RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“मेरे मम्मों को और जोर से दबाओ सजल। और मुझे जोर से नीचे से झटके मारकर चोदो…” उसकी चूत को अब तेज़ और दम्दार चुदाई की इच्छा थी।
सुनील मनीषा की गर्म चूत की भट्ठी में अपने लण्ड से पूरे जोर से चुदाई कर रहा था। उसने मनीषा की दोनों गोलाइयों को अपने हाथों से पकड़ रखा था और दबा रहा था। पर उसकी नज़रें पूरे समय अपनी पत्नी और बेटे की चुदाई पर टिकी हुई थीं। अब उसे कोई जलन नहीं थी। उसने उस उम्र को याद किया जब वो सजल की उम्र का था। उसके मन में भी अपनी माँ को चोदने की बड़ी इच्छा थी। आज वो अपनी उस हसरत को अपने बेटे सजल के रूप में पूरी होते देख रहा था।
उसने मनीषा की चुदाई की रफ्तार बड़ाते हुए आवाज़ दी- “चोदो उसे कोमल…” ये कहकर उसने अपना रस मनीषा की प्यासी चूत में भर दिया।
कोमल ने अपने झड़ते हुए पति को शाबाशी दी- “भर दो उसकी चूत को सुनील। आज हम रात भर चुदाई करेंगे…”
कोमल और सजल को चोदते देखना ही मनीषा के लिये काफी था पर अपनी चूत में सुनील के रस के फुहारे से तो वो बेकाबू हो गई। बोली- “कोमल मुझे देखो… मैं तुम्हारे पति को चोद रही हूँ। मैं उसके साथ झड़ रही हूँ। आआआ… आआआआ… ईईईई… ईईईईईईई…”
सुनील और मनीषा थोड़ी देर के लिये शाँत हो गये और दोनों माँ बेटे का खेल देखने लगे।
“जल्दी करो तुम दोनों, सजल भर दे अपनी माँ की चूत…” मनीषा ने उन्हें बढ़ावा दिया।
सुनील को अपनी आवाज़ सुनकर आश्चर्य हुआ- “चोद उसकी चूत को जोर से, सजल…”
कोमल ने भी अपने पति की बात सुनी। उसे खुशी हुई कि सुनील ने सब कुछ स्वीकार कर लिया है। उसने सुनील की ओर मुश्कुराकर देखा और अपना ध्यान अपनी चुदाई की ओर वापिस लौटा लिया। वो भी अब झड़ने के करीब थी।
“मैं झड़ रही हूँ सजल… सुनील…” सजल के लंबे मोटे लौड़े पर उछलते हुए कोमल चींखी। अचानक वो ठहर गई। उसकी चूत में अजीब सा संवेदन हो रहा था।
सजल भी अब झड़ रहा था। वो भी चींखने लगा- “मम्मी… मैं भी… आआआह…” पर उसने अपने धक्कों की रफ्तार कम न की। कोमल को यही पसंद था। उसके झड़ने के बाद भी अपनी चूत में मोटे लण्ड से घिसाई- “चोद मेरे लाडले… वा…आआआआ…ह…”
मनीषा और सुनील दोनों देख रहे थे कि कैसे कोमल, सिर्फ ऊँची एंड़ी की सैंडल पहने बिल्कुल नंगी, अपने बेटे के लण्ड पर उछलती हुई झड़ रही थी। मनीषा के मन में आया कि काश उसे भी वही सुख मिले जो अभी कोमल को मिल रहा था। सुनील को भी समझ में आया कि क्यों उसकी बीवी अपने बेटे से चुदवाने लगी थी। कोमल एक बार और झड़ी और निढाल हो गई।
“काश मैं तुम्हें समझा पाती मनीषा… जो मैं इस वक्त महसूस कर रही हूँ… इसमें इतना सुख है की मैं नहीं समझा सकती…”
“इस सुख को भोगो… बोलो मत…” मनीषा ने ठंडी साँस लेते हुए कहा।
थोड़ी देर बाद ही सजल और सुनील के लण्ड दोबारा तनकर खड़े हो गये। अब उन्हें फिर चुदाई की इच्छा हो रही थी। चूंकि वो अभी मनीषा को चोदकर हटा था तो सुनील ने कोमल की ओर अपना रुख किया। कोमल इस समय झुक कर मनीषा की चूत चाटने में व्यस्त थी। सुनील ने पीछे से जाकर एक ही झटके में अपना पूरा लौड़ा कोमल की चूत में पेल दिया।
“ऊँओंफ्ह…” कोमल के मुँह से अजीब सी चीत्कार निकली। कई साल बाद उसके पति ने उसे इतनी बेरहमी से चोदने की कोशिश की थी। उसने अपनी कमर हिलाते हुए सुनील को उत्साहित किया- “मुझे यूँ ही बेरहमी से चोदो सुनील… मुझे खुशी है कि तुम मुझे आज ऐसे चोद रहे हो… फाड़ दो मेरी चूत…”
मनीषा यूँ ही छोड़ने वालों में से तो थी नहीं। वो अपनी ऊँची एंड़ी की सैंडल में गाण्ड मटकाती सजल के पास आयी और बोली- “देख अपने मम्मी-पापा की चुदाई… और मेरी चूत का भोंसड़ा बना…”
सजल आगे बढ़ा और मनीषा के ऊपर चढ़ाई कर दी। अपने लण्ड को उसने मनीषा की गीली चूत में पेल दिया। उसने अपने पापा को देखा जो कोमल की ताबड़तोड़ चुदाई कर रहे थे। उसकी मम्मी उन्हें और बढ़ावा दे रही थी। सजल ने तेजी से मनीषा कि चुदाई की और कुछ ही समय में दोनों का पानी छूटने लगा। उधर सुनील और कोमल का भी खेल खत्म हो गया था और दोनों लण्ड अपनी चूतों को पानी पिलाकर शाँत हो गये थे। चारों थक भी गये थे।
मनीषा ने सबको खाना खिलाया और बीयर पिलायी और एक बार फिर सबने मिलकर चुदाई की। दोबारा फिर मिलने के वादे के साथ सिंह परिवार अपने घर चला गया।
कोमल सोने के पहले यही सोच रही थी कि अब उसके जीवन में एक नया अध्याय शुरू हो गया है।
ये सोचकर वो सुनील से चिपककर सो गयी।
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END
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