RE: Antarvasna kahani गाओं की मस्ती
"अरे वा, तुम्हारा लंड बहुत तगरा है, है ना?" देवकी खुशी से बोल परी और जगन का लंड धीरे धीरे अंडरवेर से निकालने लगी. देवकी जब जगन का 10" लंबा लंड देखी तो उसकी आँखे फटी की फटी रहा गयी. जगन तब धीरे धीरे अपना अंडरवेर और शर्ट उतार कर देवकी के सामने पूरी तरह से नंगा हो गया. देवकी तब जगन का लंड को अपने हाथों मे लेकर खिलोने की तरह खेलने लगी. देवकी अपना चहेरा जगन के लंड के पास लाकर उस लंड को घूर घूर कर देखने लगी और उसपर हाथ फेरने लगी. देवकी को जगन के लंड का लाल लाल और फूला हुआ सुपरा निकाल कर देखी और बहुत अस्चर्य से बोली,
"मैं अब तक इतना लंबा लंड और इतना बरा सुपरा नही देखी हूँ." देवकी तब उस सुपरे को धीरे से अपने मुँह मे ले कर चूमने और चूसने लगी. फिर वो उसको अपने मुँह से निकाल देखने लगी और अपनी जीव से उसके छेद तो चाटने लगी. जगन को अपने लंड पर देवकी का जीव की बहुत सुखद अनुभूति हो रही थी. अब जगन उठ कर बैठ गया और देवकी की ब्लाउस और पेटिकोट खोलने लगा. इस समय जगन देवकी को नगी देखना चाहता था और उसके चूंची से खेलना चाहता था. धीरे धीरे देवकी की ब्लाउस खुलते ही उसकी बरी बरी चूंची बाहर आ गयी और उनको देखते ही जगन उन पर टूट परा. जगन को देवकी की चूंची बहुत सुन्दर दिख रही थी.
"तुम्हे एह पसंद है? एह अक्च्चे है ना? पास आओ और इनको पकरो, शरमाओ मत." देवकी अपने चूंची को एक हाथ से पकर कर जगन को भेंट करते हुए दूसरे हाथ से उसका लंड मुठियाने लगी. जगन पहले तो थोरा हिचकिचाया और फिर हिम्मत करके उन नंगी चूंचियो पर अपना हाथ रखा. उसे उनको छुने के बाद बहुत गरम और नरम लगा. जगन फिर उन चूंचियो को दोनो हाथों से पकर कर मसल्ने लगा, जैसे की कोई आटा गुन्ध्ता है. वो जितना उनको मसलता था देवकी उतनी ही उत्तेजित हो रही थी. देवकी की निपल उत्तेजना से खरी हो गयी और करीब एक इंच के बराबर तन कर खरी हो गयी. जगन अपने आप को रोक नही पाया. वो उन निपल को अपने होठों के बीच ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगा. देवकी अब धीरे धीरे ज़मीन पर लेट गयी और जगन को अपने हाथों मे बाँध कर के अपने उपेर खींच लिया.
जगन तब देवकी की पेटिकोट कमर तक उठा दिया और उसकी झटों भरी चूत पर अपना हाथ फेरने लगा. उसने पाया की देवकी की चूत बहुत गीली हो गयी है और उसमे से काम रस चू चू कर बाहर निकल रहा है. उसने तब पहले अपना एक उंगली और फिर दो उंगली देवकी की गरम चूत के अंदर डाल दिया. जगन तब अपने अंगूठे से देवकी की चूत की घुंडी को सहलाने लगा. देवकी बहुत गरमा गयी थी. देवकी अपनी दोनो पैर चिपका लिए और अपनी सुडोल और चिकने जाँघो के बीच जगन का हाथ दबा लिया. देवकी फिर अपनी दूसरी चूंची को पकर कर जगन से उसको चूसने के लिए कहा और जगन देवकी की बात मानते हुए उसकी दूसरी चूंची को अपने हाथों मे लेकर चूसने लगा. हालंकी वे पेड़ के साए के नीचे थे फिर भी उन लोगों को जवानी की गर्मी से पसीना निकल रहा था.
जगन तब धीरे से देवकी की पेटिकोट का नारा खींच कर खोल दिया और उसको शरीर से निकाल दिया. उसे देवकी का नगा जिस्म बहुत पसंद आया और वो उस नंगी जिस्म को घूर घूर कर देखता रहा. देवकी की नगी जिस्म देख कर जगन को लगा कि उसकी बदन भरा भरा है लेकिन उसके बदन बहुत सुडोल और गता हुआ है. जगन देवकी की जाँघो को खोल कर घुटने मोर दिया और वो खुद उनके बीच आ गया. देवकी अपनी जाँघो को पूरा का पूरा फैला दिया जिससे की जगन उनके बीच बैठ सके. देवकी फिर जगन का खरा हुआ लंड को अपने हाथों मे पकर कर अपनी चूत के मुहाने पर लगा दिया.
"जगन भाई शहाब, ज़रा धीरे धीरे करना, मुझे आपका गधे जैसा लंड से डर लग रहा है. मैने आज तक इतना बरा लंड अपनी चूत के अंदर नही लिया है." फिर देवकी अपनी चूतर उच्छाल कर जगन का लंड अपने चूत में लेने की कोशिश करने लगी. थोरी देर के बाद देवकी को अपनी चूत के दरवाजे पर जगन का सुपरा का स्पर्श महसूस हुआ. देवकी ने तब अपने आप को ज़मीन पर बिच्छा दिया और जगन का मोटा ताज़ा लंड अपने चूत मे घुसने का इन्तिजार करने लगी. जगन तब अपने चूतर उठा कर एक्ज़ोर दार झटका मारा और उसका आधा लंड देवकी की चूत मे समा गया. जगन तब दो मिनिट रुक कर एक और झटका मारा और उसका पूरा पूरा 10" लूंबा लंड देवकी की चूत की गहराई मे घुस गया.
|