RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
डॉली कुछ सोच मैं डूबी हुई थी जैसे याद कर रही हो कि कैसे उसके भाई ने रात को उसके जिस्म को टच किया था।
मैंने उससे कहा- अरे किस सोच में डूब गई हो.. तैयारी करो.. कॉलेज नहीं जाना क्या?
मेरी बात सुन कर उसे तो जैसे मौका मिल गया तो वो फ़ौरन ही रसोई से भाग गई। नाश्ते की टेबल पर दोनों आए तो डॉली की नजरें आज भी नीचे को झुकी हुई थीं और हमेशा की तरह चेतन की नज़र उसके जिस्म पर ही बहक रही थी।
डॉली ने अपना कॉलेज का सफ़ेद यूनिफॉर्म पहना हुआ था और शर्ट के नीचे उसने ब्लैक ब्रेजियर पहन रखी थी। अभी उसने दुपट्टा नहीं लिया हुआ था।
जब वो उठ कर रसोई की तरफ गई तो चेतन की नज़र फ़ौरन ही उसकी पीछे गई उसकी बैक पर उसकी ब्लैक ब्रा की स्ट्रेप्स और हुक्स पर गई.. जो बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी।
चेतन की प्यासी नजरें देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। जब वो दोनों बाइक पर जाने लगे.. तो मैं हमेशा की तरह उन दोनों को सी-ऑफ करने की लिए गेट पर ही थी।
मैंने महसूस किया कि डॉली आज अपने भाई के पीछे बैठती हुई थोड़ा झिझक रही थी। ज़ाहिर है कि उसे याद आ गया था कि रात को उसका भाई उसके जिस्म को कैसे-कैसे छू रहा था।
मैं उन दोनों की हालत पर मुस्करा रही थी। फिर आख़िर डॉली चेतन के पीछे बैठे और दोनों निकल गए।
दोपहर को चेतन से पहले ही डॉली जल्दी कॉलेज से वापिस आ गई। आज मैंने सोच रखा था कि इसे इसके भाई की सामने कुछ और एक्सपोज़ करना है। इसलिए जैसे ही वो अपने कमरे में अपना यूनिफॉर्म चेंज करने की लिए जाने लगी.. तो मैंने उसको कहा- ठहरो.. मैं अभी आती हूँ।
मैं अपने कमरे में गई और उसके भाई का एक बरमूडा और अपनी एक स्लीबलैस टी-शर्ट उठा लाई और बोली- डॉली.. आज से तुम घर में यह भी पहना करोगी.. देखो ना कितनी गर्मी है..
डॉली ने हैरत से उस बरमूडा की तरफ देखा और बोली- भाभी मैं यह कैसे पहन सकती हूँ.. वो भी भैया की सामने।
मैं बोली- अरे इसमें शरमाने वाली कौन सी बात है.. देखो तो मैंने भी तो रात से यही पहना हुआ है और वैसे भी हमारे घर पर कौन से कोई मेहमान आते हैं जो हमें फिकर होगी।
डॉली- लेकिन.. भाभीईई..
मैं- लेकिन वेकिन कुछ नहीं.. बस मुझे नहीं पता.. अगर नहीं पहना ना मेरी मर्ज़ी के मुताबिक़.. तो इसे फेंक दो सोफे पर.. और अपनी मर्ज़ी का पहन लो जो पहनना है.. लेकिन फिर मुझसे बात ना करना तुम..
यह कह कर मैं मुड़ी और रसोई की तरफ बढ़ी।
मैंने भावुक होते हुए अपना तीर चलाया और मेरी उम्मीद के मुताबिक़ मेरा तीर लगा भी ठीक निशाने पर..
डॉली ने फ़ौरन ही आगे बढ़ कर मुझे पीछे से हग कर लिया और अपनी बाँहें मेरे गले में डाल कर पीछे से अपना मुँह आगे लाते हुए मेरे गाल को किस किया और बोली- मैं अपनी प्यारी सी भाभी को कैसे नाराज़ कर सकती हूँ.. अरे भाभी तू कहे तो मैं कुछ भी नहीं पहनूंगी.. लेकिन तू मुझसे नाराज़ ना होना।
मैंने मुस्करा कर डॉली की बालों में हाथ फेरा और बोली- यह हुई ना मेरी प्यारी सी ननद वाली बात.. सच में डॉली तू तो बहुत ही प्यारी और मासूम है.. हाँ.. तू मेरी मासूम सी ननद है मेरी जान..
मैं दिल ही दिल में अपने शैतानी खेल पर मुस्कराती हुई रसोई में आ गई और डॉली चेंज करने के लिए अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।
कुछ देर के बाद डॉली अपने कमरे से मेरा दिया हुआ लिबास पहन कर मेरे पास रसोई में आई तो बहुत ही शर्मा रही थी। मैंने उसे देखा तो हमेशा की तरह उससे मज़ाक़ करने की बजाए उसको उत्साहित करने लगी कि तुम सच में बहुत ही प्यारी लग रही हो।
डॉली ने अपने भाई वाला जो बरमूडा पहना था.. वो उसके घुटनों तक आ रहा था.. उससे नीचे उसकी गोरी-गोरी टाँगें बिल्कुल नंगी थीं.. बिल्कुल ही साफ़ गोरी-गोरी चिकनी टाँगें जिन पर एक भी बाल नहीं था.. मतलब किसी को भी उसकी चिकनी टाँगें देखते साथ ही मज़ा आ जाए।
ऊपर से उसने मेरी स्लीवलैस शर्ट पहन ली थी, यह शर्ट उसको काफ़ी ढीली थी, उसकी दोनों बाँहें बिल्कुल नंगी थीं, बिल्कुल गोरे और चिकने कन्धों पर उसकी ब्रेजियर की तनियाँ एकदम साफ़ नज़र आ रही थीं।
स्लीवलैस शर्ट होने की वजह से डॉली ने प्लास्टिक की पारदर्शी स्ट्रेप्स वाली ब्रेजियर पहन ली थी। ताकि कम से कम नज़र आ सकें… लेकिन कन्धों पर सब मर्दों की नजरें तो ब्रा की स्ट्रेप्स पर ही होती है ना..
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शर्ट की स्ट्रेप्स तो चौड़ी थीं.. लेकिन फिर भी थोड़ी सी भी चलने-फिरने के साथ ही वो पीछे को हट जाती थीं और ब्रेजियर की स्ट्रेप्स नजर आने लगती थीं।
मैंने बिना कुछ ज्यादा बात किए डॉली को काम पर लगा दिया.. ताकि उसे भी कोई अहसास ना हो।
काम करते हुए डॉली आहिस्ता से बोली- भाभी वो भैया.. मेरा मतलब है कि वो भैया नाराज़ हो गए तो.. मुझे ऐसी ड्रेस में देख कर.. मेरा मतलब था!
मैं- अरे पगली तू तो इतनी प्यारी लग रही है.. तो तेरा भाई तुझे देख कर क्यों नाराज़ होगा.. कोई भी भाई अपनी बहन पर नाराज़ नहीं होता।
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