लगते हैं बार-बार अपने जीभ को होंठों पर फेरने लगती है सोफिया, मगर जीशान को हाथ हटाने के लिए नहीं कहती। 

सोफिया-“जीशान ज़िद मत कर मान जा ना… मैंने तेरी बात मानी ना… अब तू भी सुन ले अपनी बाजी की बात…” 

जीशान-“पहले एक झलक दिखाओ मुझे, उसके बाद चला जाउन्गा। 

सोफिया कुछ सोचने के बाद इधर-उधर देखने लगती है, और फिर जीशान को वो कुदरत की वो नायाब चीज दिखाती है, जिसे देखकर जीशान के होंठ सूखने लगते हैं। जीशान अपना हाथ उन गुलाबी निपल्स की तरफ बढ़ाने लगता है। 

मगर सोफिया उसके हाथ पर थप्पड़ मार के खड़ी हो जाती है, और उंगली के इशारे से जीशान को बाहर का रास्ता दिखाने लगती है। 

अपनी बात का पक्का जीशान भी बुरा सा मुँह बनाकर सोफिया के रूम से बाहर चला जाता है। 

उसके जाने के बाद सोफिया दरवाजा बंद करती है और उसे जीशान के भोलेपन पर हँसी आ जाती है। 

जीशान सोफिया के रूम से निकलकर अपने रूम में जाने लगता है। तभी उसे पीछे से अनुम आवाज़ देकर रोक लेती है। वो पीछे पलटकर देखता है तो अनुम की आँखों में अपने लिए जलते हुये अंगारे देखकर उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है। 

अनुम-“सुबह जो तूने हरकत की वो मुझे बिल्कुल ठीक नहीं लगी। जीशान आइन्दा ऐसी हरकत अगर तुमने की ना तो मैं तुम्हें इस घर से हमेशा हमेशा के लिए निकाल दूँगी …” 

जीशान सिर झुकाए अनुम की बात सुनने लगता है। उसे पता था कि इस वक्त अनुम बहुत गुस्से में है, और ऐसे वक्त में खामोश रहने में हीभलाई है। 

अनुम-तुम सुन रहे हो ना मैंने क्या कहा तुमसे? 

जीशान-ठीक है। आइन्दा मैं आपसे बातू भी नहीं करूँगा। 

अनुम-क्याऽऽऽ? 

जीशान जानता था कि उसने जो कहा है वो अनुम के दिल पे लगेगा और वो दिल में ही जगह बनाना चाहता था। वो अनुम को देखता हुआ अपने रूम में चला जाता है 
और अनुम उसे जाता देखकर सोचने लगती है कि अपने अब्बू की ट्रू कापी है ये लड़का। अनुम भी काफी देर तक जीशान के बारे में सोचने के बाद थकान की वजह से सो जाती है। 

मगर जीशान के दिमाग़ में तो कल से रज़िया ही घूम रही थी। वो उठकर रज़िया के रूम के पास जाता है और धीरे से दरवाजे को खोलता है। उसे ये देखकर हैरानी होती है कि रज़िया उस वक्त किससे से फोन पर बात कर रही थी? और खुशी भी होती है कि रज़िया ने उसकी लाई हुई नाइटी पहन रखी थी। 

रज़िया-“अच्छा फ़िज़ा बेटे, अब मैं फोन रखती हूँ । रातू भी बहुत हो चुकी है, तुम भी आराम करो…” 

जब रज़िया फोन बंद करके जीशान की तरफ देखती है तो उसके तो जैसे होश ही उड़ जाते हैं-“तुम इस वक्त यहाँ और तुम्हारे कपड़े कहाँ हैं?” 

जीशान सिर्फ़ अंडरवेअर में ही रज़िया के रूम में चला आया था-“मुझे गर्मी बहुत हो रही थी और मेरे रूम का एसी काम नहीं कर रहा है, इसलिए मैं यहाँ सोने चला आया…” 

रज़िया-“नहीं तुम अपनी अम्मी के रूम में सोने जाओ, यहाँ मत सोओ…” 


जीशान-“मेरे अब्बू का घर है। मैं जहाँ चाहूं वहाँ सो सकता हूँ …” ये कहते हुये जीशान रज़िया के बेड पर लेट जाता है। 

दिल में मुस्कान लिए और चेहरे पे गुस्से के साथ रज़िया जीशान को एक हल्की सी ठप्पी मार देती है-“एक कोने में सो सकते हो, और अगर कोई भी चक्कर करने की कोशिश भी की ना तुमने जीशान तो देख लो?” 

जीशान धीमी आवाज़ में कहता है-“देखने ही तो आया हूँ …” 

रज़िया-क्या? 

जीशान-कुछ नहीं , मैं कुछ ऐसी वैसी हरकत नहीं करूँगा। वैसे ये नाइटी आप पर बहुत जॅंच रही है दादी । 

रज़िया-शुक्रिया अनुम लाई है मेरे लिए। 

जीशान-“क्या अम्मी? जी नहीं , मैं लाया हूँ अपनी पसंद की। किसने कहा आपको कि अम्मी लाई है आपके लिए?” 

रज़िया कुछ नहीं कहती है और मुश्कुराती हुई बेड पर एक करवट लेट जाती है। 
जीशान उठकर दरवाजा लाक कर देता है। रज़िया उससे कुछ नहीं कहती और अपनी आँखें बंद कर लेती है। 

जीशान सोफिया को देखकर पहले से पागल हुआ पड़ा था, और कल रात जो हालत रज़िया ने जीशान की की थी उससे जीशान थोड़ा गुस्सा भी था रज़िया से, मगर उसे उस वक्त सबसे ज्यादा ज़रूरत एक औरत की चूत की थी। वो चूत वाली औरत अपने जिस्म को उस पतली सी नाइटी से ढँक के ठीक उसके बगल में लेटी हुई थी, मगर जीशान उसे कुछ करने से डर भी रहा था। 

आखिर जीशान खुद से कहता है-“जो होगा देखा जाएगा? 

और फिर जीशान अपने लण्ड पर हाथ रख कर चीख पड़ता है-“अह्ह… दादी अह्ह…” 

रज़िया-“क्या हुआ जीशान ? क्या हुआ मेरे बच्चे?” जीशान की दर्द भरी आवाज़ सुनकर रज़िया बुरी तरह डर जाती है। 

जीशान-दादी मुझे कीड़े ने काट लिया। 

रज़िया-कहाँ पर? 

जीशान-“यहाँ…” अपने लण्ड की तरफ इशारा करके वो रज़िया को दिखाता है। 
रज़िया झट से घबराहट में जीशान का अंडरवेअर खींच लेती है, और उसकी आँखों के सामने पहली बार अमन और उसके अब्बू के बाद तीसरा जवान लण्ड लहराता बलखाता आ जाता है। 
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05-19-2019, 01:45 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रज़िया के मुँह से बस यही निकलता है-“इतना बड़ाऽऽऽ?” 

जीशान अभी भी चीख रहा था। रज़िया को जैसे होश आता है और वो काँपते हाथों से जीशान के लण्ड को पकड़ लेती है। रज़िया के हाथ में लेते ही जीशान अपने लण्ड को छोड़ देता है। 

रज़िया-“कहाँ काटा? मुझे तो कुछ नहीं दिखाई दे रहा…” रज़िया की आँखें जीशान के लण्ड को हर तरफ से देखने लगती हैं। अपनी दोनों मुत्ठियों में लण्ड को पकड़कर जैसे रज़िया उसका साइज नापने की कोशिश कर रही थी। 

जीशान-“मुझे काटा है और आप कुछ नहीं कर रह हो दादी …” 

रज़िया-“मैं क्या?” वो जैसे ही बोलने के लिए मुँह खोलती है, जीशान अपने लण्ड को सीधा रज़िया के गले में उतार देता है-गलप्प्प गलप्प्प। 

जीशान-“दादी बहुत तड़पाया है मुझे आपने अह्ह… मगर आज नहीं । आज मेरी रात है जो मैं आपके साथ गुजारना चाहता हूँ …” 

रज़िया अपने मुँह से लण्ड निकालकर जोर-जोर से साँस लेने लगती है-“अह्ह… मुझे पता था त नाटक कर रहा है जीशान… मगर मैं भी इसे अपने मुँह में लेने के लिए तड़प गई थी गलप्प्प-गलप्प्प। मेरे अमन की याद दिला दिया तूने मुझे… गलप्प्प-गलप्प्प…” 

जीशान को यकीन नहीं होता कि रज़िया भी वही चाहती थी, जो वो चाहता था। उसे तो लग रहा था कि उसे कई पापड़ बेलने पड़ेंगे। मगर रज़िया की बातों से साफ जाहिर हो रहा था कि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी। जीशान अपनी लाई हुई वो नाइटी रज़िया के जिस्म से अलग कर देता है और रज़िया भी सिर्फ़ पैंटी में रह जाती है। रज़िया तो जैसे लण्ड छोड़ने के लिये तैयार ही नहीं थी। 

जीशान-“अह्ह… दादी बस भी करो, पानी तुम्हारे मुँह में निकल जाएगा…” 

रज़िया-“मुझे वही पीना है पहले। मैं जानती हूँ तेरा पहला पानी बहुत जल्दी निकल जाएगा, मगर दूसरी बार तू जल्दी ठंडा नहीं होगा गलप्प्प… मैं भी तो देखूं मेरे पोते के पानी में कितनी मिठास है गलप्प्प…” 

जीशान सच में काँपने लगता है और झटके मारते हुई पानी अपनी दादी के मुँह में छोड़ने लगता है-“अह्ह… दादी अह्ह…” 

रज़िया इस खेल की माहिर खिलाड़ी थी। वो पानी पीने के बाद फिर से जीशान के लण्ड पर मेहनत करने लगती है और उसे अपनी पैंटी निकालकर अपनी चूत दिखाते हुई उसके लण्ड को फिर से चूसने लगती है गलप्प्प-गलप्प्प। छोटा जीशान अपनी दादी की चूत को देखकर फिर से खड़ा होने लगता है, और फिर से अपने असल आकर में आ जाता है।

रज़िया बेड पर लेट जाती है-“चल आ जा…” 

जीशान रज़िया को एक करवट लेटा देता है और पीछे से उसे चिपक जाता है। 

रज़िया-“उम्ह्ह… अब डाल भी दे… तू भी अपनी रज़िया का मजा चख ले जीशान… तेरे अब्बू ने तो मुझे जवान किया था, अब तेरी बारी है मेरे लाल। कर दे अपनी रज़िया की चूत में तेरे लण्ड के धक्कों के बारिश अह्ह…" 

जीशान अपने लण्ड को अपने दादी की चूत में डाल देता है-“दादी जीईई अह्ह… आपकी चूत अह्ह…” 

रज़िया-“दादी नहीं , रज़िया जीशान… इस चूत में जो भी आया वो मेरा हो गया हमेशा-हमेशा के लिए… तेरे अब्बू ने मुझे चोदा, वो बेटे से शौहर बन गये। अब तू मेरा पोता इसमें आया है, आज से मैं तेरी दादी नहीं और तू मेरा पोता नहीं अह्ह… बस मैं तेरी गुलाम हूँ , जो करना है कर ले, जैसे करना है कर ले अह्ह… ये रज़िया अब मरते दम तक तुझसे चुदेगी राजा अह्ह… सच कहूँ तो इतनी गहराई तक तो अमन भी नहीं गया कभी उम्ह्ह…” 

जीशान अपनी रज़िया को अपने लण्ड के लम्बाई बताने के लिए उसे अपने ऊपर बैठा देता है और लण्ड को और अंदर तक घुसाकर रज़िया को चोदने लगता है-
“रज़िया मेरी जान, मुझे पहले बोल देती तो मैं तुझे कब का चोद देता अह्ह…” 

रज़िया-“उम्ह्ह… अब भी देर नहीं हुई… अमन ने मुझे वो तोहफा दिया है तेरी सूरत में उम्ह्ह… मैं भी तुझे पाने के लिए तड़प रही थी, बस अपने दिल के हाथों मजबूर थी बेटा अह्ह…” 

अपनी रज़िया की चूत की गर्मी और पहली बार दादी को चोदने के जोश में जीशान का पानी दूसरी बार बाहर निकालने लगता है, और रज़िया की चूत पहली बार अपने जीशान के पानी से नहा लेती है। मगर दोनों जानते थे कि रात तो अभी जवान हुई है, अभी पूरी रात बाकी है, और ये रात रज़िया जीशान को सोने देने वाली नहीं थी। दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते हुये अपने रिश्ते को मुकम्मल करने लगते हैं। जीशान बहुत जल्दी दो बार झड़ चुका था। वो रज़िया के बगल में लेटकर लम्बी -लम्बी साँसे लेने लगता है। 

रज़िया उसकी छाती पर के घने बालों में अपने उंगलियाँ डालकर उसके गाल को चूमने लगती है-“क्या बात है मेरा शेर तो बड़ी जल्दी थक गया है?” 

जीशान रज़िया की तरफ देखता है-“थका नहीं हूँ , बस उत्तेजना में साँस फूल गई है…” 

रज़िया-“कोई बात नहीं , मैं हूँ ना अपने इस जवान शेर को ऐसा ख़ूँख़ार बना दूँगी कि तेरी बीवी तुझसे पनाह माँगेगी…” 

जीशान रज़िया को अपने ऊपर खींच लेता है, और दोनों हाथों से उसकी कमर को मसलने लगता है। 

रज़िया-“आज तूने मुझे खुश कर दिया है जीशान… बोल तुझे क्या चाहिए? जो माँगेगा वो मैं तुझे दूँगी …” 

जीशान-“सोच लो, जान भी माँग सकता हूँ ?” 

रज़िया-“माँगकर तो देख? अगर नहीं दूँगी तो मेरा नाम रज़िया नहीं …” 

जीशान रज़िया के हाथ में अपना लण्ड थमा देता है-“मुँह में लो इसे…” 

रज़िया जीशान के लण्ड के पास बैठ जाती है और अपना सलाइवा उसके लण्ड पे गिराकर उसे मसलने लगती है। जीशान रज़िया को देखकर सोचने लगता है कि सही कहते है लोग कि मरना है तो अच्छे डाक्टर के पास मरो, और चोदना है तो पहले किसी बड़ी औरत को चोदो। रज़िया के हाथों में तो जैसे जादू था जीशान के लण्ड में इतने तेज़ी से जान आने लगती है। 

रज़िया जीशान के लण्ड को देखकर मुश्कुरा देती है। 

जीशान-क्या हुआ मेरी जान? 

रज़िया-कुछ नहीं , आजकल के बच्चे भी ना बहुत जल्दी बड़े हो जाते हैं। 

जीशान जोर से रज़िया के निपल्स को मरोड़ देता है और रज़िया अपनी चीख को छुपाने के लिए जीशान के लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगती है-गलप्प्प गलप्प्प। 

जीशान-“अह्ह… दादी सच कहूँ आज तक किसी ने ऐसे मुँह में नहीं ल …” 

रज़िया-“ओह्ह…” और अपने दाँतों से हल्के से जीशान के लण्ड को काट लेती है-“ऐसे कितनी चूतों में घुस चुका है ये?” 


जीशान-“अह्ह… तेरी बेटी को चोदु , काट क्यों रही है?” 

रज़िया-गलप्प्प-गलप्प्प। 

जीशान के होंठ अपनी रज़िया की चूत को देखकर सूखने लगते हैं वो रज़िया की कमर अपनी तरफ कर लेता है और जैसे ही उसके मुँह के सामने रज़िया की चिकनी चूत और नरम गाण्ड आती है, वो भूखे भेड़िए की तरह उसपे अपना मुँह लगा देता है। 

दोनों एक दूसरे की चूत और लण्ड को बुरी तरह चूसने लगते हैं। रज़िया अमन के साथ कई बार ऐसा कर चुकी थी। अमन उसकी गाण्ड को कई बार चाट चुका था, मगर आज उसकी गाण्ड में बेहद उतावलापन रज़िया महसूस कर रही थी। वो अक्सर अमन से कहती भी थी कि उसे चूत से ज्यादा गाण्ड में लेना पसंद है, मगर अमन चूत का भूका था। 

पर आज जिस तरह से जीशान अपनी दादी की गाण्ड के पीछे पड़ा हुआ था, उससे रज़िया को समझते देर नहीं लगती कि जीशान उसकी हर ख्वाहिश को बिना बोले पूरे करेगा। जीशान रज़िया को कुतिया की तरह बनने को कहता है। रज़िया जैसे ही अपनी कमर को ऊपर उठाकर जीशान को दिखाती है, जीशान अपने उंगली को पहले अपने मुँह में लेकर गीला करता है, और फिर बिना रज़िया से कुछ कहे वो उंगली उसकी गाण्ड में डाल देता है। 

रज़िया-“आह्ह… जीशान शन्न्न उन्ह…” 

जीशान की वो उंगली इतनी तेज़ी से अंदर-बाहर होने लगती है कि रज़िया की चूत में पानी आते देर नहीं लगती और टप-टप करके उसकी चूत से चिकने पानी के की बूँदें बेड पर गिरने लगती हैं। रज़िया की गाण्ड चीख-चीख कर जीशान के लण्ड को बुला रही थी। रज़िया चुप थी। वो देखना चाहते थी कि जीशान क्या करता है? 

अपने लण्ड को रज़िया की चूत से गीला करने के बाद जीशान उसे रज़िया के दोनों सुराखों पर घिसने लगता है। 

रज़िया-“उन्ह… डाल भी दे अब आह्ह…” 

जीशान-किसमें डालूँ रज़िया? 

रज़िया-“उन्ह… जिसमें तेरे दिल कहे आज से हर सुराख तेरा है आह्ह…” रज़िया का दिल खुश हो जाता है क्योंकी जीशान ने भी वही सुराख चुना था जिसमें रज़िया उसका लण्ड लेना चाहती थी-“आह्ह… अजइईई आराम से ना आह्ह…” 

रज़िया के आँखों के सामने अपने दोनों शौहर घूम जाते हैं। अमन और उसके अब्बू ने कभी रज़िया की इस बेरहमी के साथ गाण्ड नहीं मारी थी जिस अंदाज में जीशान रज़िया की गाण्ड मार रहा था। 

जीशान रज़िया के बाल पकड़कर सटासट अपने लण्ड को उसकी गाण्ड में धूँसाते चला जा रहा था। रज़िया अपने मुँह में तकिया फँसाए अपनी चीखों को किसी तरह छुपा रही थी, मगर जीशान के झटके इतने तेज थे कि बार-बार उसका मुँह खुल जाता और वो अपने सिर को इधर-उधर पटक पटक के अपनी गाण्ड के दर्द को बर्दाश्त करने लगती 

जीशान-“रज़िया, मैं जो माँगूंगा मुझे तू वो देगी ना? हाँ…” 

रज़िया-“हाँ दूँगी दूँगी मेरे राजा आह्ह…” 

जीशान-“मुझे सोफिया को चोदना है तेरे साथ एक बिस्तर पर पूरी नंगी करके आह्ह…” 

रज़िया-“उन्ह… नहीं , उसे नहीं जीशान…” 

जीशान-“क्या नहीं ? आह्ह…” 

रज़िया की गाण्ड से पच-पच की आवाज़ें निकलने लगती हैं। चूत से लगातार पानी नीचे गिरने लगता है। उसे महसूस होने लगता है कि आज जीशान उसे जान से मार देगा। 

जीशान-“अगर नहीं बोलेगी तो समझ ले ये आख़िरी बार इसमें गया है, आइन्दा नहीं जाएगा…” 

रज़िया-“नहीं नहीं … ऐसा मत बोल्ल्ल्ल्ल बेटा, सोफिया क्या तू जिससे कहेगा मैं उसके सामने तुझसे चुदूँगी , बस अपने लण्ड को कभी दूर मत रखना मेरे से आह्ह…” 

रज़िया जानती थी कि अगर उसने जीशान को मना भी किया तो जीशान उसकी बात मानेगा नहीं , और एक ना एक दिन वो सोफिया को ज़रूर चोदेगा। ये जानकर उसकी चूत और पनिया गई थी कि जीशान बहुत जल्दी माँ-बेटी को एक बिस्तर पर लेकर चोदेगा। वो रात रज़िया की एक हसीन तरीन रात साबित हुई। अपने पोते की बाहों में रज़िया को कई दिनों बाद बहुत सकून मिला था। अमन के जाने के बाद जो बिस्तर उसे काटने को दौड़ता था, आज उसी बिस्तर पे अमन का बेटा अपनी रज़िया को सकून पहुँचा रहा था। दोनों की आँखों से नींद गायब हो चुकी थी। 

एक दूसरे के इतने करीब वो दोनों कभी नहीं आए थे और जब आए तो एक दूसरे से अलग होने को उनका दिल नहीं कर रहा था। जीशान सुबह के 4:00 बजे तक रज़िया को रूम में हर जगह चोदता रहा। आखिरकार, रज़िया को ही उसे कहना पड़ा कि जा जाकर सो जा वरना सुबह देर से उठेगा। रज़िया एक पेशेवर घुड़सवार की तरह अपने घोड़े को पहली ही रेस में थका देना नहीं चाहती थी। जीशान को वो लम्बी रेस का घोड़ा बनाना चाहती थी। 
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05-19-2019, 01:45 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
सुबह 6:00 बजे-

जीशान अपने रूम में अभी-अभी गया था, उसे बहुत प्यास लगती है तो वो उठकर किचेन में पानी पीने आता है। किचेन में सोफिया खड़ी पानी पी रही थी। जीशान को उस वक्त वहाँ देखकर उसे थोड़े हैरानी होती है, क्योंकी जीशान हमेशा अपने रूम में पानी की बोतल रखता था। 

सोफिया उसे देखकर मुश्कुरा देती है-पानी रूम में रखना भूल गये थे क्या? 

जीशान-हाँ, अम्मी ने भी नहीं रखी। 

सोफिया-तुम रूम में थे नहीं ना? इसलिए शायद नहीं रखी अम्मी ने। 

जीशान पानी पीते-पीते सोफिया की तरफ देखने लगता है। सोफिया के चेहरे पे कुछ था जिसे जीशान पढ़ नहीं पा रहा था, वो मुस्कान के पीछे कुछ छुपा रही थी। 
जीशान को लगने लगता है कि शायद सोफिया को पता चल गया है कि मैं किसके साथ था और क्या कर रहा था? 

सोफिया जाते-जाते जीशान के पास रुक जाती है-किसके साथ थे तुम? 

सोफिया का ये सीधा सवाल जीशान को गड़बड़ा देता है, और उसके मुँह से पानी तस्के के रूप में बाहर गिर जाता है। 

सोफिया को हँसी आ जाती है। 

जीशान-कहाँ जाउन्गा? मैं अपने रूम में था। 

सोफिया-झूठ बोल रहे हो तुम। मैं तुम्हारे रूम में गई थी, मगर तुम वहाँ नहीं थे। 

जीशान-अच्छा… क्यों गई थी आप मेरे रूम में? 

सोफिया-वो मैं ऐसे ही पानी पीने उठी थी तो देख लिया तुम्हारे रूम में भी झाँक के की तुम ठीक से सोए हुये हो की नहीं ? 

जीशान सोफिया का हाथ पकड़कर उसे अपने तरफ खींच लेता है-झूठ बोल रह हो अब आप? 

सोफिया-मैं क्यों झूठ बोलूँगी भला? 

जीशान-“अच्छा तो फिर ये दिल क्यों इतने जोर से धड़क रहा है?” कहकर वो अपना हाथ सोफिया के दिल पर रख देता है। 

सोफिया की टाँगे काँप जाती हैं। 

जीशान-मुझे ऐसा क्यों लगता है कि आप मुझसे प्यार करने लगी हो? 

सोफिया-छोड़ मेरा हाथ, जब देखो बकवास करता रहता है। 

जीशान-मेरी आँखों में देखकर बोलो कि मैं बकवास कर रहा हूँ । 

सोफिया जीशान की आँखों में नहीं देखती। 

जीशान अपने दोनों हाथों से सोफिया के चेहरे को थामकर अपने होंठों से उसका मुँह खोल देता है। सोफिया के हाथ जीशान के कंधे पर चले जाते हैं, और जीशान के सोफिया की कमर पर। 

सोफिया की चूत पिछले 7 दिनों से एम॰सी॰ पीरियड की वजह से परेशान थी, और आज जब उसकी चूत को राहत मिली थी तो अमन के साथ गुजारे हुये वो हसीन पल उसे फिर से परेशान करने लगे थे। अपनी इस परेशानी को दूर करने के लिए वो जीशान से मिलने आई थी। मगर जीशान उस वक्त अपनी दादी के रूम में कैद था। उन दोनों की आवाज़ें रूम के बाहर तक और सोफिया के कानों तक पहुँच चुकी थीं। 
मगर कहते हैं ना औरत का दिल समुंदर की तरह होता है जिसकी तह में कई राज दबे होते हैं। सोफिया अपने होंठों को साफ करके चुपचाप अपने रूम में चली जाती है, और जीशान भी उसे थकान की वजह से जाने देता है। 

सुबह का सूरज जीशान के लिए जैसे नई उम्मीदें लेकर आया था। जब उसकी आँख खुली तो वो खुद को बहुत फ्रेश महसूस कर रहा था। अपनी दादी रज़िया की मोहब्बत में गिरफ्तार होता जीशान खुद को बहुत किस्मतवाला महसूस करने लगा था, जो कि वो था भी। उसके आस-पास इतनी खूबसूरत और हसीन तरीन औरतें जो थी, मगर एक ख्वाहिश उसके दिल में अब भी थी; एक कसक, एक तड़प, एक चाहत जिसे वो हमेशा से पाना चाहता था। 

अपनी अम्मी अनुम को अमन ख़ान का खून होने की वजह से उसकी ऐसी सोच लाजमी भी थी। मगर अनुम उसे मोहब्बत तो करती थी, मगर ये वो मोहब्बत नहीं थी, जो दो जिस्म को एक बना दे। 

जीशान बेड से खड़ा हो जाता है और फ्रेश होने बाथरूम में चला जाता है। नहाते वक्त वो अपने लण्ड को हाथ में लेकर उसपे लगा रज़िया की चूत का गाढ़ा-गाढ़ा पानी साफ करने लगता है। एक अजीब सी सरसराहट उसके पूरे जिस्म में दौड़ जाती है, और उसकी आँखें खुद-बा-खुद बंद हो जाती हैं। 

वो रज़िया के बारे में सोचने लगता है। मगर उसके लण्ड में कुछ ख़ास हरकत नहीं होती। सोफिया के चेहरे को सोच करके वो लण्ड को सहलाने लगता है, तब थोड़ा बहुत खिंचाव उसे महसूस होता है। फिर अचानक अनुम का मुस्कुराता हुआ चेहरा उसकी बंद आँखों के सामने आ जाता है, और देखते ही देखते उसके मुरझाए हुये लण्ड में बिजली की तेजी से जान आने लगती है, फनफनाता हुआ उसका जवान लण्ड पूरी तरह कड़क हो जाता है, उसके खूबसूरत लण्ड पे मौजूद मोटी -मोटी नसें तन जाती हैं और जिस्म झटके मारने लगता है। 

जीशान-“आह्ह… अम्मी जी आह्ह… आह्ह… अम्मी जान्न…” और गाढ़ा-गाढ़ा सफेद पानी बाथरूम के फर्श पर गिरने लगता है। 

कुछ देर बाद जब वो नहाकर रूम के बाहर आता है तो उसे बड़ी हैरानी होती है। उसका पानी निकल चुका था मगर लण्ड अब भी उसी तरह तना हुआ था। वो अपने लण्ड को हाथ में पकड़कर दोनों जांघों के बीच में डालकर उसे नॉर्मल करने के कोशिश करने लगता है, मगर वो फिर से सामने के तरफ किसी तीर की तरह आ जाता है। वो अपने रूम में खड़ा था और रूम का मेनडोर खुला था। अपने लण्ड को अड्जस्ट करने में वो ये तक भूल गया था कि दरवाजा खुला है और बाहर कोई खड़ा है। 

नग़मा जीशान का बेड ठीक करने जैसे ही उसके रूम के तरफ आई थी उसके पैर वहीं जम गये थे, क्योंकी उसी वक्त जीशान भी अपने बाथरूम से बाहर निकला था और अपने भाई को इस तरह देखकर उससे आगे नहीं बढ़ा गया। नग़मा एक 18 साल की जवान खूबसूरत लड़की थी, उसने अपनी 12 वीं की किताबों में सेक्स के बारे में पढ़ा ज़रूर था, मगर हकीकत में एक जवान तना हुआ लण्ड उसने आज पहली बार देखा था, वो भी अपने भाई का। 

नग़मा का जिस्म जैसे बर्फ की तरह ठंडा पड़ चुका था, बस चूत जल रही थी और उस चूत की गर्मी से पूरा जिस्म थरथरा रहा था, काँप रहा था। 

रूम के अंदर जीशान अंडरवेअर नहीं पहन पा रहा था क्योंकी उसके लण्ड में अब भी कोई नर्मी नहीं आई थी। 

अचानक कोई नग़मा की पीठ पे पीछे से थप्पड़ मारता है और नग़मा बुरी तरह चौंक के पीछे देखती है, तो उसके पीठ के पीछे सोफिया खड़ी थी। सोफिया उससे आँखों के इशारे से पूछती है कि यहाँ क्या कर रही है? 

नग़मा का जिस्म काँप रहा था और चेहरे पे पसीना साफ नजर आ रहा था। वो अपने मुँह पर दुपट्टा रख कर बिना कुछ कहे वहाँ से भाग जाती है। उसके इस तरह भागने से सोफिया को कुछ शक सा होता है और जब वो जीशान के रूम में देखते है तो… 

सोफिया-“अम्मी जीई…” और वो झट से अपने मुँह पर दुपट्टा रख कर चीख को दबा देती है। 

अमन का लण्ड भी जीशान के लण्ड के सामने कुछ नहीं था, और सबसे दिलकश बात ये थी कि जीशान के लण्ड की चमड़ी सफेद होने के साथ-साथ सामने का सुपाड़ा गुलाबी था, बिल्कुल पठानों के लण्ड के तरह। 7 इंच लंबे उस लण्ड को देखकर सोफिया के पैर भी लड़खड़ा जाते हैं। उसे किसी के कदमों के आवाज़ सुनाई देती है और वो पर्दे के पीछे छुप जाती है। 

रज़िया अपना दुपट्टा ठीक से सिर पर रखे सीधा जीशान के रूम में दाखिल होती है-“जीशान ये क्या कर रहे हो?” ये कहती हुई रज़िया झट से दरवाजा बंद कर देती है। 

जीशान-“दादी देखो ना, साला ये बैठने का नाम है नहीं ले रहा…” 

रज़िया उसके पास आकर खड़ी हो जाती है-“जीशान बेटा दरवाजा बंद कर लिया करो, जवान लड़कियाँ हैं अपने घर में। तुम भी ना… क्या हुआ?? 

जीशान अपने लण्ड को रज़िया को दिखाने लगता है-“जब से नहाकर आया हूँ तब से ये खड़ा का खड़ा है अंडरवेअर भी नहीं पहनी जा रही …” 

रज़िया अपने मखमली हाथों में जीशान के लण्ड को पकड़ लेती है। 

जीशान-“आह्ह… रज़ियाऽऽ आऽऽऽ…” 

रज़िया मुश्कुरा देती है और नीचे बैठ जाती है। जीशान रज़िया की तरफ देखने लगता है। रज़िया जीशान की आँखों में देखते हुई उसके लण्ड को पूरी तरह मुट्ठी में पकड़ लेती है और फिर अचानक जीशान के गुलाबी सुपाड़े को चूम लेती है मुआह्ह। 

जीशान-“रज़ियाऽऽ आह्ह…” 

रज़िया अपनी जीभ बाहर निकालकर जीशान के लण्ड पर फेरने लगती है, जैसे कोई छोटा सा बच्चा अपनी कुलफी चाट रहा हो-“बहुत मीठा है जीशान तेरा, दिल तो करता है खा जा ऊूँ इसे…” 

जीशान-“खा जा ना मेरी जान रोका किसने है आह्ह…” 

जीशान का ये बोलना था कि रज़िया अपना मुँह खोल देती है और जीशान के लण्ड को अपने गले में लेकर चूसने लगती है-“गलपप्प-गलपप्प-गलपप्प आह्ह… गलपप्प…” 

जीशान-“आह्ह… रज़िया उन्ह… रात में इतनी बुरी तरह चूसा तूने कि अब तक दुख रहा है आह्ह…” 

रज़िया-“इस ख़ानदान के हर लण्ड पे मेरा सबसे पहला हक है, कुछ भी करूँ तुझे क्या? गलपप्प-गलपप्प…” 


जीशान दोनों हाथों से रज़िया के सिर को पकड़ लेता है और अपने लण्ड को आगे पीछे करने लगता है। रज़िया अपने मुँह को पूरी तरह खोल देती है जिसके वजह से जीशान का लण्ड पूरा तरह अंदर तक जाने लगता है। रज़िया के मुँह से लार नीचे गिरने लगती है, मगर उसे इस सबकी कोई परवाह नहीं थी। उसे जो जवान लण्ड मिला था, वो बेशकीमती था

बाहर के छेद से देखते हुये सोफिया की चूत से पानी बहने लगता है। अपनी अम्मी को अपने ही पोते के लण्ड को इस तरह मुँह में लेकर चूसती हुई वो सोच भी नहीं सकती थी मगर ये हकीकत वो अपनी आँखों से देख रही थी। जब अमन सोफिया को चोदता था तब भी सोफिया इतनी उत्तेजित नहीं होती थी, जितनी की आज वो इन दोनों को देखने के बाद हुई थी। उसका तो दिल कर रहा था कि दरवाजा खोलकर अंदर चली जाए और अपनी शलवार उतारकर पहले रज़िया से अपने चूत चटवाए और खुद जीशान का लण्ड मुँह में लेकर चूसे। मगर वो इस वक्त सिर्फ़ अपनी चूत को सहला सकती थी 

अंदर रज़िया के लण्ड चूसने से धीरे -धीरे सारा पानी रज़िया के मुँह में गिरने लगता है। 

जीशान-“अगर एक कतरा भी नीचे गिरा तो आज नहीं करूँगा रज़िया तुझे…” 

रज़िया जीशान का पूरा पानी पीने लगती है। वो अपने जीभ से बाकी का सारा पानी भी चाटने लगती है, इस डर से कि कहीं जीशान सच में अपनी बात कर ना बैठे, और आज की रात उसकी चूत सुखी - सुखी ना रह जाए। 

सोफिया अपने रूम में भाग जाती है और बेड पर लेट जाती है। उसकी चुची इतने तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थी कि जैसे अगर उन्हें कंट्रोल ना किया जाए। 

वही हाल नग़मा की भी थी। शावर के नीचे खड़ी रहकर नग़मा नहा तो रही थी, मगर उसकी चूत से लगातार पानी रिस रहा था, निप्पल तन के कड़क हो चुके थे। 

जीशान कुछ देर बाद नाश्ता करने आ जाता है, साथ में उसके रज़िया भी थी। अनुम और लुबना दोनों नाश्ते की तैयार कर रही थी। 

अनुम-अरे वाह… दोनों दादी पोते एक साथ? क्या खिचड़ी पक रह है भाई? 

जीशान-खिचड़ी नहीं अम्मी, शोरबा। 

रज़िया-ऊहहो ओह ओ। 

अनुम-क्या? 

रज़िया-“क्या तुम भी इस बेवकूफ़ की बातों को लेकर बैठ गये बेटे? लाओ नाश्ता दो आज तो बहुत भूक लगी है…” कहकर वो जीशान को घुरने लगती है, और जीशान बेशर्म की तरह चेयर खींचकर नाश्ता करने बैठ जाता है। 

सोफिया और नग़मा भी नाश्ता करने बैठ जाते हैं। 
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05-19-2019, 01:45 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अनुम-अरे लुब बेटा, आओ तुम भी बैठ जाओ। 

लुबना-“जी अम्मी…” और एक नजर जीशान पर डालने के बाद लुबना भी नाश्ता करने बैठ जाती है। 

अनुम और रज़िया आस-पास बैठी थी और जीशान उन दोनों के सामने। जीशान के बगल में सोफिया और उसके बगल में नग़मा। जीशान के दूसरी तरफ लुबना बैठे हुई थी। सभी चुपचाप नाश्ता कर रहे थे। 

तभी अनुम को अपने पैरों पे कुछ महसूस होता है। वो और कोई नहीं बल्की जीशान था, जो अनुम के पैरों को टेबल के नीचे से रज़िया के पैर समझकर सहला रहा था। अनुम जीशान के तरफ देखने लगती है। 

जीशान-क्या हुआ अम्मी, आप रुक क्यों गये? 

अनुम-कुछ नहीं । 

जीशान अपने पैर के अंगूठे से अनुम की शलवार को ऊपर उठाने लगता है। अनुम जीशान को घुरने लगती है, मगर अपने पैरों को पीछे नहीं खींचती। जीशान धीरे-धीरे अपने पैर को ऊपर बढ़ाता चला जाता है। अब उसके पैर का अंगूठा अनुम की जाँघ के निच ले हिस्से को टच होने लगता है। नरम जिस्म पर जैसे ही जीशान के पैर पड़ते हैं, उसका जोश और बढ़ जाता है। 

मगर इधर अनुम की हालत खराब होने लगती है। जैसे-जैसे जीशान के पैर ऊपर चढ़ रहे थे वैसे-वैसे अनुम की साँस नीचे की तरफ होने लगती है। आखिरकार, उससे बर्दाश्त नहीं होता और वो अपना नाश्ता करके खड़ी हो जाती है। 

धीरे-धीरे करके सभी अपना नाश्ता ख़तम कर लेते है और डाइनिंग टेबल पर सिर्फ़ जीशान और रज़िया ही रह जाते हैं। जीशान रज़िया की तरफ देखने लगता है। 
मगर रज़िया तो अपने नाश्ते में मगन थी, जब वो सिर उठाकर जीशान की तरफ देखती है तो जीशान को अपने चेहरे की तरफ मुस्कुराता देखकर हैरान रह जाती है-“क्या?” 

जीशान फिर से उसी जगह अपना पैर ले जाता है जहाँ थोड़ी देर पहले उसने रख था, उसे वहाँ कोई चीज टच नहीं होती। वो गर्दन टेबल के नीचे डालकर रज़िया के पैर देखने लगता है, तो रज़िया अपने दोनों पैरों को पीछे रखी हुई थी। 

जीशान-दादी आप ऐसे कब से बैठे हुई हो? 

रज़िया-कैसे? 

जीशान-ऐसे पैरों को पीछे लेकर? 

रज़िया-पहले से, क्यों क्या हुआ? 

जीशान-“नहीं कुछ नहीं …” अगर दादी के पैर पीछे हैं तो वो किसके पैर थे? अम्मी के? ओह्ह… माई गोड। 

अनुम-जीशान हुई नाश्ता हो गया होगा तो फॅक्टरी चलें? 

जीशान-“जी आया मम्मी…” और जीशान रज़िया को फ्लाइंग किस करता हुआ अनुम की तरफ बढ़ जाता है। 

अनुम अपने रूम में ड्रेस चेज कर रही थी, जब जीशान वहाँ पहुँचता है। अनुम की पीठ जीशान की तरफ थी और वो अपना हाथ पीछे करके अपनी कमीज के चैन लगा रही थी। जीशान धीरे से आगे बढ़ता है, चैन पकड़कर ऊपर खींच लेता है। अनुम चौक के पीछे देखती है। सामने जीशान एक दिलकश मुस्कान लिए खड़ा था। 

जीशान-आपने मुझे बुलाया था अम्मी। 

अनुम-शुक्रिया। 

जीशान-किसलिए? 

अनुम अपना दुपट्टा ठीक करती हुई-तैयार हो गये हो तो फॅक्टरी चलें? 

जीशान-मैं तो तैयार ही हूँ । वैसे एक बात कहूँ अम्मी। 

अनुम-ह्म। 

जीशान-आप ना इस पिंक सूट में बहुत बहुत-बहुत खूबसूरत लग रह हो किसी फिल्म स्टार की तरह। 

अनुम गौर से जीशान की आँखों में देखने लगती है और फिर अचानक ही उसके चेहरे पे मुस्कान फैल जाती है-
“अच्छा जी। चलो हटो, बहुत बदमाश होते जा रहे हो तुम जीशान किसी दिन जम के पिटाई करनी पड़ेगी तुम्हारी …” 

जीशान अनुम के दोनों हाथ अपने हाथों में लेकर अपनी छाती पे मारने लगता है। 

अनुम-ये क्या कर रहे हो? 

जीशान-“आप ह ने तो कहा कि आप मुझे मारना चाहती हो। मैं आपके दिल की हर मुराद पूरी करना चाहता हूँ , चाहे वो अच्छी हो या बुरी …” 

अनुम-चल हट बदमाश कहीं के, और आजकल मैं देख रही हूँ तुम मुझे घूर ते क्यों रहते हो? 

जीशान अचानक से अनुम के बिल्कुल करीब पहुँच जाता है जिसकी वजह से अनुम हड़बड़ा जाती है और पीछे हटने लगती है मगर जीशान उसका हाथ पकड़कर अपने छाती पे रख देता है-“इस कम्बख़्त की वजह से मैं आपको घूर ता रहता हूँ …” 

अनुम की आँखें झुक जाती हैं-क्या मतलब? 

जीशान अनुम की ठोड़ी को ऊपर उठाकर उसकी आँखों में देखते हुये बड़े प्यार से कहता है-“आप बहुत हसीन हो अम्मी। मेरी जिंदगी की वो औरत जो मेरी रूह तक बसी हुई है, जिसके बिना जिंदगी गुजारना मेरे लिए मुमकिन नहीं , जिसकी हर ख्वाहिश मेरे लिए हुक्म की तरह है। आपकी हसीन आँखों की कसम मुझे इनमें डूब कर एक बार मर जाने दो। आपके लरजते हुये इन होंठों की कसम मुझे जी भरकर बहक जाने दो। आप जानते हो मैं आपसे कितनी मोहब्बत करता हूँ । मगर आप क्यों अपने दिल की बात मुझे नहीं बताती…” 

अनुम की टाँगे काँप जाती हैं, लाल गुलाबी होंठ लरज जाते हैं, होंठ सूखने लगते हैं, और जीभ मुँह में हिल भी नहीं पाती। अपनी भीगी हुई पलकों से वो जीशान की तरफ देखती हुई बस इतना ही कहती है-“मैं तेरी अम्मी हूँ , बस अम्मी और कुछ नहीं …” 

जीशान-“जानता हूँ आप मेरी अम्मी हो, और मैं ये भी जानता हूँ कि अब्बू के बाद आप सिर्फ़ और सिर्फ़ मुझसे मोहब्बत करती हो। क्या मैं अपनी अम्मी को गले लगा सकता हूँ ?” 

अनुम बिना जवाब दिए अपनी बाहें खोल देती है और जीशान अनुम को पहली बार इतने कस के अपने छाती से चिपकाता है कि एक हल्की सी चीख अनुम की छाती से निकल पड़ती है-“उउउन्ह…” 

जीशान हालत का फायेदा उठाकर अपने होंठों को अनुम के गाल के पास लाता है और एक हल्की सी किस अनुम के गाल पे कर देता है। अनुम चौंक के जीशान की तरफ देखती है। 

जीशान-क्या? अपनी अम्मी को गाल पे चूम भी नहीं सकता क्या? 

अनुम फिर से अपनी आँखें बंद कर लेती है। 
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05-19-2019, 01:45 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान कुछ सोचते हुये अपने होंठों को अनुम के होंठों की तरफ बढ़ाता है। जीशान की साँसें अपने होंठों पे महसूस करके, अनुम आँखें खोल देती है और पीछे हटकर एक जोरदार थप्पड़ जीशान के गाल पे रसीद कर देती है। जीशान हक्का बक्का सा रह जाता है। 

अनुम-“अब तुम जो करने जा रहे हो, वो माँ बेटे के बीच नहीं होता, और हाँ आइन्दा मेरे इतने करीब भी आने की कोशिश मत करना, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। समझे?” 

जीशान अपने कान पकड़ने के बजाए अनुम के दोनों कान पकड़कर कहता है-सो सारी अम्मी और जान शब्द वो थोड़ा लंबा कहता है। 

अनुम जीशान को घूर ती हुई बाहर की तरफ चल देती है 

जीशान अपने गाल को सहलाने लगता है कि तभी उसे किसी के हँसने की आवाज़ सुनाई देती है। जैसे ही वो गर्दन मोड़कर खिड़की की तरफ देखता है तो चौंक जाता है। 

सोफिया अपने मुँह को दुपट्टे से छुपाए वहाँ खड़ी थी। जीशान को अपने तरफ देखता पाकर वो जल्दी से वहाँ से भाग जाती है। 

लुबना-“भाई भाई कहाँ हो आप?” लुबना जीशान को आवाज़ देती हुई अनुम के रूम में चली आती है-“आवाज़ भी नहीं देते कब से चिल्ला रही हूँ …” 

जीशान-“भैया नहीं कह सकती? भाई भाई लगा रखी है…” 

लुबना जीशान के हसीन चेहरे को अपने आँखों में बसाकर धीरे से कहती है-“आप मेरे भाई हो भैया नहीं …” 

जीशान-क्या मतलब? 

लुबना-“भाई मीन्स-बेस्ट पति अवलेवल इन इंडिया…” 

जीशान लुबना की तरफ बढ़ता है। मगर इस बार लुबना वहाँ से भागने के बजाए वहीं खड़ी रहती है 

लुबना-“बहुत हैंडसम लग रहे हो आज आप तो… भाई…” 

जीशान-“भूत नी की सूरत… मैंने तुझसे पूछा क्या कि मैं कैसा लग रहा हूँ ?” जब देखो अपना सड़ा सा मुँह उठाए मेरे पास चली आती है। नफरत है मुझे तुझसे…” 

लुबना नफरत लफ़्ज सुनकर सहम जाती है, उसकी आँखों में आँसू तैर जाते हैं। जिसे जीशान भी देख लेता है-“तो आपको मुझसे नफरत है भाई?” 

जीशान दाँत पीसकर उससे कहता है-“हाँ नफरत है मुझे तुझसे…” 

लुबना टेबल पे पड़ा हुआ चाकू हाथ में उठा लेती है और अपने हथेली पर रख कर फिर से जीशान से पूछती है-“ आख़िरी बार पूछ रही हूँ नफरत करते हो आप मुझसे?” 

जीशान-“जा जा मैं तेरी इन धमकियों में आने वाला नहीं हूँ …” 

लुबना वो तेज चाकू अपनी हथेल पे घुमा देती है, और खून की एक धार उसके हाथ से निकलने लगती है। 

जीशान-लुब , ये तूने क्या किया पागल? मैं तो मजाक कर रहा था। मैं तुझसे नफरत नहीं करता। 

लुबना-“नहीं बहने दो ये खून , मर जाने दो मुझे। जब आप मुझसे नफरत करते हो तो मैं क्यों जिंदा रहूं ? कई दिनों से देख रही हूँ कि आप मेरी तरफ देखते भी नहीं , मुझसे ठीक तरह से बात भी नहीं करते, इतनी ही बुरी हूँ तो मर जाने दो मुझे आज…” 

जीशान एक थप्पड़ लुबना के गाल पे जड़ देता है-“बेवकूफ़ कितना खून बह रहा है तेरा?” वो अपने पाकेट से रुमाल निकालकर उसके हाथ पे बाँधने लगता है-“मैंने मजाक में कहा था लुब , अम्मी के बाद तुझसे ही तो मैं सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ …” 

लुबना जीशान की छाती से चिपक जाती है-“सच भाई, आप मुझसे मोहब्बत करते हो?” 

जीशान-“हाँ बहुत…” आज अपने दिल की बात ऐसे हालत में जीशान ने लुबना से कहा था कि उसे भी यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब इतनी जल्दी कैसे हो गया। 

जीशान-अम्मी यहाँ जल्दी आएँ। 

अनुम-क्या हुआ? अरे लुबना बेटे ये क्या इतना खून ? 

जीशान-“बेवकूफ़ लड़की को चाकू लग गया। आप जल्दी से फर्स्ट एड किट ले आएँ…” 

अनुम कपबोर्ड में से पट्टी निकाल लेती है। तब तक वहाँ सोफिया, रज़िया और नग़मा भी आ चुकी थीं, सभी लुबना को ठीक से काम करने की नसीहतें देने लगती हैं। मगर उन सबमें से किसी की भी आवाज़ लुबना को सुनाई नहीं दे रही थी। उसके कानों में तो बस जी शान के वो शब्द गूँज रहे थे, जो उसने कुछ देर पहले उससे कहे थे। 

फ़िज़ा-“अरे भाई कहाँ हो सबके सब?” फ़िज़ा आज अमन विला आई हुई थी, साथ में कामरान भी था। 

रज़िया और अनुम उनके पास चले जाते हैं। 

फ़िज़ा-सलाम, कहाँ थे आप सब? पूरा घर वाली पड़ा है। 

रज़िया-बैठो फ़िज़ा बेटी । अरे कामरान भी आया है बैठो बैठो। वो लुबना के हाथ में चाकू लग गया था जीशान उसे पट्टी कर रहा था, वहीं थे। 

फ़िज़ा-ज्यादा तो नहीं लगा ना? 

अनुम-नहीं नहीं , बस थोड़ा सा कट गया है। 

नग़मा और सोफिया भी फ़िज़ा के पास आकर बैठ जाते हैं। कामरान की नजरें नग़मा से टकराती हैं, और दो जवान दिल जोर से धड़कने लगते हैं। इधर-उधर के बातें करने के बाद फ़िज़ा असल बात के तरफ आती है 

फ़िज़ा-“बाजी, भाई और भाभी को गुजरे अब एक साल से ऊपर हो गया है। आपको शायद पता नहीं मगर भाभी और मेरे बीच कुछ बातें हुई थी…” 

अनुम-कैसे बातें फ़िज़ा? 

फ़िज़ा-“वो मैं उनसे नग़मा का हाथ माँगी थी अपने बेटे कामरान के लिए। वो तो अब नहीं रहे मगर उन्होंने अपनी खुशी जाहिर की थी इस रिश्ते के लिए। कामरान के अब्बू अब कामरान की शादी करवा देना चाहते है। मैं उनसे साफ-साफ कह दी हूँ की बहू आएगी तो नग़मा…” 

फ़िज़ा की बात सुनकर जहाँ नग़मा शरमाकर अपने रूम में भाग जाती है, वहीं घर के सभी लोग खुश हो जाते हैं। कामरान एक सुलझा हुआ लड़का था। भला उससे अच्छा रिश्ता नग़मा के लिए और हो भी क्या सकता था? 

अनुम रज़िया और जीशान से पूछती है। वो दोनों फौरन हाँ कह देते हैं, और देखते ही देखते नग़मा और कामरान की बात पक्की हो जाती है। 

अनुम सोफिया की तरफ देखती है जो सिर झुकाए वहीं बैठी हुई थी। अपना हाथ सोफिया के सिर पर फेरती हुई अनुम फ़िज़ा से कहती है-“शादियाँ एक नहीं दो होंगी अमन विला में, हमारी गुड़िया सोफिया की भी अब मैं शादी करवा देना चाहती हूँ । खालिद बहुत अच्छा लड़का है। मैं अब इन दोनों को एक पाकीजा रिश्ते में बाँध देना चाहती हूँ …” 

सोफिया सिर उठाकर अनुम की तरफ देखती है और फिर मुश्कुराती हुई वो भी अपने रूम में भाग जाती है। 

जीशान-“अम्मी लगे हाथों इस मोटी की भी बात कहीं तय कर दीजिए ना?” 

लुबना-“क्यों, क्या मैं आप पे बोझ हो गई हूँ भाई?” 

जीशान दाँत पीस के रह जाता है। 

रात के खाने के बाद सभी हाल में बातें करते बैठ जाते हैं। 

सोफिया अपने बाथरूम में फ्रेश होने जाती है और उसे जाता देखकर जीशान भी उसके पीछे-पीछे बाथरूम में घुस जाता है। सोफिया जीशान को अपने रूम के बाथरूम में इस तरह अचानक देखकर डर जाती है-“क्या है? यहाँ क्या कर रहे हो?” 

जीशान-मुबारक बाद देने और मुँह मीठा करने आया हूँ आपी। 

सोफिया-किस चीज के लिये? 

जीशान-लो जी अगले महीने आपकी शादी होने वाली है, और आप पूछ रहे हो किस चीज के लिये? 

सोफिया-“हाँ। मगर तुम यहाँ क्यों आ गये? जाओ यहाँ से अम्मी या आंटी ने देख लिया तो?” 

जीशान सोफिया का हाथ पकड़कर अपनी तरफ घुमा लेता है-“मुझे मुँह मीठा करना है…” 

सोफिया-यहाँ कैसे? 

जीशान-आपके होंठों से। 

सोफिया-पागल हो गये हो क्या? निकलो यहाँ से बेशर्म इंसान। 

जीशान एक हाथ सोफिया की गर्दन में डालकर उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाकर अपने होंठ उसके होंठों पे रख देता है। 

सोफिया-“उन्ह… घुऊऊन्ने्ीं… घ न्ने्ीं… क्या है? गलपप्प…” 

जीशान दुबारा फिर से अपने होंठ सोफिया के मुँह पे रख देता है। सोफिया अपने होंठों को जीशान के होंठों से अलग कर देती है, और घूमकर जीशान की आँखों में देखने लगती है। ऐसा लगता है जैसे वो जीशान को थप्पड़ मारने वाली है। मगर इसके बिल्कुल उलट वो खुद अपने होंठों को जीशान के लबों से लगा देती है और जीशान की चौड़ी छाती से चिपक जाती है। 

जीशान भी अपने दोनों हाथों को सोफिया की कमर पर रख कर दोनों हाथों से कमर को दबाते हुये अपनी जीभ सोफिया के मुँह में डालकर उसके होंठों को चूमने लगता है। दोनों एक दूसरे में खोए हुये थे। जीशान अपने एक हाथ से अपनी पैंट की जिप खोलकर लण्ड बाहर निकाल देता है। जैसे है जीशान का लण्ड बाहर निकलता है, वो सीधा सोफिया की जांघों में चुभने लगता है। 

सोफिया नीचे देखती है और हैरान रह जाती है। जीशान सोफिया का हाथ अपने लण्ड पे रखने लगता है, मगर सोफिया अपना हाथ हटा देती है। जीशान फिर से उसे अपने लण्ड पे रख देता है। इस बार सोफिया बड़ी मजबूती से जीशान के लण्ड को पकड़ लेती है। 

जीशान-आपी मुँह में लो ना। 

सोफिया-नहीं , कभी नहीं । 

जीशान अपना हाथ सोफिया की कमीज में डालकर उसकी नरम चुचियाँ मसलने लगता है-“प्लीज़्ज़… आपको मेरे कसम…” और ये कहते हुये वो सोफिया की कमीज जिस्म से अलग कर देता है। अंदर सोफिया ने कुछ भी नहीं पहना था। अपनी बहन की दोनों चुचियों को मसलते हुये वो पीछे से अपना लण्ड उसकी गाण्ड की दरार में चुभाने लगता है। 

सोफिया-“उन्ह… स्शस्स्स्स्सी… जीशान आह्ह…” 

जीशान-जल्दी लो ना आपी, कोई देख लेगा। 

सोफिया-“मुझे नहीं करना, छोड़ मुझे…” वो हल्की आवाज़ में बोल रही थी। 

जीशान-“ऐसे कैसे नहीं लेगी? चल बैठ नीचे…” अपने पठानी रुख़ाब का इश्तेमाल करते हुये जीशान सोफिया को नीचे बैठा देता है और अपना गुलाबी लण्ड का सुपाड़ा सोफिया के नरम होंठों पे घिसने लगता है। 

सोफिया जीशान की -आँखों में आँखें डालकर अपना मुँह खोल देती है-“गलपप्प-गलपप्प…” 

आखिरकार, सोफिया भी तो रज़िया की बेटी थी। अपनी अम्मी रज़िया को जब से उसने ये लण्ड चूसते देखा था तब से उसका मुँह इसे अपने मुँह लेने के लिए तड़प रही थी गलपप्प। 

सोफिया अपना मुँह खोल देती है और जीशान का तना हुआ लण्ड उसके मुँह की गहराईयों में चला जाता है। अब तक सोफिया सिर्फ़ अपने अब्बू अमन ख़ान के लण्ड को चुसी थी। मगर आज पहली बार वो अपने भाई के लण्ड से, उसकी महक से, उसके मीठे-मीठे पानी से सराबोर हो रही थी। जीशान के लण्ड की खुश्बू सोफिया को इतनी पसंद आती है कि वो उसे चूसती ही चली जाती है। 

जीशान-“आह्ह… आपी मार डालोगी क्या? आह्ह…” 

सोफिया-“हुन्ने्ीं… गलपप्प-गलपप्प मुझे जो चीज पसंद आ जाती है वो मेरी हो जाती है और मैं उसे अपने से कभी अलग नहीं होने देती गलपप्प-गलपप्प…” 

जीशान के लण्ड की नशें और ज्यादा मोटी होने लगती हैं। लाल चमकता हुआ सामने का सुपाड़ा और ज्यादा टमाटर की तरह लाल हो जाता है। जीशान अपने आँखें बंद कर लेता है और जैसे उसकी आँखें बंद होती हैं, उसकी आँखों के सामने अनुम का चेहरा आ जाता है। अनुम को देखते ही जीशान के लण्ड से तेज गाढ़े-गाढ़े पानी की एक धार सीधा सोफिया के मुँह में गिरने लगती है। 

जीशान-“आह्ह… अम्मी आह्ह…” 

वो पानी इतना ज्यादा था कि सोफिया के मुँह से बाहर छलकने लगता है और पूरा चेहरा गीले चिपचिपे पानी से भर जाता है। सोफिया अपने भाई की आँखों में देखती हुई अपने होंठों पर जीभ फेरने लगती है गलपप्प-गलपप्प। 

जीशान-कैसा लगा आपी? 

सोफिया मुश्कुराती हुई-मीठा-मीठा। 

जीशान अपने लण्ड को हाथ में पकड़कर उसे सोफिया के गाल पे पोंछने लगता है। सोफिया जग में पानी लेती है और जीशान के लण्ड को साफ करती है। 

सोफिया-अब जा मुझे नहाने दे। 

जीशान-मेरे साथ नहा लो ना आपी। 

सोफिया-नहीं जीशान , मेहमान घर में हैं। तू जा ना अभी कोई सच में देख लेगा। 

जीशान हाथ पकड़कर सोफिया को उठाता है और अपने होंठ उसके गीले होंठों पर रख कर उसके मुँह से अपना वीर्य चखने लगता है। सोफिया अपनी जीभ जीशान के मुँह में डाल देती है और दोनों एक दूसरे की लार एक दूसरे के मुँह से पीने लगते हैं। 
थोड़े देर एक दूसरे को कस के मसलने के बाद जीशान बाथरूम से बाहर निकल जाता है और सोफिया शावर के नीचे खड़ी हो जाती है। 
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