RE: Antarvasna kahani गाओं की मस्ती
देवकी अपनी चूत मे जगन का लंड की लंबाई और मोटाई महसूस कर रही थी और हरिया और देव के छ्होटे लंड से फ़र्क का अंदाज़ा लगा रही थी. देवकी को लग रही थी की उसकी चूत जगन के लंड घुसने से दो फांको मे फॅट रही है. उसको जगन का लंड अपने बcचेदनि मे घुसने का अहसास हो रही थी और जगन का हर धक्का उसकी शरीर को मदहोश कर रहा था. उसे अबतक अपनी चूत की चुदाई में इतना मज़ा कभी नही मिला था. वो जगन का हर धक्के के जवाब अपनी चूतर उच्छाल कर दे रही थी.
"क्यों जगन क्या तुम्हारा लंड पूरा का पूरा मेरी चूत मे समा गया?" देवकी अपनी चुत्तऱ चलाते हुए बोली. जगन तब देवकी की चूत मे अपन लंड पेलता हुआ बोला,
"हाँ, तुम्हारी चूत मे लंड पेलने का मज़ा ही कुच्छ और है. मुँझे तुम्हारी चूत चोदने मे बहुत मज़ा आ रहा है." जगन तब अपना लंड देवकी की चूत मे जर तक घुसेर कर देवकी को धीरे धीरे चोदने लगा. जगन को देवकी की चूत की गर्मी और रसिल्ला अनदाज बहुत अक्च्छा लग रहा था. जगन तब देवकी की चूतर के दोनो तरफ अपने हाथ रख कर उसकी चूत मे अपना लंड को घुसते और निकलते देख रहा था और वो मारे उत्तेजना से देवकी की दोनो चूंची को पकर मसल्ने लगा. दोनो चुदाई मे मासगुल थे. इस समय दोनो एक दूसरे को कमर चला चला कर धक्का मार रहे थे और जगन का लंड देवकी की चूत को बुरी तारह चोद रहा था. दोनो इस समय पसीने से नहा चुके थे पर फिर भी किसी को होश नही था. देवकी तब अपनी चूतर उछालते हुए जगन को अपने बाहों मे बाँध लिया और बोलने लगी
"जगन और ज़ोर से चोदो, आज फार दो मेरी चूत अपने मोटे लंड के धक्के से, बहुत मज़ा आ रहा है, और चोदो, रुकना मत बस चोद्ते रहो, बस ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत मे अपना लंड डालते रहो." जगन चोदने का रफ़्तार बढ़ा दिया. वो भी इस समय झदाने के कगार पर था. जगन एह सोच कर कि वो देवकी की गुलाबी रसिल्ले चूत मे अपना लंड पेल रहा है बहुत उत्तेजित हो गया. जगन मारे गर्मी के देवकी की चूत मे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से पेल रहा था और बर्बरा था,
"हाई, देवकी तेरी चूत तो मक्खन के समान चिकना है, तेरी चूत को चोद कर मेरा लंड धन्य हो गया है, अब मैं रोज तेरी चूत मारूँगा, लगता है तुझको भी मेरा लंड पसंद आया है, क्या तू मुझसे रोज अपनी छूट चुद्वगी?" देवकी भी अपनी कमर चलते हुए जगन को चूम कर बोली,
"हाई मेरे राजा, तुम्हारा लंड तो लाखों मे एक है, तुम्हारा लंड खा कर मेरी चूत का भाग्य खुल गया है, अब मैं रोज तुमसे अपनी चूत मे तूहरी प्यारी प्यारी लंड पीलवौनगी." थोरी देर इस तरह चुदाई करते हुए जगन अपना वीर्या उसकी चूत मे छ्होर दिया और हफने लगा.
"जगन भाई शहाब आप वाकई बहुत अक्च्छा चोद्ते हैं. मुझको अगर एह बात पहले ही मालूम चलता कि आप को मेरे लिए प्यार है तो मैं हरिया के पास जा कर उस'से कभी अपनी चूत ना चुड़वती. मुझको अगर पहले से पता चलता कि आपका लंड इतना बरा और मज़बूत है तो बहुत पहले ही आपको अपने बाहों मे बाँध लेती," देवकी धीरे धीरे जगन से बोली.
"अब मेरी चूत तुम्हारे लंड को चख चुकी है, पता नही अब उसको और कोई लंड पसंद आएगा कि नही. अब शायद मेरी चूत को हरिया का लंड भी पसंद ना आए" देवकी जगन को चूमते हुए बोली. जगन तब देवकी को अपने हाथों मे बाँध कर अपने बगल मे बैठा दिया और उससे बोला,
"देवकी आज से एह लंड तुम्हारी चूत का गुलाम हो गया है, तुम्हे जब इसकी ज़रूरत हो तुम मुझे बुला लेना मैं और मेरा लंड हमेशा तुम्हारी सेवा के लिए तैइय्यार रहेंगे."
क्रमशः.....................
|