Antarvasna कामूकता की इंतेहा
08-25-2020, 01:14 PM,
#50
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
अब मुझे यों लग रहा था कि ये मुझे मार देंगे आज!
लेकिन आपको भी पता है कि ऐसे चुदाई से कोई लड़की नहीं मरती.

खैर उसके इतने तेज़ और शक्तिशाली वार के बावजूद भी लौड़ा 4-5 इंच ही अंदर गया था. इस शॉट से दर्द काले को भी हुआ था, जिसके कारण उसके मुंह से निकला- साले, छिल गया मुझे लगता है, इसकी तो हालत खराब हो गयी है, क्या करूँ.

लेकिन ढिल्लों ने मुझपर कोई रहम न दिखाया और उससे कहा- पूरा जाने दे अंदर, कुछ नही होगा, बस 2-3 मिनट चीखेगी.

दरसअल ढिल्लों मेरी गांड मार चुका था लेकिन अब मुझे अच्छी तरह से पता चल चुका था काले का लौड़े उससे मेरी उम्मीद से ज़्यादा मोटा है.

खैर काले ने उसकी बात मान कर दांत भींच लिए और 5-6 घस्सों की जबरदस्त मेहनत के बाद एक आखरी घस्सा मारा और जब उसके टट्टे मेरे पिछवाड़े से टकराये तो मैं आधी बेहोशी की हालत में चली गयी और मैं चाहते हुए भी न चीख सकी.

जब काले का लौड़ा पूरी तरह मेरी गान्ड में पेवस्त हो गया तो वो वैसे ही रुक गया और उसने ढिल्लों से कहा- जड़ तक पेल दिया है, आने दे तू भी!

यह सुनकर ढिल्लों के जिस्म में हरकत हुई और उसने मुझे हल्का सा ऊपर उठा कर अपना लौड़ा मेरी फुद्दी पर सैट किया और मुझे आराम से अपने ऊपर बैठा लिया ताकि लौड़ा बाहर ना निकले.

तो दोस्तो अब एक बार फिर मेरी धुआंधार डबल चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया.

दोनों दोस्त बड़े माहिर खिलाड़ी थे. पहले दो चार मिनट तो वे मुझे आराम से धीरे धीरे चोदते रहे क्योंकि उनको पता था कि डबल चुदाई में औरत की मां भी चुद जाती है.

2-4 मिनट इसी तरह धीरे धीरे चोदते हुए एकदम काले ने अपना पूरा लौड़ा झटके से बाहर निकाल लिया और कहा- रुक यार ढिल्लो, छिल गया है भेंचो.

ये कहकर वो जल्दी जल्दी उठा और सरसों के तेल की उठा लाया और सीधे मेरी गांड खोल कर अन्दर उड़ेल दी. जितना तेल मेरी गांड की गहराई में जा सकता था गया, और जब तेल बाहर रिसने लगा तो उसने शीशी का मुंह गांड से बाहर निकाल लिया.

दरअसल दर्द से तो मेरा भी बुरा हाल था और जैसे ही मैंने काले के इरादे को समझा तो मैंने गांड पूरी तरह ढीली छोड़ दी ताकि ज़्यादा से ज़्यादा तेल अंदर जा सके और दर्द कम हो.
मेरी इस हरकत के कारण शीशी का काफी तेल अंदर चला गया और लगभग 10-15 सेकेंड के बाद तेल बाहर शुरू हुआ.

खैर अब मुझे भी अब तसल्ली हो गई थी कि मेरी गांड को अच्छी तरह ग्रीस कर दिया गया था और अब पौने फुट का मोटा काला पिस्टन अच्छी तरह मेरी सर्विस करेगा.

तो चलो उन दोनों ने अच्छी तरह से घोड़ी को तांगे पर जोड़ लिया और मुझे आराम से पेलने लगे.
एक बार फिर उन्होंने पहले लगभग 5-7 मिनट मुझे बड़े प्यार से पेला.

इसके बाद ढिल्लों ने काले से कहा- एक एक करके!

मुझे पहले तो बात समझ नहीं आई लेकिन अगले ही पल मेरी चुदाई इस तरह होने लगी कि जब काला अपना लौड़ा लगभग टोपे तक बाहर निकाल लेता तो ढिलों अपना मूसल जड़ तक फुद्दी में पेल देता और जब धिलों का लौड़ा बाहर निकलता तो काला गांड की गहराई तक अपना पिस्टन ठोक देता.

इसी तरह दो तीन मिनटों के बाद उनकी स्पीड पूरी तेज ही गई और मैं कामुकता के समंदर में एक बार फिर गोते लगाने लगी.

अगले पांच सात मिनट में उन दोनों की ताल बिल्कुल सैट हो गई और वो मुझे पूरा ज़ोर लगाकर ठोकने लगे.

दरअसल दोस्तो, पहले तो मैं उन दोनों से एकसाथ इस हालत में चुदाई करवाने से डर रही थी लेकिन अब तो मैं हवा में उड़ने लगी थी. मेरी सारा वजूद फुद्दी और गांड में आके सिमट गया था.
अब मेरी ठुकाई इतनी तेज़ी से हो रही थी कि मुझे पता ही नहीं कब फुद्दी में लौड़ा जा रहा है और कब गांड में. बस नीचे से सब कुछ भरा भरा सा लग रहा था. मेरी आंखें अब पूरी तरह बंद हो चुकी थीं और मैं उन दोनों सांडों के बीच पिसी हुई बिना किसी की परवाह करते हुए ज़ोर ज़ोर से ‘आअह … आऊह … हाँआह’ करने लगी.

अगले दस पंद्रह मिनटों की चुदाई के बाद मेरा जिस्म कमान की तरह अकड़ गया और मेरे मम्मे ढिल्लों की छाती में बुरी तरह धंस गए.
और मैं एक बार फिर लगभग चीखती हुई लंबी ‘आह …’ के साथ झड़ी.

जब ढिल्लों ने मुझे झड़ते हुए महसूस किया तो उसने भी पैंतरा बदला और काले से कहा- अब एक साथ जाने देते हैं!
अगले ही पल ढिल्लों और काला दोनों एकसाथ अपने लौड़े बाहर निकालते और एक साथ ही अंदर ठूंस देते.

दोस्तो, ये नज़ारा तो भी खूब साबित हुआ. जब दोनों के बाहर निकलते तो मेरी फुद्दी और गांड में एक बहुत बड़ा खालीपन महसूस होता. लेकिन जब दोनों अन्दर जाते तो वहीं खालीपन ठूंस के भर दिया जाता.

दरअसल इस तरह कसावट भारी चुदाई होने के कारण मेरी क्लिट यानि कि दाना ढिल्लों के लौड़े पर बहुत बुरी तरह घिसने लगा और अगली बार तो मैं उनके दस पन्द्रह घस्सों के साथ ही झड़ गई.
जब मैं दूसरी बार चीख के झड़ी तो दोनों नशई सांड मुझे इतनी तेज़ी से चोदने लगे कि मेरी सुधबुध ही गुम हो गई और मैं बावरी हो गई और पता नहीं क्या क्या बकने और चीखने लगी.

इस बार वो मुझे इतनी वहशत से चोदने लगे कि दोनों सांडों के मुंह से हाफनें की आवाज़ें आने लगीं. अगले लगभग पच्चीस तीस घस्सों में दो बार फिर झड़ी लेकिन दोनों बार फुद्दी तर नहीं हुई क्योंकि मेरा इंजन ऑयल तो खत्म हो गया था.

खैर जब मैं दूसरी बार झड़ी तो मेरी बस ही गई और मैंने चीखते हुए ढिल्लों से इल्तज़ा की- कर दो अब यार, बहुत बजा चुके हो!

मेरे ये कहते कहते ही काला मेरी गान्ड में ऊंची ऊंची हांफता हुआ झड़ गया और उसका गर्म गर्म लावा मुझे अपनी गांड में महसूस हुआ. मुझे कुछ राहत की सांस महसूस हुई.
काले की ‘हूं … हूं …’ से ढिल्लों समझ गया कि वो झड़ चुका है जिसके कारण उसने काले से कहा- अंदर ही रखना!
और खुद नीचे से फौलादी तीक्ष्ण घस्से मारने लगा.

अगले 4-5 मिनट में मेरी फुद्दी भी वीर्य से तरबतर हो चुकी थी.

तो दोस्तो, अब मेरी जान में जान आयी और मैं निढाल होकर उसी तरह ढिल्लों के ऊपर पड़ी रही.

कुछ देर बाद ढिल्लों ने मुझे नीचे उतारा और साइड पर लेटा दिया और नीचे पड़ी चादर से मेरी फुद्दी और गांड को अच्छी तरह से साफ कर दिया और मुझ पर एक और चादर से दी और खुद पता नहीं पैग लगाते हुए क्या क्या बातें करते रहे.

मुझे भी एकदम से नींद आ गई.

और जब मेरी सुबह जाग खुली तो मैंने पाया के मैं उसी तरह अलफ़ नंगी उन दोनों सांडो के बीच घी खिचड़ी हुई पड़ी थी.

जब मेरी घड़ी पर निगाह पड़ी तो दोपहर के 2 बज चुके थे. मैं जैसे तैसे लंगड़ाती फिसलती हुई बाथरूम तक गई और गर्म पानी का शावर आन करके लगभग आधा घंटा नीचे बैठी रही और तब जाकर मुझे होश आया

जब मुझे अपनी गांड में कुछ मिर्ची महसूस हुई तो मैंने हाथ लगाकर देखा कि गांड इतना तेल लगाने के बाद तो बुरी तरह छिल गई थी.
और फुद्दी का तो कोई हाल ही नहीं था.

जब मैंने अपनी दो उंगलियों से फुद्दी चेक करने की कोशिश की तो मुझे अचानक पता चला कि पिछले पंद्रह बीस घंटों में उन दोनों ने फुद्दी का दाना यानी क्लाइटोरिस आधा इंच बाहर निकाल दिया था जो बुरी तरह सूजा हुआ था. मैं थोड़ा डर गई लेकिन अब मैं कर भी क्या सकती थी.

खैर मैं अच्छी तरह नहाई धोई और फिर मैंने दोनों सांडों को भी उठाया और उनसे विनती की कि मुझे जल्द जल्द मेरे घर के पास छोड़ दें.

परन्तु ढिल्लों का मन एक और राउंड खेलने का था. लेकिन मैंने एक ना सुनी और बवाल मचा दिया.

इसके बाद उन दोनों ने मुझे गाड़ी में बिठाया और उन्होंने मुझे बिल्कुल मेरे घर के पास जाकर ड्रॉप कर दिया.

तीन घंटों के सफर में ढिल्लों ने मुझसे वादा किया कि अगले हफ्ते वो मुझे मेरे घर आकर चोदेगा.
मैंने उससे विनती की कि पंद्रह दिनों से पहले वो मेरे घर ना आए क्योंकि फुद्दी और गांड को सैट होने में मुझे पता था कि इतने दिन तो लगेंगे ही.

अगले दस दिनों में ही ढिल्लों ने मेरे पति के बारे में अच्छी तरह से पता करके उसे अपना दोस्त बना लिया और उसने मुझे आने से 4 दिन पहले फोन करके बता दिया था कि मैंने तेरे पति को कांफिडेंस में ले लिया है उसने मुझे इस तारीख को लंच पर बुलाया है.

मेरी बांछें खिल गईं … मुझे यूं महसूस हुआ कि मैं ढिल्लों की नई नवेली दुल्हन हूं.


समाप्त
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