RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
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गतान्क से आगे…………………………………….
थोड़ी देर उस ने भी मेरा बड़े प्यार से साथ दिया .....मेरे होंठ भी वो चूस रही थी ..
फिर मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों से थामते हुए पूछा
" अच्छा ये बता..सिंधु के बारे बिंदु को मालूम है के नहीं..?"
मैने उसकी ओर मुस्कुराते हुए कहा .
" अरे उसी ने तो हमें और सिंधु को अकेला छोड़ा खुद काम पर निकल गयी ....और मुझे और सिंधु को मौका दिया .."
" देख बिंदु कितनी समझदार है ...अभी भी देख ना उसी ने सिंधु को यहाँ से हटाया , और हमें भी मौका दिया ... " और उस ने मुझे अपने करीब और भी खिचते हुए मुझे चूमा और कहती गयी " देख बेटा उसे बड़ी हिफ़ाज़त से करना ..फूल सी है मेरी बिंदु ..खुद से कुछ नहीं करेगी मैं जानती हूँ ...तू ही सब कुछ बड़े आराम से करना ...
" हां मा तू बिल्कुल भी चिंता मत करो ..मैं उसे बहुत प्यार से ....और ये तू करना ..करना क्या लगा रखी है मा ..सॉफ सॉफ बोल ना चोद्ना ...." और मैं उसकी चुचियाँ मसलता हुआ उसे फिर से जोरदार किस करने लगा .."
मा मेरे होंठ चूसने और अपनी चुचियाँ दब्वाने के मारे सीस्ककियाँ लेने लगी , मेरी बाहों में छटपटा उठी ..बेचैन हो गयी ..पर उसे अपनी बेटियों के आने का भी डर था ..उस ने अपने को बड़ी मुश्किल से मेरी बाहों से अलग किया और हानफते हुए कहा ...
" हाई रे देख तो मेरा बेटा अपने साथ मुझे ही बेशरम बना रहा है..." और अपनी आँखें नीचे कर ली
" हां मा ऐसे वक़्त बेशरम बन ना पड़ता है ..बोल ना सॉफ सॉफ मुझे क्या करना है बिंदु को ...?'' और मैने उसे फिर से जाकड़ लिया ...
" अरे चोद ना रे जग्गू ....देख वो दोनो भी आते ही होंगे ..छोड ना ..." कसमसाते हुए मा ने कहा
" फिर जल्दी बोल ना क्या करना है ...नहीं तो मैं छोड़ने वाला नहीं " और मैं फिर से उसके होंठ चूसने लगा और हाथ नीचे कर उसकी चूत भी मसल दी ..मा कराह उठी
"अयाया ....बेटा ये क्या कर रहा है ....उफफफफफफ्फ़ ... ये चूम्मा चाटी बंद करेगा तभी तो बोलूँगी ना ...चल छोड़ ..बोलती हूँ.."
मैने उसे छोड़ दिया ..मा हाँफ रही थी ...उसने थोड़ी देर तक अपनी सांस ठीक की और कहा
" ले सुन ...."
मैने झट उसे फिर से अपनी बाहों में लिया ..अपने सीने से लगाया ..उसका चेहरा उठाते हुए अपनी ओर किया ..उसकी आँखों में देखता हुआ बोला ..
" हां अब मेरी आँखों में देखते हुए बोल .."
पहले तो उस ने अपनी आँखें बंद कर दी ..फिर मुस्कुराते हुए खोला और कहा
" बेटा उसकी फुद्दि फाड़ना नहीं ..उसे बड़ी आराम आराम से चोद्ना ..." और मेरी ओर एक तक देखती रही , एक दम बेबाक.
मैं झूम उठा उसकी इस प्यारी बेशर्मी से ...." ओओओओह मा तू कितनी प्यारी है ...उफफफफफफ्फ़ ..मन करता है जिंदगी भर तुझे ऐसे ही चिपकाए रखूं अपने सीने से ...."
मैने उसे और भी करीब खिच लिया ..अपनी तरफ...
मैं कुछ और करता ,उस के पहले ही उस ने मेरे हाथ पकड़ लिए और कहा ..
" अछा अछा बहुत हो गया अब..चल तू कपड़े पहेन ले ..मैं भी तैय्यार हो जाती हूँ..बिंदु और सिंधु भी अब आते ही होंगे ..देख ना कितनी समझदार हैं दोनो .... " और मेरी ओर देख हँसने लगी.
मैं भी मौके की नज़ाक़त समझते हुए बिस्तर से उठा और अपने कपड़े पहेन ने लगा ..
मा झोपड़ी के कोने में बाल्टी के पानी से एक कपड़े को भीगो कर अपनी टाँगें फैलाते हुए , उस गीले कपड़े से अपनी चूत सॉफ किया ..और एक सूखे कपड़े से जांघों के बीच अच्छी तरह सफाई की ..
मा नंगी चलते हुए बड़ी हसीन लग रही थी ...उसकी सुडौल चुचियाँ डोल रही थीं...गुदाज़ .जंघें थरथरा रही थीं ..मैं फिर से उस के करीब गया और उसकी चुचियाँ मसल्ते हुए चूसने लगा.....
" उफफफफ्फ़ ...अब छोड़ भी ना बेटा ..अब मैं कहाँ जानेवाली हूँ.तेरे साथ ही तो हूँ..आज कोई आखरी बार तो नहीं ..चल हट मुझे कपड़े पहेन ने दे .."
मैने एक बार जोरदार चूसाई की और उसे छोड़ दिया ....
उस ने अपनी चूची पर मेरी चुसाइ से लगे थूक हाथ से पोंच्छा ...मुस्कुराते हुए खाट के पास आई और सारी लपेट ते हुए कहा:
" अच्छा ये बता अब बिंदु का नंबर कब लगा रहा है...." और जोरों से हंस पड़ी
मैं अब तक कपड़े पहेन चूका था ..मैं मा से लिपट गया ...और कहा
" मा तू भी ना ... " और उसकी चुचियाँ फिर से मसल दीं मैने ..
"उफफफफ्फ़ छोड़ ना रे अब ..इतने जोरों से दबा दिया ,,देख तो ..कुछ तो रहेम कर ... ऐसे मत करना बिंदु के साथ मर जाएगी बेचारी ..सब से शांत और सीधी सादी है वो ..."
" हा हा हा !! मा आइ लव यू ...." और मैने उसके होंठ चूम लिए..
" वाह रे अँग्रेज़ी निकल गयी ....तेरे मुँह से ..? "मा ने जोरों से हंसते हुए कहा
" हां मा जब बहुत प्यार आता है ना तो अँग्रेज़ी निकल जाती है मुँह से ..." मेरी बात पूरी होती इस से पहले ही दरवाज़े पे खटखट हुई ...
" लगता है दोनो आ गये ..तू बैठ मैं खोलती हूँ दरवाज़ा .." और मैं खाट पर इतमीनान से पैर नीचे लटकाए बैठ गया..मा दरवाजे की ओर बढ़ गयी...
मा ने आगे बढ़ कर दरवाज़ा खोला ..दोनो बहेनें अंदर आईं...और मेरी और मा पर नज़र डाली और मुस्कुराते हुए आँखों आँखों में ही पूछा " क्या हुआ....? "
मैने जवाब में आँखें मार दीं ...दोनो खुशी से झूम उठीं ..
तब तक मा दरवाज़ा बंद कर हमारे पास आ गयी थी ...
" अरे वाह दोनो तो काफ़ी कुछ ले आई आज .." और सिंधु और बिंदु के हाथ से सामानो से भरा पॅकेट लेते हुए कहा.." देखें क्या क्या लाई है ...
मा ने देखा कुछ सब्जियाँ थीं और कुछ खाने के लिए भी था ..समोसे और नमकीन .
' वाह तुम ने अच्छा किया समोसे ले आई ....चलो मैं चाइ बनती हूँ ..साथ में समोसे भी खाएँगे .तुम लोग बैठो." और मा चूल्हे की तरफ चली गयी
सिंधु और बिंदु माथे से पसीना पोंछते हुए मेरे दोनो ओर खाट पे बैठ गयीं ..
सिंधु की चाल में अब लड़खड़ाहट नहीं थी ..शायद बाहर पैदल चलने की वजेह से मसल्स ढीले हो गये थे ...
सब से ज़्यादा सिंधु मचल रही थी जान ने को ..मैने मा के साथ कैसे किया
उस ने पूछा " भाई कैसा रहा ..?? "
मैने जवाब दिया " मस्त ..." और हँसने लगा
" बताओ ना भाई ..कैसा मस्त ..? "
बिंदु बोली " अरे बेशरम ..मस्त कैसा होता है..? तेरे को नहीं मालूम क्या ..? तू ने तो मस्ती ले ली अब पूछती क्या है ..?"
" ह्म्म्म पर दीदी मेरे और मा में बहुत फ़र्क है ना ....क्यूँ भाई ठीक बोली ना मैं ..." सिंधु ने जवाब दिया
" हा हा हा !! वो तो है सिंधु..पर उफफफ्फ़ क्या बोलूं यार तुम दोनो की मस्ती ने मेरे को तो बिल्कुल मस्त कर दिया ....."
" हां भाई ..अब देखना दीदी की मस्ती से तू और कितना मस्त होता है ....."
" हां रे सिंधु ...बिंदु भी तो मस्त है रे .." और मैने बिंदु को अपने सीने से लगा लिया और उसके चेहरे को अपनी तरफ करते हुए चूम लिया और फिर कहा " एक दम फुल मस्त है..."
बिंदु ने अपने को अलग करते हुए कहा .." भाई ..क्या कर रहे हो ...कुछ तो शर्म करो...मा देख लेगी ."
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