RE: Antarvasna kahani गाओं की मस्ती
हरिया और देवकी फिर नहा लिए और नहाने के बाद देवकी हरिया से बोली कि मुझे अब घर जाना है. घर पर बहुत से काम बाकी है. एह सुन कर जगन अपने जगह से निकल कर फिर से आम के बगीचे में चला गया. वो देवकी का इन्तिजार करने लगा. उसको देवकी से बात करनी थी, क्योंकी एह देवकी से बात करने का सही समय था. थोरी देर के बाद देवकी उसी रास्ते से धीरे धीरे चल कर आई. जगन तब आम के पेड़ के पिछे से निकल कर देवकी के सामने आकर खरा हो गया.
"जगन भाई शहाब, आप एन्हा क्या कर रहे है?" देवकी रुक कर पूछी. देवकी को डर था की कहीं जगन सब कुच्छ देख तो नही लिया. वह बोला,
"मैं तो हरिया के पास जा रहा था लेकिन मैं तुम को उसके साथ देखा. तुम उसके साथ काफ़ी बिज़ी थी और इसीलिए मैने तुम दोनो को परेशान नही किया."
"अपने सब कुच्छ देखा?" देवकी जगन से पूछी और उसकी चहेरा शरम से लाल हो गया. देवकी अपना सिर झुका लिया. जगन तब देवकी से बोला,
"तुम्हे मालूम है अगर मैं सब कुच्छ देव से बोल दूं तो तुम्हारा क्या हाल होगा?"
"भाई शहाब, प्लीज़ मेरे पति को कुच्छ मत कहिए, मैं अब फिर से एह सब काम नही करूँगी" देवकी बोली.
"प्लीज़ किसी से भी कुच्छ मत कहिए मैं आप को जो भी चीज़ माँगेंगे दूँगी" देवकी जगन के साम'ने गिरगिरने लगी.
"तुम मुझे क्या दे सकती हो?" जगन मौका देख कर देवकी से पूछा.
"कुच्छ भी, आप जो भी मगेंगे मैं देने के लिए तैइय्यार हूँ," देवकी बिना कुच्छ सोचे समझे जगन से बोली.
"ठीक है, तुम मेरे साथ आओ. मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है! मैं तुमको हरिया के साथ कल दोपहर और आज सुबहा देख कर बुरी तरह से परेशान हो गया हूँ. मैं इस समय तुमको जम कर चोदना चाहता हूँ," जगन देवकी से बोला.
"एह कैसे हो सकता है, मैं तो तुम्हारे अच्छे दोस्त की बीवी हूँ" देवकी ने विरोध किया.
"तुम मेरे लिया एक भाई समान हो, तुम मेरे साथ एह सब गंदे काम कैसे कर सकते हो" देवकी जगन से बोली.
"तुम अपने वादे के खिलाफ नही जा सकती हो, अगर तुम मेरे साथ नही चलती तो मैं एह सब बात देव को बता दूँगा" जगन देवकी को एह कह कर धमकाया. देवकी चुप चाप जगन की बात सुनती रही और फिर एक ठंडी सांस लेकर बोली,
"ठीक है, जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूँगी," वो जानती थी कि जगन के साथ चुदाई की बात देव को नही मालूम चलेगा, लेकिन अगर उसको हरिया के साथ रोज रोज की चुदाई की बात मालूम चल गयी तो वो उसकी खाल उधेर देगा.
"ठीक है, लेकिन बस सिर्फ़ आज जो करना है कर लो," देवकी जगन से बोली. जगन एह सुन कर मुस्कुरा दिया और देवकी को लेकर एक सुन सान जगह पर ले गया. यह जगह आम की बगीचे से दूर था और रास्ते से भी बहुत दूर, इन्हा पर किसी को भी आने की गुंजाइश नही थी. जगन सुन सान जगह पर पहुँच कर अपनी पॅंट उतार कर ज़मीन पर बिच्छा दिया. उसका लंड इस समय अंडरवेर के अंदर धीरे धीरे खरा हो रहा था. उसने देवकी से कोई बात ना करते हुए उसको अपनी बाहों मे भर लिया और देवकी को चूमने लगा.
देवकी भी मन मार कर अपनी मुँह जगन के लिए खोल दिया जिस'से की जगन अपनी जीव उसकी मुह्न के अंदर डाल सके. जैसे जगन, देवकी को चूमने और चाटने लगा, देवकी भी धीरे धीरे गरमा कर जगन को चूमने लगी. देवकी को अपनी जाँघो के उप्पेर जगन का खरा लंड महसूस होने लगा. जगन तब देवकी की सारी खोल दिया और अब देवकी अपने ब्लाउस और पेटिकोट मे थी. जगन तब अपना मुँह देवकी की चूंची के उपेर रख कर उसकी चूंची को ब्लाउस के उप्पेर से ही चूमने और चाटने लगा. देवकी को तब जगन नीचे अपनी पॅंट पर बैठा दिया और खुद भी उसके पास बैठ गया. अब तक जगन का लंड काफ़ी तन चुक्का था और वो उसके अंडरवेर को तंबू बना चुक्का था. एह देख कर देवकी की आँखें चमक उठी. उसने अंडरवेर के उप्पेर से ही जगन का लंड पकड़ लिया और अपने हाथों मे लेकर उसकी लूम्बई और मोटाई नापने लगी.
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