Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:14 PM,
#51
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
वो दोनों बारी-बारी अमन के लण्ड को मुँह में लेकर चूस रही थीं। अमन को यकीन करना मुश्किल था कि ये दोनों औरतें जिनकी सोसाइटी में एक पहचान, एक इज़्ज़त है, वो ऐसे रंडियों की तरह उसका लण्ड अपने मुँह में खींच-खींचकर चूस रही थीं। ये चूत की आग ही थी, वो इन्हें ये करने पे मजबूर कर रही थी। अमन बुरी तरह सिसक उठता है। वो दोनों उसके लण्ड को और आंडे को मरोड़-मरोड़ के चूस रहे थे। 

अमन-“अह्म्मह… बहन की लौड़ी खा जाएगी क्या? आह्म्मह… धीरे-धीरे चूस हरामज़ादी अह्म्मह…” 

महक-“हाँ अह्म्मह… आज तेरा लौड़ा रहेगा या हमारी चूत… बहुत जान है ना तेरे लण्ड में… बता साले हम दोनों को गलप्प्प-गलप्प्प…” 

सानिया-“महक, इसके लण्ड में बहुत ताकत है। इसके लण्ड का पानी हम अपनी बच्चेदानी में गिराकर उसका बीज अपनी चूत में बोएंगे अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प…” 

अमन महक के बाल पकड़कर उसे बेड से टिका देता है। और उसके दोनों पैर चौड़े करके एक झटके में अपना लण्ड अंदर डालने लगता है-“अह्म्मह… छिनाल… मेरा बच्चा जनेगी? अह्म्मह… अह्म्मह… ले तेरी चूत को चीर ना दूं तो मेरा नाम भी अमन ख़ान नहीं…” वो किसी हथौड़े की तरह चूत पे जोर-जोर से जार करने लगा था। 

महक के चिल्लाने की कोई इंतेहा नहीं थी, न जाने वो कितने दिनों बाद चुद रही थी। उसकी चूत लगभग पैक हो चुकी थी-“अह्म्मह… हराम के लौड़े आराम से चोद… मेरी चूत है, पत्थर नहीं वो तू हथौड़े से कूट रहा है। अह्म्मह… आराम से रे… अमन धीरे-धीरे चोद ना… अह्म्मह अम्मी… सानिया इससे बोल ना आराम से चोदे अह्म्मह…” 

सानिया उसे आँखें फाड़े देख रही थी। उसने इससे पहले ये नज़ारा नहीं देखा था। कोई भला किसी को इतनी बेहरहमी से भी चोद सकता है? ये देख-देखकर उसकी चूत में पानी आने लगता है। 

अमन-“छिनाल तू क्या देख रही है? इसके मुँह पे तेरी चूत लगा तो थोड़ा कम चिल्लाएगी ये हरामज़ादी…" 

सानिया महक के मुँह के पास आकर बैठ जाती है। और अमन के धक्कों से महक के होंठ सानिया की चूत के पास पहुँच जाते हैं। 

महक-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” करके किसी कुततया की तरह सानिया की चूत पे टूट पड़ती है। वो इतने जोर से इसलिये चूस चाट रही थी। अमन का लण्ड उसकी चूत में कोहराम मचा रहा था। उसके संभालने के पहले ही अमन उसे बिखेर देता है। महक एक जोर की चीख के साथ झड़ जाती है। 

पर अमन नहीं झड़ा था, वो सानिया के बाल पकड़कर उसे बेड पे सुला देता है, और उसके पैर मोड़कर उसकी चुचियों से भिड़ा देता है, जिससे सानिया की चूत बुरी तरह फैल जाती है। अमन अपने लण्ड पे थूक लगाकर सानिया की नाज़ुक सी चूत में लण्ड पेलने लगता है-अह्म्मह… बच्चा चाहिए ना तुझे… मैं देता हूँ तुझे भी अह्म्मह… वो उसी तरह सानिया को चोदने लगता है, जैसे महक को चुद रहा था। 

महक अमन के स्टैमिना और चोदने के अंदाज से इतने इंप्रेस हुई थी कि वो अमन के लण्ड की दीजानी हो चुकी थी। वो अपनी चूत को घिसते हुए टायलेट में घुस जाती है। 

सानिया-“उंन्ह… अमन तेरे लण्ड ने मेरी चूत को चीर दिया रे अह्म्मह… कुत्ते क्या लण्ड है तेरा अह्म्मह… उंन्ह… मेरी चूत का भुर्ता बना दिया रे हरामी अह्म्मह…” वो दोनों ऐसे गालियाँ दे रही थीं, जैसे कोई कालगर्ल हों। ये औरतों का तरीका होता है। ख़ूँखार मदों से जमकर चुदाई कराने का, चुदते हुए उन्हें गालियाँ दो तो वो तुम्हारी चूत को चोद-चोदकर भोसड़ा बना देते हैं। और यही इस वक्त सानिया कर रही थी। 

अमन तो जैसे पसीने में बेहाल था, पर सानिया को चोदने में उसे अजीब सा नशा छा रहा था। उसकी चिकनी चूत और भरी हुए चुचियाँ उसे रजिया की याद दिला रही थीं। उसे लगने लगा था कि वो रजिया को चोद रहा है। जब वो जवान हुआ करती थी तो बिल्कुल सानिया जैसी लगती होगी। यही बात उसके लण्ड को झड़ने से रोक रही थी। 

सानिया चिल्ला-चिल्लाकर महक को पुकार रही थी-“अह्म्मह… महक इस हरामी से मेरी चूत को बचा… ये मुझे मार देगा उंन्ह…” और वो झड़ जाती है। 
साथ ही अमन भी उसकी चूत में झड़ने लगता है। 

महक ये सब देख-देखकर अपनी चूत मसले जाती है। 

अमन ने सानिया और महक को दो बार और चोदा। ये चुदाई पूरे 3 घंटे चली। रात के 12:00 बज चुके थे और अमन का लण्ड ढीला पड़ चुका था, पर उसके दिल की मुराद पूरी हो चुकी थी। 

महक अपनी चूत के साथ-साथ अपनी गाण्ड भी अमन को सौंप चुकी थी, इन 3 घंटों में। 

वहीं सानिया दो बार चुदकर ही एक तरफ हो गई थी। उसे इतनी चुदाई की आदत नहीं थी। 

अमन महक और सानिया को चूमते हुए अपने घर की तरफ निकल जाता है। उसे रजिया की फिकर हो रही थी। बैटरी डिस्चार्ज होने की वजह से वो परेशान हो गई होगी, क्योंकी अमन को काल लग नहीं रही थी। जब वो घर पहुँचा तो रात के 1:00 बज रहे थे। 

रजिया गेट के पास उसका इंतजार कर रही थी । वो अमन को देखकर अंदर आ जाती है, और अमन के अंदर आने के बाद उससे कई सवाल करने लगती है। 
पर अमन बुरी तरह थका हुआ था। वो रजिया के कुछ सवालों का जवाब देकर अपने रूम का रुख कर लेता है। आज रजिया को बिना लण्ड के ही सोना पड़ेगा। 

सुबह अमन की आँख खुली तो उसने रजिया को उसके बेड पे लेटा हुआ पाया। वो जाग चुकी थी और अमन के बालों में प्यार से हाथ फेर रही थी। 

अमन उसके गले में बाहें डालकर गुड मॉर्निंग कहता है। रजिया मुस्कुराते हुए जवाब देती है। पर उसके चेहरे पे एक किश्म की उदासी या चिंता के भाव साफ नज़र आ रहे थे, जिसे अमन पढ़ लेता है। 

अमन-“क्या हुआ जानेमन परेशान लग रही हो?” 

रजिया-“हाँ… कल ख़ान साहब का फोन आया था उन्होंने आपके अकाउंट में 5 करोड़ रूपये जमा करवाए हैं, और उनकी फ्लाइट सबेरे 11:00 बजे तक इंडिया पहुँच जाएगी…” 

अमन-“ओह्म्मह… तो ये बात है। इसमें परेशान होने की क्या बात है। आने दे, मैं हूँ ना…” और अमन रजिया की नाइटी का बटन खोलकर उसकी चुचियाँ बाहर निकाल लेता है। इस वक्त सबेरे के 8:00 बज रहे थे। मतलब उनके पास 3 घंटे थे। अमन इस मौके को गँवाना नहीं चाहता था क्योंकी ख़ान साहब के आने के बाद उन्हें दिन रात चुदाई का मौका नहीं मिलने वाला था। 

रजिया तो रात से तड़प रही थी। उसे ठीक से नींद भी कहाँ आई थी। वो अमन की मदद करती है, और दोनों कुछ ही पलों में नंगे एक दूसरे की बाहों में चिपक जाते हैं। 
अमन-“आ जा मेरी रानी, अपने शौहर के नीचे आ जा…” 

रजिया-“कल आपने मुझे चोदा भी नहीं। पता है, मैं ठीक से सो भी नहीं पाई…” 

अमन-क्यूँ? 

रजिया-“आपको पता है ना… मुझे चुदे बिना नींद नहीं आती…” 

अमन-“ओह्म्मह… आइंदा ऐसी गलती नहीं होगी…” और वो रजिया की टाँगें खोलकर अपना लण्ड उसकी चूत की गहराईयों में उतारता चला जाता है। 

रजिया नीचे से गाण्ड ऊपर उछालकर लण्ड अपनी चूत में समाती जाती है। वो दोनों चुपचाप अपनी सुबह की चुदाई का मज़ा ले रहे थे। रजिया चुदते हुए-“अह्म्मह… ख़ान साहब के आने के बाद आप मुझे रोज कैसे चोदोगे जी? उंन्ह… अह्म्मह…” 

अमन-“तू मेरी बीवी है रजिया, और बीवी को रोज चोदना मेरा फर्ज़ है… तू फिकर मत कर मेरी जान, ये लौड़ा तेरी चूत में रोज जाएगा ही…” 

रजिया-“हाँ हाँ मुझे रोज-रोज ऐसे ही चाहिए आपके नीचे। हाँ, मेरे पेट में आपका बच्चा पल रहा है जानू… उसे आपकी ताकत रोज चाहिए अह्म्मह… उंन्ह…” 

अमन-“हाँ रजिया ऐसे ही। रजिया मुझे दूध कब पिलाएगी?” और वो रजिया की एक चूची मुँह में लेकर चूसने लगता है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

रजिया-“बस… कुछ महीने बाद जानू… फिर आपको और आपके बच्चे को रोज दूध पिलाऊँगी नाआअ उंन्ह… अह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह… इतनी जोर से अह्म्मह… 
आह्म्मह… आह्म्मह…” 
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05-19-2019, 01:15 PM,
#52
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
ये अमन की मोहब्बत का ही असर था वो रजिया चुदते हुए झड़ती, फिर दुबारा तैयार हो जाती और अमन उसकी चूत में ही पानी निकालता चला जाता। वो 10:00 बजे तक अपनी चुदाई में बिजी रहते हैं। जब वहाँ अनुम आकर उनके पास बैठ जाती है, तब उन्हें होश आता है कि बहुत देर हो चुकी है। 

अनुम अमन को देखते हुए-“अपनी जवान बीवी को भूल मत जाना…” 

अमन उसकी चूची मसलते हुए-“तू कोई भूलने की चीज़ है क्या रानी?” 

रजिया अपने चूत को सहलाते हुए नहाने बाथरूम में घुस जाती है। और अमन दूसरे बाथरूम में। 

सुबह 11:00 बजे-

अमन टीवी देखते हुए नाश्ता कर रहा था। तभी आजतक न्यूज चैनेल पे उसे वो न्यूज दिखाई देती है, वो उसके हाथ से नाश्ते का निवाला गिरा देती है। जिसे सुनकर उसके पैरों के नीचे की ज़मीन खिसक जाती है। और पास में बैठी रजिया जोर से चिल्लाते हुए ज़मीन पे गिर जाती है। 

आजतक चैनेल पे न्यूज थी कि सऊदी से आने वाला इंडियन एयरलाइन्स का विमान 9126 क्रेश हो गया है। और उसमें बैठे सभी यात्रियों की मौत हो गई है। ये हादसा तब हुआ जब विमान (प्लेन) लैंडिंग के लिये उतर रहा था कि अचानक प्लेन का लैंडिंग गियर सिस्टम फेल होने से वो सीधा दूसरे खड़े प्लेन से जा टकराया। 

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ख़ान साहब और जमाल मलिक की मौत के 3 महीने बाद। 

अमन और पूरे ख़ान परिवार के लिये ये वक्त बहुत मुश्किल था। दोनों परिवारों के मर्द दुनियाँ छोड़ चुके थे। सारी जिम्मेदारी अब अमन के कंधों पे थी और उसने ये बहुत अच्छे से निभानी थी। 

महक के शौहर पाशा वापस आ चुके थे। पाशा ने अपनी फैक्टरी और शिमला वाला घर अमन को 3 करोण रूपये में बेच दिया। फैक्टरी का मालिक बनने के बाद अमन का सारा वक्त फैक्टरी और उससे जुड़े कामों में ही लगने लगा था। उसने पिछले 3 महीने से किसी को भी नहीं चोदा था। न जाने उसे क्या हो गया था। वो बस अपनी फैक्टरी और वहाँ से घर। 
रजिया-समझ सकती थी कि अमन इस वक्त किस दौर से गुजर रहा है। जब किसी बच्चे के सिर से बाप का हाथ उठ जाता है, और उस बच्चे को पूरे परिवार की देख भाल करनी होती है। तब उस शख्स की वो हालत होती है, वही इस वक्त अमन की थी। बाप की मौत के बाद अमन के अंदर के मिचयोरिटी और काबिलियत सामने आई थी। उसे एहसास हुआ था कि घर की क्या-क्या जिम्मेदारियाँ होती हैं। दिन रात खानदान की औरतों को चोदने वाला अमन अब पूरी तरह बदल चुका था। अब उसे सेक्स पे काबू करना आ चुका था। उसके बात करने का अंदाज उसके रहन-सहन के तौर तरीके सब कुछ बदल चुके थे। 

महक पाशा के साथ अमेरिका जा चुकी थी और साथ में अमन की निशानी भी साथ ले जा रही थी। उस बर्थ-डे वाली रात जब अमन ने महक और डाक्टर सानिया को चोदा था तो उसका ये असर हुआ था कि दोनों औरतें प्रेगनेंट हो गई थीं। महक बहुत खुश थी। उसकी जिंदगी की सबसे कीमती चीज़ उसे अमन से मिली थी। 

वहीं डाक्टर सानिया भी अपने प्रेगनेंट होने से अमन का शुकिया अदा करती नहीं थकती थी। डाक्टर सानिया ने कई बार अमन से संपर्क करने की कोशिश की, पर अमन ने उससे दुबारा जिश्मानी संबंध नहीं बनाया। 

अमन एक जानदार पठान था और पठानों की एक बात मशहूर है कि जिंदगी में कुछ ऐसा काम करो पठान कि जिस गली से गुजरो हर बच्चा कहे अब्बाजान, अब्बाजान, अब्बाजान। 

रात 8:00 बजे-

जब अमन फैक्टरी से वापस घर आता है, वो सीधा अपने रूम में चला जाता है, और फ्रेश होकर डाइनिंग टेबल पे आकर बैठ जाता है, वहाँ अनुम और रजिया उसका इंतजार कर रही थीं। 

अमन खाना खाते हुये-“मैं सोच रहा था कि रेहाना और फ़िज़ा भी हमारे साथ रहेंगे। चाचू के जाने के बाद हमें उनका खयाल रखना पड़ेगा…” 

रजिया-“आप सही कह रहे हैं। मैं कल रेहाना और फ़िज़ा को ये बात बता दूँगी…” 

अमन खाना खाने लगता है। 

अनुम उससे कुछ पूछना चाहती है, पर पूछ नहीं पाती। अमन के खाना खाकर अपने रूम में जाने के बाद अनुम रजिया से पूछती है-“अम्मी चाची और फ़िज़ा यहाँ रहेंगी तो फिर?” 

रजिया उसकी बात समझ चुकी थी। वो अनुम को धीरे से बताती है कि रेहाना और फ़िज़ा अमन से चुद चुकी हैं, कई बार। ये सुनकर पहले अनुम को धक्का सा लगता है। पर रजिया उसे समझा देती है। और उसे समझ में भी आ जाती है बात कि अमन इस खानदान का मर्द है। उसका हम सभी औरतों पे पूरा-पूरा हक है। 

अनुम-“तो क्या अमन खाला को भी चोद चुका है?” 

रजिया-“मुझे नहीं पता? चल आज अमन से पूछते है…” 

अनुम-तो क्या आज? 

रजिया-हाँ। 

उन दोनों की चूची ऊपर नीचे होने लगती है। आज पूरे 3 महीने हो गये हैं, अमन ने रजिया और अनुम को नहीं चोदा। एक प्यासी चूत कब तक खुद पे काबू रख सकती है? 
वही हाल अमन का भी था। उसे भी शिद्दत से रजिया और अनुम चाहिए थी। पर वो खुद से बोलने से कतरा रहा था। कुछ देर बाद रजिया और अनुम अमन के रूम में दाखिल होती हैं। जब रजिया और अनुम दोनों अमन के रूम में दाखिल हुए तो अमन अपने बेड पे लेटा हुआ लैपटाप पे कुछ काम कर रहा था। वो दोनों को एकसाथ देखकर लैपटाप बंद करके साइड में रख देता है। 

रजिया-अमन क्या कर रहे हो? 

अमन-“कुछ खास नहीं बस थोड़ा ओफिस वर्क…” 

अनुम अमन के बगल में बैठ जाती है। और रजिया दूसरी तरफ। 

अमन खामोश था पर साँसें तीनों की तेज थीं। 

रजिया-“अमन, मैं जानती हूँ कि वो हमारे साथ हुआ वो बहुत बुरा हुआ। मैं पिछले तीन महीने से देख रही हूँ कि तुम फैक्टरी जाते हो और फिर अपने रूम में बंद हो जाते हो। तुम अपने अब्बू का सपना पूरा करना चाहते हो पर एक सबसे बड़ी जिम्मेदारी वो तुम नहीं पूरी कर रहे हो उसके बारे में भी थोड़ा सोचो ना…” 

अमन-वो क्या? 

रजिया अमन का हाथ अपने पेट पे लगा देती है-“इसका… ये तुम्हारा खून, वो मेरी कोख में पल रहा है। इसे तुम्हारे प्यार की ज़रूरत है। और अनुम ये भी मेरी तरह तुमसे बहुत प्यार करती है। इसे तुमसे बे-इंतेहा प्यार चाहिए। अब तुम इस घर के मर्द हो और हमारे भी। अपनी दोनों बीवियों को प्यार करो ना… हम तुम्हारे प्यार के बिना जी नहीं पाएंगे अमन…” और अनुम और रजिया अमन के सीने पे सर रख देती हैं। 

अमन उन दोनों का चेहरा अपने करीब करता है-“तुम सही कह रही हो रजिया। मैं सबसे अहम जिम्मेदारी नहीं निभा रहा था। अपनी दोनों बीवियों का खयाल रखना और अपने आने वाले बच्चे का भी। आज के बाद तुम्हें मैं किसी किश्म की शिकायत का मौका नहीं दूँगा…” 

फिर दोनों औरतें अमन के होंठों से चिपक जाती हैं। वो कई महीने के प्यासी थीं और उनकी प्यास अमन अपनी जीभ उनके मुँह में डालकर बुझा रहा था। रजिया अनुम की नाइटी उतारने लगती है, और साथ में खुद भी नंगी हो जाती है। 

अनुम अमन के सिर को चूमते हुये नीचे सरकती चली जाती है, और अंडरवेअर के पास पहुँचकर उसे नीचे उतार देती है। अमन का लण्ड थोड़ा टाइट था, बाकी उसे करना था। वो एक अच्छी बीवी की तरह अपने शौहर के लण्ड को अपने होंठों से चूमती है। और फिर उसपे जीभ फिराकर उसे अपने मुँह में भर लेती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

अमन रजिया को इशारे से अपने मुँह पे बैठने को कहता है, तो रजिया अपनी दोनों टाँगें खोलकर अमन के होंठों पे अपनी चूत लगा देती है। अमन अपनी लंबी जीभ को बाहर निकालकर रजिया की सूखी चूत में डालने लगता है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

रजिया की चूत कई दिनों के बाद अपने साजन के चूमने से सिहर उठती है, और उसमें चिंगारियाँ जलने लगती हैं-“उंह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह… उंह्म्मह…” 

अमन के दाँत रजिया की क्लटोरिस को कुरेदने लगते हैं, जिससे रजिया की चूत की फांकें पूरी तरह खुल सी जाती हैं। अमन बुरी तरह से रजिया की चूत चाट रहा था, क्योंकी उसके लण्ड को अनुम अपने गले तक उतार के चूस रही थी-अह्म्मह… आराम से कर अनुम अह्म्मह…” 

अनुम-“नहीं, मुझे आज मत रोको ना जी… गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… प्यासी है आपकी बीवी… गलप्प्प उंन्ह… पीने दो ना अपना पानी गलप्प्प…” 

अमन-“मुझे पेशाब करके आने दे अह्म्मह…” 

अनुम-“मेरे मुँह में करो अह्म्मह… मुझे पीना है…” 

अनुम की ये बात सुनकर रजिया भी अमन के मुँह से उतरकर अमन के लण्ड के पास आ जाती है, और अमन के मूसल लण्ड को अनुम के मुँह से निकालकर अपने मुँह में भर लेती है-“गलप्प्प-गलप्प्प… अब मूतो जानू गलप्प्प…” 

अनुम-“अम्मी मुझे भी पीना है। गलप्प्प-गलप्प्प…” 

अमन-“अह्म्मह…” दोनों का सर पकड़कर पेशाब करने लगता है। 

रजिया और अनुम बारी-बारी अपने मुँह में लण्ड डाल-डालकर अमन का सारा पेशाब पी जाती हैं-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

अमन का लण्ड खड़ा था और सामने दो चूतें उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थीं। 

रजिया अमन से कहती है कि अनुम की चूत में पहले डालो। 

वो जानती थी कि अगर अमन झड़ गया तो उसके लण्ड को वो दुबारा खड़ा कर देगी और फिर दूसरी बार अमन जल्दी नहीं झड़ता। अनुभव हमेशा काम आता है। 
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05-19-2019, 01:15 PM,
#53
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन अनुम के पैर चौड़े करके उसे अपने कंधे पे रख लेता है, और रजिया अनुम के होंठ चूसने लगती है। अनुम को तो बस इंतजार था उस जोरदार धक्के का वो उसकी सोई हुई चूत को हमेशा के लिये जगा दे, और वो पूरा हो जाता है। क्योंकी अमन ने इतनी जोर से धक्का मारा था कि रजिया भी डर सी गई थी और अनुम सिसक उठी थी। ये डर उसे जिंदगी की सारी खुशियों से प्यारा था। 

अनुम-“उंह्म्मह… अम्मी अह्म्मह…” वो सिसक रही थी और अमन आज पहली बार उसे बड़े प्यार से अपनी बीवी समझकर चोद रहा था। वो भी रजिया के साथ-साथ अनुम की एक चूची चूसने लगता है। 

हमेशा औरतों को किसी बाजारू रंडी की तरह चोदने वाला अमन, आज अनुम को ऐसे अंदाज में चोद रहा था जैसे वो कोई काँच की बनी हुई चीज़ हो और अमन की जबरदस्ती से टूट सकती है। 

अनुम अपनी कमर ऊपर उठा-उठाकर लण्ड को चूत की गहराईयों में ले रही थी-“अह्म्मह… उंह्म्मह… आह्म्मह… ऐसे ही… आ…आपका लण्ड मेरी बच्चेदानी को चुभ रहा है। आह्म्मह… अह्म्मह… अम्मी मेरी चूत उंह्म्मह…” 

रजिया अनुम की चूची को मसलते हुये-“हाँ बेटी चोदने दे इन्हें, अपने गाण्ड ऐसे ऊपर उठा…” और रजिया अनुम की गाण्ड के नीचे हाथ डालकर उसे अमन के लण्ड की तरफ बढ़ाने लगती है। 

अमन की रफ़्तार तेज होने लगी थी। वो अपनी जवान बहन, वो अब उसकी बीवी थी, उसकी चूत की अकड़न से मस्त होता जा रहा था। और अनुम इस दौरान एक बार झड़ चुकी थी, जिससे उसकी चूत बहुत चिकनी हो चुकी थी और अमन बड़ी आसानी से अपने लण्ड को उसकी चूत की गहराईयों में धकेलता चला जा रहा था। वो रजिया की चूची मसलता और रजिया अमन के आंड को मरोड़ती और तीनों अपनी नई जिंदगी का मज़ा लेते हुये बहुत खुश थे। 

अनुम एक चीख के साथ अपनी गाण्ड ऊपर तक उठा लेती है। उसकी चूत से एक तेज धार बाहर निकलती है, जिसे अमन और रजिया दोनों मिलकर चाटने लगते हैं-“गलप्प्प-गलप्प्प…” अनुम का जिस्म झड़ने से और फिर इन दोनों का चाटने से बुरी तरह काँपने लगता है। 

अमन का पानी नहीं निकला था और रजिया तैयार थी। वो जल्दी से अमन को अपने ऊपर खींच लेती है-“अह्म्मह डालो ना जी…” 

अमन बिना देरी किए अपना मूसल लण्ड रजिया की चूत में डालने लगता है। दोनों माँ-बेटे एक दूसरे को बाहों में कसे हुए थे और अमन की गाण्ड ऊपर से और रजिया की गाण्ड नीचे से हिल रही थी। अमन जब भी रजिया को चोदता था उसे सबसे ज्यादा आनंद महसूस होता था। उसे हमेशा ये लगता कि जिस चूत से वो निकला था, उसी चूत को वो चोद रहा है-“अह्म्मह… रजिया मेरी जान अह्म्मह… मुझे तेरी इस चूत की बहुत याद आती है। अह्म्मह… अब मैं तुझे रोज चोदूंगा…” 

रजिया-“हाँ, मैं भी बिना खाने के रह सकती हूँ, पर तुम्हारे लौड़े के बिना एक पल भी नहीं। हमारे बच्चे को तुम्हारे लौड़े के पानी की बहुत ज़रूरत है। आह्म्मह… आह्… जानू, मुझे रात दिन चोदो। हाँ, मैं डिलेवरी तक चुदना चाहती हूँ… ताकी आपका बच्चा आसानी से मेरी चूत से बाहर निकले उंन्ह…” 

अमन हांफता हुआ-“अह्म्मह… हाँ रज्जो मेरी जानन्… मैं चोदूंगा आज से तुझे, हाँ दिन रात मेरी जान्… ऊऊओह्म्मह… तेरी चूत कभी भी तरसेगी नहीं मेरे लण्ड के लिये अह्म्मह…” 

दोनों माँ-बेटे 30 मिनट तक एक दूसरे से चिपके अपने जिस्म की प्यास मिटाते हैं। 

अनुम ये देखकर हैरान थी कि उसकी अम्मी अमन से कितना प्यार करती है। आज तक तो सिर्फ़ वो ये समझती थी कि वो ही अमन से सच्ची मोहब्बत करती है। पर इन दोनों की लगातार चुदाई और मोहब्बत भरी बातों से उसकी चूत की आग भड़कने लगती है, और वो दुबारा अमन के नीचे आना चाहती है। 


पर अमन तो रजिया के होंठ उसकी चूची और चूत का दीवाना था। एक बार जब वो रजिया के ऊपर चढ़ जाता तो उसे बस रजिया दिखाई देती और कोई नहीं। ऐसे ही जबरदस्त चुदाई की वजह से रजिया और अमन दोनों एक साथ झड़ने लगते हैं, और एक दूसरे को चूमते चले जाते हैं। 

अमन का लण्ड जब रजिया की चूत से बाहर निकलता है तो अनुम उसपे टूट पड़ती है। वो काफी देर से इन दोनों की चुदाई से पनिया गई थी। वो अपनी दोनों चुचियों के बीच में अमन के लण्ड को लेकर आगे पीछे करने लगती है। 

अमन-“अह्म्मह… तू सच में पागल हो गई है अनुम…” 

अनुम-“हाँ, आपकी बीवी आपके प्यार में पागल है…” और वो अमन के लण्ड पे अपना सलाइवा गिराकर उसे अपने मुँह में डाल लेती है। अमन के लण्ड पे रजिया की चूत का पानी भी लगा हुआ था जिसे चाट-चाटकर अनुम को और मज़ा आने लगता है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” वो अमन के लण्ड को 10 मिनट में ही फिर से तैयार कर देती है। 

अमन पानी पीने के लिये किचिन की तरफ चला जाता है। अनुम और रजिया एक दूसरे की बाहों में चिपकी हुई थीं तभी रजिया अनुम की गाण्ड पे हाथ फेरती है-“यहाँ लेगी क्या अनुम?” 

अनुम चौंकते हुये-“नहीं अम्मी, मेरी छोटी से गाण्ड में इनका लण्ड कैसे जाएगा?” 

रजिया अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डाल देती है। जिससे अनुम अपनी गाण्ड ऊपर उछालने लगती है। 

अनुम-“उंह्म्मह… अम्मी क्या कर रहे हैं आप?” 

रजिया-“बेटी, हमारे जानू को गाण्ड मारने का बहुत शौक है। वो तो अक्सर मेरी लेते हैं। पीछे से तू भी लेकर देख, तू भी दीवानी हो जाएगी…” 

अनुम-“उंन्ह… अम्मी दर्द होगा ना?” 

रजिया-“बेटी, जब तक एक औरत अपने शौहर का लौड़ा अपने तीनों सुराखों में नहीं लेती, वो पूरी तरह से अपने शौहर की नहीं होती…” 

अनुम-सच्ची अम्मी। 

रजिया-“हाँ बेटी… ला मैं तेरी गाण्ड की तेल से पहले मालिश कर देती हूँ…” और रजिया सामने पड़ी हुई तेल की बोटेल से तेल निकालकर अनुम की गाण्ड की अच्छे से मालिश करने लगती है। वो दो उंगालियाँ तेल में भिगा के उसकी गाण्ड में डाल देती है। पच्च के आवाज़ के साथ दोनों उंगलियाँ अनुम की गाण्ड की दीजारें चीरती हुई अंदर चली जाती हैं। 
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05-19-2019, 01:15 PM,
#54
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अनुम को एक नया सा एहसास होने लगता है-“उंन्ह… ओह्म्मह… अम्मी आपकी दो उंगलियों ने मेरी गाण्ड में दर्द कर दिया है, तो उनका कैसे? अह्म्मह…” 

वो कुछ बोलने वाली थी कि अमन का जोर का थप्पड़ अनुम की गाण्ड पे पड़ता है। अनुम मारे दर्द के औउच… करती हुई अमन की तरफ देखने लगती है। वो अमन की तरफ बढ़ने वाली थी कि रजिया और अमन दोनों मिलकर अनुम की गाण्ड पे थप्पड़ों की बरसात कर देते हैं। पूरे रूम में सटासट-सटासट की आवाज़ें गूँजनी लगती है। 

और अनुम चिल्लाने लगती है-“उंह्म्मह… आह्म्मह… उंह्म्मह मेरी गाण्ड उंन्ह… अह्म्मह…” 

अमन-“बोल लेगी ना मेरा गाण्ड में सटासट…” 

अनुम-“हाँ लूँगी ना अह्म्मह… डाल दो मेरी छोटी सी गाण्ड में आपका मूसल ऊिह उंह्म्मह…” 

रजिया अमन के लण्ड पे भी तेल लगा देती है, और अनुम को डागी स्टाइल में करके अमन के लण्ड को अनुम की गाण्ड पे रगड़ने लगती है। 

अनुम-“अह्म्मह… ओह्म्मह…” करके सिसक उठी थी। 

अमन-“अनुम, पहले थोड़ा दर्द होगा, तू बर्दाश्त कर लेगी ना?” 

अनुम-“हाँ जानू, आपका हर दर्द मुझे कुबूल है। मेरी फिकर ना करो बस डाल दो…” कहीं ना कहीं अनुम का भी दिल अमन के लण्ड को अपनी गाण्ड में लेने का हो रहा था। ऊपर से रजिया की बात उसे याद आ रही थी। वो अमन की थी और उसे इस बात का सबूत देना था। 

अमन अपने लण्ड को अनुम की छोटी सी गाण्ड के सुराख पे लगाकर धकेलने लगता है-“अह्म्मह… ऊऊह्म्मह… रजिया, अनुम की बहुत छोटी है…” वो रजिया की तरफ देखते हुये कहता है। 

रजिया-“तो क्या मैं मोहल्ले वालों से गाण्ड मरवाती थी? जब पहली बार आपने मेरी गाण्ड मारी थी तब मेरी भी ऐसी ही छोटी थी। देर मत करो और लगा दो मोहर…” 

अमन की आँखें लाल हो गई थीं। वो दोनों हाथों से अनुम को पतली सी कमर पकड़कर पूरी ताकत से लण्ड अंदर पेलने लगता है। उसे कोई परवाह नहीं थी कि अनुम कितनी जोर से चिल्ला रही है। 

रजिया-अनुम की दोनों चूची, वो नीचे हवा में लटक रही थी, अपने हाथों में लेकर सहलाने लगती है, और अनुम के होंठ चूसने लगती है। जिससे अनुम को दर्द का एहसास ना हो। 

अमन गपागप अपना लण्ड अनुम की गाण्ड में पेलने लगता है। पहले-पहले उसे थोड़ी रुकावट का सामना करना पड़ा, पर थोड़ी देर बाद बड़ी आसानी से अमन अनुम की गाण्ड मार रहा था और उसे इसमें बहुत मज़ा भी आ रहा था-“अह्म्मह… ऊहूँ अह्म्मह… तेरी गाण्ड भी रजिया की तरह है अनुम अह्म्मह… मेरी जवान बीवी तेरी माँ को चोदूं अह्म्मह… ले ले अपने मर्द का लण्ड… तेरी गाण्ड पे भी मेरी मोहर लग गई है। अह्म्मह…” 

उस रात अमन ने अनुम को एक बार और रजिया को दो बार और चोदा। उनकी चुदाई सुबह के 6:00 बजे तक चली। दोनों औरतें अमन की छाती से चिपकी सो गईं। 

सुबह 8:00 बजे-
अमन की आँख फोन के बजने से खुल जाती है। जब वो फोन रिसीव करता है, तो खामोश सा हो जाता है। दूसरी तरफ अमन के मामू थे। वो अमन से कहते हैं कि दिलावर ख़ान, अमन के नानू की तबीयत रात में खराब हो गई थी। इसलिये उन्हें हॉस्पीटल लाना पड़ा। इसलिये अमन को हॉस्पीटल बुला रहे थे। उन्होंने कहा कि ये बात रजिया और अनुम को ना बताई जाए। वो लोग पहले ही परेशान हैं। 

अमन-फ्रेश होकर हॉस्पीटल के लिये निकलने लगता है। 

अनुम और रजिया बेड पे पड़ी थीं। दोनों जाग चुकी थी और अमन को ऐसे जल्दी में जाता देखकर रजिया पूछ बैठीं-“सुनिए, कहाँ जा रहे हैं आप? 

अमन-“वो फैक्टरी में कुछ अर्जेंट काम है। मैं अभी आता हूँ…” और वो कार की चाबियाँ लेकर हॉस्पीटल के लिये निकल जाता है। 

रजिया और अनुम एक दूसरे से अभी भी नंगी चिपकी हुई थीं। 

अनुम-“अम्मी, मैं प्रेग्गनेन्सी की टेबलेट लेना बंद कर दूं?” 

रजिया उसे सहलाते हुए-“नहीं बेटी अभी नहीं। जल्द ही तू भी उनके बच्चे की माँ बनेगी। पर हमें कोई जल्दबाज़ी नहीं करनी है, जिससे हमारे खानदान का नाम खराब हो। तू समझ रही है ना?” 

अनुम-? ज…जी अम्मी। आप मेरी सबसे अच्छी अम्मी हैं…” 

रजिया-“हाँ, और तू मेरी बहू भी है और सौतन भी…” दोनों हँसते हुए एक दूसरे को चूमते चली जाती हैं, और ये लेज्बियन सेक्स अगले दो घंटे तक चलता रहता है। 

जब अमन हॉस्पीटल पहुँचता है। तो उसे उसके मामू बाहर मिलते है। वो अमन को बताते हैं कि अब नानू की तबीयत ठीक है। रात में हीना, अमन की खाला आ गई थी। अमन रूम की तरफ बढ़ जाता है, वहाँ दिलावर ख़ान थे। वो दरवाजे तक पहुँचा ही था कि उसके पैर कुछ ऐसी आवाज़ सुनकर रुक से गये। 

दिलावर ख़ान-“हीना, मेरी बच्ची, मेरी जान, मैंने तेरे लिये कुछ नहीं किया। वो हुआ वो सब किस्मत का खेल था…” 

हीना-“अब्बू, अपने मुझे शीबा देकर मुझ पे बहुत बड़ा एहसान किया है। वरना मेरी कोख हमेशा सूनी रहती। शीबा के अब्बू तो मुझे तलाक देना चाहते थे। पर अगर उस वक्त आप मुझे माँ नहीं बनाते तो आज मैं मर गई होती…” 
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05-19-2019, 01:15 PM,
#55
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
दिलावर ख़ान-अपने आँसू पोछते हुये-“वो हुआ वो राज हमारे बीच है। वो किसी को पता नहीं चलना चाहिए…” 

हीना-“जी अब्बू, पर एक भांजा अपनी खाला के साथ शादी कैसे?” 

दिलावर ख़ान-“शीबा को तूने जनम दिया है। हाँ ये बात और है कि तुझे प्रेग्गनेंट मैंने किया था। पर वो अमन की खाला नहीं, बल्की कजिन हुई। तू क्यूँ फिकर करती है? ये बात सिर्फ़ तू और मैं जानते हैं…” 

अमन खांसता हुआ रूम में दाखिल होता है। उसे देखकर दोनों अपनी बात बदल देते हैं। दिलावर ख़ान का हाल चाल पूछने के बाद उनसे इधर-उधर की बातें करने के एक घंटे बाद अमन उनसे घर जाने की इजाजत लेता है। 

दिलावर ख़ान-“अच्छा बेटा तुम जाओ, तुम्हारे मामू ने खामखाह तुम्हें तकलीफ दी सुबह-सुबह…” 

अमन दिल में-“अगर वो मुझे तकलीफ ना देते तो इतना बड़ा राज मुझे कैसे पता चलता?” और वो बाहर जाने लगता है। 

तभी दिलावर ख़ान उसे कहते हैं के हीना को भी साथ ले जाओ ये बेचारी भी कल रात से मेरी खिदमत कर रही है। 

फिर अमन हीना को लेकर घर की तरफ निकल जाता है। वो पूरे रास्ते हीना से बात नहीं करता। जब अमन हीना के घर पहुँचा तो सुबह के 10:00 बज रहे थे। शीबा ट्यूशन जा चुकी थी। अमन सोफे पे बैठ जाता है। और हीना उसके पास आकर बैठ जाती है। 

हीना-क्या बात है अमन बेटा, चुप-चुप सा है? 

अमन हीना की आँखों में घुरते हुये देखता है और कहता है-“खाला, मैं ये शादी नहीं कर सकता…” 

अमन की ये बात हीना के पैरों के नीचे के ज़मीन खिसका देती है। उसे अपने कानों पे यकीन नहीं होता कि अमन ऐसा कैसे कह सकता है-“अमन बेटा, क्या हुआ? क्या कोई गलती हुई मुझसे या शीबा से? तुम ऐसा क्यूँ कह रहे हो बेटा? बोलो, जवाब दो तुम शादी से इनकार कैसे कर सकते हो अमन बेटा?” बेबसी और उलझन के मिले जुले असर हीना के चेहरे पे साफ बयान हो रही थी। 

अमन-शीबा किसकी बेटी है? 

हीना-“क्या मतलब?” उसके माथे की शिकन बता रही थी कि वो बात समझने लगी थी। वो काँपते होंठों से सिर नीचे झुकाकर धीमी आवाज़ में अमन से कहती है-“मेरी…” 

अमन-“मैंने पूछा उसका बाप कौन है?” अमन की गुर्राने वाली आवाज़ मानो ऐसी लग रही थी जैसे कोई शेर जंगल में अपनी हुकूमत जताने के लिये दहाड़ रहा हो। जब हीना कोई जवाब नहीं देती तो वो उसके बाल पकड़कर खींचता है-“हराम की औलाद है क्या शीबा?” 

हीना से ये जुमला ना-काबिल-ए-बर्दाश्त था। पर अमन का गुस्सैल चेहरा उसे अंदर तक डरा चुका था। उसने इससे पहले अमन का ये रूप नहीं देखा था। वो रो पड़ती है। 

अमन उसके बाल छोड़ देता है, और उसके सामने बैठ जाता है। हीना काफी देर सिसकती रहती है। पर अमन उसे नहीं समझता। 

जब आश्चय़ वाले बादल छट जाते हैं, तब हीना थोड़ा अच्छा महसूस करती है, और अपना चेहरा ऊपर उठाती है। उसे पता चल चुका था कि अमन शायद उसकी और दिलावर ख़ान के बीच की बात सुन चुका है। और ये उसी अमन का रेडी अमन है। 

अमन उसे अपने चेहरे को ताकता देखकर फिर से पूछता है-“खाला, शीबा किसकी बेटी है?” 

हीना-“तुम जानते हो अमन वो किसकी बेटी है। तो क्यूँ पूछ रहे हो?” अगर तुम सुनना ही चाहते हो तो सुनो… वो तुम्हारे नाना जान की बेटी है…” 

अमन वहाँ से जाने के लिये खड़ा हो जाता है। पर हीना की आवाज़ उसके पैर रोक देती है। 

हीना-“जब तुम्हें ये राज पता चल ही गया है, तो ये नहीं जानना चाहोगे कि मैंने ऐसा क्यूँ किया?” 

अमन ताना देने के अंदाज में-“खाला, जिस्म की हवस इंसान को जानवर बना देती है…” 
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05-19-2019, 01:15 PM,
#56
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
हीना बुरी तरह गुस्से में आ जाती है। आख़िरकार अमन ने उसके करक्टर को लेकर ताना दिया था-“मैं कोई बाजारू औरत नहीं हूँ अमन, वो तुम मुझे ऐसे कह रहे हो। मेरी मजबूरी थी। मैं जिस्म की हवस मिटने के लिये तुम्हारे नाना के नीचे नहीं सोई थी…” 

अमन-“खाला, क्या वजह हो सकती है? ज़रा मैं भी तो सुनूं…” 

हीना-“तुम सुनना चाहते हो ना तो सुनो…” 

ये आज से 19 साल पहले की बात है। मेरी शादी को पूरा एक साल हो चुका था, पर मुझे कोई औलाद नहीं थी। तुम्हारे खालू मुझे प्यार करते थे, पर उस प्यार में वो दम नहीं था वो एक औरत को माँ बना दे। एक दिन मैंने तुम्हारे खालू की अम्मी, मेरी सास को ये कहते हुए सुना कि मैं बांझ हूँ और वो तुम्हारे खालू की दूसरी शादी करवाना चाहती हैं। ये बात मुझे अंदर तक तोड़ गई। मेरी मोहब्बत, मेरा भरोसा वो मैं तुम्हारे खालू पे करती थी वो खतम हो गया। 


मैं अपने मायके चली गई वहाँ तुम्हारे नाना ने मुझे बहुत समझाया कि मैं समझदारी से काम लूँ। उस वक्त तुम्हारी नानी भी जिंदा थी। मुझे अच्छी तरह याद है। उस रात मैं अपने रूम में सोई हुई थी। चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। अचानक मुझे किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई दी। 

मैंने जब सामने देखा तो तुम्हारी नानी और नाना मेरे सामने खड़े थे। उस रात तुम्हारी नानी ने मेरे पूरे जिस्म की मालिश की और मुझे नहलाया भी। उसके बाद जब मैं रूम में आई तो पूरा रूम फूलों की पंखुड़ियों से सज़ा हुआ था और बेड पे भी ढेर सारे फूल थे। 

मैंने अम्मी यानी तुम्हारी नानी से पूछा कि ये सब क्या है? 

तब उन्होंने मुझसे वो बात कही वो मैंने ख्वाब में भी नहीं सोची थी। उन्होंने मुझसे कहा कि आज से लेकर पूरे अगले 15 दिनों तक मैं और तुम्हारे नाना यहीं इस रूम में रहेंगे, बिना कपड़ों के। कोई हमें परेशान नहीं केरेगा और इन 15 दिनों में तुम्हारे नाना मुझे प्रेगनेंट करेंगे। और 16 वें दिन वो मुझे मेरी ससुराल छोड़कर आएंगे, वहाँ मुझे कुछ रातें अपने शौहर, यानी कि तुम्हारे खालू के साथ गुजारनी होंगी। उसके बाद उन्हें ये एहसास दिलाना होगा कि तुम्हारे खालू ने मुझे प्रेगनेंट किया है। 

अमन ये सब सुनकर एकदम खामोश हो चुका था। उसका गुस्सा गायब हो चुका था और एक नया बदलाव ये हुआ था कि उसका लण्ड पैंट में तंबू हो गया था। वो सोफे पे बैठ जाता है, और हीना का हाथ पकड़कर उसे अपने पास खींच लेता है। और पूछता है-आगे क्या हुआ? 

हीना-मतलब… मैं प्रेगनेंट कैसे हुई? 

अमन-“सब कुछ साफ-साफ सुनना है मुझे, तभी मैं अपना फैसला बदलने के बारे में सोचूँगा…” 

अमन की आवाज़ हीना की समझ में आ चुकी थी। वो जान गई थी कि अमन क्या सुनना चाहता है? और वो भी उसे सब कुछ खुलकर बताना चाहती थी। पर इस वक्त शीबा के आने का वक्त हो गया था। वो अमन की आँखों में देखती है, और धीरे से कहती है-“अगर तुम सब सुनना चाहते हो तो तुम्हें आज रात यहाँ आना होगा। मैं तुम्हें सब कुछ सच-सच बताऊँगी कि कैसे मैंने अपनी जिंदगी के वो 15 दिन काटे? अभी शीबा आती ही होगी…” 

अमन कुछ सोचते हुए-“ठीक है। मैं रात 8:00 बजे आऊँगा और साथ में नींद की टेबलेट भी लाऊँगा, ताकी तुम शीबा को सुलाकर मुझे अच्छे से सुना सको…” दोनों के आँखों में एक अजीब सी चमक थी और दिल-ए-नादान भी धड़कना भूलकर मचलने लगा था। 

हीना उससे कहती है-तुम क्या सब कुछ सुनना चाहते हो? 

अमन-हाँ। 

हीना-“मुझमें कई राज हैं बतलाऊँ क्या? मुद्दतों से बंद हूँ, खुल जाऊँ क्या?” 

अमन मुस्कुराता हुआ वहाँ से चला जाता है, और हीना को एक नया दर्द दे जाता है। उसे ये एहसास तो हो गया था कि शायद अमन अब शीबा से शादी के लिये इनकार ना करे। पर अब उसे एक और डर सताने लगा था कि कहीं अमन सब सुनने के बाद?? 
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05-19-2019, 01:15 PM,
#57
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जब अमन घर पहुँचा तो रजिया खाना बना रही थी और अनुम अपने रूम में सोई हुए थी, रात की थकी हुई वो थी बेचारी। 

अमन रजिया को पीछे से पकड़ते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी चूची मसलने लगता है। 

रजिया-“ऊऔउच… क्या जी डर गई ना मैं? अह्म्मह… चुभता है ना…” 

अमन-“ह्म्मम्म्म्म… क्या मेरी जान? 

रजिया-“आपका ए॰के॰47…” 

अमन हँसते हुए रजिया का ब्लाउज खोलने लगता है-“तुझे कितनी बार कहा मैंने कि घर में ये सब नहीं पहना कर…” 

रजिया-“अच्छा बाबा, अब नहीं पहनूंगी…” 

अमन रजिया की ब्लाउज और साड़ी दोनों खोल देता है, और उसे सिर्फ़ लहंगे और पैंटी में खाना पकाने देता है। रजिया ऊपर से पूरी नंगी थी। उसकी चूत में सरसराहट सी होती है। और वो अमन को अपने से खींचकर चिपका लेती है। और अमन के कानों में धीरे से कहती है-“हैपी वेलेनटाइन डे जानू…” 

अमन भी ये सुनकर उसे अपनी बाहों में समेट लेता है। और दोनों लव बड़्स देखते ही देखते पूरे नंगे हो जाते हैं। अमन रजिया को किचिन की शेल्फ से खड़ा कर देता है। और उसे झुकाकर पीछे से अपना खड़ा लण्ड उसकी चूत में पेल देता है। 

रजिया-“अह्म्मह… आराम से ना जी…” और चिल्लाने लगती है-“अह्म्मह… ओये अम्मी जी अह्म्मह… उंह्म्मह…” 

अमन पे तो जैसे हीना की बातों का भूत सवार था वो सटासट-सटासट रजिया की चिल्लाने की परवाह किए बिना अपने लण्ड को रजिया की चूत की गहराईयों में उतारने लगता है-“अह्म्मह… चोदने दे ना मेरी जान अह्म्मह… हमारे बेटे को इसकी ज़रूरत है… हाँ अह्म्मह…” उसके धक्कों की रफ़्तार तेज होने लगती है, और 10 मिनट बाद दोनों माँ-बेटे एक साथ झड़ने लगते हैं। 

जब वो अपने साँसें संभालकर दरवाजे की तरफ देखते हैं तो हैरान रह जाते हैं। सामने रेहाना और फ़िज़ा खड़ी थीं। सामने खड़ी रेहाना और फ़िज़ा के चेहरे पे एक अजीब सी खुशी थी। 

अमन रेहाना को आवाज़ देकर अपने पास बुलाता है। 

रजिया अभी भी नंगी अमन से चिपकी हुई थी। 

रेहाना अमन के पास आ जाती है। अमन उसे अपनी छाती से चिपका लेता है, एक तरफ रजिया और दूसरी तरफ रेहाना। दोनों औरतें अमन की आँखों में देखने लगती हैं। ये एक ऐसा मंज़र था वो हर किसी को नशीब नहीं होता। अमन वो खुश-किस्मत इंसान था जिसे अपने ही घर में वो सारी खुशियाँ मिली थीं, वो शायद बहुत काम लोगों को नशीब होती हैं। 

अमन रजिया और रेहाना को अपनी चौड़ी छाती से और जोर से चिपका लेता है, और धीरे से पहले रजिया और फिर रेहाना के होंठों को चूमता है-“आज से तुम सभी मेरी अमानत हो। आज से रेहाना तू और फ़िज़ा यहीं हमारे साथ रहोगी इसी घर में। तुम देख चुकी हो कि रजिया और मेरे बीच कौन सा रिश्ता है? अब तुम्हें एक दूसरे से शरमाने की ज़रूरत नहीं है। बस सभी प्यार से रहो और एक दूसरे की ज़रूरत का खयाल रखो। ठीक है ना… रजिया?” 

रजिया रेहाना की आँखों में देखते हुए-“जैसा आप कहें जानू…” 

और रेहाना भी इकरार में सर हिला देती है। 

अमन फ्रेश होकर फैक्टरी चला जाता है। 

फिर रजिया के रूम में चारों औरतें बैठकर बातें करने लगती हैं। अभी थोड़ी झिझक बाकी थी। जब तक अमन इन चारों को एक साथ एक बिस्तर पे नहीं चोदता, तब तक ये एक दूसरे से खुलकर बातें नहीं कर सकती थीं और सभी को इसी रात का इंतजार था। 

अमन का दिल फैक्टरी में नहीं लग रहा था। उसे रह-रहकर हीना की बातें याद आ रही थी। वो हीना के सेल पे रिंग करता है। 

हीना-हेलो। 

अमन-कैसी हो खाला जान? 


हीना-ठीक हूँ अमन। 

अमन-“सुनो, मैं थोड़ी देर में वहाँ आ रहा हूँ। शीबा क्या कर रही है?” 

हीना-वो पढ़ाई कर रही है। 

अमन-“इस वक्त 7:00 बजे रहे है। मैं एक घंटे में वहाँ पहुँचूंगा। ठीक है ना?” 

हीना-“ओके…” हीना का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। वो अपने रूम में जाकर एक बेड पे बैठ जाती है। उसे अमन ने ऐसे कहा था कि मैं एक घंटे में आ रहा हूँ। जैसे वो आकर हीना को चोदेगा। वो अलमारी में कुछ ढूँढ़ने लगती है। तभी उसे वो मिल जाता है, जिसे देखकर उसकी आँखें चमक जाती हैं। 
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05-19-2019, 01:16 PM,
#58
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन फैक्टरी से निकलकर मेडिकल शाप पहुँचता है। और वहाँ से नींद की टेबलेट लेकर हीना के घर की तरफ निकल जाता है। जब वो हीना के घर पहुँचता है, तब 8:00 बज रहे थे। 

दरवाजा शीबा खोलती है, और इस वक्त अमन को यहाँ देखकर थोड़ा चकित हो जाती है। फिर उसे खयाल आता है, और वो दरवाजे के सामने से हटकर अमन को अंदर आने देती है। 

शीबा के चेहरे पे हया के बादल छाये हुए थे। 

अमन-कैसी हो? 

शीबा-जी ठीक हूँ। आप कैसे हैं? 

अमन-एकदम ठीक। खाला कहाँ हैं? 

शीबा-जी वो शायद किचिन में होंगी। आप बैठिए मैं अम्मी को बुलाकर लाती हूँ। 

अमन सोफे पे बैठ जाता है। कुछ देर बाद हीना और शीबा वहाँ आती है। दोनों के दिल की धड़कनें तेज थीं। पर वजह अलग-अलग थी। कुछ देर इधर-उधर की बातें करने के बाद शीबा अपने रूम में चली जाती है। उसे वहाँ अमन के सामने शरम आ रही थी। 

अमन शीबा के जाने के बाद वो नींद वाली टेबलेट हीना को थमा देता है-“इसे शीबा के दूध में मिलाकर उसे देकर आओ…” 

हीना किसी वफ़ादार नौकरानी की तरह ऐसा ही करती है। 

शीबा को दूध पिये आधा घंटा हो चुका था। जब अमन शीबा के रूम में जाकर देखता है तो वो गहरी नींद में सो चुकी थी। उसके चेहरे पे उसकी जुल्फे बिखरी हुई थीं। अमन को उसपे बहुत प्यार आता है, और वो झुकके शीबा के होंठों को चूम लेता है। 

तभी पीछे से हीना के खखारने की आवाज़ आती है। 

अमन हीना को मुस्कुराकर देखता है, और दोनों हीना के रूम की तरफ चल देते हैं। रूम में पहुँचकर अमन दरवाजा बंद कर देता है, और बेड पे ठीक से बैठ जाता है। हीना अभी भी सामने खड़ी थी। अमन उसे बेड पे बैठने के लिये कहता है। और हीना धड़कते दिल के साथ बेड के एक कोने पे बैठ जाती है। ये मसचुयेशन थोड़ी आकवर्ड सी महसूस हो रही थी हीना को। पर उसे अपनी सफाई में कुछ कहना था। उसके बाद क्या होगा ये सिर्फ़ अमन जानता था। 

अमन-“हाँ तो खाला बोलिये…” 

हीना किसी सपने से जागते हुए-क्या बोलूं? 

अमन-“सब कुछ सुनना है मुझे…” उसकी आवाज़ में नरमी नाम की चीज़ नहीं थी। 

हीना-“अमन वो हुआ उसे एक बुरा ख्वाब समझकर भूल जाओ प्लीज़… और जिंदगी की नई शुरुआत करो। मैं भी इंसान हूँ, और ग़लतियाँ इंसानों से ही होती हैं…” 
अमन-पहले इधर आ। 

हीना-क्या? 

अमन-“सुनी नहीं… मैंने कहा इधर आ…” वो जोर से चिल्लाया। 

जिससे हीना बुरी तरह डर गई और उसके कदम अमन की तरफ बढ़ते चले गये। अमन हीना का हाथ पकड़कर अपने पास खींच लेता है। और हीना धड़ाम से अमन की छाती से जा टकराती है। 

हीना-“छोड़ो ना अमन, ऐसे भी कोई करता है अपनी खाला के साथ?” 

अमन हीना को दबोचते हुये-“तो जैसा नाना ने किया था, वैसे करूं?” 

मारे शरम के हीना पानी-पानी हो जाती है। ओर उसका ऐतराज खतम हो जाता है। वो अमन की छाती से चिपकी हुई थी और अमन उसकी कमर को पकड़े हुए था। 

अमन-“चलो बताओ कि नानी और नाना ने जब तुमसे वो 15 दिनों तक एक रूम में रहने के लिये कहा, उसके बाद क्या हुआ?” 

हीना कांपती हुए आवाज़ के साथ बोलना शुरू करती है। 

तुम्हारी नानी ने मुझसे ऐसे बात कही थी वो मेरे लिये नकबिल-ए-बर्दाश्त थी। मैंने उनसे बहुत बहस की पर आख़िरकार मुझे उनकी बात माननी पड़ी। उन्होंने मुझे समझाया कि अगर मैं ऐसा करती हूँ तो मेरा घर उजड़ने से बच जाएगा और मेरे माँ बनने से तुम्हारे खालू दूसरी शादी नहीं करेंगे। मुझे उस वक्त सबसे ज्यादा टेंशन तुम्हारे खालू के दूसरी शादी करने की बात से हो रही थी। अमन मुझे मेरी अम्मी की बात कुछ हद तक सही लगी, और इसीलिये मैंने उनकी बात मान ली। 

अमन-फिर क्या हुआ? 

हीना शरमाने लगती है-वहीं जो होता है। 

अमन उसकी कमर दबाते हुए-बोलो ना खाला कैसे हुआ? 

हीना-“अमन समझो ना बेटा मुझे शरम आती है…” 

अमन-“ठीक है। मत बताओ कल मैं जब शादी से इनकार कर दूंगा तब वजह भी बता दूँगा…” 

हीना थोड़ी परेशान होते हुए-क्या सुनना चाहते हो तुम? 

अमन-यही कि नाना ने आपको कैसे चोदा? 

अमन के मुँह से चोदा शब्द सुनकर हीना का बुरा हाल हो जाता है, और वो वहाँ से भाग जाना चाहती है। पर अमन हीना को घुमा कर अपने नीचे कर लेता है। जिससे अमन को खड़ा लण्ड उसकी जाँघ में चुभने लगता है। उस चुभन का असर हीना के मुँह से एक सिसकी के रूप में निकलता है। 

हीना-“उंह्म्मह… क्या तुम सच में सुनना चाहते हो बेटा?” 

अमन-“हाँ… एक-एक लम्हा वो तुमने और नाना ने साथ गुजारा…” 

हीना-“तुम्हारी नानी मुझे और तुम्हारे नाना को एक रूम में बंद करके बाहर चली गईं। मुझे उस वक्त बहुत शरम आ रही थी। मैं सिर्फ़ चोली घाघरे में थी। तुम्हारे नाना एक एक्सपर्ट निकले। उन्होंने मुझे बेड पे लेटा दिया। हम दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे थे उस वक्त। उन्होंने मेरी चोली को पीछे से खोलकर मेरे जिस्म से अलग कर दिया। उसके बाद मेरा घाघरा भी खींच लिया। और मैं पूरी नंगी हो गई थी। 

पहला शब्द वो उनके मुँह से निकला वो था-“हीना बेटा, यहाँ आओ और ज़रा अब्बू के लण्ड को चूसो…” 
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05-19-2019, 01:16 PM,
#59
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
मैं हैरान थी कि अब्बू ऐसा बोल रहे हैं। मेरी हालत उस वक्त ऐसी थी जैसे कोई गुलाम अपने मालिक का हर हुक्म मानने के लिये वहाँ हो। मैंने उनका लौड़ा अपने मुँह में लिया। उसके बाद उन्होंने मेरी चूत को रगड़कर चाटा। तुम्हारे नाना का लौड़ा बहुत मोटा है। अमन, जब मैंने उसे अपने मुँह में लिया तब वो मेरे गले में अटक गया था। ये पहली बार था जब मैंने अपने मुँह में लण्ड लिया था। 

अब्बू ने मुझे अपने नीचे लेकर पूरी ताकत से मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं चिल्लाती रही पर उन्हें मुझपे कोई तरस नहीं आया। मेरी चूत वो तुम्हारे खालू के छोटे से लण्ड की आदी थी, वो इतने मोटे लण्ड की मार से चिर सी गयी थी। 

उन्होंने मुझे समझाते हुए चोदना चालू रखा। ये सिलसिला रात भर चला और अगले 15 दिन तक अब्बू मुझे चोदते रहते। हम दोनों उस रूम में नंगे ही रहते थे। अम्मी हमें खाना देने आती थी और मेरी चूत की मालिश कर देती थी। टायलेट बाथरूम उसी रूम में अटैच्ड था। 

उन 15 दिनों की चुदाई ने मुझे एहसास दिलाया था कि मर्द का लौड़ा क्या-क्या कर सकता है। मैं प्रेग्गनेंट हो गई थी, क्योंकी मुझे एम॰सी॰ पीरियड नहीं आई थी। हीना ने जानबूझकर चूत चुदाई जैसा शब्द इश्तेमाल किया। वो अमन को खुलकर किस वजह से बता रही थी, ये अमन भी जान चुका था। 

अमन-“ह्म्मम्म्म्मम… तो ऐसे आपकी चूत ने नाना का लण्ड 15 दिनों तक खाया?” 

हीना-ह्म्मम्म्म्म। 

अमन-अब मेरा खाएगी। 

हीना-क्या बेटा? 

अमन-लौड़ा खाला। 

हीना कसमसाते हुए-“नहीं… ना बेटा, मैंने वो किया वो तुम्हें बता दिया। इसीलिये कि तुमने सब सुन लिया था और शादी से इनकार कर रहे थे। इसका मतलब ये नहीं कि मैं तुम्हारे साथ भी वो सब करूँगी…” 

अमन हीना की चूची मरोड़ते हुए-“साली, मुझे क्या बेवकूफ़ समझी है? मैंने तुझे इतनी डीटेल में तेरी चुदाई सुनाने को कहा था क्या? कमीनी, तूने जानबूझकर मुझे ये सब सुनाई। अब देख मेरे लण्ड का क्या हाल हो गया है? और अमन अपनी पैंट नीचे करके हीना को अपना मूसल लण्ड दिखाने लगता है। 

हीना की आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। उसने इससे पहले इतना मोटा और लंबा लण्ड नहीं देखा था-“ये क्या है? अमन, तुम इसे मेरे अंदर डालना चाहते हो? नहीं नहीं मुझसे ये नहीं होगा…” 

अमन-“ऐसे कैसे नहीं होगा खाला जान…” ये कहते हुए अमन अपने होंठ से हीना के होंठ चूसता चला जाता है। और दोनों हाथों से हीना की शलवार खोल देता है। उसने पैंटी नहीं पहनी थी। ऊपर का कमीज़ उतारते ही वो पूरी तरह नंगी हो जाती है-“साली, अंदर कुछ नहीं पहनी और नखरे करती है। अगर प्यार से दोगी तो प्यार से करूँगा और अगर नखरे करोगी तो जबरदस्ती करना मुझे आता है…” 

हीना तो शायद पहले से ही तैयार थी। उस वक्त से जब अमन की बर्थ-डे पे अमन ने उसे अपने सीने से लगाकर हवा में उठाया था। उस वक्त से हीना की चूत ने फैसला कर लिया था कि एक ना एक दिन वो अमन के लण्ड को ज़रूर गटक जाएगी। 

अमन-बोलो खाला जान, कैसे करूँ? 

हीना अमन को नीचे कर लेती है, और बिना कुछ बोले उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लेती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प… प्यार से करो बेटा… प्यार से चोदो अपनी खाला सास को… गलप्प्प… गलप्प्प…” 

अमन का लण्ड पहले से तना हुआ था और ऊपर से हीना के नाज़ुक होंठ कहर बरपा रहे थे। वो हीना को 69 की पोजीशन में कर लेता है, और उसकी चिकनी चूत पे जीभ फेरते हुए चाटने लगता है-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” दोनों पागलों की तरह एक दूसरे की चूत और लण्ड को चाट-चाट के लाल करने पे तुले हुए थे। 

हीना-“अह्म्मह… अमन बेटा, चोद ना अपनी खाला को… तरस गई है मेरी चूत कई सालों से लौड़े के लिये… मत तरसा बेटा… आह्म्मह…” 

अमन भी हीना की बात मान लेता है, और हीना को अपने नीचे लेकर उसकी जांघें खोल देता है। उसका लण्ड हीना ने काफी गीला कर दिया था। वो हीना की आँखों में देखते हुए पूछता है-“इजाजत है खाला जान?” 

हीना-“हाँ… इजाजत है अह्म्मह… अह्म्मह… अह्म्मह… अह्म्मह… ऊइईई मैं तो गये रे जालिम… मेरी चूत फट जाएगी उंह्म्मह… निकल ले रे… कुत्ते हरामी अह्म्मह…” 

अमन ने इजाजत सुनते ही अपना लण्ड हीना की चूत में पेल दिया था। कई सालों से सुनसान पड़ी इस ज़मीन में जैसे किसी ने हल जोत दिया हो। वो चिल्लाने लगती है। पर उसकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं था, वो उसे अमन के लण्ड से बचा सके। पर ये दर्द हीना को अंदर ही अंदर मज़ा देने लगा था। अपने जवान भान्जे से चुदना हर खाला का नशीब नहीं होता। ये सोच-सोचकर हीना की चूत पानी छोड़ने लगती है। 

और अमन बड़े प्यार से मगर दमदार अंदाज में हीना को चोदने लगता है-“अह्म्मह… खाला बहुत टाइट चूत है आपकी… मेरा लण्ड फँस रहा है। अह्म्मह…” 

हीना-“उंह्म्मह… चुदी नहीं ना बेटा… कई सालों से… इसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था ना… अब तू आ गया है मेरा लाल… अपनी खाला की चूत का मालिक अह्म्मह… मुझे खोल दे रे हरामी… अंदर तक खोल दे अह्म्मह…” वो दोनों एक दूसरे को नोंचते खरोंचते गालियाँ देते हुये चुदाई का मज़ा ले रहे थे। 
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05-19-2019, 01:16 PM,
#60
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन हीना की सुडौल चूची को मुँह में भर-भर के निपल्स को काट-काट के हीना की चुदाई किए जाता है। हाँ हाँ खाला मैं चोदा करूँगा, अपनी खाला सास को… रोज ऐसे ही… बोलो चुदोगी ना मुझसे? अह्म्मह…” 

हीना-“हाँ मेरे बच्चे… रोज ऐसे ही… रात दिन बस चोदते रहना मुझे उंन्ह…” दोनों क्या बोल रहे थे वो खुद भी नहीं जानते थे। कभी एक दूसरे को गालियाँ देते, कभी सालों साल चुदाई के जादे करते, पर अपनी चूत की आग बुझने से हीना बहुत खुश थी। 

वहीं अमन को एक और चूत मिल गई थी। 

दोनों एक दूसरे को चूमते हुये झड़ने लगते हैं। अमन ने कहा-“खाला, कहाँ निकालूं पानी अपना आह्म्मह…” 

हीना-“बेटा, अंदर ही निकाल दे, मेरा आपरेशान हो चुका है अह्म्मह… सुखी ज़मीन पे बारिश कर दे बेटा अह्म्मह…” 

10 मिनट बाद वो दोनों अपनी साँसें संभालते हैं और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते हैं। हीना अमन के ऊपर चढ़ जाती है, और उसकी छाती पे अपना सर रखकर अमन की छाती के बालों से खेलने लगती है। 

अमन हीना की कमर दबाने लगता है-“अह्म्मह… बहुत नरम है। खाला आपकी कमर एकदम मखमल है…” 

हीना-“ऊइईई माँ… क्या कर रहे हो अमन बेटा?” 

अमन-“देख रहा हूँ सील पैक है, या नाना तुम्हें पीछे से भी पेले थे क्या?” और वो अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डाल देता है। 

हीना-“अह्म्मह… नहीं, वहाँ नहीं कुछ करो दर्द होता है। अह्म्मह…” 

अमन-“तेरी बहन को चोदूं। नाटक करने वाली को तो मैं वहीं चोदता हूँ, जहाँ वो मना करती है। अब तेरी लेकर ही रहूँगा पीछे से…” 

हीना डर के मारे सहम जाती है। वो कितने दिनों बाद आगे से ले रही थी, और उसी दिन पीछे से भी… उसका जिस्म कांप जाता है, जब अमन एक जोरदार थप्पड़ हीना की गाण्ड पे रसीद कर देता है-“सटाक्क…” 

हीना-“अह्म्मह… नहीं अमन बेटा, मेरा अच्छा बच्चा है ना… अपनी खाला को इतना दर्द मत दे रे अह्म्मह…” 

अमन-“सटाक्क… ठीक है, आज रहने देता हूँ। पर अगली बार ज़रूर लूँगा, ये वादा है मेरा… सटाक्क…” ये तीसरा जोरदार थप्पड़ था वो हीना की गाण्ड लाल टमाटर की तरह कर देता है। अमन हीना की चूची मसलने लगता है। और हीना रोआंसी हो जाती है। उसके लिये ये सब नया था। वो तो कभी सोच भी नहीं सकती थी कि अमन इतना चुदक्कड़ इंसान निकलेगा। 
हीना-एक बात पूछूँ अमन? 

अमन-“हाँ पूछो ना खाला जान्…” 

हीना-“कहीं तुमने बाजी को भी तो नहीं?” 

अमन-“हाँ… अम्मी को भी, चाची को भी, अनुम और फ़िज़ा को भी पेल चुका हूँ। क्यों?” 

हीना मुस्कुराते हुए-“मुझे पहले से शक था। आख़िरकार खून अपना असर तो दिखाएगा ही ना?” 

अमन चौंकते हुए-क्या मतलब है तेरा? 

हीना समझ गयी कि उसे वो राज नहीं पता है। वो बात बदलने की कोशिश करती है। पर अमन उसका चेहरा पकड़कर अपनी आँखें उसकी आँखों में गड़ा देता है-“बोल तेरा बोलने का क्या मतलब था? ‘खून अपना असर तो दिखायेगा ही’ बोल साली वरना…” और अमन हीना के बाल पकड़कर उसे उल्टा बेड पे लेटा देता है, और पीछे से अपना लण्ड उसकी कमर पे मारने लगता है, जिससे उसका लण्ड और अकड़ जाता है। 


हीना-“अह्म्मह… मैं तो मज़ाक कर रही थी बेटा अह्म्मह… नहीं, वहाँ नहीं अह्म्मह…” 

अमन-ठीक है, मत बोल… और वो अपने लण्ड पे थूक लगाकर उसकी नाज़ुक कमर के बीच में रगड़ने लगता है। अह्म्मह… अब भी वक्त है, बोल दे हीना वरना?” 

हीना-“अह्म्मह… सच कोई बात नहीं। अमन बेटा मेरा भरोसा कर अह्म्मह…” 

अमन-“तू ऐसे नहीं मानेगी खाला, ये ले… अह्म्मह…” 

और वहीं हुआ जिसका हीना को डर था। अमन उसकी नाज़ुक सी छोटी सी गाण्ड को भी अंदर तक खोलता चला गया। हीना का बुरा हाल था। एक तो अमन अंदर तक पेल रहा था और ऊपर से सटासट थप्पड़ भी मार रहा था-“उंह्म्मह… हरामी की औलाद… छोड़ दे मुझे… हाय मेरी गाण्ड चिर गयी है। अह्म्मह…” 

अमन-“तेरी मारनी थी कल, पर तूने मुझे गलत बात बोली तो आज की सज़ा आज अह्म्मह… बहुत मज़ा आ रहा है खाला अह्म्मह… नाना से भी ऐसे ही मरवाती थी क्या?” 

हीना गुस्से में तिलमिला जाती है। अमन जब से उसके पास था उसे दिलावर ख़ान के बारें में बोल-बोलकर टॉर्चर कर रहा था। आख़िरकार एक औरत कब तक बर्दाश्त कर सकती है। वो चीखी और उसने वो बात कही वो अमन के लण्ड से लेकर गाण्ड तक को हिला गई। 

हीना-“अह्म्मह… हरामी, तेरी अम्मी से पूछना कि वो कैसे लेती थी तेरे नाना का लण्ड अपनी चूत में और… गाण्ड में अह्म्मह… तू कौन सा अपने बाप की औलाद है? अह्म्मह… तू और तेरी बहन दोनों को मेरे बाप ने पैदा किया है, हाँ हरामी अह्म्मह…” 

अमन पक्क से हीना की गाण्ड से लण्ड खींचकर बाहर निकाल लेता है, और हीना को सीधा करके पूछने लगता है-“खाला, आप झूठ बूल रही हो ना मुझे सताने के लिये?” 

हीना अपनी कमर को नचाते हुए-“क्यूँ? अब अपने पे आई तो झूठ लग रहा है? हाँ ये सच है। अरे तेरे अब्बू और चाचा दोनों ना-मर्द थे, वो क्या औलाद पैदा करेंगे? वो तेरे नाना थे, जिन्होंने इस खानदान को चलाये रखा। मेरी बात का भरोसा न हो तो जा पूछ ले अपनी अम्मी से और चाची से कि तू, अनुम और फ़िज़ा किसकी औलाद हैं? और तेरी चाची कैसे भागती हुए चली जाती है, मेरे अब्बू से मिलने। जब उनकी तबीयत ज़रा सी भी खराब होती है। जा पूछ जाकर?” 

अमन के होश गुम थे। उसे अपने कानों पे यकीन नहीं आ रहा था। तभी उसके मोबाइल पे रजिया का काल आता है, और वो काल रिसीव करता है। 

रजिया-हेलो, कहाँ हो? 

अमन-हीना के घर पे। 

रजिया-तुम्हारी खाला हीना ना… तुम उसका नाम क्यूँ ले रहे हो? 

अमन-क्योंकी मैंने अभी-अभी उसकी ली है। 

रजिया चौंक जाती है। उसे यकीन नहीं होता कि अमन ने हीना को भी चोद दिया। 

अमन-“मैं घर आ रहा हूँ, तुझसे कुछ सवाल पूछने हैं?” 

रजिया-कैसे सवाल? 

अमन-तेरे और नाना के रिश्ते के बारें में? 

रजिया के हाथ से मोबाइल नीचे गिर जाता है, और वो जैसे बेहोश सी होने वाली थी कि तभी रेहाना उसे थाम लेती है। 

रेहाना-“क्या हुआ बाजी? क्या कहा अमन ने? वो ठीक तो है ना…” 

रजिया-“उसे सब पता चल गया। हीना ने उसे सब बता दिया…” 

रेहाना अपने मुँह पे हाथ रखकर फटी-फटी आँखों से रजिया का मुँह ताकने लगती है-“अब क्या होगा बाजी?” 

रजिया-“मुझे नहीं पता? अमन यहाँ पहुँचने वाला है कुछ ही देर में…” 

अमन हीना को देखते हुए कपड़े पहनने लगता है। हीना को बहुत बुरा लग रहा था और फिकर भी हो रही थी कि अमन घर जाकर कुछ उल्टी सीधी हरकत ना कर दे। वो अमन को समझाना चाहती थी। पर अमन पे अभी कुछ और ही सवार था। वो अपने कपड़े पहनकर सीधा घर की तरफ निकल जाता है। 

अमन कार बहुत तेज चला रहा था। वो तो उड़कर रजिया की पास पहुँच जाना चाहता था। वो आज हर एक राज रजिया से उगलवाना चाहता था। उसे रजिया पे बे-इंतेहा गुस्सा आ रहा था। 

जब वो घर में पहुँचा तो रजिया और रेहाना उसी के रूम में बैठी हुई थीं। उन दोनों के चेहरे सफेद पड़े हुए थे। साफ नज़र आ रहा था कि उन्हें आने वाले तूफान की भनक लग चुकी थी। रजिया ने दूध में नींद की गोलियाँ मिलाकर कुछ देर पहले ही अनुम और फ़िज़ा को सुला दिया था। वो नहीं चाहती थी कि अमन का दहाड़ना दोनों लड़कियों को सुनाई दे। 
अमन सीधा रजिया की तरफ बढ़ता है। उसकी चाल देखकर रेहाना उठकर अमन को पकड़ने लपकती है। पर अमन की आँखें आग उगल रही थीं। वो अपने तरफ आती रेहाना को एक जोरदार चाँटा रसीद कर देता है। जिससे वो दूर जाकर बेड पे गिर जाती है। उसके मुँह से खून बहने लगता है। 

अमन-“खबरदार… छिनाल लौंडी अगर तू बीच में आई तो तुझे भी जान से मार दूंगा…” 

रेहाना रोआंसी हो गई थी। आँसू और खून उसके चेहरे पे एक साथ बह रहे थे। 

रजिया-“मेरी बात सुनो प्लीज़… कुछ करने से पहले मेरी अह्म्मह… अह्म्मह…” 

अमन ने रजिया की गर्दन अपने दोनों हाथों में पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था। वो तो उसे जान से मार देना चाहता था। अमन चीखते हुए-“छिनाल रंडी, तूने अपने बाप का लेकर मुझे पैदा किया है। कितनी छिनाल है तू… मैं तुझे क्या समझता था और तू क्या निकली? आज मैं तुझे जान से मार दूंगा…” 

रेहाना लपक के अमन को पीछे धकेलती है। उसे पता था कि अमन की हालत क्या है? अगर वो बीच में नहीं आती तो आज रजिया को अमन के हाथों कोई नहीं बचा सकता था। 
अमन बेड के एक कोने में बैठकर चिल्लाने लगता है-“तुम दोनों बाजारू औरतों से भी बदतर हो। साली, मैं तुम दोनों की सूरत भी नहीं देखना चाहता। निकल जाओ यहाँ से…” अमन का गुस्सा जायज़ था। जब किसी इंसान को ये पता चले की वो नाजायि है। तो उसकी वो हालत होती है, वो एक आम इंसान कभी भी महसूस नहीं कर सकता 
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