RE: Antarvasna kahani गाओं की मस्ती
गतान्क से आगे............
बस और क्या चाहिए. जया अपनी चुदाई से जल्दी ही पेट से हो गयी. जैसे जैसे जया की दिन पूरे होते गये तो वो जगन या देव का लंड चूस कर ही अपना काम चल लिया करती थी. और जगन और देव बारी बारी से जया का चूत चूस दिया करते थे. देवकी दोनो मर्दों का पूरा का पूरा ख़याल रखती थी और इससे जया को कभी कभी जलन महसूस हुआ करता था. .देवकी और जया की मा अपनी बेटी को संभालने जया के अन्तीम हफ्ते मे इन लोगों के घर पहुँच गयी.
मा के आने से इन लोगों का सारा का सारा मामला बंद हो गया और सब चुप चाप रहने लगे. एक दिन शाम को जया को दर्द चढ़ा और उसको हस्पताल मे भरती कर दिया गया. हस्पताल मे जया को एक रात के लिया रखा गया और सब मिल कर जया के पास ही रात को रुक गये. सुबेरा होने पर डॉक्टर ने बताया की जया को बच्चा होने मे अभी कुच्छ समय और लगेगा और हो सकता है कि जया का बच्चा रात को हो. फिर यह तय हुआ कि देवकी अपनी बहन के पास रात के लिए रुक जाएगी और मा घर जा कर आराम करेंगी. देव भी देवकी के रुकने के लिए तैइय्यार हो गया और जगन फिर अपनी सास के साथ घर वापस चला आया.
जगन अपने सास के साथ करीब सुबह दस बजे गाओं पहुँचा. जगन रास्ते की दुकान से डबल रोटी नाश्ते के लिए खरीद लिया. घर जाकर वो पहले नहा लिया और कमरे मे बैठ कर अख़बार परहने लगा. जगन की सास, छ्हम्मो देवी, अपने कमरे मे नहाने के लिए तैयारिया कर रही थी. छ्हम्मो अपने कमरे से बोली,
"जगन मैं नहा लेती हूँ फिर तुमको चाइ बना कर पिलाती हूँ." अख़बार से अपनी आँख उठा कर अपनी सास को देख जगन चौंक गया. इस समय छ्हम्मो सिर्फ़ अपने पेटिकोट मे थी और उस पेटिकोट को उन्होने अपने चूंची तक उठा बाँध रखा था और इस'से सास की आधे से ज़्यादा सुडोल चिकनी जंघें खुली दिख रही थी. उनकी चूंची भी करीब आधे से ज़्यादा पेटिकोट के बाहर दिख रहा था. छ्हम्मो अपने एक हाथ से अपने कपरे ले रखी थी. जैसे ही जगन की सास दरवाजे के पास खरी हुई तो जगन को बाहर की लाइट से उनकी सुडोल जंघे और चूतर साफ साफ देखाई परा. जगन को अपना लंड के खरा होने का आभास लगने लगा क्योंकि उसकी लूँगी धीरे धीरे उठ रही थी.
जगन जल्दी से दूसरी तरफ देख कर हामी भर दिया. छ्हम्मो बाथरूम मे जाकर नहा धो कर बाहर निकल चाइ बनाने लगी. जगन की अपने सास की तरफ देखने की हिम्मत नही पर रही थी, लेकिन वो बिना देखे रुक भी नही सकता. इस समय छ्हम्मो एक सफेद रंग का ब्लाउस पहने हुए थी, लेकिन गीला होने से लग रहा था उनके ब्लाउस के नीचे और कुच्छ भी नही है. उनका पेटिकोट इस समय उनके चूतर पर थी लेकिन यह यकीन था कि पेटिकोट के नीचे भी कुच्छ नही है. जैसे ही छ्हम्मो अप'ने कमरे मे गयी तो वो जगन के तरफ देख कर मुस्कुरई. जगन उनके हिलते हुए चूतर देखता रहा.
जगन अख़बार परहने के बहाने अपने कमरे मे बैठ कर अपने सास का इन्तिजार करने लगा. छ्हम्मो जल्दी ही कमरे से बाहर निकल कर किचन की तरफ गयी, लेकिन उनका पहनावा अभी भी वही था. जल्दी ही छ्हम्मो किचन से चाइ बना कर नाश्ता लेकर निकली. उन्होने चाइ और नाश्ता ज़मीन पर आमने सामने रखा और जगन को नाश्ता लेने बुलाई. जगन कमरे मे आ कर ज़मीन पर पालती मार कर अपनी सास के सामने बैठ गया और नाश्ते के लिए इंतिज़ार करने लगा.
छ्हम्मो भी तब ज़मीन पर पालती मार कर बैठ गयी. पालती मार कर बैठने से छ्हम्मो की पेटीकोआट उनकी ज्ञगहों तक उठ गयी और जगन को अपने सास की सुडोल, चिकनी और गोरी गोरी जंघे दिखने लगी. छ्हम्मो झुक कर कुच्छ ब्रेड के टुकड़े उठाए और जगन से भी ब्रेड लेने के लिए बोली. जगन ब्रेड लेकर खाते खाते अपने सास के जांघों के देख रहा था. जैसे ही छ्हम्मो अपने पैर थोरी फैलाई तो जगन को उनकी भरा पूरा शेव किया हुआ चूत दिखने लगा.
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